कितनी मस्त हूँ मैं

कितनी मस्त हूँ मैं

प्रेषक : अमित

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार !

मेरा नाम अमित हैं। उम्र 23 साल, रंग साफ़, बॉडी सामान्य, और थोड़ा सा शर्मीला या संकोची भी बोल सकते हैं। वैसे तो मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ, पर नौकरी के सिलसिले में दिल्ली में किराये पर रहता हूँ और एक निजी कंपनी में छोटी सी नौकरी करता हूँ।

आज मैं आपके सामने अपने जीवन में घटी पहली और सच्ची घटना का वर्णन करने जा रहा हूँ जो अभी कुछ दिनों पहले ही घटी है।

23 मार्च का दिन था। मैं महरौली से कल्याणपुरी के लिए बस में जा रहा था। बस खचाखच भरी हुई थी जैसा कि आमतौर पर होता है, ऊपर से दोपहर का एक बजे का टाइम। बहुत गर्मी भी थी। लोग एक के ऊपर एक चढ़े जा रहे थे। सबको बस पकड़नी थी और अपनी मंजिल तक पहुँचना था।

मैं एक तरफ़ खड़ा हुआ था। तभी कोई जोर से मेरे ऊपर गिरा, मैंने पीछे मुड़कर देखा तो एक बहुत सुंदर और सीधी-सादी युवती जिसकी उम्र लगभग 21-22 साल होगी, वो भीड़ के कारण घबरा रही थी।

मैंने तुरंत उसको सहारा दिया और ड्राईवर के पीछे वाली सीट के आदमी को उठा कर उसे सीट दिला दी। उसको शायद चक्कर आ रहे थे, उसके होंठ भी सूखे हुए लग रहे थे। मैंने तुरंत अपने बैग से पानी की बोतल निकाली और उसको पानी पीने को दिया।

वो पानी पीते-पीते मुझे घूर-घूरकर देख रही थी। सारा पानी पीने के बाद उसने मुझसे मेरा बैग माँगा जो कि मेरी पीठ पर था। मैंने उसको अपना बैग पकड़ने को दे दे दिया। उसने खाली बोतल बैग खोलकर उसमें डाल दी और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी।

ऐसा पहली बार हुआ था कि कोई लड़की मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई हो, मैं थोड़ा शरमा गया और यहाँ-वहाँ देखने लगा।

वो एकटक मेरी तरफ ही देख रही थी। मैं भी सोच रहा था कि इस शहर में मैं अकेला हूँ और कोई बात करने या दोस्ती करने को भी नहीं है, क्यों न इससे बात करके देखूँ।

मैं सोच रहा था कि शुरुआत कहाँ से करूँ, फिर बहुत सोचने के बाद मैंने भी उसकी आँखों में आँखें डालकर देखना शुरू कर दिया।

वो अब यहाँ-वहाँ देखने लगी और हँसने लगी, मुझे भी हँसी आ रही थी।

मैंने हिम्मत करके पूछा- आपकी तबियत कैसी है?

उसने कहा- कुछ नहीं ऐसे ही गर्मी की वजह से चक्कर आ रहे थे और सुबह से पेट में दर्द भी है।

मैंने कहा- ओह, तो आप बाहर क्यों आईं? घर में आराम करना चाहिए था।

वो बोली- नहीं, कुछ जरूरी काम था।

मैंने कहा- आप कहाँ जा रही हैं?

उसने कहा- मैं मयूर विहार रहती हूँ।

मैंने कहा- अच्छा, और कौन-कौन हैं आपके घर में?

वो बोली- कोई नहीं, मैं और मेरे पति।

यह सुनते ही मैं ध्यान से उसके माथे की ओर देखने लगा।

उसने यह देख कर हँसते हुए पूछा- वहाँ क्या देख रहे हो? आजकल लड़कियाँ पहले की तरह सिंदूर नहीं लगाती हैं, बल्कि ऐसा लगाती हैं कि दिखे ही ना।

वो हँसने लगी। मैं सोच रहा था कि शहर वाकयी में बहुत आगे निकल गए हैं।

उसने कहा- आप क्या करते हैं?

मैंने कहा- कुछ नहीं, छोटी सी नौकरी है, बस दाल-रोटी का गुजारा हो जाता है।

वो बोली- कोई बात नहीं, सब हो जायेगा। हम भी यहाँ नए ही हैं। मेरे पति एक बड़ी कंपनी में जॉब करते हैं। मयूर विहार में घर किराये पर है, बड़े शहरों में ऐसा ही चलता है।

मैंने कहा- हम्म्म्म, सो तो है।

फिर हम दोनों ऐसे ही यहाँ-वहाँ की बातें करने लगे। वो बार-बार मेरे को देख कर मुस्कुरा रही थी। पता नहीं क्यों?

उसने बोला- आप शाम को घर जाकर क्या करते हो?

मैंने कहा- क्या करेंगे? सबसे पहले खाना बनाने में लग जाते हैं। बाद में फ्रेश होते हैं। कई बार तो 11 भी बज जाते हैं।

वो मेरी तरफ देख कर बोली- अच्छा आपको खाना भी बनाना आता है?

मैंने कहा- हाँ।

वो बोली- मेरे घर पर काम करोगे?

मैंने कहा- आपको मजाक करनेके लिए मैं ही मिला हूँ।

वो हँसी और बोली- अरे यार मैं तो ऐसे ही बोल रही थी। मेरा मतलब था कि मुझे भी खाना बनाना सिखा दो।

मैंने कहा- क्या? आपको खाना बनाना नहीं आता?

वो बोली- नहीं।

मैंने कहा- अच्छा फिर आपके पतिदेव क्या खाते हैं?

वो बोली- नौकरानी है ना।

मैंने कहा- अच्छा।

अचानक मेरा स्टॉप आ गया मैंने कहा- अच्छा मैं चलता हूँ।

उसने मेरा बैग पकड़कर बोला- बहुत जल्दी हैं? क्या बहुत जरुरी जाना है?

मैंने कहा- नहीं, क्यों क्या हुआ?

वो बोली- मेरी तबियत ठीक नहीं हैं, अगर मुझे घर तक छोड़ दें तो !

मैं भी सोचने लगा। मुझे भी वो अच्छी लग रही थी।

उसने कहा- क्या सोच रहे हो? एक लड़की आपसे मदद मांग रही हैं और आप बहाना सोच रहे हो?

मैंने मुस्कुराते हुए कहा- ऐसा नहीं है, मुझे कहीं और जाना है।

वो बोली- क्या काम बहुत जरुरी है? मैंने तो आपको अपना दोस्त समझा था।

मैंने भी हँसते हुए और उसके हाथों पर हाथ रखते हुए कहा- हाँ, हम दोस्त हो गए हैं और दोस्त का साथ देना उसको खुश रखना दोस्त का ही काम है।

हम अपनी बातों में इतने मग्न थे कि मयूर विहार फेस-3 कब आ गया पता ही नहीं चला।

डी-टी-सी का कंडक्टर चिल्ला-चिल्ला कर बोल रहा था- बस खाली करो, बस खाली करो।

वो हँसते हुए बोली- हाँ हाँ कर रहे हैं। हम कौन सा यहाँ घर बसा रहे हैं।

यह सुन कर मैं भी हँसने लगा और कहा- तुम वाकयी में बहुत मस्त हो।

यह सुन कर वो थोड़ा शरमाई।

अचानक मेरी उंगली को मरोड़ते हुए बोली- मैं कितनी मस्त हूँ, यह आपको घर जाकर पता चलेगा।

मैं थोड़ा घबरा रहा था। पर वो सीधे मुझे देखते हुए मुस्कुरा रही थी।

मैं उसके घर पहुँचने वाला था, पर अब तक मैंने उसका नाम भी नहीं पूछा था और ना उसने मेरा।

हम एक हाउसिंग सोसाइटी के गेट से अन्दर दाखिल हुए और उसके फ्लैट की तरफ बढ़ने लगे।

वो तीसरी मंजिल पर रहती थी। उसने चाबी निकाली और गेट खोला पर मेरा दिल कर रहा था कि मैं वहाँ से भाग जाऊँ ! पता नहीं क्या होगा? यह मेरे साथ पहली बार था कि मैं किसी लड़की के साथ उसके घर में अकेले जा रहा था।

अंदर पहुँच कर उसने ए सी चालू किया और बोली- आप आराम से बैठो, मैं कपड़े बदल कर आती हूँ।

वो मुस्कुराते हुए और गाना गाते हुए अंदर चली गई, मैं सोफे पर बैठा-बैठा कुछ सोचने लगा।

तभी वो अचानक सामने आई और झुकते हुए पानी की ट्रे मेरी तरफ की।

मैंने सामने देख कर दंग रह गया वो बहुत ढीली-ढाली मैक्सी पहने हुई थी। उसके उभार मेरे सामने झूल रहे थे। ऐसा पहली बार था, मैं नजरें नहीं हटा सका।

उसने टोकते हुए कहा- देखने में तो बहुत शरीफ लगते हो। अब यहाँ से नजरें भी नहीं हटा रहे हो। कभी किसी को देखा नहीं क्या?

मैंने झेंपते हुए सॉरी बोला और कहा- नहीं बस ऐसे ही ! आप बहुत सुंदर हो, आपकी सुन्दरता को देख रहा था।

और मैंने यह कहते हुए पानी पीना शुरू किया पर पानी मेरे गले में अटक गया और मुझे धसका लग गया। सारा पानी मेरे ऊपर गिर गया।

“पता नहीं ये सब क्या हो रहा था??”

वो मेरे सामने से साइड में आई और मुझसे कहा- आराम से। मैं तो सोच रही थी मेरी तबियत ख़राब है। पर यहाँ तो आपकी हालत ख़राब लगती है। आपने तो अपने सारे कपड़े भिगो दिए। मैं तौलिया ले कर आती हूँ। आप अपने कपड़े उतार दीजिए।

वो तौलिया ले आई, पर मैं वैसे ही बैठा हुआ था।

वो सोफे पर पास बैठ कर बोली- क्या हुआ? जनाब को शर्म आ रही है? शर्म आ रही है तो आये … पर मैं आपका चोदन करने वाली हूँ।

और वो यह बोल कर हँसने लगी।

मुझे अपने पर गुस्सा आ रहा था कि एक लड़की मेरा मजाक उड़ा रही है। तभी मैंने अचानक उसको पकड़ कर उसके होंठ अपने होंठों के बीच में ले लिए और उनको चूसने लगा।

वो इस हमले के लिए तैयार नहीं थी, वो मुझे पीछे धक्का मार कर हटा रही थी पर मेरी पकड़ मजबूत थी।

उसकी छाती मेरी छाती से चिपकी हुई थी। जवानी में पहली बार किसी की छाती से चिपका था। पता नहीं वो बहुत नशीला अहसास था।

दो मिनट बाद वो भी मेरा साथ देने लगी और मेरे बाल पकड़ कर मेरे होंठों को चूसने लगी, फिर उसने मेरी जीभ भी अपने मुँह में ले ली और बहुत देर तक चूसती रही।

उसने मुझे सोफे पर लिटा दिया और मेरे ऊपर भूखी शेरनी की तरह चढ़ गई। मैं उसके चेहरे की तरफ देख रहा था, वो अजब तरह से मुस्कुरा रही थी।

उसने मुझे यहाँ-वहाँ काटना शुरू किया। दर्द तो हो रहा था पर बहुत मीठा लग रहा था। मैंने भी उसके स्तनों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर दबाना शुरू किया।

दूसरी तरफ मेरी पेंट में तम्बू तनना शुरू हो गया। वो अपनी जीभ मेरे चहरे, गर्दन, कानों पर हल्के-हल्के घुमा रही थी।

मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं किसी जन्नत में आ गया हूँ और ऐसा ही होता रहे।

अब उसने मेरी शर्ट उतारनी शुरू की, बटन खोलने के बाद वो मेरी छाती की घुंडियों को चूसने लगी। पता नहीं कैसा अहसास था वो ! मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी पर मजा भी बहुत आ रहा था। वो जैसे जैसे आगे बढ़ती जा रही थी मज़ा और उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी।

उसने मेरी कमीज पूरी उतार दी। मैंने भी देर नहीं की, उसकी मैक्सी को ऊपर से पूरा नीचे कर दिया। उसके चुच्चे मेरी छाती पर थे।

मैंने उसको झटके से ऊपर किया और उसके चुच्चे मुँह में ले लिए। मैंने ठीक वैसे ही किया, जैसे वो कर चुकी थी। उसके कान काटने शुरू कर दिए।

वो आहें भरने लगी। करीब हम आधे घंटे तक ऐसे ही करते रहे। मेरा लंड खड़े से बैठ गया।

अब उसने मेरी पेंट खोलना शुरू किया। पेंट उतार कर उसने अंडरवियर पर अपने होंठ फेरने शुरू किये। पर मेरा लंड खड़ा ही नही हो रहा था और मुझे भी घबराहट हो रही थी। फिर उसने मेरा अंडरवियर उतार दिया और मेरा लंड उसके सामने था।

वो मुस्कुराई और बोली- क्या कुँवारा माल मिला है ! लगता है किसी ने इसे छुआ तक नहीं है। सही कहा ना?

मैंने कहा- हाँ।

उसने मेरा लंड जीभ से चाटना शुरू कर दिया। जब वो हाथ से मेरे लौड़े की चमड़ी आगे-पीछे करने लगी तो मुझे दर्द होने लगा। मैंने उसका हाथ रोक दिया।

वो बोली- वाह रे रानी ! आज तेरी किस्मत खुली है कि तेरे को एकदम कुँवारा लंड मिला है।

यह कह कर उसने लंड को पूरा मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैं पहली बार एक ऐसे सुख की अनुभूति कर रहा था जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था।

वो लंड को मुँह में लेकर आगे-पीछे करने में लगी हुई थी। और मैं उसके बालों को पकड़कर कह रहा था- और करो मेरी जान ! मुझे बहुत मजा आ रहा था।

अब मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था, वो उसके गले तक जा रहा था। तभी मुझे कुछ ऐसा लगा कि मेरा शरीर ऐंठ रहा है और लंड में से कुछ निकलने वाला है।

मुझे ऐंठते हुए महसूस करके उसने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और मेरे सारे माल को पी गई।

लंड को चाटकर साफ़ करते हुए बोली-अभी आप थोड़ा आराम करो। मैं अभी आती हूँ।

मैं सोफे पर ऐसे ही निढाल पड़ा रहा। मेरे जीवन में यह पहली बार था।

आगे की कहानी में वही कुछ हुआ तो एक मर्द और औरत के बीच होता है।

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