फुफेरी बहन के साथ पहले सेक्स का मजा

फुफेरी बहन के साथ पहले सेक्स का मजा

कज़िन सिस सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं छुट्टियों में अपनी बुआ के घर गया. बुआ की बेटी से मेरी अच्छी पटती थी. मैंने उसको कोई लड़की सेट करवाने के लिए कहा मगर …

प्यारे दोस्तो, मेरा नाम राजदीप (बदला हुआ नाम) है. मेरी उम्र अभी 26 है और हाईट 6 फीट है. मेरा रंग सांवला है और मैं धनबाद से हूं.

यह कज़िन सिस सेक्स कहानी तब की है जब मैं 2016 में अपने इंटर के एग्जाम दे चुका था.

बहुत दिनों से मैं कहीं घूमने नहीं गया था. अबकी बार मैंने अपनी बुआ के घर जाने का फैसला किया. मेरी बुआ मुझे कई बार बोल चुकी थी उनके घर आने के लिए।

बुआ के घर में वो लोग तीन ही सदस्य थे. मेरी बुआ-फूफा, एक बेटी जो कि मेरी ही उम्र की थी. उसका नाम श्रुति (बदला हुआ) है। उसका रंग गोरा था और हाइट 5.4 फीट थी.

श्रुति का एक बड़ा भाई था जिसकी शादी हो चुकी थी और वो अपनी बीवी के साथ शहर में रहता था.

श्रुति का फीगर 32-28-32 का था. मिजाज से वो एक खुले दिल की लड़की थी. हम दोनों की अच्छी बनती थी और वो मुझसे हर तरह की बात शेयर कर लिया करती थी.

मैंने उसको एक लड़की के बारे में बताया कि मैं उसको पसंद करता हूं.
श्रुति से मैंने पूछा कि उसको कैसे पटाया जाये, तो उसने मुझे कुछ बातें बताईं.

फिर मैंने उस लड़की को पटाने की कोशिश की. हमारी बात फोन पर ही होती थी.
मैंने उसको आई लव यू बोला तो उसने मना कर दिया.
मैं निराश हो गया.

अब श्रुति ने बताया कि उसके भाई की साली भी अच्छी है.
उसने मुझे उसकी फोटो दिखाई.

फिर श्रुति ने खुद उस लड़की से मेरे बारे में बात की. बाद में पता चला कि उसका पहले से ही कोई बॉयफ्रेंड था.
मुझे बहुत बुरा लगा. मेरी लाइफ में कोई लड़की नहीं थी.

फिर न जाने क्यों मेरा ध्यान श्रुति पर ही जाने लगा. मैं उसको ही पटाने की सोचने लगा. अब मेरा सारा ध्यान उसी पर लग गया.

कई दिन बीत गये थे.
एक रात को हम दोनों जाग रहे थे. श्रुति ने मेरा मोबाइल लिया हुआ था और वो मेरे फोन में मेरे मैसेज पढ़ रही थी.
हम दोनों के बीच में कुछ भी छिपा नहीं रहता था.

फिर हम लोग सोने लगे.
वो कभी कभी मेरे ही बेड पर सो भी जाती थी. कई बार तो मेरे कूल्हों पर टांग रखकर सो जाती थी. मुझे भी कुछ अजीब नहीं लगता था क्योंकि हमारा रिश्ता बहुत अच्छा था.

अब बहुत दिनों से मेरा माल रुका हुआ था. मैंने दस-पंद्रह दिन से मुठ भी नहीं मारी थी.

एक रात को श्रुति मुझसे चिपक कर सो रही थी. उस दिन मेरा लंड खड़ा हो गया.
मेरा ईमान डोल गया. मन करने लगा कि उसकी सलवार खोल कर उसकी चूत में लंड डाल ही दूं.
मगर मैं पता नहीं आगे क्यों नहीं बढ़ पाया. अपने खड़े लंड को शांत करने के लिए मैं उठ गया.

मैं बाथरूम में गया और मुठ मारकर आ गया.

फिर मैं लेट गया लेकिन नींद नहीं आ रही थी.

मैं लंड को सहलाता रहा. उसकी जवानी को मैं बार बार देख रहा था.

उसके कुछ देर बाद मैं दोबारा से बाथरूम में गया और अबकी बार मैंने दरवाजा खुला ही रखा. मैं वहीं से उसकी चूचियों को देखकर मुठ मार रहा था. मैंने एक और बार अपना माल गिरा दिया.

फिर मैं हाथ धोकर बाहर आ गया.
उसके बाद मैं लेटा और फिर मुझे नींद आ गयी.

अगले दिन सुबह मैं उठा. सब कुछ वैसा ही नॉर्मल था. मैंने नाश्ता किया और फोन में टाइम पास किया.

उसके बाद दोपहर हो गयी और लंच करने के बाद सब लोग सुस्ताने लगे.
मेरे फूफा सुबह ही काम पर चले जाते थे. मैं भी सोने के लिए ऊपर वाले रूम में चला गया.

कुछ देर के बाद श्रुति भी आ गयी. वो रात की तरह ही मेरे से चिपक कर लेटने लगी.
फिर से मेरा लंड खड़ा हो गया.

किसी तरह मैंने कंट्रोल किया. मगर जब नहीं हुआ तो बाथरूम में जाकर मुठ मारी.

फिर श्रुति वहीं पर लेटकर सो गयी. मैं भी उसकी बगल में लेटकर सो गया.
कमरे का दरवाजा खुला हुआ था इसलिए मैंने भी कुछ करने की नहीं सोची क्योंकि अगर किसी को कुछ दिख जाता तो बात सीधी मेरे घरवालों के पास पहुंच जाती.

शाम को उठने के बाद वो अपने काम में लग गयी. मैं भी बाहर टहलने निकल गया.

शाम को आया और सबने खाना खाया. गर्मियों के दिन थे और उस दिन बहुत ज्यादा गर्मी लग रही थी.

हम दोनों उस रात छत पर सोये. रात को मेरे साथ लेटे हुए वो मेरे पेट पर हाथ रखे हुए थी; कभी मेरी जांघ पर सहला देती थी तो कभी मेरी छाती पर।

मैं जान गया था कि इसकी चूत में जरूर कुछ खुजली हो रही है.
फिर मैंने पूछ ही लिया- क्या इरादा है तेरा? कई दिन से देख रहा हूं. कुछ और ही चल रहा है तेरे मन में?

वो बोली- गर्मी लग रही है. मैं क्या करूं इसमें?
मैं बोला- अगर तू रिस्क लेने के लिए तैयार है तो फिर गर्मी तो मैं सारी निकाल दूंगा, मगर कहीं दोनों फंस न जाएं!

उसने कहा- रात के अंधेरे में किसी को क्या पता चलेगा, कुछ नहीं होगा.
मैं हैरान था कि वो एक बार कहते ही मान गयी.

शायद उसकी चढ़ती जवानी उसको चैन से जीने नहीं दे रही थी.
वैसे भी मेरे बुआ और फूफा उस पर काफी सख्ती रखते थे।
शायद वो अब तक चुदी नहीं थी.

इधर मैं भी हवस का मारा था. मुझे भी हर हाल में चूत चाहिए थी.
मैं भी खतरा उठाने के लिए तैयार हो गया.

इतने में ही श्रुति ने मेरे लंड पर हाथ रख लिया.
मेरा लंड पहले से खड़ा था क्योंकि वो मुझे काफी देर पहले से छेड़ रही थी.

उसने मेरे लंड को हाथ में भर लिया और उसको सहलाने लगी.
मैंने जल्दी से पैंट की जिप खोल दी और उसका हाथ चेन के अंदर डलवा दिया.

अब वो मेरे अंडरवियर को टटोलने लगी और उसने लंड को पकड़ लिया.
कुछ देर दबाने के बाद उसने खुद ही मेरे अंडरवियर के अंदर हाथ डाल दिया.
उसका कोमल सा हाथ मेरे गर्म लंड को बहुत आनंद दे रहा था.

मैंने तभी अपनी पैंट खोलकर नीचे सरका दी. फिर कच्छा भी नीचे कर दिया और लंड को उसके हाथ में दे दिया.
वो मेरे लंड की मुठ मारने लगी और मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये.

वो भी मेरा साथ देने लगी.
मगर तभी किसी के आने की आहट हुई और हम दोनों तेजी से अलग होकर लेट गये.

मैंने फटाक से अपनी पैंट बंद कर ली और आंखें बंद करके लेट गया.

उस रात को मैं मरते मरते बचा क्योंकि फूफा भी ऊपर आ गये थे.
वो भी छत पर ही सोये.

फिर अगले दिन मैं उठा तो मैंने कोई रिस्क नहीं लिया.
श्रुति भी चुपचाप अपने काम में लगी रही.

उस दिन फूफा काम पर भी नहीं गये. मुझे शक हो गया कि कहीं उन्होंने रात को हमें देख तो नहीं लिया?

तभी बुआ बोली- श्रुति, हमें अभी कुछ देर बाद इनके दोस्त के यहां एक फंक्शन में जाने के लिए निकलना है. तू जल्दी से काम निपटा ले.

मैं तो ये सोचकर खुश हो गया. यह तो हम दोनों के लिए बहुत ही सुनहरा मौका था.
फिर दोपहर हो गयी और मैं बुआ और फूफा को बाहर बस स्टैंड तक छोड़कर आया.

आते ही मैंने घर को अंदर से बंद कर लिया. मैंने अपने पूरे कपड़े उतार फेंके और केवल अंडरवियर में रह गया.

श्रुति ने भी देर न लगायी और अपने कपड़े उतार डाले.
वो ब्रा और पैंटी में आ गयी.

हम दोनों एक दूसरे को लेकर बेड पर जा गिरे और बेतहाशा चूमने लगे.
हमारा ये पहला सेक्स था इसलिए बस जो मन में आ रहा था हम किये जा रहे थे.

कभी हम एक दूसरे के होंठों को चूसने लग जाते थे तो कभी बॉडी पर किस करने लगते थे.

मैंने हड़बड़ी में उसकी चूत नंगी कर दी. उसकी चूत पर काले काले घने बाल थे.

उसकी चूत पहले से ही गीली हुई पड़ी थी. मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया.

फिर मैं जल्दी से 69 में हो गया.
वो भी समझ गयी कि मैं क्या चाहता हूं. उसने बिना संकोच के मेरे लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगी.

कुछ देर की चूसा चुसाई के बाद मैंने उसको पटका और उसकी चूचियों पर टूट पड़ा.
मेरा लंड उसकी चूत पर लगा था और मैं उसकी चूचियों को भींच भींचकर पीने लगा.

वो सिसकारने लगी- आह्ह … राज … आह्ह … ओह्ह … मजा आ रहा है यार … ओह्ह … ऊईई … आह्ह।
मैं भी उसके निप्पलों को दांतों से काट देता था तो उसकी जोर की आह्ह निकल जाती थी.

अब मेरा लंड भी पूरा चिपचिपा हो चुका था. वो बीच बीच में मेरे होंठों को कस कर चूसने लगती थी.

हम दोनों ही हवस में पागल हो चुके थे. अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था और श्रुति भी बार बार मेरे लंड को हाथ में लेकर चूत पर छुआने की कोशिश कर रही थी.

जोश बहुत ज्यादा था और मैंने उसकी टांगों को खोल लिया. उसकी चूत पर लंड टिकाया और एक धक्का दे दिया.
चूत टाइट थी तो लंड पहली बार में निशाना चूक गया और फिसल गया.

अब मैंने दूसरी बार लंड लगाया और ठोका. हल्का सा सुपारा अंदर गया तो वो चीख पड़ी- आह्ह … क्या कर रहा है कुत्ते … तुझे करना नहीं आता क्या … ऐसे क्यों डाल रहा है?

मैंने सोचा कि अगर मैंने एकदम से इसकी चूत में लौड़ा फंसा दिया तो ये बहुत शोर मचा देगी.
फिर मैं गया और क्रीम लेकर आया.

मैंने अपने लंड के सुपारे पर बहुत सारी क्रीम लगाई और उसकी चूत पर भी क्रीम लगा दी.

ये मेरा पहला सेक्स था, इसमें ना उसका कुछ एक्सपीरियंस था और ना ही मेरा.

मैंने जरा सा भी देर ना करते हुए उसके मुंह पर तकिया लगाया और उसके बूब्स पकड़कर उसकी सीलपैक चूत में लंड फंसाने लगा.

मैंने अपना 6 इंच का काला और बड़ा लौड़ा आहिस्ता से झटके देकर डालने का कोशिश की और धीरे धीरे उसकी चूत के छेद को खोलते हुए सुपारा अंदर फंसा दिया.

वो तकिया के नीचे गूं … गूं … की आवाज कर रही थी.
मैं जानता था कि उसको दर्द हो रहा होगा लेकिन अभी तो दर्द सहना ही था.

मेरा लंड पूरा चला गया तो उसकी चूत से खून बाहर आने लगा.
अन्तर्वासना की सेक्स कहानियों में मैंने पढ़ा था कि कुंवारी चूत में लंड डालने से अक्सर खून निकल आता है इसलिए मैं ज्यादा डरा नहीं.

मैंने श्रुति को इस बारे में नहीं बताया.
मैं उसको धीरे धीरे चोदने लगा.

फिर मैंने अपनी चड्डी से उसकी चूत को पौंछ दिया और चड्डी को उसकी गांड के नीचे रख दिया ताकि बेड पर दाग न हो.

मैं धीरे धीरे उसकी चूत को पेलने लगा.
अब मैंने तकिया हटाया तो उसका चेहरा लाल हो गया था. उसकी आंखों में आंसू आ गये थे.

फिर मैंने उसके होंठों पर होंठों को चिपका दिया.
उसने मेरे होंठों को हटाया और बोली- ऊईई … मम्मी …. मुझे बहुत दर्द हो रहा है राज. निकाल ले एक बार।

मगर मैं नहीं माना और उसको दुलारते हुए किस करने लगा लेकिन लंड को अंदर ही रखा.

मैंने उसका दर्द कम होने दिया. उसका कुछ दर्द कम होने के बाद उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया. मैंने धीरे धीरे धक्के देना शुरू किया और वो चुदने लगी.

अब दोनों को मजा आने लगा था.
मेरी रफ्तार और धक्कों का जोर भी थोड़ा बढ़ गया था. उसकी चूत में भी पूरी गर्मी आ गयी थी.
मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों से रगड़ा खाता हुआ चोद रहा था.

कुछ देर बाद वो खुद बोलने लगी- और डालो … आह्ह … और जोर से झटका मारो … पूरा घुसा दो अंदर तक … आह्ह … चोदो … आह्ह।
मैं भी उसकी चूचियों के निप्पल को दांत में पकड़ कर उसको चोदने लगा.

हर धक्के के साथ मैं उसकी निप्पल को दांत से हल्का काट लेता था और वो मेरी पीठ पर खरोंच देती थी.

इस तरह से 20 मिनट तक मैं लगातार उसको पेलता रहा.
उसकी चूत फूलकर पाव रोटी हो गयी.

अब मैंने पूरी स्पीड से धक्के देना शुरू किया और वो दर्द में चीखने लगी.
मैंने उस पर रहम नहीं किया और चोदता रहा.

वो ताकिया अपने मुंह में दबाए उम्म्म … उम्मा … करती रही और लंड को बर्दाश्त करती रही.
मुझे डर था कि कहीं वो फिर बाद में चल भी न पाये.

मगर मैंने ज्यादा नहीं सोचा क्योंकि अभी तो बस चूत चोदने का पूरा मजा लेना था.
मैं मेरी कज़िन सिस को चोदता रहा और हम दोनों एक साथ झड़ गये.

हम दोनों के बदन पसीने से पूरे लथपथ हो गये थे.
काफी देर तक मैं हाँफता रहा.
वो भी नॉर्मल होती गयी.

फिर हम दोनों उठ कर बाथरूम में गये और साथ में नहाए.

उसके बाद बुआ का फोन आया कि वो लोग अगली सुबह ही वापस आयेंगे.

फिर रात को हमने बहुत तक लगातार पानी में भीगते हुए साबुन लगाकर सेक्स किया.
हम पूरी रात मजे लेते रहे और लगभग तीन बजे सोये.

बहुत ही मजेदार और यादगार रात थी वो!

श्रुति भी पूरी खुश हो गयी थी. वो रात भर मेरे से चिपक कर सोती रही और मैं उसकी चूत में उंगली डालकर लेटा रहा.
इतना मजा मुझे उसके बाद कभी नहीं मिला.

उसके बाद मैंने कई चूत मारी. आंटी की चुदाई और भाभी की चुदाई भी करके देखी लेकिन पहला सेक्स पहला ही होता है.
मुझे आज भी वो रात याद रहती है.

उसके बाद फिर मेरे बुआ फूफा आ गये. हमें मौका मिलना कम हो गया लेकिन थोड़ा सा भी समय मिलता था तो हम दोनों एक दूसरे को किस करते और मैं उसकी चूत को और वो मेरे लंड को सहला देती थी.

बुआ के घर रहते हुए मैंने कई बार उसे चोदा.

फिर मैं अपने घर लौट आया.

उसके 6 महीने के बाद श्रुति का रिश्ता तय हो गया और जल्दी ही उसकी शादी भी कर दी गयी.

शादी के बाद एक बार फिर मेरी कज़िन सिस मुझसे चुदी. मगर वो हमारी आखिरी चुदाई थी.

अब वो दो बच्चों की मां बन चुकी है. जब भी मेरे सामने आती है तो हम दोनों की पहली चुदाई की वो याद फिर से ताजा हो जाती है.

दोस्तो, आपको मेरी कज़िन सिस सेक्स कहानी कितनी पसंद आई मुझे जरूर बताना. कहानी में कुछ कमी लगी हो तो वो भी बताना ताकि निकट भविष्य में मैं अधिक बेहतर कहानी लिख पाऊं.
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