देसी टीनएज गर्ल की कामवासना और चुदाई
दोस्तो, मैं राज एक बार फिर आप लोगों के सामने अपनी एक बिल्कुल मौलिक देसी कहानी लेकर उपस्थित हुआ हूँ.
आपने मेरी कहानी
किराना दुकान वाली आंटी की चुदाई
पढ़ी होगी. आप लोगों के बहुत से मेल आए, दिल को अच्छा लगा, कि मेरे चाहने वाले भी बहुत लोग हैं. चलिए ज्यादा बोर न करते हुए कहानी पर आता हूँ.
बात उस समय की है दोस्तो, जब मैं पढ़ाई कर रहा था. मैं एक बहुत होशियार जवान नवयुवक था, जो कि थोड़ा दबंग भी था. उस समय एक लड़का जो कि मुझसे उम्र में 4 साल छोटा था, हमेशा ही मेरे पास आता रहता था. उसकी थोड़ी आदतें खराब हो गई थीं, वो नशा करने लगा था.
उसकी तीन बहनें थीं, एक दिन अचानक मैं उसके घर गया और मैंने उसे आवाज लगाई तो उसकी बड़ी बहन निकली.
उसने मुझसे पूछा- तुम कौन हो?
मैंने उसका उत्तर न देते हुए उससे पूछा- रमेश है?
उसने पूछा- तुम उसके दोस्त हो?
मैं बोला- हां.
फिर वो बोली- तुम तो अच्छे घर से हो… उसको समझाते क्यों नहीं हो.
उससे मेरी इसी तरह की बातचीत होती रही. मेरे व्यवहार से खुश होकर उसने मुझे भी भाई मान लिया. रमेश की तीन बहनें थीं. ये बड़ी बहन थी.
मेरी कहानी बीच वाली बहन के साथ की है, वो एकदम माल लगती थी. उसका बदन बिल्कुल गोरा और 32-26-34 का फिगर है.
हुआ ये कि मेरा आना जाना उसके घर शुरू हो गया. उस दिन के बाद से मैं आए दिन रमेश के घर जाने लगा और उसके घर में एकदम घुल मिल सा गया.
एक दिन अचानक मन्दिर जाने का प्रोग्राम बना. हम सब मन्दिर गए. वहां उसकी बड़ी बहन पूजा करने लगी और मैं ओर मेरा दोस्त घूमने लगे. घूमते हुए मैंने देखा कि दर्शन की लाईन में ज्योति भी खड़ी थी. ज्योति रमेश की बीच वाली बहन का नाम है. फिर मैंने लाइन में देखा वह किसी अनजान आदमी से बात बड़ी मस्ती से बात कर रही थी. उससे बात करते देख कर मुझे लगा कि ये क्या चीज़ है.. यार इसे ट्राय करना चाहिए.
कुछ देर बाद हम सभी मन्दिर से आने लगे तो मैं जानबूझ कर उसके बगल में बैठा. फिर हम सभी बातें करते हुए आने लगे. मैं सबसे नज़र बचाकर उसको छूने लगा. पहली बार उसने मेरा हाथ हटा दिया और मुझे देखने लगी. मेरी तो गांड फट गई थी लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी. अबकी बार मैंने उसको देखे बिना फिर से छूने लगा, इस बार उसने कुछ नहीं बोला और वो थोड़ा मुझसे चिपक कर बैठ गई.
फिर क्या था.. हमारा छूना छाना चालू हो गया. हम धीरे धीरे एक दूसरे के अंगों की रगड़न को एन्जॉय करने लगे. लेकिन इस समय हमको ज्यादा समय नहीं मिल पाया था.
इसके बाद से वो मुझसे निकट होती गई. हम दोनों कभी आते जाते एक दूसरे को छू लेते, कभी यहां तो कभी वहाँ हाथ लगा लेते.
एक दिन वो पोंछा मार रही थी. मैं वहां पहुँच गया और पीछे से उसकी चुत के नीचे से अपना पैर लगा कर उसकी चुत को अपने पैर के अंगूठे से रगड़ दिया.
वो एकदम से खिलखिला कर हंसने लगी. उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसको आँख मार दी. उसने भी फ़्लाइंग किस मेरी तरफ उछाल दिया. बस फिर क्या था मैं उसको चोदने के लिए तड़पने लगा.
अब हम दोनों जैसे ही मौका मिलता एक दूसरे से लिपट कर एक दूसरे को चूमने लगते. मैं उसके मम्मों को दबा देता और वो मेरे लंड को पेंट के ऊपर से पकड़ कर मसल देती थी.
एक दिन में उसके घर गया और देखा कि वहाँ पर कोई नहीं था, सिर्फ ज्योति थी. मैंने उससे पूछा- सब लोग कहां गए?
वह बोली- कोई खत्म हो गया है, सब वहां गए हैं.
मैं उसको अपनी बांहों में लेते हुए बोला- आ जा रानी, आज मौका अच्छा है.
वो मुझे चूमते हुए बोली- पहले बाहर का दरवाजा बन्द कर आओ.
मैं बोला- मैं नहीं बन्द करूँगा, तुम कर आओ.
मुझे डर था कि कोई मुझे दरवाजा बंद करते हुए देख कर गलत न समझ ले.
फिर क्या वह गई और दरवाजा बन्द करके आ कर बोली- चल..
मैंने उसकी गांड को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और कहा- किधर चलूं.. क्या हुआ?
मैं उसकी गांड को सहलाने लगा और एक हाथ से चुत को सहलाने लगा. वह सिसकारियां लेने लगी. वह बहुत गरम आइटम थी.
मैंने उसे काफी देर तक चूमा और खूब मसला फिर उसको लेटा कर उसकी कुर्ती को ऊपर की तो देखा कि उसने ब्रा पहनी ही नहीं थी, उसके मम्में टीनएज गर्ल जैसे ही थे कटोरी जैसे, पहले तो उसके मम्मे अपने दोनों हाथों में लाकर खूब सहलाए और मसले, क्या मस्त मम्मे थे उसके.. अह.. एकदम मलाई की तरह मुलायम और गोरे थे, फिर मैं उनको चूसने लगा. उसके गुलाबी निप्पलों को चूसने में बहुत मजा आ रहा था.
फिर धीरे धीरे मैं अपनी जीभ को नीचे की तरफ लाने लगा. अपनी जीभ को उसकी नाभि के पास गोल गोल घुमाने लगा. उसकी पेट की थिरकन देख कर मैं तो समझो जन्नत में पहुँच गया था. साली क्या गरम और कामुक सिसकारियां ले रही थी.
अब मैंने उसकी कुर्ती उतार कर उसे ऊपर से पूरी नंगी कर दिया और मैंने उसे अपनी बांहों में भींच लिया.
वो बोली- तुम भी अपना शर्ट उतारो ना… नंगे जिस्म से चिपकाने में मजा आयेगा.
तो मैंने अपनी शर्ट उतार दी. वो कुछ देर मेरी नंगी छाती पर हाथ फिराती रही, फिर मैंने उसे अपनी छाती से चिपका लिया. उसकी चूचियां मेरी छाती से पिस सी गई.
मैंने उसके होंठों को चूसने लगा, वो मेरे होंठों के बीच में अपनी जीभ घुसाने लगी. मैं समझ गया था कि इस लड़की की कामवासना बहुत भड़की हुई है.
हम लोग कई मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में सिमटे हुए मजा लेते रहे, एक दूसरे को किस करते और लव बाईट कर लेते.
फिर मैं नीचे की तरह सरका, उसने इलास्टिक वाली लेगी पहनी हुई थी. मैंने अपने दोनों हाथों की एक एक उंगली उसकी लेगी में फंसाई और उसे नीचे सरका दिया. अब मैंने देखा कि इस साली ने तो पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी, उसकी चूत एकदम नंगी मेरे सामने आ गई. चूत पर छोटे छोटे बाल थे, बाल बड़े सलीके से बने हुए थे.
मैंने उसकी चुत पर हाथ फिराया, वहां तो जैसे सैलाब आया हुआ था. मैं उसकी चुत को किस करने लगा और उसने भी अपनी कमर उचकाना चालू कर दिया.
मैंने उसकी लेगी को पूरी तरह से उतार दिया और उसे खड़ी करके उसके चूतड़ों पर दोनों हाथ रख कर उसकी चूत को चूमने लगा, उसकी खुश्बू सूंघने लगा. उसकी चूत से अच्छी महक आ रही थी. वो कुछ देर पहले ही नहाई हुई लग रही थी. मैंने अपनी जीभ से उसकी भगनासा को चाटा तो वो काम्प उठी और मेरा सर चूत पर दबाने लगी.
अभी मैंने दो चार बार ही उसकी चूत पर जीभ फिरायी होगी कि उसने मुझे अपनी चूत से ऊपर उठाते हुए मुझसे बोला- आह.. इतने दिन बाद मौका और समय मिला है.. अब जल्दी से पूरा खेल कर दो न.
मैंने भी कहा- ठीक है रानी.
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और अपनी पैन्ट और जांघिया उतार कर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसका एक पैर ऊपर किया, दूसरा पैर सीधा करके लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा. उसकी सिसकारियाँ निकल रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद के बीच में रखा और बोली- अब देर क्यों लगा रहे हो? जल्दी से घुसा दो ना एक बार!
उसकी वासना की आग को देखते हुए मैंने भी अब देर करना उचित नहीं समझा और मैंने एक झटके में आधा लंड उसकी चूत में पेल दिया.
मेरा 8 इन्च का लंड उसके अन्दर एकदम से घुस जाने से उसे थोड़ा दर्द और तकलीफ हुई, वो बोल पड़ी- उहा आह हाय… धीरे धीरे!
लेकिन उसे और मुझे आनन्द भी बहुत आया.
एक दो छोटे छोटे धक्के मारे और मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अंदर था. मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए और आराम से झटके लगा लगा कर उसे चोदने लगा. वो आँखें बन्द करके बस मेरे लंड के धक्कों का मजा लेती रही. बीच बीच में वो भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल उछल कर झटक मार रही थी.
तभी वो बोली– यार ज़रा मेरे निप्पल चूसो ना!
मैंने उसका एक निप्पल मुख में लिया और चूसने लगा, दूसरी चुची को मैंने हाथ में दबोच लिया और से जोर जोर से मसलने लगा.
वो उम्म…आह… हाय… हाँ… अह… बोल बोल कर चुत चुदाई का पूरा मजा ले रही थी. मुझे तो चोदन का मजा आ रहा था.
करीब दस मिनट बाद हम मैं झड़ने को हुआ तो मैंने पूछा- अंदर कर दूँ क्या?
वो बोली- हाँ कर दो! अब मैं भी आने वाली हूँ.
मैंने थोड़े झाके जोर जोर से उसकी चूत में लगाए और हम दोनों एक साथ स्खलित हो गए.
पांच सात मिनट तो मै उसके ऊपर ही लेटा रहा. जब मेरा लंड छोटा होकर उसकी चूत से बाहर निकला आया तो मैं उठा, देखा तो उसकी चूत में से मेरा वीर्य बह रहा था. बिस्तर की चादर के कोने से मैंने अपना लंड पौंछा और उसकी चूत भी!
मैं अपने कपड़े पहन कर जाने लगा, तो वो नंगी पड़ी पड़ी बोली- तीन बजे फिर से आना, फिर से मजा करेंगे, अबकी बार पीछे से करेंगे.
मैं बोला- पीछे से मैं नहीं करता.
तो वो बोली- पीछे इससे भी ज्यादा मजा आएगा.
मैं बोला- चल ओके.. आ जाऊंगा.
फिर मैं तीन बजे उसके घर गया. वो तो पहले से ही तैयार थी. मेरे आते ही उसने मुझे पकड़ कर किस करना शुरू कर दिया. मैं एकदम पागल होने लगा. मेरे लंड में एकदम से आग लग चुकी थी.
इस वक्त बहुत गर्मी हो रही थी तो वो बोली- चल बाथरूम में फुव्वारे के नीचे नहाते हुए मजा करते हैं.
मैं उसके दूध दबाते हुए बोला- ठीक है चल.
वो जल्दी से पूरी नंगी होकर मेरी बांहों में आ गई. हम दोनों फव्वारे के नीचे नंगे खड़े हो गए. उसके मम्मों ओर चुत पर पानी की धारा कयामत ढा रही थी. उसने मेरी सीने को पागलों की तरह चूमना शुरू कर दिया. मैंने उसके लबों को अपने लबों में कस लिया. धीरे धीरे मेरे हाथ उसके पेट से होते हुए उसकी कमर पर चले गए और फिर उसकी गांड पर हाथ घूमने लगा. मैं उसकी गांड सहलाने लगा, वो भी मुझसे लिपट गई.
वो बोली- राज मेरी गांड मारो न.. बहुत मजा आएगा.
मैं बोला- तुझे कैसे पता कि मज़ा आएगा?
वो बोली- मैं एक बार पीछे से कर चुकी हूँ.
मैं बोला- अच्छा साली आगे भी लंड खा चुकी है तभी तुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ था.
वो हंसने लगी और बोली- क्या तूने भी पहली बार किसी लड़की को चोदा था जो मुझसे कह रहा है.
मैं हंस दिया और उसके मम्मों को चूसने लगा. कुछ पल बाद मैंने उसे कुतिया बनाते हुए झुका दिया. उसकी गांड खुल कर मेरे सामने आ गई. मैंने अपना आठ इन्च का लंड उसकी गांड में डाल दिया. वो इतना बड़ा लंड घुसवा कर जोर से चिल्लाने लगी. लेकिन मैंने अपना काम चालू रखा. कुछ ही देर में वो भी गांड को आगे पीछे करने लगी.
मैंने अपना पूरा लंड उसकी गांड में घुसेड़ दिया. मैंने अब तक पहली बार किसी की गांड मारी थी. उसकी गांड के छल्ले मुझे मेरे लंड को चबाते हुए से लग रहे थे. सच में चूत चोदने से ज्यादा रस गांड मारने में आ रहा था. मैं उसकी चूचियों को अपनी मुट्ठी में लेकर उसके ऊपर किसी कुत्ते सा चढ़ा हुआ था.
कुछ देर बाद मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में करनी शुरू कर दी. इससे कुछ ही देर में वो झड़ गई. वो थक कर कहने लगी- आह.. अब मैं बहुत थक गई हूँ.. मुझे खड़े रहते नहीं बन रहा है.
मैंने उसकी गांड से लंड खींचा और उसको फर्श पर चित लिटा कर उसकी चूत में लंड पेल दिया. कुछ देर फव्वारे की बूंदों के नीचे उसकी चूत चोदने का मजा लिया. कुछ ही देर में झड़ने को हुआ वो भी मेरे साथ ही झड़ गई और हम दोनों बाथरूम के फर्श पर नंगे ही लेटे रह कर पानी की बूंदों का मजा लेते रहे.
फिर हम दोनों उठ कर बाहर आ गए और अपने कपड़े पहन लिए.
सच में उसकी गांड मारने में मुझे बहुत ही मजा आया, उस दिन को मैं कभी भी नहीं भूल पाऊंगा. वह मेरी जिन्दगी का सबसे अच्छा दिन था.
दोस्तो, यह थी मेरी देसी टीनएज गर्ल की चुदाई कहानी, आप लोगों को पसन्द आई या नहीं, मेल करके बताना न भूलें.
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