दोस्त की बहन और बुआ की चुदाई करके मजा दिया-1
दोस्तो.. यह सेक्सी स्टोरी मेरे दोस्त की शादी के वक्त की है।
मैं राहुल पहले अपना परिचय दे दूँ, मैं मध्य प्रदेश से हूँ.. मेरी उम्र 24 साल की है। मेरी हाइट 6 फिट की है और मेरी बॉडी कसरती है, लंड का साइज भी ख़ासा लम्बा है।
मेरे दोस्त की बहन शालू और मैं एक-दूसरे से वासनात्मक प्यार से बंधे हुए थे। शालू की शादी के बाद मैं उससे एक बार ही मिला था, लेकिन अब तक हम दोनों को चुदाई का कभी मौका नहीं मिला।
शालू फोन पर मुझसे हमेशा बोलती थी कि तू यहाँ आ जा.. लेकिन मुझे टाइम नहीं मिल पाता था और हम दोनों फोन सेक्स चैट पर ही निपट लेते थे।
फिर हम दोनों को मौका मिला.. जब मेरे दोस्त और शालू के भाई की शादी तय हुई।
उस वक्त शालू ने मुझसे बोला- मैं 15 दिन के लिए आ रही हूँ.. मिल कर मजा करेंगे।
जब शालू और उसके पति यानि जीजू आए तब मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि मेरा माल बड़े दिनों बाद मुझसे चुदने वाला था। मैं उससे मिला तो मैंने पाया कि शादी के बाद शालू थोड़ी और मस्त हो गई थी।
मैं शालू को चोदने के चक्कर में दिन भर दोस्त के घर में रुकता और वहाँ काम करवाता रहता, लेकिन मादरचोद जीजा के कारण मुझे मौका नहीं मिलता। वो साला शालू को अकेला छोड़ता ही नहीं था।
इस बात से शालू भी चिढ़ने लगी थी क्योंकि वो भी मेरे लिए तड़प रही थी।
लेकिन क्या करते.. बस एक-दूसरे से बात ही कर सकते थे।
अब तो पूरा घर भी मेहमानों से भर गया था तो और कुछ नहीं हो सकता था, बस ऐसे ही चलता रहा।
शालू के भाई की शादी में एक ही दिन बचा था और तभी मुझे मौका हाथ लग गया। हमारे यहाँ शादी के एक दिन पहले तिलक की रस्म होती है।
ये कार्यक्रम 2 बजे शुरू होना था। हम सब तैयार हो कर होटल में गए, वहाँ जाते ही मैंने जैसे ही शालू को देखा मेरा लंड तो बस पूछो मत.. एकदम क्रांति करने पर उतर आया।
इतनी हॉट शालू पहले मुझे कभी नहीं लगी.. सच में यार क्या माल लग रही थी। उसकी लहंगा चोली कॉफी कलर की थी.. उस पर ढेर सारा वर्क था। उसके गोरे बदन पर ये बहुत ही मस्त ड्रेस लग रहा था।
उस पर साली ने छोटी सी चोली पहनी हुई थी, जिसमें से उसके चूचे बिल्कुल बाहर आने को मचल रहे थे। उस पर उसका गहरा मेकअप.. उफ़.. मेरी जान ही नहीं निकल रही थी बस।
मेरा तो मूड ऐसा हो गया और मैंने उसी पल सोच लिया था कि आज तो बिना शालू की चुदाई के सो ही नहीं पाऊँगा।
मैंने शालू को इशारा किया और साइड में आने को कहा। वो धीरे से आई और बोली- क्या हुआ राहुल?
मैं उससे बोला- यार शालू आज तुझे देख कर तो मेरी हालत बिगड़ रही है.. प्लीज कुछ कर.. नहीं तो बस काम हो जाएगा।
वो हँसने लगी और बोली- अच्छा जी।
मैं बोला- यह अच्छा-अच्छा छोड़.. और कुछ कर ना!
वो बोली- राहुल आज तो मेरा भी मूड है.. तू रुक मैं गेम जमाती हूँ।
अब मेरी हालत तो बस बिन पानी की मछली जैसी हो गई थी, लेकिन आज मेरी किस्मत अच्छी निकली और शालू ने मुझसे बोला कि दस मिनट बाद होटल के बाहर मिल!
मैं दस मिनट से पहले ही बाहर आ गया तो शालू उधर अकेली खड़ी थी। मैं उसके पास गया तो बोली- चल घर चलते हैं, इधर कार्यक्रम 2 घंटे चलेगा।
मैंने खुश होकर कार निकाली और घर पर चल दिए। घर पहुँच कर मैंने गेट लॉक किया और मेरे जिस फ्रेंड की शादी थी, उसके बेडरूम में चले गए।
रूम में जाते ही मैंने शालू की चिकनी कमर पर हाथ रख कर उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींचा, मैं शालू से बोला- यार आज तो तूने मुझे पागल कर दिया है.. क्या मस्त लग रही है जान..
मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए और उसे किस करने लगा। शालू भी मूड में थी.. तो वो भी मेरा साथ दे रही थी।
मैं उसकी कोमल गांड को दबा-दबा कर किस कर रहा था। आज का मजा कुछ और ही था। फिर कब हम दोनों न्यूड हो गए पता ही नहीं चला। अब मैं उसके सॉफ्ट मम्मों को धीरे-धीरे दबाने लगा।
मैंने उससे पूछा- यार तेरे इन लोटों का साइज बढ़ गया है.. तेरा मर्द पूरी मेहनत कर रहा है क्या?
तो बोली- हाँ साला कर तो रहा है, लेकिन उनसे इतने नहीं होते.. जितना तू करता है.. अह.. थोड़ा तेज दबा न.. आअहह..
यह कहते हुए वो मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगी।
मैं उसके मम्मों को चूसने लगा। क्या मीठा स्वाद था दोस्त.. बता नहीं सकता।
मैं धीरे से उसकी चुत पर हाथ फिराने लगा। मैंने बहुत देर तक उसके मम्मों को चूसा.. फिर उसको लिटा दिया और उसकी चुत पर टूट पड़ा।
आह्ह.. आज भी वो ही नशा था उसकी चुत का.. मैं पूरी जीभ घुसेड़ कर शालू की नाज़ुक चुत को चाटने लगा।
‘उउफफ्फ़ राहुल्ल.. मत कर ऐसा.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आहह..’
मैं उसकी मादक सिसकारियों के मज़े लेता हुआ उसकी चिकनी चुत को चाटे जा रहा था। मुझे उसकी चुत चाटते समय ये लग रहा था कि आज ही पूरी चाट लो, इसके बाद पता नहीं मिलेगी भी या नहीं!
ऐसी गरमागरम चूत चटवाने के कारण वो कुछ ही पलों में झड़ गई।
कुछ पल रेस्ट करने के बाद शालू मेरा लंड हिला कर बोली- अब मुझे भी इसकी सेवा करने दे.. बड़े दिन हो गए चखा ही नहीं है।
उसने मुझे लिटा कर मेरे खड़े लंड को धीरे से मुँह में ले लिया। शालू के होंठ लंड पर लगते ही मेरा लंड झटके देने लगा।
शालू गोटी मसल कर बोली- अभी तक पूरा शैतान ही है।
‘साली तूने चूसा ही कब था?’
‘फोन पर किससे चुसवाता था?’
फिर उसने हंसते हुए मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया और मस्त चुसाई करने लगी। वो लंड चूसने में काफ़ी एक्सपर्ट लग रही थी।
उसने मुझे मस्त कर दिया तो मैं बोला- यार अब नहीं रुक सकता.. चल जल्दी से लेट जा..!
वो भी चुदासी थी, सो झट से चुत पसार कर लेट गई। मैं उसके ऊपर आकर उसे किस करने लगा और एक हाथ से लंड को चुत की फांकों में सैट करके डालने लगा। धीरे-धीरे उसकी चुत में मेरा लंड पूरा फिट होता गया और हमारा किस भी बंद हो गया।
अब चली हमारी रेलगाड़ी.. धीरे-धीरे मैं उसे चोदने लगा। दोनों चुदाई से मस्त हो रहे थे।
‘आअहह.. राहुल तेजी से चलने दे ना.. क्या मस्त लग रहा है याररर.. आअहह।’
मैं बोला- अह.. शालू जान क्या गर्मी है तेरी चुत में.. तू तो पूरी मस्त हो गई है।
हम दोनों को यूं ही धकापेल करते हुए कुछ मिनट हो गए थे।
अब शालू बोली- थोड़ा तेज कर.. अह.. मेरा होने वाला है।
तो मैंने लंड के धक्कों की स्पीड बढ़ा दी।
‘अहहा ऐसे ही.. जान.. चोद दे.. आअहह.. मैं तो गई.. ओह.. उन्ह..’ वो झड़ गई और ढीली हो गई, उसकी चुत रस से सराबोर हो गई थी। मैं फिर धीरे-धीरे चोदने लगा।
अभी मस्त मजा आ ही रहा था कि तभी दरवाजे की बेल बज उठी। मेरी तो गांड फट गई.. हम दोनों घबराहट के मारे ऐसे ही रुक गए।
बेल फिर बजी तो हम दोनों जल्दी से अलग हुए।
शालू बोली- मर गए राहुल.. कौन होगा?
तभी फिर से बेल बजी।
मैंने और शालू ने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहने और मैं दूसरे कमरे के बाथरूम में भागा, शालू दरवाजा खोलने चली गई, उसने चलते-चलते ही अपनी हालत को ठीक किया।
दरवाजा खोल कर देखा तो जीजा और शालू की सग़ी आंटी थीं।
जीजा अन्दर आते ही चिल्लाने लगे- इतनी देर क्यों लगा दी और तुम यहाँ क्या कर रही हो?
वो बोली- मैं फ्रेश होने आई थी।
जीजा बोले- इधर तक किसने छोड़ा?
तो वो बोली- राहुल छोड़ कर गया था।
जीजा चुप हुआ तो शालू ने बोला- आंटी क्या हुआ.. कुछ काम है?
आंटी बोलीं- हाँ कुछ लेकर जाना है।
शालू ने पूछा- क्या?
तो जीजा बोले- आंटी जी आप सामान ले लो और शालू तुम चलो तो.. मुझे कुछ काम है।
आंटी उसी रूम में आने लगीं.. जिसमें मैं था, मैं झट से बाथरूम में घुस गया।
अब आंटी सामान निकालने लगीं और लेकर बाहर जाने लगीं। तब मेरी जान में जान आई, लेकिन आंटी फिर अन्दर आ गईं और अब तो वो बाथरूम की तरफ आने लगीं।
मेरी गांड फट रही थी क्योंकि घर में शालू दोस्त की बहन जो थी और ऊपर से उसकी शादी भी हो गई थी। आंटी को क्या सभी को पक्का लगता कि मैं उसे चोदने के लिए ही घर में था।
बाथरूम का दरवाजा थोड़ा सा खुला था, आंटी ने उसको पूरा ओपन किया। मैं दरवाजे के पीछे था। शुक्र था कि उन्होंने लाइट ऑन नहीं की और सीधे बैठ कर मूतने लगीं।
‘श्यूयू..ऊ..’
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फिर उठ गईं। अँधेरे के कारण वो मुझे नहीं देख पाईं लेकिन मेरी किस्मत कितनी खराब थी। साली ने हाथ धोने के लिए लाइट ऑन कर ही दी और उनको मैं दिख गया।
उनके मुँह से चीख निकलने ही वाली थी कि मैंने हाथ रख कर उन्हें रोक दिया।
आंटी ने मेरे हाथ को झटका और बोलीं- तू यहाँ क्या कर रहा है?
मेरी तो हालत बस पूछो मत.. मैं पसीना-पसीना हो गया था। मैंने हकलाते हुए बोला- कुछ नहीं आंटी जी बस..
तो बोलीं- क्या कुछ नहीं?
मेरा डरा हुआ चेहरा देख कर वो समझ गईं कि कुछ तो गड़बड़ है।
वो बोलीं- तू और शालू..
उनके इतना बोलते ही मैं गिड़गिड़ा कर बोला- आंटी प्लीज कुछ मत बोलो!
मैं उनके पैरों में गिर गया।
तो आंटी अकड़ कर बोलीं- अच्छा तो शादी दोस्त की और सुहागरात तू मना रहा है। वो भी मेरी भतीजी के साथ.. रूक अभी देखती हूँ।
मैं बोला- आंटी प्लीज कुछ मत बोलो.. जो आप बोलोगी.. मैं करूँगा.. प्लीज।
लेकिन तब भी वो भी नहीं मानी और बोलीं- नहीं.. यह तो बोलना पड़ेगा।
मैंने सोचा यह तो मान ही नहीं रही है साली। मैंने बोला- ठीक है आंटी बोल दो.. लेकिन शालू की भी बदनामी होगी, इतना याद रखना।
ये सुनकर वो सोचने लगीं और बोलीं- रुक तू.. मैं शालू को बुलाती हूँ।
वो चली गईं और शालू को साथ लेकर आईं।
शालू तो रोने लगी।
आंटी बोलीं- बस शालू अब नाटक मत कर.. तुम दोनों को जरा भी शर्म नहीं आई?
उन्होंने हम दोनों को खूब खरी-खोटी सुनाईं।
हम दोनों सिर झुका कर उनकी सुनते रहे। यह तो अच्छा था कि जीजा बाथरूम में था।
आंटी ने शालू से पूछा- क्यों री, सुनील जी कुछ नहीं करते हैं क्या.. जो तू ये सब कर रही है.. और इसके में क्या हीरे लगे हैं?
शालू कुछ नहीं बोली।
आंटी की बिंदास भाषा को सुनकर भी इस वक्त मुझे कुछ नहीं हुआ। कोई और वक्त होता तो मैं आंटी को अब तक पटक लेता.. लेकिन इस वक्त तो मेरी माँ चुदी पड़ी थी।
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कहानी जारी है।
दोस्त की बहन और बुआ की चुदाई करके मजा दिया-2
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