गर्लफ़्रेंड की चूत चुदाई की दास्तान
अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा प्रणाम।
मेरा नाम उपेन है.. मैं अमदाबाद में रहता हूँ, बी.कॉम से मैं अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ.. मेरा कद 5 फुट 6 इंच है.. मैं गोरा हूँ.. मेरे लण्ड का साइज़ 7 इंच है और 2 मोटा है।
यह मेरी पहली कहानी है।
मैं हमेशा से ही खुशमिज़ाज रहा हूँ। मेरा मोबाइल एक बार बिगड़ गया.. तो मुझे जल्दबाजी में पुराना मोबाइल लेना पड़ा। उस मोबाइल में कान्टेक्ट लिस्ट में एक लड़की का नाम था.. सो मैंने मैसेज किया।
कुछ समय लगा.. फिर धीरे-धीरे उससे दोस्ती हो गई।
मैंने उससे पूछा- आप कहाँ पढ़ती हो?
तो उसने कहा- जहाँ आप रहते हो.. वारी सिटी में.. वहीं मेरा कॉलेज है।
मैं समझ गया.. फिर उसी दिन उसे मिलने का प्रोग्राम बनाया।
जब मैं उससे मिला तो उसे देखता ही रह गया.. उसका फिगर कमाल का था.. वो 38-34-38 के कटाव वाली एक माल थी.. एकदम गोरी चिकनी.. सच में वो एक चोदने लायक गदराई माल थी। वो जहाँ से गुजरती थी.. सब के पसीने छूट जाते थे। हम मिले.. घूमे-फिरे.. फिर कुछ समय बाद वो घर चली गई।
इस प्रकार मुलाकातें होती रहीं.. हम धीरे-धीरे बहुत करीब आ गए।
एक दिन मैंने उससे कहा- सुबह मेरा इंतज़ार करना..
वो राजी हो गई.. दूसरे दिन उसे मैं लेकर पहले गार्डन में गया.. बातें करते-करते मेरी नज़रें उसके मम्मों पर गई।
मैंने मज़ाक में उसके मम्मों की तरफ इशारा करते हुए कहा- आपके इन में से तो दूध निकल रहा है..
उसने भी बिंदास जवाब दिया- हाँ कोई पीता नहीं है.. तो निकलेगा ही ना..
मैं चौंक गया फिर मैंने उससे कहा- एक बार मुझे मौका दो.. फिर ये कभी यूँ ही नहीं बहेंगे..
उसने कहा- चलो.. तो चूस लो।
मैंने कहा- सबके सामने?
उसने कहा- चलो.. कहीं और चलते हैं।
फिर मैं उसे लेकर एक होटल में गया।
कमरे में अन्दर आते ही उसने मेरे होंठ चूसने चालू कर दिए। मैं भी उसका साथ दे रहा था। दस मिनट तक हम दोनों खड़े-खड़े ही एक-दूसरे के होंठों का रसपान करते रहे।
फिर मैंने उसे धीरे से बिस्तर पर लिटाया और उसके होंठ चूसने लगा। हम काफ़ी गर्म हो चुके थे।
उसने मुझसे कहा- क्या होंठ चूसने आए थे.. या और कुछ भी चूसना था?
मैंने कहा- अब आप मुझे खोल कर दोगी तभी तो आपकी सेवा करूँ मेरी जान..
उसने कहा- रोका किसने है.. मेरी जान आप खुद ही खोल लीजिए ना..
मैंने उसके सलवार-कुरता को उतार कर उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके दूधों को मसलने लगा।
उसने कहा- अब ब्रा भी खोल दो न..
मैं उसकी ब्रा खोल कर उसके आमों को चूसने लगा।
अभी 5 मिनट ही हुए थे कि उसने कहा- आप मेरी चूचियाँ चूसते हो.. तो नीचे मेरी चूत में क्यों कुछ होता है।
मैंने कहा- ये बॉडी इस तरह का करंट पैदा करती है.. जैसे तुम मेरे होंठ चूस रही हो.. तो मेरे भी लण्ड में कुछ हो रहा है।
उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और कहने लगी- सच में.. ये करंट अजीब है..
फिर मैंने उसकी चूचियों को चूसना चालू रखा.. बहुत मज़ा आ रहा था.. वो ‘आआहहा हह.. ऊहह.. आहह..’ करती जा रही थी।
थोड़ी देर के बाद उसने कहा- मेरे नीचे कुछ हो रहा.. प्लीज़ कुछ करो.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैंने उसकी सलवार को उतार दिया, उसने काले रंग की पैन्टी पहनी थी।
मुझे आज भी याद है.. उसकी पैन्टी एकदम भीगी हुई थी।
फिर मैं धीरे-धीरे होंठों को चूमता हुआ नीचे आ रहा था। जब मैं उसकी नाभि तक आ गया और इस तरह मैं उसकी चूत पर आकर रुक गया।
तो वो तड़प उठी.. उसका जिस्म एकदम से चिहुंक सा गया।
मुझे बहुत मज़ा आया.. फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। मेरा लण्ड देख कर वो डर सी गई।
मैंने उसकी चूत पर जीभ रखी.. वैसे ही वो ‘आआहह.. उउईई.. माँ..’ करने लगी। फिर मैं उसकी रसीली चूत चूसने लगा।
वो सिसकारियां लेती जा रही थी- आआहह उउह.. ऑउच.. आह.. मर गई..
फिर वो कंपकपाने लगी.. और झड़ गई।
मैंने फिर से चूसना चालू किया।
उसने कहा- राजा.. अब रहा नहीं जाता..
तभी मुझे लगा कि अब इसे मेरा लण्ड चुसवाता हूँ, मैंने उससे कहा.. तो वो मना करने लगी।
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. चलो घर चलते हैं..
पर वो नहीं मानी, उसने कहा- मैं आपका लण्ड चुसूंगी..
उसके बाद हम 69 के जैसे हो गए, मैं चूत चूस रहा था और वो मेरा लण्ड चूस रही थी।
सच में.. उस वक्त मुझे यूं लगा कि यदि कहीं जनन्त है.. तो यही है। यदि कोई कुछ और बता दे.. तो मैं भी जानूँ कि जनन्त क्या है..
दस मिनट लौड़ा चुसवाने के बाद मैं झड़ गया, तब तक मैं उसे दो बार झड़ा चुका था।
कुछ देर बाद मैं उसकी टाँगों के बीच में आ गया.. पहले मैंने उसकी चूत को हाथों से सहलाया।
उसने कहा- अब और मत तड़पाओ जी..
मैंने कहा- तो मुँह से कहो ना.. जो करवाना चाहती हो..
‘आप सच में बहुत शरारती हो.. अपना लण्ड इस चूत में डालिए..’
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मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर रखा और धकका मार दिया.. पर लौड़ा फिसल कर ऊपर को चला गया।
फिर मैंने चूत पर सैट करके ज़ोर से धक्का मारा। अबकी बार लण्ड चूत में आधा चला गया।
वो इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि.. शायद होटल वाले भी समझ गए होंगे..
उसने कहा- बाहर निकालो.. मैं मरी जा रही हूँ।
मैंने कहा- थोड़ा सा सब्र करो जान..
मैं उसके मम्मों को सहलाने लगा.. थोड़ी देर में वो शान्त हो गई।
फिर मैंने उसके होंठ पर होंठ रखे और एक बार फिर ज़ोर से धक्का मारा। मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ समा गया।
वो मुझसे अलग होने की लिए छटपटाने लगी.. पर मैं उसे पकड़े रहा, वो चिल्ला रही थी।
करीब पाँच मिनट मैंने उसे संभाला.. उसे जब आराम मिला.. तो मैं उसे धीरे-धीरे चोदने लगा।
अब उसे मज़ा आ रहा था- आअहह.. मर गई आअज.. आपने मुझे मार ही दिया… आआहह.. उहह.. हमम्म्म..
मैंने कहा- आपने कहा था ना.. कुछ हो रहा है.. ये वही दरवाजा है.. जहाँ से जन्नत में जाना होता है।
वो सिसकारियां लेती जा रही थी- आअहह उह.. और ज़ोर से धक्का मारो ना.. आज पता चला कि मैं जिसे छुपा रही.. अहह.. थी.. वही जनन्त है.. आप मुझे.. आह.. रोज.. चोदिएगा आब्ब्ब… आहह.. उउउहह मररर्ररर.. गइइ..
करीब बीस मिनट चोदता रहा.. उस बीच वो 2 बार झड़ चुकी थी, फिर मैं भी झड़ गया।
फिर हमने किस किया.. अपने कपड़े पहने और फिर निकल गए।
होटल वाले हमें देख कर हँस रहे थे।
उसके बाद मैंने उसे बहुत बार चोदा।
अब हम दोनों का ब्रेकअप हो चुका है.. पर मैं अब भी उसे बहुत प्यार करता हूँ।
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