बहन की सहेली की चूत की अधूरी चुदाई
अन्तर्वासना साइट पर यह मेरी पहली सेक्स कहानी है.. इसे आप सब लोग पढ़ें और मुझे जबाव दें.. कैसी लगी मेरी सेक्स स्टोरी !
जब मैं पढ़ता था और मेरी बहन नैना भी पढ़ती थी। नैना के इम्तिहान चालू थे और उसकी सहेली सपना मेरे घर पर ही पढ़ने आती थी।
उनके गणित का इम्तिहान आना वाला था.. तो एक रात मेरी बहन कहने लगी- आज रात हमारी थोड़ी मदद कर देना..
मैंने ‘हाँ’ कह दी और उस रात दोनों को पढ़ाने लगा और रात को पढ़ाते-पढ़ाते करीब 12 बज गए।
मैंने कहा- अब तुम दोनों पढ़ो.. मैं यहीं सो जाता हूँ.. कुछ भी परेशानी आए तो जगा देना..
यह कह कर मैं बाथरूम चला गया। मैंने उस दिन बनियान और पजामा पहना हुआ था। जब मैं वापस आया.. तो मुझे सामने सपना मिली, उसने काला पजामा और लाल टॉप पहना हुआ था.. वो मुझे एक कंटीली मुस्कान देने लगी.. मैं भी मुस्कान देने लगा और मैं वासना भरी निगाहों से उसके पूरे बदन को एक झलक निहारने लगा।
उसकी लम्बाई 5′ 2″ थी.. रंग सावंला था.. पर चेहरा गोल और गाल भरे हुए थे। आँखें काली और छोटी थीं.. उसके उरोज 32 इंच के थे.. बलखाती कमर 28 इंच की थी और उभरी हुई गाण्ड 32 इंच की थी।
उसे देखकर तो एक बार मन होता था कि उसे खूब प्यार करूँ.. पर कुछ नहीं करना है.. मन में ये कह कर उन दोनों के पास मैं सोने चला गया।
बिस्तर वैसे भी बड़ा था.. तो मैं एक तरफ सो गया। मुझे पता नहीं कब नींद आ गई.. अचानक रात की लगभग दो-ढाई बजे के आस-पास मुझे एहसास हुआ कि मेरे पाँव पर किसी का पैर है।
मैंने आँखों को खोल कर देखा.. तो सपना का पाँव है और सपना मेरे पास सोई हुई है। मैंने थोड़ा सिर को उठा कर देखा तो नैना सपना के पास सोई हुई है.. पर उसका सिर विपरीत दिशा में था।
मैं लेट गया.. पर मेरी आँखों से नींद गायब हो चुकी थी। मेरे पूरे बदन में एक अलग सा एहसास होता है.. जैसे मानो एक हल्का सा करंट दौड़ रहा हो.. मेरे हाथ मेरे बस में नहीं लग रहे थे।
मैं धीरे से अपने हाथ की उंगलियों को सपना के उरोज के पास ले गया.. जैसे ही मेरी उंगली सपना के उरोज पर लगी.. मुझे ऐसा लगा कि जैसे कोई मखमली आइटम हो.. मैं धीरे-घीरे उंगलियों से उसे दबाने लगा।
मेरी साँसें तेज होने लगती हैं मुझे अहसास होता है कि उसके उरोज बढ़ने लगे हैं। अब मैं और थोड़ा ज्यादा दबाने लगा.. तो सपना की सांस भी तेज होने लगीं।
।मैं उसकी साँसों का अहसास करने के लिए उसके करीब सीधा होकर लेट गया।
मेरी आँखें उसकी आँखों के सामने.. होंठ उसके होंठ के सामने.. उसके उरोज मेरे बदन से चिपकते चले गए.. और ना जाने कब हम दोनों के होंठ आपस में मिल गए.. और मैं कामातुर हो कर उसके होंठों का रस मैं पीने लगा।
चूमते चूमते हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए, मुझे एहसास हुआ कि शायद वो भी कामातुर हो उठी है, वो चूमते हुए मुझे कस कर पकड़ने लगी, उसकी उंगलियाँ मेरी पीठ पर घूमने लगी और मुझे एक अलग ही एहसास होने लगा।
मैं भी उसकी पीठ पर हाथों की उंगलियाँ घुमाने लगा। धीरे-धीरे हम दोनों और करीब आते गए, उसके पूरे उरोज मेरे सीने से चिपक चुके थे।
मैं अपने हाथ को नीचे कर टॉप को ऊपर सरका कर खुली कमर पर हाथ फिराने लगा.. वो भी मेरी बनियान के अन्दर हाथ डालकर मेरी कमर में हाथ फिराने लगी।
मेरा पूरा बदन गरम हो उठा.. और उसका भी बदन गरम हो चुका था।
वो मेरे कान मैं धीरे से बोली- मुझे कुछ हो रहा है.. मेरा पूरा बदन कांप रहा है.. प्लीज कुछ करो न..
मैंने उससे कहा- ओके..
फिर मैं थोड़ा नीचे होकर उसके टॉप को पूरा ऊपर करके ब्रा सहित मम्मों को दबाने लगा और थोड़ी देर बाद ब्रा को भी ऊपर कर दिया।
अब मैं उसके मम्मों को चूमने लगा.. मस्ती से चाटने लगा।
उसकी साँसों की तेज आवाज निकलने लगी और उसकी मादक सिस्कारियों की आवाज सुन कर मेरे बदन के साथ लण्ड में भी आग लग उठी ‘आह.. आह..आह.. हम्म… ममह..
मैं अपनी जीभ को उसके निप्पल पर घुमाने लगा और चारों तरफ घुमाने लगा, वो मेरे बालों को कस कर पकड़ कर मेरे मुँह को दबाने लगी.. मेरे मुँह में उसके पूरे मम्मे घुस गए थे।
हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद मैं अपने हाथों को उसके पजामे की ओर ले गया और मैंने पजामे में हाथ को डाल दिया। अब मेरे हाथों की उंगलियाँ उसकी पैन्टी के ऊपर घूम रही थीं।
उसकी पैन्टी पूरी गीली हो चुकी थी और मैं पैन्टी पर हाथ फिराते हुए उसकी चूत की लकीर ढूँढने लगा।
जैसे ही मेरी उंगलियों को चूत की लकीर मिली.. मुझे इस बात का अहसास अहुआ.. कि उसकी चूत से पूरी तरह चिपकी हुई है.. और चूत फूली हुई है।
उधर वो भी अपना हाथ मेरे पजामे में डाल कर मेरी चड्डी के ऊपर से ही मेरे लण्ड को पकड़ने लगी.. मेरा लण्ड तो पहले से ही टाईट था.. पर उसके हाथ लगते ही झटके मारने लगा, लौड़ा बड़ा होने लगा था।
वो अपनी उंगलियों से लौड़े को दबा रही थी.. चड्डी के ऊपर से ही वो मेरे लण्ड को ऊपर-नीचे करने लगी।
इधर मैंने अपने हाथ से उसके पजामे को निकाल करके उसकी पैन्टी में हाथ डाल दिया और उसकी नंगी चूत पर मेरी उंगलियाँ घूमने लगीं।
उसकी चूत फूली हुई थी.. चूत के ऊपर हल्के हल्के से बाल उग चुके थे।
मैं उसकी चूत की फांक पर अपनी उंगली घुमाने लगा। जैसे-जैसे मेरी उंगली उसकी चूत के आस-पास घूमने लगी.. वैसे-वैसे वो मचलने लगी, अपनी टाँगों को समेटने फैलाने लगी।
इधर उसने भी अपना हाथ मेरे चड्डी में डाला हुआ था.. उसकी उंगलियाँ मेरे लण्ड के सुपारे को छूने लगीं। वो अपनी उंगली को थोड़ा और नीचे ले गई.. अब उसकी उंगलियां मेरे लण्ड की चमड़ी को पकड़ कर.. धीरे-धीरे उसे ऊपर-नीचे करने लगी।
वो अपनी उंगली से मेरे पूरे लण्ड को पकड़े तो थी.. पर उसके हाथ में मेरा आधा लण्ड ही आ रहा था।
इधर मैं उसकी चूत के दरार में उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा और वो मेरे लण्ड की चमड़ी को ऊपर-नीचे करने लगी।
फिर मैंने अपने पजामे और चड्डी को नीचे कर दिया और उसने भी अपने पजामे और पैन्टी को नीचे कर दिया।
मेरा लण्ड और उसकी चूत दोनों आजाद हो गए थे।
हम दोनों करीब आ कर एक-दूसरे से चिपक गए.. मेरे लण्ड का टोपा उसकी चूत से लड़ने लगा।
ओह.. कितना गरम अहसास था।
मैं अपने लण्ड को पकड़ करके उसकी चूत पर रगड़ने लगा.. उसकी गीली चूत से मेरा लण्ड गीला हो गया था।
वो भी अपनी गाण्ड को हिला-हिला कर मेरे लण्ड पर अपनी चूत रगड़ने लगी।
मैं अपने लण्ड को पकड़ कर उसकी चूत की दरार में घुसाने की कोशिश करने लगा.. मेरे लण्ड का सुपारा उसकी चूत की दरार में थोड़ा सा ही घुस पाया था कि तभी वो थोड़ा जोर से ‘आह..’ कर उठी.. और उसकी इस आवाज से मेरी बहन हिलने लगी।
यह देख कर हम दोनों तुरन्त अलग हो कर अपने अपने कपड़े सही करके सोने लगे।
तभी मेरी बहन जाग कर हम दोनों को सोते हुए देख कर बाहर बाथरूम की तरफ चली गई।
मैं सपना से बोला- कल मुझे तुमसे बात करनी है।
वो कहती है- हाँ.. मुझे भी करनी है।
इतने में ही बहन के आने की आहट हुई.. तो हम दोनों खामोश हो गए।
उसने आ कर लाइट ऑन की और पढ़ने बैठ गई, थोड़ी देर बाद सपना भी उठ कर पढ़ने बैठ गई।
ये हम दोनों के प्यार की शुरूआत थी.. या चुदास को मिटाने की चाह थी.. पता नहीं.. पर अब आग लग चुकी थी।
यह मेरी सच्ची कहानी है आप लोगों को पसंद आई या नहीं, मुझे ईमेल कीजिएगा।
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