पति को धोखा नहीं दे सकती
प्रेषक : सतीश
अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार ! मेरा नाम सतीश है और मैं जलगाँव (महाराष्ट्र) से हूँ।
मैं बहुत समय से अन्तर्वासना का पाठक रहा हूँ। मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा हूँ। मेरी उम्र 21 साल है, लम्बाई 6 फीट है। मेरा हथियार 6.5 इंच का है।
मैं यह पहली कहानी लिख रहा हूँ। यह घटना बिलकुल सच है, घटना पिछले महीने की है। मेरे घर के पड़ोस में सामने ही एक परिवार रहता है, वो लोग मेरे घर के पड़ोस में किराये से रहते थे। वो आदमी बजाज में काम करता था और उसकी अभी कुछ महीने पहले ही शादी हुई थी। पर वो रात को 11-12 बजे शराब पीकर आता था।
उसकी औरत घर में ही रहती थी। वो दिखने में एकदम माल दिखती थी। उसकी उम्र तकरीबन 24 साल है। उसकी फिगर 34-26-36 थी। वो मुझे पहले दिन से ही पसंद थी पर मैं उस से बात नहीं कर पा रहा था क्योंकि मेरे घर में अक्सर कोई न कोई रहता है।
पिछले महीने जब मेरे इम्तिहान खत्म हुए तो मैं अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने होटल गया था। मैंने उस दिन थोड़ी शराब पी थी। रात 8 बजे पार्टी से घर आते हुए उसने मुझे देख लिया था। उस दिन मेरे घर में कोई नहीं था। इसलिए मुझे भी कोई टेंशन नहीं थी। मैं घर गया और लैपटॉप पर ब्लू फिल्म देखने लगा। मेरा लंड खड़ा हो गया था, मैं मुठ मार रहा था।
उसी समय दरवाजे पर दस्तक हुई। मैं एकदम से डर गया कि इस समय कौन आ गया क्योंकि मैंने शराब पी हुई थी।
मैंने दरवाजा खोला। सामने वही बाजू वाली नवविवाहिता लड़की थी, मुझसे बोली- मेरे घर का गैस सिलेण्डर खत्म हो गया है और मैं दूसरा सिलेण्डर लगाने में डर रही हूँ। क्या आप मुझे वो सिलेण्डर लगाने में मदद करेंगे?
मैंने उसे हाँ कर दी। मैं उसके साथ चल दिया।
उसने उस वक़्त हल्के से कपड़े पहने थे। जब वो चल रही थी तो मैं पीछे से उसकी मस्त कमर को हिलते हुए देख रहा था। उसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने अपने आप पर कण्ट्रोल किया। मैं पहली बार उसके घर गया था। उसके घर में तीन कमरे थे। पहला कमरा एक हॉलनुमा था। दूसरा कमरा रसोई घर था। तीसरा कमरा शयन कक्ष था।
मैंने उससे पूछा- सिलेण्डर कहाँ है?
वो बोली- हॉल में है।
वो सिलेण्डर लेने चली गई। मैं भी उसके पीछे-पीछे दूसरे रूम में गया। सिलेण्डर का वजन अधिक होता है सो मैंने खुद ही सिलेण्डर को उठा कर लाने की सोची। सिलेण्डर लगाते समय मेरा लंड उसकी पिछाड़ी में जोर से टकराया। वो एकदम से डर कर खड़ी हो गई।
मैंने उसे सॉरी बोला और सिलेण्डर लगाने लगा। वो बिल्कुल मेरे पीछे खड़ी थी। मुझे बहुत मजा आया। मैंने जैसे तैसे सिलेण्डर लगाया और जाने लगा।
वो बोली- चाय पीकर जाइएगा।
मैंने मना कर दिया।
वो बोली- क्यों, आपका नशा कम हो जायेगा क्या?
मैं डर गया और बोला- क्यों? कैसे?
वो बोली- इतना नादान ना समझ ! मैं भी तेरी उम्र के दौर से गुजरी हूँ और मालूम है कि इस उम्र के लड़के क्या-क्या करते हैं।
वो हँसने लगी, बोली- तूने ड्रिंक किया न?
मैंने भी बोल दिया- आज ही इम्तिहान खत्म हुए थे तो दोस्तों ने पिला दी।
वो कुछ नहीं बोली और मैं घर आ गया। उसके नाम की मुठ मार कर सो गया। मैं सुबह लेट उठा।
मैं मुँह धो रहा था। वो वहीं सामने अपने आंगन में कपड़े धो रही थी, मेन गेट खुला था, उसकी जांघ देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया। उसने मुझे देख लिया।
हँस कर बोली- कल की उतरी नहीं क्या जनाब?
मैंने भी बोल दिया – रात की तो कब की उतर गई, पर आपका नशा नहीं उतरा।
वो बोली- क्या मतलब?
मैंने सिर्फ इतना कह दिया- आप बहुत सुन्दर हो।
वो शरमा गई, बोली- घर में कोई नहीं है तो खाना हमारे यहाँ खा लेना।
मैं उसे हाँ कहकर, तैयार होकर घूमने के लिए बाहर चला गया। दोस्तों के साथ में आज भी ड्रिंक कर ली। आते वक़्त मैंने दो पैकेट कंडोम खरीद लाया।
मैं दोपहर में 1 बजे घर आया, उसके घर गया। वो मेरा इन्तजार कर रही थी, मुझे देख कर वो मुस्कुराई, मैंने भी उसको मुस्कुरा कर देखा। उस वक़्त उसने साड़ी पहनी हुई थी। हम दोनों ने खाना खाया और मैं उनके ही घर पर टी वी देखने लगा गया।
वो मुझसे इधर उधर की बातें कर रही थी और बातें करते-करते उसने मुझसे पूछा- कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने कहा- नहीं।
वो बोली- झूट मत बोलो।
मैंने कहा- मैं सच कह रहा हूँ।
उसने मुझसे पूछा- क्यों नहीं है?
मैंने कहा- आप जैसी नहीं मिली।
वो शरमा गई। मैंने उसके कन्धे पर हाथ रख दिया। वो वहाँ से उठकर जाने लगी। मैंने उसको पकड़ लिया। वो थोड़ा कसमसाई। उसके चहरे पर एक कातिलाना मुस्कराहट थी। उसने खुद को ढीला छोड़ दिया। मैंने उसे अपने पास खींचा और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए।
वो थोड़ा न नुकर करते हुए बोली- ये सब गलत है, मैं अपने पति को धोखा नहीं दे सकती।
मैंने कहा- हम दोनों जो कर रहे हैं वो शरीर की जरुरत है। यदि तुम्हारा पति तुम्हारी इस जरूरत को पूरा करता है तो तुम बेशक जा सकती हो। इस उम्र में ये सब सामान्य बात है, इसे धोखा नहीं कहते हैं।
वो मन ही मन में मेरा साथ देना चाहती थी पर सीधा कह न सकी। मैं उसके मन की बात समझ गया और उसे चूमने लगा। उसका विरोध समाप्त हो चुका था। मैंने तकरीबन दस मिनट तक किस किया। वो भी खुल गई थी, मेरा भरपूर साथ दे रही थी। मैं उसे गाल के बाद उसके वक्ष स्थल पर चुम्बन करने लगा। इससे वो उत्तेजित हो गई। मैंने उसके स्तनों को सहलाया और उसके चूचुक को अपनी उँगलियों से दबा कर मसला। वो और गर्म हो गई।
मैंने अपना हाथ उसके पेट के ऊपर से सहलाते हुए उसकी चूत पर रख दिया और उसे जोर से सहलाने लगा। वो मचल उठी। मैं उसे अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले गया। उसको बिस्तर पर लेटा कर उसकी साड़ी उतारने लगा।
उसने थोड़ी नानुकुर की पर मैंने कहा- अब मुझे मत रोको।
मैंने उसकी साड़ी उतार दी। साड़ी उतारने के बाद मैंने उसका पेटीकोट और ब्लॉउज भी उतार दिया। उसके बाद वो सिर्फ ब्रा और पेन्टी में थी। मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए।
ब्रा पैंटी में वो मुझे उस समय बहुत ही कामुक, सुन्दर और मासूम लग रही थी। मैं उसे अपनी बाँहों में लेकर, उसके होंठों को चचोरने लगा। अब वो भी मेरा साथ दे रही थी।
वो बोली- जान मुझे खा जाओ। मैं बहुत प्यासी हूँ।
मुझसे वो लता सी लिपट गई। उसकी शर्म खत्म हो चुकी थी। हम दोनों ही एक दूसरे में खो जाना चाहते थे। मैंने उसके दुद्दुओं को अपने हाथों में भर कर खूब मसला।
वो सिसिया कर बोली- धीरे करो न, लगती है।
मैंने उसके एक मम्मे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। मैं उसको ऐसे दबोचे था, जैसे भूखे को फाइव स्टार का खाना मिल गया हो। मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में बहुत अन्दर तक डाल कर उसके उस संवेदनशील अंग को कुरेदा, जिससे वो एकदम से पानी-पानी हो गई और उसने अपनी टाँगें खोल दी।
मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में करना और तेज कर दी। वो सिसकरियाँ ले रही थी, उसके मुँह से कामोत्तेजनावश कामुक शब्द निकल रहे थे, ” सतीश मेरी जान लेगा क्या? अब नहीं रहा जाता मुझे चोद दे हरामी ईई !”
उसकी चूत से बहुत पानी निकल रहा था। पूरे कमरे में मस्त आवाज गूँज रही थी, मानो जैसे कोई संगीतकार कामुक गाना गा रहा हो। मेरा लौड़ा भी अब रुकने को राजी नहीं था। मैंने उसकी ब्रा और पेन्टी उसके शरीर से निकाल दिए।
अब वो मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी थी उसका बदन खजुराहो की मूर्ति सा लग रहा था। उसके उरोज तेज साँसों के कारण ऊपर-नीचे होते देख कर यही लग रहा था की वो अप्सरा सी सुन्दर लगने वाली, मेरी आग शांत करने के लिए नीचे धरती पर उतर आई थी।
मैंने मोर्चा सम्भाला और उसके ऊपर चढ़ गया, उसकी चूत में उंगली करने लग गया। एक हाथ से उसके मम्मे दबाते रहा और उसको चूमता रहा। वो बहुत गर्म हो चुकी थी और थोड़ी ही देर में स्खलित हो गई, एकदम से शांत हो गई।
कुछ पलों के बाद उसने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे चूसने लगी। वो मेरे लंड को लोलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैं पहले ही बहुत उत्तेजित था और कण्ट्रोल नहीं कर पाया। उसके मुँह को ही चूत समझ कर चोदने लगा, और तब तक चोदता रहा जब तक मेरा माल नहीं निकल गया।
उसने मेरे वीर्य को पूरा चूस लिया जैसे कोई उसे अमृत पिला रहा हो। मेरा लंड अब छोटा हो रहा था। उसने फिर से उसे चूस कर बड़ा कर दिया। थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने लंड उसके मुँह से निकाल कर उसे चूमा और उसकी बुर में उंगली करने लगा। वो भी फिर से गर्म हो गई थी।
मैंने लंड उसकी चूत की दरार पर रखा और लंड से चूत को ऊपर से कुरेदा, मैंने उसको कंडोम दिया, उसने वो कंडोम मेरे लंड पर लगाया। मैंने उसके मम्मे चूसे, वो बहुत गरम होकर मचलने लगी थी।
मैंने अपना लंड उसके चूत पर रखा, उसकी दोनों टाँगें अपने कन्धे पर रखीं, मैंने लंड को एक धक्का दिया पर मेरा लंड फिसल गया।
दो तीन बार ऐसा हुआ।
उसने हँसते हुए कहा- इतना बड़ा लौड़ा लिए घूमता है, और घुसेड़ना आता नहीं है?
मेरा लंड हाथ में लिया और चूत पर रख दिया। मैंने थोडा सा जोर लगाया, मेरा लंड का सुपाड़ा अन्दर चला गया। वो मेरे लौड़े को अपने हाथ से अब भी पकडे थी। उसके बाद मैने और जोर से धक्का दिया। मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया।
वो चीखी। अब शायद उसे दर्द हो रहा था। उसने मुझे रुकने के लिए नहीं कहा क्यों कि उसे भी मजा आ रहा था।
मैंने और जोर से धक्का दिया। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। उसकी एक जोर की चीख निकलने ही वाली थी। उसी समय मैंने उसके होंठो पर अपना हाथ रख दिया।
कुछ देर लण्ड को खेलने से रोक कर मैंने अपने होंठों से उसके दुद्दुओं को चूसा तो उसे कुछ राहत मिली। चुदाई कार्यक्रम फिर चालू हो गया। मैं उसे 15 मिनट तक अलग-अलग पोजीशन में लगातार चोदता रहा।
वो झड़ चुकी थी। कुछ और दमदार शॉट मार कर मेरा माल भी निकल गया।
उसके बाद हम दोनों ने तीन बार चुदाई की। बाद में एक दिन मैंने उसकी गांड भी मारी। वो मैं बाद में बताऊँगा।
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