दोस्त की मंगेतर
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम। मेरा नाम दीपक है। आज मैं आप सबके सामने अपने जीवन की पहली चुदाई का वर्णन करना चाहता हूँ। आजकल मैं मेरठ में रह कर जॉब कर रहा हूँ। किराये के कमरे में मेरा रूम पार्टनर आशीष भी रहता है, वो मेरे भाई के समान है। हम लगभग हर चीज एक-दूसरे से बांटते है। वो और मैं एक ही जगह जॉब करते हैं।
उसकी शादी तय हो चुकी है, उसकी मंगेतर का नाम निहारिका है। निहारिका भी मेरठ ही किराये के कमरे में रहती है और अभी मेडिकल कॉलेज में पढ़ रही है। निहारिका को मैं हमेशा ही भाभी की नजर से देखता हूँ। वो अक्सर हमारे कमरे पर आती रहती है, हालांकि आशीष और निहारिका ने अभी तक एक-दूसरे को चूमा तक नहीं है।
अब मैं आपको अपनी कहानी बताता हूँ।
आशीष और मैं हमेशा एक साथ ऑफिस जाते है, लेकिन एक दिन मुझे हल्का बुखार था इसलिए उस दिन आशीष अकेला ही ऑफिस चला गया। मैंने अपने कंप्यूटर पर ओमकारा फिल्म चला ली। तभी निहारिका भाभी हमारे कमरे पर आ गई। आशीष ने उन्हें दवाई देकर भेजा था।
मैं उनके लिए चाय बनाने लगा। चाय पीते-पीते हम फिल्म भी देख रहे थे और बात भी कर रहे थे।
तभी फिल्म में हिरोइन ने ऐसी लाइन बोल दी कि मैं शर्मसार हो गया।
हिरोइन ने कहा था- मर्द के दिल का रास्ता पेट के नीचे वाले हिस्से से होकर जाता है।
मैंने तुरंत वो मूवी हटा दी।
भाभी धीमे-धीमे हंस रही थी। फिर मैंने रोमांटिक गाने चला दिए।
भाभी ने मुझसे पूछा- तुम कब शादी कर रहे हो?
मेरे मुँह से एकदम निकल गया-जब आप तैयार हों !
भाभी यह सुनकर चौक गई और मुस्कुराने लगी। फिर भाभी ने मुझसे पूछा-तुमने कोई लड़की पटाई या नहीं?
मैंने कहा- हमारा ऐसा नसीब कहाँ?
अब मुझे भाभी के देखने के लहजे से ऐसा लग रहा था जैसे वे मुझ पर लाइन मार रही हो, अब मैं उनको वासना की दृष्टि से देखने लगा था।
फिर मैंने उनसे पूछा- भाभी, क्या आपको कभी आशीष ने चूमा भी है?
भाभी ने कहा- पहली बात तो यह कि तुम मुझे भाभी मत कहो।
मैंने मन में सोचा- और क्या रांड कहूँ?
मैंने कहा- तो फिर क्या कहूँ?
तब उसने कहा- निहारिका कहो।
मैंने कहा- ठीक है निहारिका, लेकिन तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया?
निहारिका बोली- तुम्हारा दोस्त तो पता नहीं किस मिट्टी का बना है, कभी भी वो मेरे साथ रोमांटिक नहीं होता। हमेशा यही पूछता है कि पढ़ाई कैसी चल रही है?
अब मैं अपने लौड़े को खुजाने लगा था और उसकी इस बात को सुनकर मैं हंसने लगा।
वो अब थोड़ी सी चिंतित सी दिखने लगी थी, वो बोली- तुम्हें हंसी आ रही है और मुझे यह चिंता है कि कही शादी के बाद भी वो ऐसा ही न रहे?
मैंने कहा- निहारिका, तुम चिंता मत करो, मैं हूँ ना !
वो बोली- छोड़ो ना ! अब मुझे झूठी सांत्वना मत दो।
यह सुनते ही मैं अपने पप्पू से कहने लगा- बेटा, आज तेरा दिन है, जी भर के चहक लेना आज।
मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा- मैं सच कह रहा हूँ, तुम्हें मैं किसी चीज की कमी नहीं होने दूंगा।
यह कहते ही मैंने उसे बाहों में भर लिया, उसने भी मुझे पकड़ लिया।
अब तो मेरा मन सातवें आसमान पर था। फिर मैंने उसके गुलाबी और एकदम कोमल गालों को चूम लिया, उसने भी मेरा विरोध नहीं किया।
इस बात से मेरा हौंसला और बढ़ा और अब मैं उसके रेशम जैसे मुलायम होंठों को अपने दाँतों से काटने लगा, वो भी मेरे होंठों को चूमने लगी।
होंठ चूमते-चूमते मैं अपने हाथों से उसकी चूचियों को दबाने लगा। लगभग पंद्रह मिनट तक हम इसी तरह एक दूसरे को चूमते रहे थे।
अब वो और मैं काफी गर्म हो चुके थे। मैंने उससे कहा- जान अब हम एक दूसरे में खो जाते हैं !
यह कह कर मैं उसका सफ़ेद रंग का कमीज़ उतारने लगा। उसने भी मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए। फिर मैंने उसका सलवार का नाड़ा भी खोल दिया।अब वो मेरे सामने सिर्फ सफ़ेद ब्रा और बादामी कच्छी में थी। मैं उसे और गर्म करने के लिए उसके पेट पर चूमने लगा। वो मेरे सामने खड़ी थी और मैं घुटनों के बल उसकी कमर को पकड़कर उसकी कच्छी को अपने दाँतों से खींचने लगा।
वो सिसकारियाँ ले रही थी। उसके मुँह से आह ऊऊऊउह की आवाजें आ रही थी, जिससे मेरा जोश और बढ़ता जा रहा था।
जैसे ही उसकी कच्छी नीचे आ गई, मैंने उसकी गुलाबी फांकों वाली चूत के दर्शन कर लिए।
आज मैं पहली बार साक्षात चूत के दर्शन कर रहा था।
मैं अपनी नाक से उसकी चूत रगड़ने लगा। उसकी चूत से भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी।
उसने मुझसे कहा- दीपक अब मुझसे रहा नहीं जा रहा, अब जल्दी से मेरी भूख मिटा दो।
मैंने उससे कहा- इतनी जल्दी क्या है जान, पहले मेरा हथियार अपने मुँह में तो ले लो।
इतना सुनते ही उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे लौड़े पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी।
लगभग दस मिनट तक उसने मेरा लौड़ा अपने मुँह में रखा। इस दौरान मैंने उसकी चूचियाँ दबा-दबा कर लाल टमाटर जैसी कर दी।
अब उसने मुझसे कहा- अब मुझे चोद दो, नहीं तो मैं मर जाउंगी।
मैंने कहा- तुम्हें ऐसे नहीं मरने दूंगा मेरी छमिया !
और इतना कहते ही मैंने उसे अपने नीचे लिटा दिया और अपना लौड़ा उसकी चूत के छेद पर रख दिया। जैसे ही मैंने धक्का मारा, उसकी बहुत तेज चीख निकल गई। मैं तुरंत रुक गया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे। लगभग दो मिनट तक उसके होंठ चूमता रहा, तब तक उसका दर्द भी खत्म हो गया। अब मैंने अपने लौड़ा थोड़ा अन्दर और डाल दिया और लौड़े को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।
उसका जोश बढ़ता ही जा रहा था, वो कहने लगी- और घुसा, और घुसा।
उसकी ये बातें मेरा जोश बढ़ा रही थी। मैंने धक्कों की गति और तेज कर दी।
लगभग पंद्रह मिनट तक मैंने अपनी चक्की चलाये रखी। इस तरह मैंने जन्नत में ही वीर्य झाड़ दिया और निढाल होकर उसके बराबर में लेट गया।
लगभग दस मिनट बाद उसे और मुझे होश आया, अब मैं दुबारा जन्नत में जाने के मूड में था इसलिए मैं उसे चूमने लगा लेकिन अब उसने मुझे ऐसा करने से रोक दिया और कहने लगी- दीपक, हमने जो भी किया, वो ठीक नहीं था।
यह कह कर वो अपने कपड़े पहनने लगी।
मैं तो उसकी यह बात सुनकर नि:शब्द हो गया।
दरवाजे से निकलते समय उसने मुझसे कहा- दीपक, इस बात को यहीं भूल जाना, यही तुम्हारे और मेरे भविष्य के लिए सही रहेगा।
लेकिन अपने जीवन के पहले सेक्स को कोई भला कैसे भूल सकता है। अब निहारिका हमारे कमरे पर बहुत कम आती है और जब भी मिलती है तो नजरें झुका कर बात करती है।
मैंने भी उससे कभी जबरदस्ती नहीं की क्योंकि सेक्स में तभी मजा है जब साथी पूरी तरह सहयोग करे।
हालांकि उस घटना के बाद तो मैंने कई लड़कियों के साथ सेक्स किया, जो मैं आपको फिर कभी बताऊंगा।आपको मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताना।
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