चुदाई की आग
नमस्कार दोस्तो,
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैंने बहुत सी कहानियाँ इस पोर्टल पर पढ़ी हैं।
मेरी यह कहानी जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ, कोई काल्पनिक कहानी नहीं है। इस कहानी को पढ़कर आपको कहीं भी ऐसा नहीं लगेगा कि मैं किसी काल्पनिक घटना की बात कर रहा हूँ।
मैं प्रोफ़ेशन से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ। मैं अपने बारे मैं बता दूँ कि मेरा शरीर एकदम गठीला और बहुत ही मजबूत है। मैं रोज जिम जाता हूँ और बहुत ही ‘हैवी वर्क-आउट’ करता हूँ, पर मेरा लंड नॉर्मल 6 इंच का ही है।
बात उस वक्त की है जब मेरी नई-नई जॉब लगी थी।
मैं रोज की दिनचर्या की तरह अपने ऑफिस से अंधेरा होने के बाद निकला।
मेरा ऑफिस नॉएडा मैं एक बहुत ही अच्छी जगह था। मेरा घर ऑफिस से तकरीबन 12 किलोमीटर दूर पड़ता था।
मैं नॉएडा मैं जॉब करता था लेकिन गाज़ियाबाद रहता था।
शाम का समय था और मैं ऑफिस से सिगेरट पीते हुए ऑटो-स्टैंड की तरफ बढ़ा।
उस दिन काफी भीड़ थी, इसलिए आराम से ऑटो नहीं मिल पा रहा था। मुझे थोड़ा इन्तजार करना पड़ा, पर जल्दी ही मुझे एक ऑटो मिल गया।
मैं ऑटो में ड्राइवर के पीछे वाली सीट पर बैठ गया। मेरे दिमाग़ में बस कुछ ऑफिस का काम चल रहा था, तो मैंने ऑटो में किस तरह के लोग बैठे हैं, देखे नहीं।
अक्सर शाम के समय लेबर टाइप के लोग ऑटो में दिख जाते हैं। मैं अपनी घुन में मगन था, सो कुछ देखा ही नहीं। मेरी सीट के सामने वाली सीट पर एक लड़की बैठी थी। शायद वो किसी परेशानी में थी।
कुछ समय निकल जाने के बाद मैंने गौर किया कि वो लड़की कुछ परेशान सी एकदम गेट से सटकर बैठी है। थोड़ा और समय बीत गया।
कुछ लोग और बैठे ऑटो में और कुछ उतरे, उसी समय कुछ लड़के जिनके हाथ में थैला था ऑटो में आकर बैठे, क्योंकि लकड़ी के पास वाले अंकल उठकर चल दिए।
मैंने देखा कि लड़की ने मुझे इशारा किया कि मैं उसके पास वाली सीट पर बैठ जाऊँ।
मैंने सोचा कि लड़की को उन लड़कों से कोई परहेज है, इसलिए मैं उसके बाजू में बैठ गया।
मैं लगभग आधे रास्ते पहुँच चुका था तभी देखा कि नेशनल हाईवे पर जाम लगा है। ऑटो में काफी भीड़ होने की वजह से हम दोनों के शरीर चिपके हुए थे, गर्मी भी काफ़ी थी।
अचानक मैंने महसूस किया कि मेरी कोहनी उसके पेट से टच हो रही है, पर उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं थी।
मैं बता दूँ कि मैंने उस दिन से पहले कभी किसी लड़की के साथ सम्भोग नहीं किया था। मैंने जानबूझ कर अपनी कोहनी वहाँ से नहीं हटाई।
धीरे-धीरे मैं ज़ोर और लगाता गया, पर कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला। उसने अपना पर्स अपनी गोदी में रखा हुआ था, इस कारण कोई मेरा हाथ नहीं देख पा रहा था। फिर मैंने अपना हाथ ठीक किया और अपना हाथ उसकी जाँघ और पर्स के बीच रख दिया।
उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी बुर की तरफ बढ़ाया।
वो थोड़ी परेशान सी लगी, पर उसने कुछ नहीं कहा। मेरी ऊँगली उसकी भग्न -पॉइंट’ तक जा चुकी थी। उसने एक-दो बार मेरी ऊँगली वहाँ से हटाने की कोशिश की, पर मैंने उसका विरोध किया। वो कुछ ना कर पाई।
अब वो भी मस्ती लेने लगी थी।
तभी पता चला कि उसको अगले चौक पर उतरना है, मैं परेशान हो गया। मैंने उससे फोन नम्बर के लिए इशारा किया, पर वो समझी नहीं।
तो मैंने वहीं उसके साथ उतरने का फैसला किया।
डरते हुए मैं उसके साथ उतर गया। उस समय पहली बार मैंने उसकी आवाज़ सुनी।
उसका नाम अंजलि था। वो एक एक्सपोर्ट सेंटर में कम करती थी।
जब रोड के साइड से थोड़ी देर बात हुई, तो पता चला कि वो वहीं पास में एक रूम किराए पर लेकर अपनी सहेली के साथ रहती है। अभी तक उसका पूरा शरीर कांप रहा था।
मैंने उससे बोला- रिक्शे से मैं उसे उसके घर छोड़ देता हूँ।
तो वो मान गई। मैं और वो दोनों एक रिक्शे से चल पड़े।
इसी बीच मैंने उससे कहा- मैंने तो तुम्हारे सामान को टच कर लिया, क्या तुम भी मेरा सामान पकड़ना पसंद करोगी?
तो उसने कुछ ना बोलते हुए मेरे जीन्स के ऊपर से मेरा लंड टच किया, और सिहर गई।
जैसाकि मैंने आपको बताया ही है कि मेरा लंड नॉर्मल 6 इंच का ही है। मुझे ये भी पता है कि साइज़ से चुदाई में कोई फर्क नहीं पड़ता है।
लड़की को मज़ा देने लिए लंड के आगे का 2 इंच का भाग ही काफ़ी होता है।
मैंने उससे रिक्वेस्ट की कि वो आज मेरे साथ सम्भोग करे…, पर उसने ये कह कर मना कर दिया कि उसके रूम पर उसकी फ़्रेंड आ चुकी होगी और आज पॉसिबिल नहीं है, पर उसने वादा किया कि कल सुबह उसके जाने के बाद वो मुझे घर पर बुला लेगी।
मुझे तो बस इस बात का ही इन्तजार था। उसने मुझे अपना नंबर दिया और ‘लव-यू’ कह कर अलविदा कहा।
मैंने रास्ते में ही प्रोग्राम बना लिया कि कल कुछ भी हो जाए, मैं अंजलि का काम लगाने ज़रूर जाऊँगा।
रात को ही मैंने अपना मोबाइल रीचार्ज करा लिया, क्योंकि मुझे डर था कि कहीं कुछ पंगा ना हो।
प्रोग्राम के मुताबिक सुबह 8 बजे उसका कॉल आया कि तुम आ जाओ। मैं तो पहले ही उसके इलाके में पहुँच गया था।
वो मुझसे बोली- मैं तुम्हें लेने बाहर आ रही हूँ।
और वो थोड़ी ही देर मैं मुझे एक गली के बाहर दिखी।
उसने मुझे पीछे आने का इशारा किया और मैं उसके पीछे-पीछे चल दिया। उसका रूम तीसरे फ्लोर पर था। मैं उसके रूम में पहुँच गया। उसने सारे दरवाजे बंद कर लिए और मेरे लिए पानी लेकर आई।
उसके आते ही मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसे चूमने लगा। इतना करने पर वो थोड़ी गरम हो गई।
उसने अन्दर वाले रूम मैं नीचे गद्दा बिछा दिया।
वो नीचे लेट गई और मैं उसको देखने लगा। मैंने उसके मम्मों पर हाथ लगाया तो मुझे पता चला कि उसने ब्रा नहीं पहनी है।
मैं धीरे-धीरे उसके मम्मों मसलने लगा। उसको ये सब अच्छा लग रहा था।
मैंने उसका टॉप थोड़ा ऊपर किया और उसके मम्मों के चूचुक को मुँह में ले लिया, वो मस्त हो गई।
मैंने बारी-बारी से उसके दोनों मम्मों को चूसा। अब वो अजीब सी आवाजें निकाल रही थी।
फिर मैंने उसकी स्कर्ट थोड़ी ऊपर खींची तो पता चला कि उसने पैन्टी भी नहीं पहनी है। मुझे अच्छा लगा।
उसकी चूत पर हल्की-हल्की झांटें थीं। मैंने उसकी चूत को धीरे-धीरे सहलाया और अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी।
वो चिहुंक उठी और बोली- क्या कर रहे हो…!
मैंने बोला- जान… देख रहा हूँ कि रास्ता कितना गहरा है..!
तो वो मुस्कुरा दी।
मैंने उसकी चूत में काफ़ी देर तक ऊँगली की, फिर उससे इशारे में कहा कि मेरे कपड़े उतारो।
उसने जल्दी से मेरी जीन्स और शर्ट निकाल दी। और उसकी नज़र मेरे 6 इंच के लंड पर थी, जो अभी भी अंडरवियर के अन्दर गुस्से में था।
उसने मेरा लंड निकाल कर उसे देखने लगी। वो उसे किसी ‘जॉय-स्टिक’ की तरह पकड़ कर हिला रही थी।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, फिर देखते ही देखते उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।
मुझे अच्छा तो बहुत लग रहा था, पर ये भी डर था कि कहीं मैं झड़ न ज़ाऊँ।
मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और कहा- जान कहीं ऐसा ना हो कि मैं तुम्हारे मुँह मैं ही झड़ जाऊँ।
उसने मेरी बात मान ली और अपनी स्कर्ट ऊपर करके अपनी चूत का रास्ता मुझे दिखाया।
मैंने उसके पैर खोल कर अपना सुपारा उसकी चूत के मुँह पर रखा और धक्का मारा, पर मुझे चोदने का कोई अनुभव तो था नहीं.. सो लौड़ा फिसल गया।
मैंने अंजलि से बोला- तुम्हारा रास्ता बहुत संकरा है, प्लीज़.. मेरा लंड पकड़ कर उसको रास्ता दिखाओ।
उसने मेरे लौड़े को पकड़ा और चूत की दरार पर रख दिया, मैंने थोड़ी कोशिश की, तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में जा चुका था उसका शरीर एकदम अकड़ गया।
उसकी चूत बहुत ज़्यादा कसी नहीं थी, पर फिर भी मुझे लगा कि मेरा लंड थोड़ा भिंच कर चूत में जा रहा है।
अंजलि को अब मज़ा आने लगा था, उसने अपने पैर मेरे पैर में फंसा लिए और चुदाई का मज़ा लेने लगी।
लगभग चार-पांच मिनट के बाद उसके मुँह से सीत्कारें आने लगीं और वो झड़ गई।
पर मैं नहीं रुका, चुदाई चलती रही और हम दोनों मज़ा लेते रहे।
15 मिनट के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, तो मैंने उससे कहा- मैं आने वाला हूँ..!
तो वो अपने चूतड़ और ज़्यादा तेज़ी से हिलाने लगी।
मेरे सब्र का बाँध टूट गया और मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में निकाल दिया।
हम दोनों बहुत ही खुश थे।
मैं ऑफिस जाने के लिए रेडी होने लगा, तो उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया, पर मेरी मजबूरी थी। मुझे ऑफिस जाना था, पर मैंने अंजलि से प्रॉमिस किया कि मैं जब भी मौका मिलेगा आऊँगा और तुम्हारी चूत को निहाल करूँगा।
यह मेरी जिंदगी की पहली चुदाई थी, जो मैंने अंजलि के साथ की.
दोस्तो, यह कहानी मेरी खुद की है और इस कहानी को मैंने लिखने से पहले अंजलि का नाम बदल कर इस्तेमाल किया है।
मैं किसी की भावनाओं के साथ ग़लत नहीं करना चाहता हूँ, इसलिए मेरी चुदाई की इस पहली कहानी में मैंने अपनी लवर का नाम बदल दिया है।
जीवन में और भी बहुत सारी लड़कियाँ मिलीं, मैं सारी कहानी आपके साथ जरूर शेयर करूँगा, पर उससे पहले मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा।
आपका दोस्त टुकटुक
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