अपनी बेटी मधु के साथ दूसरी रात की चुदाई अपनी बेटी मधु के साथ दूसरी रात की चुदाई
मै दो दिन तक उसका इंतजार करता रहा पर वो नहीँ आयी ,मै किसी को नहीं बता सकता था कि क्या हो गया है ?तीसरे दिन शाम को मेरे से नही रहा गया और मैं ड्रिंक करके रात को 9 बजे घर आया ,देखा तो मधु बैडरूम में रानी कलर की साङी पहन कर सो रही थी ,उसने बाल खुले कर रखे थे ,ब्लाउज़ में वो बहुत सुन्दर लग रही थी ,कमरे में नाईट बल्ब जल रहा था ,मैने अपना बैग रखा और मुह हाथ धोये और कपडे बद्ले ,गेट पर ताला मारा और फ़िर सीधा उसके पास गया। मैने उसके होंठों के ३-४ चुम्बनं ले लिए वो जाग गयी ,मैने उसकी वो शर्त पूरी कर दी थी
जैसे ही मैने मधु का मुह चूमा ,उसने अपना मुँह घुमा कर मेरी तरफ़ देखा ,रात के 9 . 1 5 बजे थे ,मैं जैसे हि बिस्तर पर चढ़ने लगा उसने कहा पापा मैने खाना बना रखा है चलो खाना खा लो ,मैने भी नहीं खाया है ,उसने मेरे हाथ में रिमोट पकड़ाया और किचन में चली गयी ,इसके बाद हम दोनों ने खाना खाया ,और बैडरूम में लेट गए ,मैं गर्मी के कारण बनियान और अंडरवियर मे ही था पर वो साड़ी में थी ,फैन , फुल स्पीड पर था ,बारिश तो नही हो रही थी ,पर आसमान में रह रह कर बिजली चमक रही थी ,करीब 10 बजे मधु बायीं करवट मुँह फेर कर लेट गयी ,मैँ उसके पीछे लेट गया और मैने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रख दिया ,मै और करीब खिसक गया। मैने उसे पूछा मधु क्या सोच रही है ?उसने कहा पापा इस बिस्तर पर तो मम्मी का अधिकार है ,मैने उसे बाँहों में भर लिया और प्यार किया ,कमरे में नाईट बल्ब जल रहा था ,मैने उसे कहा ,मधु चिंता मत कर ,वो जब आएगी देख़ा जायेगा ,
मैने उसके स्तन दबाता रहा ,मैनें उसे कहा मधु बड़ी लाइट जला दूँ ?
उसने कहा पापा जैसी आपकी इच्छा ,मैने उठ कर के बडी सी ऐफ एल जला दी ,और फ़िर उस्का चेहरा अपनी तरफ़ घुमा दिया ,मधु लाइट मे बहुत ज्यदा सुन्दर लग रही थी ,लेकिन उसकी आँखें झुकीं हुए थी ,मैने उसे चूमा तो वो रोने लग गयी ,मैने उसे सांत्वना दी ,मेने उसे पूछाः क्या हुआ मधु? वो सुबक रही थी ,उसकी आँखोँ मे मुझ्से आसूं नहीं देखे जा रहे थे ,उसने कहा पापा आप बहुत अच्छे हो फ़िर हमारे सम्बन्ध ऐसे क्योँ बने ?तब मैने उसे संक्षेप में सारीं बात बतायीं ,कि मै तेरी मम्मी को पसन्द नहीं करता हूँ ,उससे मेरे करीब एक साल से शारीरिक सम्बन्ध नहीं हैँ ,दूसरे मै तुझे बहुत चाहता हूँ ,तीसरे तू जवान हो गयी है ,तू सुन्दर है ,और चौथे ये कि तू हि मेरी शारीरिक भूख मिटा सकती थी ,मौसम अच्छा था और हम दोनों अकेले थे ,ये ही सारे काऱण थे कि हमारे बीच मे दैहिक सम्बन्ध बन गये ,उसने कहा पापा अब ना तो मै आपकी बेटी रही और न हि पत्नि बन सकती हूँ। आज तक आपने मुझे बेटी की तरह प्यार दीया और ऱक्षा की ,लेकिन अचानक पत्नि की तरह इस्तेमाल कर लिया। अब मै क्या करूँ ?
मेरे पास उसके जवाब नही थे ,इसलिए मैने उसके आँसूं पी लिये ,क्योंकी अब मधु मेरी जान बन चुकी थी ,मेंने बदले में उसे चुप करने के लिये उसके होंठ अपने होंठों में ले लिये।
पापा मुझसे वादा करो कि जब तक मम्मी नहीं आती आप मुझे अपनी बीबी की तरह इस्तेमाल करोगे ,पापा पापपाआ …………। मेरे अँग- अंग पर अपने प्यार की मुहर लगा दो ,मैं समझ गया कि वो मुहर कहाँ लगवाना चाहतीं थी ? उसने कहा पापा आप मेरा बदन देखना चाहते हो ना? लो मैं आपकी बाँहों में और आपके बिस्तर पर हूँ ,मधु ने कामुक होकर कहा पापा आज की रात आप मुझे गर्भवती करोगे ना ? ये बात कहते हुए उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया ,
मेरा हाथ उसकी क़मर में पहूंच चुका था। मैने उसे अपने सीने से सटा लिया।
मुझे हल्का नशा था उसने कहा पापा आप फ़िर पीकर आये हो ना ? मैने मना किया था ना ?आप ऐसा करेंगें तो मुझे खो देंगें मेंने उससे मॉफी मॉँगी ,मै उसकी ब्रा के बटन ढूंढने लगा पर मधु ने ब्रा नही पहनी थी ,मधु ने कहा पापा क्या ढूंढ रहे हो ?मेने कहा कुछ नही। मैने अपना दायाँ हाथ उसके कूल्हे पर रख दिया ,और नीचे खिसकाने लगा ,
उसने कहा पापा मै साड़ी मे क़ैसी लग रही हुँ? मैने कहा मधु मै तुम्हारी क्या और कैसे तारीफ़ करून?
बस तुम लाजवाब हो। मेरे हाथ उसके नितम्बों की गोलाई मेहसूस कर रहे थे ,मै उसके उठे हुए नितम्ब बाहर से हि दाबने लगा। मधु मेरे करीब होती चली गयी ,मैने उसके कमर मे ब्लाउज़ मे हाथ ड़ालने कि कोशिश की पर बेकार ,बहुत टाइट था। मेरा हाथ फिर नीचे फिसल गया ,और इस बार मैने उसकी साड़ी और पेटीकोट दोनों उपर कर दिये ,मेरे हाथ उसके गरम नंगे नितम्बों पर थे ,मेरी हथेली मधु के नितम्बों मे धंसती जा रही थी ,उसका नीचे का हिस्सा काफी तप रहा था ,दुसरी हाथ से मै उसके बाल सहला रह था ,जब मुझसे नहीँ रहा गया मैने मधु को सीधा कर दिया ,और उसके उपर लेट गया ,मैने उसके बटन खोल दिये ,उसके दोनों सुडौल स्तन बेहद सुन्दर दिख रहे थे ,मेने उन्हे बारी बारी से चूसा ,मधु कि छाती धड़कने लग गयी थीं ,उसकी गालों पर किस करके मैनें उसकि साङी के चुन्नट निकाल दिए उसने कोइ प्रतिरोध नहीं किया ,
मैने फिर साड़ी खींच कर किनारे रख दी ,मधु अब पेटीकोट मे थी ,ब्लाउज़ ख़ुला था ,मेरे हाथ रुकने क नाम नहीँ ले रहे थे मै उसकी कर्वी फिगर देखना चाहता था। आखिर में मेने उसके ब्लाउज़ और पेटीकोट भी उसके तन से अलग कर दिया ,
वाह !!!! क्या मस्त और सॉलिड फिगर थी मधु क़ी ? वो साक्षात् काम की देवी रति लग रही थीं। रौशनी में उसका दूधिया बदन देख कर मुझे अपने भाग्य पर भरोसा नहीं हो रहा था। लेकिन सच मेरे सामने था ,मै उसे 20-25 सेकंड अपलक निहारता रहा। मैने उसे बिस्तर पर 3 -4 पलटियां दी ,उसके गोरे गोरे फिर मेरे होंठ उसके बदन पर चलने लगे,मधु कि छाती उपर नीचे होने लगी , मधु की दुद्दियाँ बस क्रिकेट बाल से थोड़ी ही बड़ी थी ,
मैने जैसे हि अपनीं बनियान उतारीं ,मधु मेरे अंडरवियर को गौर से देखने लगी ,मेने करवट लेकर उसे फ़िर से अपने सीने से सटा लिया ,मेरी छाती के बाल उसकी दुद्दियों पर मचल रहे थे ,हम दोनों आपस में लिपट से गये थे ,मधु के हाथ धीरे धीरे मेरे अंडरवियर की ओर आ रहे थे तभी मैने अपने अंडरवियर पर उसके हाथ का दबाव महसूस किया।
उसने कच्छे के बाहर से ही मेरे लिंग को सहलाना शुरू कर दिया ,तभी मेरे कानोँ में उसकी मधुर आवाज सुनायी दी पापा मत तरसाओ ,और ये कह कर उसने मेरा अंडरवियर नीचे खिसका दिया उसने मेरा लिंग जबर्दस्त ढंग से अपनी मुट्ठी में ले लिया था। मै मधु की काम वासना को भड़का चूका था पर अब चुप हो गया था मै उसकी कसक देखना चाहता था तभी मधु ने मेरा कच्छा घुटनें तक सरका दिया ,फ़िर जैसे हि मेंने टॉँग उठाकर कच्छा उतार कर फेंका वो अपना मुँह मेरे लिंग की तरफ़ लायी ,वो मेरे लिङ्ग कि मोटाई का अन्दाज लगा रही थीं। वो अपनी अंगुली और अंगूठे का घेरा बना कर मेरा लण्ड नाप रही थी ,उसकी ऊँगली और अूँगूठे के बीच में करीब पौण इंच का गैप था ,
मैं सीधा कमर के बल लेट गया। मैने तुरंत पूछा मधु। क्या देख रही है ? उसने बिना शरमाये कहा पापा , आपका थण तो बहुत मोटा है ,
मधु मेरे लिंग को हिलाने लगी वो मेरे लिंग कि चुम्मियाँ लेने लग गयीं ,उसके हाथ कि गरमि से और उसकि जीभ के स्पंदन से मेरा पानी कि तरह जैसा चीकना द्रव बहने लगा ,
मधु मेरे लिंग की खाल को उपर नीचे कर रही थी ,उसके कोमल स्पर्श से मेरी आँखें बंद होने लगी, उसने कहा पापा ये आपकी पैंट में कैसे समाता है ?मैने आनंदित हो कर कहा जैसे शानिवार की रात को तेरे अन्दर समा गया था। मधु नाराज हो गयी ,और बोली गंदे कहीँ के ,मेंने कहा तुझे कैसा लग रहा है ? उसने कहा पापा जब मुझे ये सब अच्छा लग रहा है तभी तो मैने इसे हाथ में लिया है ,ये कहते हि उसने मेरे लिँग का गुलाबी चिकना सुपाड़ा अपने मुह में ले लिया।और चूसने लग गयी ,उसके सिर के बाल मेरे पेट और जांघों पर गुदगुदी कर रहे थे ,वो बार बार मेरे कड़क लिंग को हथेली मे लेकर चूस रही थी उसकी लार मेरे लिंग की जड़ तक पहुँच गयी ,तभी मैने मधु की जांघों के नीचे दोनो हथेलियाँ डाली और उसका नितम्ब वाला हिस्सा उठा कर अपनी छाती पर रख दिया अब उसकी चिकनी चूत की खुश्बू मेरे नथुनों में घुस रही थी ,मैने उसकी दोनों शानदार चुत्तडों के नीचे हथेलियाँ टिका दी,और उसकी चूत की दरार को , सच में जन्नत मेरे चेहरे के सामने आ गयी थी ,मधु की गुदा बार बार संकुचित होने लगी ,मैं उसकी मोटी मोटी फाँकें कामुक होकर निहारने लगा ,उसकी चूत का कर्व या कट करीब 3 इंच लम्बा था ,तभी मैने उसके भगांकुर पर पानी जैसी बूंदे देखी ,मधु के नीचे वाले मुँह से लार टपकने लगी थी ,वो काम आसक्त हो गयी थी ,मेने उसके चुत्तड़ नीचे किये और उसकी काम रस की बूँदें पीने लगा ,मधु मस्ती में आकर अपने दोनों चुत्तड़ इधर उधर करने लगी वो मेरा सारा ध्यान अपने सुन्दर चूत पर केंद्रित करना चाहती थी ,उसकी चूत का काट जरूर लम्बा था पर मुझे पता था कि कुल एक इंच का स्लॉट है उसका , उसका पेशाब का छेद भी है और उसके नीचे उसका गुप्ताँग।
इसके बाद खुद मधु ने हि अपनीं चुत को मेरे मुह पर रख दिया और घिसने लगी ,उसकी छोटी छोटी झाँटें मेरे गालों पर चुभ रही थी ,पर उस आनंद में मै सब कुछ भूल गया ,मेने उसके दोनो नितम्ब फैलाये और अपना चेहरा उनके बीच मे फ़ंसा दिया ,मै अपनी जीभ से उसकी गुदा पर गुदगुदी करने लगा ,मधु अपने सुडौल चुत्तड़ ऊठाने लगी थी ,मुझे उसकी चूत से निकालता रस बहुत आनन्द दे रहा था ,मधु कि चूत में मेरी जीभ नही घुस पा रही थी ,मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मैने बिना छत्ता तोड़ें शहद निकाल लिया ,
मैने मस्ती मे आकर उसकी गुदा में थूंक में उँगली गीली कर के हल्के से घुमायी ,उसने मेरी तरफ़ गर्दन घुमा कर देखा ,मधु आनन्द के मारे खुद ही अपना भगांकुर (चूत के ऊपर जो छोटा सा किसमिस की तरह मुलायम नोक होती है ) मसलने लग गयी ,इतने में बाहर तेज बारिश शुरू हो गयी ,
बस तभी मैने मधु को नीचे लिटा दिया और उसकी आँखों में देखा। वो मेरे 2 इंची मोटे हिलते हुए लण्ड को घूरने लगी ,मेंने ऊसकी फ़ुद्दी पर एक बार हाथ फेरा और उसकी दोनों टाँगें पीछे कई तरफ़ को ऊठा दी ,मेंने अपने लौडा पकडा और उसकी चूत पर घिसने लगा ,फ़िर मैने जैसा 3 दिन पहले किया था पूरी ताकत से उसके अन्दर लण्ड पेल दिया,मधु फ़िर से कराही और सामान्य हो गयी ,मधु ने कहा पापा ………………………. आपका थण बहुत बड़ा है , धीरे- धीरे पापा, धीरे- धीरे …………. लेकिन मै उसे चोदने लग गया मधु लगातार सिसक रही थी ,धीरे धीरे मैने उसकी टाइट चूत में लन्ड ६ इंच तक पेल दिया और जोर जोर से अपने चुत्तड़ आगे पीछे करने लगा ,मधु अपने हाथों से मुझे पीछे को धकेलने लगी ,पर आज कि रात मै उसकी नाभि तक लण्ड पहुंचाने मे लगा था। करीब ५-६ मिनट बाद मेने लण्ड बाहर निकाला और उसे ऐसी पोजीशन में कर दिया जैसे बकरी आगे के घुटने
थोड़ी देर बाद मै जैसे हि रुका ,मधु ने कहा पापा ,आप मुझे अपनी गोद में उठा लो ……। . उसकी बात सुनकर मुझे ताज्जुब नहीं हुआ क्योंकि अक्सर अत्यधिक काम वेग में ऐसी ख्वाहिश कर बैठती हैं ,मेंने फ़ौरन उसे बिस्तर से नीचे खिंचा और गोद मे ऊठा लिया उसने आपने पैर मेरी कूल्हे के दोनो तरफ़ फैला दिये ,मेने अपने खडे लण्ड को नीचे से मधु की चूत पर टिकाया और मधु को नीचे कि तरफ़ को दबाया मधु उपर को उछली ,उसने अपने दोनों हाथों का हार सा बना कर मेरे गले में डाल रखा था। उसके चुत्तड़ मेरी हथेलियों में थे ,मै मधु को अपने हिसाब से उपर नीचे उछालने लगा ,
मधु के खुले बाल हवा मे लहराने लगे थे ,मेंने कामुक होकर मधु को कहा ,कहां तक गया तेरे ……… ? क्योंकि मधु की गोरी मोटी फाँकों से मेरे अण्डकोष बुरी तरह दब रहे थे ,
उसने मेरी बात सुनकर मेरे होंठों पर अपने दाँत गड़ा दिये ,मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मेरा लण्ड उसकी बच्चेदानी के मुँह को उपर धकेल रहा हो , मधु ऊईई.……………… उईई.………………… ……… पापा करके सिसकारियाँ भरने लगी ,मै ऐसा सिर्फ़ 3 मिनट ही कर पाया ,क्योंकि मधु का दो तिहाई वजन मेरे लण्ड़ पर पड़ रहा था ,मुझे लग रहा था कि मेरा 7 इंची लम्बा लण्ड उसकी कसी हुई मांसपेशियों में फंस रहा था ,मैने उसे आहिस्ता से नीचे बेड़ पर लिटा दिया ,मै भी थक गया था और बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया ,लेकिन मेरा कामुक लण्ड ऐसे सुनहरे मौके को नहीं छोड़ना चाहता था ,मधु भी थक ग़यी थीं ,फ़िर उसे पता नहीं क्या सूझा ? उसने अपनी दायीं जाँघ उठायी और बिस्तर पर मेरी दोनों टाँगों के बाहर टाँगें फैला कर खड़ी हो गयी ,मेरी नजर उसकी उभरी हुई फुद्दी पर गयी , उसकी आँखों में काम वासना के लाल डोरे तैर रहे थे ,शायद उसकी फुद्दी में बहुत जान थी ,और वो प्यासी होने के कारण मेरे तगड़े लौंडे को अब भी घूर रही थी ,
तभी मधु ने धीरे धीरे नीचे बैठना शूरू किया उसकी माँ ने पूरी जिंदगी में ऐसा नहीं किया था ,मधु ने धीरे से मेरे लण्ड को पकड़ा और उसे अपनी फ़ुद्दी के छेद पर सटाया और हल्के से एक आह के साथ उस पर धंसती चली गयी ,उसने अपने दोनो हाथ मेरी छाती पर टिका दिये और मधु , मेरी छाती पर पकड़ बना कर सिर्फ अपने चुत्तडों को आगे पीछे संचालित करने लगी ,मैं उसके कामसुख लेने के तरीके को देखने लगा ,थोड़ी देर बाद मधु ने अपने तन को पीछे की तरफ झुका लियाऔर अपने चुत्तड़ नीचे उपर करने लगी ,मधु सही मायनों में मुझे चोद रही थी ,और वो आँखें बंद करके लगातार अपने चुत्तडों से जोर मार रही थी ,करीब ४-5 मिनट बाद मधु मेरे लण्ड पर बिलकुल बैठ गयी , तभी मैने काफी गरम पानी अपने लण्ड के चारों ओर महसूस किया , वो झड़ चुकी थी ,और मेरा लण्ड आ गया और मेने लेटे ही लेटे कस कर 15 -16 धक्के मारे ,और अपने चुत्तड़ बिस्तर से 8 -9 इंच उठा दिए ,मेरे आंड उसकी गुदा पर सट चुके थे ,मैं मुश्किल से 5 -6 सेकंड ऐसे ही रहा ,और मेरा वीर्य वाला वाल्व खुल गया और मधु की चूत भरती चली गयी। इसके बाद मेरे चुत्तड़ अपने आप नीचे होते चले गए। मधु मेरी छाती पर लेट गयी ,जैसे जैसे मेरा लण्ड सिकुड़ता गया ,मेरी झाँटे मेरे दोनों आंड हम दोनोँ के बदन के पानी से भीगते चले गये ,मधु ने अपने लहराते काले बालों से मेरे चेहरे को ढक दिया , हम दोनों अपनी सांसों पर काबू पाने लगे ,
मधु ने ३ मिनट बाद कहा पापा आपकी मर्दानगी के आगे मैं हार गयी , जब भी आपकी इच्छा करे तो मेरा जिस्म आपके लिए हाजिर है ,फिर हम दोनों एक दूसरे को चूमते चले गए। फिर हमे पता नही चला कि कब नींद आ गयी ?
इसके बाद …….
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