मेरी नौकरानी अगर खूबसूरत नही होती तो मैं उसको नही लेता
मैं आशुतोष यादव आप सभी सेक्सी कहानी पसंद करने वाले दोस्तों को नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर अपनी सेक्सी कहानी सुना रहा हूँ. मैं एक बेहद ही शरीफ लड़का हूँ. मैं गोरखपुर का रहने वाला हूँ. पर मैं इतना शरीफ और नेक आदमी पहले नही था. अपनी जवानी की उम्र में मैं एक बेहद बिगड़ैल लड़का हुआ करता था. सीटियाबाजी और छिन्दरई में मैं नंबर एक था. कमीना बनने की सुरुवात मैंने अपने घर से की थी. जब एक दिन मेरी बहन सो रही थी की मैंने उसको जबरन पकड़ लिया था. उसके मुँह में मैंने रुमाल बाँध दिया था. मैंने उसको चोद दिया था. दूसरी बार अपनी जवान बहन को चोदने जा रही रहा था की घर के लोग आ गए थे और मुझे घर से भागना पड़ा था. पुरे १ महीना बाद मैं घर से लौट के आया था. क्यूंकि मेरे पापा ने कह दिया था की मैं जैसे ही लौट के आयुं, तुरंत पुलिस को फोन कर दिया जाए.
मैंने बहुत बुरा कांड कर दिया था. मेरी मम्मी और मेरे घर के सब लोगों ने मुझसे बोलना बंद कर दिया था. मैं अपने किये पर शर्मिंदा था. जो बहन मुझे राखी बांधती थी, मैंने उसको ही चोद दिया था. उसके मम्मे भी मैंने पी लिए थे. बाद में मेरी माँ ने पापा से बहुत गुजारिश की, तब उन्होंने मुझे माफ किया. वरना वो तो मुझे जेल में भिजवाना चाहते थे. मेरी २ बहने और थी, कुल ३ बहने थी. मैंने सबसे बड़ी को पेला था. इस वजह से अब मेरी २ छोटी बहने मुझसे डरने लगी थी. वो अब रात में कभी भी मेरे पास नही आती थी. वो मुझसे डरती थी. कुछ दिन तक मैंने अच्छा बर्ताव किया. फिर मेरे बड़े भाई की शादी हो गयी. घर में एक बड़ी सुन्दर भाभी आई. उनका नाम एकता था. बाप रे !! क्या गजब का सामान थी वो.
जब एकता भाभी की शादी के कुछ दिन हो गए तो उनको मेरे बारे में पता चला. वो मुझसे दोस्तों की तरह बात करने लगी. मेरे लिए चाय काफी लाने लगी. मेरी पसंद की चीज लाने लगी. मुझे हैरत हुई ये सब देखकर. फिर धीरे धीरे मुझे पता चला की वो मुझे पसंद करती है. एक दिन जब घर पर कोई नही था तो वो मेरे पास आई. उन्होंने रात में पहनी जाने वाली मैक्सी दिन में पहन रखी थी. मैक्सी में वो गजब का सामान लग रही थी.
आशुतोष !! एक बात कहूँ. किसी से कहोगे तो नही?? एकता भाभी बोली
बताओ भाभी!! क्या बात है? मैंने कहा
आशुतोष तुम्हारे भैया नपुंसक है. मुझे ले ही नही पाते है. मुझको चोदने से पहले ही वो झड जाते है. मुझको १ घंटे क्या चोदेंगे, २ मिनट में आउट हो जाते है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो मुझे कोई बच्चा पैदा ना होगा. समाज में तुम्हरे भैया की कितनी बदनामी होगी. इसलिए अब तुम ही मुझे बच्चा दे सकते हो’ भाभी रोते रोते बोली. मैं उनकी बातों में आ गया. वो मुझे अपने कमरे में ले आई. भाभी ने अपनी मैक्सी जब उतारी तो मुझे बड़ी मौज आ गयी. इतनी मस्त माल मैंने आज तक नही चोदी थी. बड़े बड़े चुच्चे थे उनके. मुझे लग रहा था की वो खुद चुदने के मूड में थी. क्यूंकि वो बहुत जादा सपोर्ट कर रही थी. खुद उन्होंने अपने कपड़े निकाले. ब्रा और पैंटी भी निकाल दी.
मुझे कुछ करने का मौका ही नही दिया. मेरे सामने नंगी होकर लेट गयी. मेरा मुँह उन्होंने अपने चुच्चे में दे दिया. मैं गटागट पीने लगा. ओह्ह क्या गदराये खूबसूरत मम्मे थे एकता भाभी के. मैंने खूब पिए. उनके मम्मे मैंने चोदे भी. फिर उनकी चूत पर आ गया. एकता भाभी की खूब बड़ी से फूली हुई चूत थी. मैंने उनकी चूत पी. फिर उनको लेने लगा. कुछ देर बाद भाभी की कमर किसी पुर्जे की तरह मटक रही थी. किसी स्प्रिंग की तरह उपर आती, फिर नीचे जाती. लगा जैसे कोई मशीन हो. जब मैं एकता भाभी को चोदने लगा तो वो मचलने लगी. मैं जोर जोर से हौककर उनको चोदने लगा. उनके चुच्चे जोर जोर से किसी बड़ी गेंद की तरह मचलने और हिलने लगी. भाभी ने अपने हाथों से अपने दूध को पकड़ लिया. मैं उनको मस्ती से चोदने लगा. भाभी सीधा मेरी आँखों में देख रही थी, वो मुझसे पूरी तरह से फंस चुकी थी.
मैंने भी उनकी आँखों में देखते हुए उनको चोद रहा था. बहुत मजा आया दोस्तों उस दिन. मुझे लगा की जैसे मुझे जन्नत मिल गयी हो. फिर उसके बाद जब हमारे घर पर कोई नही होता, हम देवर भाभी ऐयाशी करते. ऐसे कोई १ साल तक चला. एकता भाभी मुझसे चुदवाती रही. मैं उनको चोदता रहा. जब हम दोनों मौका पाये रंगरलिया मनाते. एक सी एक दिन मैं भाभी के कमरे में उनको पेल खा रहा था, उनकी चिकनी मलाई जैसी योनी में मैं अपना मोटा सा लौड़ा डाल कर चोद रहा था की अचानक ने मेरा परिवार बाहर से आ गया. मेरे पापा, मम्मी, बड़े भैया सब आ धमके. पापा से घंटी भी बजाई, पर शायद मैं सुन नही पाया. गमले के नीचे रखी चाभियों से मेरे पापा ने दरवाजे का लोक खोल लिया. सारा परिवार अंडर चला आया. मैं भाभी की दोनों सफ़ेद गोरी गोरी टाँगे उठाकर अपने कंधे पर रखी थी. उनको गचागच पेल रहा था. की इतने में बड़े भैया और पापा मेरे कमरे में ऐसे ही चलते चलते आ गयी.
आशुतोष!! ये सब क्या क्या?? मेरे पापा ने मेरे कमरे का दरवाजा खोल और जोर से चिल्लाये.
दोस्तों, मेरी तो गाड़ ही फट गयी. मैंने तुरंत उछल के किराने हट गयी. भाभी नंगी थी, मेरे पापा से उनको भी नंगे नंगे देख लिया. भैया का तो खून ही खौल गया. एकता भाभी ने तुरंत एक पास पड़ी चादर खींच ली और अपने मस्त चुदासे और लौडे के प्यासे बदन को ढक लिया. मेरे पापा का भी खून खौल गया. पापा और बड़े भैया लाठी लेकर आये और हम देवर भाभी को खूब मारा. बड़े भैया को इतने जादा गुस्सा हुए की अगले दिन भाभी को उनके मायके भेज दिया. पर मैं कहा भाग जाता. मैं कोई लड़की नही था जो अपने मायके भाग जाता.
आशुतोष!! तेरे पापा तेरे गंदे कारनामो के कारण तुझको सारी प्रोपर्टी से बेधकल कर रहें है. तूने पहले अपनी बहन को सोते में चोदा, फिर अपनी सगी भाभी को चोदा. बेटा!! तू इंसान है या राक्षस?? मैं भी तुझसे सारे रिश्ते खत्म कर रही हूँ. मेरी माँ बोली और रोने लगी. कुछ दिन बाद ये बवंडर किसी तरह शांत हुआ. मेरे घर में एक नई नौकरानी आ गयी. उनका नाम कविता था. बहुत प्यारी सामान थी वो. जब सब कुछ फिर से सही हो गया तो फिर से मेरा लैंड खड़ा होने लगा. बिल्कुल दुबली दुबली पलती पतली लड़की थी. अभी तक मैंने अपनी सगी बहन को चोदा था, अपनी भाभी को लिया था, पर नौकरानी कविता उन सबसे अलग थी. बड़ी मस्त माल थी वो. वो अभी १९ साल की माल थी.
उसे देखते हे मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता था. मन होता था की इसे बस एक बार गोद में उठा लूँ और प्यार से चोदू. जहाँ मेरी बहन और भाभी भरे हुए बदन वाली थी, वहीँ, कविता इकहरे बदन वाली थी. उसकी आँखें बड़ी सेक्सी और नशीली थी. उसकी बहुत अदाएं भी थी. उसके स्तन बड़े सधे हुए थे. ना बहुत छोटे और ना बहुत बड़े. नौकरानी कविता चोदने खाने और पेलने के लिए बिल्कुल एक परफेक्ट माल थी. उसको देखते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता था. कविता नेपाल की रहने वाली थी. वो सुबह सुबह पुरे घर में पोछा लगाती थी. मेरे कमरे में भी वो पोछा लगाने आती थी. वो फर्स पर बैठ जाती थी और झुक झुक कर पुरे कमरे में पोछा लगाती थी. उनके मस्त मस्त मम्मे उसके सूट के खुले हुए गले से दिखते थे. मेरा लंड खड़ा हो जाता था. मैंने सोच किया की मैं उनको पटाऊंगा. एक दिन जब कविता मेरे कमरे में आई तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.
आशुतोष बाबा !! ये क्या? आप ये क्या कह रहें हो?? कविता ने सहमते हुए पूछा.
कविता ! क्या तू जानती है की तू इकदम कश्मीर की कली दिखती है. ये ले कुछ पैसे अपने लिए अच्छा सा सूट खरीद लेना मैंने २००० का नोट उसे दे दिया. कविता को पैसों की जरुरत भी थी. इसलिए उसने पैसे ले लिए. मैं इसी तरह उसे मदद कर देता. सोचा की जब उसे चोदूंगा तो सारे पैसे वसूल हो जाएँगे. एक दिन मुझे बढ़िया मौका मिल गया. मैं और नौकरानी कविता अकेली थी. वो किचेन में खाना बना रही थी. मैं उसके पास और मीठी मीठी बातें करने लगा. वो भी मुझसे बड़े प्यार से बातें करने लगी. मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. कविता भी अभी बिल्कुल जवान थी.
ये क्या साहब?? वो बोली मेरे हाथ पकड़ने पर.
कविता! क्या तू किसी से प्यार नही करती? क्या तेरा कोई यार है?? मैंने उसे मस्का मारा.
नही साहब, कोई मिला ही नही! वो बोली
तो फिर मुझको अपना यार बना ले! मैंने उससे कहा
वो लजा गयी. मैं जान गया की काम बन गया है. कविता आटा घूथ रही थी. उसके दोनों हाथ में आटा लगा हुआ था. मैंने उसकी कमर में पीछे से हाथ डाल दिया. वो मचल गयी. मैंने उसके गालों पर पप्पी ले ली. वो बचाव करने लगी, आटा से सने हाथ से मुझे रोकने लगे. मेरे भी हाथो और गालों पर आटा लग गया. वो हँसने लगी. मैं जान गया की लड़की पट गयी है. मैं कुछ नही देखा और उसके गोरे गोरे चिकने चिकने गालों पर धडाधड चुम्मा लेने लगा. फिर मैंने कविता के मम्मे पर हाथ रख दिए. उसको मजा आया. मैं उसके दूध दाबने लगा. फिर चुम्मा और फिर नौकरानी कविता के मम्मो का मर्दन. उसका बड़ा सा तसला जिसमे वो आटा घूथ रही थी, वो उससे छूट कर नीचे गिर गया और सारा आटा हम दोनों की चुदासलीला के कारण किचेन के फर्श पर गिर गया. मैंने कविता को वही फर्श पर लिटा लिया. मन में एक फेंटेसी भी थी की आज तक किसी लड़की को मैंने रसोई में नही पेला है. मैंने कविता को किचेन के फर्श पर लिटा लिया. वहां कालीन बिछी थी तो अच्छा ही लगा रहा था. कविता के सूट को मैंने हाथों से उपर किया तो उसका पतला पतला गोरा गोरा पेट दिखने लगा. मैंने चूम लिया.
फिर उसकी नाभि को मैंने चूम लिया. अपनी जीभ के आगे के नुकीले भाग से मैं जल्दी जल्दी उसके पेट पर लहराने लगा. नौकरानी को बड़ा मजा आया. उसको गुदगुदी भी होने लगी. मैं जान गया की आज इसकी चूत तो मिल ही जानी है. फिर मैंने उसका सूट निकाल दिया. और सलवार का नारा खोल सलवार भी उतार दी. कविता से क्रीम कलर की ब्रा और पैंटी पहन रखी थी. मैंने उतार दी. वो भले ही मेरे घर की नौकरानी थी, पर अंदर से वो कयामत थी. उसके एक एक अंग बड़ी सजावट ने भगवान ने बनाया था. कविता के नग्न रूप को देखकर मैं उस पर पूरी तरह से मुग्ध हो गया था. मैंने उसके दूध पीने लगा. छोटे पर गोल और कसे मम्मे थे. मैंने मुँह में भर लिए और पीने लगा. जादा वक्त नही लगा. कुछ मिनटों में वो चुदने को तयार हो गयी. मैंने अपना मोटा सा खूबसूरत लौड़ा खड़ा किया. उसकी बुर पर मैं झुक गया और पीने लगा.
बड़ी सुन्दर चूत थी उसकी. बुर की फाकों में ३ कलियाँ थी. एक बीच वाली कली, जिसके मध्य में मूतने वाला छेद था. और २ कलियाँ आजू बाजू थी. मैंने ऊँगली से उनकी चूत फैला दी और पीने लगा. कुछ देर चूतपान हुआ. फिर मैंने उसको चोदने लगा. मेरा मोटा लंड आसानी से उसकी बुर में नही जा रहा था. पर फिर भी ठोक पीट के मैंने अपना लंड कविता की चूत में डाल दिया. हम दोनों के हाथ और चेहरे पर अब भी ढेर सारा आटा लगा था. पर मुझे कोई परवाह नही थी. मुझे तो बस उसकी बुर चाहिए थी. अन्ततः मुझे उसको चोदने में सफलता मिल गयी. मैं अपनी नौकरानी को बजाने लगा.
उसके मुँह में लगा आटा उसे और भी खूबसूरत बना रहा था. कितनी सुंदर बात थी. अपने किचेन में लड़की चोदने का ख्वाब मेरा पूरा हो गया था. मैं कविता को लेता रहा. मेरे जोर जोर से पेलने के कारण वो बार बार कालीन पर आगे जाती फिर पीछे होती, आगे जाती फिर पीछे होती. मैंने उसको खूब लिया और आउट हो गया. उसके बाद मैंने ६ महीने तक अपनी नौकरानी को बजाया. एक दिन मेरी माँ ने मुझे रंगे हाथों पकड़ लिया.
बेटा आशुतोष !! तू कभी सुधर नही सकता. अब तेरी शादी करनी ही होगी, वरना तू ऐसी अश्लील हरकतें करता ही रहेगा’ मेरी मम्मी बोली. फिर उन्होंने मेरी शादी कर दी. अब मेरी मस्त जवान औरत मेरे घर में आ चुकी है. मैंने हर दिन उसको ३ ४ चोदता हूँ, तब जाकर मेरा लौड़ा शांत होता है. दोस्तों, आपको ये कहानी कैसी लगी, अपनी राय नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दें.
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