मैं जन्नत की सैर कराऊँगी -2
उसके बाद बब्लू खड़ा हुआ और सिन्धवी के दोनों पैरों के बीच खड़ा हो गया और अपने 8 इंची लौड़े से मूठ मारने लगा।
करीब दो मिनट बाद उसके लन्ड से फव्वारे सा वीर्य छूट कर सिन्धवी के पूरे जिस्म पर गिर गया।
उसके बाद बब्लू ने फिर कुत्ते जैसी पोजिशन ली, और लपलपाती हुई जीभ से उसने सिन्धवी के पूरे बदन को चाटा और साफ कर दिया, इस बीच वो मुझ पर भी नजर रखी हुए थी कि मैं कहीं अपने जिस्म से छेड़छाड़ तो नहीं कर रहा हूँ।
फिर वो उठी और बाथरूम में जा कर नहाने लगी और बब्लू भी नीचे चला गया लेकिन बब्लू ने मेरी तरफ देखा भी नहीं।
उधर सिन्धवी नहा कर बाहर आई और डोरीनुमा पैंटी को पहन लिया जिसकी डोरी उसके दोनों फाँको के बीच जा कर फंस गई फिर ब्रा पहन कर उसने झीनी सी गाउन पहन कर मेरी ओर देखा और मुझसे बोली- अब तुमने मुझे नंगी देख लिया, तुम्हारी इच्छा पूरी हुई, अब तुम जा सकते हो।
मैं- लेकिन मैं तुमसे 2 बातें पूछना चाहता हूँ।
सिन्धवी- पूछो!
मैं- एक तो तुमने मुझसे वादा किया था कि अगर मैं तुम्हारी लाइव सेक्स मूवी को देखते-देखते अगर अपने जिस्म या लन्ड को न मसलूँ तो तुम मुझे जन्नत की सैर कराओगी? और दूसरा कि जब तुमने बब्लू के साथ हर क्रीड़ा की तो उसका लण्ड अपने बुर में क्यों नहीं लिया?
सिन्धवी- मैं इस समय थक गई हूँ। आज रात तुम्हारे घर आकर तुम्हारी दोनों इच्छाओं को पूरी कर दूंगी, अब तुम यहाँ से जाओ।
मै- ठीक है, मैं चला जाता हूँ, लेकिन जाने से पहले मैं कुछ मीठा खाना चाहता हूँ।
सिन्धवी- बब…
मैंने तुरन्त ही उसके होठों पर उँगली रखी और बोला- बब्लू से मीठा नहीं मँगवाओ, तुम्हारे मीठे होठों का रसपान करना चाहता हूँ।
इतना कहकर मैंने उसके गर्दन में अपनी बाँहो को डाला और अपने तरफ खींचते हुए उसके नरम होंठों पर अपने होंठ रख दिए, उसने भी बिना नानुकुर के मेरा साथ दिया।
करीब पाँच मिनट के अंतराल के बाद सिन्धवी ने रात को मेरे घर आने का वादा करके मुझे अपने से अलग किया।
शाम को छः बजे के करीब वो आई। जब मैंने उसे देखा तो देखता रह गया, क्या कायमत ढा रही थी। नीले रंग का टाप जो काफी ढीला था और उसके उरोजों की गहराई को दर्शा रहे थे और हाफ सफेद निकर जो काफी टाइट थी और जिसमें उसके नितम्ब पूरी तरह उठे हुए थे और आर्किषत लग रहे थे तथा उसके जिस्म से आती हुई गंध से मेरा हाथ और लण्ड काबू से बाहर जा रहे थे।
मेरी हथेली उसके चूतड़ों और चूची को मसलने के लिये तैयार थे, बस उसका इशारा मिलने की देर थी।
वो आते ही मुझसे लिपट गई और अपने हाथों से मेरे पहले से टाइट पड़े सामान को खोजने लगी, मैं भी तुरन्त ही उसके उभरे हुए चूतड़ो को मसलने लगा, अब मेरे हाथ में आई हुई मलाई को यूँ ही नहीं जाने दे सकता था, इसलिये मैं धीरे-धीरे नीचे होते हुए अपने घुटनों के बल बैठ गया और उसकी नाभि को चूसने लगा, परिणाम स्वरूप उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
फिर धीरे से मैंने उसके टाप को उतारा और उसके मुसम्बी जैसे चूचे को अपने मुँह में भर लिया। उससे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उसने अपनी निकर को जल्दी से उतारा और मेरे कपड़े जल्दी-जल्दी उतार दिए और टट्टी करने की पोजिशन में बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी।
थोड़ी देर चूसने के बाद वो मुझसे बोली- शरद! आज मेरी प्यास जल्दी से बुझा दो, मुझे चोदो, मेरी बुर का भोसड़ा बना दो, जब से मैं तुमसे मिली हूँ मैं तुमसे चुदना चाह रही थी लेकिन कह नहीं पाई।
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मैं- तुम तो बब्लू से चुदवा सकती थी ना?
सिन्धवी- कुछ मत बोलो, पहले मेरी प्यास बुझा दो, मुझे चोदो।
मैंने उसे डाइनिंग टेबल पर लिटाया और उसके बुर में लंड को सटा दिया, लेकिन मेरा लंड उसकी गुफा में जाने को तैयार नहीं था, इससे मुझे लगा कि सच में वो चुदी नहीं है।
मैंने तुरन्त ही पास से क्रीम उठाई और उँगली में लेकर उसके बुर के अन्दर तक लगाई और फिर अपने लौड़े में लगा कर थोड़ा सा तेज झटका मारा, मेरे लंड का आधा हिस्सा उसके बुर में जाते ही वो बबुत तेज से चीखी और मुझसे अपने आप को छुड़ाने का प्रयास करने लगी।
उसकी आँखो में आँसू आ गये थे।
मैं तुरन्त ही उसके बहते हुए आँसू को पीने लगा और अपने होंठों से उसके होंठों को चूसने लगा।
फिर वो शान्त पड़ गई पूछने लगी- क्या इतनी पीड़ा होती है?
मैंने उसे थोड़ा और बर्दाश्त करने के लिये कहा और उसके निप्पल और होठों को चूसता रहा, जैसे ही वो ढीली पड़ी, मैंने अपने लंड को हल्के से बाहर किया और एक तेज धक्के से लंड को उसके अन्दर पेवस्त कर दिया।
इस बार वो चीखी नहीं, बस अपने होंठों को चबाती रही।
मैं फिर उसके ऊपर गिर गया और जिस्म को चाटता रहा, उसका जिस्म क भी बड़ा नमकीन सा स्वाद था।
सिन्धवी- क्या हम लोग इसको दूसरे दिन नहीं कर सकते?
मै- कर तो सकते हैं लेकिन जो कुछ होना था हो चुका!
कहकर धीरे से मैंने अपना लंड बाहर निकाला, मेरा लन्ड उसके खून से सना हुआ था, और फिर अन्दर डाल दिया और धीरे धीरे आगे पीछे करता रहा।
अब वो भी मेरा साथ देने लगी, उसका हाथ मेरे चूतड़ों को सहला रहा था और अपने नाखूनों से मेरे छेद को खोद रही थी, धीरे-धीरे उसका दर्द रीत्कारों और गालियो में तबदील हो गया- फाड़ मेरी चूत मादरचोद… कब से मैं चाह रही थी कोई मुझे चोदे… आज मुझे इतना चोदो कि मैं चुदते-चुदते मर जाऊँ।
इधर मैं अब खलास होने की पोजिशन पर आ गया था कि तभी सिन्धवी चीखी- मेरा पानी निकल रहा है।
इतना सुनते ही मैंने अपने लन्ड को बाहर किया और उसके बुर के ऊपर अपने माल को छोड़ दिया।
सिन्धवी ने जब फर्श पर पड़े हुए अपने खून को देखा तो मुझसे इशारो में पूछा, मेरे उत्तर से थोड़ा मुस्कुराई और उठ कर बाथरूम जाने का रास्ता पूछा लेकिन वो चल नहीं पा रही थी।
मैं उठा, उसको गोद में उठाया और बाथरूम की तरफ चलने लगा कि तभी मेरे दिमाग में शरारत सूझी, मैंने तुरन्त ही सिन्धवी को गोद से उतारा और उससे उसके खून को साफ करने के लिये बोला।
सिन्धवी- मैं अभी चलने की हालत में नहीं हूँ और मुझे पेशाब भी तेज लगी है, पहले मुझे बाथरूम ले चलो, फिर मैं इस खून को साफ करती हूँ।
मै- तुम्हें बाथरूम जाने की क्या जरूरत, यहीं बैठ कर पेशाब करो और अपने खून को साफ कर दो।
सिन्धवी तुरन्त नीचे बैठ गई और पेशाब करने लगी।
सिन्धवी बुर की ओर इशारा करते हुए- यार यहाँ जलन हो रही है।
मैंने उसे गोद में उठाया बाथरूम लेकर गया और गीजर से हल्का गर्म पानी लेकर उसकी चूत को साफ किया और डेटाल से साफ करके क्रीम लगा दी और फिर उसके बेड पर लिटा कर उसके बगल में लेट गया, उसने अपना सिर मेरे सीने में रख दिया।
मैं उसके बालों को सहलाते हुए उसके बब्लू से न चुदने का कारण पूछा- सिन्धवी, क्या बात है एक तरफ तो तुम बब्लू के सामने पूरी नंगी होती हो और वो तुम्हारे जिस्म के एक हर हिस्से को छूता है, चाटता है, लेकिन तुमने उसका लंड अपने बुर में नहीं लिया?
सिन्धवी- सिली सी बेवकूफी के कारण।
मै- सिली सी बेवकूफी??
सिन्धवी के शब्दों में घटना का विवरण:
हाँ, यह हमारे घर में पिछले चार साल से रह रहा है। धीरे-धीरे यह घर का एक सदस्य जैसा हो गया और बिन्दास होकर ये पूरे घर में कहीं भी जा-आ सकता था, इस तरह बब्लू हम लोगों से बहुत ज्यादा खुला हो गया। मुझे नहीं मालूम यह मुझे कब से नहाते हुए देख रहा था, पर आज से छ: महीने पहले मैं बाथरूम में नहा रही थी कि मुझे लगा कि कोई छेद से मुझे देख रहा है, पर घर पर मैं, पापा, मम्मी और बब्लू के अतिरिक्त तो कोई और नहीं था। तो इसका मतलब बब्लू ही था जो मुझे रोज नहाते हुए देखता था।
मैंने उसको अपना पिछवाड़ा दिखाते हुए व्यस्त रखा और दरवाजा झटके से खोल दिया और उसके सामने पूरी नग्न अवस्था में खड़ी हो गई मुझे इस तरह से सामने देख कर बब्लू सकपका गया।
मैंने उससे पूछा कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
बब्लू- कु कुछ नहीं…
सिन्धवी- कुछ नहीं के बच्चे, रूक तो आज पापा से बताती हूँ।
इतना मेरा कहना था कि वो फफक कर रोने लगा, इधर मैंने तौलिये से अपना बदन को ढक लिया।
बब्लू रोते हुए और पैर छूते हुए- मेम साब, साहब को मत बताना!
सिन्धवी- ठीक है, लेकिन आज के बाद जब तक मैं ना बुलाऊँ, ऊपर मत आना… अब जाओ यहाँ से।
लेकिन जाते-जाते जिस तरह उसने मुझे पलट कर देखा वो मुझे अच्छा नहीं लगा, पता नहीं क्यूँ, पर अच्छा नहीं लगा।
अब बब्लू ने उपर आना छोड़ दिया और धीरे-धीरे सब समान्य हो गया।
हम चारों लोग छुट्टियों में ताश खेलते थे और हल्की फुल्की कोई भी शर्त लगा लेते थे।
इधर दो महीने पहले घर में बड़े पापा के बेटी की शादी पड़ी थी और मम्मी और पापा शादी की तैयारियों के लिये रोज मार्केट जाते थे। उन्ही दिनों एक दिन उसने मेरी बेवकूफी या उसके अपने कमीनेपन का फायदा उठा लिया।
बब्लू- मैम साब, अकेले बोर हो रही हो तो आइये, ताश खेल लिया जाये।
सिन्धवी- हाँ बब्लू बोर तो हो रही हूँ, चलो ठीक है आओ ताश ही खेलते हैं।
बब्लू- मेम साब…
सिन्धवी- हाँ बोल?
बब्लू- बाजी खेलेंगी या??
सिन्धवी- चल बाजी ही खेलते है।
मैंने यह सोच कर कि रूपये-पैसे की बाजी ही होगी, लेकिन मुझे क्या मालूम वो इतना हरामी निकलेगा कि मेरी चूत चोदने की सोच कर आया है।
बब्लू- पर जीतने वाले पर निर्भर करेगा कि वो बाजी में अपने मन का मांग सकता है और खेल खत्म कर सकता है, हारने वाले की कोई बात नहीं सुनी जायेगी।
सिन्धवी- ठीक है पर यह बात याद रखना, यह बात तेरे ऊपर भी लागू होगी, बाद मैं मुझे कुछ मत बोलना?
बब्लू- ठीक है।
उस मक्कार की बातों को तो भी मैं नहीं समझ पाई और न ही उसकी मुस्कुराहट को जो यह बता रही थी कि दोनों हालात में उसी को फायदा होने वाला था।
पहली बाजी…
बब्लू- मैं जीत गया।
सिन्धवी- बता कितना चाहिये?
बब्लू- कितना नहीं, क्या चाहिये?
सिन्धवी- क्या मतलब?
बब्लू- आप ही ने कहा था कि अपने मन से मांग सकता है?
सिन्धवी- हाँ ठीक है, तो मांग न कितना चाहिये।
बब्लू- मुझे पैसे नहीं चाहिये!!!
सिन्धवी- तो फिर क्या चाहिये?
बब्लू हाफ पेन्ट की तरफ इशारा करते हुए- मुझे आपकी ये निकर चाहिये।
मैंने एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसको दिया, फिर भी वो बेशर्म की तरह उसी को मांगता रहा।
सिन्धवी को बीच में टोकते हुए मैं बोला- तो तुम्हे उसी समय खेल बन्द कर देना चाहिये और घर में बता देने की बात कहनी चाहिए थी।
सिन्धवी- मैंने उससे कहा था, लेकिन उससे पहले उसने उन फोटोग्राफ को मुझे दिखाया जिसमे मैं पूर्ण रूप से नग्न थी।
बब्लू- मेम साब, मैं आपकी मार का बुरा नहीं मानूँगा, पर अगर अपनी निकर नहीं दिया और घर में बता देने की धमकी दी तो मैं ये आपकी फोटो पूरे कालोनी में बांट दूंगा।
सिन्धवी- यह तो ब्लैक मेलिंग है? अगर तुम्हें मुझे नंगी देखना है तो मैं पूरे कपड़े उतार देती हूँ।
बब्लू- नहीं, ऐसा मत करो, हो सकता है कि अगली बाजी आप जीत जाओ और यह गेम यहीं खत्म हो जाये तो?
सिन्धवी- उसकी बात मुझे समझ में आई और मैंने उसे अपनी हाफ पैन्ट उसे दे दी, उस समय मैंने डोरी वाली पैन्टी पहनी हुई थी, वो मेरी अधखुली बुर को देख कर अपनी आँख सेक रहा था।
सिन्धवी- उसने अगली चारों बाजी जीत ली और मुझे एकदम से नंगी बैठा दिया और मेरी तरफ देख करके कुत्ते की तरह अपनी जीभ लपलपा रहा था। उसकी हवस भरी नजर ने मुझे डरा दिया और मुझे डर लगने लगा कि कहीं अगली बाजी यह जीत गया तो कहीं ये मुझे चोदने की बात न कह दे, इस डर से मैं भगवान की प्रार्थना करने लगी तभी!!! भगवान ने मेरी सुन ली थी, और मैं बाजी जीत गई थी।
पहले पहल तो मैं अपने कपड़े लेकर उसे घर से ही दफा कर देना चाहती थी, पर उससे क्या होता, उसने तो मुझे नंगी कर ही दिया था, और मैं उसे ऐसे ही नहीं जाने देना चाहती थी। और मेरे घर का एक अदना सा नौकर मुझे चोदने की सोचे, इतना ही सोच कर मेरे अन्दर गुस्सा आ रहा था। इसलिये मैं उसे सबक सिखाने की सोच रही थी और मैंने सोच लिया था कि अगर अगली बाजी मैंने जीती तो मुझे क्या करना है।
इसलिये मैंने मेरे कपड़े उसके पास ही रहने दिए और बदले में मैंने एक ही बार में उसके सब कपड़े उतरवा लिए, पहली बार जब मैंने उसका लंड देखा तो मैं सिहर गई, अगर वो मुझे चोदने वाली बाजी जीत लेता तो मेरे बुर में उसका इतना लंबा लन्ड कैसे जाता और मेरा क्या होता।
मैंने फ़िर टोका- फिर तुमने क्या किया।
सिन्धवी- मैंने बब्लू से कहा कि मेरे कपड़े तुमने मेरे उतरवा लिये हैं इसलिये आज के बाद मैं ये कपड़े मैं कभी नहीं पहनूँगी, इसे तू अपने ही पास रख और ये अपने कपड़े भी अपने पास रख। और अब मैं तुझे एक मौका देती हूँ, यह अन्तिम बाजी है, अगर तू जीता तो तू जो कहेगा वो मैं करूँगी और अगर मैं जीती तो जो मैं कहूँगी वो तू करेगा और किसी भी समय तू मना नहीं करेगा। और बाजी खेलने से पहले तू बता कि अगर तू बाजी जीत गया तो तू मेरे साथ क्या करेगा?
बब्लू- मैम साब, मैं केवल आपकी चूत चोदना चाहता हूँ और गांड मारना चाहता हूँ और बस?
सिन्धवी- ठीक है, अगर तू जीत जाता है तो जो तू चाहता है वो करके मुझे मेरी फोटो देकर इस घर से बिना बताये चले जाना।
बब्लू- और अगर आप जीती तो?
सिन्धवी- तो जिन्दगी भर तू इस घर में रहेगा? और जो मैं कहूंगी जैसा मैं कहूँगी और जब मैं कहूँगी वो तुझे करना होगा।
सिन्धवी- चल चाल चल, कहकर मैंने उसे चाल चलने के लिये बोला और मन ही मन भगवान को याद करने लगी।
उत्सुकता वश मैंने पूछा- फ़िर क्या हुआ?
सिन्धवी- वो बाजी मैं जीत गई।
मै- सिन्धवी, मैं नहीं समझा, अगर वो जीतता है तो तुम्हे चोद कर वो घर से चला जाये और अगर हारता है तो वो जिन्दगी भर तुम्हारे घर में रहेगा???
सिन्धवी- अगर वो जीत जाता तो वो मुझे चोदता और मैं यह कभी बर्दाश्त नहीं कर पाती कि एक नौकर मुझे चोद कर मेरे ही घर में मेरे सामने तन कर रहे। इसलिये मैंने उसे जीतने के बाद जाने को बोला।
और जब मैं जीत गई तो आज वो कुत्ते की तरह मेरे इर्द गिर्द रहता है और एक कुत्ते की तरह मैं उससे अपनी चूत, गांड सब चटवाती हूँ।
मैं- इससे तो उसका फायदा ही हुआ ना, उसको तो बिना मांगे मुराद मिल गई। यदि वो जीत जाता तो तुम्हें चोद कर चल देता और हारा है तो भी तुमको चोद नहीं सकता, पर तुम्हारे जिस्म के हर हिस्से के साथ खेल सकता है।
सिन्धवी- हाँ ठीक है, मुझे जो अच्छा लगा मैंने उसे सबक सिखाने के लिये कर दिया। आज मैं उसके साथ और भी कुछ करने वाली हूँ।
मैं- क्या?
सिन्धवी- देखते जाओ।
कहकर सिन्धवी उठी और अपनी गांड मटकाते हुए टेलीफोन से नम्बर डायल करने लगी।
सिन्धवी- बब्लू, तुम जल्दी से सक्सेना जी के घर आ जाओ और याद रखना कि केवल तुम्हारे जिस्म में चड्डी ही हो और कुछ न हो।
इतना कहकर सिन्धवी ने टेलीफोन रखा और मेरे पास आकर मेरे होंठो को चूसते हुए अपने बुर को रगड़ने लगी।
तभी दरवाजे की घंटी बजी, सिन्धवी मुझे छोड़ कर तुरन्त ही दरवाजा खोलने चल दी, दरवाजा खोलते ही बब्लू सामने था।
सिन्धवी- अन्दर आ जा और अपने चड्डी उतार कर कुत्ते की तरह मेरे पीछे आ।
बब्लू तुरन्त ही अन्दर आ गया और अपनी चड्डी उतार कर कुत्ते की तरह झुक कर सिन्धवी के पीछे चल दिया अब मैं सिन्धवी की एक एक हरकत का मजा ले रहा था, वो अब भी अपनी चूत को रगड़ रही थी, अभी थोड़ी देर पहले सिन्धवी ने जहाँ मूता था वापस वहीं वो बैठ गई और बब्लू भी ठीक उसके बुर के मुहाने के सामने आकर खड़ा हो गया। अब सिन्धवी ने सर्रर्ररर्र र्रर्ररर्रर्र की आवाज के साथ मूतना शुरू किया और बब्लू के बाल को सहलाते हुए उसे उसकी मूत को चाटने का इशारा किया।
बब्लू ने एक बार उसकी ओर देखा, सिन्धवी ने अपने मुँह में उँगली रख कर उसे चुपचाप उसके मूत को चाटने के लिये कहा।
बब्लू को उसकी बात माननी पड़ी।
उसके बाद सिन्धवी ने बब्लू को वहीं पर खड़े रहने का इशारा किया और मेरी ओर आकर मेरे लंड को पकड़ कर चूसने लगी, करीब पंन्द्रह मिनट तक चूसते रहने के बाद मेरे माल को पूरा-पूरा गटक गई।
मेरा लौड़ा सिकुड़ गया, अब वो मेरे कभी कान को चाटती तो कभी मेरे एक निप्पल को दाँत से और दूसरे को अपने नाखून से काटती।
इस दौरान उसकी उत्तेजक हरकत से मेरे लन्ड में फिर से तनाव पैदा हो गया और मेरा लन्ड टनटना कर खड़ा हो गया, सिन्धवी ने मेरे कहने से मेरे लन्ड पर क्रीम लगाया और पलंग पर अपने हाथ को टिका दिया, लेकिन इससे उसकी चूत का मुँह ज्यादा नहीं खुला। इसलिये मैंने उसका एक पैर बगल में रखी हुई कुर्सी पर टिका दिया और उसको थोड़ा सा झुका दिया इससे उसकी चूत का मुँह खुल गया, लंड को उसके बुर में सेट किया और हल्की ताकत के साथ धक्का दिया।
‘ऊईईई… ईईई माँ…’ सिन्धवी चीखी और पूरी ताकत के साथ मुझसे अलग होने की कोशिश करने लगी। छूट न पाने की दशा में उसने अपने को ढीला कर दिया इससे उसकी सांस तेज चलने लगी।
इधर कभी मैं उसकी चूची को हौले से मसलता तो कभी उसकी पीठ को गीला करता या फिर उसके हिप को सहलता, इधर बब्लू भी सिन्धवी की चूत चुदाई देख कर काबू से बाहर हो रहा था और अपने लंड को मसले जा रहा था।
थोड़ी देर बाद संकेत स्वरूप अपनी गांड को हिलाना शुरू किया, उसका संकेत पाकर मैं धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। अब कमरे में फच-फच की आवाज शुरू हो गई थी और इसी शोर में सिन्धवी की आवाज भी आ रही थी- मेरी चूत का भोसड़ा बना दो, मैं रण्डी हूँ, आज राण्ड की तरह चुदवाऊँगी, अभी मेरी चूत चुद रही है, मैं अभी अपनी गांड में भी तेरा लौड़ा लूँगी, मेरे प्यारे सैंय्या। आज अपनी सिन्धवी को ऐसा चोदो कि चुदवा चुदवा के वो मर जाये।
सिन्धवी- क्या लौड़े की अपने मूसल से केवल मेरी चूत चोदेगा या मुझे गांड चुदाई का भी मजा देगा।
सिन्धवी बब्लू को इशारा करते हुए- ऐ मादरचोद, वहाँ खड़ा रह कर अपने लंड को क्यो हिला रहा है। चल यहाँ आ और चल मेरी गांड चाट और अंदर तक क्रीम लगा!
बब्लू को बोल कर मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया। इधर वो मेरे लंड को चूसती उधर बब्लू उसकी गांड को चाटता, थोड़ी देर बाद बब्लू ने उसके गांड में क्रीम लगाई और सिन्धवी के बोलने से उसे मेरे लंड में भी क्रीम लगानी पड़ी।
फिर सिन्धवी ने मेरे लंड को पकड़ कर अपने गांड में सेट किया और थोड़ा से पीछे की ओर आई, पहली बार लंड फिसल कर अपना रास्ता भूल गया, लेकिन थोड़े से प्रयास के बाद लंड का सुपारा उसकी गांड में जाकर फंस गया।
मैं जानता था कि उसे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन वो अपने होंठों को चबाती रही और दर्द बर्दाश्त करती रही।
सिन्धवी- मेरे राजा, धीरे धीरे अपना लंड मेरे गांड में डालो।
मै- ठीक है मेरी रानी।
थोड़ी ताकत, थोड़े प्यार से अब लंड उसकी गांड में बेरोकटोक के आ जा रहा था और सिन्धवी की आवाज भी आ रही थी- मादरचोद आज सिन्धवी की गांड फाड़ दे।
काफी देर चुदाई के बाद मैंने सिन्धवी से पूछा- मेरा निकलने वाला है, कहाँ निकालूँ?
सिन्धवी तुरन्त मुड़ी और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर मेरा पूरा माल पी गई।
अब हम लोग निढाल होकर वहीं पलंग पर लेट गये, सिन्धवी ने बब्लू को इशारे से बुर चाटने के लिये बुलाया, बुर चटवाने के बाद उसे घर जाने के लिये बोली।
दूसरे दिन जब सिन्धवी घर गई तो तुरन्त ही लौट कर वापस आई उसके हाथ में एक पर्ची थी जिसमें यह लिखा था ‘मेम साब, मेरी उस गलती के लिये मुझे क्षमा कीजिएगा जो मुझे नहीं करनी चाहिये थी।’
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