मस्त छमिया शीला-1
प्रेषक : हैरी
लड़कियों को चोदते-चोदते मुझे करीब दो साल हो चुके हैं और इन में मैंने जितनी लड़कियों के साथ सेक्स किया है, वो सब कहानियाँ मैं अन्तर्वासना पर डाल चुका हूँ और अब मेरे अन्दर से डर भी जैसे खत्म हो चुका है, लड़कियों को चोदने का काफ़ी अनुभव भी हो चुका है।
अब मैं अपनी कहानी शुरु करता हूँ, इस कहानी में कुछ गर्मा-गर्म या ऐसे कहें तो गन्दी भाषा का उपयोग भी किया गया है पर ये सब आपके मनोरंजन के लिए है।
यह बात कोई दिसम्बर 2010 की है, तब मैं ट्रेन में हरिद्वार से जम्मू जा रहा था। सहारनपुर से मैं स्लीपर क्लास में था। सर्दियों के दिन थे, तो ट्रेन में कुछ खास भीड़ नहीं थी। ट्रेन चल रही थी और मैं अपने फोन पर गाने सुन रहा था। मुझे ट्रेन में सफ़र के दौरान सोने की आदत नहीं थी और वैसे भी मैं अकेला ही हरिद्वार से जम्मू को जा रहा था।
जिस सीट पर मैं था वहाँ और उसके आस-पास वाली सीटों पर कोई नहीं था, पर उससे आगे या पीछे वाली काफ़ी सीटों पर एक-दो लोग ही थे, पर वो भी सो रहे थे। ट्रेन एक स्टेशन पर रूकी। रात के कोई बारह बज रहे थे। मैं थोड़ा टहलने के लिए ट्रेन से नीचे उतरा यही सोचकर कि थोड़ा पानी पी लूँगा और अगर कहीं से चाय या कॉफ़ी मिल जाए तो वो भी पी लूँ, क्योंकि काफ़ी ठण्ड थी।
ट्रेन को कोई दस या पन्द्रह मिनट रूकना था, तो कहीं से एक औरत आई और तेज़ी के साथ डिब्बे में चढ़ गई। मैंने उसे ठीक से नहीं देखा, उसने एक काफ़ी बड़ा बैग़ पकड़ा हुआ था और लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी, पर उस औरत का रंग एकदम गोरा था।
मैं बस ऐसे ही बाहर टहलता रहा और थोड़ी देर बाद ट्रेन ने चलने के लिए सायरन बजाया। मैं भी ट्रेन में चढ़ गया और अपनी सीट की तरफ़ गया तो देखा कि वो औरत मेरी सीट के सामने की तरफ़ बैठी हुई है। मैं चुपचाप गया और अपनी सीट पर बैठ गया।उसने भी एक नज़र मेरी तरफ़ देखा और फ़िर दूसरी तरफ़ देखने लगी।
उसके बारे में बताऊँ तो रंग चांदी की तरह गोरा, मोटे-मोटे होंठ, लाल रंग की साड़ी और पैरों में ऊंची हील वाली जूती पहनी हुई थी। सर्दी के कारण उसने शाल लपेट रखा था। चेहरे से वो काफ़ी भारी लग रही थी तो मुझे लगा कि इसके मोमे (चूचे) जरूर मेरी पसन्द के होंगे, मतलब मोटे-मोटे काले-काले चूचुकों वाले। मेरा मन उसे चोदने को करने लगा था।
वो चुपचाप अपनी मैगज़ीन पढ़ रही थी और मैं बस लगातार उसी की तरफ़ देखे जा रहा था। मेरे कान में हैडफ़ोन लगे हुए थे जिनसे मैं गाने सुन रहा था और उसकी तरफ़ देखे जा रहा था। पहले तो उसे कुछ नहीं लगा पर उसने शायद यह देख लिया था कि मैं उसकी तरफ़ देखे जा रहा हूँ। पहले तो उसने भी मेरी तरफ़ एक दो बार देखा और फ़िर मुँह घुमा कर बैठ गई पर मैं लगातार उसकी तरफ़ देख रहा था।
वो भी मुझे घूरने लगी पर मैं कहाँ डरने वाला था। मैं तो उसे चोदने का प्रण कर चुका था। वो एक मिनट के लिए खड़ी हुई, अपनी शाल उतारी कर एक तरफ़ रख दी। तब मैंने उसके चूचे उसके ब्लाऊज़ में से देखे। एकदम सुडौल शरीर जैसे। उसकी उम्र पच्चीस से ज्यादा नहीं होगी।
इतने मोटे तो मेरी प्रेमिका रीना के भी नहीं थी, जिसे मैं रोज़ चूसता और मसलता था। बस जो भी हो इसकी चूत चाहे न मिले पर इसकी ब्रा और ब्लाऊज़ खोल कर इसका दूध जरूर पीना है।
वो अपने बैग को ऊपर रखना चाहती थी, पर वो काफ़ी भारी था और वो उसे उठा नहीं पा रही थी। तो आखिर मैं बोला- क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूँ इस बैग को ऊपर रखने में?
वो बोली- देख लो, अगर रख सकते हो तो रख दो, यह काफ़ी भारी है।
वो सच में काफ़ी भारी था, पर मैंने किसी न किसी तरह ऊपर रख ही दिया।
वो बोली- शुक्रिया।
मैंने कहा- कोई बात नहीं।
वो मेरे सामने वाली सीट पर बैठ गई थी और शाल लपेट लिया। बस अब मैं पीछे नहीं रह सकता था तो मैंने उससे बातें करनी शुरु की।
“आप कहाँ जा रही हैं?” मैंने पूछा।
तो उसने कहा- मैं जम्मू जा रही हूँ।
मैंने कहा- आप अकेले जा रहे हो इतनी दूर?
उसने कहा- मेरे पति किसी काम से नहीं आप पाए तो मुझ अकेली को जाना पड़ा रहा है।
“आप के फ़ोन में गाने हैं क्या?” उसने पूछा।
तो मैंने कहा- हाँ हैं, इसमें सब तरह के गाने और वीडियो हैं। आपको चाहिए क्या?
तो इस पर वो बोली- नहीं मैं तो बस ऐसे ही पूछ रही थी।
“नहीं, अगर आप सुनना चाहते हो तो सुन सकते हो।” मैंने कहा।
तो उसने मुझसे मेरा फ़ोन ले लिया। फ़ोन में ब्लू फ़िल्म भी थी, मुझे पता था इसलिए तो मैं उसे देना चाहता था और उसमें काफ़ी सेक्सी आवाजें भी थीं जैसे किसी लड़की को चोदने पर होती हैं। वो कानों में हेडफ़ोन लगाकर गाने सुनने लगी और मैं लगातार उसी की ओर देखे जा रहा था।
वो कभी मुझे देखती,उसके होंठों पर जैसे हल्की-हल्की मुस्कुराहट दौड़ती और कभी फ़ोन की तरफ़। मेरे ख्याल से तो वो ब्लू-फ़िल्म की ऑडियो को सुन रही थी या सेक्सी गाने सुन रही थी। लगभग आधे या एक घन्टे बाद उसने मुझे फ़ोन दे दिया। उसके चेहरे पर एक सुन्दर मुस्कुराहट थी।
तो इस पर मैंने कहा- एक बात बोलूँ, आपकी स्माईल बहुत सुन्दर है।
वो बोली- शुक्रिया।
मैंने तो जैसे तारीफों के पुल बाँधने शुरू कर दिए और उससे कहा- मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ, आपकी मुस्कुराहट बहुत सुन्दर है, आप बहुत हसीन, जवान, सुडौल और आकर्षक हैं।
मेरे इतना कहने पर वो हँसने लगी।
मैंने कहा- एक और बात बताऊँ, आप बुरा तो नहीं मानोगे?
तो इस पर वो बोली- ऐसा क्या बोलोगे आप?
तो मैंने सीधा कह दिया, आपके ऊपर वाले गुप्त अंग अति सुन्दर हैं। मुझे तो ये बहुत अच्छे लगे हैं, आपने इन्हें बहुत अच्छी तरह से संवारा है और ये आपकी खूबसूरती को चार चांद लगा रहे हैं। ऊपर से आपका गोरा-गोरा मखमली बदन तो ऐसे ही लोगों को घायल कर दे।
वो तो बस हँसी और मुस्कुराए जा रही थी।
“शुक्रिया, आप काफ़ी बढ़ा-चढ़ा कर मेरी तारीफ़ कर रहे हो, ऐसा कुछ नहीं है।” उसने कहा।
तो इस पर मैंने कहा- आपको शायद पता नहीं, पर ऐसा है।
वो बोली- मुझे जरा बाथरूम ज़ाना है, मैं अभी आती हूँ।
तो मैंने कहा- ठीक है।
वो बोली- क्या आप साथ में आ जाओगे?
तो इस पर मैंने कहा- ठीक है चलो।
उसने शाल उतार कर वहीं पर रख दी और मेरे आगे-आगे चली और मैं पीछे-पीछे। दिल तो किया अभी पीछे से हाथ इसके ब्लाऊज़ में डाल दूँ पर मैंने सोचा छोड़ो सही वक्त पर देखा जाएगा। कुछ देर बाद वो बाथरूम से बाहर आई और हम अपनी जगह आकर बैठ गए। उसने शाल पहनी हुई थी, पर मैंने सिर्फ़ स्वैटर पहना हुआ था और एक जैकट।
उसने मेरी तरफ़ देखा और बोली- आपको ठण्ड नहीं लग रही है क्या?
मैंने कहा- थोड़ी सी लग तो रही है पर मैं अपनी शाल कहीं भूल आया हूँ।
तो वो बोली- आप मेरी वाली शाल में आकर बैठ जाओ, यह काफ़ी बड़ी है।
हालांकि मेरे पास मेरे बैग में अपनी शाल थी पर मैंने उसे झूठ बोला था।
उसने अपनी शाल मेरे साथ शेयर कर ली। उसकी शाल अन्दर से इतनी गर्म थी जैसे मैं किसी भट्टी में हाथ सेंक रहा हूँ।
मैंने उससे कहा- अगर आप चाहो तो अपने पाँव अगले वाली सीट पर सीधे रख लो तो उसने रख लिए और मैंने भी। मैंनेअपना फोन उठाया और कोई दूसरी वीडियो देखने लगा। वो भी देखे जा रही थी।
उसके बाद कुछ मर्डर जैसी फिल्मों के गर्मा-गर्म किस या हॉट सीन थे। वो मैं फ़ोन पर चला कर देखने लगा और मैंने उसकी तरफ़ देखा तो वो भी देखे जा रही थी। शरारत के लिए मैंने अपना पाँव शाल के बीच में से उसके पाँव को छुआ दिया तो उसने कुछ नहीं कहा। बाद में मैंने दक्षिण भारत में बनी हॉट-हॉट फ़िल्में फ़ोन पर लगा दीं, जिसमें औरत को नंगा किए बगैर उसे प्यार से चूसते हैं। मैं आराम से उन्हें देखे जा रहा था और मैंने उसकी और देखा तो वो भी उसे देखे जा रही थी।
मेरा तीर लगभग निशाने की तरफ़ ही जाता मुझे लग रहा था। मैंने उस बार अपना पाँव उसके पाँव से साथ जोड़ कर रख दिया। किसी मखमली कपड़े की तरह नर्म-नर्म पाँव थे। मैं आज तक अपनी पाँच प्रेमिकाओं और आठ से दस तक और दूसरी जैसे पड़ोसी या दोस्त की मम्मी को चोद चुका था।
पर ये उन सब से अलग थी और इस में सच में बहुत मज़ा आने वाला था।
वो बोली- आप ये फ़िल्में देखो, मैं सो रही हूँ।
मैं उसके साथ बैठा ब्लू-फ़िल्में देखने लगा और वो आँखें बन्द कर सोने लगी थी।लगभग आधे एक घन्टे बाद मैंने कुछ करने की ठानी। मुझे नहीं पता था कि वो सो चुकी है या नहीं, पर उसकी आँखें बिल्कुल बन्द थीं और मुझे लगा कि शायद वो सो रही है।
मैं धीरे से बिल्कुल उसके साथ बैठ गया। अब मैं बिल्कुल उसके साथ चिपक कर बैठा हुआ था। मैंने धीरे से अपना हाथ शाल के अन्दर से होते हुए उसकी बाज़ू पर फ़िराते-फ़िराते उसके हाथों पर रख दिया और पैरों से धीरे-धीरे उसकी साड़ी ऊपर करके उसे मुलायम टाँगों पर फ़िराने लगा।
मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी कमर पर और फ़िर उसके पेट पर फ़िराया। मेरा निशाना ठीक लगा था। उसकी आँखें बन्द थीं। मैंने थोड़ी शाल हटाई, उसकी साड़ी का पल्लू उसके ब्लाऊज़ के सामने से हटा दिया। उसके ब्लाऊज़ का गला काफ़ी खुला था। अन्दर का माल देखा तो मैं हैरान ही रह गया कि उसके दोनों मम्मे इतने मोटे-मोटे और मस्त थे कि उनके बीच की घाटी काफ़ी नीचे तक साफ़-साफ़ दिख रही थी और उसका ब्लाऊज़ पूरा खिंचा हुआ था।
मेरे मुँह से निकला- हे राम। इतने बड़े-बड़े पपीते तो मेरी प्रेमिका रीना और शबनम के भी नहीं हो सके, जबकि मैं रोज़ पूरा पूरा दिन उस के घर पर उन्हें नंगा करके सिर्फ़ उनके चूचकों को खींचता, दबाता और चूसता रहता था। यह पता नहीं किस से खिंचवा कर आई है। इतने मोटे-मोटे मम्मे ले कर घूम रही है।
मैं अपनी सीट से उठा और आस-पास देखने लगा कि कहीं कोई जाग तो नहीं रहा, पर उस डिब्बे में कुल दो-चार लोग थे और वो भी सो रहे थे।
मैं धीरे से फिर उसके पास गया और उसके ऊपर से उसकी सारी शाल उतार दी। अब वो मेरे सामने सिर्फ़ साड़ी में थी। जिसे वैसे भी उसके पेट तक ऊपर की हुई थी और उसके पेट से पाँव तक सिर्फ़ नंगी और गोरी-गोरी टाँगें थी। उसकी दोनों आँखें बन्द थी।
मैंने भी अपनी जैकट, स्वैटर, टी-शर्ट और बनियान उतार दी और उसे उसके पाँव से उसकी जांघें तक किस करने और चाटने लगा। चाटते-चाटते मैं उसके पेट तक गया और उसकी नाभि पर अपनी जीभ फ़ेरने लगा। मैंने अपनी दोनों टाँगें इधर-उधर करके उसकी तरफ़ मुँह करके उसके पेट पर बैठ गया और उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया और चूसने लगा।
कभी मैं उसके ऊपर वाले और कभी नीचे वाले होंठों को चूसे जा रहा था। वो किसी स्ट्राबेरी की तरह रसीले थे। आधे घण्टे तक सिर्फ़ उसके होंठ चूसने के बाद मैंने उसे छोड़ा तो उसका रंग लाल हो चुका था।
इस सर्दी के मौसम में भी हम गर्म हो चुके थे। वो अभी भी उसी पोज़ में ट्रेन की सीट पर आँखें बन्द करके सामने वाली सीट पर अपने पैर सीधे रख कर बैठी हुई थी। होंठों को चूस कर अगला कदम था मेरी सब से पसन्दीदा चीज़ मम्मों को चूसने, दबाने और मसलने का। मैंने प्यार से धीरे से अपनी एक उंगली उसके एक मोमे पर फ़ेरी तो वो जैसे तड़प उठी।
तो मैंने ब्लाऊज़ के ऊपर से ही उसके एक चूची को धीरे से दबाया। वो किसी मुलायम फुटबाल की तरह था और फ़िर दोनों हाथों से ब्लाऊज़ के ऊपर से उसके दोनों चूचियों को दबाने लगा। उसे भी चुदास चढ़ चुकी थी, इस कारण उस के मोमे और ज्यादा बड़े और टाईट हो गए थे और वो तो जैसे ब्लाऊज़ को फ़ाड़ डालने वाले थे।
मैंने उसके ब्लाऊज़ के सारे बटन खोले और उसे उतार दिया। उसकी काली ब्रा में तो वो और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी। मैंने अपना फोन उठाया और वीडियो रिकार्डिग पर लगा कर उसे सामने की तरफ़ रख दिया कि हम जो भी करे वो सब रिकॉर्ड हो।
उस औरत के मोमे सच में खतरनाक थे। इतने बड़े और विशाल। मैं उन्हें मसलता और दबाता रहा और वो मस्ती में आहें भर रही थी। मैंने ज़ोर-ज़ोर से उन्हें खींचना शुरू किया और ज़ोर-ज़ोर से दबाना और ब्रा के ऊपर से ही चूसना भी। वो सेक्स में डूबी जा रही थी।
मैंने उसे उठाया तो वो खड़ी हो गई, मैंने उससे कहा- तुम अपनी आँखें खोल सकती हो।
वो मुस्कुरा रही थी। हम दोनों खड़े हुए और मैंने उसे कहा- तुम मेरे लन्ड पर बैठ जाओ, मैं पीछे से तुम्हारे मम्मे सहलाऊँगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं सीट पर बैठ गया, वो भी बैठ गई और मैं पीछे से उसके मोमे दबाने लगा। उसके साथ चुदाई की हरकतें करते-करते मुझे लगभग एक घंटा हो चुका था। मैंने उसकी ब्रा खोली और उस को मम्मों को आज़ाद कर दिया।
उससे कहा- मुझे दूध पीना है, अपने हाथों से पिलाओ।
तो वो सीट पर बैठ गई और मैं उसकी गोद में किसी छोटे बच्चे की तरह लेट गया और उसने अपने मम्मों के मोटे-मोटे थन मेरे मुँह में डाल दिए। मैंने कभी उन्हें चूसता तो कभी काटता और वो तड़प उठती। कभी एक तो कभी दूसरा मम्मा मैं चूसता रहा।काफ़ी देर बाद मैं उठा और कहा- तुम इस सीट पर लेट जाओ।
वो लेट गई और मैंने उसकी साड़ी, पेटीकोट और पैन्टी उतार कर उसे पूरा नंगा कर दिया और मैंने खुद अपने कपड़े भी उतार दिए।
“कोई आ न जाए, देख लो जरा सा आप भी।” उसने कहा।
तो मैंने बोला- कोई बात नहीं किसी को भी पता नहीं चलेगा, कोई नहीं आएगा। हम दोनों एकदम नंगे थे।
कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
[email protected]
प्रकाशित : 12 मार्च 2014
#मसत #छमय #शल1