आंटी के गुस्से से सेक्स तक
दोस्तो!
मेरा नाम आतिफ है, मैं दिल्ली में रहता हूँ। मैं हमेशा यह सोचा करता था कि क्या मैं भी कभी अपनी ज़िन्दगी में किसी के साथ सेक्स कर पाऊँगा! मुझे ब्लू-फिल्म देखने की आदत है लेकिन क़िस्मत देखिए कि कभी भी मैं किसी के साथ सेक्स नहीं कर पाया था। मेरी उम्र 23 साल और कद 5 फीट 9 इंच है। वैसे लोग कहते हैं कि मैं स्मार्ट भी हूँ, ख़ैर छोड़िये।
लेकिन मैं आप को अपनी एक ऐसी हक़ीकत से वाक़िफ कराना चाहता हूँ जो मेरे साथ पहले कभी नहीं हुई। ये होने के बाद मैं मन ही मन बड़ा खुश होता रहता था क्योंकि जो मैं इतनी कोशिश करने के बाद भी नहीं कर पाया वो अचानक हो गया।
हुआ ये कि मेरे घर के सामने एक घर है जिसमें एक परिवार रहता है जो बिहार से है, उस परिवार में 4 सदस्य हैं जिनमें से 2 बच्चे और दो बड़े हैं
जून 2004 की बात है जब मेरा परिवार स्कूल की छुट्टियों की वज़ह से गाँव गई हुई थी तो बस मैं ही घर पर अकेला था। शनिवार की बात है उस दिन मेरे ऑफिस में छुट्टी होती है तो थोड़ा देर से सोया और देर से जागा। उसके बाद मैं फ्रेश हुआ और बिस्किट खरीदने के लिए दुकान पर गया।
वह दुकान बहुत ही छोटी थी और वहाँ भीड़ बहुत ज्यादा रहती थी। जहाँ मैं खड़ा था उसके एकदम आगे मेरे सामने वाली आंटी खड़ी थी वो भी कुछ सामान ले रही थी और भीड़भाड़ होने की वज़ह से हम एक-दूसरे से बिल्कुल चिपके हुए थे। पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया फिर मैंने महसूस किया कि मेरा लण्ड आंटी की गाँड पर लग रहा है। मेरा लण्ड एकदम तन गया, मुझे बहुत मज़ा आने लगा।
फिर आंटी सामान लेकर जाने लगी, जाते हुए आंटी ने मेरी तरफ देखा, उनका चेहरा गुस्से से लाल था। मुझे पता नहीं क्यों, बहुत शर्म सी आई और फिर मैं भी उनके जाने के करीब 10-15 मिनटों के बाद घर आ गया।
मैंने पहले तो चाय पी, फिर अपने दरवाज़े के सामने खड़ा हो गया। अचानक आंटी ने अपना दरवाज़ा खोला और मुझे देखकर आंटी ने मुझे कहा ‘बेटा, क्या तुम हमारा एक काम कर दोगे?’
‘कहिए आंटी जी- मैंने डरते हुए कहा।
उन्होंने कहा- बेटा, मेरा हाथ नहीं पहुँच रहा है, तुम मेरा एक डिब्बा उतार दो।’
मैंने कहा- ठीक है। फिर मैं उनके घर चला गया, वहाँ ऊँचाई पर एक डिब्बा रखा हुआ था, आंटी ने बताकर कहा- बेटा यही डिब्बा उतारना है।’
मैंने डिब्बा उतार दिया। तभी आंटी ने गेट बन्द कर लिया।
मैंने कहा- आंटी! मैं जाता हूँ, तो उसने मुझे बुलाया- इधर आओ-
यह सुनकर मेरी तो हवा ही खिसक गई, लेकिन फिर मैं भी हिम्मत करके चला गया। मैंने कहा ‘कहो आंटी, क्या कोई और कोई काम है?’
‘नहीं, एक बात पूछनी थी।’ आंटी ने कहा।
मैं डर गया, डरते-डरते मैंने कहा- कहिए आंटी जी!’
आंटी ने पूछा- तुम्हारी उम्र कितनी है?’
मैंने जवाब दिया- आंटी जी, 23 साल!’
फिर आंटी ने कहा कि मेरी उम्र 40 साल है और मैंने तुम्हारी माँ के उम्र की हूँ, तुम्हें शर्म नहीं आई दुकान पर ऐसी हरक़त करते हुए?
मैंने गर्दन नीचे किये हुए उनसे माफी माँगी- आंटी मुझे माफ कर दो, आज के बाद ऐसा नहीं होगा- मैं उनके सामने हाथ जोड़ने लगा।
‘अरे कोई बात नहीं, ऐसी उमर में ऐसा होता है। पहले भी किसी के साथ ऐसा या कोई और गलत काम किया है?’
मैं कुछ नहीं बोला।
फिर आंटी ने कहा- अरे शरमाओ मत, बताओ।’
‘नहीं आंटी! अभी तक नहीं।’
‘शादी से पहले कम से कम 2-3 बार ज़रूर करना चाहिए।’
मैंने हिम्मत करके कहा- क्यों आंटी?’
‘क्योंकि हर काम से पहले ट्रेनिंग ज़रूरी है, जैसे आर्मी वालों को दी जाती है। क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेण्ड है?’
‘नहीं आंटी जी, मेरी कोई भी गर्लफ्रेण्ड नहीं है।’
‘ये तो बड़े ही दुःख की बात है।’ आंटी ने कहा।
‘अगर तुम इजाज़त दो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ।’ आंटी ने आगे कहा।
‘कैसे?’ मैंने प्रश्न किया।
उन्होंने कहा- मैं तुम्हें ट्रेनिंग दूँगी ताकि तुम अपनी बीवी को ज़्यादा खुश रख सको। क्या तुम तैयार हो?’
‘जी हाँ आंटी, जैसा आप कहें।’
मैं सोच रहा था कि ये मेरे साथ ऐसी बातें कैसे कर रही हैं, वो भी पहली बार। मुझे लगा शायद दुकान वाली हरकत की वज़ह से वह मुझसे ऐसी बातें कर रही है।
आंटी ने मेरे हाथ अपने चेहरे पर लगाये और मुझे कहा कि मेरे गालों को सहलाते रहो। मैं ऐसा ही करता रहा। फिर आंटी ने मेरा हाथ अपनी टाँग पर रखा और मुझसे कहा- मेरी टाँग पर अपना हाथ फेरते रहो।
मैं ऐसा ही करता रहा। मुझे भी मज़ा आने लगा। आंटी बहुत गरम होने लगी और मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरी गाँड पर हाथ फेरने लगी।
मैंने अपना हाथ टाँग से हटाकर आंटी के मोटे-मोटे बूब्स पर रखा, वैसे तो उन्होंने कपड़े नहीं उतारे थे, पर फिर भी मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। आंटी कहने लगी कि तुम तो इंटेलीजेन्ट हो, अपने आप ही हाथ रख लिया।
फिर मैं ज़ोर-ज़ोर से बूब्स दबाने लगा, आंटी एकदम पागल सी हो गई। मैं भी होश खो बैठा और अपना हाथ आंटी के पेटीकोट में अन्दर उनकी प्यारी सी चूत पर रखा, वो एकदम मुझसे चिपक गई।
फिर मैंने अपनी एक ऊँगली उनकी चूत में डाली और बार-बार अन्दर-बाहर करने लगा। आंटी को बड़ा मज़ा आने लगा। मज़े की वज़ह से वो सिसकियाँ लेने लगी। उनके मुँह से आवाज़ें आ रहीं थीं… हाय! मैं मर गईईईई…! ओओओ…! ह्ह्ह्ह।
फिर अचानक आंटी ने कहा कि मैं तुम्हें इस ट्रेनिंग का आखिरी पाठ सिखाती हूँ और फिर उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे अपने बेड पर लेटने के लिए कहा। मैं लेट गया। उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिये।
अब वो मेरे सामने एकदम नंगी थी। वो उतनी ख़ूबसूरत तो नहीं थी, पर उसकी फिगर लाजवाब थी। फिर वो मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़कर अपने हाथ को ऊपर-नीचे करने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर उन्होंने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और फिर अपने मुँह को ऊपर-नीचे करने लगी। मेरा लण्ड एकदम तन गया और करीब 7-7.5 इंच का हो गया।
फिर उन्होंने फिर मुझे कहा कि अब तुम उठो और मैं लेटती हूँ। मैं सोच रहा था कि यार, कहीं इसका दिमाग तो खराब नहीं हो रहा है, लेकिन फिर ये सोचकर कि कहीं बना-बनाया काम न बिगड़ जाये, मैंने कुछ नहीं कहा। फिर वो लेट गई और मुझे कहा अपना मुँह मेरी दोनों टाँगों के बीच में रखकर मेरी चूत को चाटो!
मैंने कहा, आंटी ये गन्दी है। आंटी ने पूछा- क्या तुम अपनी बीवी को खुश नहीं रखना चाहते?’
मैंने उत्तर दिया ‘हाँ’।
‘तो फिर चलो, जल्दी करो।’
मैंने चाटना शुरू कर दिया।
मैंने देखा कि आंटी की आँखें बन्द हैं और वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ ले रहीं हैं। थोड़ी देर ऐसा ही करने के बाद आंटी ने कहा ‘रूको!’
मैंने पूछा ‘क्या हुआ?’
आंटी ने कहा- कुछ नहीं हुआ, अब मैं तुम्हें सबसे मज़ेदार, और सबसे आख़िरी स्टेप सिखाती हूँ।
फिर आंटी ने अपनी टाँगें ऊपर कीं और मुझे कहा कि अपना लण्ड मेरी चूत पर रखो और अपने हाथ मेरे कंधे के पास। मैंने ऐसा ही किया। फिर आंटी ने मेरा गरम लण्ड अपनी गरम चूत पर रखा और मुझे कहा कि अब धीरे-धीरे इसे अन्दर करते रहो। मैंने ऐसा ही किया। जब मेरा आधा लण्ड अन्दर जा चुका था तो मुझे बड़ा मज़ा आने लगा।
आंटी कह रही थी कि तुम्हारा लण्ड कितना मोटा है। बड़ा दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- अगर आप कहती हैं तो मैं निकाल लेता हूँ।
आंटी ने कहा, नहीं मेरी जान, मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है, और दर्द तो ज़रूर होता है और जितना दर्द होगा, बाद में मज़ा भी उतना ही आयेगा।
मैंने फिर एकदम से अपना सारा का सारा लण्ड उसकी गरम चूत में पेल दिया। वो चिल्लाने लगी, कहने लगी कि इसे फाड़ेगा क्या। उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े।
मैंने पूछा- बहुत दर्द हो रहा है क्या?’
‘जानवर की तरह करेगा तो दर्द नहीं होगा?’
‘सॉरी आंटी…!’
आंटी बोली- कोई बात नहीं, तुम लगे रहो, धीरे-धीरे दर्द कम हो जाएगा।’
चार-पाँच मिनट बाद शायद उसका दर्द कम हो गया, क्योंकि वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी- आज इसे फाड़ दो… मैं तुम्हारी हूँ… ज़ोर-ज़ोर से पेलो मेरी जा..आआआन… आआआआह ईईईईईईई ऊऊऊऊऊ आआआआआह मैं मर गईईईईई।
तकरीबन 15 मिनट के बाद आंटी ने कहा मेरी जान अब दूसरा स्टेप करते हैं और वो फिर उठी और डॉगी स्टाईल में हो गई और मुझे कहा अब दुबारा अपना काम शुरू करो।
मैंने फिर उसकी गरम चूत में अपना सात इंच का मोटा लण्ड पेल डाला। वो फिर सिसकियाँ लेने लगी, और चिल्लाने लगी- मैं मर गई… आज मेरी चूत को फाड़ डालो मेरी जान…’
और मैं भी मज़े से पागल हो रहा था। हम दोनों की आवाज़ें पूरे कमरे में गूँज रहीं थीं।
तकरीबन 10 मिनट बाद आंटी ने कहा ‘ज़रा हटो।’
‘क्यों आंटी?’
‘अब मैं तुम्हें वो स्टेप सिखाऊँगी जो अन्त में करना चाहिए, जब तुम्हारी गाड़ी मंज़िल पर पहुँचने वाली हो।’
‘ठीक है आंटी।’
वो पिर उसी पोज़ीशन में आ गई जैसे कि शुरू में थी, अपने दोनों पैर ऊपर उठा लिये और फिर कहा कि अब दुबारा इसमें डाल दो, और चाहे जो कुछ भी हो, अपना लण्ड अन्दर ही रहने देना।
मैंने सोचा कि यार क्या होगा, फिर मैंने अपना लण्ड घुसेड़ दिया और तकरीबन 6-7 मिनटों के बाद मुझे और आंटी को बड़ा जोश आने लगा। हम दोनों ज़ोर-ज़ोर से सिसकने लगे… आहहहह ओययययय आआ आआह हहह।
मैंने फिर आंटी से कहा कि आंटी लगता है मेरे लण्ड से कुछ निकलने वाला है।
‘मेरी भी चूत से निकलने वाला है, लेकिन तुम अन्दर ही रखना और अन्दर ही डाल देना जो भी निकलेगा।’
मैंने कहा- ठीक है।’
आंटी फिर शायद झड़ने वाली थी क्योंकि उसने मुझे बहुत कसकर पकड़ रखा था और आंटी कहने लगी मेरी जान… मैं मर गई… मैं झड़ने वाली हूँ। फिर वह झड़ गई।
दो मिनट बाद मेरा भी काम हो गया। आंटी पहले भी 1 बार बीच में झड़ चुकी थी, फिर हम दोनों थोड़ी देर तक एक-दूसरे से लिपटे रहे और फिर आंटी ने कहा- लो ये कपड़ा और इसे साफ कर लो।’ आंटी ने भी अपनी चूत साफ कर ली और फिर पूछा- कुछ सीखा?’
‘हाँ आंटी, मैं सीख गया।’
‘मेरी जान अब मैं तुम्हारी हो चुकी हूँ। अगर तुम्हें मेरी क्लास अच्छी लगी हो तो तुम रोज़ आ सकते हो।’
‘ठीक है आंटी जी मैं रोज़ सीखने आया करूँगा।’ मैंने उत्तर दिया।
आंटी ने मुझे एक लम्बी पप्पी दी और कहा कि अब तुम जाओ मेरी जान।
फिर मैंने कपड़े पहने और अपने घर वापस आ गया।
उसके बाद मैं आंटी को चोदने रोज उसके घर जाने लगा।
1 महीने तक हमने खूब मस्ती की। और अब भी जब मौका हाथ लगता है हम दोनों सेक्स करते हैं, खूब मज़े लेते हैं… अब मैं एक दूसरी औरत पर लाईन मार रहा हूँ जिसकी शादी अभी-अभी हुई है। अगर हमारी बात वहाँ तक पहुँचती है तो मैं आपको ज़रूर लिखूँगा… बाययय
प्लीज़ आप मुझे बतायें कि आपको मेरी ये सच्ची कहानी कैसी लगी।
मुझे मेल करें! मैं आपके मेल का इन्तज़ार करूँगा!
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