मामा के घर भाई से चूत चुदाई-2
कहानी का पहला भाग : मामा के घर भाई से चूत चुदाई-1
लेकिन वो नहीं गया उसने फिर से मुझे चुम्बन करना चालू कर दिया।
तभी किसी के आने की आवाज़ हुई और हम अलग हो गए।
नानी आ गई थीं.. मैंने कहा- नानी देखो ये मुझे नहाने नहीं दे रहा.. मेरे साथ लड़ाई कर रहा है…
तो नानी ने कहा- क्यों झगड़ा कर रहे हो।
तब वो मेरे पास आया और बोला- मैं अभी आया.. दोनों साथ में ही नहा लेंगे।
मैंने कहा- नहीं.. तुम मुझे मरवाओगे।
तो वो बोला- रंजीता डार्लिंग आज सही मौका है.. खेत मे मज़े करेंगे…
इतना बोलकर वो चला गया।
मैंने नहा कर कपड़े पहने.. अब मैंने सलवार सूट पहन लिया… हम खेत में चले गए.. साथ मे मेरी छोटी बहन ऋतु भी थी।
वो मेरे से चिपका रहा.. मेरी बहन को शक हो गया।
वो मुझसे बोली- दीदी आपका और नवीन का कुछ है क्या?
मैंने कहा- यस.. हम दोनों लव करते हैं.. और तुम उसको ये बात जाहिर ना होने देना कि तुमको पता है…
वो बोली- ठीक है दीदी…
हम खेत में पहुँच गए.. उसने ज्वार काटनी शुरू की…
वो मुझसे बोला- चल ज्वार काट… लेकिन मैं शहर की रहने वाली.. मैं कहाँ चारा काटने वाली थी।
मैंने ऋतु को दूसरे खेत में भेज दिया, वो समझदार थी तुरन्त चली गई…
ऋतु के जाते ही उसने मुझे गोद में उठा लिया और खेत में ज्वार के बीच ले गया.. उधर वो मुझ पर टूट पड़ा। उसने मेरे कपड़े निकाल दिए.. मेरे बाल खोल दिए.. मैं सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में रह गई थी।
उसने मुझे चूसना शुरू किया.. मेरे होंठ.. मेरे गाल.. मेरी गर्दन और मुझे नीचे लेटा कर मेरे ऊपर आ गया… मैं वासना में मदहोश हो गई।
मैं उसका साथ देने लगी।
मेरा जिस्म दूध जैसा गोरा है.. मेरा गोरा और मादक जिस्म देख कर वो ऐसे देखने लगा जैसे मुझे खा जाएगा।
उसने अपने कपड़े भी निकाल दिए और सिर्फ़ अंडरवियर में रह गया। अंडरवियर में से उसका खड़ा लंड साफ़ दिख रहा था…
उसका लंड काफ़ी लंबा और मोटा था।
उसने मेरी ब्रा और पैन्टी भी निकाल दी..
अब मैं बिल्कुल नंगी उसके सामने पड़ी थी।
वो मेरे मम्मे दबाने लगा और फिर चूसने लगा…
मेरे चूचियाँ लाल हो गईं.. मुझे बहुत दर्द हो रहा था।
वो मुझे चूसता हुआ नीचे आने लगा.. मेरा चिकना और सपाट पेट देख कर मेरी नाभि में ऊँगली घुमाने लगा…
मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मैं ज़ोर से सिसक रही थी।
उसका भी यही हाल था… उसने अपनी जीभ मेरे चिकने पेट पर फिराई.. मैं और मदहोश हो गई…
अब वो नीचे आ गया.. मेरी लाल चूत पर हल्के बाल थे।
वो मेरी जाँघों के बीच में आकर अपनी जीभ मेरी चूत पर लगा कर चाटने लगा।
जैसे ही उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर लगाई.. मुझे ज़ोर का करंट सा लगा.. मेरी सिसकारियाँ और तेज हो गईं।
वो मेरी चूत चूसता रहा.. करीब 5 मिनट बाद मेरा बदन अकड़ने लगा.. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी चूत से कुछ निकलने वाला है…
मैं चीखते हुए झड़ गई.. चूत चूसने के बाद उसने अपना अंडरवियर उतारा और उसका लंड बाहर आ गया।
मैंने जब उसका लंड देखा तो डर गई.. उसका लंड बहुत ही लंबा और मोटा था.. बिल्कुल गोरा…
उसने कहा- मेरी जान.. प्लीज़ इसको मुँह में लो…
लेकिन मैंने साफ़ मना कर दिया.. मैंने कहा- नहीं.. यह मुझे गन्दा लगेगा…
लेकिन वो ज़ोर देता रहा और फिर मैं न जाने कैसे मान गई। मैंने उसके लंड पर अपनी जीभ लगाई उसको मजा आने लगा।
अब मैं लंड का सुपारा मुँह में लेकर चूसने लगी। मुझे अजीब लगा.. कुछ नमकीन सा स्वाद लगा। अब मैंने लंड को मुँह में लेकर चूसना चालू किया.. मुझे मजा आने लगा। चुसाई के बाद लंड बिल्कुल रामपुरी चाकू जैसा खतरनाक लग रहा था….
उसने कहा- पूरा मुँह में लो…
लेकिन पूरा मुँह में नहीं आ रहा था। मैंने मुँह और खोला और जितना हो सका अन्दर ले लिया।
वो धक्के मारने लगा.. उसका लंड मेरे गले में उतर गया, मेरी साँस रुक गई।
मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे।
तब उसने लंड बाहर निकाला.. नवीन ने कहा- मेरी जान.. अब मैं तुमको चोदूँगा।
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मैंने कहा- नवीन तुम्हारा बहुत बड़ा और लंबा है.. मेरे अन्दर कैसे जाएगा?
वो बोला- स्वीट हार्ट.. पहले थोड़ा दर्द होगा.. उसके बाद तुमको बहुत मजा आएगा…
उसने मेरी चूत में ऊँगली डाल दी.. मुझे थोड़ा दर्द हुआ.. वो फिंगरिंग करता रहा।
फिर उसने दो ऊँगलियाँ डाल दीं।
अब वो मेरी टाँगों को अपने कंधे पर रख कर लंड को चूत के मुँह पर रख कर धक्का मारने लगा..
लेकिन मेरी चूत बहुत कसी हुई थी.. उसका लंड फिसल गया।
ऐसा तीन बार हुआ.. अब उसने लंड को मेरे मुँह में दे दिया.. मैंने फिर चूसा… मेरे चूसने से लंड रसीला हो गया…
अब उसने लंड चूत के मुँह पर रख कर धक्का मारा।
लंड का टोपा चूत के अन्दर फंस गया।
मैं ज़ोर से चीखी.. उसने तुरंत मेरे होंठों पे होंठ रख दिए और चुम्बन करने लगा.. वो कुछ देर वहीं रुका रहा।
वो मेरे मम्मे दबाने लगा.. चूसने लगा.. सहलाता रहा..
जब कुछ देर में मैं कुछ सामान्य हुई.. तो उसने फिर से एक धक्का मारा और उसका आधा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया।
मुझे बहुत दर्द हुआ.. मैं अधमरी सी हो गई.. दर्द से मेरी आँखें भारी हो गईं.. मेरी चीख चुम्बन करने से उसके मुँह में दब कर ही रह गई।
मुझे मेरी जांघ पर कुछ गर्म-गर्म सा महसूस हुआ.. मेरी चूत की सील टूट गई थी जिससे खून निकल रहा था।
लगभग 5 मिनट रुकने के बाद उसने मेरे होंठ चाटे.. मैं बोली- प्लीज़ नवीन निकाल लो.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
वो बोला- जानू 5 मिनट सहन करो.. उसके बाद मज़ा आएगा।
वो फिर चुम्बन और मम्मे मसकने लगा…
मुझे थोड़ा आराम सा मिला.. फिर उसने लंड बाहर खींच कर ज़ोर का शॉट मारा और पूरा लौड़ा मेरी चूत के अन्दर घुस गया.. मुझे फिर से बहुत दर्द हुआ।
ऐसा लगा जैसी किसी ने गरम लोहा मेरी चूत में घुसा दिया हो।
मेरी आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे… वो आँसुओं को चाटने लगा और मुझे चूमता रहा…
कुछ देर बाद मेरा दर्द कुछ कम हुआ.. फिर उसने धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू किया।
कुछ धक्कों के बाद उसने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी।
अब वो तेज-तेज मुझे ठोकने लगा.. मैं भी नीचे से चूतड़ उचका कर धक्के मार कर उसका सहयोग कर रही थी।
करीब 15 मिनट उसने मुझे इसी आसन में चोदा..
फिर उसने मुझे घोड़ी बना कर पीछे से चोदा…
उसने मुझे 30 मिनट तक चोदा.. मैं दो बार झड़ चुकी थी.. अब वो झड़ने वाला था।
तो वो मुझे तेज-तेज चोदने लगा और मेरी चूत में ही झड़ गया।
मैं भी उसके साथ तीसरी बार झड़ गई।
हमारे शरीर पसीने से भीग गए थे..
हम 20 मिनट तक ऐसे ही एक-दूसरे की बाँहों में लेटे रहे।
फिर वो मेरे ऊपर से उठा.. मैंने देखा कि उसके लंड पर मेरी चूत का खून लगा हुआ है।
मैं उठी और देखा कि मेरी जाँघ और टाँगों पर भी बहुत खून लगा था।
ज़मीन पर भी खून गिरा हुआ था…
उसने अपने कपड़े पहने और बोतल में पानी लाया और मुझे साफ़ किया।
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कहानी जारी रहेगी।
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कहानी का अगला भाग : मामा के घर भाई से चूत चुदाई-3
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