घर के लौड़े-6 – Antarvasna
Ghar ke Laude-6
मैंने भी जल्दी से अपने कपड़े पहने और उसको एक पप्पी कर के अपने काम में लग गई।
करीब 7 बजे पापा और विजय साथ में ही घर आए।
पापा के हाथ में कोई पैकेट था.. विजय भाई मेरी तरफ घूर कर देख रहे थे क्योंकि आज से पहले उन्होंने भी मुझे ऐसे कपड़ों में नहीं देखा था।
पापा- अरे वाहह.. क्या बात है रानी.. आज तो बड़े अच्छे कपड़े पहने हैं।
विजय- पापा आप भी ना.. इसने बेढंगे कपड़े पहने हैं और आप इसकी तारीफ कर रहे हो..
पापा- अरे बेटा कौन सा हम इसको कपड़े लाकर देते हैं? आस-पड़ोस से माँग कर पहनती है। अब कोई सलवार सूट देता है तो कोई ऐसे कपड़े दे देता है.. हमको क्या लेना-देना.. ओए रानी की बच्ची.. खाना बनाया कि नहीं.. वरना आज तेरी खैर नहीं..
रानी- ज.. जी.. पापा खाना तैयार है.. आप हाथ-मुँह धो लो अभी लगा देती हूँ।
‘मुझे अभी भूख नहीं है.. बाद में खा लूँगा..’ इतना कहकर विजय अपने कमरे में चला गया।
उधर अजय भी अपने कमरे में आराम कर रहा था। खाना खाने के वक्त तो कुछ खास नहीं हुआ।
रात को करीब दस बजे तक अजय और विजय ने भी खाना खा लिया और अपने-अपने कमरों में चले गए।
पापा- अरे ओ रानी की बच्ची.. कहाँ मर गई.. इधर आ साली.. मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है.. जल्दी आ कुतिया..
दोस्तों पापा ने ज़ोर से मुझे आवाज दी ताकि दोनों भाइयों को किसी तरह का शक ना हो.. मैं चुपचाप पापा के कमरे में गई, पापा मुझे देख कर मुस्कुराए।
पापा- आजा मेरी जान तेरे इन्तजार में लौड़ा मेरी पैन्ट फाड़ रहा है.. साली आज बड़ी क़यामत लग रही है.. ऐसे कपड़े पहनेगी तो मेरा क्या मेरे दोनों बेटों का भी सत्यानाश कर देगी तू.. चल आ जा.. ये ले आज ये पहन कर आ।
पापा ने मुझे वो पैकेट दिया जिसमे गुलाबी रंग की एक सेक्सी नाइटी थी और उसके साथ एक वीट की ट्यूब थी, जिससे मेरी झांटों के बाल साफ़ किए जाते हैं।
पापा- मेरी जान जल्दी से गुसलखाने में जाकर अपने सारे बाल साफ करके ये नाइटी पहन कर आजा… तब तक मैं भी दो-चार पैग लगा लेता हूँ।
दोस्तों मैंने कभी ऐसी क्रीम इस्तेमाल नहीं की थी तो मुझे कुछ समझ नहीं आया।
रानी- पापा मुझे नहीं आता.. आप ही साफ कर दो ना प्लीज़…
पापा- ओह्ह.. चल आज तुझे सिखाता हूँ कि बाल कैसे उतारते हैं.. चल इसी बहाने मेरे लौड़े को भी चिकना कर लूँगा।
हम दोनों नंगे होकर बाथरूम में घुस गए। पापा ने मेरी चूत और हाथ-पाँव पर वीट लगा दी और खुद एक रेजर से अपने बाल उतारने लगे।
दोस्तो, वीट लगाते हुए पापा ने मेरी चूत को ऐसा रगड़ा की बस क्या बताऊँ.. शाम को अजय ने मुझे अधूरा छोड़ दिया था.. अब वो आग वापस जल उठी थी।
करीब 15 मिनट में सारे बाल साफ करके हम नहा कर कमरे में आ गए। हमने एक-दूसरे को साफ किया और पापा नंगे ही बैठ कर पैग बनाने लगे।
पापा- क्यों रानी आज तेरा भी पैग बना दूँ.. बड़ा मज़ा आएगा और सुना आज कुछ हुआ क्या? अजय पहले आ गया था ना.. उसने तुझे चोदा कि नहीं?
रानी- नहीं पापा.. ये आप ही पियो.. मुझे तो आपके लौड़े का रस अच्छा लगता है.. बस उसी को पीऊँगी।
मैंने अजय के साथ की सारी बात पापा को बता दी।
पापा- हा हा हा बेचारा अजय.. बहुत बुरा हुआ उसके साथ तो.. साली रंडी तुझे क्या जरूरत है एक ही दिन में उसके लौड़े को चूसने की.. चुपचाप चुद गई होती और क्या चूतिया बनाया बेचारे को।
मैंने बिना कुछ बोले पापा के लौड़े को मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
पापा- अरे जान ऐसे ही शुरू हो गई.. वो नाइटी पहन कर तो आ.. जरा देखने तो दे.. कैसी लगती है तू?
रानी- पापा मेरी चूत पानी-पानी हो रही है आपको नाइटी की पड़ी है। वैसे भी उसे पहन कर उतारना ही तो है और आप भी गर्म हो.. ऐसा करूँगी जब दोनों भाई घर पर नहीं होंगे, तब उसको पहन कर आप को रिझाऊँगी ताकि कभी दिन में भी आप मुझे छोड़ कर ना जा पाओ और मुझे चोदने को बेकरार हो जाओ।
पापा- हाँ.. ये सही कहा.. कभी मेरा मूड नहीं होगा उस दिन उस नाइटी में तुझे देख कर मूड अपने आप बन जाएगा.. चल अब मुझे पीने दे और तू भी अपने काम पर लग जा।
दस मिनट में पापा ने 3 पैग पी लिए और तब तक मैंने उनके लौड़े को चूस कर एकदम लोहे जैसा बना दिया। अब पापा को बर्दाश्त नहीं हुआ तो उन्होंने बिना मुझे चूमे-चाटे बस सीधा बिस्तर पर लिटा कर लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया।
दोस्तो, कल तो दर्द के मारे मेरी जान निकल रही थी मगर आज जो मज़ा आ रहा था। मैं क्या बताऊँ पापा ने आसन बदल-बदल कर मुझे मुझे 40 मिनट तक चोदा, मेरा दो बार पानी निकल गया था।
पापा ने अपना सारा पानी मेरी चूत में भर दिया और हाँफने लगे।
पापा- उफ़फ्फ़ लौड़े में दर्द होने लगा, क्या मस्त कसी चूत है तेरी.. साली एक ही दिन में ऐसी पक्की राण्ड बन गई है कैसे मेरे लौड़े पर उछल कर मज़े ले रही थी।
रानी- पापा ये सब आपका कमाल है.. कमसिन कली को एक ही दिन में तीन-तीन हरामी चोदेंगे तो वो बेचारी राण्ड ही बनेगी।
पापा- साली हरामखोर गाली देती है.. रंडी मैंने तेरी लाइफ बना दी.. कुत्तों से बदतर जिंदगी जी रही थी.. अब मज़े करेगी।
रानी- सॉरी पापा.. आपको बुरा लगा तो मगर आपने ही कहा था गाली देने से चुदाई में मजा बढ़ता है.. अच्छा अबकी बार कैसे चोदेंगे मुझे?
पापा- अरे रानी चोदने के वक्त गाली देने से मजा बढ़ता है.. ऐसे क्या फायदा और अभी के लिए इतना काफ़ी है.. वरना दोनों को शक हो जाएगा.. जा अपने कमरे में चली जा.. विजय आता ही होगा.. उसकी नज़रें साफ बता रही थीं कि वो तुझे आज कच्चा खा जाएगा।
रानी- सच्ची विजय आएगा… कसम से कल कुत्ते ने बड़ी बेदर्दी से मेरी गाण्ड मारी थी.. आज अगर आ गया तो रात भर जाने नहीं दूँगी.. बोलूँगी चोद बहन के लौड़े.. आज जितना दम है निकाल ले साला हरामी बड़ा अकड़ता है।
पापा- अरे आएगा कैसे नहीं.. मेरा खून है उसकी नज़र को बहुत अच्छे से पहचानता हूँ.. जा अब देर मत कर…
मैं झट से गुसलखाने में गई.. अपनी चूत को अच्छे से साफ किया। बाहर आकर अपने कपड़े पहने और सीधी अपने कमरे में चली गई।
वहाँ विजय पहले से ही बैठा मेरा इन्तजार कर रहा था। उसको देख कर मैं सन्न रह गई।
विजय- आओ रानी.. मैं तेरा ही इन्तजार कर रहा था.. कहाँ थी अब तक हाँ?
रानी- व व.. वो वो.. पापा के सर में दर्द था.. इसलिए उनका सर दबा रही थी।
विजय- चुप साली छिनाल.. बहुत झूट बोलती है… मैंने दरवाजे के पास खड़े होकर सब कुछ देखा है… साली रंडी तुझे शर्म नहीं आई पापा से चुदवाते हुए?
दोस्तो, उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया, ना जाने कितने सालों से मैं घुट-घुट कर जी रही थी.. मगर इन दो दिनों की चुदाई ने मुझे निडर बना दिया था। वो कहते है ना औरत को नंगी कर दो, तो उसके बाद उसकी शर्म के साथ-साथ उसकी ज़ुबान भी खुल जाती है।
रानी- अबे ओ बहनचोद.. किसको तेवर दिखा रहा है हरामजादे कल तूने मुझे चोदा.. तब तुझे शर्म नहीं आई कि मैं तेरी बहन हूँ और वो कुत्ता अजय उसने मुझे चोदना चाहा.. उसकी बातों में आकर तूने मेरी गाण्ड मारी.. तेरे जाने के बाद उस कुत्ते ने मेरी गाण्ड मारी…
मैंने तेरे हरामी बाप को बताया तो उसने तुमको कुछ कहने की बजाए मेरी चूत को फाड़ दिया… हाँ साले.. शर्म उसको नहीं आई अपनी बेटी के साथ चुदाई करते हुए।
उसके बाद आज फिर उस कुत्ते अजय ने मुझे चोदा… अभी तेरे बाप के पास मैं नहीं गई थी.. उस हरामी ने मुझे बुलाया था चोदने के लिए समझे…
विजय- साली छिनाल.. बहुत ज़ुबान चल रही है तेरी… काट कर फेंक दूँगा।
रानी- बस ज़्यादा तेवर मत दिखाओ… मैं जानती हूँ तू यहाँ क्यों आया है। अब चुपचाप अपना काम कर और चलता बन मुझे नींद आ रही है।
विजय- क.. कौन सा काम?
रानी- इतना भी पागल मत बन.. आधी रात को तू मेरे कमरे में क्या माँ चुदाने आया है… साला बहनचोद.. मुझे चोदने आया है ना.. तो क्यों बेकार में वक्त खराब कर रहा है.. चल निकल अपने कपड़े.. आज तुझे असली मज़ा देती हूँ। तेरे हरामी बाप ने कल से लेकर आज तक मुझे इतना बेशर्म बना दिया है कि एक रंडी भी अपने ग्राहक को इतना मज़ा नहीं देती होगी जितना मैं तुझे आज दूँगी।
कहानी जारी रहेगी।
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