Diwali Ke Patakhe Meri Gand Mein-दीवाली के पटाखे मेरी गांड में

Diwali Ke Patakhe Meri Gand Mein-दीवाली के पटाखे मेरी गांड में

मैं सनी ! मुझे तो आप सब अच्छी तरहं जानते हो ! अपने बारे में कुछ बताने की ज़रुरत नहीं ! मैं हूँ सनी गांडू ! आपका हरमन प्यारा गांडू !

सभी कह रहे हैं कि सनी तुम कहाँ रहने लगे ?

कोई कह रहा है- लगता है अब तुझे लौड़ों से प्यार नहीं रहा !

यह बात नहीं है ! सनी अभी भी लौड़ों को प्यार करता है,

अन्तर्वासना पर मेरी चुदाई की अब तक आठ-दस दास्तानें छाप चुकी हैं !

सभी पाठकों को भी मेरी गांड की तरफ से प्रणाम ! याहूँ चैट पर करीब आठ सौ के ऊपर दोस्त बन चुके हैं, पर हर किसी से बात करनी तो मुश्किल है। फिर भी कोशिश करता हूँ कि सभी का दिल रखूँ ! वेब-कैम पर सब मेरी गांड देख-देख मुठ मारते रहते हैं !

कोई कहता है- जरा गांड फैला कर छेद दिखा, टाँगे उठा, मम्मे दिखा ! “Meri Gand Mein”

खैर छोड़ो ! जब हैं तो दिखाने भी चाहिएँ ! तभी मोटे लौड़े गांड में डालेंगें !

कुछ ही दिन पहले की बात है, दिवाली के दिन शाम की, गांड मरवाने का बहुत ज्यादा दिल कर रहा था लेकिन कोई भी ऑनलाइन नहीं था। पर खुजली से गांड परेशान थी क्यूंकि मैंने एक गांडू लोगों की फिल्म देखी थी। समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे अपनी वासना शांत करूँ !

तभी मैंने स्पोर्ट्स-शू पहने, लोअर और टी-शर्ट डाल घर से पैदल चल निकला, सोचा पास वाले बाग़ में चलता हूँ, कोई न कोई प्रवासी या फिर वहाँ का ही वासी मिल जाएगा। क्यूंकि दिवाली पर कुछ लोग जुआ वगैरा खेलने निकलते हैं।

शाम के साढ़े छह बज रहे थे। सर्दी में दिन जल्दी ढलता है, अँधेरा हो चुका था। मैं बाग़, जो कि बेरी का बाग़ है, वहाँ चल निकला। रास्ते से मैंने दो पैकेट कंडोम खरीद लिए, वहीं जा खड़ा हुआ जहाँ अक्सर मैं आता था पहले ! “Meri Gand Mein”

तभी एक साइकिल वाला बाग़ में आया, वो पुताई का काम करने वाला था और काम से निकल वहाँ सिगरट पीने आया था।

मुझे वहाँ खड़ा देख थोड़ी दूर खड़ा हो गया, सिगरेट ज़ला कर !

मैंने सोचा- चल इसको रिझाता हूँ !

उसकी तरफ पीठ कर मैं लोअर के ऊपर से गांड पर हाथ फेरने लगा। यह करता हुआ मैं एक झाड़ी की तरफ चला आया, साइकिल लॉक करके वो भी टहलता हुआ वहीं आ गया, लेकिन थोडा डर रहा था। “Meri Gand Mein”

मैंने दुबारा वैसे किया, फिर लोअर नीचे सरका दिया, नंगी गांड पर हाथ फेरने लगा, दोनों चूतड़ फैला उसके सामने छेद पर थूक लगा ऊँगली चलाने लगा।

वो मेरे करीब आने लगा तो मैंने लोअर ऊपर कर लिया।

वह बोला- टाइम क्या हुआ है?

मैंने मोबाइल से देख कर बताया- पौने सात हुए हैं।

वह बोला- यहाँ अकेला कैसे आया ?

मैंने कहा- सैर करने खुली हवा में ! सोचा कि योग के आसन कर लूँ !

वो मुस्कुराता हुआ बोला- तो ऐसी जगह आकर?

मैं उसके पास गया, सामने खड़ा होकर बोला- ऐसी जगह पर कुछ करने में मुझे बहुत मज़ा आता है।

क्या करके?

थोड़ा आगे बढ़ कर मैंने उसके लौड़े पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा- यह सब करने में !

बोला- तेरी गांड बहुत सेक्सी है ! “Meri Gand Mein”

चल, वो झाड़ी के अंदर किसी ने इसी काम के लिए काट कर जगह सी बनाई हुई है !

वहाँ एक पुराना सा कंबल बिछा हुआ था। वो मुझे चूमने लगा। मैंने टी-शर्ट उतार दी।

मेरे मम्मे देख वो बोला- साले तू तो लड़की जैसा है !

चुचूक चूस ना ! मैंने साथ-साथ उसकी पैंट उतार घुटनों तक सरका दी। एकदम से उसका लौड़ा बाहर कूदा। मैंने उसी पल पकड़ मुँह में ले लिया। वो देखता रह गया, शायद उसे यकीन नहीं था कि मैं में मुँह में ले लूँगा।

मैंने जी भर के लण्ड चूसा और उसको सीधा लिटा दिया। जेब से कंडोम निकाल कर लौड़े पर लगाया और उस पर बैठता गया, वो देखता ही रह गया कि कोई लड़का भी इतना प्यासा होगा !

मैं जोर-जोर से कूदने लगा।

वह बोला- घोड़ी बन जा !

मैं घोड़ी बना और उसने डाल कर झटके दिए तो पांच मिनट में उसका पानी निकल गया और वह मेरे ऊपर लुढ़क गया। कंडोम उतार मैंने उसका लंड चूसा और वो पैंट बाँध निकल गया। “Meri Gand Mein”

मैं अभी भी प्यासा था।

जब तक मैं कपड़े दरुस्त करके निकला, वो जा चुका था। मैं वहीं जाकर खड़ा होकर कपडे झाड़ने लगा।

तभी किसी की आवाज़ सुनाई पड़ी- साले गांडू ! मजा आया मरवा कर उससे ?

उस बंदे के हाथ में पानी की बोतल थी, बोला- मैं तो शौच के लिए आया था, तेरा सीन देख कर लंड खड़ा हो गया।

उसने वहीं खड़े-खड़े लुंगी उठा कर मुझे लंड दिखा दिया। “Meri Gand Mein”

हाय क्या लंड था !

इधर आओ ना ! वही चलते हैं !

उसे लेकर मैं तो वहीं पहुँच गया। उसने लुंगी उतार दी और मैंने लोअर खिसका दिया। उसका लंड थोड़ा सांवला था मगर था झकास !

मैंने मुठ में लेकर प्यार किया, फिर झुकते हुए चूसने लगा, वो पागल हो गया, बोला- सी ! कभी किसी ने नहीं चूसा !

थोड़ा चूसा, फिर जेब से कंडोम निकाला, उस पर लगाया। बोला- मैं तेरे ऊपर चढ़ कर लूँगा !

उसने टांगे कंधों पर रखवा ली और झटके से मेरी गाण्ड में लंड घुसा दिया, साथ साथ वह मेरे मम्मे भी चूस रहा था। इसीलिए वो मेरे ऊपर चढ़ना चाहता था।

फिर उसने मुझे घोड़ी बना कर ठोका।

आठ-नौ मिनट में उसका काम भी तमाम हुआ, उसने अपने कपड़े ठीक किये, अपना नंबर दिया और चला गया।

मैंने सोचा- अब निकलता हूँ !

तभी दो और बंदे साइकिल पर आये। मैं झाड़ियों के पीछे छुप गया। दोनों झाड़ी के करीब बैठ दारु की बोतल निकाल कर पीने लगे, साथ में सिगरेट ! “Meri Gand Mein”

मैं उनके पास से निकलने लगा तो एक बोला- साले, तू अच्छे घर का है ! इस वक़्त यहाँ गांड मरवाने आया है?

हाँ ! सही कहा तुमने ! मारोगे मेरी गांड?

मैं उनके पास बैठ गया, बीच में बैठ दोनों की जिप खोल हाथ अन्दर घुसा दिए। वो खुश हो गए।

मैं बोला- चलो अंदर चलते हैं, वहीं करेंगे !

उसी जगह जा पहुँचे, वे दोनों सिगरट पीते रहे, मैं लौड़े निकाल चूसने लगा। कभी एक का लेता, दूसरे को हाथ से हिलाता, दूसरा लेता तो पहले को हिलाता।     “Meri Gand Mein”

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जेब से कंडोम निकाले और एक पर चढ़ा दिया और उसके सामने घोड़ी बन गया, दूसरे को सामने खड़ा करवा लिया, उसका मुँह में लेकर चूसने लगा। दोनों ने बारी बारी मेरी गांड मारी और फ़िर मैं वहाँ से निकल आया।

अब सारी खुजली ख़त्म थी, मेरी प्यास बुझ गई थी, दीवाली के पटाखे मेरी गांड में चल चुके थे।

मैं खुश होकर घर लौटा।

दोस्तो यह थी मेरी एक और मस्त चुदाई का किस्सा ! एक चुदाई का किस्सा और है वो भी जल्दी लिखूँगा।

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