दोस्त की गर्लफ्रेंड ने खुद चुत की चुदाई करवाई

दोस्त की गर्लफ्रेंड ने खुद चुत की चुदाई करवाई

दोस्तो.. यह कहानी मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड की चुदाई की है.
मेरा नाम देव सिंह है, मैं दिल्ली से हूँ। यह घटना अभी कुछ दिन पहले ही है.. लेकिन इस घटना की शुरूआत आज से छह महीने पहले हो चुकी थी।

मैं अपने कॉलेज के हॉस्टल में एक दोस्त के साथ रहता था।
मेरा यह दोस्त अपनी एक गर्लफ्रेंड के प्यार के कारण कुछ परेशान सा रहने लगा था। दरअसल मेरा दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड के साथ कई साल से प्यार में था लेकिन वो लड़की उसे हाथ ही नहीं रखने देती थी, जिस वजह से उसको टेन्शन थी कि साली कब चोदने देगी।

यह एक सच है कि अधिकतर लौंडे लड़की की चुत चोदने की फिराक में रहते हैं और उसकी चुत का स्वाद लेने के बाद दूसरी चुत के चक्कर में लग जाते हैं।

दूसरी तरफ मेरा ध्यान सिर्फ पढ़ने में ही रहता था, मुझे इन चूतियाई बातों में बिल्कुल भी रस नहीं आता था.. या यूं कहो कि मेरी संगत ऐसी नहीं थी, जिस वजह से मैं अभी लौंडियाबाजी के चक्कर में नहीं पड़ा था।

कहानी कैसे शुरू हुई वो बताता हूँ।

हुआ यूं कि एक दिन मेरा दोस्त कमरे से बाहर चला गया था और गलती से अपना मोबाइल कमरे में छोड़ गया था।
यकायक उसके मोबाइल की घन्टी बजी मैंने देखा तो उस पर ‘कुतिया..’ लिखा आ रहा था।

मुझे पहले तो हंसी आ गई, फिर मैंने फोन उठाया और कान में लगाया। मेरा सोच ये था कि मैं कह दूँ कि वो मोबाइल छोड़ कर चला गया है, जब आएगा तो बता दूँगा।

मैंने यही बताया भी, पर पता नहीं उसको मेरी आवाज में क्या अच्छा लगा कि मुझसे कुछ देर तक बात करती रही, मेरे बारे में पूछती रही। मुझे भी उसकी मीठी आवाज ने मोहित कर लिया.. मैं उसकी बातों में खो सा गया और उसके सवालों के जवाब बड़े प्यार से देता गया। उसने भी अपने बारे में बताया और नाम आरोही अरोरा बताया, मुझे उसका नाम बहुत अच्छा लगा।

कुछ देर बाद बात खत्म हुई और मैंने फोन रख दिया। जब दोस्त कमरे में आया तो मैंने उसे हंसते हुए बताया कि तेरा किसी कुतिया का फोन आया था।
वो भी हँस पड़ा और गाली देते हुए बोला- साली हाथ ही नहीं लगाने देती इसलिए उसका नाम कुतिया रख दिया।
मैंने कहा- पर यार बोलती तो बड़ी मीठी आवाज में है।
तो वो आँख मारते हुए बोला- तुझे उसकी आवाज पसंद है.. तो तू कोशिश करके देख ले, शायद तुझे दे दे। मैं उसको तेरा नम्बर भेज देता हूँ।

मुझे तो कोई इंटरेस्ट नहीं था.. पर उसकी आवाज ने मेरा दिल विचलित कर दिया था, खैर.. बात आई-गई हो गई।

अब दो दिन बाद मेरे फोन पर एक अनजान नम्बर से फोन आया- हैलो देव, मैं आरोही बोल रही हूँ।

मैं एकदम से चौंक गया कि इसे मेरा नम्बर मिल गया? पर फिर याद कि शायद मेरे दोस्त ने इसको मेरा नम्बर सेंड किया होगा।

अब उससे मेरी बातें शुरू होने लगीं, तो एक दिन बातों ही बातों में मैंने उसे बताया कि मेरी कल मेरी माँ मुझसे मिलने आने वाली हैं.. क्या तुम उनसे मिलना चाहोगी?

उसने मुझसे मेरी माँ से मिलने इच्छा जताई तो मैंने उसे एक होटल में बुला लिया।

अब मेरी माँ से मिलने के बाद वो मुझसे एकदम से खुल गई और हम दोनों में बहुत गहरी दोस्ती हो गई। इस दौरान मैंने उसे एक बार भी टच करने की कोशिश नहीं की थी, शायद इस बात से भी मुझे बहुत प्रभावित थी।

फिर दो महीने बाद दिल्ली में ही उसके चचेरे भाई की शादी थी, जिसमें उसने मुझे भी आमंत्रित किया।

जब वो मुझे बुलाने के लिए मेरे कमरे पर आई, तो पहली बार मैंने उसको प्यार से देखा। उसने भी मेरी आँखों में आँखें डाल कर कुछ मूक भाषा में कहा, जिसे मैं समझ गया और कब हम दोनों के होंठ एक-दूसरे से जुड़ गए, इसका अहसास ही नहीं हुआ।

फिर वो मुझसे अलग हुई और मुझे आँख मार कर ये कहते हुए चली गई- शादी में तुम्हारा वेट करूँगी।
शादी एक बड़े से होटल में थी, पूरा होटल बुक किया गया था।

मैं समय से पहुँच गया और आरोही से मिला, तो मुझे कुछ लोगों से मिलवा कर चली गई।

जब शादी की रस्में शुरू हो गईं तो वो मेरे पास आई और बोली- मेरे पास तुम्हारे लिए एक सरप्राइज है।
मुझे लगा होगा कुछ.. लेकिन मुझे क्या पता था कि ये सरप्राइज क्या होगा। वो मुझे अपने पीछे आने की बोल कर एक कमरे की तरफ जाने लगी, मैंने उसे फॉलो किया।

कुछ ही पल बाद हम दोनों एक कमरे में आ गए थे। मैं अभी तक नहीं समझ पाया था कि क्या होने वाला है। वहाँ उसने मुझे एक गिफ्ट दिया।

मैंने उसे खोला, तो चौंक गया.. उसमें अन्दर एक कंडोम का पैकट था। अब मेरा दिमाग़ खटका कि वो मुझसे क्या चाह रही थी।

साथियो, अब मैं आप सभी को उसकी खूबसूरत फिगर और कपड़ों के बारे में बताना चाहता हूँ।

उसने इस वक्त पिंक कलर का लहंगा पहना हुआ था और वो इस ड्रेस में बहुत ही प्यारी लग रही थी। इस ड्रेस में उसकी 34-28-34 की मदमस्त फिगर बहुत ही कातिल लग रही थी।

मैंने उसकी तरफ प्यार से देखा और आगे बढ़ कर उसे चूमना चालू कर दिया। वो भी मुझसे लिपट गई और उसने भी मुझे चूमना शुरू कर दिया। हम दोनों ही इस चूमा-चाटी के साथ इतने अधिक कामातुर हो उठे थे कि हमें पता ही नहीं चला कि हम दोनों ने कब अपने कपड़े अलग कर दिए। हालांकि अभी पूरे कपड़े नहीं उतरे थे, उसने मेरी शर्ट खोली थी और मैंने उसका टॉप उतार दिया था।

उस वक्त की याद करता हूँ तो मेरे मन में एक सवाल उठता है कि किस करते वक़्त आँखें क्यों अपने आप बंद हो जाती हैं, शायद आपको मालूम हो तो प्लीज़ मुझे मेल में जरूर लिखना।

खैर.. वापस इस सेक्स स्टोरी पर आते हैं।

अब मेरा और उसका दोनों का पहला मौका था सो हम दोनों ही एक अजीब से भ्रम की अवस्था में थे कि कैसे शुरूआत करनी चाहिए। इस अवस्था में एक बात तो दोनों के मन में साफ़ थी कि मेरा और उसका दिल और दिमाग़ एक-दूसरे का हो चुका था। उसके लिए मैं कह सकता हूँ कि चूंकि उसने जब से मेरी माँ से मुलाक़ात कर ली थी, तब से वो मेरे प्रति बहुत ज्यादा आश्वस्त हो चुकी थी।

अब मैंने उसका लहंगा उतार दिया और उसने मेरी पैंट का बटन खोल कर उसे नीचे किया तो मैंने भी पैंट उतार दी।
अब मैं अपने जॉकी में था और वो अपनी थोंग जैसी छोटी सी पेंटी में थी।
उसको ब्रा पेंटी में देख कर मेरी आँखें तो जैसे चुंधिया गईं। मेरा मुँह खुला का खुला रह गया और पलकें मानो जाम हो गई हों।

एक इतनी सुंदर संगमरमरी जिस्म की मलिका मेरे सामने गुलाबी रंग की पेंटी और ब्रा में थी, तो ये तो होना वाजिब ही था।

वो मुस्कुराई तो मेरी तन्द्रा भंग हुई और मैं एकदम से उस पर टूट पड़ा। अब तो बस मेरे होंठों का ढक्कन उसके मदभरे होंठों पर जड़ चुका था और मैं बेतहाशा उसको चूमे जा रहा था।
ऐसा लग रहा था जैसे साक्षात कामदेव प्रकट होकर रति के संग अपनी कामलीला कर रहे हों।

मैंने उसकी ब्रा उतारी और मम्मों को अपने मुँह में भर कर पीने लगा। वो भी एकदम से गनगना गई और मेरा सर सहलाते हुए अपनी चुची मुझसे चुसवाने लगी।

चूचे चूसते हुए ही मैंने उसकी चुत में अपनी एक उंगली डाल दी, वो जरा चिहुंकी और अगले ही पल उसने अपनी टांगें जरा चौड़ी कर दीं।

उसकी टांगें चौड़ी हुईं तो मैंने पूर्व में देखी हुई एक ब्लू-फिल्म को याद किया और उसकी चुत में फिंगरिंग करने लगा। वो निहाल हो गई, मैं नीचे बैठ कर उसकी चुत चाटने लगा।

उसकी कामोत्तेजित आवाजों ने कमरे का माहौल वासना से भर दिया था। मैंने भी अपनी जीभ से उसकी चुत में खलबली मचाना आरम्भ कर दिया था।

वो लगातार कामुक सिसकारियां ले रही थी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… तभी वो अकड़ी और उसने अपना पानी छोड़ दिया। मैं उसकी चुत के बहते रस को अपनी जीभ से समेटते हुए चाटने लगा।

अब वो निढाल हो कर बिस्तर पर बैठ गई, तो मैंने उसके मुँह के सामने अपना भुजंग लंड लहराया और उससे अपना लंड चूसने को कहा।

अगले ही पल वो मेरा लंड चूसने लगी। मुझे लंड चुसाने में बहुत मजा आ रहा था। कुछ ही पलों में मैं भी उसके मुँह में झड़ गया और उसने भी मेरा वीर्य पी लिया।

हम दोनों बिस्तर पर ही लेट गए।

कुछ देर बाद फिर से छेड़छाड़ शुरू हो गई और अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं उससे बोला- मैं अब तुम्हारी चुत में डालूँगा..!
वो भी चुदने के लिए तैयार थी। मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी चुत के पिंक होंठों पर रखा और लंड से चुत पर थपकियां मारीं।

चूंकि हम दोनों एक बार झड़ चुके थे, सो मैंने धीरे से लंड को प्रेस किया और मेरे लंड का पिंक वाला हिस्सा उसकी चुत में चला गया।
उसे हल्का सा दर्द हुआ- उन्हह..

मैंने उसकी ‘उन्हह..’ सुनी तो बस मैं उसी पोज में कुछ टाइम रुक गया। दस सेकंड बाद मैंने फिर से थोड़ा प्रेशर डाला और अब मेरे लंड का मोटा हिस्सा उसकी चुत में घुस गया था।

वो दर्द से कराह रही थी.. लेकिन मजा भी खूब आ रहा था।

मैंने फाइनली पूरी ताकत से धक्का मारा और अपना पूरा लंड उसकी चुत में जड़ तक पेल दिया।
वो दर्द से रोने लगी.. मैंने उसके आँसुओं को अपनी जीभ से चाटा और उसका दर्द भुलाने के लिए उसके दूध पीने लगा। उसको कुछ राहत मिली तो मैंने थोड़ा प्रेशर डाला और अपना लंड बाहर निकाला।

अब मैंने यही प्रक्रिया 3-4 बार की तो अब उसकी चुत मेरे लंड के हिसाब से सैट हो चुकी थी।

उसको भी दर्द से मुक्ति सी मिल चुकी थी। मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मुस्कुराई और मैंने उसकी चुत में अपना लंड दम से पेल दिया और हिलने में लग गया।

इतना सुकून मिल रहा था यार, साला वैसा सुकून तो यूनिवर्सिटी टॉप करने में भी ना आता।

मैं पूरे जोर से लंड पेले जा रहा था और वो भी अपनी गांड उठा कर मेरा साथ दे रही थी।

फिर हमने आसन बदला और अब वो मेरे लंड पर बैठ गई कर गांड उछालने लगी। करीब दस मिनट बाद ही हम दोनों झड़ गए।

वो मेरी छाती पर लुड़क गई और लम्बी लम्बी साँसें लेने लगी, मैं भी उसे सहलाए जा रहा था।

फिर वो बोली- हमें थोड़ा रुक जाना चाहिए, नहीं तो कोई आ जाएगा और हम रेडी नहीं हो पाएँगे।

हम दोनों ने वहीं पर थोड़ा आराम किया और वॉशरूम में चले गए। एक साथ नहाने के दौरान भी वो मेरा लंड चूस रही थी। मुझे तो लगा एक बार और चोद दूँ.. लेकिन उसने बोला कि पार्टी के बाद करेंगे, मैंने उससे जिद नहीं की।

उसके बाद हमने कपड़े पहने एक-दूसरे को किस किया और बेडशीट को हटा दिया.. क्योंकि उस पर काफ़ी ब्लड लग गया था।

फिर एक-एक करके हम दोनों उस कमरे से बाहर चले गए।

लेकिन दिक्कत तो अगले दिन शुरू हुई जब मेरे लंड में बहुत दर्द होने लगा और उसे भी चलने में तकलीफ़ होने लगी।

मुझे दिक्कत इसलिए हो रही थी कि मेरा भी टांका टूट गया था और उसकी तो खैर.. ओपनिंग हुई ही थी। इस कारण से कुछ दिन बाद ही चुदाई हो पाई।

यह मेरी उसके साथ पहली चुदाई की कहानी थी.. जब वो दिल्ली आई थी। उसे चोदने के बाद मुझे बहुत मजा आया था। दोस्त की गर्लफ्रेंड की चुदाई की मेरी इतनी कामना बढ़ चुकी थी कि मैं उसे चोदने अमृतसर भी ‎गया। वो चुदाई की कहानी मैं बाद में लिखूंगा।
आप इस सेक्स स्टोरी के लिए सभी के जवाब का इन्तजार रहेगा।
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