दोस्त की गर्लफ़्रेन्ड की चूत मारी पर गाण्ड रह गई
दोस्तो.. मेरा नाम आकाश है.. मैं कोलकाता का रहने वाला हूँ। मैं अन्तर्वासना का बहुत ही पुराना शैदाई हूँ।
मैं पिछले 4 साल से अन्तर्वासना की हर कहानियों को पढ़ते आ रहा हूँ। मुझे इसकी हर कहानी पसन्द आती है। इस साइट की बहुत सारी कहानियों को पढ़ने के बाद मुझे खुद की कहानी लिखने की इच्छा हुई।
मेरी कहानी लगभग एक साल पुरानी है, बात पिछले छठ पूजा की है.. यूँ तो हम लोग छठ पूजा पिछले चार साल से कोलकाता में ही करते हैं.. क्योंकि मुझे ज्यादा छुट्टियाँ नहीं मिलती हैं। पर पिछले साल गाँव में कुछ जरूरी काम आन पड़ा, उस समय मुझे सिर्फ़ एक दिन की ही छुट्टी मिल सकती थी और मैं एक दिन में गाँव जाकर वापस नहीं आ सकते थे.. जिसकी वजह से सिर्फ माँ को अकेले ही गाँव जाना पड़ा।
माँ को किसी तरह की असुविधा ना हो.. इसको ध्यान में रखकर मैंने छोटे भाई को भी माँ के साथ भेज दिया। अब घर पर सिर्फ़ मैं और छोटी बहन रह गए थे।
चूंकि बहन छोटी है.. इसलिए बहन को अकेले घर पर छोड़ कर अपने दफ्तर भी नहीं जा सकता था।
मैं बहुत दुविधा में था कि क्या किया जाए? इस उधेड़बुन में एक दिन की छुट्टी कब बीत गई.. कुछ पता ही नहीं चला।
अगले दिन मुझे सुबह 9:30 अपने दफ्तर पहुँचना था.. पर इससे पहले कि वो सुबह आए.. आप लोगों को बता दूँ कि उसी रात को 10:30 बजे मेरी एक दोस्त जिसका नाम पूजा है.. वो आ गई।
वो दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल) की रहने वाली है, हमारी दोस्ती एक दोस्त के मार्फत हुई थी, वो उसकी माल थी।
कोलकाता में उसकी एक मौसी रहती हैं, वो अपने किसी काम की वजह से कोलकाता आई.. तो वो हम लोगों से मिलने हम लोगों के घर आ गई।
उसके आने से पहले हम लोगों ने खाना खा लिया था और अब सोने जा रहे थे, उसके आने से मैं काफी राहत महसूस कर रहा था।
मैंने बहन को सो जाने के लिए कह दिया और पूजा के लिए कुछ खाने के लिए बनाने का मन बनाया।
उसने काफी मना किया.. पर मुझे अच्छा नहीं लगता.. अगर वो बिना खाए सो जाती।
उसने कहा- तुम्हें कुछ भी बनाने की जरूरत नहीं है.. मैं बना लूँगी।
आखिर में मैंने हार मान कर बीच का रास्ता निकाला.. और कहा- ठीक है.. तुम कपड़े बदल लो और रसोई में आ जाना.. फिर साथ में मिल के कुछ बना लेंगे। तब जाकर वो कहीं मानी।
वैसे पूजा के बारे में आप लोगों को बता दूँ कि वो बहुत ही मिलनसार और खुशमिजाज लड़की है।
बात अगर फिगर की हो.. तो उसका कोई जवाब नहीं।
उसकी गदराई हुई जवान 34-36 की गोलाकार कसी हुई चूचियाँ.. गुलाब की पंखुड़ियों जैसे पतले-पतले होंठ.. कसी हुई 38 की गाण्ड.. हिरनी के जैसी कमर और मक्खन जैसी मुलायम उसकी त्वचा.. सब मिलाकर एक ऐसी लड़की.. जिसे देखकर सबका ईमान डोल जाए।
वैसे तो पूजा मेरे एक दोस्त की गर्लफ्रेण्ड थी.. पर उन दोनों की उतनी पटती नहीं थी.. जितनी पूजा और मेरे बीच पटती थी।
मैं मन ही मन पूजा के हुस्न का दीवाना था.. चूंकि पूजा को मेरे परिवार वाले जानते-पहचानते थे.. इसलिए उसका हमारे घर पर आना-जाना लगा रहता था, उसे लेकर किसी तरह की रोक-टोक भी नहीं होती थी।
उसके आने से पुराने ख्याल जागने लगे.. जिन्हें मैंने जानबूझ कर दबा रखा था।
आज मैंने मन ही मन एक प्लान बना लिया.. जो शायद हमें बहुत पहले कर लेना चाहिए था।
इसी बीच वो कपड़े बदल कर आ गई, मैंने उसे उस दिन बहुत ध्यान से देखा, उसने एक लाल रंग की टी-शर्ट और हाफ पैंट पहना हुआ था।
उसके इस पहनावे को देखकर ही मन में एक अजीब सी हलचल मच गई।
मैंने उसे खाना खाने के लिए दिया और मैं उसके पास ही बैठ गया.. वो खाना खाने में व्यस्त हो गई और मैं उसे देखने में…
उसने मुझे एक कातिलाना नजर से देखा और हल्की-हल्की मुस्कुराने लगी और बोली- आकाश.. मेरा चोदन करने का इरादा तो नहीं बना रहे ना?
मैं झेंप सा गया.. पर इससे पहले कि कुछ बोलता.. उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा लिया और जोर से काट लिया।
इसी बीच बहन की आवाज आई.. शायद उसे प्यास लगी थी।
मैंने पूजा से खाना खाकर कमरे में आने के लिए कहा और मैं वापस आ गया।
जब पूजा वापस कमरे में आई.. उस समय बहन जाग रही थी.. उसने पूजा को अपने पास सोने के लिए कहा।
आप लोगों को बता दूँ कि हम लोगों का सिर्फ एक ही रूम है.. जिसमें एक बड़ा सा पलंग लगा है.. जिस पर मैं और भाई सोते हैं और माँ-बहन नीचे जमीन पर गद्दा बिछा कर सोती हैं।
पूजा बहन के साथ गद्दे पर सो गई। मुझे तो नींद ही नहीं आ रही थी, काफी कोशिश के बाद भी जब नींद नहीं आई तो मैं घूमने के लिए उठकर बाहर निकल गया।
जब मैं वापस आया.. तो मैंने पहले ही तय कर लिया था कि मुझे करना क्या है। मैं चुपके से पूजा के बगल में लेट गया.. ताकि वो जाग ना जाए, उसके बगल में सोने के बाद मैंने उसके जिस्म के ऊपर हल्के से अपना हाथ फिराया, फिर उसके गालों को चूमने लगा।
क्या मुलायम होंठ थे उसके.. आह्ह.. एकदम कसी हुई चूचियाँ और गर्म बदन..
मेरा लंड खड़ा हो चुका था और पूजा की बुर को चोद देना चाह रहा था.. पर साथ ही बहुत डर लग रहा था कि कहीं बहन जग गई.. तो बहुत बड़ा बखेड़ा खड़ा हो जाएगा।
इसलिए मैंने पूजा को जगाना ही उचित समझा।
काफी मेहनत के बाद पूजा को नींद से जगाया और उसे अपने साथ ऊपर आने को कहा, वो मान गई।
कुछ मिनटों के बाद पूजा मेरे साथ आई और आते ही मैंने उसे अपनी बाँहों में कसके पकड़ लिया। फिर उसके होंठ और मेरे होंठ आपस में कब जुड़ गए.. कुछ पता ही नहीं चला।
मैं उसके होंठों को चूमे जा रहा था और वो मेरे होंठों को.. चूमते-चूमते मेरा हाथ उसकी चूचियों के ऊपर चला गया और मैंने भी उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया, वो मुझसे और कसके लिपट गई।
अब हम दोनों से ही सब्र नहीं हो रहा था.. मैंने अपना हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर घुसाने की कोशिश की.. पर उसने अपनी चूचियों को छूने भी नहीं दिया।
मैं उसकी बुर और चूचियों को चूमना चाहता था और उसे चोदना चाहता था.. पर पता नहीं उसे क्या हुआ.. वो अचानक से बिस्तर से उतर कर वापस नीचे जाकर बहन के साथ सो गई।
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करूँ..
काफी सोचने-समझने के बाद मैंने एक बार और कोशिश करने की ठानी, मैं फिर वापस उसके पास गया और उसे वापस ऊपर आने के लिए मनाया।
इस बार वो एक शर्त पर आई कि मैं उसके मम्मों और बुर को हाथ नहीं लगाऊँगा।
जब वो वापस आई तो इस बार मैंने भी मन ही मन तय कर लिया था कि अबकी बार साली की बुर को चोद के ही छोड़ेंगे.. पर शर्त की बात भी थी.. अगर नहीं मानी तो कुछ भी नहीं करने देगी।
उस समय आप लोगों को बता दूँ कि मेरे पास सिर्फ एक ही रास्ता था और वो था फोर-प्ले का रास्ता।
मैंने उसे खूब चूमा.. उसके कान, नाक, गर्दन, होंठों और सीने को बेइंतेहा चूमा.. पर एक बार भी मैंने उसकी बुर या चूचियों को हाथ नहीं लगाया।
मैं उसे बेतहाशा चूमे जा रहा था और वो गर्म होती जा रही थी।
मैंने भी लोहा गर्म करने के बाद हथौड़ा चलाने का मन बना लिया था और मैं उसमें सफल हो चुका था।
अब मैंने उसके मम्मे को हाथ में पकड़ा और मुझे जोर का झटका लगा.. क्योंकि उसने कुछ देर पहले जिन चूचियों को ब्रा से कैद कर रखा था अब उन्हीं को वो ब्रा से आजाद कर चुकी थी।
मैंने झट से उसकी टी-शर्ट ऊपर करके उसकी चूचियों को चूसने लगा, कसम से बहुत मजा आ रहा था।
उसकी चूचियों को चूसते हुए अब मैं उसकी बुर की तरफ बढ़ रहा था।
एक और झटका खाने की बारी थी.. क्योंकि उसने अपनी पैन्टी भी उतार रखी थी और सिर्फ हाफ पैन्ट ही पहना हुआ था।
मैंने झट से उसकी पैन्ट का हुक खोला और अपने होंठ उसकी बुर पर रख दिया और चाटने लगा। काफी रसीली थी उसकी बुर.. उसमें से हल्की सी महक आ रही थी.. मेरा मन तो कर रहा था कि उसकी बुर के ऊपर से शराब टपका कर पिऊँ.. पर उस समय ऐसा सम्भव नहीं था।
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जब दोनों तरफ आग बराबर लग गई.. तब उसने खुद ही अपना पैन्ट निकाला और अपनी दोनों टाँगों को चौड़ा करके चोदने का इशारा करने लगी।
मैंने भी अपना लंड बाहर निकाला और उसके ऊपर आ गया, लंड को बुर की दीवार पर रखकर रगड़ने लगा।
अब उससे सहा नहीं जा रहा था.. तो उसने फ़ुसफ़ुसाते हुए खुद ही गालियाँ बकनी शुरू कर दी- साले चोद कुत्ते.. शर्त गई माँ चुदाने..
अब मैंने भी उसे चोदना शुरू कर दिया और पेलने लगा उसकी बुर में.. और साथ ही साथ ‘साली.. हरामिन.. मादरचोदी.. रंडी.. भोसड़ी की..’ गालियाँ देनी शुरू कर दीं।
वो मद्धिम स्वर में चिल्लाने लगी- आआअ.. स्स्स्स्स ह्ह्ह्ह्ह्ह.. आकाश दर्द कर रहा है.. साले कुत्ते चोद कर मार डालेगा क्या?
मैंने भी बहुत सारी गालियाँ दीं- साली.. चोद-चोद कर रंडी बना देंगे मादरचोद.. साली.. ले..
आधे घन्टे तक चोदने के बाद मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में निकाल दिया।
मैंने उससे अपना लंड चूसने को कहा और ये भी इच्छा भी जताई कि उसकी गाण्ड मुझे बहुत पसन्द है और मैं उसे भी पेलना चाहता हूँ पर उसने मना कर दिया.. साथ ही वादा किया कि अगली बार वो जरूर हमारा लण्ड चूसेगी और गाण्ड भी मरवाएगी।
इस तरह मेरा पहला प्यार अधूरा रह गया, अधूरा इसलिए कि मेरी इच्छा पूरी नहीं हुई थी.. पर एक विश्वास था कि एक दिन यह अधूरा प्यार जरूर पूरा होगा।
मुझे अब तलाश है एक और पूजा की जो मेरे उस अधूरे सपने को समझे और उसे पूरा कर दे।
तो दोस्तो.. फिर मिलेंगे किसी और कहानी के साथ.. पर आपकी प्रतिक्रिया का इन्तजार रहेगा, आप मुझे मेल कर सकते हैं।
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