दोस्ती से चूत चुदाई तक
नमस्कार दोस्तो.. मैं अवि उम्र 22 साल.. रायपुर से आपके लिए एक मस्त सेक्सी कहानी लेकर आया हूँ।
अन्तर्वासना का मैं आभारी हूँ कि मुझे यहाँ अपनी कहानी लिखने का मौका मिला। मैं अन्तर्वासना पर कामुकता भरी हिन्दी सेक्स स्टोरी का पिछले सात सालों से नियमित पाठक हूँ।
आज मैं पहली बार अपनी कहानी पोस्ट कर रहा हूँ, यह मेरे जीवन में घटी सच्ची घटना है।
अब आपकी मुलाकात इस कहानी की नायिका से करवाता हूँ।
नाम नेहा, उम्र 26 साल.. हाइट 5 फुट 4 इंच, साँवला सा बदन.. पर तीखे नयन-नक्स, फिगर 36c-30-34 की।
मेरी और नेहा की दोस्ती एक साल पहले शुरू हुई थी, साथ में घूमना, फिल्म देखना, रेस्तरां में लंच-डिनर अक्सर होता था।
मेरी नजर हमेशा उसके उन्नत उभारों पर होती थी, मैं उन्हें खा जाने वाली नजरों से देखता था।
नेहा को चोदना तो मैं पहले से चाहता था, लेकिन चोद नहीं पाया था।
कुछ समय बाद वो रायपुर से अपने घर चली गई। इस दौरान भी हमारी बातें होती रहती थीं।
लगभग दो महीने बाद नेहा को किसी काम की वजह से रायपुर आना था।
उसने मुझे पहले से बता दिया और उसने मेरे फ्लैट पर रुकने की इच्छा जाहिर की, तब मैंने उसे ‘हाँ’ बोल दिया।
रायपुर पहुँचने के बाद नेहा अपने रिश्तेदार के घर गई और दिन भर वहाँ रुकी, फिर शाम को उसने फोन करके मुझे बुलाया।
मैं उसे लेकर नए रायपुर की ओर घूमने जा रहा था।
उसने मुझसे कहा- तुम्हारे लिए एक खुशखबरी है।
मैंने पूछा- बता दो।
तब उसने बताया कि उसका अपने बायफ्रेंड के साथ ब्रेकअप हो गया है।
यह कहते हुए वो मेरे करीब आ गई और मुझे कस कर गले लगा लिया।
मैं बाइक चला रहा था, वो पीछे से मुझसे चिपक कर बैठी थी।
मैं उसके बाएँ हाथ को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगा।
वो गर्म हो गई और अपने उन्नत उभारों को मेरी पीठ पर दबाने लगी।
वाह… क्या मस्त एहसास था.. उसके नरम-नरम चूचे.. मुझे जन्नत का मजा दे रहे थे।
रायपुर की खाली सड़क पर हम दोनों की रासलीला चल रही थी।
मैंने अपना एक हाथ पीछे ले जाकर उसके चूचे मसल दिए। वो और गरम हो गई.. अपनी जाँघों से मुझे दबाने लगी। उसकी सिसकारियाँ और तेज होने लगीं, ‘उम्म.. उआह.. उह..’ जैसी आवाजें निकालने लगी।
उसने बोला- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.. चलो फ्लैट पर चलते हैं।
मैंने बाइक अपने फ्लैट की ओर मोड़ ली।
रास्ते में मेडिकल से कन्डोम के पैकेट ले लिए।
इसके बाद कुछ खाने का सामान ले लिया और परमिट से व्हिस्की की एक बोतल भी ले ली।
जब हम अपने फ्लैट पर पहुँचे और जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, वो अन्दर आई और बिस्तर पर जाकर बैठ गई।
मैंने जल्दी से गेट बंद किया, सभी सामान को साइड पर रखा और उस पर टूट पड़ा।
उसके होंठों पर इमरान हाशमी की तरह किस करने लगा, वो भी मेरा भरपूर साथ देने लगी।
हम दोनों बस एक-दूसरे को खा जाना चाहते थे।
उसकी सिसकारियों से पूरा रूम गूँज रहा था, ‘उमम्मम.. आह्ह्ह्ह्ह..’ जैसी आवाजें मुझे मदहोश कर रही थीं।
अब मुझसे रहा ना गया और मैंने जल्दी से उसके टॅाप को उतारा, उसकी लाल ब्रा को देखकर मेरा दिल खुश हो गया.. मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को चूमने लगा।
फिर धीरे से मैं अपना हाथ उसकी पीठ पर फेर रहा था तभी उसकी ब्रा का स्ट्रेप मेरे हाथों में आ गया और मैंने उसे खोल दिया।
अब मेरे सामने आजाद चूचे सिर उठा कर खड़े थे।
मैंने आव देखा ना ताव, उन चूचों को मुँह में भरकर चूसने लगा।
मुझे सर्दी के मौसम में मस्त मीठे-मीठे आम चूसने को मिल रहे थे।
मैं बहुत खुश हो गया अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी जींस और पैन्टी एक-एक कर उतार दी।
उसकी सुन्दर चूत को देखकर मैंने एक उंगली उसकी चूत के छोटे से छेद पर लगा दी। उंगली चूत में पेलने की कोशिश की.. पर इतनी कसी हुई चूत थी उसकी.. कि मेरी उंगली पहली बार में अन्दर नहीं गई।
फिर धीरे-धीरे उंगली को अन्दर-बाहर करता रहा।
अब उसकी चूत पहले से ज्यादा खुली हुई लग रही थी, मैंने एक और उंगली से उसको चोदना शुरू किया.. वो दर्द से उछल गई.. पर अगले ही पल शान्त हो गई और मजे से दोनों उंगलियों से चुदने लगी।
इसी क्रिया के दौरान मैं एक हाथ से उसके चूचे चूस रहा था और वो मेरे लंड से खेल रही थी मेरा लंड पूरे जोश के साथ अकड़ कर खड़ा था और चुम्बनों का आदान-प्रदान जारी था।
इसी बीच नेहा ने मुझे कस कर पकड़ा और जोर-जोर से सिसकारी लेते हुए अपने नाखून मुझ पर गड़ाते हुए झड़ गई।
मेरा लंड अभी भी अपना सर उठा कर खड़ा था।
मैंने नेहा को बोला- यार तुम तो झड़ गईं.. अब मेरा भी कुछ करो।
तब उसने एक कटीली सी मुस्कान देकर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और मजे से चूसने लगी।
अचानक मुझे याद आया कि नेहा को चॅाकलेट बहुत पसंद है और मैंने जल्दी से चॅाकलेट लाकर अपने लंड पर लगा दिया।
अब नेहा को कंट्रोल करना मुश्किल था, वो बस मेरे लंड को खा जाना चाहती थी, उसके चूसने की रफ्तार भी दुगुनी हो गई थी।
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नेहा की पाँच मिनट की धमाकेदार चुसाई के बाद मैं उसके मुँह में ही झड़ गया.. वह माल पीने के बाद मेरे लंड में लगे वीर्य के हर एक कतरे को चाट गई।
हम दोनों फ्रेश होने बाथरूम गए, वहाँ पर एक दूसरे के अंगों को साफ किया और वापस बेडरूम में आ गए।
नेहा ने बिना ब्रा-पैन्टी के एक झीनी सी नाइटी पहन ली.. जिसमें से उसके उभार मुझे और ज्यादा आकर्षित कर रहे थे।
अब हम दोनों को भूख लग रही थी तो कुछ नमकीन मिक्सचर और चिप्स निकाल लिए.. साथ में व्हिस्की की बोतल से दो पैग बनाकर एक उसको दे दिया।
हम दोनों ने साथ में मिलकर दारू पी और फिर चिकन के साथ व्हिस्की का मजा लेना शुरू किया।
इसी बीच नेहा ने नशे में चूर हो कर अपने बायफ्रेंड को फोन लगा दिया और उससे झगड़ा करने लगी।
उसने शराब के नशे में अपने एक्स को बहुत गन्दी-गन्दी गालियाँ दीं, फिर वो मुझसे लिपटकर रोने लगी।
आधा-पौने घण्टे में हम दोनों डिनर के लिए रेडी हो गए।
व्हिस्की का नशा माहौल को और भी रोमांटिक बना रहा था।
डिनर करने के बाद हम दोनों जल्दी से बेड पर आ गए, मैंने उसकी नाइटी निकाल दी।
अब हम दोनों बिल्कुल नंगे एक-दूसरे के सामने उत्तेजित होकर एक-दूसरे को किस करने लगे।
वो मेरे लंड से खेलने लगी।
उसकी चूत तो पहले से गीली थी।
अब मैंने ज्यादा इंतजार नहीं किया और नेहा की चूत के दाने को अपने लंड से छेड़ने लगा।
उसके मुँह से बस यही शब्द निकल रहे थे- और मत तड़पाओ जानू जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में पेल दो।
मैंने भी देर न करते हुए उसकी गांड के नीचे तकिया सैट किया और अपना लंड नेहा की चूत में डाल दिया.. जिससे नेहा दर्द से बिलबिलाते हुए जोर से चीखी- आह्ह्ह्ह ह्हह जानू छोड़ दो मुझे.. बहुत दर्द हो रहा.. प्लीज जानू मत करो ना..
मैं एक झटके के बाद रुक गया नेहा के मम्मों को दबाने लगा और साथ में निप्पलों को उंगली के बीच लेकर मसल देता, जिससे धीरे-धीरे नेहा का दर्द कम हो गया और वो नीचे से अपनी गांड उछालने लगी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेजी से नेहा को चोदने लगा।
उसकी कमसिन चूत को मैंने बीस मिनट तक चोदा।
इतने में वो दो बार झड़ गई थी।
फिर मैंने लौड़ा निकाल कर यूं ही उसके साथ खेला, इतने में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
एक बार फिर से मैंने देर ना करते हुए उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और हचक हचक कर चोदना शुरू किया।
नेहा हर झटके के साथ गांड उछालती और ताल से ताल मिलाती।
लगभग दस मिनट बाद वो मुझे कस कर पकड़ने लगी और उसने अपनी चूत से कामरस छोड़ दिया। मेरा पानी इतनी जल्दी झड़ने वाला नहीं था।
मैंने नेहा को घोड़ी बनाया और चोदना शुरू किया।
क्यूंकि मैं पहले झड़ चुका था.. इसलिए इस बार देर तक बमफाड़ चुदाई के बावजूद मैं नहीं झड़ा था।
नेहा दो बार और झड़ गई.. तब मेरा भी पानी निकल गया।
थोड़ी देर चूचों को चूसने और दबाने के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
मैं नेहा को कुतिया बना कर उसकी गांड में उंगली करने लगा।
उसकी गांड का छेद बहुत तंग था। तब थोड़ी सी क्रीम लेकर उसके छेद के अन्दर पूरी गोलाई में घुमा-घुमा कर लगाने लगा।
दारू के नशे में टुन्न नेहा को मजा आ रहा था।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मेरी दो उंगलियां आराम से अन्दर जाने लगी थीं। फिर मैंने धीरे से अपने लंड का टोपा नेहा की गांड के छेद में सैट किया और जोर से पेल दिया।
वो दर्द से तड़फ उठी.. मैंने उसकी चीख को नजरअंदाज कर दिया.. और धकापेल चुदाई करने लगा।
उसकी गांड का कसाव इतना था कि मेरा लंड की थोड़ी सी चमड़ी भी छिल गई और मुझे जलन होने लगी थी। फिर भी चुदाई का इतना सुरूर था कि उसके सामने कोई दर्द पता नहीं चलता।
उसकी गांड में झड़ने के बाद मैं निढाल हो गया था।
अब हम दोनों को नींद आने लगी और हम एक-दूसरे से चिपक कर सो गए। सुबह जब नींद खुली तो हम दोनों ने एक-दूसरे को किस किया और फिर चुदाई का एक दौर चला।
फिर वो शाम को अपने घर चली गई।
अब छह महीने हो गए.. मैं उससे मिला नहीं हूँ।
मेरी कहानी आप सभी पाठक-पाठिकाओं को कैसी लगी।
मुझे ईमेल करके जरूर बताइएगा।
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धन्यवाद।
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