शादी किसी की, सुहागरात मेरी
हैलो दोस्तो, मैं सन्नी आहूजा एक बार फिर से हाज़िर हूँ.. आपके सामने अपनी एक नई कहानी लेकर..
काफ़ी समय से अन्तर्वासना पर लिखने का समय नहीं मिल पा रहा था। आपने मेरी पहले की कहानियों को बहुत पसंद किया.. बहुत से अच्छे दोस्त बने और कुछ भाभियों के ईमेल आए उनसे बात करके बहुत अच्छा लगा।
हाँ.. तो चलिए अब कहानी पर आते हैं।
बात आज से 3 महीने पहले की है। मेरे मामा की लड़की की शादी थी और शादी का माहौल काफ़ी अच्छा था। मैं वहाँ शादी के 4 दिन पहले ही पहुँच कर काम में जुट गया था।
एक दिन तो ऐसे ही कामों में बीत गया था। अगले दिन मामा के लड़के की मौसी और उनका परिवार वहाँ आया। उनके साथ में उनकी मौसा जी.. और उनकी दो बेटियाँ भी साथ आई थीं। एक थी कोमल.. और दूसरी थी नैना। नैना अभी 12वीं में पढ़ रही थी.. जबकि कोमल एमबीए के फर्स्ट इयर में पढ़ रही थी, दिखने में दोनों ही काफ़ी सुंदर थीं।
नैना कम बोलती थी.. मगर कोमल तो जैसे आते ही मेरे साथ काफ़ी घुल-मिल गई थी। आप सब जानते ही हैं.. दिल्ली की लड़कियाँ काफ़ी तेज होती हैं।
मैं कोमल को पटाने में लग गया.. ऐसे ही कोई भी काम होता.. तो मामी मुझे बोलतीं- इसे साथ ले जा.. इसका मन लग जाएगा..
मैंने भी शादी के सभी काम उसी के साथ किए।
रात को जब सोने का टाइम हुआ तो घर में काफ़ी लोग आने की वजह से जगह कम पड़ गई थी।
मेरा घर मामा के घर से थोड़ी दूरी पर रोहतक के आर्या नगर में था, जबकि मामा का घर डीएलएफ में था। तो मैंने मामी को बोला- मामी.. मैं अपने घर जाकर सो जाऊँगा और सुबह जल्दी आ जाऊँगा।
मामी भी रेडी हो गईं.. मगर जगह काफ़ी कम हो गई थी.. तो मामी ने कोमल और नैना को भी मेरे साथ भेज दिया।
दोस्तों मैं कोमल को पटाना तो चाहता था.. मगर मुझे नहीं पता था कि वो मेरे घर पर सोएगी।
तो इस तरह कोमल.. मैं और नैना मेरे घर पर आ गए, हम सबने घर आते ही कपड़े आदि बदले और कोमल और नैना एक कमरे में.. और मैं अलग कमरे में सो गया।
रात को 1 बजे कोमल पानी पीने के लिए उठी.. रसोई में जाकर फ्रीज़ में पानी निकालने लगी.. तो शायद उसे करेंट लगा।
उसने चिल्ला कर मुझे आवाज़ लगाई.. मैं गया तो वो नीचे गिरी हुई थी।
मैंने उसे उठाया और उसे अपने कमरे में ले गया.. उसे पानी दिया और थोड़ी देर अपने कमरे में ही लिटा लिया। कुछ देर बाद वो नॉर्मल हुई.. तो हम ऐसे ही बातें कर रहे थे, बात करते-करते कोमल वहीं सो गई।
वो तो सो गई.. मगर अब मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैंने भी लाइट ऑफ की और उसके बगल में लेट गया।
जब मुझे लगा वो गहरी नींद में है.. तो मैं बिल्कुल उससे सट कर लेट गया उसकी साँसों की गर्मी को मैं महसूस कर सकता था।
दोस्तो, इतनी हसीन लड़की जिसका फिगर 34-30-34 का रहा होगा।
मैं अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था.. तो मैंने उसके पेट पर अपना हाथ रख दिया।
उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.. तो मैं इसी तरह उसके साथ सो गया जैसे हम चिपके हुए हों।
वो भी आराम से सोई पड़ी थी.. मेरी हिम्मत धीरे-धीरे बढ़ रही थी।
उसने गाउन पहना हुआ था.. तो उसकी नंगी जांघें मुझे कुछ-कुछ दिखाई दे रही थीं। मैंने उन पर पैरों से हरकतें करना शुरू कर दिया.. वो बस वैसे ही लेटी रही..
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मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था.. तो मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और ऐसे लेट गया.. जैसे मैं भी नींद में हूँ।
मैं उसे किस करने लग गया और मैंने ऐसे ही बोल दिया- शिल्पा आई लव यू..
वो चौंक कर खड़ी हो गई और बोलने लगी- यह क्या कर रहे हो और ये शिल्पा कौन है?
मैंने उसे ‘सॉरी’ बोलते हुए बताया- शिल्पा मेरी गर्लफ्रेंड थी.. जिसकी अब शादी हो गई थी.. और मैं सपने में उसे समझ कर तुम्हें किस करने पर लगा था।
दोस्तो, मेरे चुम्बन ने काम कर दिया था, मैं उससे चिपक गया और उसने कोई विरोध भी नहीं किया।
मैं उसे चूमने लग गया और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।
मैंने उसका गाउन उतार दिया और मेरे सामने ब्लैक पैन्टी और ब्रा में थी। उसने देर ना करते हुए मेरा लोवर और टी-शर्ट उतार दिया। दोस्तों मैं हैरान था कि उसने मुझे एक बार भी मना नहीं किया।
मैंने उसकी ब्रा उतार दी और उसके गदराए हुए चूचे मेरे सामने खुले हुए थे। मैंने उन्हें चूसना शुरू किया.. तो कुड़ी सिसकारियाँ लेने लग गई।
जब मैं उसके चूचे सहला रहा था.. इतने तक उसने अपना हाथ मेरे अंडरवियर में डाल दिया था और मेरे लौड़े को सहलाने लगी थी।
मैंने भी देर ना करते हुए उसकी पैन्टी को अपने मुँह से खींच कर उतार दिया।
वो भी क्या शातिर चुदक्कड़ थी.. उसी स्टाइल में उसने भी कुतियागिरी दिखाते हुए मेरा अंडरवियर खींच कर उतार दिया।
मेरा अंडरवियर उतरते ही उसने मेरा लंड ‘गप्प’ से अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
दोस्तो, वो लौड़ा ऐसे चूस रही थी.. जैसे उसे खा ही जाएगी।
करीब 5-7 मिनट बाद मेरा माल उसके मुँह में छूट गया, वो भी आराम से उसे पी गई।
अब बारी मेरी थी.. मैं उसकी चूत चाट रहा था.. और हाथों से उसके चूचे दबा रहा था।
जब मैं उसके निप्पल को दबाता.. तो उसकी सिसकारियाँ बढ़ जातीं।
थोड़ी देर चूसने के बाद उसका माल भी गिर गया, मैंने उसे चाट कर साफ़ किया।
उसकी आँखें काफ़ी नशीली हो गई थीं.. उसने दोबारा से मेरा लौड़ा मुँह में लिया और चूस कर खड़ा कर दिया।
मैंने भी देर ना करते हुए अपना लौड़ा उसकी चूत पर सैट किया और धक्का लगाया, मेरा लंड उसकी चूत में चला गया।
वो मेरे उपर आ गई और उछलने लग गई।
दोस्तो, क्या उछल-उछल कर चुद रही थी कि उसने मेरा पूरा लंड अपने अन्दर ले लिया.. खेली खाई लौंडिया थी साली..
काफ़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा.. फिर मैं उसके ऊपर आ गया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लग गया।
उसकी चूत गीली हो गई थी.. तो लंड आराम से अन्दर-बाहर हो रहा था। क्या मस्त ‘फॅक.. फॅक..’ की आवाजें आ रही थीं।
कुछ ही मिनट चुदाई के बाद.. वो और मैं एक साथ छूट गए।
उसको चोद कर बहुत मज़ा आया।
मैंने उससे पूछा- कितने बॉय फ्रेंड हैं..?
तो उसने चूचे फुला कर कहा- दो हैं..
मैं कहा- वाह.. तभी आराम से खा गईं।
उसने बताया- हाँ.. मैंने पहले भी बहुत बार उनसे चुदाई की है।
हम दोनों का ही अभी मन भरा नहीं था तो हमने एक राउंड और लगाया।
सुबह 7 बजे उठ कर मैंने उसकी गांड भी मारी.. जोकि उसने पहली बार मरवाई थी।
मैंने सुबह उसके चूचे भी चूस-चूस कर लाल कर दिए।
अब वो मेरी भी गर्लफ्रेंड थी.. उसने मुझे अपनी शादीशुदा फ्रेण्ड नितिका भी चूत दिलवाई.. वो फिर कभी लिखूंगा।
मगर हमारी चुदाई अक्सर होती रहती है।
दोस्तो, यह कहानी एकदम सच्ची है, आपके कमेंट्स का इंतज़ार रहेगा।
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