बारात में देसी चूत की आमद : मेहरबान साली
भाई की शादी में देसी जवानी की आमद
हाय दोस्तों आज मैं आप सब को जो कहानी सुनाने जा रहा हूं वो एक सच्ची कहानी है, देसी जवानी का मजा लूटने की। मेरे बड़े भैया की शादी में मैं और मेरे दोस्त गए थे बाराती बन के। चूंकि शादी मेरे भाई की थी तो मुझे काफी भाव मिल रहा था। सारी लड़कियां या तो भाई साहब को देख रहीं थी या मुझे देख रही थीं। इस हालत में मैने उनको लाइन मारने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसी बीच एक लड़की जो कि मुझमें काफी इंट्रेस्ट ले रही थी और काफी देर से मैं भी उसे लाइन मार रहा था, हमसे बोली
दूल्हे के भाई साहब तो काफी सूटेड बूटेड लग रहे हैं, क्या बात है, लगता है कुछ पढाई लिखाई भी की है कि ऐसे ही चले आए हैं। जरा कोई शायरी तो सुनाईये
मैने सुनाया –
रोज कहते थे आदाब मुझे आज दाबा तो बुरा मान गए
वो झेंप गयी। मैने कहा और सुनना है क्या मैडम?
रानी बोली- हां हां सुनाइये सुनाइये
मैने दूसरा सुनाया –
नदी तीरे लता तीरे कुन्ज तीरे तथैव च,
वाम हस्ते प्रयोगेषु पत्निं किं प्रयोजनम
वो कन्फ्यूज हो गयी। संस्कृत की लाईन्स उसको समझ में न आयीं
मैने उसे समझाया, इसका मतलब है कि नदी के किनारे, पेड़ के किनारे और झाड़ियों की आड़ में, अपना हाथ ही जगन्नाथ होता है, वहां पत्नी की कोई जरुरत नहीं। जैसे आजकल यही हाल मेरा है।
वो मेरा इशारा समझ गयी। सच कहूं तो मेरी नजर भी उसकी मस्त मस्त देसी चूंचियों से हट नहीं पा रही थी। उसकी देसी जवानी भी बड़ी कमाल की थी। इतनी मजाकिया और सेक्सी बातों से उसका दिमाग भी रंगीन होने लगा था। उसने एक शेर सुनाया
मियां बीबी राजी तो का करेगा काजी
चूत मारे चूतिया और गांड मारे पाजी!!
अपने मन का मौजी, साग पकाये या भाजी,
चल मेरे संग झाड़ में, संग तेरे मैं राजी।
इतना सुन के मेरा लंड पैंट के अंदर डिस्को भांगडा करने लगा। मैने उसको कहा कि रानी चल चलते हैं, कहीं किनारे। हम दोनों शादी के मंडप से दूर दूसरे घरों में जगह की तलाश करने लगे। हर जगह महिलाएं और लोग भरे हुए थे। कोई सुरक्षित जगह नहीं दिख रही थी। तभी मैने देखा। घर के पीछे जहां पर झाड़ियां थीं, दो कुर्सियां खाली पड़ी हुई थीं।
वहां लाईट भी नहीं जल रही थी, मैने रानी को ईशारा किया कि वह वहीं आ जाए। मैं जाके कुर्सी पर बैठ कर अपना लंड पिंजाने लगा। मतलब कि नुकीला करने लगा। उसे रहा नहीं जा रहा था, साला जब से उस देसी लौंडीया को देखा था, चुदक्कड़ लंड चोदने के लिए बेकरार हो गया था।
झाड़ी में देसी गांड मारी।
तभी रानी आयी और मेरे पास खड़ी हो गयी। मैने उसे खींच कर अपने गोद में बिठा लिया। उसका लहंगा उठाके उसको अपने जांघों पर बिठा, कर उसके पैर सहलाने लगा। बिना बालों वाले पैर की चिकनी गोरी चमड़ी पर हाथ ऐसे छलक रहे थे जैसे कि स्केटिंग कर रहे हैं और अगर स्केटिंग कर रहे हैं तो गड्ढे में लुढकने का खतरा सबसे ज्यादा तो होता ही है। यही हुआ। टांगों से फिसलती हुई मेरी उंगलियां उसके पैंटी के अंदर छुपी हुई मजेदार देसी चूत के पास जाकर फिसलने लगीं
वो शरमा गयी। उसने वहां से मेरी उन्गलियां हटा कर मेरा हाथ अपने स्तन पर रख दिये। मैं समझ रहा था कि अभी सीधा वार करना ठीक न होगा। मैने उसके चूंचे कपड़े के उपर से ही मसलने शुरु कर दिये। बुम्बाट चूंचे थे बास। एकदम ठोस, बड़े और गोल गोल, थोड़ा भी लटका हुआ नहीं। मैने उसकी चोली का हुक खोला और दोनों चूंचे बाहर खींच लिये। अब मस्त होकर मैने उसको चूसना शुरु कर दिया। मसलते हुए जैसे ही मैं चूसता, वो एकदम मस्ती में उम्म, उम्म्म्मा, उम्म्माह्ह्ह्ह, करती।
उसे मजा आ रहा था, मैने उसको अपना लंड पकड़ा दिया था। इस तरह मेरे मुह में उसका चूंचा था और उसके हाथ में मेरा लंड्। दोनों ही मसल रहे थे एक दूसरे को, और तभी उसने मेरे अंडकोष को पकड़ कर दबा दिया। ये मुझे उत्तेजित करने और मेरी मर्दानगी को ललकारने के लिए था।
मैने उसके चून्चे पर अपने दांत धंसाने शुरु कर दिये। पहले प्यार की निशानी तो देनी थी ना। मैने निप्पल को छेद दिया दांतों से। यह कामसूत्र में नखच्छेद और दंतकर्तन एक कला मानी जाती है। जैसे ही मैने उसके निप्पल को बिंधा, वो एकदम पागल हो गयी। अपनी पैंटी खोल कर वो अपनी टांगे फैला चुकी थी।
अब खुला आमंत्रण था उसको चोदने का और मैने यह करने से पहले उसे देसी मुखमैथुन का मजा देने के बारे में सोच रखा था। मैने अपने मुह को उसके गोरी टांगों के बीच फिसलाना शुरु किया। गीली चूत में अपनी नाक घुसेड़ कर और उसकी गांड को जीभ से चाटने के बाद मैने दो उंगलियां उसकी चूत में ढकेलीं और दो उंगलियां उसकी गांड में।
आह्ह आह्ह!! करती हुई जानेमन एकदम मस्तिया रही थी। मैने उसको चोदने के लिए एकदम से और ही अपना लंड खड़ा कर लिया था। अपना लंड अब उसके चूत पर रगड़ते हुए उसके भगनाशा को मसलते हुए जब मैने लंड को अंदर घुसाया तो आसानी से सरकता हुआ मोटा लंड अंदर जाने लगा।
मैं समझ गया, वो खेली खायी हुई लड़की थी। उसकी चूत ने निस्संदेह बड़े बड़े एडवेंचर किये होंगे। मैने जल्द ही उसकी चूत को निपटा दिया और उसको कुर्सी के सहारे पकडा कर झुका दिया, कुतिया स्टाइल में। अपनी जीभ से उसकी गांड चाट कर मैने अपना लंड उसकी गांड में पेलना शुरु किया। अब असली मजा आ रहा था। गांड एक दम टाइट थी और जबरदस्त थी। पेलते हुए मैने उसके बालों को पीछे की तरफ खींचना जारी रखा। उसको पकड़ के गांड मारते हुए स्मूच करने का मजा कुछ और था। जल्द ही मैने उसके गांड में अपना पूरा लंड धकेल दिया और नजदीकि धक्के मारने लगा। पेलते हुए उसको मैने एकदम छक्के छुड़ा दिये। वो आह्ह उह्ह उफ्ह करती रही और रहम की भीख मांगती रही पर ये सब दिखावा था और उसका प्लान मुझे और ज्यादा उत्तेजित करने का था। आखिर में मैने उसके गांड से खींच कर अपना लंड उसके मुह में पेल दिया। दो मिनट तक देसी मुखमैथुन के बाद मेरा वीर्य उसके हलक में उतर गया
शादी की वो देसी लड़की मुझे आज भी याद आती है और देसी लड़कियों को बारातों में चोदने के मौके मैने कभी नहीं चूके।
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