कोचिंग क्लास की कामुक यादें-3
अभी तक आपने सरिता की कहानी के पिछले भागों
कोचिंग क्लास की कामुक यादें-1
कोचिंग क्लास की कामुक यादें-2
में पढ़ा कि शिखा के दोस्त सतेंद्र के साथ टेस्ट देने आए आकाश के साथ सरिता की दोस्ती हो गई और आकाश ने सरिता का फोन नम्बर भी ले लिया।
अब आगे…
आइसक्रीम खाने के बाद हम चले और एक गाड़ी के पास जाकर वो रुक गया। उसने गाड़ी को अनलॉक किया और मेरे लिए दरवाज़ा खोलकर मुझे अंदर बैठने के लिए कहा।
मुझे बैठाकर उसने ड्राइविंग सीट संभाल ली और ऐसी ऑन करके गाड़ी घुमा ली। आकाश ने मुझे बस स्टैंड तक छोड़ा और बाय कहकर चला गया।
आज मैं काफी खुश थी। एक तरफ तो आकाश से बातें करके दिल खुश हो रहा था और दूसरी तरफ शिखा को जलाने का तरीका भी मुझे मिल गया था। चैट पर रोज़ ही आकाश से बात होना शुरु हो गई। लेकिन अभी मैंने शिखा को इस बारे में कुछ नहीं बताया था; मैंने सोचा कि जिस तरह से उसने मुझे जलाया है मैं भी उसे जलाऊँगी।
इसलिए मैंने आकाश और हमारी दोस्ती को राज़ ही बना कर रखा। आकाश किसी दूसरे कोचिंग सेंटर पर जाता था लेकिन हम दोनों की मुलाकात रोज़ ही होती थी। अब मैंने शिखा के साथ रहना छोड़ दिया था और क्लास के बाद सीधा आकाश के पास पहुंच जाती थी। आकाश ने मुझे धीरे धीरे मूवी ले जाना भी शुरु कर दिया। अब मैं आकाश के साथ खुलने लगी थी। वो कभी मुझे पिज़्जा और बर्गर खिलाने ले जाता तो कभी मूवी दिखाने।
धीरे धीरे मुझे उससे कब प्यार हो गया मुझे कुछ पता नहीं चला। क्योंकि उसने कभी मुझसे कुछ गंदी बात या हरकत करने की कोशिश नहीं की थी; मुझे उसकी नीयत साफ दिखाई दे रही थी।
एक दिन की बात है जब हम मूवी देखने गए हुए थे, हॉल में ज्यादातर यंग कपल ही आए हुए थे। हम दोनों सबसे पीछे कॉर्नर की सीट पर ही बैठे हुए थे, फिल्म थी ‘राज़ रीबूट’… हॉरर फिल्म होने के कारण मैं बार बार डर रही थी जिसके कारण मैं बार-बार आकाश के हाथ को पकड़ लेती थी। फिल्म में कुछ सीन किसिंग वाले भी थे।
आकाश ने मेरे हाथ को अपने हाथ में पकड़ कर अपनी जांघ पर रखा हुआ था, जब डरावना सीन आता था तो मैं उसकी जांघ पर उंगलियों से दबाव बनाने लगती थी, आकाश दूसरे हाथ से मेरे कंधे को सहलाने लगता था और मेरे सिर को अपने कंधे पर रखवा लेता था। फिल्म में एक जगह किसिंग सीन आया और आकाश ने मेरे हाथ को अपनी जांघ पर रखे हुए ही सहलाना शुरु कर दिया।
मैं उसके कंधे पर सिर रखे हुए स्क्रीन पर देख रही थी। उसके कंधे पर सिर रखे हुए मुझे भी उस पर प्यार आ रहा था। मैंने अपना दूसरा हाथ भी उसके हाथ पर रख लिया। उसने थोड़ा सा नीचे की तरफ सरकते हुए टांगें थोड़ी सी और फैला दीं जिससे उसकी जांघें फैल गईं और वो कमर लगाकर पीछे सीट के सहारे लगकर मेरे कंधे को सहलाने लगा। कुछ पल बाद मुझे अपने हाथ के नीचे एक डंडे जैसी झटके मारते हुई शेप का अहसास होने लगा.
मैं समझ गई कि आकाश का लिंग तनाव में है, आकाश ने मेरे हाथ को अपनी तरफ और बढ़ाया और पूरी तरह से अपने लिंग पर रखवा लिया। मैंने भी उत्तेजित होकर उसकी जींस के ऊपर से ही उसके लिंग पर पूरी तरह से हाथ रख कर कवर कर लिया।
आकाश ने सीट से उठते हुए मेरा मुंह अपनी तरफ घुमाया और मेरे होंठों पर होंठ रख दिए; मैं भी उसके होठों को चूमने लगी। उसने अपनी जीभ निकाली और मेरे मुंह के अंदर डालकर मेरे मुंह का रसपान करने लगा।
मुझे भी उसके होठों को चूसते हुए मज़ा आने लगा। साथ में कौन बैठा है इस बात की शर्म खोकर हम दोनों एक दूसरे के होठों को चूसने में खोने लगे। कुछ ही पल में आकाश के हाथ मेरे चूचों पर आ गए और उनको सूट के ऊपर से ही दबाने लगे।
मैं भी आकाश के लिंग को जींस के ऊपर से ही दबा रही थी, उसके लिंग को छूकर मुझे अजीब सा नशा चढ़ रहा था, उसका लिंग बार-बार झटके दे रहा था। हर झटके के साथ आकाश की जांघें ऊपर की ओर मूवमेंट कर जाती थीं जैसे वो अपने लिंग को मेरे हाथ में देने के लिए बेताब हुआ जा रहा हो।
उसने मेरे सूट को उठा कर नीचे से हाथ डाला और ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को अपने हाथों में भरने की कोशिश करने लगा। लेकिन सूट काफी टाइट था इसलिए उसकी मोटी उंगलियां पूरी तरह से मेरी चूचियों को कवर नहीं कर पा रही थीं।
उसने एक हाथ से चूचियों को दबाना जारी रखते हुए दूसरे हाथ को मेरी पजामी पर मेरी जांघों के बीच में रगड़ना शुरु कर दिया। अब मेरी गर्मी बढ़ने लगी थी और मेरे मुंह से हल्की सी कामुक सिसकारियां अंदर ही अंदर निकलना शुरु हो गई थीं।
अचानक ही आकाश ने अपना हाथ मेरी पैंटी वाली जगह से हटाया और अपने लिंग से मेरा हाथ हटाकर अपनी पैंट का हुक खोलने लगा। हुक खोलकर उसने जिप को खोला और फिर मेरे हाथ से अपनी पैंट के खुले हुए हुक को दोनों तरफ फैलाते हुए मेरा हाथ जिप के अंदर तने हुए अपने लिंग पर रखवा दिया। मेरा हाथ जिप के अंदर अंडरवियर में तने लिंग पर रखे जाते ही उसके लिंग ने झटके पर झटके देना शुरु कर दिया।
हम दोनों बेकाबू हो रहे थे; मुझे पहली बार लिंग की छुअन का असली अहसास हो रहा था; साथ ही आकाश के होठों के रस को पीते हुए मैं अलग ही आनंद में डूबी जा रही थी।
तभी पास का एक लड़का और लड़की उठकर चलने लगे। मेरी नज़र उन पर पड़ी तो मैंने एकदम से आकाश की जिप से हाथ निकाला और उसके होठों को छोड़ कर पीछे की तरफ आराम से बैठ गई। आकाश ने पूछा- क्या हुआ?
“बस और नहीं, यहां पर अजीब सा लग रहा है!”
आकाश ने बगल में देखा तो वो समझ गया कि मैं यहां पर कंफर्टेबल नहीं हूँ।
उसने अपनी पैंट की जिप को बंद किया और कपड़ों को ठीक करते हुए मुझे चलने के लिए कहा।
“लेकिन अभी तो मूवी खत्म भी नहीं हुई है..” मैंने कहा।
“कोई बात नहीं, अभी उठो फटाफट, मूवी फिर कभी देख लेंगे!”
आकाश उठ गया और साथ में मैं भी उठकर चल दी।
सिनेमा हॉल से बाहर आकर हम गाड़ी में बैठे और आकाश ने बिना कुछ बोले गाड़ी स्टार्ट की और हम चल पड़े।
मैंने पूछा- लेकिन हुआ क्या, हम कहां जा रहे हैं, मूवी भी पूरी नहीं देखी?
“तुम बस आराम से बैठी रहो!” आकाश ने जवाब दिया।
कुछ ही देर में हम एक चौड़ी सी गली में आकर रुक गए। दोपहर का टाइम था। सब लोग अंदर घरों में आराम कर रहे थे।
आकाश ने उतर कर मुझे भी उतरने के लिए कहा और हम गली के पीछे वाली साइड में अंदर घुस गए। यह जगह जानी पहचानी लग रही थी।
जब हम गली के बीचों बीच आ गए तो आकाश ने जेब से चाबी निकाली और फ्लैट का पीछे वाला मेन गेट खोलने लगा।
यह वही फ्लैट था जिस पर शिखा मुझे सतेंद्र के साथ लेकर आई थी।
मैंने कहा- यह तो सतेंद्र का फ्लैट है, हम यहां क्या करने आए हैं?
“ज्यादा शोर मत करो, चुपचाप अंदर आ जाओ”
मेन गेट खोलकर हम अंदर घुस गए। आकाश ने फटाक से मेन गेट बंद किया और मुझे वहीं पर किस करना शुरु कर दिया। इससे पहले मैं कुछ पूछती उसने मुझे अपनी बाहों में लेकर मेरे होठों को चूसना शुरु कर दिया।
मैंने भी आकाश के होठों को चूसने का आनंद लेना शुरु कर दिया।
किस करते हुए हम सामने वाले कमरे का गेट खोलकर अंदर तक जा पहुंचे। आकाश ने मुझे सामने पड़े गद्दे पर गिरा लिया और मेरे शर्ट को ऊपर उठाते हुए निकलवा दिया। मेरी गुलाबी ब्रा में मेरे चूचियों के निप्पल कसे हुए दिख रहे थे जिनको आकाश ने अपनी चुटकी से काटा और मुझे पलटते हुए मेरी ब्रा का हुक खोल दिया।
अब मेरी चूचियां आकाश के सामने नंगी हो गई थीं। उसने बारी-बारी से मेरी चूचियों को अपने हाथों में भरा और मेरी निप्पलों को अपने होठों में लेकर चूसने लगा।
दांतों से काटते हुए उसने मेरी निप्पलों को चूसते हुए मेरी पजामी का नाड़ा खुलवा दिया और पजामी को निकलवा कर एक तरफ डाल दिया।
अब उसने मेरी टांगों को चौड़ा करते हुए मेरी गुलाबी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत की फांकों को चाटना शुरु कर दिया।
मेरी पैंटी सिनेमा हॉल में ही गीली हो चुकी थी; उसने अपने होठों से पैंटी को चूमा-चाटा और खींचकर निकाल दिया; अब मैं पूरी नंगी आकाश के सामने थी। उसने अपनी शर्ट उतारी और बनियान निकाल कर फेंक दी।
उसकी चौड़ी छाती पर हल्का पसीना आ रहा था; उसके बाइसेप्स काफी मोटे और मजबूत दिखाई दे रहे थे और उसका लिंग उसकी जींस में तनतना कर जैसे बाहर निकलने को हो रहा था।
उसने मेरी चूत को हवस भरी नज़रों से देखा और दोनों टांगों को पकड़ कर अलग फैलाते हुए अपने होंठ मेरी गुलाबी चूत पर रख दिए।
उसके होठों का स्पर्श पाते ही चूत में अजीब सी सिरहन पैदा होने लगी। वो मेरी चूत की फांकों को अपने होठों से काटते हुए अपनी ओर खींचने लगा, मैं मदहोश होने लगी।
मैंने आकाश के सिर के बालों को पकड़ा और अपनी चूत में उसके मुंह को दबाने लगी; मैं पागल सी हुई जा रही थी।
अगले ही पल उसने अपनी जीभ को नुकीला बनाकर मेरी चूत में डाल दिया और मेरे मुंह से कामुक सिसकियां निकलने लगीं- इस्स्स… ओह्ह्ह… उई माँ… इस्स स्स्स्स
ऐसे करते हुए मैं उसके बालों को नोंचने लगी; उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर कहर ढहा रही थी।
“ओह आकाश… आई लव यू… ओह्हह… आह्ह्ह… मैं मर जाऊंगी…”
आकाश ने अचानक अपनी जीभ निकाली और अपनी जींस का हुक खोल कर उसे जांघों तक सरका कर अंडरवियर में तने लिंग को मेरे मुंह के करीब ले आया। मेरे सिर को पकड़ कर उसने अपने अंडरवियर पर मेरे होठों को रगड़ना शुरु कर दिया। मैं उसके अंडरवियर के ऊपर से उसके लिंग को चूमने लगी जिसमें से अजीब सी स्मैल भी आ रही थी।
कुछ देर तक ऐसा करवाने के बाद उसने अपना अंडरवियर भी नीचे सरकाया और अपने तने हुए लिंग को अपने हाथ से हिलाते हुए मेरे होठों के करीब ले आया। उसके लिंग से अजीब सी स्मैल आ रही थी और उस पर कोई तरल पदार्थ लगा हुआ था।
मैंने नाक सिकोड़ ली, वो समझ गया कि मैं लिंग को मुंह में लेने के लिए तैयार नहीं हूं।
उसने अपनी जींस पूरी तरह से निकाल दी और अपने अंडरवियर से लिंग के मुंह को पौंछ डाला। अब दोबारा से उसने अपने लिंग को हाथ में लिया, मेरे बालों को पकड़ कर मेरा मुंह ऊपर की तरफ किया और अपनी आंखों से इशारा करते हुए अपने लिंग को मेरे मुंह में देने की रिक्वेस्ट करने लगा।
मैंने ना चाहते हुए भी मुंह खोला और उसके लिंग को अपने होठों में भर लिया।
मुझे काफी अजीब लग रहा था लेकिन उसने धीरे धीरे लिंग को मेरे मुंह में अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। उसके मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं, साथ ही वो मेरी चूचियों से भी खेल रहा था।
2-3 मिनट में मुझे भी लिंग को चूसने में मज़ा आने लगा और मैं उसके मोटे लंबे लिंग को अपने हाथ से पकड़ कर खुद ही चूसने लगी।
अब दोनों को मज़ा आ रहा था।
3-4 मिनट तक लिंग चुसवाने के बाद आकाश ने मुझे लेटा लिया, उसने मेरी टांगों के बीच में चूत के मुंह पर लिंग को लगाया और टांगों से मुझे अपनी तरफ खींचते हुए मुझे उठा कर अपने सीने से चिपका लिया।
तभी उसने एक करारा झटका मारा और पूरा लिंग मेरी चूत में उतर गया। मुझे तेज़ दर्द हुआ लेकिन उसने अपनी मजबूत बाहों में मुझे जकड़ लिया। कुछ पल ऐसे ही रुक कर उसने धीरे-धीरे मुझे अपने लिंग पर आगे पीछे धकेलना शुरु कर दिया।
कुछ देर बाद मैं भी उसके चोदन के आनंद में डूबने लगी।
5 मिनट तक उसने मुझे अपने लिंग पर बैठाकर उछालते हुए मेरी चूत का चोदन किया। फिर अचानक उठाकर मुझे घोड़ी की पोजिशन में लाते हुए पीछे से चूत में लिंग को उतार दिया और तेज तेज धक्के मारने लगा।
उसके मुंह से कामुक आवाजें निकल रही थीं।
मैं भी उसकी चुदाई से आनंदित हो रही थी, साथ ही फूली नहीं समा रही थी कि शिखा को आकाश के बारे में जब पता चलेगा तो वो सुलग उठेगी।
आकाश ने 10 मिनट तक मुझे चोदा और फिर स्पीड तेज़ कर दी; अब उसके धक्के दर्द देने लगे।
2 मिनट बाद उसकी स्पीड कम हो गई और वो रुक कर उठ गया।
मैं समझ गई कि उसका वीर्यपात मेरी चूत में हो चुका है।
वो कुछ देर तक मेरी बगल में लेटा रहा और मैं उसकी छाती पर हाथ फेरती रही। आज मेरी चूत को लिंग का पहला स्वाद मिला था जिसे चख कर वो काफी दर्द के साथ सुकून का अहसास भी कर रही थी।
मैंने आकाश से पूछा- तुम सतेंद्र के रूम पर क्यों लेकर आए मुझे?
“उसने कहा, ये सतेंद्र का नहीं, मेरा ही रूम है। मैं कुछ दिन के लिए घर चला गया था। और चाबी उसको देकर गया था।”
“लेकिन वो तो शिखा के साथ यहां पर रातें रंगीन करता है.” मैंने कहा।
“तो क्या हुआ, दोस्तों के बीच में तो ये सब चलता रहता है।”
तभी आकाश के फोन की रिंग बजी, उसने कॉल उठाई और किसी से बात करने लगा।
फिर उसने मुझसे चलने के लिए कहा।
हमने उठ कर कपड़े पहने और बाहर निकल कर गाड़ी में आ बैठे। उसने मुझे बस स्टैंड छोड़ा और मैं घर आ गई। उसके बाद आकाश ने कई बार मेरी चूत अपने रूम पर ले जाकर चोदी।
मैं भी उसके प्यार में खोई हुई थी लेकिन अब कोचिंग भी खत्म होने वाली थी, मैंने सोचा, अब शिखा को जलाने का टाइम भी आ गया है। एक दिन मैंने शिखा को आकाश और मेरे बारे में बता दिया।
लेकिन उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
मैं हैरान थी।
वो बोली- इसमें कौन सी बड़ी बात है, मैंने ही तुम्हें जान बूझ कर आकाश से मिलवाया था सतेंद्र के कहने पर। आकाश मेरे साथ भी कई रातें गुज़ार चुका है।
मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई, मुझे उसकी बातों पर यकीन नहीं हुआ।
मैंने आकाश से शिखा के बारे में पूछा तो उसने कहा- सतेंद्र ने ही शिखा को मुझसे मिलवाया था। जब मेरा मन उससे भर गया तो मैंने उसके एक नई चूत का जुगाड़ करने के लिए कहा। इसीलिए वो तुम्हें मेरे रूम पर लेकर आई थी। सब कुछ पहले से ही प्लान था।
उस रात जब मैं घर पहुंची तो मैं बदहवास सी होकर गिर पड़ी। मैं किस रंडी के चक्कर में फंस गई। लेकिन अब क्या, अब तो जो होना था वो हो चुका। मेरे जज्बातों के साथ इतना बड़ा खिलवाड़… मेरी बर्दाश्त के बाहर था।
लेकिन करती भी तो क्या!
कोचिंग खत्म हो गई और मैं चूत चुदवा कर घर बैठ गई। शिखा, सतेंद्र और आकाश सबका नम्बर स्विच ऑफ आने लगा। अब मैं भी शिखा की कैटेगरी में आ गई थी।
उसके बाद मैंने एक प्राइवेट स्कूल में टीचर की जॉब पकड़ ली। वहां भी एक टीचर के साथ चुदाई करवाई।
फिर घरवालों ने मेरा रिश्ता भी तय कर दिया। लेकिन मेरी आदत वही बनी हुई है। पति के होते हुए भी कभी-कभार मेरा मन किसी पराए मर्द से चुदने को करने लगता है।
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