मैं और मेरी मौसी की लड़की गौरी-2
जब मैने गौरी की बड़ी बहन रानी और बड़े भाई से सब गुप्त ज्ञान ले लिया तो मुझे भी चूत और गांड मारने की इच्छा होने लगी। अब बस मैं गौरी के बारे में ही सोच रहा था की किसी दिन वो मेरे पास सो जाए। क्योंकि गौरी की बड़ी बहन की बात मेरे मन में घर कर गई थी। अब तो गौरी मुझे और भी अच्छी लगने लगी थी। बस अब तो मैं गौरी की चूत को और गांड को मारना चाहता था। पर ऐसा हुआ नही। क्योंकि उसके मम्मी और पापा बहुत सख्त है।
दो साल बाद, एक दिन मैं गौरी के घर गया। गौरी घर पर अकेले ही थी। वो घर का सारा काम कर रही थी। उसने अपने स्कूल की ड्रेस पहन रखी थी सफेद स्कर्ट और सफेद कमीज़। कमीज़ कुछ हल्के कपड़े में थी इसी लिए ज़हाँ भी उस पर पानी गिरता वहीं से सब कुछ दिखाई देने लगता। अचानक उसके हाथ से मग्गा छूट गया। और उसके उपर पानी गिर गया तो मैंने देखा गौरी ने तो सफेद ब्रा पहननी शुरू कर दी है। उसने अपने उपर के दो बटन भी खोल दिए और मुझे उसने देखा भी पर मेरी हिम्मत नही हो रही थी। मैं तो बस इसी इंतज़ार में था कि किसी तरह गौरी मेरे पास सोए तो मैं उसके साथ कुछ करूं।
अब जैसे ही गौरी मग्गा उठाने के लिए नीचे झुकी तो उसकी कमीज़ भी गले से अलग हो गई और उसकी अंदर से सफेद ब्रा साफ दीख रही थी। मैं तो उसकी ब्रा देखता ही रहा क्योंकि ब्रा का साइज़ बहुत बड़ा था। क्योंकि उसकी चूची उस से भी बाहर आ रही थी। उसकी बड़ी और गोरी चूची और भी अच्छी लग रही थी। मन तो कर रहा था कि उसकी दोनो चूची को बहुत तेज़ दबाकर उन में भरा सारा दूध निकालकर पी जाऊं। लेकिन क्या करता मजबूर था कि कही वो शोर ना मचा दे।
उस रात मैं गौरी के घर पर ही रुका था। और उसके बड़े भाई के साथ ही सो रहा था और वो मुझे अभी भी गुप्त ज्ञान की बात बता रहा था। सुबह को जब मैं उठा और नहाने के लिए गया। तो गौरी की ब्रा कपड़ो पर पडी हुई थी। मैंने उसे उठाया सफेद ब्रा क्या लग रही थी। वो सूती कपडे की थी। और फिर उसे चूमा और फिर उसे अपने लंड पर भी घुमाया उसका साइज़ देखकर मैं तो दंग रह गया। उसका साइज़ 36”था। मैं नहा कर बाहर आया और अपने घर आ गया।
उसके बाद कई बार और कई जगह पर गौरी मिली पर मैं उससे इस बारे में बात नहीं कर सका। बस मैं ही जानता हूँ कि मैंने वो दो साल िकस तरह से बिताए। फिर मैं एक दिन गौरी के घर गया तो मैं, गौरी और मौसी रात को सोने के लिए ऊपर चले गये। वो दिन आज तक मुझको याद है। गौरी और मेरे बीच में मौसी सो रही थी। मैं तो बस अब इसी इंतज़ार में था कि किसी तरह हमारे बीच से मौसी हट जाएँ पर मौसी वही पर मुझसे बात करती रही और गौरी सो गयी। फिर मैंने भी मौसी से कहा के मुझे भी नीद आ रही है। और मैं सोने का बहाना करने लगा पर मुझे नीद नही आ रही थी।
फिर रात को एक बजे मौसी उठ कर नीचे चली गयी। मैं भी उठ कर नीचे देखने लगा और मैंने देखा की मौसी, मौसा के पास चली गयी। और उनकी खाट पर ही लेट गयी। मौसा मौसी के कपड़े उतार कर उन को चूम रहे थे। अब उन दोनो को देख कर मेरा लंड भी बहुत तेज़ झटकें मारने लगा। मैं गौरी के पास आया और उसे देखने लगा। गौरी आज भी स्कर्ट और कमीज़ में ही थी। मैं उसके पास ही लेट गया और उसकी कमीज़ के बटन खोलने लगा। गौरी ने दो बार मेरा हाथ हटाया पर आज का मौका मैं किसी किम्मत पर खोना नही चाहता था।
मैंने हिम्मत और डर के साथ उसकी कमीज़ के तीन बटन खोल दिए। अब उसकी ब्रा साफ दिख रही थी। सूती कपडे में ब्रा अच्छी लग रही थी और गौरी भी उस ब्रा मे अच्छी लग रही थी। र्मैं उसके बराबर मैं ही लेट गया और अपनी लूँगी उतार दी और धीरे से उसके हाथ में अपना लंड निकाल कर उसके हाथ पर रख दिया। और उसकी कमीज़ के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया। गौरी ने मेरा हाथ हटा दिया।
मैं कुछ देर सोचता रहा कि क्या करूं। फिर दोबारा से मैंने गौरी के ब्रा पर हाथ रखा अब की बार उसने कुछ भी नही कहा। मैं धीरे-धीरे उसकी चूची को दबाता रहा। फिर एक दम मुझको झटका सा लगा कि उसने मेरे लंड को पकड़ लिया मैं तो घबरा ही गया था। मैंने उसकी आँखो को देखा तो बंद थी। फिर मैं उसकी चूची को दबाने लगा उसके बाद मैंने अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड को उसके हाथ में पकड़ा कर हिलने लगा और दूसरे हाथ से उसकी स्कर्ट को उपर कर के उसकी कच्छी में हाथ डाल दिया। मैंने देखा कि उसकी चूत पर काटें से थे। मैंने उसकी चूत के उपर से हाथ फेरना शुरु कर दिया।
अबकी बार गौरी ने मेरे लॅंड को हिलाते हुए पकड़ लिया। मैने फिर उसकी आँखो में देखा, उसने आँख खोली और बंद कर ली। जैसे उसने कुछ देखा ही नही। मैं समझ गया था कि वो जाग चुकी है। पर सोने का बहाना कर रही है। अब तो मेरी हिम्मत ज़्यादा बढ गयी। मैंने उसकी कच्छी से हाथ निकाला और उसके और अपने उपर चादर डाली और उसकी कमीज़ को स्कर्ट से बाहर निकाला और कमीज़ के बाकी बचे हुए बटन भी खोल दिए और उसे अपनी तरफ कर के उसकी ब्रा को चूसने लगा अब उसे भी मज़ा आने लगा। उसने भी अपनी एक टाँग जाँघ तक मेरी टाँग के उपर इस तरह रख दी की मेरा लंड उसकी कच्छी के बीचो बीच चूत पर रहे। और फिर मुझे भी जोश चढा और मैं भी धीरे-धीरे झटके मारने लगा।
अब उसकी प्यासी चूत और मेरे प्यासे लंड के बीच बस उसकी कच्छी की नाम मात्र के लिए दीवार थी। मैं अपने लंड पर उसकी चूत और वो अपनी चूत पर मेरे लंड को महसूस कर सकती थी। फिर मैने उसके पीछे कमीज़ के अंदर हाथ डाला और उसकी ब्रा को खोल दिया। उसकी ब्रा अब ढीली हो चुकी थी। मैंने अपने मुंह से ही उसकी ब्रा को उपर किया। और उसकी चूची देखने लगा। मैने किसी लड़की की चूची पहली बार देखी थी। उसकी गोरी और बड़ी चूची मेरी आँखो के सामने बिल्कुल नंगी थी। मैं अब उसकी चूची को चूसने लगा उसके भी मुंह से एक दम सिश की आवाज़ निकल गई।
अब वो अपनी चूत से मेरे लंड पर ज़ोर देने लगी। अब मेरा लंड और भी मोटा और लंबा हो गया था। मैने अपने लंड को हाथ से पकड़ा और उसकी कच्छी पर बिलकुल उसकी चूत के छेद के उपर रखकर धक्का मारा। और कच्छी समेत मेरे लंड के अगले भाग का बहुत थोड़ा सा हिस्सा ही अंदर गया और वो आहा करने लगी। क्योंकि वो अभी तक किसी से चूदी नही थी इसी लिए उसकी चूत बड़ी ही टाइट थी। फिर एक दम से उसने मेरे लंड को अपने हाथ से अपनी चूत से बाहर कर दिया। और अपनी चूत पर हाथ रख लिया।
फिर मैंने उसकी चुची पीना शुरु कर दिया। मैं तो बस अब उसकी चूत मारना चाहता था। वो फिर गरम हो गई और सीधी हो कर लेट गई। मैंने उठकर देखा कि वो आँख खोले पड़ी है, वो बोली सोने दे ना। मैं फिर से लेट गया थोड़ी देर बाद मैंने देखा उसकी आँखो को देखा तो उसकी आँख थोड़ी थोड़ी खुल रही थी। फिर मैंने उसकी ब्रा पर धीरे से हाथ रखा। तो वो मेरी साइड करवट लेकर सोने लगी। मैं समझ गया कि वो दुबारा करना चाहती है। अबकी बार मैंने उसकी स्कर्ट उपर की और उसकी कच्छी उतारने लगा। पर उसने मेरा हाथ कच्छी से हटा दिया। मैंने फिर अपना एक हाथ उसके गोरे और मुलायम पेट पर फिराने लगा। मैं उसकी टूंडी के चारो तरफ अपने लंड को हल्के से रगड रहा था। फिर मैंने उसकी टूंडी में भी अपना लंड घुसाया और उसकी टूंडी को भी चोदा।
फिर मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था। अब की बार गौरी ने अपने आप ही मेरे लंड को पकड़ लिया। शायद उसे दर्द हुआ था। तो वो मेरे लंड की मोटाई देख रही थी। फिर उसने मेरे लंड को छोड़ दिया। फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी कच्छी पर ले जा कर उसकी चूत को सहलाने लगा। फिर मैं धीरे से उसकी कच्छी को उतारने लगा। अबकी बार मैंने उसकी कच्छी हाथ से पकड़ रखी थी। उसने फिर से मेरे हाथ को हटाना चाहा पर अबकी बार मैं पूरा तैयार था और मैंने अपनी पकड़ बिल्कुल भी ढीली नही की। उसने मेरी दो उंगली मोड़ भी दी। पर मैंने भी उसका हाथ अपने दूसरे हाथ से मोड़ दिया। और उसने ऐसे आहा की जैसे उसको बहुत दर्द हुआ हो।
फिर मैने उसकी आँखो में देखा की उसके आंसू आ गये हैं। पर मैंने कोई दया नहीं दिखाई और उसकी कच्छी उतारने की कोशीश करता रहा। उसकी कच्छी फट भी गई पर मुझे उसकी कच्छी नहीं आज उसकी चूत फाडनी थी। फिर मैंने उसके कान में भी कहा कि मुझे आज कोई तेरी चूत फाड़ने से नही रोक सकता पर वो आँख बंद करके पड़ी रही। और मेरा आज का इरादा भी समझ गई। फिर उसने अपने आपको ढीला छोड़ दिया। और अपना एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया। और उसे अपनी टूंडी पर धीरे-धीरे मलने लगी। जिससे कि मुझे बस यहीं से मज़ा आ जाऐं।
पर मेरा इरादा बदला नही और मैंने उसकी कच्छी को जाँघ तक नीचे कर दिया। फिर मैं उठा और उसकी चूत के और पेट के बीच में चूमने लगा। मैंने उसकी चूत पर हाथ भी फिराया था। तो मैंने अब देखा जो काँटे से थे वो उसके बाल थे। जो अभी-अभी निकल रहे थे। फिर मैं उसकी कच्छी को और नीचे करने लगा। तो उसने हल्की सी मुझे रोकने की कोशिश की पर मैने उसका हाथ हटा दिया। और उसकी कच्छी उतार दी। अब वो मेरे सामने नीचे से बिल्कुल नंगी थी।
फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। और कुछ देर में उसकी चूत से चिकना सा पानी निकल गया। मैंने सोचा कि वो झड़ गयी है। फिर मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और ज़ोर का धक्का मारा। मेरे लंड का अगला टोपा अंदर चला गया मुझे भी दर्द हुआ और उसकी चूत की दोनो तरफ की खाल मेरे लंड से चिपक गई। वो दर्द के कारण अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी। उसने अपनी चूत को छुडाने के लिए कई बार ऊपर उठाया तो कभी पीछे किया। मैं भी ऐसे ही करता रहा। वो अपनी चूत को ऊपर उठती तो मैं भी अपने लंड को ऊपर उठा देता और पीछे करती तो मैं लंड को आगे कर देता।
इसी चक्कर में उसे ऐसा झटका लगा कि मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया और वो चुपचाप से लेट गयी। क्योंकि अब उसकी सील टूट चुकी थी। और उसे दर्द हो रहा था। दर्द से मन ही मन कराहती रही। और मैं उसकी चूत में अपने लंड को डालने की कोशिश करता रहा। क्योंकि वो भी पहली बार चुद रही थी और मैं भी पहली बार चोद रहा था। ना ही तो मुझे पता था कि कैसे उसका दर्द बंद हो और ना ही उसे। फिर मैं थोड़ा सा थक सा गया था तो मैं रूक गया।
मैने उसकी चूत से लंड बाहर निकाला उस पर खून लगा था। मेरे भी खून निकल रहा था और उसके भी। उसने आँख बंद करके हाथ से ही खून पौंछने की कोशिश की पर उससे सही से पूंछा नहीं मैंने एक अख़बार उठाया और उसकी चूत पूंछने लगा। थोड़ा खून चादर पर भी गिर गया था पर डार्क कलर होने की वज़ह से दिख नहीं रहा था। फिर मैने जग से पानी लेकर चादर से भी खून साफ कर दिया।
अब मैंने घड़ी देखी तो चार बज गये थे। फिर मैंने देखा कि उसने अपनी चूत पर हाथ रख लिए है। मैं अपने हाथ से उसके हाथ हटाने लगा तो उसने हाथ रखे हुए दूसरी तरफ करवट ले ली। पर मुझे चैन नही था मैने उसको ज़बरदस्ती अपनी तरफ खींचा और वो बड़ी मुश्किल से सीधी हो गयी। मैं दोबारा से उसका हाथ हटाने की कोशिश करने लगा। अब उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर रख लिया। मैंने धीरे से उसकी चूत में उंगली कर दी। वो फिर तड़प उठी और जैसे ही उसकी हाथ की पकड़ ढीली हुई मैंने उसके हाथ हटा दिए। और उसके ऊपर चढ गया।
अब मेरा खड़ा लंड उसकी चूत पर था। मैंने अपने लंड को पकड़ा और उसकी चूत पर रगड़ा अबकी बार मैने ज़्यादा देर तक उसकी चूत पर रगड़ा और उसके चिकने पानी से अपने लंड को तर कर लिया था। फिर मैने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और ज़ोर से झटका मारा अबकी बार एक ही बार में मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में चला गया। अब मैं देख रहा था कि क्या गौरी अभी भी सोने का बहाना कर रही है। जी हाँ, गौरी ने अभी भी अपनी आँखे बंद कर रखी थी। और थोड़ी-थोड़ी टिमटिमा रही थी।
फिर मैने धक्के लगाने शुरु किए। और गौरी को दर्द भी नहीं हुआ था। अब बीच-बीच में वो भी मेरा साथ दे रही थी। धीरे- धीरे मैं अपनी स्पीड बढा रहा था। फिर मैं अपने लंड को पूरा अंदर बाहर करने लगा अब तो गौरी को भी मज़ा आ रहा था फिर गौरी के मुंह से सी सिश आ आहा निकलने लगा मगर धीरे-धीरे लंड गौरी की चूत से निकले पानी के कारण इतना चिकना हो गया था कि बिना रूकावट के गौरी की बच्चेदानी के मुंह पर ही चोट करता था।
गौरी झड़ चुकी थी। क्योंकि अब उसने मुझे कसकर पकड लिया था। जब वो पूरी झड चुकी थी तो उसने मुझे छोड दिया। और अब मुझे भी पता चल गया था की वो झड चुकी थी। क्योंकि अब वो मुझको हटाना चाहती थी वो अपने हाथ से मुझे पीछे कर रही थी।
तभी मैने पूरा ज़ोर लगया और लंड को एक ही झटके में उसकी चूत में कर दिया था। गौरी मुझे चाहकर भी नही हटा पाई। फिर वो बेबस सी हो गई। अब मै इस तरह ज़ोर ज़ोर से झटके मार रहा था कि लंड को पूरा बाहर निकाल कर पूरा अंदर करके उसकी चूत को मार रहा था। मुझे गौरी की बच्चेदानी का मुंह अपने लॅंड के आगे बार बार महसूस हो रहा था। फिर एक दम मेरे लंड से गौरी की चूत में पानी की धार छूट गई। उसी समय गौरी भी दुबारा झड़ रही थी।
फिर मैं गौरी से अलग हो कर उसके बराबर में लेट गया। गौरी की ब्रा, कमीज़ और स्कर्ट का नाडा अभी भी खुला हुआ था और गौरी की कच्छी भी उतरी हुई थी। गौरी सोच रही थी कि मैं ही उसे सही से कपड़े पहना दूँ पर अब मैं आँख बंद करके ऐसे पड़ा रहा जैसे कुछ देर पहले गौरी पड़ी हुई थी। मैं देखना चाहता था कि गौरी मुझे जगा कर कुछ पूछेगी या नहीं।
सुबह के करीब पाँच बज चुके थे। फिर गौरी अपने आप उठी और सबसे पहले उसने इधर उधर देखा। फिर उसने मेरे उपर चादर डाली और लेट गई लेटे-लेटे ही उसने अपनी ब्रा का हुक लगाया। मैं उसे आँख बंद करके देख रहा था। फिर उसने अपनी कमीज़ सही करी और उसके बटन भी बंद करे फिर उसने स्कर्ट ठीक करी और कच्छी पहनी। फिर वो चादर में अपनी गांड को मेरे लंड पर लगाकर लेट गई। जैसे ही उसकी गांड मेरे लंड पर लगी तो मेरा लंड खड़ा हो गया और उसके गांड के छेद में फस गया। अब मेरी उसकी गांड मारने की इच्छा होने लगी थी फिर उस दिन तो मैंने ऐसे ही उपर उपर झटके मारता रहा पर एक दिन मैंने उसकी गांड भी मार ही ली।
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