कश्मीर की कली की चुदाई

कश्मीर की कली की चुदाई

दोस्तो, मैं दीपक.. अमृतसर, पंजाब से हूँ.. मैं अब 35 साल का हूँ..

मैं दिखने में साधारण सा इन्सान हूँ.. मेरी कद-काठी भी सामान्य है। मैं कोई 5-11 इंच लंबा हूँ.. मेरे लंड की लम्बाई 6 इंच है.. मोटाई 2.5 इंच..
मैं एक खाते-पीते घर से हूँ.. इसलिए थोड़ा स्थूल सा हूँ..

यह बात आज से 6-7 साल पहले की है.. मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था.. उस दौरान मुझको मोगा टाउन जाना पड़ा.. वहाँ से उस दिन आखिरी बस 6.30 बजे शाम को अमृतसर को जा रही थी।

मैं उस बस में सवार हो गया और बस में घुस कर अभी कोई खाली सीट देख रहा था.. मुझको एक सीट खाली मिली, यह सीट 3 सीट वाली थी।
उसमें विंडो सीट में एक 55 साल का मर्द बैठा था और उसके बाजू में एक औरत लगभग 35 साल की बैठी हुई थी।
मैं उस औरत के बगल में बैठ गया।

मेरे पास एक बैग था.. जैसा सेल्समैन या एमआर आदि के पास बैग होता है, मैं वो बैग अपनी जाँघों पर रख कर बैठ गया और सुस्ताने लगा।
मेरा उस औरत की तरफ कोई ध्यान नहीं था.. पर मैं उसको एक न्यूज़ पेपर पढ़ते हुआ देख रहा था।

बस चलने से ठंडी हवा आ रही थी.. जिससे मुझ पर नींद सवार हो गई और मैं सो गया।
करीब 30 मिनट के बाद मेरी जाँघों में कुछ हलचल होने लगी। मैंने देखा.. तो मैं हैरान हो गया.. क्योंकि वो औरत मेरी पैन्ट की जिप खोल रही थी। मैं आँखें मूँदे बैठा रहा और फिर मैंने अपना बैग कुछ इस तरह रख लिया ताकि उसको आड़ मिल जाए और उस का काम आसान हो जाए।

मेरी इस हरकत को उसने मेरी सहमति मान ली और बेफिक्र होकर जिप खोल दी और मेरा लंड पकड़ लिया।
मैंने भी पैर फैला से दिए.. जिससे मेरा पूरा लवड़ा बाहर हवा में झूमने लगा.. वो उसको मस्ती से पकड़ कर हिलाने और सहलाने लगी।

अब मैंने भी उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर.. उसकी चूत में उंगली डाल दी और आगे-पीछे करने लगा।
उस को भी चूत में ऊँगली करवाने में मजा आ रहा था।

इतने मैं बस का एक स्टॉपेज आया.. मैंने अपने आप को ठीक किया और बाहर देखा तो कोई कस्बा था.. यहाँ पर बस को 15 मिनट तक रुकना था।

मैंने अपनी जिप बन्द की और नीचे उतर आया.. मेरे पीछे-पीछे वो मैडम भी बस से नीचे आ गई.. और हमारी आपस में बात शुरू हो गई।

मैंने उनसे पूछा- आपका क्या नाम है?
उसने मुझे अपना नाम वंदना बताया और साथ ही ये भी बताया कि वो मोगा के पास एक गाँव में एक स्कूल टीचर है। उसको अमृतसर में वाघा बॉर्डर और हिस्टॉरिकल प्लेस देखने जाना था.. इसलिए वो अकेली आई थी।

हालांकि बाद में मुझे मालूम पड़ा कि ये सब जानकारियाँ उसने मुझे गलत दी थीं.. बस इतना सच था कि वो मूलतः जम्मू की रहने वाली थी।

मैं फिर अपने बारे में बताने लगा कि मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में हूँ और मैं कंपनी के टूर पर आपके शहर में आया था… अब वापिस जा रहा हूँ।
फिर वो और मैं अमृतसर बस स्टैंड पर उतरे।
मैंने उससे कहा- नज़दीक कोई होटल में चलते हैं।

वो तो पहले इनकार कर रही थी.. 2-3 बार कहने से वो मान गई और हम होटल में चले गए।

होटल में मैंने एक कमरा बुक किया और उसका नाम अपनी बीवी के रूप में दर्ज कराया। काउन्टर से निजात पाते ही हम दोनों कमरे में गए और अन्दर पहुँचते ही दरवाजे को बंद किया.. चिटकनी लगा दी।

अब मैंने अपने मन में ‘माँ की चूत जमाने की’ का नारा लगाया और उसको अपने बाहुपाश में जकड़ लिया।

हम एक-दूसरे को बेहताशा चूम रहे थे। दोनों तरफ चुदाई की आग लगी हुई थी और पता ही नहीं चला कि एक-दूसरे के एक-एक करके सारे कपड़े कब उतार दिए।

उसने मेरा लंड पकड़ लिया और मेरी आँखों में अपना छिनाल रूप दिखाते हुए लौड़े को अपने लपलपाते हुए होंठों से लगा लिया और मुँह में भर कर चूसने लगी।

कुछ ही पलों बाद मैं उसे 69 में किया और अब मैं भी उसकी चूत में उंगली डालने लगा.. वो मेरा तन्नाया हुआ लंड चूसती जा रही थी। मैंने भी मस्ती में अपना लौड़ा उसके गले की जड़ तक ठूंस रहा था उसकी ‘गूं-गूं’ की आवाज़ निकलने लगी थी।

अब मेरे काम होने ही वाला था.. मैंने उससे पूछा- माल आने वाला है अन्दर ही लेगी क्या?

उसने कोई जबाब नहीं दिया.. मैंने उसका हलक अपने वीर्य से भर दिया, वो भी मजे से मेरा माल गटक गई।

अब कुछ देर बाद हम दोनों ने चुदाई का काम शुरू किया.. उसकी लवली सी चूत में मेरा मूसल हाहाकार मचाने लगा.. और मैंने उसके पपीतों को दम से मसलता रहा।

उस रात हम दोनों ने 4 बार चोदन किया हम लोग उस रात को 2 मिनट को भी सो नहीं पाए..
सुबह 5 बजे लोगों की सुबह हो गई थी जबकि हमारी रात शुरू हो गई और हम दोनों नंगे ही लिपट कर सो गए।
करीब 11 बजे होटल के वेटर ने घंटी बजाई और मैंने कपड़े पहनकर दरवाजा खोला।
उसने मुझ से पूछा- सर 12 बजे चैक आउट करना है या और रुकेंगे?

मैंने वेटर से कहा- अभी 10 मिनट में बताता हूँ..

मैं कमरे में वापस अन्दर गया और मैडम से पूछा- क्या प्रोग्राम है?

वो कहने लगी- मुझे जम्मू जाना है.. और मैं 1 बजे वाली बस से जाऊँगी।

मैंने होटल की रूम-सर्विस पर फोन किया और ब्रेकफास्ट का ऑर्डर किया।

अब हम दोनों ने मिल कर बाथरूम में नहाने लगे और फिर खुल कर चुदाई का लुत्फ़ उठाया।
करीब 20-25 मिनट तक चुदाई के बाद हम दोनों कपड़े पहन कर अभी बैठे ही थे कि तभी ब्रेकफास्ट आ गया।

हमने ब्रेकफास्ट किया और रिसेप्शन पर फोन किया। मैंने चैक-आउट के लिए कहा। ब्रेकफास्ट के बाद हमने फिर से चुदाई का एक दौर और किया।

यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

चुदास की अकुलाहट तो देखिए कि मैंने अब तक उसका असली नाम भी नहीं पूछा था। जब मैं उसको अमृतसर के बस स्टैंड पर बस में चढ़ाने लगा.. तब मैंने उससे उसका असली नाम पूछा- तुम्हारा असली नाम क्या है?

मेरे 5-6 बार पूछने पर भी उसने अपना नाम नहीं बताया.. उसने मुझसे कहा- ट्रेन-बस की यारी.. ट्रेन.. बस तक की होती है.. तुम ने मुझे यूज़ किया.. मैंने तुमको यूज किया।
मैं मुस्कुरा दिया और उसको बाय कह कर विदा कर दिया।

आशा है कि आपको कहानी पसंद आई होगी.. आप सभी के कमेंट्स का मैं वेट करूँगा.. आप के अच्छे कमेंट्स मिले तो मैं और भी कई सच्ची चुदाइयों से रूबरू कराऊँगा।
आपका
दीपक अमृतसरिया
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