चाण्डाल चौकड़ी के कारनामे-6 – Antarvasna
नेहा की कुंवारी चूत का कौमार्य भंग करने की तैयारी
नीता बोली- भैया, आज तो आपके जलवे हैं, चार चार चूतें आपके लिए बेताब है।
मैंने कहा- यार!!! थोड़ी और कोशिश बाकी है अभी… जब चारों की चार चूतें एक ही बिस्तर पर होंगी, तब आएगा मजा! क्योंकि तुम दोनों तो हो ही कमाल की… पर उन दोनों का पहली बार है, पता नहीं साली मानेंगी या नहीं।
नीता बोली- अरे आप तो जादूगर हो, आप कैसे न कैसे उन दोनों को भी मना ही लोगे… बाकी हम सब आपकी बातें मानेंगे ही, जैसा आप कहोगे वैसा करेंगे! फिर बाकी किस्मत अपनी अपनी।
हम दोनों अब एक दूजे की बाहों में आलिंगनबद्ध हो चुके थे। नीता के भड़काऊ कपड़ों के कारण मेरा लंड पहले से ही अपनी औकात में आ चुका था।
इधर न हमने दरवाज़ा बंद किया था न ही नीलेश ने।
नीलेश भी मधु को पीछे से पकड़ कर उसके बूब्स दबा रहा था और मधु की गर्दन पर धीरे धीरे चूम रहा था। मधु हमारी तरफ देख कर अपने आप को उत्तेजित कर रही थी।
मैं और नीता भी अब मधु और नीलेश के कमरे में आ गये। नीलेश मधु के बड़े बड़े उभारों को चूमते हुए बोला- क्या हुआ?
मैंने कहा- चलो जल्दी से कुछ खा लेते हैं।
नीलेश मधु की जांघ को नाइटी के ऊपर से सहलाता हुआ बोला- हाँ लगा लो खाना।
मैंने कहा- मैं इस बीच सभी लड़कियों के साथ बदमाशियाँ करूँगा, तुम सभी ऐसे इग्नोर करना जैसे कि कुछ हुआ ही न हो या तुमने कुछ देखा ही न हो।
सभी लोगो ने हाँ में हाँ मिला दी।
मैंने नीता के चूतड़ मसलते और चांटा मारते हुए कहा- शिखा और नेहा नीचे आ जाओ, तुम दोनों भी कुछ खा लो।
किसी की कोई न आवाज़ आई, न ही कोई नीचे आया।
मैंने कहा- तुम लोग बाहर डाइनिंग टेबल पर खाना लगाओ, मैं उन दोनों को लेकर आता हूँ।
पहले मैं शिखा के कमरे में गया और बाहर से जोर से बोला- क्यूँ तेरे को सुनाई नहीं दे रहा?
बोलते हुए मैंने दरवाज़ा खोला तो कमरे में कोई नहीं था।
मैंने सब जगह देखा, मुझे कोई नहीं दिखा तो मैंने फिर से आवाज़ लगाई- शिखा!! ओ शिखा !!!
मैं नेहा के कमरे में जाकर चेक करने ही वाला था, तभी मैंने सोचा कि एक बार बाथरूम में भी चेक कर लूँ।
बाथरूम का दरवाज़ा खटखटाया और प्यार से बोला- शिखा क्या तुम अंदर हो?
शिखा बोली- हाँ भैया, अंदर आ जाओ।
मैं दरवाज़ा खोल कर अंदर गया, शिखा बाथटब में पानी से किलकारी करती हुई नंगी पड़ी थी।
मेरी आँखें उसका बदन देखकर फटी की फटी रह गई, वो मुझे गलत नहीं कह रही थी, उसके बूब्स कुछ 36″ के रहे होंगे साथ की डार्क पिंक या हल्का ब्राउन रंग के उसके निप्पल, बिल्कुल सुराहीदार गर्दन, घने काले बाल जिनका जूड़ा बना हुआ था।
बाकी पूरा बदन तो पानी में डूबा हुआ था इसलिए उसके बारे में अभी कुछ भी कहना गलत ही होगा।
मैं शिखा को घूरे जा रहा था तो शिखा मेरी तरफ पानी फेंक कर बोली- भैया ये आप ही के लिए है, आइये इसे छू लीजिए।
मैंने कहा- शिखा, तुम मेरा इम्तिहान ले रही हो। इतने खूबसूरत बदन को छूने के बाद कौन साला उसे छोड़ सकता है।
शिखा बोली- तो जाना ही क्यूँ है?
मैं बोला- क्योंकि तेरे भैया भाभी भी हमारे साथ हैं, इसलिए।
शिखा को जैसे एकदम याद आया कि वो हनीमून पर नहीं, अपने बाकी रिश्तेदारों के साथ आई है, बोली- ओह हाँ… मैं तो भूल गई थी, आप चलो नीचे, मैं आती हूँ।
मैंने धीरे से कहा- देखो, तुम जो भी पहनो पर अंदर के कपड़े मत पहनना।
शिखा हल्की सी मुस्कुरा दी और हाँ में गर्दन हिला दी।
नेहा के कमरे में गया तो नेहा अपने बिस्तर पर पड़ी पड़ी अपनी चूत मसल रही थी। उसने एक फ्रॉक पहना हुआ था और अपनी पैंटी के अंदर हाथ डाल के ऊँगली करने में मशरूफ थी।
मेरे कमरे में जाते ही उसने ऊपर चादर डाल ली, फिर मुझे देखकर बोली- ओह मैं तो डर गई थी, मुझे लगा कोई और होगा।
और फिर से अपनी चूत सहलाने लगी।
मैं उसके करीब गया और बोला- इसे मेरे लिए छोड़ दो, और आ जाओ कुछ खाते हैं।
नेहा बोली- मुझे तो भूख ही नहीं लग रही, मुझे तो प्यास लगी है। तुम मेरी प्यास क्यूँ नहीं बुझा देते।
मैंने कहा- मैं तुम्हारी प्यास भूख सब मिटाऊँगा अभी सभी लोग खाने पर इंतज़ार कर रहे हैं। बस तुम रायता मत खाना, उसमें नींद की दवाई है। सभी लोग सो जाएंगे, फिर हम खुल के मस्ती करेंगे।
यह मैंने ऐसे ही बोल दिया था।
‘और हाँ तुम अपने कपड़ो/न के अंदर कुछ मत पहन कर आना!’
नेहा बोली- आप कहो तो कुछ भी न पहनूं!
मैंने कहा- तेरी मर्जी… नीचे और भी लोग हैं। वर्ना क्या मैं तुम्हें कपड़े पहनने देता।
नेहा बोली- आपकी ऐसी ही बातों पर तो मर मिटी हूँ, आप चलो, मैं आती हूँ।
मैं नीचे आया तो सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे।
मधु तो वही नाइटी पहनी थी, मधु की नाइटी पूरी पैर तक लम्बी थी।
पर नीता ने स्टॉल अपने ऊपर ओढ़ लिया था, नीता की नाइटी थोड़ी छोटी भी थी, वो घुटनों से थोड़ा ऊपर तक ही आती थी।
दोनों लड़कियाँ मटक मटक कर नीचे आ रही थी।
नीलेश की भी दोनों लड़कियों के लिए नजर बदल गई थी इसलिए उसका दिल भी हिचकोले ले रहा था।
जब सभी लोग अपनी अपनी जगह बैठ गए तो मधु बोली- यहाँ किचन में केवल 3 ही प्लेट्स थी। तो नीलेश और नीता एक प्लेट में खा लेंगे, मैं और राहुल एक प्लेट में, क्या आप दोनों एक प्लेट में खा लेंगी?
दोनों ने हाँ कर दी।
मैं तब तक बोला- मैं तो सबकी प्लेट में खाऊँगा।
हमने ढाबे से पूरियाँ और आलू की सब्जी पैक करा ली थी। बस प्लेट्स में खाना रखा तो सबसे पहले शिखा ने मुझे अपने हाथ से खिलाया।
मैंने भी शिखा को खिलाया और जान करके थोड़ा सा गिरा दिया जो शिखा के बूब्स पर जाकर गिरा। मैंने सबके सामने उसके बूब्स के अंदर हाथ डाल के वो आलू उठाया और खा गया।
बाकी सभी सामान्य रहे पर शिखा और नेहा आशचर्य में मुंह खोले और आँखें फाड़े देख रही थी।
मैंने अगला कौर नेहा को खिलाया।
नेहा आगे की ओर से खुलने वाला बाथरोब स्टाइल की नाइटी पहनी थी। उसका कौर कुछ ऐसे गिराया कि वो उसकी जांघों पर गिरा।
मैंने जांघों में ऐसे हाथ डाला कि वो कौर थोड़ा और खिसक कर उसकी जांघों के नीचे कुर्सी पर जा गिरा। वहाँ अंदर हाथ डाल के मैंने उसके चूतड़ भी छुए और चूत को भी हाथ लगा दिया और कौर उठा कर खिला दिया।
फ़िर मैंने मधु से कहा- अरे वो रायता तो निकालो।
मधु बोली- अच्छा याद दिला दिया, मैंने वो फ्रिज में रख दिया था, मैं बस अभी लाई।
मैंने नीता की प्लेट में से एक कौर बनाया और अपने होंठों में पकड़ कर नीता को खिलाया।
नीता ने बड़े आराम से मेरे होंठों से वो कौर ले लिया।
मधु तब तक रायता ले आई थी और ये सब उसकी आँखों के सामने ही हुआ।
दोनों लड़कियाँ मतलब शिखा और नेहा सिर्फ यही देख रही थी और सोच रही होंगी कि मैं ऐसे काम अपनी बीवी की मौजूदगी में कैसे कर सकता हूँ।
खैर मैं वहाँ से अपनी बीवी को खिलाने गया तो बीवी को कौर खिला कर सबके सामने उसके बूब्स दबा दिए।
पर किसी के चेहरे पर कोई रिएक्शन नहीं दिखा, बस नेहा और शिखा का मुंह अब तक खुला था।
मैंने अपनी चम्मच को जान करके टेबल की नीचे फेंक दिया फिर उठाने गया तो जाकर शिखा की टांगों के बीच अपना मुंह रख दिया और उसकी फ्रॉक ऊपर करके उसकी चूत को सहलाने लगा।
शिखा के लिए ज़िन्दगी का पहला किसी पुरुष का स्पर्श था अपनी चूत पर, वो भी काफी लोगो के सामने…
वैसे किसी को दिख नहीं रहा था पर सब जानते तो थे ही।
पर बेचारी अपनी सिसकारी भी नहीं ले सकी और मैंने उसकी चूत पर एक किस करके अपनी चम्मच उठा ली।
सभी लोग रायता ले रहे थे पर नेहा ने रायता नहीं लिया।
मैं नीलेश से बोला- नीलेश यार, बहुत पेट भर गया, अब तो नींद आ रही है।नीलेश बोला- हाँ यार, नींद आ रही है।
मैंने कहा- सिगरेट जला!
नीलेश मुझे डांटने वाली मुद्रा में देख रहा था, फिर बोला- मैं इन दोनों के सामने नहीं पीता!
तो शिखा बोली- लेकिन हमें पता तो है ही!
नेहा बोली- पी लो, कोई नहीं!
नीलेश ने मुस्कुरा कर सिगरेट जला दी।
मैंने तीनों मतलब नीलेश, मधु और नीता को मैसेज किया कि मैंने नेहा को बताया है कि तुम्हारे रायते में नींद की गोली थी इसलिए वो चाहे तो खुल के चुद सकती है पर शिखा को कैसे मैनेज करेंगे। इसलिए तुम लोग उसे अपने कमरे में रखो और उसके कान में कोई लीड लगा दो और अच्छे अच्छे गाने सुनने दो। थोड़ी देर में नींद की नौटंकी शुरू कर देना जब तक में नेहा को ऊपर नहीं ले जाता।
मधु बोली- यार मेरे तो सर में दर्द हो रहा है, शाम को घूमने चलेंगे अब तो सोते हैं, बहुत तेज़ नींद आ रही है।
नीता बोली- हाँ, मुझे भी पता नहीं क्यूँ बहुत तेज़ नींद आ रही है।
नीलेश बोला- अरे कुछ नहीं है, आज सुबह जल्दी उठ गए थे न इसलिए नींद आ रही हैम चलो सोते हैं।
मधु बोली- शिखा दी, आपसे कभी बात नहीं हो पाती, आओ आप मेरे साथ, अपन दोनों बातें करेंगे।
नीता बोली- हाँ भाभी, जब तक नींद नहीं आती, बातें करते हैं, आ जाओ नेहा दी आप भी हमारे साथ आ जाओ।
नेहा मौके पर चौका मार बोली- मुझे भी नींद आ रही है, मैं अपने कमरे में सोने जा रही हूँ। जब नींद खुलेगी तो आ जाऊँगी।
मधु, नीता और शिखा, नीता वाले कमरे में चले गए, नीलेश उठकर मधु वाले कमरे में चला गया।
अब बचे मैं और नेहा, मैंने नेहा को उठाया और गोद में उठा लिया, मैंने उसे सीढ़ियों पर ही चूमना शुरू कर दिया।
नेहा बोली- कोई देख लेगा?
मैंने कहा- मुझे कोई डर पड़ा है किसी का? आज तुम भी खुल कर प्यार करो और मैं भी खुल कर मोहब्बत करूँगा।
नेहा बोली- कोई सुन लेगा, अभी कोई सोया नहीं है।
मैंने कहा- सुन लेने दो, तू कहे तो यहीं सीढ़ियों पर तुझे चोद कर दिखाऊँ कि कितनी आग लगी है।
नेहा कुछ नहीं बोली, सिर्फ मेरी आँखों में देखती रही।
मैं उसके कमरे को पार कर चुका था, नेहा बोली- मेरा कमरा वो निकल गया।
मैंने कहा- वो तुम्हारा कमरा हो सकता है, पर मोहब्बत करने के लिए एक और कमरा तैयार करवाया है मैंने।
नेहा की आँखों में अपना सरप्राइज देखने की ललक देखी मैंने।
मैंने कहा- आँखें बंद करो।
कहानी जारी रहेगी।
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