कविता के लबों का चुम्बन और पहली चुदाई
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम विकास है और मेरी उम्र 18 है. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. और मैं आगरा का रहने वाला हूँ. मैं दिखने स्मार्ट हूँ, मेरा कद 5 फीट 9 इंच है. डील डौल भी अच्छा है.
तो मैं आपके सामने अपने जीवन की प्रथम अद्भुत् सेक्स अनुभव प्रस्तुत कर रहा हूँ.
मेरी इंडियन सेक्स स्टोरी उस समय की है जब मैं अपनी बुआ के यहाँ उनकी जेठानी की लड़की के विवाह हेतु हाथरस आया था. वहां घर के बाहर पहुँचते ही मेरी नजर एक लड़की पर पड़ी जो बुआ की छत पर खड़ी थी, उसका रंग एकदम दूध जैसा और उसकी गांड मानो जींस को फाड़ ही रही थी, और उसके छोटे छोटे चुचे एकदम तने हुए दिख रहे थे, मेरा मन कर रहा था कि साली को अभी पकड़ कर चोद दूँ.
जब घर के अन्दर पंहुचा तो पता चला कि बुआ की जिठानी की बहन की लड़की है वो भी शादी में आई है. उसकी उमर 21 साल थी, उसका नाम रीना था.
और मैंने उसे पटाने की तैयारी शुरू कर दी. तब से पहले मेरी कोई सेटिंग नहीं थी. इतने में मैंने महसूस किया कि दो लड़कियाँ जो उम्र में मुझसे छोटी लग रही थी, मुझे परेशान करने लगी, वो कभी मेरे ऊपर पानी डाल देती तो कभी एक दूसरी को धक्का मार कर मेरे ऊपर गिराती और फिर मेरे ऊपर हंसती. उन्होंने मुझे बहुत परेशान कर दिया तो मैंने उनकी शिकायत रीना से की तो रीना ने उन्हें डांट दिया.
पर वो लड़कियां अपनी हरकतों से बाज नहीं आयी, नहीं मानी. मैं समझ गया कि इनकी चढ़ती जवानी, इनकी कामुकता के चलते इनका खुद पर कोई काबू नहीं है.
उन दोनों में से एक तो रीना की छोटी बहन कविता थी और एक उसकी मामी की लड़की जिसका नाम रेनू था.
शाम हो गयी, फिर रात हुई, खाना खाकर अब सब सोने की तैयारी करने लगे, मैं रीना की मामी के लड़के के साथ लेटा हुआ था जो तब छोटा था, स्कूल में पढ़ रहा था. कि तभी एकदम कविता मेरे पास आई और मुझे चुपके से एक लैटर मेरे हाथ में दिया और फिर हँसती हुई चली गयी.
मैं डर गया, मैं तुरंत उठकर बाथरूम में गया और लेटर पढ़ा. उसमें सिर्फ यह लिखा था कि ‘आपकी गर्लफ्रेंड का क्या नाम है?’
फिर मैंने उसे लैटर को फाड़ दिया और कमरे में आकर सो गया.
दूसरे दिन जगा तो मैं कविता के बारे में सोचने लगा. वह अपनी बहन रीना से छोटी थी पर उससे भी ज्यादा मस्त माल थी. उसकी उम्र तो कम नहीं थी पर उसकी शारीरिक बनावट हल्की होने की वजह से मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया. पर उसकी खस्ता कचौरी की आकार की चुची पर उसका टॉप पूरा कसा हुआ था, उसके चूतड़ भारी थे, जिन पर मेरी नजर पड़ी तो उसकी गांड अब मुझे पागल कर रही थी. उसकी उम्र 18-19 साल की थी. कविता के बदन का सबसे प्यारा अंग जो मुझे लगा वो उसके लैब थे, जैसे संतरे की दो फांके
शाम को मैं छत पर बैठा था तो वो आई मेरे पास और बोली- आपने बताया नहीं अपनी गर्लफ्रेंड का नाम?
मैं थोड़ी देर चुप रहा, फिर मैंने मजाक में लेकिन सोच समझ कर बोल दिया- मेरी गर्लफ्रंड का नाम कविता है!
वो थोड़ी देर चुप रहने के बाद मुझसे ‘आई लव यू’ कह कर जाने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा- रुको कविता, मुझे भी तुमसे कुछ कहना है!
तो वो अपने कान को मेरे होंठों के पास लाई, मैंने बोला- इधर देखो!
फिर तुरंत उसके होंठों पर हल्का चुम्बन ले लिया और वो शरमा कर नीचे भाग गयी.
रात हो गयी, खाना खाकर हम सब सो गये और अगले दिन मेरी नींद सुबह 5 बजे खुल गयी. सर्दियों के दिन थे तो इसलिए अधेरा था और मैं नीचे से ऊपर वाले चौबारे में फूफा जी के पास चला गया. फूफा जी उठ कर खेत पर चल दिए. अब मुझे वहां नींद नहीं आ रही थी, मैं फिर से नीचे आ गया. वहां देखा कि एक कमरे में कविता की मम्मी और कुछ औरतें सोयी हुई थी और दूसरे कमरे में मकविता और उसकी बहनें सोयी हुई थी.
मैं हिम्मत करके कविता के कमरे में चला गया और कविता सोफे पर सो रही थी, उसने अपने लबों को खोल रखा था जैसे मेरे लबों की प्रतीक्षा कर रही हो! मैंने धीरे से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, वो जाग गई पर बिना विरोध के लेटी रही. क्या आनन्द आ रहा था मुझे!
उसके मुख की लार मेरे मुख में मेरी लार उसके मुख में… कभी वो मेरे होंठों को काटती, कभी मैं उसके लबों को काटता, कभी मैं उसकी जीभ को चूसता, कभी वो मेरी जीभ को चूसती!
मुझे तो मानो जन्नत का अहसास हो रहा था, कविता को भी पूरा मजा आ रहा होगा हमारी चूमा चाटी का… अब मैं एक हाथ उसकी टॉप में घुसा कर उसके टाईट आमों को दबा रहा था पर मेरी गांड भी फट रही थी तो मैं अपने पलंग पर आकर लेट गया पर मेरा दिल तो वहीं कविता के पास था, मैं फिर से उसके पास गया और फिर से कविता के रसीले लबों का रसपान करने लगा.
हम दोनों की कामुकता पूरे चरम पर थी.
ऐसे ही मैंने 4-5 बार किया लेकिन फिर मैंने अपने आप पर काबू किया और दिल पक्का करके अपने कमरे में लेट गया.
सुबह हो गयी, सब जाग गये और हम होनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे और चुदाई के मौके का इन्तजार कर रहे थे.
पूरा दिन यूं ही निकल गया और शाम के 7 बजे और हम सब ने लुकाछिपी खेलना शुरू कर दिया. उस समय बिजली भी नहीं आ रही थी, सब खेल रहे थे मैं बार-2 मौका देख कर कविता के साथ छिप जाता और उसे होंठों से खेलने लगता व उसकी चुची को मसलने लगता और वो बोलती- छोड़ दो यार, कोई देख लेगा तो मुसीबत में फंस जायेंगे.
पर मैं नहीं माना और बार बार उसके साथ छिप कर उसके साथ चूमा चाटी और कुछ मर्दन का मजा ले रहा था.
कुछ समय बाद खेल खेल में मैं छिप गया तो एक लड़की मेरे पास आ कर छिप गई, मुझे लगा ये कविता ही होगी क्योंकि वही मेरे पास आकर छिपती थी. मैं उसे पकड़ कर चुम्बन कर रहा था
तो मेरा हाथ उसकी चुची पर गया तो मेरी गांड फटने लगी वो बड़ी बड़ी चुची कविता की नहीं थी, वो रीना के चूचे थे. और मेरे होंठ अब भी रीना के होंठों को चूस रहे थे. मेरी गांड फट गयी और डर कर मैं एकदम वहां से चला गया.
मेरी गांड फटी जा रही थी पर फिर कुछ हुआ नहीं!
रात हो चुकी थी, रात्री भोज के पश्चात सब सोने की तैयारी करने लगे. उस दिन मुझे ऊपर सोना था क्योंकि घर में और भी रिश्तेदार आ गये थे. कविता भी ऊपर सोने वाली थी. मैं दूसरी मंजिल पर कविता के कमरे के बाहर सो रहा था और लुकाछिपी के बारे में सोचते सोचते मैं कभी कविता की चुची व होंठ तो कभी रीना के चुचे के बारे में सोच रहा था. मेरा हाथ कब मेरे लंड पर चला गया और मैं मुठ मार कर सो गया और मुझे नीद आ गयी.
अचानक मेरी नींद खुली और मैंने देखा कि 12:30 बज गये थे. और मैं हिम्मत करके कविता के कमरे में पहुँचा. मुझे पटा था कि कविता कहाँ सोयी हुई है, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और किस करने लगा. वो भी मुझे चूमने लगी, वह जग रही थी और मेरा इंतजार कर रही थी.
उसके होंठों को चूसते चूसते मेरा हाथ उसकी चूत की ओर जाने लगा और मैंने उसकी लेगी में हाथ डाल दिया. दोस्तो, इतनी चिकनी चूत थी उसकी और बहुत गर्म भी थी. मुझे मजा आ रहा था, वो अंदर चड्डी पहने हुई थी.
जैसे ही मेरी उंगलियों ने उसकी चूत के दाने को छुआ, उसके मुख से ह्ल्की आह… की आवाज निकल गयी और मैं उसके होंठों को चूसता जा रहा था और दूसरे हाथ से मैंने उसका टॉप ऊपर किया, वह अंदर कुछ नहीं पहने थी, मैं उसकी रसीली चुची को जोर से दबाने मसलने लगा, वो तड़पने लगी. और मैं नीचे उसकी चूत के दाने को रगड़ रहा तो वो और वो सिसकारियाँ भर रही थी. अब मैंने अपना हाथ चूत से हटाया और दूसरी चुची को टॉप में से आजाद कर दिया और दोनों हाथों से उसकी दोनों चुची को दबा व मसल रहा था. वो दर्द व आनन्द से तड़प रही थी.
फिर अपने होंठों को उसके होंठों से हटा कर उसके दोनों स्तनों को बारी बारी चूसता और मसलता जा रहा था और वो आह आह… की आवाज के साथ अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ के अपनी चुची पर दबा रही थी और मैं उसके स्तनों को चूसता जा रहा था. वहां पर चुदाई की सही जगह न होने के कारण मैं उसे अपनी बाहों में भर कर उसके स्तनों को चूसते हुए अपने पलंग पर ले आया और रजाई ओढ़ कर उसके स्तनों को पीये जा रहा था.
अब भी उसका हाथ मेरे सिर को दबा रहा और अब मैंने अपना एक हाथ उसकी चूत में डाल दिया. पर इस बार उसकी चूत हल्की चिपचिपा रही थी, मैं उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा और कविता की सीत्कारें आ…ह आह आह… आवाज तेज हो गयी. मैं अपने होंठों से उसके होंठ चूसने लगा, थोड़ी देर में उसका शरीर अकड़ने लगा, वह झड़ गयी और मैंने तौलिये से अपने हाथ और उसकी चूत को साफ़ किया.
अब मैंने रजाई के अंदर उसकी लेगी और टॉप पूरी तरह उतार दी और मैंने अपनी टीशर्ट और पजामा उतार दिया, अब मैं सिर्फ अंडरवियर था मेरा लंड तना हुआ था और हल्का दर्द हो रहा था.
मैं कुछ करता, उससे पहले ही उसने जल्दी से अपना हाथ मेरे अंडरवियर में डाला और मेरा लंड बाहर निकाल लिया और तेज तेज हिलाने लगी, मैं चाह कर भी कुछ नहीं बोल पा रहा था और 15 मिनट बाद मैं झड़ गया, मेरा सारा वीर्य कविता के पेट पर फ़ैल गया और तौलिये से मैंने अपना लंड और उसका पेट साफ़ किया.
पर अब भी कविता का हाथ मेरे लंड पर था और वो मुझे लगातार चूमे जा रही थी.
थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया परन्तु इस बार मेरा लंड अधिक बड़ा लग रहा था. मैं देर ना करते हुए कविता के नंगे बदन के ऊपर चढ़ गया और कविता की चूत पर अपने लंड को रख दिया, फिर अपने लंड के टोपे को चूत के दाने के ऊपर नीचे रगड़ने लगा और वो तड़पने लगी.
मैंने धीरे से एक धक्का लगाया और मैंने अपना लंड कविता की जवान चूत में डाल दिया और उसके मुख से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की तेज आवाज निकल गयी. मैंने देखा कि मेरे लंड का टोपा ही अंदर गया था और मैंने अपने लंड को तुरन्त बाहर निकाल लिया क्योंकि मुझे भी हल्का सा दर्द हुआ था. पर यह दर्द उस आनन्द के मुकाबले कुछ नहीं था.
क्योंकि यह मेरे साथ पहली बार था इसलिए लंड की खाल खिंच गयी थी. अबकी बार मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख कर चूसना शुरू कर दिया और अपने लंड को धीरे से उसकी चूत में धक्का दे दिया. और इस बार मेरा लंड पूरा अंदर चला गया, होंठों पर होंठ होने के कारण वह आवाज नहीं निकाल पायी लेकिन मेरे हाथ उसके चेहरे पर होने पर मुझे पता चला कि वो रो रही है, उसकी आँखों से आँसू निकल रहे हैं.
मैं धीरे धीरे अपने कूल्हे हिला कर कविता की चुत चुदाई करने लगा, मुझे दर्द के४ साथ मजा आ रहा था, मेरे मन में खुशी का कोई पारावार नहीं था क्योंक इमें पहली बार चुत चुदाई कर रहा था और वो भी शायद एक कमसिन कुंवारी चुत की…
कविता भी दर्द के कारण कराह रही थी, मैं उसे धीरे धीरे चोद रहा था. थोड़ी देर बाद कविता भी अपनी गांड हिलाने लगी तो अब मैं समझ गया कि उसे भी मजा आने लगा है, अब मैंने उसके होंठों से अपने होंठ हटाये.
उसके चेहरे पर अलग ही ख़ुशी दिख रही थी, उसके इशारा करते ही मैंने अपनी चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी, अब उसकी साँसें मुझे पागल बना रही थी और मैंने उसकी चुची को चूसना शुरू कर दिया और कविता ने मुझे कस कर पकड़ लिया और वो झड़ गयी.
थोड़ी देर में मैं भी उसके ऊपर ही गिर पड़ा, मेरे गर्म वीर्य से कविता की गर्म चूत भर गयी.
यह हम दोनों की पहली चुदाई थी.
उसके बाद तो मौका मिलते ही मैंने कविता की कई बार चुदाई की.
यह मेरी पहली कहानी है, यह इंडियन सेक्स स्टोरी आपको पसंद आयी या नहीं, मुझे अपनी राय जरूर भेजें!
मेरी ईमल आई डी है- [email protected]
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