कविता ने मजे लिए पोर्नस्टार की तरह
सबसे पहले थोड़ा अपने बारे बता दूँ, मेरा नाम दीप है और मैं पंजाब का रहने वाला हूँ, मेरी आयु 22 वर्ष है, मेरे लन्ड का आकार लगभग 8 इन्च है। मुझ में सैक्स की चाहत बहुत ज्यादा है। अक्सर दिल करता है कि किसी को पोर्न स्टार की तरह चोदूँ। भगवान ने एक दिन मेरी सुन ली, अब ज्यादा समय न गंवाते हुए सीधे कहानी पर आते हैं।
मैं एक एडवरटाईजिंग कम्पनी में काम करता हूँ, वहाँ मेरी मुलाकात बहुत से लोगों से होती रहती है। एक दिन जब मैं आफिस पहुँचा ही था कि मेरे बॉस ने मुझे एक क्लाइंट की कॉल पर उस से मिलने को कहा। इतने में ही चाय आ गई.. मैंने चाय पीते हुए अपना कंप्यूटर चालू किया और एक पोर्न साईट खोल कर फोटो गैलरी देखने लगा। क्या सैक्सी पोज थे, देखते ही मेरा लन्ड तन गया, मैंने चाय खत्म करके पी सी ऑफ किया और क्लाइंट के पास चल दिया।
मैं बताए हुए पते पर पहुंचा तो एक नर्सरी स्कूल था, जो अभी नया ही खुला था और एडमिशन चल रहे थे और अभी क्लासेज शुरू नहीं हुई थीं। मैं स्कूल के ऑफिस में घुसा तो सामने एक 25-26 साल की खूबसूरत औरत बैठी थी, जो स्कूल की मालिक और प्रिन्सिपल थी।
मैंने ‘हैलो’ किया, उसने मुझे बैठने को कहा। काम की बातें होने लगीं। बातों ही बातों में मुझे लगा कि वो मेरे करीब आने की कोशिश कर रही है, जबकि मेरे दिमाग में अभी तक ऐसा कुछ नहीं था।
जब वो मुझ से पर्सनल सवाल करने लगी, तो मैं भी खुलने लगा। वो मेरा नाम वगैरह पूछने लगी। मेरे पूछने पर उसने अपना नाम कविता (काल्पनिक नाम) बताया।
वो एक सैक्सी फिगर की मालिक थी, उसने लाल रंग का टॉप और नीली जीन्स पहन रखी थी। टॉप के अन्दर ब्रा में उसके दूध जैसे गोरे मम्मे जो कि ऊपर से आधे बाहर निकले दिखाई दे रहे थे, मुझ पर कयामत ढा रहे थे। उसका गोरा बदन उभरे हुए चूतड़ उसकी मादकता को और उभार रहे थे। उसका फिगर 34-30-32 का रहा होगा, आगे की कहानी हम दोनों की जुबान से सुनिए।
कविता- दीप जी, क्या लोगे आप?
दीप- जी कुछ नहीं.. फिर कभी।
कविता- नहीं.. ऐसे काम नहीं चलेगा.. कुछ तो लेना ही पड़ेगा, आप बस यह बताओ ठण्डा या गरम ! मेरे ख्याल से ठण्डा ठीक है.. गरम तो आप लग ही रहे हो.. हा हा हा ! मैडम ने खुद ही मुस्कराते हुए जवाब दिया।
जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि कविता की भाषा बदलती जा रही थी।
कविता- आप मुझे प्लीज़ अपना नम्बर दो।
मैंने अपनी पाकेट से अपने आफिस का कार्ड निकाला और कविता को दिया जिस पर आफिस का लैंड-लाईन नम्बर लिखा था।
कविता- दीप जी मुझे अपना मोबाइल नम्बर दो।
मुझे जैसे ग्रीन-सिगनल मिल रहा हो, मैंने भी मौका नहीं गंवाया।
दीप- आप मुझे अपना नम्बर बोलो, मैं घण्टी करता हूँ।
कविता- ठीक है.. मैं आप को प्रिटिंग के लिए कुछ लोगोज देती हूँ प्लीज़ मेरे साथ पिछले रूम में आओ।
उसने उठते वक्त जानबूझ कर चाबी नीचे गिरा दी और जब उठाने के लिए नीचे झुकी तो उसकी दूध के कलश पूरे दिखाई दे रहे थे, जिन्हें देखकर मन कर रहा था कि अभी मुँह में लेकर जी भर के चूसूँ। कविता मेरी इस हसरत को जान गई और मुस्करा कर देखा।
कविता- क्या देख रहे हो दीप जी !
दीप- जी कुछ नहीं !
कविता- अच्छा तो आप के चेहरे के हाव-भाव कैसे बदल गए?
मैंने हल्का सा ‘मुस्कुरा’ दिया पर बोला कुछ नहीं।
मैडम ने चलते वक्त अपनी कमर मटकाते हुए मुझ से अपने चूतड़ टकरा दिए। उनके नर्म चूतड़ों का स्पर्श पाकर मैं और कामुक हो गया।
मैं भी उनके पीछे ही रूम में चला गया, वो मुझे पेपर पकड़ाते हुए एक बार फिर से मुझ से टकरा गईं। अब मैंने भी मौका गंवाना उचित नहीं समझा और नजदीक आकर उसके मम्मे को छू लिया, जिस पर उसने कोई आपत्ति नहीं जताई।
कविता- क्या कर रहे हो दीप जी ! इतने उतावले हो क्या !
दीप- क्या करें कविता जी… आप हो ही इतनी खूबसूरत और हसीन !
कविता- हम्म .. सीधे-सीधे जबाब देना.. डू यू वांट तो फक मी?
पहले तो मैं भौंचक्का सा उसकी तरफ देखने लगा फिर जैसे मुझे होश आया हो।
दीप- क्यों नहीं मैडम अगर आप राजी….!
कविता- जी हाँ… पर मेरी एक शर्त है !
दीप- जी बतायें?
कविता- मैं एक पोर्न-स्टार की तरह चुदना चाहती हूँ और जैसे मैं चाहूँ आप वैसा ही करोगे !
दीप- बहुत खूब.. फिर तो और भी मजा आएगा।
कविता- ओके, 2 मिनट इन्तजार करो।
कविता ने अपना फोन निकाला और कॉल करने लगी।
कविता- (फोन पर) हैलो डार्लिंग.. मुझे स्कूल में कुछ काम है, मैं लन्च के लिए नहीं आ पाऊँगी.. आप सीधे ही निकल जाना।
इधर मैंने भी तबीयत खराब होने का बहाना बना कर आफिस से छुटटी ले ली।
अप्सरा सी सुन्दर कविता मेरे सामने थी थोड़ी देर बाद मैं उसे चोदने वाला हूँ, यह सोच कर मेरा लन्ड तन कर पैन्ट फाड़ने लगा।
इतने में कविता ने दरवाजा बन्द कर दिया और मेरे करीब आने लगी, मैंने आगे बढ़कर कविता को अपनी बाँहों में ले लिया और उसके रसीले होंठों पर चुम्बन करने लगा। कविता के होंठों को अपने होंठों मे लेकर मैं खूब चूसता फिर एक पल बाद जब मेरा होंठ कविता के होंठों में होता तो वो मेरे होंठ को चूसने लगती।
एक-दूसरे के मुँह में जब जीभ डालकर जीभ से जीभ रगड़ते तो खुदा कसम बहुत मजा आता। इस तरह हम 10 मिनट तक एक-दूसरे को चूमते रहे।
धीरे-धीरे मैं नीचे आने लगा और गरदन पर चुम्बन करते हुए मैंने एक हाथ कविता के टॉप में डाल कर उसके मस्त मम्मे सहलाने लगा।
मैंने उसका टॉप निकाल दिया और दूध जैसे गोरे मम्मे देख मदहोश होने लगा। मैं बारी-बारी से मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा। इससे कविता कामुक हो उठी और सिसकारियाँ भरने लगी।
कविता- ऊफ… आह… आह… सी ई… चूसो.. दीप चूसो… आह आह…चूसो मेरी जान ..चूस चूसकर सारा दूध निकाल लो प्लीज़.. बड़े दिनों बाद मुझे सैक्स में इतना मजा आ रहा है आह आह…!
दीप- बड़े दिनों बाद मतलब आप पहले किससे सैक्स करती हैं?
कविता- अरे यार मैं एक शादीशुदा औरत हूँ। मेरे पति अक्सर बिजनेस के चक्कर में बाहर ही रहते हैं और बहुत कम सैक्स करते हैं, कभी करते भी हैं तो ठीक से नहीं। उन्हें फोरप्ले के बारे कुछ पता नहीं है, वो बहुत जल्दबाजी में सैक्स करते हैं। बैड पर आते ही मुझे नंगा किया और चूत में लण्ड डालने की जल्दी करते हैं और 8-10 बार ‘पुल्ल-पुल्ल’ करके मुझे बीच में छोड़ कर स्खलित हो जाते हैं। बड़ी मुश्किल से कभी गालों पे चुम्बन करते हैं या हाथ में लण्ड लेने देते हैं। अक्सर मैं अकले पोर्न मूवीज देखकर उंगली करती हूँ। सैक्स मूवीज देख कर मुझे जी भर के चुदने की इच्छा हुई है, तभी मैंने आप को ऐसे चोदने की शर्त रखी है। आपने भी इतनी अच्छी शुरूआत की है कि दिन-रात आप से चुदने को मन कर रहा है… आह.. आह चूसो आह।
मैंने उसका स्तन अपने मुँह से निकाला और कहा- हम तो हर पल आपकी सेवा में है मैडम !
और मैंने उसकी पैन्ट का बटन खोलकर नीचे सरका दिया।
कविता- रूको दीप, वहाँ चलो।
सामने पड़े सोफे की तरफ इशारा करते हुए !
मैंने कविता को गोद में उठाया और सोफे पर ले गया। उसके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। उसने खड़े होते ही पोर्न-स्टार की तरह मुझे हल्का सा धक्का दिया और सोफे पे बैठा कर मेरी शर्ट उतार दी और अपनी दोनों टाँगों के बीच मेरे शरीर को फँसा लिया और मेरे ऊपर आ गई।
वो मेरी छाती पर चुम्बन करते हुए मेरी छाती की घुंडियों को चूसने लगी। मुझे अजीब सा, पर अच्छा लग रहा था। मैंने कविता को रोका नहीं और मजे लेने लगा। मैंने उसकी पैन्ट उतार दी। अब वो मेरे सामने सिर्फ काली पैन्टी में थी और कमाल लग रही थी। पैन्टी ने कविता के चूतड़ों और चूत को पूरी तरह कस रखा था और चूत के होंठों की शेप साफ दिखाई दे रही थी।
कविता अब तक पैन्टी गीली कर चुकी थी, चूत के दर्शन करते ही मेरे लण्ड का साईज दोगुना हो गया। मन कर रहा था कि अभी पैन्टी निकाल कर चोद दूँ, पर मुझे कविता की शर्त याद थी।
अब कविता ने मेरी पैन्ट और अन्डवियर निकाल दिए और लण्ड हाथ में लेकर सहलाने लगी। कविता के छूते ही लण्ड का सुपारा फूलने लगा।
कविता- आपका ‘ये’ मुझे बहुत अच्छा लगा।
दीप- आप ही की सेवा में है मैडम।
कविता- प्लीज आाप मुझे बार-बार मैडम या कविता जी मत कहो, सिर्फ कविता कहो डार्लिंग !
दीप- ठीक है कविता डार्लिंग !
मेरे इतना कहते ही वो हँस पड़ी और लण्ड का सुपारा मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं सोफे पर बैठा था और कविता मेरे सामने जमीन पर मेरी दोनों टाँगों के बीच बैठी, मेरा लण्ड चूस रही थी। ऐसा मैंने सिर्फ फिल्मों में देखा था, पर आज जब सच में कविता मेरा लण्ड चूस रही थी तो मैं जन्नत की सैर कर रहा था।
कविता लण्ड चूसते-चूसते पूरा मुँह में लेने लगी। कभी वो बाहर निकाल देती, सुपारे के ऊपर थूक लगाकर फिर से अन्दर-बाहर करने लगती। कभी पूरा लण्ड मुँह के अन्दर ले रूक जाती.. फिर बाहर निकाल कर पूरा लण्ड नीचे से लेकर सुपारे तक जीभ से चाट जाती।
मेरे मुँह से अपने आप कामुक सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह-आह चूसो मेरी जान चूसो आह.. आह..”
जब वो लण्ड को अन्दर-बाहर करती तो मेरे हाथ अपने आप उसका सर दबाने लगते और मैं लण्ड उसके मुँह में पेलने लगता।
लण्ड चुसवाते हुए मैंने कविता को घुटनों के बल खड़ा किया और उसकी पैन्टी नीचे सरका दी और चूत और चूतड़ पर हाथ फिराने लगा और चूत में ऊँगली करने लगा, जिससे कविता ने लण्ड चूसना और तेज कर दिया।
पूरे कमरे मे ‘पुच..पुच’ की आवाजें गूँजने लगीं। कविता जब चूसते-चूसते लण्ड मुँह से निकालती तो ‘पुच.. आह.. पुच.. आह..’ की आवाज आती।
कविता ने लण्ड मुँह से निकाला और मुझे खड़ा होने को कहा, मैं खड़ा होकर तेजी से उसके मुँह में लण्ड पेलने लगा, अचानक मेरे दिमाग में एक आईडिया आया और मैंने कविता के मुँह से लण्ड निकाल लिया।
कविता- निकालो नहीं आह.. प्लीज निकालो नहीं.. मैं तुम्हारा दूध पीना चाहती हूँ।
मैंने लण्ड निकाल कर कविता के मम्मों पर रख दिया, मेरा इशारा समझते ही कविता ने लण्ड दोनों मम्मों के बीच में फंसा लिया और अपने दोनों हाथ से मम्मों को दोनों तरफ से दबा लिया और अब मैं उसके मम्मों में लण्ड पेलने लगा, पर मुझे पेलने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी।
कविता- रूको, लण्ड बाहर निकालो।
मैंने मम्मों में से लण्ड निकाल लिया, कविता ने लण्ड मुँह में लेकर अच्छी तरह गीला कर दिया और ढेर सारा थूक मम्मों पर गिरा लिया और फिर से लण्ड पेलने को कहा। मैं फिर से लण्ड पेलने लगा अब लण्ड आसानी से पेला जा रहा था और मजा भी दुगना हो गया था। जब मैं मम्मों में लण्ड पेल रहा था, तो लग रहा था जैसे लण्ड रूई के गोलों में जा रहा हो।
सच दोस्तों मम्मों में लण्ड पेलने का मजा तो पेलने वाला ही जानता है। मैं तो जन्नत की सैर कर रहा था। कविता कभी लण्ड निकाल कर मुँह में ले लेती और कभी हाथ में लेकर मुठ मारने लगती।
दीप- रूको कविता मैं झड़ने वाला हूँ !
कविता- मुँह में डालो दीप.. मुँह में प्लीज..!
कविता सिसकारियाँ लेते हुए जोर-जोर से लण्ड चूसने लगी। अब मैं झड़ने लगा था… कविता ने लण्ड को मुँह खोलकर जीभ पर रख लिया और एक हाथ से जोर-जोर से मुठ मारने लगी। मैंने अपना सारा पानी कविता के मुँह में निकाल दिया, जिसे वो मजे से पीने लगी और चाट-चाट कर पूरा लण्ड साफ कर दिया।
कविता- कैसा रहा दीप मजा आया?
दीप- खूब.. डार्लिंग !
कविता- तो अब मजा दोगे भी क्या ?
मैं कविता का इशारा समझ चुका था, मैंने उसे सोफे पर बैठाया और टाँगें ऊपर कर उसकी दोनों टाँगों के बीच बैठ कर अपनी जीभ गीली चूत पर रख दी और जब चूत पर जीभ चलाने लगा।
तो कविता ने एक लम्बी कामुक सिस्की भरी, “आह.. सी ई, आह थैक्स डार्लिंग सी..ई।”
मैं चूत चाटने लगा मैं चूत के दोनों होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दाने पर जीभ रगड़ने लगा तो कविता ‘उफ.. उफ’ कर उठी। मुझे भी चूत चाटने मे मजा आ रहा था। कविता का तो कामुकता से बुरा हाल था। वो अपने हाथ से मेरे सर को चूत के ऊपर दबाने लगी और चूतड़ उठा-उठा कर चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी।
हम दोनों 69 अव्सथा में आ गए। कविता मेरे लण्ड को मुँह में लेकर खड़ा करने लगी, जो कि देखते ही फिर से खड़ा होकर सलामी देने लगा। मैंने चूत चाटना और तेज कर दिया, जिससे कविता की सिसकारियाँ और तेज होने लगीं।
कविता- आह उफ आह सी ई… आह चाटो प्लीज चाटो जोर से पहली बार मेरी इच्छा पूरी हो रही है चाटो सीई..!
उसका शरीर अकड़ने लगा और वो मेरे मुँह पर झड़ गई। मैंने उसकी चूत चाट-चाट कर साफ कर दी,
जिससे वो बहुत खुश हुई। अब बारी थी चूत चुदाई की।
दीप- कविता, कैसा रहा?
कविता- बहुत अच्छा, मैं तो तुम्हारी दीवानी हो गई हूँ। बहुत समय से चूत चटवाने को तरस रही थी, पर तुमने आज मेरी इच्छा पूरी कर दी। अब मेरी काई शर्त नहीं.. तुम जो चाहो मेरे साथ कर सकते हो।
मेरा लण्ड महाराज खड़ा हो चुका था। मैं सोफे पर बैठ गया और लण्ड खड़ा कर कविता को ऊपर बैठने को कहा। कविता के बिना देरी किए वैसा ही किया और धीरे-धीरे लण्ड अन्दर लेने लगी, आधा लण्ड चूत में जाते ही उसकी चीख निकल गई।
कविता- आह उई माँ … आ सी आ ..निकालो प्लीज निकालो… तुम्हारा मेरे पति से बहुत बड़ा है मैं नहीं झेल पाऊँगी.. प्लीज मुँह में कर लो दीप..!
दीप- घबराओ नहीं कविता बस थोड़ी तकलीफ के बाद मजा ही मजा है, तुम बस मेरा साथ दो और फिर आप को तो पोर्न स्टार की तरह चुदना है।
कविता- ठीक है.. पर प्लीज ध्यान से..!
मैंने धीरे-धीरे लण्ड अन्दर करना शुरू कर दिया।
कविता- आहआह उफ आह.. उई मां.. धीरे प्लीज..!
धीरे-धीरे पूरा लण्ड अन्दर चला गया, अब मैंने नीचे से लण्ड पेलना शुरू किया, तो कुछ ही धक्कों के बाद कविता को भी मजा आने लगा। उसने भी सिसकियाँ लेते हुए ..आह उफ उई.. करते हुए नीचे-ऊपर होना शुरू कर दिया। हम दोनों ने अपनी गति बढ़ा दी। थोड़ी देर में कविता ने पानी छोड़ दिया और वो ढीली पड़ने लगी। मैंने कविता को खड़ा करके घोड़ी बनने को कहा।
कविता घोड़ी बन गई और मैंने पीछे से लण्ड पेलना शुरू कर दिया। मेरी गति फिर से तेज हो गई। उसकी आवाजें भी तेज हो गईं।
कविता- आह..आह सी ई.. आह चोदो और तेज चोदो फाड़ दो.. मेरी चूत आज आह आह..और तेज प्लीज..!
दीप- हाँ ले कविता आज आपकी सारी गर्मी निकाल देंगे आह.. आई लव यू मेरी कव्वो।
कविता- आह.. आई लव टू ..डार्लिंग चोदो आज से जिस्म तुम्हारा ..मेरी प्यास बुझा दो.. आज आह चोदो..!
ऐसा करते हुए कविता एक बार फिर से झड़ गई। मैं अभी मैदान में ही था। थोड़ी देर चोदने के बाद मैं भी झड़ने वाला था।
दीप- मैं भी आ रहा हूँ कविता कहाँ छोडूँ?
कविता- चूत में ही प्लीज.. मैं तुम्हारे वीर्य से अपनी चूत ठण्डी करना चाहती हूँ।
दीप- आई एम कमिंग कविता..!
मैंने अपना लावा उसकी चूत में छोड़ दिया और धीरे-धीरे लण्ड बाहर करने लगा। कविता ने मेरा लण्ड चाट कर साफ कर दिया और कहने लगी।
कविता- थैंक्स दीप.. तुमने मुझे बहुत मजा दिया है, आगे से कभी भी मुझे चोदने का मन करे तो कॉल करके आ जाना।
दीप- जी कविता जी.. मैं भी आप जैसी पोर्न-स्टार को ही चोदना पसंद करूँगा..।
जिस पर वो खूब हँसी।
मैं कविता की गांड मारना चाहता था, पर उसे घर जाने की जल्दी थी, इसलिए उसने कहा।
कविता- नहीं प्लीज आज नहीं.. फिर कभी वैसे भी अब तो मैं तुम्हारी ही हूँ !
इस के बाद कविता ने अपने पर्स से मुझे कुछ रूपए देने चाहे पर मैंने मना कर दिया, तो कविता ने कहा।
कविता- रख लो दीप ये कीमत नहीं.. हमारी तरफ से ईनाम और तोहफा है।
मैंने पैसे नहीं लिए कविता के गाल पर एक जबरदस्त चुम्बन कर दिया और कहा- ये तोहफा अच्छा है।
कविता- ठीक है…पर अगर मैं तुम्हें कल कॉल करूँ तो प्लीज आ जाना।
दीप- ठीक है पर 5 बजे के बाद ही कॉल करना।
अगले दिन कविता की कॉल आई तो मैं चला गया वो मुझे अपनी गाड़ी में बाजार ले गई और मुझे खूब सारी शॉपिंग करवाई। जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि उसके पति एक अच्छे बिजनेस-मैन थे तो पैसे की कोई कमी नहीं थी।
फिर हमने एक होटल में कमरा बुक किया। यहाँ मैंने कविता की गांड का उद्घाटन किया। फिर कविता ने मुझे अपनी अलग-अलग दो सहेलियों के पास भी एक कॉल-बाय के रूप में भेजा और पैसे लेकर ही चोदने को एडवाईज किया। इस तरह मुझे कुछ कमाई भी हो गई और कविता की सहेलियों के मजे। इस तरह मैं पिछले कुछ दिनों से कॉल-बाय का काम कर रहा हूँ।
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