ग्वालियर की मैडम की चूत

ग्वालियर की मैडम की चूत

अन्तर्वासना के पाठकों को प्रणाम !

यह मेरे जीवन की सच्ची और पहली घटना है। मेरा नाम राज है, मैं दिल्ली में रहता हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मेरी उम्र 25 साल है, मैं दिल्ली में नौकरी करता हूँ। मैं सेक्स का आदी हूँ। मेरा लन्ड 8′ का है जो महिलाओं को बहुत पसन्द है। कुछ समय पहले से मैं प्ले ब्वाय बन गया हूँ।
अब मैं अपनी हकीकत कहानी में आता हूँ। हाल ही में मेरे साथ यह घटना हुई।

बात उन दिनों की है जब मैं प्लेब्वाय नहीं था। एक दिन मेरे पास एक राँग नम्बर फ़ोन आया और मैं धीरे-धीरे उनसे बातें करने लगा। फ़िर पता चला कि उनका नाम कोमल है और उनकी उम्र लगभग 35 साल है। फ़िर उससे बातें करते करते 10 दिन निकल गये।

फ़िर कोमल ने मुझसे मिलने की योजना बनाई। फ़िर क्या था, मैं एक दिन रात की गाड़ी से निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से ग्वालियर के लिये निकल पड़ा और सुबह 6 बजे ग्वालियर पहुँच गया।

सर्दियों के दिन थे तो ठंड लग रही थी। मैंने स्टेशन पर ही सुबह 10 बजे तक इन्तजार किया, ठीक 10 बजे एक महिला आई गुलाबी रंग की साड़ी पहने। मैंने उसे देखते ही अंदाजा लगा लिया फ़िर भी मैं थोड़ा छुप गया क्योंकि मैंने उसे और उसने मुझे पहले कभी भी नहीं देखा था और फ़िर थोड़ा डर भी लग रहा था क्योंकि यह सब मेरे लिये पहली बार था।

फ़िर कोमल ने इधर उधर देखा, फ़िर उसने मुझे फ़ोन किया। मेरी निगाहें सिर्फ़ उसी औरत पर टिकी थी, जब उसका फ़ोन आया तो मुझे यकीन हो गया कि यह कोमल ही है।फ़िर फोन में बातें करते करते हम दोनों की निगाहें टकराई और वो समझ गई कि मैं ही राज हूँ और वो मेरे पास आ गई। हम दोनों एक दूसरे को देख कर बहुत खुश हुए।

दोस्तो मैं क्या बताऊँ, उसका फ़ीगर बड़ा ही सेक्सी था। उसकी लम्बाई लगभग 5’4′, रंग एकदम गोरा, बदन कसा हुआ, मोम्मों का आकार 36 इंच, कसम से कयामत लग रही थी। देखने में वो किसी रईस घर की लग रही थी।

फ़िर वो मेरे पास आकर बोली- बाहर से ऑटो कर लेते हैं, फ़िर किसी होटल में कमरा बुक कराते हैं।

मैंने कहा- ठीक है।

हम लोग स्टेशन के बाहर आ गये और एक ऑटो करके होटल के लिये चल दिये। आटो वाले ने हमें एक आलीशान होटल में छोड़ दिया। फ़िर कोमल ने आटो वाले को पैसे दिये, तभी उसने मुझे भी 3000 रुपये दिये और कहा कि होटल में कमरा आप बुक कराना।

मैंने कहा- ठीक है।

फ़िर मैंने होटल में एक कमरा बुक करवाया फ़िर रिसेप्शन में सारी औपचारिकताएँ पूरी करके हम दोनों कमरा नंबर 102 की तरफ़ चल दिये। कमरे में पहुँचकर हम दोनों ने एक दूसरे को गले से लगाया। गले लगते ही वो एकदम से गर्म हो चुकी थी। ऐसा लगा कि वो न जाने कितने जन्मों से प्यासी हो।

तभी घण्टी बजी, मैंने दरवाजा खोला तो वेटर पानी देने आया था, वो पानी रख कर चला गया।

फ़िर मैंने दरवाजा बन्द करके कुंडी लगा ली। फ़िर क्या था कोमल तो मेरे ऊपर ऐसे टूटी जैसे भूखी शेरनी। उसका पूरा शरीर आग की भट्टी जैसे तप रहा था। मैंने भी बिना देरी किये हुए उसकी साड़ी उतार दी। अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में थी।

कोमल ने तो फ़टाफ़ट मेरे सारे कपड़े मेरे बदन से अलग कर दिये, मैं अब सिर्फ़ अण्डरवियर में था। मैंने भी बिना देरी किये उसके बदन से पेटीकोट और ब्लाउज भी निकाल दिये अब वो सिर्फ़ पैंटी और ब्रा में थी। फ़िर कोमल ने मेरी अण्डरवियर भी उतार दी और मेरे लण्ड पर टूट पड़ी, मेरे लण्ड को किसी लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।

वो लण्ड को चूस रही थी, मैंने इस बीच उसकी पैंटी और ब्रा भी उतार कर उसे पूरी तरह नंगी कर दिया।

क्या लग रही थी वो ! पूरी मक्खन की तरह ! मन कर रहा था कि पूरा खा जाऊँ उसे।

फ़िर हम दोनों इस तरह एक दूसरे के ऊपर लेटे कि उसकी चूत मेरे मुँह में और मेरा लण्ड उसके मुँह में इसी तरह हम 15 मिनट तक एक दूसरे चूसते रहे, मजा आ गया दोस्तो !

मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे इस तरह की कोई गर्म औरत मिलेगी।

फ़िर कोमल ने कहा- जल्दी से मेरी चूत की आग बुझा दो प्लीज…!

मैं फ़टाफ़ट उसकी टाँगें फ़ैला कर बीच में बैठ गया और उसकी चिकनी मक्खन चूत, लग रहा था कि उसने आज ही बालों को साफ़ किया था। चूत के मुखद्वार पर मैंने अपने लण्ड महाराज को टिकाया तो कोमल पागलों की तरह सिसकारियाँ लेने लगी और अपने बालों को नोचने लगी।

मैंने भी आव देखा न ताव, एक जोरदार धक्का मारा तो लण्ड सीधा उसके गर्भाशय से जा टकराया और उसकी भयंकर वाली चीख निकल पड़ी।

मैं घबरा गया कि यह क्या हो गया।
मगर उसने कहा- प्लीज धक्के लगाते रहो, कुछ नहीं होता।

फ़िर क्या था, मैं बिना रुके धक्के पे धक्के मारता रहा, 10 मिनट बाद कोमल ने मुझे अपनी तरफ़ कसकर भींच लिया और चूत से पानी छोड़ दिया और अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया। मगर मेरा पानी तो छूटने का नाम नहीं ले रहा था, मैं तो धक्के पे धक्के मारे जा रहा था। कमरे का एसी चालू था फ़िर भी हम दोनों पसीने में भीग गये थे।

मैं पूरे 20 मिनट बाद झड़ा और कोमल इस बीच तीन बार झड़ी।हम लोग इसी तरह नंगे एक दूसरे पर पड़े रहे।

थोड़ी देर बाद हम दोनों बाथरूम गये और वहाँ शावर में चिपक कर नहाने लगे, फ़्रेश होने के बाद हमने खाने का आर्डर दिया, थोड़ी देर बाद खाना आया तो दोनों ने एक दूसरे को खाना खिलाया।

कोमल ने बताया कि उसके पति उसको बहुत प्यार करते हैं मगर उनका लण्ड बहुत छोटा है, पूरा खड़ा होने के बाद भी मुश्किल से 2 इंच का होगा और मेरी चूत में जाते ही झड़ जाता है और वो चुपचाप लेट के सो जाते हैं। मैंने कभी किसी और के साथ चुदाई नहीं की, तुम मेरी जिन्दगी में पहले गैर मर्द हो जिसे मैंने अपना जिस्म दिया, तुम मुझे कभी मत छोड़ना…!

यह कहते हुये वो कन्धे पर सर रख कर रोने लगी। मैंने उसे बड़े प्यार से सहलाया और उसे गले से लगा लिया।

थोड़ी देर तक मैं उसे ऐसे ही सहलाता रहा, चूमता रहा फ़िर उसके होंठों को चूसता रहा। मगर यह क्या, वो तो फ़िर से गर्म हो गई और उसकी साँसें तेजी से चलने लगी।

मैंने उसे फ़िर बिस्तर पे ला पटका और मैंने अपने बैग से दो गोलियाँ निकाली, एक मैंने खाली और एक कोमल को खिला दी, दस मिनट के बाद गोली ने अपना असर दिखाना चालू किया हम दोनो का शरीर आग की तरह जलने लगा, आँखें लाल हो गई, पूरा कमरा नीला नीला दिखने लगा। उसने मेरा पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया, मैंने भी इस बार अपना लण्ड उसको खूब पिलाया।

करीब एक घंटे बाद मैंने अपना सारा वीर्य उसके मुँह में छोड़ दिया और उसके सिर को कस के पकड़ कर अपने लण्ड को उसके मुँह में डाले रखा, वो खों…खोह… चिल्लाती रही।

मगर जब तक पूरा वीर्य उसके गले के नीचे नहीं उतर गया मैंने उसका सिर नहीं छोड़ा।

मैं फ़िर फ़टाफ़ट उसकी चूत पर आ गया क्योंकि चूत चाटने की बारी अब मेरी थी। मैंने दोनों उँगलियों से उसकी बुर की पंखुड़ियों को खोला और उसकी बुर के दाने को अपनी जीभ की नोक से सहलाने लगा, उसने मस्त होकर मेरा सिर पकड़ कर जोर से अपनी चूत से सटा लिया और अपने कूल्हे नीचे से उठा उठा कर मेरे मुँह से चुदने लगी। मैं भी अपनी चीभ पूरी उसकी चूत में डाल कर मुखचोदन कर ने लगा। आधे घण्टे बाद मेरा मुँह दुखने लगा, मगर उसका पानी नहीं छूटा !

मैंने भी नीचे से हाथ की दो उँगलियँ उसकी बुर में डाल दी और चीभ और उँगलियों से उसे साथ साथ चोदने लगा, आधे घण्टे तक उसी तरह उसको चोदता रहा। कोमल के मुँह से बहुत सेक्सी आवाजें निकल रही थी- चोदो मेरे राज… आज जी भर कर चुदना चाहती हूँ… आ…ऽ आ…हा…आ…ह्… आउच्… आहा…मजा आ गया… और करो…आ…ऊई…मां… मर जाऊँगी आज प्लीज और आ…हा… यस… यस… यस… फ़क मी राज़… कम ओन… यस… य्स्… मेरा होने वाला है हट जाओ… छोड़ो मुझे…!

मैंने कहा- मेरे मुँह में छोड़ दो प्लीज, मुझे भी इस का स्वाद चखना है !

और उसने सारा अमृतरस मेरे मुँह में छोड़ दिया और मैं सारा रस चीभ से चाट चाट के पी गया, बहुत स्वादिष्ट था।

फ़िर उस दिन हमने पूरे दिन में सात बार चुदाई की वो भी अलग अलग तरीके से। शाम के आठ बज चुके थे हम लोग थक कर चूर हो गये थे। फ़िर कोमल को घर भी जाना था और मुझे दिल्ली वापस आना था। फ़िर हमने जल्दी से फ़्रेश हो कर कपड़े पहने, होटल से चेकआउट किया, कोमल ने मुझे रेलवे स्टेशन छोड़ा उसने मुझे किस किया और मुझे 5000 रुपये दिये।

चलते चलते उसने मुझे बताया कि वो जल्दी से जल्दी अपने पति के साथ दिल्ली आयेगी और पति को भी अपने साथ शामिल करेगी फ़िर तीनों मिलकर चुदाई करेंगे। फ़िर हम अपने अपने रास्ते चल दिये।

मैं दूसरे दिन दिल्ली आ गया फ़िर कोमल का तो रोज रात में फ़ोन आने लगा हम लोग घंटों फ़ोन पर बातें करते।

15 दिन बाद ही वो अपने पति के साथ दिल्ली आई, फ़िर मैंने उसे उसके पति के सामने कैसे चोदा…

अगली कहानी में… इंतजार कीजिये… धन्यवाद !
मेरी कहानी कैसी लगी, मु्झे बतायें…
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