भाई की साली संग चुदाई का खेल
दोस्तो.. मेरा नाम कविर है। मेरी उमर 28 साल है.. मैं जयपुर में रहता हूँ।
दो साल पहले मैं अपने बड़े भाई की साली की शादी में मध्यप्रदेश गया था जो कि एक छोटे गाँव में हो रही थी.. उधर काफ़ी लड़कियाँ रिश्तेदारी में थीं, वहाँ मैंने भाई की रिश्तेदारी में एक साली को चोद दिया।
यही मेरी कहानी है जिसका आनन्द लीजिए..
हुआ कुछ ऐसे कि लड़की की वरमाला के बाद मैं सोने के लिए एक कमरे में चला गया।
मुझे पता नहीं था कि वो लड़कियों के तैयार होने का कमरा था।
मेरी अभी नींद लगी ही थी कि लड़कियाँ वहाँ आ गईं। ग़लती से एक लड़की ने मेरे पाँव पर पाँव रख दिया। मेरी हल्की सी ‘आह्ह..’ निकल गई..
उसे पता चल गया कि मैं जाग चुका हूँ। चारों लड़कियाँ सोफे पर बैठ कर बात करने में लगी हुई थीं कि मैंने अपने पाँव के अंगूठे से उस लड़की को छुआ। मेरा पाँव सोफे के अन्दर जा रहा था.. तो किसी को दिखा नहीं।
मुझे लगा कि लड़की को कोई दिक्कत नहीं है.. तो मैंने अपनी हिम्मत बढ़ाई और पाँव के अंगूठे और एक उंगली से उसके पैर में च्यूंटी भर ली।
लड़की ने मेरा पाँव दबा दिया। कमरे में हल्की रोशनी थी। जब लड़कियाँ जाने लगीं तो वह लड़की उन सब में सबसे पीछे जा रही थी।
मैंने उसके पाँव को हाथ से पकड़ लिया। उसने आँख मारी.. और चली गई.. पर मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था।
मैंने सोचा कि आज चुदाई हो सकती है।
जब लड़की के फेरे पड़ रहे थे.. तब वह लड़की मेरे पास आ गई।
पता चला कि उसका नाम कोमल है और वह दुल्हन के मामा की लड़की है। वह बहुत सुंदर लड़की थी.. इतनी कामुक थी कि उसे देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए।
उसने बताया- जब से उसने मुझे देखा है.. तभी से वह मुझे पसंद करने लगी है।
मुझे लगा कि अब तो काम और भी आसान हो जाएगा। उसके मम्मे बड़े मस्त थे और चूतड़ भी 36 इंच की रही होगी।
वह बोली- इधर कोई आ जाएगा.. छत पर चलते हैं।
हम बिस्तर लेकर छत पर चले गए। उसने सीढ़ियों के किवाड़ अन्दर से बंद कर लिए।
फ़रवरी का महीना था और हल्की चाँदनी थी। मैंने बिस्तर पर पटक कर कोमल को बाँहों में भर लिया।
कोमल एक बहुत ही मस्त माल थी। साली को मैंने पकड़ कर खूब मसला और मस्त चुम्बन किए। मैंने चुंबनों की बरसात कर दी।
वो भी पक्की राण्ड थी.. साली मेरे होंठों को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी।
मैंने चूमते-चूमते उसके कपड़े निकालना शुरू कर दिए।
बाप रे क्या कयामत थी.. 18 साल की लड़की और वो भी एकदम नंगी.. कोमल मुझसे चिपक गई और मुझे नंगा करने लगी।
कोमल के मम्मे 34 साइज़ के होंगे। एकदम गोरी माल मेरे लौड़े से चुदने के लिए तैयार दिख रहा था.. मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा उतर कर मेरे लौड़े से चुदने आ गई हो।
मैं कोमल के मोटे मम्मों को दबाने लगा।
कोमल ‘उह्ह.. आहह.. आ.. आहा आह आह आहा आह’ की आवाज़ें निकाल रही थी।
मैंने कोमल को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पाँवों को चूमने लगा। मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। कोमल की चूत अब मेरे होंठों से कुछ ही दूरी पर थी।
मैंने देखा और मन ही मन खुश हो गया- अरे वाह.. कोमल तुमने तो चूत को साफ किया हुआ है।
मैं पागलों की तरह उसकी चूत को चाटने लगा। मैंने उसके पाँवों को पूरी तरह फैला दिया।
अब चाँदनी रात की दूधिया रोशनी में मुझे कोमल की चूत मस्त फूली सी दिख रही थी। कोमल की चूत से पानी निकलने लगा और मैंने सारा पानी चाट लिया। कोमल सिसकारियाँ भर रही थी।
कोमल मादकता भरे स्वर में बोली- कविर मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगी हूँ।
मैंने कहा- मेरी जान.. मैं भी तुमसे प्यार करने लगा हूँ।
कोमल ने मेरा लंड पकड़ रखा था और बोली- ये क्या है.. इतना बड़ा..!
मैंने कहा- यही तो तुम्हारी चूत का यार है..
कोमल ने इठलाते हुए कहा- यार है.. तो अभी तक चूत से मिला क्यों नहीं..!
मैंने कहा- तुम छोड़ो.. तो चूत से मिले..
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कोमल ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। अब उसके नरम-नरम होंठों के बीच मेरा लंड फंसा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। कुछ ही देर में उसने मेरा रस निकाल दिया और खुद कोमल ने उसे चाट कर साफ कर दिया।
अब हम एक-दूसरे को किस कर रहे थे और कोमल का हाथ मेरे लंड को सहला रहा था। इससे मेरा लंड जल्दी ही कड़क हो गया.. अब वो एकदम लोहे की छड़ जैसा हो गया था।
मेरे 8 इंच के लंड ने कोमल को थोड़ा डरा दिया था, वह बोली- इतना बड़ा कैसे घुसेगा..? इससे तो मेरी चूत ही फट जाएगी.. मैं नहीं ले पाऊँगी।
मैंने उससे प्यार से कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा.. देखना कितने मजे से चूत इसको खा लेगी..
कोमल की चूत गीली हो रही थी और उसका आकार भी बड़ गया था.. फिर क्या था.. मैंने अपने लंड का सुपारा कोमल की चूत के मुँह पर रखा।
जैसे ही मैंने हल्का सा धक्का दिया.. तो मेरे लंड का सुपारा कोमल की चूत में धंस गया।
कोमल की ‘आहह..’ निकल गई और उसकी आँखों में आँसू आ गए। मैंने कुछ समय यथा स्थिति रहने के बाद लंड को कुछ हिलाया.. तो थोड़ा और अन्दर घुसेड़ डाला।
कुछ पल दर्द सहने के बाद कोमल को अब अच्छा लगने लगा। मैं धीरे-धीरे लंड को कोमल की चूत में भीतर-बाहर चलाने लगा, कोमल को इससे मज़ा आने लगा- आआआहह.. आ आ आहा.. मजा आ रहा है.. और जोर से चोदो ना कविर चोदो.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.. फाड़ डालो.. मेरी चूत को.. आहह.. उई माँ.. मार डाला.. तुम कहाँ थे इतने दिनों से.. चुद गई आज तो… आह्ह.. मेरी तड़प मिटा दो..
मैंने अपने लंड की रफ़्तार बढ़ा दी.. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। उसकी चूत कई बार पानी छोड़ चुकी थी.. पर मेरा लंड अभी बहुत प्यासा था। मैं पसीने से तर हो रहा था।
मैंने कोमल को बहुत तक चोद कर उसे संतुष्ट कर दिया। अब कुछ देर बाद मेरी दुबारा चोदने की मनसा हो उठी.. पर उसकी पहली चुदाई थी और वह बहुत थक गई थी।
फिर हमने कपड़े पहने और मीठी बातें की.. तभी नीचे से किसी ने दरवाजा खटखटाया.. हम तो डर गए थे।
मैंने छेद में से झांक कर देखा तो पता चला कि वह तो मेरी भाभी की भाभी हैं।
भाभी मजाक करते हुए बोलीं- अगर हो गया हो.. तो कोमल को पहुँचा दो।
मैं डर गया कि अब तो बदनामी होगी। मैंने डर कर भाभी से माफी माँगी तो वह बोलीं- एक शर्त पर..
अब क्या शर्त थी और भाभी ने मुझसे क्या करवाया.. जानना हो तो मुझे ज़रूर लिखें।
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