पड़ोसन को चोदने की हवस

पड़ोसन को चोदने की हवस

सैम
हैलो दोस्तो, मेरा नाम सैम है और मैं लखनऊ से हूँ।
मेरे साथ वाले घर में एक परिवार है, भैया-भाभी और उनके दो लड़के..! भैया दुकान पर चले जाते हैं और दोनों बच्चे स्कूल चले जाते हैं। मतलब उनके घर में दोपहर से पहले कोई नहीं आता है। भैया तो शाम को ही आते हैं। भाभी सारे दिन घर में अकेली ही रहती हैं। तो अकेले में मेरी उनसे मेरी काफ़ी बात होती है।

उनकी उम्र 32 साल है और उनका फिगर 38-30-40 है। वे गोरी इतनी है कि हाथ लगाने से मैली हो जायें और उस समुदाय की महिलाएँ और लड़कियाँ तो होती ही है गाण्ड फाड़..! इतनी कामुक कि मैं हमेशा बाहर ही खड़ा रहता था कि कब वो आयें और मैं उनसे बात करूँ और उनके साथ अधिक से अधिक खुल जाऊँ और जल्दी से उनको चोद सकूँ।

मेरे मन में काफ़ी समय से उनको चोदने का ख्याल चल रहा था। मैं कई बार तो रात को, जब वो नहाती थी, तो मैं दीवार टाप कर उनको रोशनदान से देखता था।
एक दिन मैंने पिछली गर्मियों मैं ताप कर उनके रोशनदान से झाँका, वो पूरी नंगी थी और नहा रही थी।
क्या चूचे थे यार… मेरा लौड़ा तो फटने को हो गया…. क्या लग रही थी यार..!
इतने मोटे चूचे साले बिना ब्रा के तो और भी क़यामत लग रहे थे..!

नहाते समय वो उनको पकड़-पकड़ कर उन पर साबुन लगा रही थी और उसके हाथ से चूचे फिसल रहे थे। उनके भूरे रंग के खड़े और बड़े चूचुक थे, उन चूचुकों को मुँह में लेकर चूसने में कितना मजा आएगा…!
मैं सोचते-सोचते कर अपना लौड़ा हिला रहा था। वो रेज़र से अपनी टांगों के बाल साफ़ कर रही थी और चूत के बाल भी काट रही थी।

साला मेरा तो मन कर रहा था बहनचोद अन्दर घुस कर साली के मुँह मैं लौड़ा दे दूँ और चूचों पर ज़ोर-ज़ोर से थप्पड़ मारूँ !
खैर.. मैंने उनको देख कर वहीं मुट्ठ मारी और निकल लिया।
अब तो ये नज़ारा दिखा कर उन्होंने मेरी गाण्ड की खाज और बढ़ा दी थी और बस मेरे मन में उसको चोदने की रट लग चुकी थी कि किसी भी तरह से इस माल को चोदना है।

कुछ दिन तक सब कुछ सामान्य चलता रहा और मैं अपनी कमीनी निगाहें उसके चूचों पर लगाए उसको चोदने के सपने देखता रहा। फिर होली आई, मैं दोस्तों के साथ होली खेल कर करीब 1-2 बजे दोपहर में वापस आया।
मैं अपनी कार से जैसे ही उतरा तो उन्होंने मुझे आवाज़ लगाई- सैम, ज़रा इधर आना!
मैं उनके पास चला गया, मैंने शराब पी हुई थी इसलिए मुझमें थोड़ा आत्मविश्वास था। मैंने सोचा आज तो साली के चूचों पर हाथ रग़ड़ ही दूँगा.. जो होगा सो देखा जाएगा!

मैं उनके पास गया, उनके घर की बिजली में कुछ दिक्कत आ रही थी, मैंने वो जब देखा और उसको ठीक कर दिया। अब मेरे जाने की बारी आई मैंने उनको आवाज दी तो वो बाहर निकली, शायद नहा कर आई होगी और उसका सूट काफ़ी पारदर्शी था जिसमें से उसकी मस्त ब्रा दिख रही थी और उसके मम्मों के निप्पल अपनी पूरी मस्ती में कड़क होकर बाहर से ही अपनी हाजिरी भरा रहे थे।

शायद उसने ढंग से ब्रा नहीं पहनी होगी। खैर.. मैंने उसको देखा मेरा हथियार तो फिर खड़ा हो गया।
मैंने बोला- आप बहुत सुन्दर लग रही हो!
पहली बार मैंने उसे ऐसी बात कही थी, मेरी गाण्ड फट रही थी, वो मुस्कुरा दी, मेरी हिम्मत बढ़ी।
मैं बोला- आप बाल खुले रखा करो, अच्छे लगते हैं!
वो और खुश हुई, पर जैसा मैं सोच रहा था कि मैं लाइन मार रहा हूँ और वो ले रही है, ऐसा कुछ नहीं था।
लड़कियों को कोई नहीं जान सकता..! उसकी मुस्कराहट से मेरे नशे में तरंग आ गई थी।
मैं बोला- छत पर आ जाओ!

वो बोली- बेटा तू छोटा है जा.. घर जा नहा ले या बुलाऊँ तेरे पापा को!
मेरा मुँह उतर गया और मैं तो चुपचाप चल दिया वहाँ से!
फिर उसके बाद तो मैंने नज़रें भी नहीं मिलाईं उससे।

तब से अब तक जून का महीना आ गया।

मेरी जब छुट्टियाँ शुरू हुईं तो वो बोली- सैम, छुट्टियाँ शुरू हो गईं?
मैंने बोला- हाँ जी!
बोली- क्या करते हो सारा दिन घर पर?
मैंने कहा- कुछ नहीं।
तो बोली- अच्छा.. मेरे घर आ जाया कर, मैं भी अकेली बोर होती हूँ!
मैंने बोला- ओके..
पर मैं गया नहीं।
फिर एक दिन मैं खड़ा था, मुझे देख कर बोली- क्या कर रहा है?
मैंने कहा- कुछ नहीं ऐसे ही अकेले वक्त कर रहा हूँ!
बोली- कोई है नहीं क्या घर पे?
मैंने बोला- नहीं!

बोली- ओके मैं आती हूँ.. मैं भी बोर हो रही हूँ!
वो आई मेरे घर में, आकर मेरे पास बात गईं, बोलीं- मैं तो अकेली पड़ गई हूँ, तू भी होली के मुझसे बाद बात नहीं करता।

मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है!
फिर बोलीं- तेरा तो समय पास हो जाता होगा।
मैंने बोला- कहाँ यार.. मेरी तो कोई गर्ल-फ्रेण्ड भी नहीं है जिससे बात कर लूँ।
वो बोली- अच्छा जी.. कोई बात नहीं, तुम मेरे साथ बात कर लिया करो।
मैंने उसकी तरफ देखा तो बोली- होली वाले दिन तू मुझे ऊपर क्यों बुला रहा था?

मुझे तो उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि देनी है नहीं साली.. मेरा स्वाद और ले रही है..!
मैंने बोला- पता नहीं, मेरा दिमाग़ खराब हो गया था..!

तो बोली- मुझे पता है तू मेरे चूचों को घूरता है.. मैं सब जानती हूँ.. मैं सुबह जब बिना ब्रा के झाड़ू लगाती हूँ, तू मुझे देखने के लिए खड़ा होता है।
मेरी तो यह सुन कर गाण्ड फट गई।
बोली- देखने हैं मेरे चूचे?
मैं तो अवाक रह गया और इतने में मैं कुछ समझ पाता, उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने चूचों पर रख दिया।
ओए होए.. क्या चूचे थे यार.. उसके..! इतने नर्म और बड़े कि बस मैं तो पागल सा हो गया। मैंने तो सूट के बाहर से ही दोनों को फुल मस्ती से दबाया।
वो बोली- अब निकाल भी ले बाहर.. हाथों से छू इनको.. मुझे भी मज़ा दे!

मैंने उसका सूट उतारा, ब्रा में से एक मम्मा बाहर निकाल कर उसको मुँह में लेकर चूसने लगा और उसकी खड़ी डोडी को जीभ से रगड़ने लगा।

मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था, फिर मैंने उसको नंगा कर दिया और खुद भी पूरा नंगा हो गया और हम दोनों एक-दूसरे से लिपट गए और एक-दूसरे के जिस्म की गर्मी को महसूस करने लगे।
वो मेरा खड़ा लौड़ा अपने गोरे चिकने पाटों में रगड़ने लगी, साली इतनी गोरी बहनचोद कि मुझे तो मज़ा ही आ गया। उसका मुँह लाल हो गया, मैं उसके साथ चूमा-चाटी करने लगा, ज़ोर से उस के होंठ चूसने लगा।

हम दोनों की इतनी हवस बढ़ गई कि ए.सी. चलने के बाद भी हमें पसीना आ रहा था। मैंने उसका कान की लौ को अपने होंठों से चुभलाने लगा। वो पागल सी होने लगी, छटपटाने लगी, मेरी कमर पर नाख़ून गाड़ने लगी।
फिर मैं उसके कान से लेकर गर्दन तक जीभ फेरता हुआ लाया। उसकी गर्दन को चूसा और उसकी चूचियाँ दबा रहा था।
वो मेरे लंड को पकड़ कर मसल रही थी। फिर मैं उसके मम्मे चूसने लगा। इतने गोरे चूचे मैंने चूस-चूस कर लाल कर दिए।
वो पागल हो गई एक हाथ से मैं उसकी चूत में उंगली अन्दर-बाहर करने लगा..!

बस फिर वही हुआ जो हर औरत की चूत के नसीब में होता है चूत का बादशाह लौड़ा उसको अपने रस से नवाजता है और चूत भी लौड़े का पानी निचोड़ कर इतराती है।
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