प्यार की कहानी स्वीटी के साथ-2
प्रेषक : राहुल शाह
फिर मैंने उसको अपने लण्ड की तरफ इशारा किया और अपना अण्डरवीयर उतार दिया।
उसके सामने 7 इंच लम्बा और 4 इंच मोटा लण्ड खड़ा था जो काफी कड़क और लाल हो गया था।
वो शरमा गई और उसका चेहरा एकदम लाल हो गया।
मैंने उसके सामने ही लण्ड हिलाया और उसको बोला- तू थोड़ा नीचे झुक जा ताकि मैं चूत और गाण्ड को एक साथ देख सकूँ।
उसने वैसा ही किया और मैं अपने लण्ड को सहलाने लगा।
मैंने उसको बोला- अब रहा नहीं जा रहा और किसी भी तरह मिल ! ताकि मैं तुझसे प्यार कर सकूँ।
थोड़ी देर में छत पर मिलने का वादा करके उसने कपड़े पहन लिए, मैं लण्ड हिलाता हिलाता बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा।
छत पर मिलने पर उसने मुझे एक पता बताया और अगले दिन वहाँ मिलने को कहा।
दूसरे दिन दोपहर को मैं स्वीटी के बताये हुए घर पर चला गया।
वह उसकी एक सहेली का घर था जो गाँव के थोड़ा बाहर कलोनी में था।
मेरे वहाँ जाते ही स्वीटी ने दरवाजा खोला, वो जन्नत की परी लग रही थी। काले रंग के सूट में काफी सजी हुई थी। उसके भूरे बाल उसके आँखों के सामने आ रहे थे जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे।
उसने बोला- राहुल, आज यहाँ इस घर में कोई नहीं है, हम दोनों बहुत सारी प्यार की बातें कर सकते हैं।
मेरे लिए बातें करना अलग बात थी, मैं तो उसको चोदने के मूड में था।
मैंने पहले पूछा- कितनी देर के लिए तेरी सहेली बाहर है?
तो उसने बोला- 4-5 घंटे तक वह नहीं आने वाली है।
मैंने मन ही मन में सोचा कि आज स्वीटी को कम से कम 2 बार तो चोद सकता हूँ।
फिर मैंने उसको बोला- कुछ ठंडा हो जाये।
वह अन्दर जा कर ठंडा बनाने में लग गई तब तक मैं जो कंडोम और उसके लिए गिफ्ट लाया था उसको गाड़ी में से निकालने के लिए चला गया।
वह ठंडा ले कर आ गई और मैंने उसको फूलों का गुलदस्ता, लव का ग्रीटिंग कार्ड और गोल्ड प्लेटिड इयरिंग व पेंडेंट दिया जो मैंने कुछ पैसे बचा कर उसके लिए ख़रीदा था।
वह उसको देखते ही मेरे गले लग गई और बोलने लगी- राहुल, आज मुझे बहका दो।
मैंने कहा- देख, मेरी और तेरी शादी मुमकिन तो नहीं है और मैं तेरा इस्तमाल करना नहीं चाहता हूँ, अगर तेरी इजाजत है तो ही मैं तुझे हाथ लगाऊंगा।
स्वीटी ने कहा- राहुल, वह तो मुझे भी पता है पर मैं तुम्हें दिल दे चुकी हूँ, मुझे तुम्हारे सिवा और किसी से अपने जीवन का पहला सेक्स नहीं करना है।
मेरे लिए यह चीज़ बहुत बड़ी थी पर यह मेरा उसूल है कि मैं लड़की को बिना उसकी मर्ज़ी के कभी छूता नहीं हूँ। अगर लड़की साथ दे, तभी सेक्स का मज़ा है वरना हम जानवर तो नहीं हैं जो कही भी लग जाएँ।
मैंने उसको सोचने के लिए 15 मिनट का वक्त दिया और बोला- मेरे लिए भी यह पहली बार है, हाँ मैंने कई ब्लू फिल्में देखी हुई हैं।
और फिर बोला- चलो ठंडा पीते हैं और बातें करते हैं।
मैंने उसको पूछा तो उसने बताया कि मेरी यह जो सहेली है उसने 2-3 बार किया है और उसने ही बताया था कि पहली बार में बहुत दर्द होता है।
मैं फिर उसकी तारीफ करने लगा, मैंने बोला- आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो।
उसने बोला- आज के दिन मैं तुम्हारे लिए खास सज धज कर आई हूँ।
फिर मैंने उसको बताया- मुझे नीचे बाल अच्छे नहीं लगते हैं।
उसने बोला- यह मुझे पता चल गया था इसलिए आज ही मैंने मेरे सभी बाल साफ़ कर दिए हैं।
मैंने कहा- कैसे?
तो उसने बोला- उस दिन जब तुम मुझे खिड़की से देख रहे थे तब मेरी पैंटी उतारते ही तुम्हारा मूड थोडा ख़राब हो गया था।
मैंने बोला- वाह, तुम तो मुझे अच्छा पहचानने लग गई हो।
तो उसने बताया- प्यार में इतना तो पता चल ही जाता है।
करीब 15 मिनट इधर उधर की बातें करके उसने बोला- राहुल, मैं तैयार हूँ। मुझे कोई परेशानी नहीं है, तुम मेरी प्यास बुझा दो, आज तक मेरे इस बदन को मैंने किसी को छूने नहीं दिया है, मैं तड़प रही हूँ, मुझे अपना बना लो।
और ऐसा कह कर के वह मेरे गले से लिपट गई और रोने लगी।
उसको घर पर बहुत समस्याएँ थी उसकी माँ की वजह से और वह अपना दिल हल्का कर रही थी।
मैंने उसके सर को चूम लिया और उठा कर उसके लिए पानी लेने गया, फिर पानी देकर उसको अपनी गोद में बिठाया और उसके गले पर हाथ फेरने लगा।
वह थोड़ी मदहोश हो रही थी और मैं धीरे धीरे उंगली घुमा रहा था। मैंने फिर उसके दुपट्टे को अलग किया और सोफे पर बैठे-बैठे ही उसके जिस्म को अपने हाथ से मापने लगा।
धीरे धीरे मैंने उसके पीठ के ऊपर हाथ फिराना शुरू किया, वह मुझे चूमने लगी और मेरी होंठों को अपने होंठों ले लिया। हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे।
वह काफी गर्म हो चुकी थी पर मेरे लिए यह शुरुआत थी, मैं धीरे धीरे अपने हाथों को उसके वक्ष पर ले गया और कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूची को सहलाने लगा।
अगर लड़की को गर्म करना है तो उसको प्यार से सहलाओ ना कि जोर जोर से दबाओ।
मैं धीरे धीरे कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूची के ऊपर हाथ घुमाने लगा, उसकी निप्प्ल थोड़ी कड़क हो गई थी और वह दाने के तरह उभर आ गई थी, ब्रा के बावजूद मैं उसकी निप्पल को महसूस कर रहा था। मैं उसकी निप्पल के ऊपर उंगली घुमा रहा था।
और देखते ही उसने किस करने की स्पीड बढ़ा दी।
मैंने उसको बोला- चलो, बेडरूम में चलते हैं।
और उसको उठा कर बेडरूम में ले गया और मैं बेडरूम में जाते ही चौंक गया, वहाँ देखा तो उसने पूरा बेड सजा रखा था, भीनी भीनी गुलाब की खुशबू आ रही थी और थोड़ी गुलाब की पंखुड़ियों को उसने बेड पर बिछा रखा था।
मैंने पूछा- यह क्या है?
तो उसने बोला- मेरे लिए तो आज का दिन ही सुहागरात है।
मैं यह सोच कर थोड़ा सहम गया, मैंने सोचा कि मैं यह नहीं कर सकता, यह किसी लड़की के लिए बहुत बड़ी बात है।
मैंने उसको सेक्स करने से मना कर दिया, मैं उसको हर्ट करना नहीं चाहता था।
उसने बोला- यह सब तुम मेरी मर्जी से कर रहे हो।
और मैं संभल गया, मैंने बोला- ठीक है।
फिर वह मुझसे लिपट गई। मैंने उसको बेड पर लिटाया और फिर से उसे चूमने लगा, उसकी चूची को फिर से सहलाने लगा, ऊपर से उसके निप्पल को धीरे धीरे उंगली से घुमाता
तो उसको बहुत जोश आ रहा था, वह आँखे बंद करके उसका मज़ा ले रही थी।
धीरे धीरे मैंने उसके कमीज़ का हुक पीछे से खोल दिया, उसकी पीठ को सहलाने लगा, उसकी नंगी पीठ मेरा स्पर्श पाकर काफी गर्म हो चुकी थी।
मैंने उसकी कमीज़ के नीचे से हाथ डाला और उसकी नाभि पर उंगली घुमाने लगा, कमर पर हाथ घुमाने लगा।
धीरे धीरे मेरा हाथ और ऊपर गया और कमीज़ के अन्दर से उसके ब्रा पर हाथ ले गया। वह कसमसाई और मैंने ब्रा की बगल से उसकी चूची को छुआ। फिर मैंने उसकी निप्पल को ब्रा के ऊपर से छुआ और धीरे से उसकी कमीज़ उतार दी और धीरे से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया।
हुक खोलते ही उसके छोटे मम्मे मेरे सामने थे जिनके ऊपर छोटा सा गुलाबी निप्पल ! मैंने उसके निप्पल को मुह में लिया और उसको प्यार से चूसने लगा।
वह गर्म हो चुकी थी और उसने जोर से मेरा सर पकड़ कर पूरी चूची मेरे मुँह में डाल दी।
मुझे पता चल गया कि वह एक बार झड़ गई है।
मैं करीब 15 मिनट तक उसकी चूची के साथ खेलता रहा और फिर उसकी सलवार खोल दी और सिर्फ पैंटी में उसके पूरे बदन को चूमने लगा।
मैं बहुत उत्तेजित हो गया था और मेरे लण्ड पानी छोड़ रहा था, मैंने उसको बोला- अब तुम मेरे साथ खेलो।
उसने मना कर दिया और बोली- नहीं, पहले तुम करो।
आखिर वह मान गई।
मैं जल्दी से उठा और बाथरूम में जाकर अपने लण्ड को थोड़ा साबुन लगा कर साफ़ कर लिया।
फिर मैं बेड पर आ गया और टीशर्ट निकाल दी तो वह मेरे पूरे बदन को चूमने लगी।
मैंने पूछा- यह तुम्हें किसने सिखाया?
तो उसने उसकी सहेली पूनम का नाम दिया जिसके घर पर हम लोग थे।
मैंने बोला- और क्या-क्या सिखाया है?
तो वह बोली- देखते जाओ।
और मैं आँखें बंद करके मज़ा लेने लगा।
उसने मेरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैं बहुत गर्म हो रहा था। फिर उसने एक हाथ मेरी पैंट में डाल दिया, मेरे लण्ड को सहलाने लगी।
कुछ देर में मेरी पैंट को मेरे जिस्म से अलग किया। उसने नीचे से मेरे पूरे जिस्म को चाटना शुरू किया और मेरे लण्ड पर आकर रुक गई।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- बस !
मैंने कहा- और कुछ तेरी सहेली ने नहीं सिखाया?
उसने बोला- बस इतना ही होता है।
फिर मैंने बोला- ठीक है तो इसको मुँह में नहीं लेना है?
उसने बोला- इसको कोई लेता है क्या?
मैंने बोला- एक मिनट रुक !
और मैंने उसको लेटा दिया, फिर ऊपर से उसकी पैंटी पर हाथ घुमाने लगा, उत्तेजना के मारे उसकी चूत फूल गई थी। मैंने बगल से उसकी पैंटी के अन्दर उंगली डाली। पूरी चूत गीली थी। मैंने उसकी पैंटी उतार दी, देखा तो सामने एकदम कसी हुई गुलाबी चूत !
मेरे होश उड़ गए और एक बार तो ऐसा लगा कि शायद मैं झड़ जाऊँगा।
मैंने दूसरा कुछ सोचना चालू किया ताकि मैं झड़ न जाऊँ।
मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा, उसका रस बाहर आ रहा था।
मैंने उसके दाने को छुआ, उसकी चूत की दरार पर उंगली घुमाई और देरी न करते हुए उसके चूत पर जीभ फेरना चालू किया।
वह उन्माद के सातवें आसमान पर थी।
मैंने धीरे से उसके दाने को जीभ से चाटा और उसकी गीली चूत मैं उंगली घुसाने लगा। चूत का रस उसकी गांड पर बहने लगा।
मैंने अपने पैर उसके सामने कर दिए ताकि उसका मुँह मेरे लण्ड पर आ जाये। मैं धीरे धीरे उसकी चूत पर जीभ फेरने लगा और उंगली को अन्दर-बाहर करने लगा।
उसने देर न करते हुए मेरे लण्ड को अण्डरवीयर से निकाला और उसके सामने मेरा 7 इंच लम्बा, 4 इंच मोटा लण्ड था।
उसने मेरे लण्ड के ऊपर की चमड़ी को नीचे करते हुए मेरा सुपारा मुँह में ले लिया।
उसके मुँह में जाते ही मेरा लण्ड हिचकोले खाने लगा और मेरा रस बाहर आने की कोशिश कर रहा था।
वह धीरे धीरे मेरे लण्ड को चूस रही थी और मेरे गोलों के साथ खेल रही थी।
मैंने एक उंगली उसकी गांड पर फेरनी शुरू की वह बोली- राहुल, ऐसा मत करो ! मैं झड़ जाऊँगी।
उसने जैसे ही मेरा सुपारा फिर से अपने मुंह लिया, मैं झड़ गया। वो हैरान हो गई, बोली- यह क्या हुआ?
मैंने कहा- लड़के ऐसे ही झड़ते हैं।
और मेरा लण्ड धीरे धीरे बैठने लगा। मैं बाथरूम चला गया और बोला- अब 10 मिनट लगेंगे फिर से इसको खड़ा होने में !
वह थोड़ी निराश हो गई तो मैंने उसको समझाया- लड़कों के साथ ऐसा होता है।
स्वीटी की नाराज़गी मुझे कुछ अच्छी नहीं लगी, मैंने उसको बोला- अगर तुझे ज्यादा लगता है तो इसको मुँह में ले और खड़ा कर दे।
वो बहुत गर्म हो चुकी थी, वो तैयार हो गई, अपने घुटने पर आ गई, फिर मेरा लण्ड मुँह में ले लिया।
उसके मुंह में लेते ही मेरा लण्ड ताव में आने लगा, वो उसको लॉलीपोप की तरह चूस रही थी।
मेरा लण्ड अब पूरा खड़ा हो चुका था, मैंने उसको बिस्तर पर आने को कहा।
मैंने उसको टांगों को उठा कर उसके नीचे दो तकिये लगा दिए और उसका सर बेड से सटा दिया ताकि वो हिल न पाए। मैंने धीरे से उसकी चूत को उठाया और लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
वो बोली- राहुल, जल्दी डाल दे, रहा नहीं जा रहा है।
मैं धीरे धीरे लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा और एकदम धीरे से लण्ड को चूत के मुह पर रख हल्का सा झटका दिया और वो दर्द से कराह उठी।
मैंने बोला- थोड़ा दर्द सहना पड़ेगा।
वो बोली- ठीक है !
और फिर और एक ज़टका दिया और थोडा लण्ड उसकी चूत के अन्दर गया।और वोह चिल्लाई- .. रा..आ..हु..ल.. मैं मर्र गई..इ।
शायद उसका योनिपटल टूटा होगा। मैंने प्यार से उसके सर पर हाथ फ़िराया और हल्के से चूम लिया।
अब मैं लण्ड को और अन्दर डालने लगा और धीरे धीरे स्पीड बढ़ाने लगा। वो दर्द की वजह से ज्यादा साथ नहीं दे रही थी पर मुझे पता था कि थोड़ी देर के बाद वो ठीक हो जाएगी। और फिर उसकी तरफ से उह्ह्ह अह्ह्ह की मीठी आवाज आने लगी, कहने लगी- राहुल…. बहुतत.. मजा.. आ.. रहा.. है .. और जोर से करो…
मैं अपनी स्पीड बढ़ाने लगा और वो आह अह्ह चिल्लाने लगी।
और फिर उसने दोनों हाथ मेरी पीठ पर लगा दिए और अपने नाखून मेरी पीठ पर चुभा दिए…
मुझे पता चल गया वो झड़ गई है.. उसके पैर कांपने लगे और मुझसे अलग होने की कोशिश करने लगी..
मैंने कहा- मेरा अभी बाकी है..
मैंने कंडोम पहन लिया और उसको पीछे से जाकर चूत में लण्ड डाल दिया।
और 20-22 झटके के बाद हम दोनों एक साथ जड़ गए… मैंने उसको अपनी बाँहों में भर लिया और उसके माथे को चूमने लगा..
उसकी आँखें बयां कर रही थी कि वो बहुत तृप्त हो गई है।
मैंने उसकी प्यार से चुम्मी ली और फिर हम दोनों अपने कपड़े खोजने लगे..
और उसने पूछा… राहुल मेरी पैंटी कहाँ है???
…………सेक्स के बाद हर लड़की अपने साथी से पहला सवाल यही करती है।
आपकी प्रतिक्रियाएँ ही मुझे दूसरी कहानी को लिखने के लिए मजबूर करेंगी।
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