दोस्ती का उपहार-1
दोस्तो, मेरा आप सभी को लण्ड हाथ में लेकर प्यार भरा नमस्कार।
मैं पहले ही बता चुका हूँ कि मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मै अपने बारे में फिर से बताना चाहूँगा क्योंकि मैं जानता हूँ कि हर रोज अन्तर्वासना के पाठक बढ़ रहे हैं और हो सकता है आज फिर कोई नया पाठक मेरी कहानी को पढ़ रहा हो। मैं 22 साल का एक सावले रंग का लेकिन समार्ट दिखने वाला लड़का हूँ। मैं मूल रूप से कानपुर का रहने वाला हूँ लेकिन फिलहाल नोएडा में अकेला रह रहा हूँ। मेरे लण्ड की लम्बाई 7 इंच तथा मोटाई 3 इंच है। मेरा शरीर गठीला है क्योंकि कॉलेज के शुरूआती दिनों से ही मुझे कसरत का शौक रहा है।
दोस्तो मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ कि मेरे मम्मी और डैडी का ट्रांसफर कानपुर से नोएडा हो गया था और मैं तबसे यहीं रह रहा हूँ। शायद ऊपर वाला मुझसे कुछ ज्यादा ही प्यार करता है या फिर मेरे भोलेपन का नाजायज फायदा उठाना चाहता है इसलिये बार-बार मेरे पास नई-नई कुंवारी लड़कियों को ही भेजता रहता है। ताकि मैं उन्हें चोदने के लिये परेशान होता रहूँ।
इस बार मुझे दूसरी कुंवारी चूत पूरे दो साल के बाद मिली। यहाँ आकर मेरा एडमिशन लड़कों के स्कूल में करा दिया गया जिससे स्कूल में किसी लड़की के पटने की संभावना ही खत्म हो गई और मेरे शर्मीलेपन की वजह से मैं और कोई लड़की पटाने में नाकामयाब रहा। हालांकि मैं एक बाद चुदाई कर चुका था लेकिन लड़कियों से बात करने में अभी भी शर्माता था, उन्हें पटाना तो बहुत दूर की बात थी। इसलिये फिलहाल मुठ मार कर ही गुजारा कर रहा था।
उस वक्त मैं इण्टर की परीक्षा दे चुका था और गर्मियों की छुट्टियों में कोई वोकेशनल जॉब की तलाश में था। तभी मुझे एक एन जी ओ ने अपने यहाँ ग्रामीण क्षेत्र में एरिया-सुपरवाईजर की पोस्ट पर रख लिया। क्योंकि मैंने कुछ खास पैसे की मांग नहीं की थी और सिर्फ मूड बदलने के लिये नौकरी करना चाह रहा था इसलिये मुझे आसानी से रख लिया गया। वह एन जी ओ ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों और महिलाओं को पढ़ाई के प्रति जागरूक करने के लिये अभियान चलाती थी। चूंकि वह एन जी ओ नई भर्ती कर रही थी इसलिये मुझे गाँवों में लड़कियों और महिलाओं को पढ़ाई के प्रति जागरूक करने के लिये लड़कों और लड़कियों की भर्ती करने का भी काम सौंप दिया गया। मुझे अपने नीचे 20 व्यक्ति रखने की इजाजत दी गई तथा उनकी पेमेन्ट भी मेरे द्वारा ही की जाती थी। यही मेरी जिन्दगी का सबसे खास मौका था जिसने मेरी पूरी जिन्दगी ही बदल दी और लड़कियों को पटाने और चोदने में महारत हासिल कराई।
नौकरी के पहले चरण में मुझे तीन गाँव दिये गये जिनमें मुझे लड़कियों और महिलाओं को पढ़ाई के जागरूक करना था। क्योंकि गाँव के लोग बाहर के लोगों पर जल्दी से भरोसा नहीं करते और फिर यह बात तो उनके घर की महिलाओं की थी। इसलिये वे और भी ज्यादा सावधानी बरत रहे थे। इसके लिये मैंने उन्हीं गाँव के लोगों को अपने नीचे भर्ती करने की सोची। इससे मेरा काम काफी आसान हो गया क्योंकि मुझे उन्हें बुलाना नहीं पड़ता था क्योंकि वो गाँव में ही रहते थे और गाँव के होने के कारण गाँव वाले उन पर भरोसा भी करते थे।
इस काम के लिये मैंने सबसे पहले गाँव के प्रधान को अपने कब्जे में लेना उचित समझा। इसलिये मैं नियमित सुबह-शाम गाँवों में प्रधान जी के पास जाकर बैठने लगा। जब उन्हें पता चला कि गाँव में महिलाओं की पढ़ाई के लिये अभियान चलाना चाहता हूँ तो उन्होंने मुझे सहयोग करने का पूरा आश्वासन दिया। वो मुझसे इस बात से भी प्रभावित हुए कि मैं अच्छे परिवार से सम्बन्ध रखता हूँ और इतनी कम उम्र में भी इतनी बड़ी जिम्मेदारी निभाने के कोशिश कर रहा था।
मैंने उन्हे बताया कि मुझे अपने नीचे हर गाँव से 5-5 व्यक्ति(लड़की या औरत) रखनी पड़ेगी। जिन्हें मेरी ओर से हर महीने 1000 रूपए का भुगतान भी किया जायेगा। दोस्तो, आपको यह रकम बहुत कम लग रही होगी लेकिन यदि आप गाँवों में जाकर देखोगे तो आपको पता चलेगा कि गाँवों में बहुत सी गरीब लड़कियाँ और औरतें 30 रूपए रोज पर भी दूसरों के खेतो में काम करने जाती हैं। जबकि यह काम तो उनके लिये गाँवों में रहकर और बिना किसी टाईमटेबल के पैसे कमाने का मौका था। चूंकि यह काम इज्जत वाला और शिक्षा से सम्बन्धित था इसलिये गाँव के सभ्य लोग भी यह काम करना चाहते थे। उनके घरवालों को इस काम में कोई बुराई भी नजर नहीं आती थी क्योंकि उनकी लड़कियाँ और औरतें गाँव से बाहर नहीं जा रही थी।
शुरूआती दौर में मैंने कम लड़कियों को अपने साथ काम पर रखना ही बेहतर समझा क्योंकि गाँव का माहौल था और छोटी सी गलती भी बहुत खतरनाक साबित हो सकती थी। इसलिये मैंने हर तीन औरतों के साथ एक लड़की को ही रखा। हर गाँव में मैं एक आदमी को भी रखता था जिससे मुझे किसी को गाँव से बाहर भेजना पड़े तो किसी लड़की या औरत को ना भेजना पड़े। मेरे इस काम से गाँव के प्रधान बहुत खुश हुए और मुझ पर काफी भरोसा करने लगे थे और मुझे अपने यहाँ शादी-ब्याह के कार्यक्रमों में बुलाने भी लगे थें। वहाँ मेरा बहुत सम्मान किया जाता जिससे गाँवों मे मेरी काफी इज्जत होने लगी थी। कुछ मेरी काम करने की शैली भी काफी अच्छी थी, मैं गाँव की औरतों के साथ ही बैठ जाता, वहीं उनके साथ बातें करता और पढ़ाई के लिये जागरूक भी करता। और ज्यादातर दोपहर का खाना भी उनके साथ उनके घर के बने दही और छाछ के साथ करता। इससे उन लोगों को मैं बिल्कुल भी गाँव के बाहर का रहने वाला न लगता।
अब मेरी नजरों में धीरे-धीरे कुछ गाँवों की सुन्दर लड़कियाँ चढ़ने लगी थी और मैं उन्हें चोदने की योजना बनाने लगा। इसके लिये मैंने अपनी महिला कार्यकर्ताओं से ही उन्हें अपने साथ लगाने को कहा। इससे किसी को मुझ पर शक नहीं हुआ।
मुझे काम करते हुए 5-6 महीने बीत चुके थे। मैं गाँव के कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने के लिये गाँव के ही पंचायत घरों पर ले जाता था। जिन गाँवों में पंचायत घर की व्यवस्था नहीं होती थी उन गाँवों के कार्यकर्ताओ की ट्रेनिंग बाहर किसी बारात घर वगैरह में कराता था। इसलिये मुझे कई बार कुछ लड़कियों और औरतो को अपनी मोटर साईकिल पर बिठाकर ले जाना भी पड़ता था। इससे भी गाँव वाले मेरे साथ किसी लड़की को देखकर शक नहीं करते थे।
मेरी टीम में एक नीतू नाम की नई लड़की अपनी माँ की जगह काम करने आई। हालांकि मैंने पहले उसे ही अपनी टीम में लेने की कोशिश की थी लेकिन उसकी माँ ने उसे काम करने से मना कर दिया। लेकिन मैंने हिम्मत न हारते हुये उसकी माँ को ही अपनी टीम लगा लिया। इस उम्मीद में कभी न कभी तो उसे अपने साथ लेकर आयेगी ही और इसी बहाने से मुझे उसके घर जाने का मौका मिलने लगा था।
मैंने उससे पूछा- तुम्हारी माता जी कहाँ हैं?
तो उसने कहा- उनकी तबीयत सही नहीं है इसलिये उन्होंने मुझे काम करने के लिये भेजा है।
मैंने उसे कुछ जरूरी बातें समझाई और दो औरतों के साथ उसे गाँव में भेज दिया और ठीक तीन घंटे बाद दोपहर के समय पंचायत घर पर आने के लिये कहा। दोपहर के समय पंचायत घर पर कोई नहीं होता था और गाँव के सभी लोग खेतो से लौटकर खाना वगैरह खाने के बाद सोने लगते थे। क्योंकि 2 बजे से 4 बजे तक गाँवों में सभी किसान आराम करते हैं। उस वक्त धूप तेज होती है और भूख भी बड़े जोर की लगी होती है।
मैंने सबको खाना खाकर आने के लिये कह दिया। क्योंकि आज उसका पहला दिन था इसलिये उसे कुछ जरूरी बातें समझाने के लिये वहीं रोक लिया। मैं ऐसा हमेशा करता था और अपने नये कार्यकर्ता पर बहुत ध्यान देता था इसलिये सबने इसे सामान्य ही समझा। अब दो घंटे तक वो और मैं गाँव की पंचायत पर अकेले थे। लेकिन गाँव में यह सब करना बहुत खतरनाक होता है इसलिये हम लोग बैठक पर ही बैठे रहे और कोई भी ऐसी-वैसी हरकत करने की कोशिश नहीं की। वैसे भी यह उसकी और मेरी पहली मुलाकात थी। हालांकि हम लोग घर पर कई बार एक दूसरे से मिल चुके थे लेकिन बात-चीत उस दिन ही हुई थी।
मैंने धीरे-धीरे उसे घुलना-मिलना शुरू किया, जैसे वो कौन सी कक्षा में पढ़ती है, उसकी कौन सहेली है उसे क्या पसन्द है वगैरह-वगैरह।
शुरू में तो वो काफी शरमाई लेकिन फिर धीर-धीरे वो सामान्य हो गई और मुझसे हंसी मजाक भी करने लगी।
दोस्तो, आपको बता दूँ कि 6 महीने नये-नये लोगों से बातचीत करने के कारण और उन्हें समझाने के कारण मेरी झिझक अब पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी और मुझे किसी से बात करने में कोई परेशानी महसूस नहीं होती थी। मैं अपनी खास स्टाईल से लोगो से जल्दी ही घुल-मिल जाता। मैं आपको पहले भी बता चुका हूँ मुझमें कुछ खास बात है जिससे अगर कोई एक बार मुझसे मिल ले या बात कर ले तो फिर मुझसे दूर नहीं हो पाता है।
अब मैं जल्दी ही उसे पटाने के तरीके ढूंढने लगा। लेकिन शायद मेरी किस्मत बहुत तेज थी। वो मुझे पसन्द करने लगी थी और नये-नये तरीके से मेरी साथ कोई न कोई शरारत करती रहती थी। कभी मेरी बाईक की चाबी छुपा देती तो कभी मेरी फाईल छुपा कर रख देती।
एक दिन मैंने देखा कि सुबह से ही मौसम कुछ खराब सा हो रहा था। मुझे अन्दाजा हो गया कि जल्द ही बारिश होने वाली है। इसलिये मैं जल्दी से अपना सारा काम निपटा कर उसके पास पहुँचने के कोशिश करने लगा। लगभग 1 घंटे के बाद ही मैं अपना सारा जरूरी काम निपटा कर उसके पास पहुँच गया। क्योंकि मैं अब उसे चोदने के चक्कर में था इसलिये मैनें उसके साथ अपने भरोसे के दो लड़के लगाये हुये थे जिससे उसे कम से कम मेहनत करनी पड़े और काम भी हो जाए। और यदि मौका मिले तो मैं उसे कहीं चोदने भी ले जा सकूं। क्योंकि अगर कोई लड़की या औरत साथ होती तो वो उसे छोड़कर नहीं जाती।
जल्दी ही मेरी उम्मीद के अनुसार मौसम खराब हो गया और तेज बारिश शुरू हो गई। बारिश से बचने के लिये हम गाँव के एक खाली पड़े घेर में घुस गये।
इतने में दोनों लड़के कहने लगे- सर जी भूख लग रही है।
तो मैंने उनसे पूछा- क्या खाओगे?
सबने एक साथ सहमति में कहा- समोसे।
दोस्तो, बारिश में समोसे खाने का मजा ही कुछ और है और जब भी मौका मिलता मैं अपनी टीम के लोगों को कुछ न कुछ खिलाता रहता।
मैंने उनसे कहा- बारिश हो रही है, लेने कौन जायेगा?
तो दोनों लड़के कहने लगे- सर, आप टेंशन मत लो ! हम ले आयेंगे और थोड़ी देर बारिश में नहा भी लेंगे।
मैं मन ही मन खुश होने लगा कि मैं तो इन्हें ही कहीं भेजने की फिराक में था और ये खुद ही कहने लगे।
मैंने मौका न गंवाते हुये उन्हें पचास रूपये देकर समोसे लेने भेज दिया और कहा- देखो, आराम से आना। कहीं जल्दी के चक्कर में समोसे मत खराब कर देना।
ठीक है ! कह कर दोनों चल दिये।
समोसे की दुकान गाँव से बाहर बाजार की ओर थी और उन्हे वहाँ से समोसे लेकर आने तक कम से कम डेढ़ घंटा लगना था। मैं खुश हो गया और मन ही मन कहने लगा कि आज तो इसे चोद कर ही रहूँगा।
उनके जाते ही मैंने उससे प्यारी-प्यारी बात करनी शुरू कर दी। पर पता नहीं क्यों आज वो मुझसे ठीक से बात नहीं कर रही थी शायद उसे भी मेरी नीयत पर शक हो गया था। मेरे काफी कोशिश करने के बाद भी जब मैं कोई काम की बात नहीं कर पाया तो मेरा मूड खराब हो गया और मैं अपनी फाईल पलटने लगा। तभी मुझे अपनी फाईल के पीछे आई लव यू लिखा हुआ दिखाई दिया। मैं समझ गया कि ये उसने अभी ही लिखा है। लेकिन दोस्तो, आपको बता दूँ कि गाँव की लड़कियों के मजाक को अगर आपने सीरियस समझ लिया तो हो सकता है कि आप अगले दिन खाट से उठने के लायक न रहें। इसलिये दोस्तो, जब तक लड़की आप को पूरा सिगनल न दे दे, उसे चोदने की या जबरदस्ती करने की कभी कोशिश न करें। इसलिये मैं अब उसके मुँह से ही आई लव यू कहलवाने के चक्कर में लग गया क्योंकि आज तक हमारे बीच में हंसी-मजाक तो चलता था लेकिन कभी इससे आगे बात नहीं बढ़ी इसलिये उससे इस सबकी उम्मीद भी कम ही थी। गाँव की लड़की अगर एक बार अपने मुँह से आपको आई लव यू कह दे तो समझ लीजिये अब आपको कुछ कहने की जरूरत नहीं है और वो आपको किसी चीज के लिये मना नहीं करेगी।
अब मैं उससे बात करने की कोशिश करने लगा कि किसी तरह उसके मुँह से आई लव यू कहलवा दूँ। लेकिन वो अपने मुँह से आई लव यू कहने को तैयार ही नहीं हुई।
मैंने उससे पूछा- बताओ, तुमने यह क्यों लिखा?
तो उसने कहा- बस मैंने ऐसे ही लिख दिया।
मैंने फिर से कोशिश की- अच्छा बताओ कि ये तुमने किसके लिये लिखा है।
तो उसने कहा- मेरे एक भैया है जो मेरे घर के सामने रहते हैं, यह मैंने उनके लिये लिखा है।
मेरे तो जैसे किसी ने सारे अरमानों को ही कुचल दिया। उसके बाद मैंने उससे कोई बात नहीं की। थोड़ी देर बाद दोनों लड़के समोसे लेकर आ गये।हम लोगों ने समोसे खाये और बारिश बन्द होती देख गाँव की चौपाल की तरफ चल दिये। लेकिन बारिश होने के कारण चारों तरफ पानी भर गया था और गाँव के कच्चे रास्तों पर इस हालत में मोटरसाइकिल चलाना खतरनाक था। इसलिये मैंने मोटरसाइकिल गाँव में एक घर के बाहर खड़ी कर दी और पैदल ही उनके साथ चलने लगा।
हम चार लोग थे और साईकिल केवल एक थी इसलिये दोनों लड़के कहने लगे कि सर आप हमें अपना सामान दे दीजिये हम सामान चौपाल पर रखते हुये साईकिल से घर चले जायेगें। नहीं तो पैदल चलते-चलते बहुत समय लगेगा।
मैंने कहा- ठीक है, तुम दोनों चले जाओ। मैं पैदल नीतू को साथ लेकर आ रहा हूँ।
रास्ते में एक जगह गढढे में पानी भरा हुआ था, मैं तो एक छलांग मार कर पार निकल गया लेकिन नीतू उस पार ही रह गई और कहने लगी- सर, मैं कैसी आँऊगी?
मैंने कहा- जैसे मैं आया हूँ वैसे ही तू भी कूद कर आ जा।
नहीं सर, मैं पानी में गिर जाँऊगी।
मैंने कहा- मैं इस तरफ खड़ा हूँ कूद कर आ जा।
जैसे ही उसने छलांग लगाई उसका पैर पानी के किनारे पर पड़ा और उसने गिरने से बचने के लिये एकदम मुझे अपनी बांहो में ले लिया। पहले तो मैंने इसे सामान्य बात समझा लेकिन फिर मुझे लगा कि शायद यह उसने जानबूझ कर कर किया है। लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा और धीरे-धीरे चलने लगा। उसके बाद वो मेरा हाथ पकड़कर चलने लगी। क्योंकि हम एक पगडंडी पर चल रहे थे और दोनों और घने खेत थे इसलिये हमें कोई देख नहीं सकता था। लेकिन तभी मैंने कुछ सोच कर अपना हाथ उससे छुड़ा लिया।
तो वो कहने लगी- सर, नाराज हो गये क्या?
नहीं ! मैं भला क्यों नाराज होने लगा।
तो फिर बात कीजिये ना सर – उसने कहा।
मैं समझ गया कि अब वो क्या चाहती है, मैंने देर ना करते हुये फौरन उससे कहा- नीतू, मैं तुम्हे बहुत पसन्द करता हूँ और तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। तुम्हारा क्या जबाब है?
तो उसने कहा- सर, मुझे सोचने का समय दीजिये।
मैंने कहा- हाँ, यह बहुत बडी बात है और इसका जबाब तो सोच-समझ कर ही देना चाहिये मैं तुम्हें पूरे एक सैकिण्ड का समय देता हूँ अच्छी तरह सोच कर बता दो।
मेरी इस बात पर वो हँसने लगी और हाँ कह दिया।
मैंने उससे पूछा- तुमने पहले घर के सामने वाले भैया का नाम क्यों लिया।
उसने कहा- मेरे घर के सामने कोई भैया नहीं रहते है वो तो मैंने ऐसे ही झूठ बोला था।
अब मैंने काम की बात करने की सोची। लेकिन दोस्तो आपको बता दूँ जब आप किसी लड़की को प्रपोज करें और वो आपको हाँ कह दें उससे फौरन ही चुदाई की बात न करें। उसे धीरे-धीरे उकसाये ताकि वो अपनी मर्जी से खुद ही अपने आपको सौंप दे।
मैंने उससे कहा- आज हमारी दोस्ती का पहला दिन है क्या तुम आज मुझे कोई गिफ्ट नहीं दोगी।
तो उसने नादानी में कहा- सर, मैं आपको क्या दूँ मेरे पास तो आज कुछ भी नहीं है।
मैंने मतलब भरी नजरों से उसकी ओर देखकर कहा कि मुझे जो चाहिये वो तुम्हारे पास इस समय भी है।
मेरी बातों का मतलब समझ कर उसने शरारत भरी नजरों से मेरी ओर देखकर मेरी पीठ पर हल्के से हाथ मारा।
मैंने कहा- क्या हुआ? हाँ या ना में जबाब दो।
तो उसने कहा- क्या चाहिये।
मैंने कहा- ज्यादा कुछ नहीं, बस एक चुम्मा दे दो।
दोस्तो आप सोच रहे होंगे कि मैं कितना बेवकूफ हूँ लड़की मेरे सामने है और मैं सिर्फ एक चुम्मा मांग रहा हूँ। लेकिन एक बात आप भी जान लीजिये कि अगर एक बार लड़की ने आपको हाथ लगाने की इजाजत दे दी तो वो आपको चाहते हुए भी किसी चीज के लिये मना नहीं कर सकती। इसलिये मैं पहले उससे चुम्मा ही मांगता हूँ और फिर उसके बाद उसे चूमते हुए इतना गर्म कर देता हूँ कि वो खुद ही आगे बढ़ जाती है। जब किसी लड़की की सील तोड़नी हो तो जल्दबाजी नहीं करनी चाहिये। क्योंकि लड़की चाहे कितनी भी नादान क्यों ना हो अपनी बड़ी सहेलियों या जो पहले चुदवा चुकी होती हैं, उनसे पता चल ही जाता है कि जब कुंवारी चूत की सील टूटती है तो बहुत दर्द होता है और खून भी निकलता है। इसी डर की वजह से लड़कियाँ चाहते हुये भी चुदवाने से घबराती हैं। लेकिन जब उन्हें कोई लड़का बहुत गर्म कर देता है और उनकी चूत में आग लगने लगती है तो वह किसी चीज की परवाह नहीं करती है और बस यही चाहती है कि कोई मोटा लण्ड उनकी चूत को फाड़ कर रख दें। चाहे इसमें कितना भी दर्द क्यों न हो।
थोड़ा शरमाते हुये उसने चुम्बन के लिये हाँ कह दी। लेकिन तब तक हम घने खेतों से निकल कर गाँव के सामने आ चुके थे। इसलिये उसने कहा- यहाँ पर तो लोग हमें देख लेंगे।
मैंने कहा- घबराओ मत, मैं तुम्हारी चुम्मी यहाँ पर नहीं लूँगा।
मैं भी किसी एकान्त जगह की तलाश में था, चुम्बन का तो बहाना था मुझे भी तो उसकी चूत ही मारनी थी। इसलिये मैंने उससे कहा- तुम ही बताओ कहा दोगी?
उसने कहा- कल दोपहर में जब सब अपने घर खाना खाने के लिये जायेगे उस वक्त।
उस रात मुझे नींद नहीं आई क्योंकि अगले दिन एक नई कुंवारी चूत चुदने के लिये मेरा इन्तजार कर रही थी। अब मैं दोपहर का इन्तजार करने लगा।
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दोस्ती का उपहार-2
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