सम्भोग प्रबन्धन
प्रेषक : लवगुरु खान
सभी पाठकों के उत्तेजित भरे लिंगों एवं योनियों को आदित्य शर्मा, रांची के लंबे लिंग का सलाम।
मैं एक बड़े महाविद्यालय से वाणिज्य प्रबंधन में प्रतिष्ठा कर रहा हूँ, यह अंतिम वर्ष है, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ ।
बात दो दिन पहले की है जब मैंने अपने जीवन का पहला यौनानन्द लिया और मैं कुंवारा नहीं रहा। मैं हमेशा से सेक्स के प्रति सजग रहा हूँ, हमेशा मन करता था, पर मौका नहीं मिला।
मुझे कॉलेज में एक लड़की प्रियंका पसंद आई, मैं उसे पहले सेमेस्टर से ही लाइन मारने लगा था, पर वो बला ही ऐसी थी कि किसी को लाइन क्या, अपना नाम तक नहीं लेने देती थी।
कॉलेज में मेरा सबसे प्रिय स्थान था लाईब्रेरी ! मैं हमेशा वहीं बैठा रहता था और पढ़ता रहता था। मेरी किस्मत का ताला उस दिन खुला जब मैं अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था और वो पीछे से आकर मुझसे एक किताब मांगने आई।
मैंने किताब दे दी।
उसने कहा- मैं तुम्हें कल किताब लौटा दूंगी !
मैंने कहा- मैं तो तुम्हें जानता भी नहीं ! मैं कैसे दे दूँ?
उसने कहा- अभी जान लो ! इसमें क्या है !
उसने अधरों से अपना सेक्सी नाम बताया मैंने तुरंत नंबर मांग लिया और उसने भी मेरा नंबर ले लिया। रात में मैंने उसे मैसेज किया- क्या कर रही हो?
और हमारी सेक्स की कहानी पटरी पर दौड़नी शुरु हो गई। कुछ दिन बाद हमरी दोस्ती मजबूत हो गई और हम रेस्तराँ, पार्क में एक साथ घूमने लगे, कभी मधुवन तो कभी कावेरी तो कभी ओरमांझी पार्क ।
तब तक हम लोग पांचवे सेमेस्टर में आ चुके थे।
एक दिन हम लोगों ने सोचाकि ओरमांझी पार्क घूम कर आएँ, यह एक बड़ा जैविक उद्यान है।
हम लोग सवेरे निकले और टिकट लेकर अंदर घूमने लगे। हम घूमते-घूमते बोटिंग एरिया की तरफ गए और एकांत में बैठकर कुछ कॉलेज की बातें करने लगे। हमसे कुछ दूरी प एक युगल बैठा था और एक दूसरे के अधरों का रसपान कर रहे थे।
यह हम दोनों ने एक साथ देखा, तभी मैं बोला- हाऊ लक्की ही इज़ !
प्रियंका ने सुन लिया, बोली- कैसे?
तो मैंने कहा- किस करने का मौका मिला उसे और तुम बोल रही हो कैसे ?
तभी उसने कहा- छोड़ो, चलो बोटिंग करते हैं।
मैंने कहा- ठीक है, चलो।
हम लोग नाव में थे और कोल्ड ड्रिंक पी रहे थे कि पता नहीं उसे क्या हुआ, वो कोल्ड ड्रिंक मुझ पर डालने लगी। मैंने नाव रोक कर उस पर भी कोल्ड ड्रिंक डालना शुरु कर दिया। जब कोल्ड ड्रिंक खत्म हुआ तो पानी से भिगाना शुरु कर दिया। मैं भी जोश में आ गया और उसे भिगाना चालू कर दिया। दस मिनट बाद ही हम दोनों पूरी तरह भीग चुके थे, वो मुझे उस समय सेक्सी दिखने लगी थी, मैं सकपका गया और उसके गालों पर हाथ रख दिया और अपने होंठों को उसके होंठों के साथ जोड़ दिया। उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और बोलने लगी- आदि, मुझे ठण्ड लग रही है !
और जोर जोर से साँस लेने लगी। तभी मैंने उसके वक्ष पर हाथ रख दिया और दबाने लगा। फिर मैंने अपने आप को संभाला और अपने और उसके कपड़े ठीक किए और नाव से उतर गए और कहीं खाली जगह देखने लगे जहाँ हम दोनों एक दूसरे के हो सकें।
मैं उसके कोमल एवम् ठण्डे हाथों को पकड़ कर चल रहा था। मैंने कहा- अभी हॉस्टल जाओगी?
उसने कहा- हाँ !
मैंने कहा- इस हालत में जाना ठीक नहीं रहेगा।
मैंने अपने रूममेट को फोन किया और पूछा- कमरे पर हो या कहीं बाहर?
उसने कहा- मैं बाहर हूँ, देर से आऊंगा।
मुझे तो एक मौके की तलाश थी, जो आज मिल गया, मैं प्रियंका को अपने फ्लैट ले आया।
दरवाजा बंद करते ही मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे दरवाजे के सहारे खड़ा कर के जोर से चूमने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी।
तभी मैंने उसके वक्ष पर हाथ रख दिया।
अरे मैं तो उसकी तनाकृति बताना भूल ही गया, वो 32-28-30 है।
मैं मदहोशी में पागलों की तरह उसे चूम रहा था और चूचियों को दबा रहा था। तभी मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से ही चूचियों का मंथन करने लगा, उसके मुँह से- उफ्फ्फ आह आह…..आह अआह आहाह आः आह आह की ध्वनि फ़ूटने लगी।
मैंने उसके टॉप को निकाल दिया और उसके स्तनों को ब्रा के ऊपर से चूसने लगा। उसकी सेक्सी आवाजें ओह आह आह आहा आह आह …. मुझे एक अलग ही शक्ति दे रही थी। जब मैंने उसकी ब्रा को हटाया तो मैं उसके स्तन देखकर दंग ही रह गया, इतनी गोरे और उसके ऊपर जैसे लाल लाल चैरी रखी हो !
मैं रोमांचित हो उठा और उसकी चैरी खाने लगा। वो दर्द से कराह उठी और कहने लगी- और जोर से आदि !
मैं एक हाथ से उसके एक स्तन को और दूसरे को मुँह से चूस रहा था। यह मेरा पहला अनुभव था, मेरा लिंग तो पहले ही खड़ा था, प्री-कम आ चुका था, पर अभी मैं सम्भोग के मूड में नहीं था, इतनी सेक्सी चूचियाँ जो मिली थी।
मैं उसकी जींस का बटन और ज़िप खोल चुका था, धीरे से एक हाथ उसकी पैंटी के ऊपर रख दिया, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- आदि, वहाँ नहीं !
मैंने कहा- प्रियंका, तुम्हें मेरी कसम ! जो आज तुमने मना किया ! तुमने मुझे ढाई साल तड़पाया है, आज मैं तुम्हें तड़पाने की सजा दूँगा।
फिर उसने अपना हाथ हटा लिया।
फिर मैं उसे छोड़ खड़ा हुआ, अपना टी-शर्ट उतारा। तभी वो मेरे जींस का बटन खोलने लगी, जल्दी से मैंने जींस खोली और मैं उसे बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर आ गया। हम दोनों सिर्फ चड्डी में थे।
तभी मैंने अपने लिंग पर उसका हाथ महसूस किया, उसने मेरी चड्डी उतार दी और लिंग को आगे पीछे करने लगी।
मैं खड़ा हुआ और वो मेरा लिंग को हाँथ से आगे पीछे करने लगी। फिर उसने मेरे लिंग पर अपने होंठ रख दिए। जैसे ही मेरे लिंग उसके मुँह के अंदर गया, उसकी गर्मी मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया और मेरा गर्म वीर्य उसके मुँह में ही गिर गया और वो सारा वीर्य पी गई। पर पता नहीं मुझे क्या हुआ, मेरा लिंग फिर से खड़ा हो गया। फिर मैंने उसके दोनों स्तनों के बीच अपने लिंग को रखा और वक्ष-चुदाई शुरु कर दी। दस मिनट तक उसकी चूचियों को चोदते-चोदते उनका रंग लाल हो चुका था।
तभी प्रियंका ने कहा- आई कांट रेसिस्ट मायसेल्फ एनी मोर आदि, प्लीज़ फक मे नाओ !
मैंने उसकी चड्डी उतार दी, उसकी योनि को तो मैं देखता ही रह गया। पूरी लाल चूत हल्के-हल्के काले बालों के बीच ! मैं उसे चाटने लगा, लेकिन जैसे ही मैंने अपने होंठ उसकी चूत से लगाए, उसके मुँह से ओह्ह्हह आह्ह ओह्ह्ह्ह् आह्ह्ह्ह ओह्ह् आह्हह की आवाज निकालने लगी। वो पागल होने लगी ओर जोर जोर से ओह ओह आह करने लगी। तभी मैंने तय किया कि अब चूत को लंड का मजा चखाया जाए।
तो मैं उठ कर क्रीम लेकर आया और उसकी चूत पर लगाई और अपने लंड पर भी। मैं जानता था कि यह प्रियंका का भी पहला अनुभव है, मैं अपने लंड को चूत के मुहाने पर लगा कर उसे चूमने लगा और दोनों हाथों से उसके स्तन दबाने लगा ताकि उसका ध्यान चुदाई जो शुरु होने वाली है, पर ना जाए और मौका देख मैंने एक झटका लगा दिया, जिससे थोड़ा अंदर गया तो सही पर लंड फिर बाहर आ गया। पर प्रियंका जोर से चीख पड़ी, मैं तो डर ही गया, फिर भी मैंने दूसरी बार मैंने फिर से लंड को चूत के ऊपर रखा और जोर से चूमने लगा और लंबा, जोरदार झटका लगाया जिससे आधा लंड तो चूत में चला गया पर वो जोर जोर से चीखने लगी और उसकी चूत से रक्त की धारा बहने लगी।
वो बहुत डर गई और बोलने लगी- आदि, प्लीज़ अपने पेनिस को निकालो ! मैं और सहन नहीं कर सकती !
मैंने कहा- ऐसे ही कुछ देर रहो, सब कुछ ठीक हो जाएगा।
और फिर 2-3 मिनट बाद मैं धीरे-धीरे अपने लंड को आगे पीछे करने लगा और वो धीरे धीरे ओह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह ऊऊह आह.. करने लगी।
मैं अपनी स्पीड धीरे-धीरे बढ़ा रहा था, अब प्रियंका को शायद मजा आने लगा था, वो मुझे बोलने लगी- आदि, स्पीड से करो ना ! मजा आ रहा है !
मैं अपनी गति और बढ़ाने लगा और तब मैंने एक बार अपने लंड को पूरा निकाल दिया और फिर उसके चूत के दरार पर रखकर एक झटके में अंदर कर दिया, जिससे वो और चिल्लाई।
फिर मैं जोर-जोर के झटके लगाने लगाने लगा। पूरा कमरा उसकी सेक्सी आवाजों से गूंज उठा था- ओह्ह्ह आह्ह्ह ओह्ह्ह आह्ह्ह ओह्ह्ह्ह आह से, तभी मैंने महसूस किया कि उसकी चूत मेरे लौड़े को जकड़ती जा रही है।
तभी प्रियंका ने कहा- मैं आने वाली हूँ !
और उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और वो अपने आपा खो बैठी और उसका रज निकल आया जिससे मेरा लंड पूरा गीला हो गया और लंड के अंदर-बाहर होने से फच-फच की आवाज पूरे कमरे को मधुर कर रही थी।
पर मैं भी कब तक टिकता, मैंने कहा- मैं भी आने वाला हूँ जान !
उसने कहा- जान, चूत में ही निकालना, मैं तुम्हें महसूस करना चाहती हूँ !
और मैं दो-चार धक्कों के बाद ही झड़ गया। फिर हमें कब नींद आई, पता ही नहीं चला।
जब उठा तो 5 बज चुके थे। वो काफी बना के ले आई, काफी पीकर एक बार फिर हम लोगों ने सेक्स किया।
फिर कैपिटल हिल में जाकर रात का भोजन किया और 7 बजे उसे हॉस्टल छोड़ दिया।
यह मेरी पहली कहानी है, आप अपनी राय लिखिएगा।
मेरा मेल आईडी है [email protected]
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