डायलॉग मत झाड़ो, लण्ड घुसाओ-2

डायलॉग मत झाड़ो, लण्ड घुसाओ-2

प्रेषक : अमित
मामी दर्द से चिल्ला रही थीं और मस्त चुदवा रही थीं। मामा भी अपना लंड को बिना रोके चोद रहे थे। इतने मे पीछे से कोई ने मुझे आवाज लगाई। मैंने पलट कर देखा तो पीछे निधि खड़ी थी। मैं तो उसे देख कर सहम गया।
वो बोली- आप यहाँ क्या कर रहे हैं भैया.. और दरवाजे से क्या झांक रहे है?
मैंने उसे टालने की कोशिश की, लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं हो रही थी और वो मुझे पीछे हटाकर खुद देखने लगी।
करीब दस सेकेंड देखने के बाद वो मेरी तरफ देखने लगी और शरमा गई।
मैंने उससे कहा- मैंने मना किया था न..! तो फिर क्यों देखा?
“हाँ.. भैया आपने तो मना तो किया था.. पर आपको बताना चाहिये था कि अन्दर क्या हो रहा है?”
मैंने कहा- क्या बताता..! कि अन्दर तुम्हारे पापा तुम्हारी मम्मी की जोरदार चुदाई कर रहे हैं।
वो फिर शरमा गई और मन ही मन हँसने लगी।
हम लोग ये सब बातें धीरे-धीरे इसलिए कर रहे थे कि कहीं हमारी आवाज अन्दर ना चली जाए।
तो मैंने निधि से कहा- चलो यहाँ से.. हमारी आवाज अन्दर चली जाएगी तो गजब हो जाएगा।
थोड़ी देर बाद निधि मेरे कमरे में आई और बोली- भैया जो हमने देखा उसे किसी अपने दोस्त को मत बताना।
मैंने कहा- पागल हो क्या..! यह बात तो क्या.. मैं कभी कुछ नहीं बताता..!
वो तपाक से बोली- कौन सी और बात?
तो मेरे मुँह से यह निकल गया कि मैं रोज तुम्हारी मम्मी को नहाते हुए देखता हूँ.. वो बात..!
वो बोली- क्या आप मेरी मम्मी को रोज नहाते हुए देखते हैं?
मैंने ‘हाँ’ में अपना सिर हिला दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर वो बोली- भैया आप तो बड़े छुपे-रूस्तम निकले। आप को भी मेरा एक काम करना होगा।
मैंने पूछा- क्या?
वो बोली- जैसे अभी हम दोनों नीचे देख कर आए हैं.. आप भी मेरे साथ वैसा कीजिए न..!
मैंने कहा- क्या..??
वो बोली- हाँ भइया.. आप मेरी भी जोरदार चुदाई करो ना..! बिल्कुल मेरे पापा की तरह..!
मेरी तो समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ..!
मैं तो इसकी माँ को चोदना चाहता था यहाँ तो ताजा बुर भी मेरा इंतजार कर रही है।
मेरे तो मन में लड्डू फूटने लगे, चलो भगवान देता है तो छप्पर फाड़ के देता है.. फटी बुर चोदने से अच्छा है कि मस्त ताजा बुर को चोदूँ।
मैंने कहा- निधि, हम दोनों के लिये यह अच्छी बात नहीं है..!
तो वो झट से बोली- मेरी माँ को नहाते देख कर आप को अच्छा लगता है ओैर मुझ पर डायलॉग झाड़ रहे हो.. यह अच्छी बात नहीं है.. चलो अब इंसानियत छोड़ो और मुझे चोदो।
और इतना कहते ही वो मुझसे लिपट गई और मेरे होंठों को चूसने लगी। मैं भी उसके होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
फिर उसने कहा- भैया दरवाजा बन्द कर दो नहीं तो किसी को शक हो जाएगा कि मैं इतनी रात तुम्हारे कमरे में क्या कर रही हूँ।
मैंने वैसा ही किया जैसा निधि ने बोला।
मैं जैसे ही दरवाजा बन्द कर वापस मुड़ा, तो वो अपने कपड़े उतार रही थी।
मैंने उसे रोकते हुए कहा- जानू मैं कब काम आऊँगा, सब तुम ही कर लोगी तो मैं क्या करूँगा?
मैंने सबसे पहले उसके पास जाकर उसे चूमना शुरू किया और मेरा एक हाथ उसके चूची पर थी, जो धीरे-धीरे उस पर अपना दबाव बना रही थी। फिर उसके बालों को मैंने पूरा खोल दिया।
उसके बाद उसकी कमीज के अन्दर अपना हाथ डालकर ब्रेज़ियर के हुक को खोल दिया। उसकी चूची इतनी उभरी हुई थी कि मैं क्या कोई भी उसका दीवाना हो जाता। उसकी चूची को मैंने मुँह में लिया और चूसने लगा।
वो “आह उई ई” कर-कर के सिसकियाँ भर रही थी और मैं जोर से चूसे जा रहा था।
वो थोड़ी देर बाद बोली- भैया अब मेरी घुण्डी दर्द कर रही है।
मैंने कहा- मुझसे चुदवा रही हो और मुझे भैया भी बोल रही हो?
फिर उसके सारे कपड़े मैंने उतार दिए और वो अब बिल्कुल नंगी हो चुकी थी।
मैंने भी अपने सारे कपड़े खोल दिए थे। फिर उसने मेरे लौड़े को खड़ा करने के लिये उसे जोर-जोर से चूसने लगी, बिल्कुल अपनी माँ की तरह।
मैं मन ही मन कह रहा था कि दोनों माँ-बेटी एक जैसी चुदवाती हैं।
फिर उसे मैंने नीचे लिटाया और उसकी गरमा-गरम बुर को चाटना शुरू कर दिया।
उसकी बुर से पानी ही पानी निकल रहा था, जो स्वाद में नमकीन लग रहा था।
मैं लगभग आधे घंटे तक उसकी बुर को चाटता रहा और वो सिसकियाँ पर सिसकियाँ भर रही थी- आह… उई माँ… और चाटो.. खूब चाटो मेरे जानू… तुम बहुत अच्छे से चाटते हो और चाटो आह…
मैं और जोर-जोर से चाटने लगा।
थोड़ी देर बाद वो खुद बोली- अमित, अब तुम मुझे, मेरी बुर को चोदो !
मैं- नहीं पगली, मेरा लण्ड बहुत बड़ा और लम्बा है.. तुम्हारी बुर फट जाएगी और तुम्हें बहुत दर्द होगा।
वो बोली- भैया आपको मैं एक बात बता दूँ कि लण्ड कैसा भी हो.. किसी भी लड़की या औरत की चूत हर तरह का लण्ड संभाल सकती है !
“तुम्हारी बात में दम तो है.. चलो देखते हैं.. कौन किसको संभालता है।” इतना कहते ही मैं उसके ऊपर आ गया और अपना लौड़ा उसकी बुर के ऊपर टिका दिया और धीरे-धीरे अन्दर डालने लगा। लेकिन उसकी बुर टाइट होने के कारण मेरा लण्ड में फंसाव हो रहा था और मेरे लण्ड का पूरा सुपारा बाहर निकल आया था। मैं फिर उसकी बुर के अन्दर अपना लण्ड डालने लगा और धीरे-धीरे डालते हुए एक जोरदार धक्का दे दिया।
“आह… उई माँ …मार दिया रे.. ! इतना बड़ा लण्ड… मुझको बहुत दर्द हो रहा है.. निकालो जल्दी.. निकालो..!”
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा सिर्फ बरदाश्त करो। फिर देखना तुम्हें अच्छा लगेगा !
और वो मुझसे लिपट गई, मैं धीरे-धीरे उसकी बुर के अन्दर ठोलें मार रहा था।
इतने में देखा कि मेरा लण्ड बुरी तरह खून से सन कर लाल हो गया है। मैंने अपने लण्ड को बाहर निकाल कर उसके फेंके हुए दुपट्टे से साफ किया और फिर उसकी बुर में अपना लौड़ा को पेलकर जोर-जोर से चोदने लगा।
उसे और भी आनन्द आ रहा था और मेरा कमर पकड़ कर जोरदार धक्के सह रही थी।
चुदाई का इतना मजा आ रहा था कि मैंने पूरी रात-भर उसे चार बार चोदा और एक बार अपना सारा वीर्य उसके बुर के अन्दर ही गिरा दिया।
उस दिन के बाद हम दोनों का अक्सर पढ़ने-पढ़ाने के बहाने चोदा-चुदाई का तांडव चलता रहा और कुछ दिनों बाद मुझे मेरी मामी की भी चुदाई को मौका मिला, जो मैं अगली कहानी में लिखूंगा। मेरी कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताइयेगा।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
[email protected]

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category भाई बहन
or similar stories about कुँवारी चूत, बहन की चुदाई

You may also like these sex stories

#डयलग #मत #झड़ #लणड #घसओ2