बारिश में मिली चूत एक धोखा-2
मैं उसके गले पर चुम्बन करता रहा और अपने एक हाथ को नीचे ले जाते हुए उसके पेटिकोट के अन्दर डाल दिया।
लेकिन अभी उसके रजस्वला अंग को नहीं छुआ था.. शनै: शनै: वो टूटने सी लगी.. और कामाग्नि में पूरी तरह डूब कर मेरे वशीभूत हो चुकी थी।
कुछ ही पलों के बाद वो सिर्फ़ पैन्टी और ब्रा में बची थी और उसके बालों से गिरता पानी.. उसको और ज़्यादा कामुक बना रहा था।
वो भी मेरे करीब आई और मुझे निर्वस्त्र करने लगी।
हम दोनों इस वक़्त सिर्फ़ अंतः:वस्त्रों में खड़े थे.. दोनों ही मानव जीवन के सबसे हसीन काम को पूरा करने के लिए.. मदन-मिलन के लिए तैयार थे..
मेरा मन तो उस पर टूटने का कर रहा था.. लेकिन माहौल की रंगीनी को समझते हुए मैंने सब्र करने का फैसला किया.. उसके कमरे में हलकी-हलकी सी रौशनी थी जो इस माहौल को और भी उत्तेजक बना रही थी।
वहाँ की हर एक चीज़ बड़ी ही लालसा-पूर्ण प्रतीत हो रही थी.. सुर्ख लाल गुलाब का एक पूरा गुच्छा टेबल पर रखा था.. तो परदे भी कुछ खजुराहो के मैथुनरत नायक-नायिकाओं के जैसे छाप के थे।
उसके कंधे पर बालों से पानी गिर रहा था.. मैंने अपने पूरे होंठों को खोल कर उसके कंधे पर हौले से काट लिया.. वो सिहर कर रह गई..
मैंने उसके शेष वस्त्रों को भी उसके जिस्म से विदाई दे दी। अब वो खुद एक नग्न अजंता की मूरत सी मेरे सामने खड़ी थी।
मेरी उंगलियां उसकी कमर से लेकर स्तनों तक लगातार चल रही थीं।
वो पूरी तरह से कामातुर हो चुकी थी.. फिर उसने भी एक-एक करके मेरे भी सभी कपड़े निकाल दिए।
हम दोनों इस वक्त पूर्ण प्राकर्तिक सौंदर्य यानि की नग्न अवस्था में एक-दूसरे को देख रहे थे। उसकी आँखें आधी ही खुली थीं.. क्यूंकि वो मस्त हो चुकी थी..
मैंने अपनी ऊँगली उसके रस से भीगे होंठों पर घुमाई तो उसने लपक कर उसको मुँह में ले लिया और चूसने लगी.. धीरे से उसने ऊँगली को काट भी लिया..
मुझे लगा कि साली यहाँ पर रोज़ यही करती होगी.. लेकिन अपना क्या.. मैंने तो सीखा ही यही था कि नंगी चूत और सांप जहाँ दिखे.. तुरंत मार देना चाहिए।
उस पूर्ण यौवना को मैंने अपनी गोद में उठाया और पास पड़े सोफे पर पटक दिया और उसके ऊपर लेट गया। मेरी जीभ उसके मुँह के अन्दर थी और वो उसको बेहद कामुकता से चूसने लगी। मेरा लंड उसकी चूत पर ही रखा हुआ था.. दोनों को एक गरम एहसास होने लगा था।
उसके बदन से खेलता-खेलता मैं 69 में पलट गया और उसकी चूत को चाटने लगा.. मेरे बिना कुछ कहे ही उसने मेरा लंड अपने मुँह में जड़ तक ले लिया.. मेरी तो सिसकारी ही छूट गई थी।
हम दोनों एक-दूसरे के मदन अंगों को चूस और चाट रहे थे।
थोड़ी ही देर में.. दोनों एक साथ झड़ गए.. उसने मेरे पूरे वीर्य को पी लिया।
लेकिन अभी हमारी हवस का अंत नहीं हुआ था.. चूसने की वजह से उसके होंठ और भी ज्यादा गुलाबी हो गए थे।
मैंने बिना मौका गंवाए उसके होंठों को मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
हमारे बीच में एक संवाद-हीनता थी.. बस हम दोनों उन पलों को एन्जॉय कर रहे थे।
मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी थी.. जिससे वो मचल उठी और मुझे कस कर पकड़ लिया। मेरा लंड भी अब दुबारा अपनी जवानी पर आ रहा था।
फिर मैंने उसकी चूत में एक और ऊँगली घुसेड़ दी और उसके होंठों को चबाता रहा.. उसकी सिसकारी निकल नहीं पा रही थी.. वो पूरी तरह बेचैन थी..
उसकी मादक सीत्कारें मेरे जोश को और अधिक बढ़ा रही थीं। उसकी जीभ.. मेरे होंठों में दबी थी और मैं पूरी ढीठता से उसकी जीभ को अपने होंठों से चबा रहा था।
तभी उसने अपने मम्मों को मसलना शुरू कर दिया और मेरा ध्यान उसके मस्त मम्मों को चूसने का हुआ। शायद वो मुझे यही इंगित करना चाह रही थी कि मेरे इन मदनमोदकों को भी अपने अधरों से निहाल कर दो..
सच में उसके गोल स्तन.. जिन पर छोटे मुनक्का के दाने के बराबर उसके चूचुक एकदम कड़क होकर मुझे चचोरने के लिए आमंत्रित कर रहे थे।
मैंने अपने होंठों को उसके मदन-मोदकों की परिक्रमा में लगा दिया और जीभ से उसके उरोजों के बीच की संवेदनशील छाती पर फेरना आरम्भ कर दिया।
अनामिका एकदम से सिहर उठी और उसने मेरे सर को पकड़ कर अपने चूचुकों को चूसने के लिए लगा दिया। अब मेरे मुँह में उसके खजूर के फल के आकार के लम्बे चूचुक आ चुके थे.. मैं पूरी मस्ती से उनका मर्दन कर रहा था।
इधर मेरे मुँह में उसके चूचुक थे और उधर मेरा मूसल लण्ड.. पूर्ण रूप से तन कर उसकी चूत के दरवाजे पर अठखेलियाँ कर रहा था।
उससे भी अब रहा नहीं जा रहा था उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे लौड़े पर लगाया और अगले ही पल मेरा लवड़ा उसकी चूत में पेवस्त होता चला गया।
ज्यों ही मेरा लवड़ा उसकी मदन-गुफा में घुसा उसकी एक मस्त ‘आह्ह..’ निकल गई।
मैंने भी ऊपर से जोर लगाया और उसने अपनी टांगें फैला दीं.. मेरा लण्ड उसकी चूत की जड़ तक पहुँच गया।
मैंने अपना चेहरा उठा कर उसकी आँखों में देखा.. वो किसी तृप्त बिल्ली जो मलाई चाट चुकी हो.. के जैसी अपनी आँखें बंद करके पड़ी थी और मेरे लण्ड को अपनी चूत में पूरा घुसा हुआ महसूस कर रही थी।
मैंने मुस्कुरा कर उसके माथे पर एक चुम्बन लिया और फिर उसकी चूत पर अपने लण्ड के प्रहारों को करना आरम्भ कर दिया।
आरम्भ में वो कुछ सिसयाई पर जल्द ही उसके चूतड़ों ने भी मेरे लौड़े की धुन पर नाचना शुरू कर दिया।
मैं अपनी कमर ऊंची उठाता.. वो भी अपनी कमर को नीचे कर लेती और ज्यों ही मैं अपना भरपूर प्रहार उसकी चूत पर करता.. वो भी मेरे लण्ड को लीलने के लिए अपने चूतड़ों को मेरी तरफ ऊपर को उठा देती।
इस सुर-ताल से हम दोनों का पूरा जिस्म पसीने से तरबतर हो गया था.. पर चूंकि एक बार मैं झड़ चुका था.. इसलिए मेरे स्खलन का फिलहाल कोई अहसास मुझे नहीं था और मैं पूरे वेग से उसकी चूत को रौंदने में लगा था।
अचानक अनामिका अकड़ने लगी और उसने एक तेज ‘आह्ह.. कम ऑन.. फ़ास्ट आई एम् कमिंग.. आह्ह.. ऊह्ह..’ सीत्कार की.. और उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा कर मुझे इस बात का संकेत दे दिया कि वो तृप्त हो चुकी थी।
उसके रस से चूत में मेरे लौड़े के प्रहारों से अब ‘फच.. फच..’ की मधुर ध्वनि गूँज रही थी।
कुछ ही पलों में मैं भी उसके ऊपर ढेर होता चला गया और मैं निचेष्ट हो कर एकदम से बेसुध हो गया.. मुझे सिर्फ इतना याद रहा कि उसने मेरे बालों में दुलार भरे अपने हाथ फिराए.. और मैं एक गहरी निंद्रा के आगोश में खो गया..
न जाने कितनी ही देर तक मैं सोता रहा.. मुझे कोई होश नहीं था..
फिर मुझे ऐसा लगा कि मेरे ऊपर तेज रोशनी और गरमी के कारण कुछ जलन सी हो रही है।
मैंने अपनी आँखें खोलीं.. सुबह हो चुकी थी.. पहले तो मुझे कुछ भी समझ में न आया.. तभी मोबाइल के बजने की आवाज आई.. तो मैं उठा..
मैं हतप्रभ था.. निर्वस्त्र था.. और एक खुली छत पर पड़ा था।
मेरा ध्यान मोबाइल कि घंटी की तरफ गया.. मैंने खुद को उठाने की चेष्टा की तो अपार दर्द के कारण गिर पड़ा।
फिर किसी तरह मैंने उठ कर अपने आप को संभाला तो देखा मेरा लण्ड खून से छिला हुआ था और मैं जगह से नाखून के निशानों से जख्मी था। एक बार के लिए मैं बहुत डर गया था तभी मेरा मोबाइल फिर बज उठा।
मैंने अपनी पैन्ट की जेब से मोबाइल को निकाला.. देखा स्क्रीन पर मेरे भैया का नम्बर था.. मैंने फोन उठाया और उधर से आवाज आई- किधर हो तुम कल रात से घर नहीं आए.. किधर रह गए.. तुम्हारा फोन कितनी बार लगाया पहले तो लग ही नहीं रहा था और अब जाकर लगा।
एक साथ इतने सवाल.. मेरा माथा घूम गया.. तभी मैंने कहा- मैं अभी आ रहा हूँ सब बताता हूँ। मैंने इतना कह कर फोन काट दिया।
मैं किसी तरह हिम्मत जुटा कर उठा.. देखा तो पाया कि यह एक अर्धनिर्मित बिल्डिंग की छत थी।
मैंने किसी तरह अपने कपड़े पहने और नीचे आया तो देखा.. इस निर्जन इलाके में मेरी बाइक सही-सलामत खड़ी थी.. मैंने लंगड़ाते हुए बाइक को स्टार्ट की और बैठ कर जैसे ही बाइक घुमाई.. एक तेज आवाज से वही रात वाली बाइक मेरे बगल से निकली और उस पर बैठे हुए व्यक्ति ने एक जोर का अट्टाहस किया।
मेरी गाण्ड फट गई.. मैं समझ गया कि रात को मैं किसी चुड़ैल को चोदता रहा.. मैं एकदम से डर कर भागा.. घर पहुँचा तो सबने मुझे घेर लिया।
मैं चुप था.. मेरी चोटों को देख कर भैया ने पूछा- क्या हुआ..? कोई दुर्घटना हो गई थी क्या..?
मुझे जैसे उत्तर सूझ गया मैं धीरे से कहा- हाँ..।
मैं उधर पड़े हुए एक दीवान पर सीधे गिर गया और घर वालों ने मेरी तीमारदारी आरम्भ कर दी।
मुझे सिर्फ उसका एक ही वाक्य याद आ रहा था ‘पर्सनल जरूरत.. हा हा हा..’
मित्रों यह मेरी सत्य घटना है.. मैं अपना नाम नहीं बताना चाहता हूँ। मुझे आपके कमेंट्स का भी कोई इन्तजार नहीं है हालांकि मेरे मन में था सो मैंने आप सभी को बता दिया है.. कृपया चुदास के चलते सुनसान रास्तों पर महिलाओं और युवतियों से खुद को बचाएं.. वे चुड़ैल हो सकती हैं।
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