बस में मस्ती
दोस्तो, मेरा नाम मीत है, मैं मुंबई में रहता हूँ। अब तक मैंने बहुत महिलाओं को चोदा है खासकर 30 साल से 60 साल की महिलायें मुझे बहुत पसंद हैं चोदने में, क्योंकि वो मजा भी पूरा देती है और कोई शर्म भी नहीं और चोदने में झिझक भी नहीं!
लेकिन एक घटना आपके साथ शेयर करना चाहता हूँ।
यह बात 2 साल पहले की है जब मैं अपने ऑफिस टूर पर था और नागपुर से मुंबई आना था।
मैंने प्राइवेट बस की टिकट बुक करवाई, बस स्लीपर एंड सीटर दोनों थी। मैंने बैठने के लिए सीट बुक करवाई और टाइम पर बस पकड़ने पहुँच गया। मेरी विंडो सीट थी। मैंने अपना सामान रखा और बैठ गया।
मेरे साथ वाली सीट पर कोई नहीं था। दिसम्बर का महीना चल रहा था तो थोड़ी ठण्ड थी। बस में सीटें सब फुल थी और स्लीपर भी लगभग भरी हुई थी।
बस चल पड़ी, दो स्टॉप के बाद तीसरे स्टॉप से एक महिला चढ़ी और मेरे बाजू वाली सीट पर बैठ गई। मैंने उसको सामान रखवाने में मदद की। उसने बताया कि वो भी मुंबई जा रही है।
बस चल पड़ी और उसके बाद मैंने उसे कोई बात नहीं की। देखने में वो कद में 5’4 होगी, थोड़ी मोटी, बिल्कुल गोरी और उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी। उसके चूचे बड़े बड़े थे जिनको देखकर ही मेरा लण्ड सख्त होने लगा था और उसके चूतड़ भी कमाल के थे, उसका ब्लाऊज का गला बहुत गहरा था जिसमें से आधे स्तन तो वैसे ही दिख रहे थे।
वो चुपचाप बैठ गई। बस के ज्यादा हिलने से वो थोड़ा-थोड़ा मुझसे छू रही थी लेकिन उसके देखने से लग नहीं रहा था कि वो मुझसे कुछ देख रही है।
थोड़ी देर बाद बस रुकी और मैंने खाना खाया वो सिर्फ थोड़ी देर के लिए नीचे उतरी और चढ़ गई। बस चलने के बाद सारी बत्तियाँ बंद हो गई, बस अब तेज रफ्तार से जा रही थी और मेरे कूल्हे उसके कूल्हों को धीरे धीरे छूने लगे और धीरे धीरे जांघें भी छूने लगी।
वो ऐसे लगी कि नींद में हो।
उसके बाद मैंने धीरे धीरे पउसके ऊपर दवाब देना चालू किया। दस पन्द्रह मिनट बाद मैंने महसूस किया कि उसने दबाव कम करना बंद किया लेकिन दबाव बढ़ाया भी नहीं। मुझे ठण्ड लगने लगी तो मैंने शॉल ओढ़ ली। फिर लगभग एक घंटे बाद उसने भी शॉल ओढ़ ली। अब मैंने अपना एक हाथ अपनी जांघ पर रखा और धीरे धीरे उसकी जांघ से थोड़ा स्पर्श किया। उसने कुछ नहीं कहा, मैंने सोचा कि वो सो रही है।
थोड़े देर बाद मैंने देखा की उसने थोड़ा करवट ली मेरे विपरीत तो उसके चूतड़ मेरे चूतड़ों से लग गए और उसकी साड़ी और ब्लाऊज के बीच का हिस्सा साफ़ देख रहा था। मैं अपनी बाजु की कोहनी उसके पास ले गया और छूने लगा तो थोड़ी देर बाद मेरी पूरी कोहनी उसके पेट से रगड़ने लगी। मैंने फ़िर दबाव बढ़ाया। जब उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने थोड़ा और भार बढ़ाया।
फिर वो सीधी होकर बैठ गई लेकिन ऐसे लगी कि सो रही हो। फिर मैंने अपनी शॉल के अंदर से अपना हाथ ले जाकर धीरे से उसके पेट पर रख दिया और कुछ देर बाद पेट सहलाने लगा। उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने सोचा सो रही है।
फिर 15 मिनट पेट पर हाथ फेरने के बाद मैं हाथ उसकी चूचियों पर ले गया और सहलाने लगा लेकिन चूचियाँ दबाई नहीं।
मन तो बहुत कर रहा था लेकिन डर लग रहा था कि वो उठ गई तो। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
काफी देर तक हाथ सहलाने के बाद मैंने महसूस किया कि वो अपनी छाती फुला रही है। मैं समझ गया कि उसको मजा आ रहा है। फिर मैं धीरे धीरे उसके उभार दबाने लगा। वो कुछ नहीं बोली तो मैं अच्छी तरह उसके चुच्चे मसलने लगा। अब मैं समझ गया कि वह सोई हुई नहीं है।
मैं शॉल ओढ़ कर उसकी गर्दन पर चूमने लगा। जब कोई विरोध नहीं हुआ तो मैंने अंदर से उसके ब्लाऊज के हक खोल दिये और उसके स्तन को चूसने लगा।
वो तो पागल होती जा रही थी।
अब मुझसे लण्ड को कण्ट्रोल करना मुश्किल हो रहा था।
फिर मैंने देखा की हमारी सामने वाली सीट के ऊपर वाली बर्थ खाली है, मैंने उसे उंगली से इशारा किया- वहाँ।
वो कुछ नहीं बोली। फिर थोड़ी देर बाद वो ऊपर चली गई।
थोड़ी देर बाद मैं भी ऊपर चला गया और फिर हम एक दूसरे पर टूट पड़े। वो तो मुझे जन्म-जन्म की प्यासी लग रही थी। मैंने उसके चूचों को निकाला और पागलों की तरह चूसने लगा। और वो अपनी आवाज़ कण्ट्रोल करते हुय हह्म आआ आस्स ईईई सिसकारियाँ भर रही थी। फिर उसने मेरी पैंट में हाथ डालकर मेरा लण्ड निकाला और मुँह में भरकर चूसने लगी। ऐसे चूस रही थी जैसे जिंदगी में पहली बार लण्ड मिला हो।
उसने ऐसे चूसा कि मेरा 5 मिनट में उसके मुँह ही निकल गया और वो सारा माल पी गई। फिर मैंने उसकी साड़ी सरकाई और उसकी बुर चूसने लगा। बड़ी मस्त चूत थी। वो थोड़ी देर बाद झड़ गई और मैं उसका सारा रस चाट गया।बाद में उसने बताया कि उसका पति दुबई में काम करता है शादी को 6 साल हुए हैं और वो दो साल में एक बार ही आता है और चोदता भी अच्छी तरह से नहीं है। अभी तक वो माँ भी नहीं बनी थी। उसने अपना नंबर दिया और बाद में घर आने को कहा। उसके घर जाकर मैंने उसको चार बार चोदा।
तो यह थी मेरी सत्य कथा।
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