कुंवारी चचेरी बहन को चोद दिया
Kunvari Chacheri Bahan ko Chod Diya
दोस्तों मेरा नाम अम्बुज है और मेरी उम्र 30 वर्ष है, मैं नई दिल्ली का रहने वाला हूँ।
यह कहानी एकदम सच्ची है.. इसमें केवल नाम बदले गए हैं।
यह कहानी मेरे और मेरे चाचा की लड़की रश्मि की है, जो मुझसे छह साल छोटी है।
यह बात तब की है जब मैं 24 साल का था और वो 18 की थी।
वो हमारे साथ हमारे घर में रहती थी।
मैंने तब तक कभी उसके बारे में गलत नहीं सोचा था..
लेकिन एक दिन ऐसी घटना हुई कि मैं उसे पाने के लिए बैचैन हो गया।
दरअसल एक दिन दोपहर को मैं उसके कमरे में गया.. उस वक्त चाची कहीं गई थीं और वो अकेली बेसुध बिस्तर पर सो रही थी।
वो उलटी होकर सो रही थी और उसकी स्कर्ट ऊपर जाँघों तक उठी थी।
उसकी जाँघें देखकर मैं उसे देखता ही रह गया।
चूतड़ ऊपर को उठे हुए थे जोकि बहुत सेक्सी लग रहे थे।
उसकी जाँघें भरी हुई और सेक्सी थीं।
रश्मि की लम्बाई 5′ 4″ थी और उसकी टाँगें लम्बी और सुन्दर थीं।
वैसे रश्मि अत्यंत सुन्दर लड़कियों में गिनी जाती थी.. लेकिन वो इतनी सेक्सी भी थी, यह मुझे उस समय ही पता चला।
उसका यह रूप देखकर मैं बिलकुल पागल हो गया.. मेरी आँखें लाल हो गईं।
मैं धीरे से उसके पास गया और उसकी स्कर्ट को बहुत धीरे से और ऊपर सरका दी।
अब मैं उसके चूतड़ों को निहारने लगा।
चुस्त काली पैन्टी में वो बहुत ही सेक्सी लग रहे थे।
मेरी वासना जाग गई और ये जानते हुए भी कि वो मेरी चचेरी बहन है और उसके लिए यूँ सोचना गलत है.. मैं अपने को रोक नहीं सका और उसके पास जाकर लेट गया।
मैंने उसे खुद से चिपटा लिया और उसके टॉप में पीछे से हाथ डालकर पीठ सहलाने लगा।
वो उठ गई और कहने लगी- भैय्या.. यह क्या कर रहे हो.. हाथ हटाओ।
लेकिन मैं उसकी पीठ पर हाथ फिराता रहा और उसकी ब्रा का हुक खोल दिया।
वो विरोध कर रही थी.. लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और अपना हाथ उसकी चूचियों पर फ़िराने लगा।
वो बोली- भैय्या मत करो.. मैं मम्मी से बता दूंगी।
लेकिन मैं उसकी चूचियाँ दबाता रहा और थोड़ी देर बाद वो चुपचाप लेट गई।
अब मैंने उसका टॉप उठाकर चूचियां चूसनी शुरू कर दीं।
उसकी चूचियों का साइज़ अभी बहुत छोटा था.. वो संतरे से छोटी और नीबू से बड़ी थीं।
जब मैं उसकी चूचियाँ चूस रहा था.. तो वो सिसकियाँ ले रही थी.. बोल रही थी- भैय्या.. मत करो यार.. तुम मेरे भाई हो.. प्लीज़.. छोड़ दो…
मैंने कहा- बस 5 मिनट आराम से करा ले.. फिर कुछ नहीं करूँगा..
उसे मेरी बात समझ में आ गई शायद और वो चुपचाप लेट गई।
मैंने उसका टॉप और ब्रा उतार दी और आराम से चूसने लगा।
वो शर्म से लाल हुई जा रही थी जिससे और सेक्सी लग रही थी।
थोड़ी देर बाद उसकी साँसें तेज चलने लगीं और वो मेरे बाल पकड़ कर खींचने लगी.. लेकिन मैं चूसता रहा।
मुझे लगा जैसे उसे मज़ा आ रहा है।
मैंने चूचियाँ चूसते-चूसते अपना हाथ उसकी जाँघों पर फेर दिया।
उसने थोड़ी देर विरोध किया और फिर अपने को ढीला छोड़ दिया।
अब मैं हाथ पैन्टी में ले गया और उसकी कोरी चूत सहलाने लगा।
कुछ ही देर में वो बिलकुल गीली हो गई.. तब मैंने उसकी पैन्टी निकाल दी और फिर स्कर्ट भी निकाल दी।
अब वो बिल्कुल नंगी थी और आँखें बंद करके शर्म से चुपचाप लेटी थी।
मुझे ध्यान आया कि दरवाजा खुला है, मैंने उठकर दरवाजा बंद किया और उसके पास आकर अपने सारे कपड़े भी निकाल दिए।
मैंने उसे चिपटाकर चुम्बन करना शुरू किया।
मैं उसके होंठ चूस रहा था और वो बिना हिले-डुले लेटी थी।
फिर मैंने उसके गले में जीभ फिरानी शुरू की तो उसकी साँसें तेज हो गईं।
मैं समझ गया कि वो गरम हो रही है।
फिर मैंने उसके कान को चूसना शुरू किया तो वो मुँह से ‘आह’ निकालने लगी।
फिर मैं धीरे-धीरे चूसता हुआ नीचे की तरफ आया और उसके पैर खोलकर चूत चाटनी शुरू क़ी।
कान मैं चुम्बन करने से उसकी चूत में बहुत पानी आ चुका था और एक अलग सी गंध आ रही थी.. जो मुझे और पागल बना रही थी।
उसकी झांटें करीब 3″ क़ी थीं… लगता था.. जैसे आज तक उसने बाल नहीं काटे हैं।
फिर मैंने उसकी टाँगें अपने कंधे पर रख लीं.. जिससे चूत और खुल गई और मैं और ज्यादा चाटने लगा।
फिर मैं धीरे-धीरे उसे चाटता हुआ उसके ऊपर आया और उसकी टांगों को खोल लिया।
अब मैं फिर से उसके कान खाने लगा और वो फिर से बहुत पागल होने लगी।
अब मैंने मौका देखकर लंड उसके छेद पर लगाया.. तो वो चिल्लाने लगी- भैय्या… बहुत दर्द हो रहा है.. हट जाओ..
वो मुझे धक्का देने लगी.. लेकिन मैं अपना लौड़ा धीरे-धीरे अन्दर डालने लगा।
बहुत टाइट चूत थी.. बहुत मुश्किल से अन्दर जा रहा था.. जब लगभग आधा इंच चला गया.. तब मैंने एक जोर से धक्का मारा तो लंड आधा अन्दर चला गया।
लेकिन रश्मि दर्द के मारे रो रही थी। मैंने उसके कान फिर से खाने शुरू किए और धीरे-धीरे पूरा लंड अन्दर डाल दिया।
कुछ ही देर में वो कम चिल्ला रही थी।
फिर मैंने सिर्फ 20-25 धक्के लगाए और जोश क़ी वजह से मैं जल्दी झड़ गया।
मैंने पूरा वीर्य उसकी चूत में ही उड़ेल दिया।
अब मुझे अपनी गलती का एहसास हो रहा था कि मुझे उसके अन्दर नहीं झड़ना चाहिए था, वो गर्भवती हो सकती थी।
उसकी चूत से खून निकला था और चादर पर कई जगह खून के दाग थे और वो रो रही थी।
मैं घबरा गया और मैंने उसे चुप कराने क़ी कोशिश क़ी और बोला- मैं उसे बहुत प्यार करता हूँ।
थोड़ी देर समझाने के बाद उसने मेरे प्यार से सहमति दिखाई और मुझसे लिपट गई।
उसके बाद कई साल तक यह चलता रहा और फिर उसकी शादी हो गई और फिर उसने कभी मेरी बात नहीं मानी।
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