ममेरी बहनों टपकता दूध और घमासान चुदाई-1
दोस्तो, मेरा नाम आकाश है और मैं अमृतसर का रहने वाला हूँ।
मेरी उमर 25 साल है.. मैं देखता आया हूँ कि अन्तर्वासना पर लिखी सभी कहानियां एक जैसी ही हैं… जिन्हें पढ़ कर मुझे लगता है कि आप बोर हो रहे होंगे।
वही पड़ोसन.. मामी.. बहन.. दोस्त की बीबी.. ऐसे पात्र और नाम बदले जाते हैं और कहानियां लिखी जाती हैं और वही भाषा.. दावे.. जैसे मेरा 6 इंच 7 इंच लंबा है और वही वाक्य.. ये सब पढ़कर सभी पाठक बोर होने लगे हैं।
लेकिन मैं जो आपको बताने जा रहा हूँ वो एक असलियत है.. जो मेरे जीवन का एक हसीन सच है।
वैसे सेक्स का और मेरा रिश्ता बहुत पुराना है और इसकी शुरूआत मैंने छोटी उम्र में ही की है। जब मैं स्कूल में पढ़ता था..
तभी मुझे हस्तमैथुन की आदत एक अनजानी सी घटना से लग गई।
दरअसल मुझे बहुत आराम से और स्वच्छता से नहाने की आदत थी।
एक दिन मैं साबुन लगा कर अपने लवड़े को साफ कर रहा था.. तो मैं साबुन से बहुत देर तक उसे घिसता रहा और उसके बाद मेरा पहला वीर्यस्खलन हो गया।
वो सब मेरे लिए अजीब सा था.. पर तब से मुझे हस्तमैथुन की आदत लग गई और मेरा सेक्स के प्रति रुझान बढ़ने लगा।
सब लोग सोचते हैं कि चुदाई दो टांगों के बीच में ही होता है.. लेकिन किसी ने कहा है सेक्स दो कानों के बीच होता है और इसका मैं असली उदाहरण हूँ।
क्योंकि मैं आगे जो आपको बताने जा रहा हूँ वो किसी ने कभी सोचा है.. ना किसी ने कभी किया है।
यह असली कहानी है.. जो आज तक की अन्तर्वासना पर सबसे अलग.. सुपर.. रोमांचकारी कहानी है।
इतनी छोटी उम्र मे हस्तमैथुन करने की वजह से मैं दिन रात सेक्स.. लड़की और स्त्री के बारे में ही सोचने लगा और मेरे दिमाग़ ने मुझे सेक्स का सुपर हीरो बना दिया और इस सोच में मेरा सबसे पसन्दीदा आइटम रहा है वो है लड़की के स्तन…
मेरी उमर जैसे-जैसे बढ़ रही थी मेरी नज़र हर जगह औरत को अपनी कमसिन नज़र से ढूँढती रहती थी।
मुझे टीवी.. मैगज़ीन.. पोस्टर.. पड़ोस में हर जगह स्त्री और उसके मम्मे ही दिखते थे।
मैं जहाँ भी कोई लड़की औरत देखता था तो पहले उसका बदन.. उसके मम्मों की साइज़ निहारता था और रात भर अपना माल निकालता रहता था।
मैं अब 12 वीं में आ गया था और पढ़ाई के लिए अपने मामा के पास रहने चला गया और वहीं से मेरी असली सेक्स लाइफ शुरू हो गई।
मेरे मामा की दो जवान बेटियाँ हैं.. पूनम और दूसरी सोनम..
वहाँ जाते ही मेरी कामवासना दोनों के लिए जाग गई.. क्योंकि वो दोनों भी बहुत सुंदर और जवान थीं।
एक अप्सरा 440 वोल्ट की थी तो दूसरी परी 230 वोल्ट की थी।
पूनम मुझसे बड़ी थी और सोनम मुझसे छोटी थी।
दोनों ही एकदम गोरी और सेक्सी थीं।
पूनम बहुत ही भरे हुए जिस्म की थी.. उसका गोरा रंग और उसके 34 साइज़ वाले दो-दो किलो के बड़े-बड़े स्तन मुझे पागल बनाते थे।
वो एक चलती-फिरती सेक्स बॉम्ब थी..
मैं रात-दिन उसके मम्मे दबाने.. चूसने.. उसका दूध पीने के सपने देखता था।
जहाँ से भी हो.. उसके मम्मे देखने की कोशिश करता था..
लेकिन क्या फ़ायदा वो तो जल्दी ही शादी करके अपनी ससुराल चली गई.. पर मुझे लाइन लगाने के लिए सोनम तो बची थी।
सोनम भी कुछ कम नहीं थी.. एकदम पटाखा थी.. वो भी बहुत गोरी.. नाज़ुक और सेक्सी थी.. लेकिन उसके मम्मे पूनम जितने बड़े नहीं थे।
वो मीडियम यानि 32 साइज़ के थे.. लेकिन वो भी बहुत सेक्सी और ख़तरनाक थे।
अब मैं हर रोज सोनम के बारे में सोचता था.. उसके मम्मे मेरे हाथ कब आएँगे.. उनको मैं कब दबाऊँगा और सोनम को अपने नीचे कब सुलाऊँगा।
उसका कद साढ़े पाँच फुट का था और पतली थी.. उसकी फिगर.. उसकी गाण्ड सब बहुत सेक्सी थे।
अगर एक दिन मेरी किस्मत खुल गई.. जो कि मैं सोचता था.. वो अब सच होने वाला था।
सोनम मुझे पट गई.. मैं उस पर लाइन मारता था.. ये उसको पता चल गया था.. वो भी अपनी भरपूर जवानी में आ खड़ी हुई थी।
मैंने उसको पटाने के लिए अपने शातिर दिमाग़ से एक योजना बनाई और चोरी-छुपे उसके खाने में स्त्रियों की कामोत्तेजना बढ़ाने वाली दवा डालता रहा।
एक दिन जब हम स्टोर रूम में सामान लगा रहे थे.. तब सोनम कुर्सी पर खड़ी रह कर ऊपर सामान लगा रही थी.. मैं नीचे से उसको सामान दे रहा था और सामान देने के बहाने से मैं उसके स्तनों को बार-बार स्पर्श कर रहा था।
वहाँ मेरी मामी भी थीं.. पर जब मामी वहाँ से गईं तो सोनम ने अचानक से मेरा हाथ पकड़कर अपने स्तन पर रखा और दबाया।
मैंने एकदम हाथ हटा कर नासमझ बनने की कोशिश की..
तो सोनम बोली- साले.. बहाने मत बनाओ.. यही चाहिए था ना तुम्हें…!
और उसने एक स्माइल दी।
मैंने झूठा ही कहा- ऐसा कुछ नहीं है..
तो वो बोली- मुझे पता है.. तुम मुझ पर मरते हो.. मुझे निहारते हो.. मुझे भी तुम पसंद हो.. आई लव यू…
आप मेरा उससे.. प्यार का नाटक मानो.. या कुछ भी मानो.. पर मुझे मेरे काम से मतलब था और तब से हम दोनों का चक्कर चालू हो गया।
मैं आते-जाते चोरी-छुपे उसकी पप्पियाँ लेता था.. उसको अपनी मीठी में लेता था.. अब हमारे बीच का अंतर कम होने लगा था और नज़दीकियाँ बढ़ने लगी थीं।
वो भी मेरे लिए तरसने लगी थी।
मामी के इधर-उधर जाते ही मैं उसको रसोई में पीछे से पकड़ता था..
उसकी गाण्ड पर अपना ‘बाबू’ रगड़ता था और आगे हाथ डालकर उसके मस्त मम्मे दबाता था और कान के नीचे चूम कर उसे गरम करता था।
इस तरह धीरे-धीरे वो मेरे साथ चुदाई के लिए तैयार हो रही थी और अब वो मुझसे सेक्सी नॉनवेज बातें भी करने लगी थी।
एक दिन मैंने अचानक से उसके ब्रा में बर्फ डाल दी और फिर निक्कर में भी डाल दी।
मेरी ऐसी हरकतें उसको भी अच्छी लगने लगी थीं।
फिर एक दिन नहाने से पहले मैंने उसकी ब्रा छुपा कर रख दी..
काफ़ी ढूँढने के बाद वो वैसे ही बिना ब्रा पहने ही ड्रेस पहन कर घूमने लगी जिससे उसके मम्मे और निप्पल आज खुले ही लटक रहे थे।
मैंने उससे कहा- आज तू कुछ अलग सी लग रही है।
तो उसने शर्मा कर कहा- क्या मेरी फिगर में तुम्हें कुछ चेंज दिख रहा है?
मैंने हँसते हुए उसके मम्मे दबाए.. तो वो आज बहुत ही नरम लगे और मैंने उससे कहा- कोई अलग तो नहीं दिख रहा.. मगर मुझे पता है.. तूने ब्रा नहीं पहनी है।
वो बोली- तुम्हें कैसे पता है?
मैं उससे बोला- मुझे सब पता रहता है.. तुमने क्या पहना है.. क्या नहीं.. तुम्हारी ब्रा का नंबर क्या है.. तुम्हारी कच्छी का रंग कौन सा है?
वो बोली- अच्छा.. तो बताओ मैंने आज कौन से रंग की कच्छी पहनी है?
मैं बोला नीले रंग की..
वो तो हैरान रह गई..
मैं रोज़ उसके अंतर्वस्त्रों पर ध्यान रखता था और उसे सही-सही बताता था।
लेकिन एक दिन वो तो मुझसे भी सवा शेर निकली और पूछा- बताओ आज मेरी पैन्टी का कौन सा रंग है?
मैंने बताया- पिंक है..
तो वो हँसने लगी और बोली- आज तुम फेल हो गए क्योंकि आज तो ‘बंबल-चम्बल’ है..
मैं कुछ समझ नहीं पाया.. तो उसने बता दिया- मैंने तो आज पहनी ही नहीं..
अब हम दोनों किसी मौके की राह देख रहे थे जो हमें जल्दी ही मिल गया।
पूनम ने हमारा काम आसान किया था.. उसको बच्चा होने के कारण मामी दो महीने के लिए इंदौर जा रही थीं।
पूनम के पति नेवी में थे इसलिए वो जाने के बाद 6 महीने तक घर ही नहीं आते थे।
तो जल्दी ही मामी चली गईं.. और उसके दो दिन बाद मामा भी कंपनी के टूर पर चले गए.. अब हम दिन भर चुदाई कर सकते थे..
हमारे लिए स्वर्ग का दरवाजा खुला हुआ था और मुझे सोनम को भी स्वर्ग के आनन्द में पहुँचाना था।
उस दिन हमारा पहला मिलन हुआ.. मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और उसको चुम्बन करने लगा।
वो गर्म होने लगी… मैंने उसके गाल.. होंठ.. कान.. ज़ुल्फों के नीचे चूमता गया और उसके एक-एक कपड़े उतारता गया।
अब वो सिर्फ़ कच्छी और ब्रा में खड़ी थी.. उसके दोनों सुंदर स्तन ब्रा से बाहर आकर मुझसे चुसवाने की राह देख रहे थे।
पहले मैंने उनको ब्रा में ही ज़ोर-ज़ोर से दबाया और जैसे उसने अपनी ब्रा उतारी.. वो झट से उछल कर बाहर आ गए।
उसके गोरे भरे हुए स्तन देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए.. उसके निप्पल भी गुलाबी रंग के मीडियम साइज़ के उसके स्तनों की सुंदरता बढ़ाने वाले थे।
मैंने एक के बाद एक.. दोनों को बहुत चूसा और मैं जब उसके चूचियों को चूस रहा था.. उसका दूध पी रहा था..
सोनम तो मानो जन्नत में जा चुकी थी, वो बहुत ज़ोर-ज़ोर से सांस ले रही थी और मेरे सर को अपने मम्मों पर दबाकर अपने निप्पल को चुसवा रही थी।
अब मैंने उसकी गुलाबी रंग की चड्डी भी उतारी.. तो उसकी रेशमी सी झाँटें और उसकी चूत बहुत ही सुंदर लग रही थी.. जिसका मैं आज उद्घाटन करने वाला था।
जल्दी ही मैंने अपने कपड़े.. अंडरवियर निकाली और अपना तना हुआ सोनम की चूत का प्यासा लंड उसके आगे खुल्ला कर दिया।
उसको देख कर वो शरमा भी गई और घबरा भी गई.. मेरा गुलाबी रंग का सुपारा उस पर यौन रस आने से चमक रहा था।
मैंने ज़्यादा समय ना लेते उसे बिस्तर पर लिटाया और अपना गर्म रॉड डालने के लिए उस पर सवार हो गया।
दोनों के भी पहले अनुभव के कारण लंड अन्दर डालने में बहुत तकलीफ़ हुई। हमने चुदाई तो की लेकिन दोनों को भी बहुत दर्द हुआ।
दूसरे दिन मेरा शातिर दिमाग़ इस बात पर सोचने लगा कि सोनम को कैसे खुश किया जाए.. क्योंकि अगर आज भी चुदाई के वक्त दर्द हुआ तो वो मेरा साथ नहीं देगी और स्त्री संतुष्ट ना हो तो वो फिर मौका नहीं देगी।
मैंने सोनम को समझाया- पहली बार के कारण तुझको दर्द हुआ है.. लेकिन आगे जाकर बहुत मज़ा आएगा..
मैंने उसे गर्भ-निरोधक गोली लेना शुरू करने को कहा।
दूसरे दिन मैंने कंडोम लगाकर चोदा तो हमें कल से ज़्यादा मज़ा आया और मैंने सोनम को बताया- मैं जो कहता हूँ.. तुम सिर्फ़ वो करती जाओ और देखो मैं तुम्हें पूरे जन्नत की सैर करवाता हूँ।
फिर हरेक दिन मैं अपना दिमाग़ चलाता गया और सोनम जन्नत की सैर करते हुए स्वर्ग में पहुँच गई।
तीसरे दिन मैंने सोनम को कहा- आज हम दोनों साथ मिलकर नहाएँगे।
पहले सोनम ने मुझे नहाया.. मेरे पूरे बदन को उसने साबुन लगाया और मेरे लंड को भी साबुन लगाकर बहुत सारा झाग पैदा किया।
फिर मैंने भी सोनम को उसकी पीठ पर साबुन लगाया.. फिर उसके दोनों हाथ.. दोनों पैरों को साबुन लगाया.. उसके बाद उसकी झाँटों पर शैम्पू लगाते बहुत सारा झाग पैदा किया और अंत में उसके प्यारे.. मुलायम.. गोरे और मेरे पसंदीदा स्तनों को साबुन लगाकर.. उनको बहुत अच्छी तरह से रगड़ा।
वो भी मेरे लंड को साबुन लगाकर रगड़ रही थी और मैं उसके स्तनों को मजे से मसल रहा था।
उसके आमों को बहुत देर मींजने के बाद मैंने लंड उसकी चूत में डाल दिया.. झाग के कारण हम बहुत आसानी से चुदाई कर रहे थे और हमारी काम-क्रीड़ा बहुत देर तक चलती रही।
मैं ऊपर से उसके मम्मे दबाता रहा और वो नीचे लंड चूत में लेती रही और हम दोनों भी खुश हो गए।
चौथे दिन चोदते वक्त मैंने अपने सुपारे पर और उसकी चूत पर गरी का तेल डाला और मैंने चोदना शुरू कर दिया।
मैं सटासट शॉट लगाता रहा और वो अपने मम्मों सहलाती और चिल्लाती रही। ये सब देखकर सोनम बहुत ही खुश होती जा रही थी।
पाँचवें दिन सोनम ने कहा- आज हम चुदाई नहीं करेंगे.. आज छुट्टी लेंगे.. क्योंकि मेरा सारा बदन ठनक रहा है।
मेरी इस सत्य घटना पर अपने विचार लिखने के लिए मेरी ईमेल आईडी पर आपका स्वागत है।
कहानी जारी है।
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