लण्ड की प्यासी रोशनी – Sex Stories
हैलो दोस्तो, मेरा नाम सुनील कश्यप है और मैं मुंबई में रहता हूँ।जो पाठक मेरे बारे में नहीं जानते हैं, मैं उनको बताना चाहूँगा कि मैं 23 वर्षीय युवक हूँ और मुंबई में अपने परिवार के साथ रहता हूँ। सेक्स करना और उसके बारे में लिखना यह मेरी पसंदगी है। मैं दुनिया में हर चीज के बगैर रह सकता हूँ लेकिन कोई कह दे कि मैं सेक्स के बिना रह जाऊँ तो मेरे लिए यह नामुमकिन है। अब तो चुदाई मेरे लिए एक नशे की तरह हो गई है।
मैंने हर उम्र की लड़कियों और औरतों के साथ सेक्स किया है। कुछ लड़कियाँ जो हाई-प्रोफाइल होती हैं। उनकी भी प्यास मैंने बुझाई है। कुछ औरतें जो शादी के बाद अपने पति से नहीं खुश रह पातीं, उनकी प्यास भी मैंने बुझाई है। कुछ जो संतान इच्छुक होती हैं, मैंने उनको संतान सुख भी दिया है। मैं 23 साल की उम्र में ही बहुत लोगों के साथ सेक्स कर चुका हूँ। यूँ तो मैंने अपने जीवन में बहुत सारे चुदाई के अनुभवों की डिग्री ली हुई है, उनमें से दो को मैं आप लोगों के साथ शेयर कर चुका हूँ।
आज मैं आपको अपने तीसरी कहानी के बारे में बताने जा रहा हूँ।
मैं 6’2″ लम्बा एंड खूबसूरत बन्दा हूँ। मैं अपने बदन की सम्भाल के लिए नियम से जिम जाता हूँ। इतना लम्बा कद और कसी हुई काया को देखकर हर कामुक लड़की के मुँह से ‘आह’ निकल जाती है। जब मैं बाहर घूमने के लिए निकलता हूँ तो काफी लड़कियों की नजर मुझ पर रहती है। मैं उनको अनदेखा करता हुआ अपने काम से मतलब रखता हूँ।
यह करीब 7-8 महीने पहले की बात है, जब मेरी दूसरी कहानी ‘प्यासी की प्यास बुझाई’ अन्तर्वासना पर प्रकाशित हुई थी। तब मुझे बहुत से मेरे पाठकों के मेल्स मिले थे।
उनमें से ही मेरी एक पाठिका थी रोशनी। रोशनी पुणे में ‘स्वारगेट’ के करीब एक पॉश एरिया में किराये के रूम में अपने दो सहेलियों के साथ रहती थी। वो मुझसे करीब 2 साल बड़ी थी और वो पुणे में एम.बी.ए करने के लिए आई हुई थी।
रोशनी अन्तर्वासना की रेगुलर पाठकों में से एक थी और उसे अन्तर्वासना की कहानियाँ बहुत पसंद आया करती थीं। जिन्हें पढ़-पढ़ कर वो अपनी चूत में उंगली डालकर अपनी चूत की प्यास बुझाया करती थी।
जब मेरी कहानी प्रकाशित हुई तो रोशनी ने मेरी कहानी पढ़ी और उसे मेरी कहानी बहुत पसंद आई। उसने मुझे मेल भेजा कि मेरा नाम रोशनी है, मुझे आपकी कहानी बहुत पसंद आई और मैं आपसे दोस्ती करना चाहती हूँ।
तो मैंने उसको अपनी जीमेल की आईडी से ईमेल कर दिया और कहा- यह मेरी मेन आईडी है इसे ऐड कर लेना।
मेल आने के 3 दिन बाद वो मुझे रात को 11 बजे ऑनलाइन मिली उसने मुझे बताया कि उसने मेरी कहानी पढ़ी और उसे बहुत पसंद आई।
मैंने भी उसे मेरी कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद दिया। फिर उसने मेरे बारे में पूछा और फिर मैंने उसके बारे में उसकी लोकेशन, जॉब वगैरा-वगैरा, तो उसने बताया, “वो पुणे में हॉस्टल में रहती है और एम.बी.ए. कर रही है।”
फिर हम दोनों ने उस दिन ढेर सारी बातें खुल के सेक्स, ओर्गास्म और चुदाई से सम्बंधित कीं।
उसको मेरे बात करने और सेक्स के बारे में अच्छी तरह बताने का अंदाज बहुत पसंद आया। फिर थोड़ी देर बाद वो दोबारा मिलने का आश्वासन देकर मेरी तारीफ करके चली गई।
फिर दूसरे दिन वो रात को 10 बजे मिली। इस बार हमने 5 मिनट तक इधर-उधर की बातें कीं। शायद आज वो हिचकिचा रही थी और मेरे साथ पूरी तरह खुलकर बात नहीं कर पा रही थी।
तो मैंने उससे पूछ लिया, “तुमने मुझसे सेक्स के प्रति तुम्हरी रूचि के बारे में तो बता दिया। लेकिन अपने सेक्स एक्स्पेरियेंस के बारे में नहीं बताया?”
तो वो बोली- मेरा सेक्स एक्स्पेरियेंस इतना कुछ ख़ास नहीं है।
मैंने उससे पूछा- कितनी बार सेक्स किया है?
तो उसने बताया, “उसने 4 बार अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स किया था, लेकिन उसका अब उसके बॉयफ्रेंड के साथ ब्रेकअप हो गया है और करीब 5 महीने से उसने चुदाई नहीं की है।”
मैंने उससे उसके बॉयफ्रेंड के साथ किये सेक्स के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि उसका बॉयफ्रेंड जल्दी झड़ जाता और थक जाता था। और उसकी प्यास अधूरी रह जाती थी।
उसकी यह बात सुनकर मैंने थोड़ा दुख जाहिर किया।
दोस्तो, हर लड़की की यह चाहत होती है कि उसकी सेक्स लाइफ बहुत सुख की हो। उसका बॉयफ्रेंड और पति उसे पूरी तरह संतुष्ट करे। बहुत से मामलों में ऐसा होता है कि लड़के संतुष्ट हो जाते है, लेकिन लड़कियों की प्यास अधूरी रह जाती है और वो अपनी प्यास को जाहिर भी नहीं कर पाती हैं। रोशनी उनमें से ही एक थी।
करीब एक हफ्ते की बातचीत के बाद अब रोशनी से मेरा रिश्ता प्रगाढ़ होने लगा। अब हम दोनों और खुल कर बातें करने लगे थे, मैं उसको अपने सेक्स एक्स्पेरीयेंस के बारे में बताया करता था कि मैं कैसे चुदाई करता हूँ, कैसे लड़कियों को उत्तेजित करता हूँ, कैसे उनको जिंदगी का मजा देता हूँ।
और वो मेरी बातों पर ध्यान लगा कर गौर करती थी। कुछ हद तक वो मेरे सेक्स करने के तरीके से काफी प्रभावित हो गई थी।
कुछ दिनों में हमने अपने नंबर भी एक दूसरे के साथ शेयर कर लिए। अब हम फ़ोन पर ही घंटों बातें किया करते थे। मैं उसे फ़ोन पर ही सेक्सी-सेक्सी बातें करके उत्तेजित कर देता था और वो मुझे अपनी बातों से मुट्ठ मारने पर मजबूर कर देती थी।
हम दोनों अब एक-दूसरे को मिलने के लिए बेताब थे, लेकिन हमारी टाइमिंग कुछ जम नहीं रही थी। एक तो वो पुणे में रहती थी और मैं यहाँ मुंबई में ऑफिस में काम में बिजी रहता था।
लेकिन कहते हैं न ‘भगवान् के घर देर है, पर अँधेर नहीं !’
एक दिन मैं ऑफिस से घर आया और मैं फ्रेश होकर टी.वी देखने के लिए बैठ गया। तभी मेरे सीनियर का फ़ोन आया।
उसने कहा- मुझे तीन दिन के लिए पुणे जाना है, प्रोजेक्ट का डेमो क्लाईंट को देने के लिए।
यह खबर सुनकर तो मानों मैं ख़ुशी से उछल पड़ा आखिर मेरी रोशनी से मिलने की तमन्ना जो पूरी होने वाली थी। यह बात मैंने रोशनी को बताई कि मैं 3 दिन के लिए पुणे आ रहा हूँ, तो यह खबर सुन कर वो भी खुश हो गई, उसने मुझे अपने घर का पता बताया और मिलने के लिए बुलाया।
अगले दिन मैं ट्रेन पकड़कर पुणे के लिए रवाना हो गया। कंपनी ने एक होटल में मेरे रहने का इंतजाम कर रखा था। होटल भी पुणे स्टेशन के बगल में था। मैंने रोशनी को होटल में मिलने के लिए कहा।
उसने हिचकिचाते हुए कहा- यार टाइमिंग मैच नहीं हो रही है। उसके लेक्चर्स होते हैं और शाम को वो अपनी रूम-मेट्स के साथ रहती है।
उसकी बातें सुन कर ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी उम्मीदों पर किसी ने पानी फेर दिया हो।
मैंने कहा- कोई बात नहीं लेकिन ‘डू समथिंग’। मैं तुमसे मिलने के लिए बेचैन हूँ और मैं भी जनता हूँ कि तुम भी बहुत बेचैन हो।
आप लोग तो जान ही गए होंगे कि हम दोनों मिलने के लिए क्यों इतने बेचैन थे?
मैं क्लाईंट को डेमो देकर दोपहर तक होटल में आ गया था और आराम कर रहा था। तभी मेरा फ़ोन बजा और वो फ़ोन रोशनी का था।
रोशनी ने मुझसे मेरे होटल का नाम और पता पूछा और बोली कि वो मुझसे मिलने आ रही है।
यह सुन कर एक बार फिर मेरे अरमान जाग गए। मैंने रूम को थोड़ा सजाया और उसका इन्तजार करने लगा। फिर आधे घंटे बाद वो होटल के नीचे आई और उसने मुझे कॉल किया और नीचे आने को कहा।
मैं नीचे गया उससे मिलने और उसको जब मैंने देखा तो मैं तो एकदम से कुछ पल के लिए पागल हो गया। उसने काला टॉप और नीली जींस पहनी हुई थी। इतनी ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी, लेकिन टाईट टॉप एंड जींस में उसके उभार और उसके नितम्ब एकदम धमाल लग रहे थे। उसकी पूरी बॉडी एकदम जीरो फिगर थी। ऐसी लड़की के साथ हर लड़का सेक्स करना चाहे।
मैं उसके थोड़ा और पास गया और कुछ पल के लिए उसे देखता रहा और तब वो हंस कर बोली- क्या हुआ आपको? लगता है कुछ जोर का सदमा लगा है !
तो मैंने कहा- सदमा तो लगा है जी ! वो भी बहुत जोर का !
तो वो हँसने लगी। फिर मैंने उसे कमरे में चलने का आमंत्रण दिया। वो मेरे साथ मेरे कमरे में जाने के लिए चल पड़ी। अब हम दोनों कमरे में आ चुके थे। मैंने कमरे का दरवाजा बंद किया और हम सोफे पर बैठ कर यहाँ वहाँ की बातें करने लगे।
फिर मैंने वक्त बर्बाद न करते हुए पूछ ही लिया, “कभी किसी लेखक से ऐसे मिली हो?
तो उसने कहा- नहीं, फर्स्ट टाइम किसी अनजान दोस्त से मिल रही हूँ।
फिर मैंने बात को बढ़ाते हुए कह दिया, “यह अजनबी दोस्त तुम्हें अब जिन्दगी भर याद रहेगा।
तो उसने मेरी भावनाओं को भांप लिया और मुस्कुराने लगी।
हम दोनों सोफे पर बैठे हुए थे और बातें कर रहे थे लेकिन जो बात हम दोनों करना चाहते थे, वो बात समझ नहीं आ रही थी कि शुरुआत कहाँ से करें?
फिर तभी अचानक उसका पैर मेरे पैर से थोड़ा लड़ गया।
और मैंने कहा- सॉरी मत बोलो, मैं तो खुशनसीब हूँ कि आपके खूबसूरत पैर मेरे पैरों से लड़े।
तो वो हँसने लगी और बोली- आप बड़े मजाकिया हो !
तो मैंने कहा- मैं तो बहुत कुछ हूँ जी !
और मैंने उसके दोनों हाथों की उंगलियों को पकड़ते हुए खड़ा हुआ और वो भी मेरे साथ में खडी हुई और हम दोनों एक-दूसरे की आँखों में कुछ पल के लिए देखने लगे। मानो बरसों के बिछड़े हुए हम आज मिल रहे हों। फिर मुझे देखते-देखते उसने मुझे अपने से चिपका लिया और मुझे अपनी बांहों में जोर से जकड़ लिया।
मैंने भी उसका साथ दिया। अब हम दोनों एक-दूसरे को अपनी बांहों में जकड़े हुए थे और एक दूसरे को ‘आय लव यू’, ‘आय लव यू’ कह रहे थे।
फिर कुछ देर तक एक-दूसरे से चिपके रहने के बाद, हम दोनों ने अपनी पकड़ थोड़ी ढीली की। मैंने फिर से उसकी आँखों में देखते हुए उसके माथे को चूम लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
तो उसने मुझे फिर से चिपका लिया। हम दोनों तो पहले से ही चुदाई के लिए तैयार थे। बस सोच रहे थे, कि कैसे चालू करें। अब तो हमारी शुरुआत भी हो चुकी थी।
अब हम दोनों एक-दूसरे को अपनी बांहों में जकड़े हुए थे और एक दूसरे को ‘आय लव यू’, ‘आय लव यू’ कह रहे थे।
फिर कुछ देर तक एक-दूसरे से चिपके रहने के बाद, हम दोनों ने अपनी पकड़ थोड़ी ढीली की। मैंने फिर से उसकी आँखों में देखते हुए उसके माथे को चूम लिया।
उसने मुझे फिर से चिपका लिया। हम दोनों तो पहले से ही चुदाई के लिए तैयार थे। बस सोच रहे थे, कि कैसे चालू करें। अब तो हमारी शुरुआत भी हो चुकी थी।
तो देर किस बात की थी? मैंने उसका माथा चूमते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर सटा दिए और एक जोरदार चुम्मा किया। उसने भी मेरा साथ दिया। एक बार फिर हम एक-दूसरे की आँखों की गहराइयों में देखने लगे। फिर उसने अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिए। अब वो पागलों की तरह मेरे होंठों को चूसे जा रही थी और मैं उसका साथ दे रहा था।
फिर मैं उसको दीवार के पास ले गया और उसको दीवार से उल्टा चिपका दिया। उसके टॉप को थोड़ा ऊपर उठा कर उसकी चिकनी पीठ को धीरे-धीरे चाटने और चूमने लगा। अब मैंने उसकी गर्दन और पीठ को पीछे से चूमना शुरू किया और उसके पूरे बदन पर अपने हाथ फेरने लगा।
फिर मैंने अपने लण्ड को पैंट के अन्दर से निकाला और उसकी जींस के ऊपर से उसकी पिछाड़ी की दरार में सटा दिया और कपड़ों के ऊपर से ही अपने लण्ड को उसकी गांड पर रगड़ने लगा। ऐसा करने से वो एकदम से ‘आह्ह… उम्म्म… आआह्ह्ह… आह्ह्ह….’ की आवाजें निकालने लगी।
फिर मैंने उसका चेहरा अपनी तरफ किया और उसे चूमने लगा। फिर करीब 5 मिनट की चुम्मा चाटी के बाद मैं उसको बेड पर ले गया। उसको बेड पर लिटा दिया।
फिर मैंने उसके माथे को चूम लिया। फिर उसकी गर्दन को चूमा, फिर उसके कान को हल्का सा काटा जिससे उसके मुँह से ‘आह्ह्ह्ह…’ की आवाज निकल गई। फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ सटा दिए और उसकी जीभ को अपनी जीभ से चाटने और चूसने लगा।
हाय क्या रसीली जीभ थी उसकी !
और हम दोनों की जीभ एक दूसरे से ऐसे सट रही थीं, मानो जैसे दो तलवार आपस में लड़ रही हों।
उसके होंठ और जीभ इतने रसीले थे कि क्या बताऊँ ! मन तो कर रहा था कि उसके होंठ और जीभ को काट खाऊँ।
अब उसके होंठों को आज़ाद करता हुआ मैं थोड़ी देर उसकी गर्दन को चूमता रहा। फिर मैंने अपना एक हाथ उसके गोल चूचियों पर रख दिया और उनको मसलने लगा।
“हाय क्या चूचियाँ थी उसकी ! एक बार हाथों में लेने के बाद तो उनको छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था। मेरे हाथ का एहसास पाते ही उसकी चूची और फूल गई, उसके निप्पल कील की तरह नुकीले हो गए।
अब मैं कुछ देर तक उसके होंठों को चूमता रहा और उसके चूचियों को दबाता रहा। वो बस ‘ऊम्म… उफ्फ… उम्म’ की आवाजें निकलती रही।
फिर मैंने उसके टॉप को और उसकी जींस को उसकी काया से अलग किया। उसने काली ब्रा और काली ही पैंटी पहन रखी थी। जो उसके गोरे बदन पर एकदम से कमाल लग रही थी।
उसने अब मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गई, वो मेरे कपड़े निकलने लगी। मैंने पैंट और शर्ट पहनी हुई थी। उसने मेरे शर्ट को उतारा और मेरी छाती पर हाथ फेरते हुए मेरे छाती पर एक चुम्बन लिया। उसके ऐसा करते ही मेरे अंग-प्रत्यंग में मानो करेंट दौड़ गया हो। मेरी पूरी इमारत हिल गई।
फिर उसने मेरे पेट पर चुम्बन किया जिससे मेरा शरीर लहरा गया। फिर उसने मेरे शर्ट को मेरे जिस्म से पूरी तरह जुदा कर दिया और मेरे पैंट को खोलने लगी। पहले तो उसने मेरा पैंट का बेल्ट खोला फिर पैंट का हुक खोला और फिर चैन को खोलते हुए मेरे पैंट को निकाल फेंका। अब मैं अंडरवियर में था और वो ब्रा एंड पैंटी में।
मेरे कपड़े निकालने के बाद रोशनी एक बार फिर मेरे होंठों को चूसने लगी। वो अपना एक हाथ मेरे छाती एंड पेट पर घुमा रही थी। उसके ऐसा करने से मुझे एक अजीब गुदगुदी और मजा आ रहा था, वो एक तजुर्बेकार की तरह सब कुछ कर रही थी।
फिर मेरे होंठों को चूमते हुए उसने अपना हाथ मेरे अंडरवियर में डाल दिया और मेरे लण्ड को पकड़ कर सहलाने लगी। उसके हाथों का एहसास पाते ही मेरा लण्ड फनफना कर खड़ा हो गया, और मेरे मुँह से ‘उफ्फ्फ्फ़…’ की आवाज निकल गई।
अब उसके होंठ मेरे होंठ से सटे पड़े थे और उसके हाथ मेरे लण्ड को सहला रहे थे जिससे मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। उसकी चूत की प्यास बुझाने के लिए एकदम तड़प रहा था।
अब उसने मेरे होंठों को चूमती हुई मेरी छाती को चूमा और फिर कुछ देर मेरे पेट को चूमा। फिर मेरे अंडरवियर से मेरे लण्ड को निकाल कर देखने लगी। मेरा लण्ड एकदम से तन चुका था।
मेरा 7 इंच का लण्ड देखकर उसके चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई। उसने मेरा लण्ड को थोड़ा सहलाया, थोड़ा ऊपर नीचे किया और फिर मेरे लण्ड के सुपारे को धीरे-धीरे अपने मुँह में लेकर चाटने लगी। वो बहुत ही धीरे-धीरे मेरे सुपारे को चाट रही थी और मैं एकदम से आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो रहा था। मेरे मुँह से बस ‘उफ्फ उफ्फ्फ आह्ह्ह’ की आवाजें निकल रही थीं।
वो एक बहुत अच्छी ‘लण्ड-चूसू’ थी। कुछ देर मेरे सुपारे चाटने के बाद उसने मेरा पूरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं तो एकदम स्वर्ग में पहुँच गया था। मुझे तो इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ !
अब वो मेरे लण्ड को अपने हाथों में लेकर हिला-हिला कर चूस रही थी, मानो उसको बहुत दिनों के बाद लॉलीपॉप मिला हो।
‘हाय, बहुत मजा आ रहा था।’
मेरा लण्ड तो झटके मार रहा था, मेरे लण्ड में तूफ़ान मचा हुआ था और उसकी जीभ मेरे लण्ड को और उत्तेजित कर रहे थे। मुझे उस वक़्त परम सुख का आनन्द हो रहा था।
मेरे मुँह से बस यही शब्द निकल रहे थे- रोशनी, आज तुमने मुझे खुश कर दिया है, तुम बहुत अच्छे से मेरे लण्ड को चूस रही हो। मेरे सुपारे को धीरे-धीरे प्यार से चाटो मेरी जान ! उफ… बहुत मजा दे रही हो तुम, मेरे लण्ड को अच्छी तरह चाट डालो उम्म्म…
करीब 10 मिनट तक वो मेरे लण्ड को चाटती रही और मैं उसके बालों को सहलाता रहा, फिर मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ, तो मैंने रोशनी से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
लेकिन वो मेरा लण्ड चूसने में इतनी मगन थी कि उसे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था। वो मेरे लण्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसे जा रही थी, और मैं एकदम चरम सीमा पर पहुँच गया था।
फिर मैंने जोर से कहा- रोशनी, मैं झड़ने वाला हूँ !
तो उसने कहा- झड़ जाओ… जान मुझे तुम्हारा पूरा रस पीना है।
यह बोल कर वो फिर से मेरा लण्ड चूसने लगी। अब मैं काबू से बाहर था, फिर कुछ देर बाद मेरे लण्ड में वीर्य भर गया।और मैंने एक जोर की पिचकारी उसके मुँह में मार दी। जिससे वो थोड़ा पीछे हटी तो थोड़ा पानी उसके मुँह में और थोड़ा बाहर गिर गया लेकिन जितना उसके मुँह में था, उसने वो सारा पी लिया।
पिचकारी मारने के बाद मेरा लण्ड थोड़ी देर के लिए सो गया, तो वो फिर से मेरे लण्ड के साथ खेलने लगी और मेरे लण्ड को हिलाने लगी और मेरे सुपारे को चाटने लगी फिर 5 मिनट बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
अब उसने मेरे लण्ड के पानी को पूरी तरह साफ़ कर दिया था और उसकी लण्ड चुसाई की वजह से मेरा लण्ड एकदम चिकना हो गया था। अब मैं उठ कर बैठ गया और उसको बिस्तर पर लिटा दिया, उसके होंठों को चूमने लगा। फिर मैंने उसकी ब्रा को उसकी चूचियों से अलग किया, जिससे उसकी चूचियाँ बाहर आ गईं।
‘हाय क्या रसभरी चूचियाँ थी ! उसकी चूचियाँ एकदम गोल, ना ज्यादा बड़ी, ना छोटी एकदम टाईट ! पता नहीं कितनी हिरोइनों को पीछे छोड़ दे। उसकी गोल चूचियाँ एकदम फूली हुई थी और चूचुक एकदम नुकीले हो चुके थे।
मैंने उसकी चूचियों पर अपना मुख रख दिया और अपने मुँह से उसके चूचुकों को चूसने लगा। अपने एक हाथ से उसके एक स्तन को मसलने लगा।
मेरे ऐसा करने से वो उफ.. उम्म… उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह… उफ्फ… की आवाजें निकालने लगी और अपने पैरों को एक दूसरे से रगड़ने लगी।
अब मैं उसके चूचुकों को चूस रहा था और उसके चूचियों को मसल रहा था, वो मेरे बालों को सहला रही थी। यह सिलसिला करीब 5 मिनट चला। फिर 5 मिनट उसके उभार मसलने और उसके चूचुक चूसने के बाद मैं उसके पेट को चूमता हुआ नीचे आया और उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को चूम लिया।
वो जोर से आह ह्ह… करके चिल्ला उठी। अब मैंने उसको उल्टा लेटा दिया और उसके पीठ को धीरे-धीरे चाटने और चूमने लगा और वो उम्म्म… उम्म्म… की आवाजें निकालने लगी।
फिर मैं उसकी पीठ को चूमता हुआ उसकी कमर तक गया और मैंने उसकी कमर पर चुम्बन धरा। फिर उसके चूतड़ों की तरफ बढ़ा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
‘हाय रे उसके नितम्ब ! कितने गोल थे ! उसके उभारों की तरह उठे हुए !’
फिर मैंने उसकी पैंटी को थोड़ा सरकाया और उसके पिछवाड़े पर चूम लिया और वो एकदम से अपने कूल्हे हिलाने लगी जैसे उसको कोई करेंट दे रहा हो।
फिर मैं उसके चूतड़ों को चूमते हुए उसकी रान को चूमने लगा और उसकी दूसरी जांघ को सहलाने लगा। उसे बहुत मजा आ रहा था और मुझे भी।
हम दोनों की आह्ह… आह्ह्ह… उफ्फ… उफ्फ्फ.. उम्म…. की आवाजों से पूरा कमरा गूंज रहा था।
फिर मैं उसकी जाँघों को चूमता हुआ उसके एड़ियों तक पहुँच गया और फिर उसके पैर की उंगली को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
वो तो एकदम सिहर उठी और पागल सी हो गई और जोर से उम्म… अआह… उम्म्म… उम्म्म… की सिसकारियाँ भरने लगी।
अब मैंने अपने खड़े लण्ड को उसके चूतड़ों के बीचों-बीच टिका दिया और उसके ऊपर ही छा गया। उसके नितम्ब फूले हुए थे, जिससे उसकी गांड की दरार में मेरा लण्ड थोड़ा छुप सा गया।
अब मैंने अपने लण्ड को उसकी गांड के बीच रगड़ना शुरू किया और उसकी पीठ पर हल्का हल्का सा चुम्बन करता रहा। वो तो मानो एकदम बहकती जा रही थी, उसकी जुबान से अब उम्म… उम्म… उफ्फ… की सिसकारियाँ निकल रही थीं।
थोड़ी देर तक अपना लण्ड रगड़ने के बाद फिर से मैंने उसको सीधा लिटा दिया, मैं थोड़ा ऊपर गया और उसकी नाभि में अपने जीभ को धंसाना शुरू किया। मेरे ऐसा करने से उसे बहुत मजा आ रहा था।
फिर मैंने अपने एक हाथ को उसके पैंटी के ऊपर रख दिया और उसके चूत को रगड़ने लगा। वो तो एकदम से पागल हो गई और अपने नितम्ब उठा-उठा कर ऊपर-नीचे करने लगी।
फिर मैंने देर न करते हुए उसकी पैंटी को भी उससे अलग कर दिया और फिर उसके पैरों को थोड़ा फैलाया।
फिर मैंने देर न करते हुए उसकी पैंटी को भी उससे अलग कर दिया और फिर उसके पैरों को थोड़ा फैलाया।
“हाय क्या चूत थी !” यारों एकदम क्लीन शेव्ड गुलाबी ! और मेरे चुम्बन के वजह से बहुत गीली हो चुकी थी।
उसकी चूत एकदम कसी हुई थी, जिसे देखकर अच्छों-अच्छों की लार टपक जाए। मेरे साथ भी वैसा ही हुआ। उसकी चूत को देखकर मेरे लण्ड से और मेरे मुँह से लार टपकने लगी।
फिर मैंने उसके पैरों को थोड़ा और फैलाया और अपना सर उसके दो पैरों के बीच में घुसेड़ दिया और उसके गीली चूत को चाटने लगा।
मेरे ऐसा करने से उसको बहुत मजा आ रहा था। मुझे उसकी चूत की सुगंध और स्वाद से बहुत ज्यादा चुदास चढ़ रही थी। मैंने उसकी चूत को अब चाटना शुरू किया और अपने एक हाथ से उसके भग को मसलना शुरू किया। वो अपनी कमर को हवा में उछालने लगी, मानो एकदम से खुद पर काबू खो दिया हो उसने।
अब मैं उसकी चूत में अपने जीभ को नुकीला करके उसकी चूत में डाल रहा था और उसकी चूत के गुलाबी से ‘मुकुट’ को सहला रहा था।
और वो जोर-जोर से बोल रही थी- आह्ह…उम्म्म… उम्…आह्ह…उफ्फ्फ…उम्म्म… सुनील बस करो… अब कण्ट्रोल नहीं होता…प्लीज अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो… मुझे मत तड़पाओ !!
मैं उसे और थोड़ा गर्म करना चाहता था, तो मैंने उसके चूत को चाटना और उसके दाने को रगड़ना जारी रखा।
अब मैं उसकी चूत को कुल्फी की तरह चाट रहा था और उसके चूत में अपने जीभ को अन्दर-बाहर कर रहा था। वो भी अपने नितम्ब उठा-उठा कर अपनी चूत मुझसे चटवा रही थी।
उसकी चूत बहुत गर्म थी, जिसका एहसास मुझे अपनी जीभ से हो रहा था। उसके चूत को चाटने से वो एकदम से आउट ऑफ़ कंट्रोल हो चुकी थी और आवाजें निकाल रही थी।
कुछ और चटवाने के बाद उसने अपने दोनों पैर पूरी तरह फैला दिए, वो अपनी चूत एकदम मजे ले-ले कर चुसवा रही थी और बड़बड़ा रही थी, “आय लव यू सुनील ! आज मुझे चूत चटवाने का असली मजा मिला है ! तुम बहुत अच्छे से मेरी चूत को चूस रहे हो उम्म… उम्म्म… उफ्फ्फ… उम्म्म…!”
मुझे महसूस हुआ कि वो अब झड़ने वाली है लेकिन मैंने उसके चूत को चाटना जारी रखा। मैं उसकी चूत की चिड़िया को अपने होंठों के बीच में दबा कर ऊपर को खींचने लगा तो वो और जोर से कामातुर हो उठी- आह्ह… उम्म… आआह… उम्म्म… उफ्फ्फ्फ..
लेकिन मैं नहीं रुका और उसकी चूत को धीरे-धीरे अपनी जीभ से लगातार चाटता रहा। वो बोलने लगी- सुनील मैं झड़ रही हूँ, मैं झड़ रही हूँ… हे भगवान् आह्ह… आआह… उम्म… आह्ह… सुनील मैं झड़ने वाली हूँ।
और यह कहते हुए उसने अपना पूरा पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया और मैं उसका सारा पानी गटक गया।
पानी निकलने के बाद वो कुछ देर के लिए मछली की तरह तड़पने लगी। वो मुझे जोर से चिपटाने लगी और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी।
फिर मैंने भी उसको अपनी बांहों में भर लिया। उसके रज से भिड़े मेरे होंठों को उसने अपने होंठों से सटा लिया और अपनी जीभ को मेरे मुँह में डाल कर खुद अपने रज का स्वाद लेने लगी।
मैं लगातार उसका साथ दे रहा था और उसके उभारों को मसलता रहा, वो मेरे लण्ड को ऊपर-नीचे करती रही।
करीब 5 मिनट के बाद अब हम दोनों फिर से चुदाई के लिए तैयार हो चुके थे, अब मैंने उसके पैरों को थोड़ा फैलाया और अपने लण्ड का सुपारा उसकी गर्म चूत पर रख दिया।
“उम्म… उम्म्म… सुनील प्लीज़ और मत तड़पाओ… मेरी चूत में अपना लण्ड डाल दो… मैं बहुत दिनों से लण्ड की प्यासी हूँ, प्लीज मेरी प्यास बुझा दो… अब बर्दाश्त नहीं होता !”
लेकिन मैं उसको और तड़पाना चाहता था, तो मैंने अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया। वो एकदम से गिड़गिड़ाने लगी, और मुझसे ‘लंड-दान’ की भीख मांगने लगी, उफ्फ… उम्म्म… उम्म्म… आआह्ह्ह्ह… की आवाजें निकालने लगी।
मेरे सुपारे की रगड़ से उसकी चूत एक बार फिर उबलने लगी, तो मैंने उस पर रहम खाते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत में डालना शुरू किया।
लेकिन वो सिर्फ 4 बार चुदी थी, तो मेरा लण्ड उसकी चूत में आसानी से नहीं जा रहा था। मैंने थोड़ा धक्का लगाया, चूत के रस से सराबोर होने के कारण मेरा सुपारा फंस गया।
तो वो चिल्ला उठी- आह हह धीरे डालो… दर्द हो रहा है।
फिर मैंने अपने लण्ड को बाहर निकाला और फिर एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लण्ड 5 इंच अन्दर घुस गया।
वो जोर से चीख पड़ी- अआह्हह… आआह्ह… जल्दी निकालो इसे… बहुत दर्द हो रहा है।
लेकिन मैंने लण्ड को नहीं निकाला और उसके ऊपर छा गया। वो तड़प रही थी, लेकिन मैं लण्ड को निकाल लेता तो उसे फिर से और दर्द होता। फिर थोड़ी देर के बाद उसको थोड़ा चैन मिला और फिर मैंने अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू किया।
अब 7-8 धक्कों के बाद मेरा 7 इंच का लण्ड उसकी चूत में पूरी तरह घुस गया। उसकी चूत पानी छोड़ने लगी जिससे मेरा लण्ड चिकना हो गया और आसानी से अन्दर-बाहर होने लगा।
उसे दर्द तो हो रहा था, लेकिन कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा। वो भी अब आहें भर भर कर मुझसे चुदवाने लगी।
अब मैंने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और उसे जोर-जोर से चोदने लगा। पूरा कमरा हम दोनों की सिसकारियों से गूंज रहा था।
“आआह्ह… उफ्फ… उफ्फ…आआह ह्ह्ह…” की आवाजें निकल रही थी।
अब मेरा लण्ड चिकनेपन की वजह से सटासट अन्दर-बाहर होने लगा था। वो भी अपनी कमर उछाल-उछाल कर मुझसे चुदवा रही थी।
फिर मैं उसको चूमने चाटने लगा और एक हाथ से उसके उभार को मसलने लगा। अपने लण्ड को उसकी चूत में अन्दर बाहर करता रहा, उसे बहुत मजा आ रहा था और मैं भी बहुत मजे कर रहा था। आखिर ऐसी लड़की बार-बार कहाँ मिलती है !
अब मैंने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी धीमी की।
तो वो बोली- अब मत रुको प्लीज, और जोर से पेलो… अपना लण्ड, आज जी भर के मुझे चोदो ताकि यह दिन मैं हमेशा याद रख सकूँ।
और मैंने वैसा ही किया, मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी, वो और जोर से सिसकारियाँ भरने लगी।
“आह्ह… आआह.. उफ्फ… तुम बहुत अच्छा चोदते हो सुनील ! आआह्ह.. आआह्ह… मेरे बॉयफ्रेंड ने कभी ऐसी चुदाई नहीं की मेरी, उम्म्मम्म… आआह्ह्ह्ह… और जोर से चोदो उम्म्म… उम्म्म…!”
करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद वो 2 बार झड़ चुकी थी, जिससे उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी। चूत में लण्ड जाने के वजह से कमरे में फच्च..फ़च्छ की आवाजें आ रही थीं।
अब मैं अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका था और मैं झड़ने वाला था, मैंने रोशनी से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
तो उसने कहा- मैं प्रेग्नेंट नहीं होना चाहती, प्लीज मेरे अन्दर मत झड़ना।
तो मैंने कुछ और धक्के लगाए और जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपने लण्ड को बाहर निकाला और उसके पेट पर सारा माल छोड़ दिया।
फिर उसने पूरे वीर्य को अपनी पेट पर तेल की तरह मल लिया और मेरे लण्ड से जो पानी टपक रहा था, वो सब चाटने लगी।
मैं फिर उसके बगल में लेट गया और हम दोनों प्यार भरी बातें करने लगे। कुछ देर बाद वो फिर मेरे लण्ड को पकड़ने लगी और मैं उसके उभार को पकड़कर मसल रहा था।
इतनी मेहनत के बाद हम बहुत थक चुके थे। लेकिन हम दोनों में जोश इतना था कि हमारे लण्ड और चूत फिर से चुदासे हो चुके थे।
अब वो मेरे लण्ड को सहला रही थी और मैं उसके उभार को, और साथ में हम चूम रहे थे। फिर वो उठी और मेरे लण्ड के तरफ पलटी और फिर उसने मेरा लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
उसके मुँह का स्पर्श पाते ही मेरा लण्ड एक बार फिर खड़ा हो गया और एक बार फिर हम एक और दौर के लिए तैयार हो गए।
इस बार मैंने रोशनी को घोड़ी की तरह बनने के लिए कहा और वो घुटनों के बल झुककर एक कुतिया की तरह बन गई।
अब मैंने उसकी पीठ को थोड़ा सहलाया, चूमा और फिर अपना लण्ड उसकी चूत में पीछे से डाल दिया जैसे कुत्ता डालता है !
इस बार मेरा लण्ड आसानी से उसकी चूत में चला गया और मैं उसकी कमर को पकड़ कर उसकी चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।
“हाय…क्या मजा आ रहा था डौगी स्टाइल में उसको चोदने का। उसके चूतड़ एकदम उठे हुए थे, तो उसकी चूत में धक्का मारते समय मुझे अपने पेट पर उसके मस्त पिछवाड़े के स्पर्श का मजा मिल रहा था।
उसकी गांड देख देखकर मेरा लण्ड और सख्त होता जा रहा था। अब मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार तेज की और उसकी चूत को जोर-जोर से चोदना चालू किया और वो आह्ह… आआह्ह… उफ्फ.. उफ्फ्फ… आ आअ ह्ह.. की आवाजें निकालने लगी।
मैं बीच में रुकता, उसकी पीठ को चूमता और फिर उसकी चूत में लण्ड अन्दर-बाहर करने लगता। हम दोनों को ही बहुत मजा आ रहा था।
सच में जब दोनों लोग एक्सपर्ट हों तो सेक्स करने का मजा ही कुछ और होता है।
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मैं फिर से झड़ने वला था। इस दौरान वो एक बार और झड़ चुकी थी, उसकी चूत में से उसका पानी टपक रहा था जो एकदम साफ़ दिखाई दे रहा था।
उसके चूत अब बहुत गीली हो चुकी थी और उसके चूत थोड़ी और फैल चुकी थी। मेरा लण्ड एकदम रॉकेट की तरह उसके चूत से आर-पार हो रहा था।
अब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, तो मैंने कहा- रोशनी मैं झड़ने वाला हूँ, तुम्हारी चूत बहुत गर्म है, मेरे लण्ड का सारा पानी निचोड़ रही है… उफफ्फ… तुम्हारी चूत उम्म… उम्म्म्म…उम्म्म…
तो वो भी बोल पड़ी- मेरी चूत तुम्हारे लण्ड का रस पीने ही तो आई है, कितने दिनों से प्यासी थी मेरी चूत, तुम्हारे जैसे एकदम जानदार लण्ड का पानी पीने के लिए !
अब मैं कुछ सेकंड में झड़ने वाला था तो इस बार मैंने अपना सारा पानी उसके नितम्बों पर गिरा दिया। फिर उसने मेरे वीर्य से अपने नितम्बों की मालिश कर ली।
अब हम दोनों एकदम थक चुके थे और एक दूसरे से लिपट कर सो गए और कब शाम के 6 बज गए, कुछ पता ही नहीं चला। हमारी नींद भी तब खुली, जब उसकी सहेली का फ़ोन आया।
वो उसके बारे में पूछ रही थी कि वो आज क्लास क्यों नहीं आई ! इतनी देर हो गई कहाँ है?
तो उसने बताया कि उसके शहर से उसकी सहेली आई हुई थी, वो एक होटल में ठहरी है तो उसके साथ ही थी।
फिर उसने जाने की तैयारी की और अपने कपड़े पहनने लगी। थोड़ी देर बाद वो कपड़े पहन कर तैयार हो गई, मेरे पास आई, तब तक मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए थे, उसने मुझे एक बहुत ही प्यारा सा चुम्बन दिया और मेरे गले से लग गई।
मैं उसको छोड़ने बाहर उसके साथ निकला। रास्ते में मैंने उसे कॉफी पीने के लिए कहा, तो पहले उसने ऐतराज किया लेकिन मेरे जोर देने पर वो मान गई, हमने एक होटल में कॉफी पी, थोड़ी बातें की फिर वो रिक्शा करके चली गई।
तीसरे दिन वो फिर होटल आई और हमने पूरी दोपहर मजा किया। तो इस तरह लण्ड की प्यासी रोशनी ने अपनी अधूरी प्यास बुझाई।
हम दोनों अभी भी छुट्टियों में मिला करते हैं, चुदाई का आनन्द लेते हैं।
मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को मेरी कहानी पसन्द आई होगी
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