कोचिंग क्लास से मिली गर्लफ्रेंड की ख्वाहिश
मेल और फीमेल दोनो प्रजातियों को मिस्टर इलाहाबादी का नमस्कार!
दोस्तो, मेरी एडल्ट स्टोरी इस उम्मीद से पेश कर रहा हूँ कि आपको पसंद आयेगी.
इलाहाबाद अपने कोचिंग संस्थानों के लिए प्रसिद्ध है। मैंने भी मेडिकल की तैयारी के लिए एक मशहूर क्लासेज में एडमिशन ले लिया।
मैं पढ़ने में अच्छा ही हूँ तो मैं हमेशा आगे ही बैठता था और सर कोई भी सवाल करते तो मैं झट से खड़ा हो के उसका उत्तर दे देता था।
मेरे आगे वाली सीट पर एक मस्त लड़की बैठती थीं जो स्कूटी से कोचिंग आती थी।
मैं जब भी जवाब देता तो वो बड़े गौर से मुझको देखती और मैंने इसे कई बार नोटिस भी किया।
एक दिन कोचिंग खत्म करके मैं पैदल ही अपने रूम की ओर जा रहा था कि एक स्कूटी मेरी बगल में आकर रूकी, चेहरा तो रूमाल से पूरा बँधा ही था तो मैं थोड़ा हकबका गया कि ‘ओ दैय्या ई लड़की हीया काहे स्कूटी रोक दीहीस?’
उसने मुझे लिफ्ट के लिए पूछा तो मैंने मना कर दिया।
मैं तहसील हंडिया के एक गाँव का था तो लड़कियों से मेरी थोड़ी फटती थी। जब गाँव में सब लड़के रात को खेतों में सुहागरात मनाते थे तो मैं रूम में बायो का चैप्टर ‘प्रजनन’ पढ़ के ही खुश रहता था तो मैं जमाने से थोड़ा पीछे चल रहा था।
मेरे मना करने पे उसने अपना रूमाल चेहरे से हटा कर बोला- अरे मैं हूँ।
मैंने उसको देखा तो मेरी और फट गयी, मैं आगे बढ़ने लगा, मैंने सोचा आस पास के लोग देखेंगे तो क्या सोचेंगे।
उसने पीछे से आवाज दी- ए पप्पू!
मैं चौंक कर रूक गया।
वो स्कूटी लेकर मेरे पास आई तो मैंने कहा- पप्पू कौन है?
तो उसने कहा- एक खूबसूरत लड़की तुझे लिफ्ट दे रही है और तू मना कर रहा है, तो तू पप्पू ही तो हुआ न? अच्छा चल स्कूटी पर बैठ, तुझसे कुछ काम है।
अब लड़की पूछ नहीं रही थी बल्कि आर्डर दे रही थी तो मैं बठ गया स्कूटी पे।
थोड़ी देर बाद वो सिविल लाइंस के एक मकान के सामने रूकी और स्कूटी का हार्न बजाया।
इतने में एक अधेड़ व्यक्ति गेट खोलने आया, उसने स्कूटी अदंर की और मुझे अपने कमरे में ले आई।
उसका घर न तो बहुत बड़ा ही था और न ही छोटा, दो मंजिला मकान था जो बहुत ही खूबसूरत था। श्रुति का रूम ऊपर था, वो मुझे सोफे पे बैठा कर नीचे चली गयी। थोड़ी देर बाद वो चाय बिस्कुट लेकर वापस आयी।
मैंने कहा- इसकी क्या जरूरत थी।
वो सिर्फ मुस्कुरा दी।
फिर मैंने उसके मम्मी पापा के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसके पापा बाँदा जिले में पुलिस अधिकारी है और कभी कभार ही इलाहाबाद आते हैं। इस घर में वो, उसकी मम्मी और उसका एक छोटा भाई ही रहते थे।
इसके बाद मैं आया असली मुद्दे पे… मैंने यहाँ लाने का कारन पूछा तो उसने कहा- मुझे तुमसे ट्यूशन लेनी है।
मैंने पूछा- किस चीज की?
तो उसने मुस्कुरा के कहा- सब चीज की!
फिर हम दोनो में तय हुआ कि 12 से 3 बजे तक मैं उसे पढाऊँगा, फिर आधा घंटे आराम करके 3:30 पे हम लोग कोचिंग के लिए निकल जाएंगे।
फिर नीचे उसकी मम्मी से मुलाकात हुईं, उन्हें नमस्ते बोल कर मैं अपने रूम वापस चला आया।
इस प्रकार साथ साथ पढ़ते हुए काफ़ी दिन हो गए और हम दोनों एक दूसरे से काफी घुल मिल गए। उसे मैं चाहता तो था किंतु डर के मारे कभी बताया नहीं। कहां वो शहर की गोरी और कहां मैं गाँव का छोरा।
एक दिन हम पढ़ने के बाद ऐसे ही उसके बेड पे लेटे थे, वो पीठ के बल थी और मैं उसकी तरफ करवट लेकर लेटा था। उसकी खूबसूरती को निहारने का मजा ही कुछ और था, बस दिल चाहता था कि उसे जिदंगी भर यू ही देखता रहूँ।
तभी अचानक उसने मेरी तरफ करवट लेकर कहा- आयुष, गाँव में किसी न किसी से तो तेरी सेटिंग होगी ही?
मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा- तुझे क्या लगता है?
वो थोड़ी देर के लिए सोच में डूब गयी और फिर बोली- तुम 5 फीट 8 इंच के हैंडसम बंदे हो तो कोई न कोई तो होगी ही।
मैंने मुस्कुरा के कहा- यार पढ़ाई से फुर्सत ही नहीं मिली चुल्लबाजी करने की!
“चुल्लबाजी? उसने मुस्कुरा के कहा।
बदले में मैं भी सिर्फ मुस्कुरा दिया।
तभी उसने मेरा मोबाइल लेकर एप लॉक खोलने को कहा।
मैं तो एकदम से चौंक गया।
मेरे मनोभावों को समझते हुए उसने कहा- गर्लफ्रेंड की पिक्स इसी में छुपा के रखे हो न?
मैंने मुस्कुरा के कहा- उसमें पिक्स नहीं बल्कि वीडियोज हैं।
समझ तो वो गयी ही थी फिर भी अनजान बनते हुए बोली- ओह! गर्लफ्रेंड की वीडियो है?
मैंने न में सिर हिलाया तो उसने मुँह बनाते हुए कहा- तो?
मैंने उसके कान के पास जाके बोला- बी एफ है।
उसने मुँह बनाते हुए कहा- छी! तुम सब लड़के एक जैसे हो।
मैंने कहा- गर्लफ्रेंड नहीं है तो इसी से काम चलाना पड़ता है यार!
उसने बात पलटते हुए कहा कि चलो कोचिंग का टाइम हो गया।
4 से 7 बजे तक कोचिंग में पढ़ने के बाद वो मुझे मेरे रूम पे ड्राप करके चली गयी।
आधे घंटे बाद उसका फोन आया और बोली- यार, मम्मी की फ्रेंड की तबीयत खराब हो गयी है, वो आज रात को हास्पिटल में ही रूकेंगी, तो तू तैयार रहना, मैं तुझे लेने आ रही हूँ, डिनर भी यहीं पे कर लेना।
कुछ देर बाद मैं उसके स्कूटी पे था। रात में किसी लड़की के साथ स्कूटी पे बैठने का मजा ही कुछ और होता है दोस्तो।
मैं बस उसके आगोश में ही खोया जा रहा था कि तभी स्कूटी रूकी, उसने मुझे 500 का नोट देते हुए कहा- जा एक अंग्रेज़ी लेते आ।
मैंने उसे घूरते हुए कहा- तू पीती है?
“क्यों, दारू केवल लौंडे ही पी सकते हैं क्या?” उसने जवाब दिया।
रात में हम लोगों ने डिनर किया। उसके बाद उसके भाई को सुला कर हम दोनो ऊपर रूम में आ गए।
फिर चालू हुआ दारू का दौर।
मैंने कहा- श्रुति, तूने कभी बताया नहीं कि तू पीती भी है?
“बताया तो बहुत कुछ नहीं है तुम्हें मैंने आयुष!”
मैं चौंक गया- क्या नहीं बताया?
मैंने पूछा।
“12वीं में मेरा एक ब्वायफ्रेंड था, जिसको मैं बहुत चाहती थी। बाद में मुझे पता चला कि मैं सिर्फ उसकी गर्लफ्रेंड ही थी उसका प्यार नहीं। उसके 2-3 लड़कियों से चक्कर थे। इसलिए मैंने उसको छोड़ दिया और तय किया कि अब केवल पढ़ाई पे ध्यान देना है।”
दारू का असर होने लगा था, वो सोफे पे अपना सर रख कर आँखें बंद किए हुए बैठी थीं। मैंने लास्ट पैग बनाया और श्रुति की बांहों को झकझोरते हुए बोला- श्रुति, ले इसको खत्म कर!
इसके बाद हम दोनों लड़खड़ाते हुए बेड पे आए।
अब मेरी बारी थी दिल में छिपी बात बताने की।
श्रुति पीठ के बल आँखें बंद किए हुए लेटी थी। मैं सीने के बल लेट गया और अपने बाएँ हाथ से उसक बालो को एक तरफ करते हुए तथा दाएँ हाथ से उसके चाँद से मुखड़े को पकड़ते हुए कहा- तुमने तो अपने दिल की बात कह दी लेकिन अब मेरी भी सुन लो। श्रुति, आई लव यू… मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ यार। जब तुम कोचिंग में पीछे मुड़ के मुझे देखती थी तो मेरा दिल कहता था कि तुम बस मुझको ऐसे ही देखा करो।
उसने धीरे से अपनी आँखें खोली और मुझे गौर से देखने लगी।
मैंने कहना जारी रखा- श्रुति तुम नहीं जानती कि तुम कितनी खूबसूरत हो, मैंने जब पहली बार तुम्हें क्लास में एन्ट्री करते देखा था, तभी मैंने तुम्हें अपना दिल दे दिया था।
“तो फिर पहले क्यों नहीं बोला?” श्रुति ने कहा।
“मैंने सोचा कि कहीं तुम नाराज न हो जाओ, इसलिए तुम्हें कभी बताया नहीं।”
“अच्छा! मेरी नाराजगी की इतनी फिक्र है?” श्रुति ने पूछा।
“जिसे मैं प्यार करता हूँ, उसे दुखी या नाराज कैसे कर सकता हूँ?” मैंने जवाब दिया।
उसने अपने गुलाबी होंठ मेरे होंठों पर रख दिए, मैं भी उसके होठों को चूमने लगा।
तभी उसने थोड़ी देर बाद हटते हुए कहा- छोटे बच्चों को चूमा जाता है और लड़कियों का होंठ चूसा जाता है और मैं बच्ची नहीं हूँ।
मैं चौंक गया और बोला- यार पहली बार है तो मुझे फ्रेंच किस करना नहीं आता।
फिर वो खुद ही अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़ते हुए किस करने लगी। हम दोनों की जीभ एक दूसरे से टकरा रही थी। अब मैं उसके ऊपर था, मेरी छाती उसके स्तन पर लैंड कर चुकी थी। उसके नर्म, गद्देदार स्तनों की टकराहट से मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था।
अब मेरा हाथ उसके कबूतरों पर चला गया क्योंकि यह मेरा पहली बार था तो जोश के मारे मैंने कुछ ज्यादा ही तेज़ी से उसके कबूतरों को दबा दिया।
वो चिहुँक उठी।
फिर मैंने उसकी टीशर्ट को उसके बदन से अलग किया, उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी। वो थी तो एकदम गोरी सो उसके गोरे बदन पे काली ब्रा बहुत ही जंच रही थी। मैं ब्रा के अंदर ही हाथ डाल कर उसके चूचुकों को मसलने लगा।
उसके मुख से अब अजीब अजीब आवाजें निकलने लगी।
मैं उसके कान के पास जाके धीरे से बोला- ब्रा तो तुम्हें ही खोलनी पड़ेगी।
उसके बाद मैं अपना टी-शर्ट और जींस उतारने लगा, इतने में वो अपनी ब्रा और कैप्री उतार चुकी थी, वो अब सिर्फ पैंटी में थी.
क्योंकि हम दोनो ही नशे में थे तो उस पल की बात ही कुछ और थी। उसकी गोरी गोरी चूचियों को देखकर किसी के भी मुँह में पानी आ जाता!
32 इंच की तो रही ही होगी उसकी चूचियाँ।
अब मैं अपना मुँह उसके स्तनों में धंसा चुका था, मेरे दोनों हाथ साइड बाई साइड उसके स्तनों को जोर से पकड़े हुए थे और उन दोनों स्तनों के बीच मेरा चेहरा दबा हुआ था। इस पल मैं मानो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया होऊं।
कसम से दोस्तो, जो मजा ऊपर है वो नीचे नहीं है, वो तो कार्यक्रम समाप्त करने के लिए नीचे जाना पड़ता है।
अब श्रुति के मुँह से “आह, ऊह, उम्म्ह… अहह… हय… याह… इश्श आ..” की आवाजें निकलने लगी थी। अब मैं ऊपर से चूमते चूमते श्रुति के शरीर के नीचे की ओर आने लगा और जैसे ही मैं कमर के नीचे आया तो उसकी साँसें तेज होने लगी।
मैंने उसकी पैंटी निकाल दी और पैरों को फैला दिया। एडल्ट फिल्मों में तो बहुत देखा था लेकिन आज हकीकत में भी चूत के दर्शन हो ही गए।
मैं उसके चूत को चूमने लगा.
तभी मेरे दिमाग में एक ख्याल आया, मैंने श्रुति से पूछा- घर में जैम है?
उसकी आँखें अब भी बंद थी, मेरी बात सुन कर वो चौक गयी और आँखें खोल कर गुस्से से देखने लगी। जाहिर सी बात है कि उसके जलते अरमानों पे मैंने पानी फेर दिया था।
मैंने कहा- जल्दी बताओ।
उसने गुस्से में बोला- किचन में है।
मैं वैसे ही नंगे भाग के किचन में गया और दौड़ के वापस आया।
वो आँख बंद किए लेटी थी, मैंने काफी सारा जैम उसकी चूत पर लगा दिया और लगा उसकी चूत को चाटने।
दो मिनट बाद वो फिर से जोश में आ गयी। मैंने सारा जैम चाट चाट कर खत्म कर दिया। अब मैं चूत में अपना जीभ फिराने लगा, वो सिसकारियां लेने लगी, उसके मुँह से ‘आयुष फक मी, प्लीज फक मी…’ की आवाजें निकलने लगी।
मेरा लंड भी अब जोश के कारण एकदम कड़ा हो गया था, मैंने थोड़ा बहुत बचा हुआ जैम लंड के टोपे पे लगाया और श्रुति के चूत के मुँह पे लंड को रगड़ने लगा ताकि वो और जोश में आ जाए। अब मेरा भी सब्र खत्म हो रहा था, मैंने बीच की अगुंली उसके चूत में डाल कर उसका छेद खोजा, फिर अपना लंड सेट करके पहले तो थोड़ा अंदर डाला।
फिर जब लंड चूत में फंस गया तो उसके होठों को अपने होठों से दबा के एक जोर का झटका दिया, लंड पूरा अदंर घुस गया था। उसका चेहरा एकदम टाईट पड़ गया, आँखों में जैसे आंसू आ गए थे।
मैं उसी पे रूक गया और उसकी गर्दन को बेतहाशा चूमने लगा, फिर धीरे धीरे झटके देना शुरू किया, अब उसके चेहरे के भाव धीरे धीरे बदलने लगे, अब वो खुद नीचे से धक्के लगा रही थी।
हम दोनों एक दूसरे को बांहों में जकड़े हुए थे।
मैं बीच बीच में उसके चूचियों को दबा रहा था और चूस रहा था।
करीब 8-10 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला हो गया तो मैंने श्रुति से कहा- डार्लिंग, मैं आने वाला हूँ, बताओ गाड़ी कहाँ पार्क करूँ मैं?
वो तो बस मजे ले रही थी, उसने मेरी बातों पे ध्यान नहीं दिया और तभी मेरी पिचकारी उसकी चूत में ही छूट गई।
इसके बाद काफ़ी देर तक हम एक दूसरे के बाँहों में ऐसे ही लेटे रहे। फिर बाथरूम में जाकर हम दोनों ने अपने आपको साफ किया और वापस बेड पर आकर यूं ही नंगे एक दूसरे की बांहों में सो गए।
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