दोस्त की बहन की कामुकता भरी बुर की चुदाई
हैलो फ्रेंड्स, मैं कृष्णा… मैं इस साईट के लिए एकदम नया हूँ.. और ये मेरी पहली कहानी है.. जो मैं यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ.
वैसे ढोल पीटना मुझे पसंद नहीं… इसलिए अपनी ज़्यादा तारीफ नहीं करूँगा.
बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज में अपनी बीबीए की पढ़ाई कर रहा था. बाद में मैंने एक कंपनी ज्वाइन की.. जिसका नाम SVPSL था.. जिसमें गरीब छात्रों और बीमार लोगों को भरती करवाने पर कमीशन मिलता था. मैंने काम शुरू किया.. तो उसी दौरान एक लड़के से मेरी मुलाकात हुई और धीरे-धीरे हमारी मित्रता बढ़ती गई. मुझे मैसेजिंग का बड़ा शौक है.. सो मैंने उसे मैसेज भेजे.. वो लड़का सीहोर में रहता था.. पर जब वो अपने घर गया.. तो उसने अपनी मॉम के मोबाइल में अपनी सिम लगाई.. जिससे मेरे सारे मैसेज उसकी मॉम के मोबाइल में पहुँच गए.
उसकी बहन.. जिसका नाम माया है, ने वो सारे संदेश पढ़कर मुझे कॉल किया. पहले तो मैं उसे पहचान नहीं पाया और मैंने उसे नजरंदाज कर दिया. लेकिन वो मुझे बार-बार कॉल करती रही.
एक दिन मैंने उससे बात की तो उसका बातों ही बातों में मैंने उससे उसके घर का पता लिया फिर वो पता मैंने अपने दोस्त से कन्फर्म किया तो पता चला कि वो उसकी बहन ही है.
हालांकि ये बात अभी तक मैंने अपने दोस्त को नहीं बताई थी…
फिर अगले दिन जब दोस्त की बहन का फिर से कॉल आया तो उसने मुझे ‘आई लव यू’ बोला… फिर क्या था अपनी तो जिन्दगी झींगालाला हुउऊुउउ…
मैंने फिर उसे बताया कि मैं और उसका भाई अच्छे दोस्त हैं.. तो वो कहने लगी- तब तो हमारी दोस्ती हो ही नहीं सकती.
मैंने उसे समझाया तो वो मान गई.. फिर आख़िर बड़े दिनों बाद एक दिन उसने मुझे मिलने के लिए बुलाया.. तो मैं अपने घर से रवाना हुआ और उसके बताए पते पर पहुँच गया. वह एक छोटा सा गाँव था… जब मैंने गाँव के बाहर से उसे कॉल किया कि मैं तेरे गाँव आ गया हूँ.. तो उसने मुझे अपने खेत पर बुलाया जहाँ बहुत गेहूँ की फसल उगी हुई थी.
मैं उसके खेत पर पहुँचा.. वहाँ एक बला की खूबसूरत 18 साल की लड़की खड़ी थी उसका रंग गोरा.. बड़े बोबे और मस्त उठे हुए चूतड़.. क्या बताऊँ वो एक मस्त कयामत लग रही थी.
मेरा तो मन कर रहा था कि इसको अभी पकड़ कर इसके सारे जिस्म को भंभोड़ डालूँ.. उठे हुए चूचे चूस डालूँ और गाण्ड को छलनी कर दूँ…
वो मुझे देखते ही पहचान गई.. उसने जैसे ही मुझे देखा दौड़ती हुई आई और मेरे गले लग गई… उसने एक जोरदार किस मेरे होंठों पर कर दिया और करीब 5 मिनट तक मुझसे लिपटी ही रही.
जब थोड़ी देर में वो मुझसे दूर हुई तो उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे एक ऐसी जगह लेकर गई.. जहाँ कोई भी नहीं दिखाई दे रहा था. एक गेहूँ के खेत में ले जाकर बैठा दिया. नई जगह होने के कारण मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
पर उस पर तो कामुकता, वासना का भूत सवार था, वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगी और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी कमीज़ पर रख दिया, उसने कामुकता से कहा- जानू.. दबाओ इन्हें.. इनको चूस लो.
मैंने भी वही किया..
अब उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया.. मेरा तो पहले ही बुरा हाल हो रहा था और उसकी कामुक सिसकारियाँ और गर्म साँसें मुझे और भी उत्तेजित कर रही थीं. वो पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लवड़े को मसलने लगी और मेरे पप्पू ने भी अपना आकार लेना शुरू कर दिया था.
उसने उसे ज़िप खोल कर पैन्ट से बाहर निकाल लिया. वो मेरा लौड़े को ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगी.
फिर मैंने भी उसकी कमीज़ उतारी और उसके बड़े चूचों को.. जो कि उसकी कसी हुई ब्रा के अन्दर कबूतर की भाँति छटपटा रहे थे.. उन्हें मैंने आज़ाद कर दिया. उसे चूचे एकदम से उछल कर बाहर आ गए और मेरी तरफ प्यार से अपना सर उठाने लगे मैंने उन को अपने होंठों से दुलारा और फिर एक चूचे को अपने मुँह में भर कर उनका मधुर रस पान करने लगा. फिर चूचे चूसते हुए मैंने धीरे से उसकी सलवार भी उतार दी.
अब वो मेरे सामने सिर्फ़ पैन्टी में रह गई थी. मैंने उसकी पैन्टी को ज्यों ही उतारा.. समझो मैं पागल सा हो गया.
क्या बुर थी.. कसम उड़ान छल्ले की.. एक बाल भी नहीं था.
मैंने बुर को ऊपर से ही सहलाना शुरू किया और उससे मेरा लंड चूसने को कहा.. तो वो मना करने लगी.. पर फिर मान गई… उसने मेरे लवड़े को मुँह में लिया और कुछ ही पलों बाद कसम से क्या चूस रही थी.. मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थीं ‘आआहह आआअहह.. ऊऊहह…’
थोड़ी देर बाद फिर हम 69 की अवस्था में आ गए और मैंने उसकी बुर को चाटना शुरू किया.. तो वो भी कामुक और मदमस्त आवाजें निकालने लगी थी.
मैंने अपनी एक उंगली उसकी बुर में डाली.. तो वो उचक गई और छटपटाने लगी.. पर मैं नहीं रुका. फिर मैंने 2 और फिर 3 उंगलियों से उसे दम से कुरेदा… इस बीच वो दो बार झड़ गई. मेरा हाथ उसके कामरस से पूरा गीला हो गया था.
उसने फिर से मेरा लवड़ा चूसना शुरू किया और अब वो कहने लगी- जानू अब ना तड़पाओ.. पेल दो अपना हथियार.. और फाड़ दो मेरी बुर को…
मैंने उसकी दोनों टाँगें फैलाईं और अपने लौड़े को उसकी बुर के छेद पर सैट किया.. पर वो अन्दर नहीं गया. मैंने फिर से ट्राइ किया और अबकी बार एक ही झटके में अपना आधा लण्ड उसकी बुर में पेल दिया.
वो ऐसे चिल्लाई कि बस पूछो मत.. पर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर उसे चुम्बन करने लगा ताकि उसकी चीख भरी आवाज़ को कोई ना सुन पाए.
उसकी आँखों से आँसुओं की धारा बह रही थी.. मैंने जैसे ही लंड बाहर निकाला तो देखा कि उसकी बुर से खून निकल रहा था. मैं समझ गया कि इसकी सील टूट गई है.. पर मुझे खुशी भी थी कि मेरी पहली चुदाई में मुझे चोदने के लिए भी सील पैक माल मिला.
मैंने फिर से एक जोरदार धक्का दिया और पूरा लौड़ा उसकी बुर की गहराइयों में पेल दिया.. वो अब भी चीख रही थी ‘उहह.. माआ.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैं मरर.. जाऊँगी.. प्लीज़ इसे बाहर निकालो…’
मैं अपनी जगह डटा रहा और जब वो नॉर्मल हुई.. तो मैंने उसे धक्के मारना शुरू किए. अब वो भी मेरा साथ दे रही थी.
काफी देर की चुदाई के बाद मैं भी उसकी बुर में ही झड़ गया और निढाल होकर उसी के ऊपर ढेर हो गया.
थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और कपड़े पहन कर मैं अपने घर की ओर रवाना हुआ.
तब से लेकर आज तक हम जिंदगी के मज़े लेते आए हैं.
आपको मेरी कामुकता भरी बुर की चुदाई की कहानी कैसी लगी.. अपनी राय ज़रूर देना.
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