दूध का कर्ज
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा तहे दिल से प्रणाम !
मैं अन्तर्वासना की नियमित पाठक हूँ, यह मेरी पहली कहानी है, आशा करती हूँ कि आपको यह पसंद आएगी।
मेरी उम्र 40 वर्ष है, मेरे पति कुवैत गए हुए हैं, मैं मेरे घर पर अकेली रहती हूँ। मुझे सेक्स की बहुत भूख रहती है।
मेरे पड़ोस में एक लड़का रहता है, उसका नाम राहुल है। वह अक्सर मेरे घर आता रहता है, वह मुझे भाभी बुलाता है। वह जब भी आता है मेरे मम्मों पर ही अपनी नजर टिका कर रखता है। मुझे उसको इस तरह देख के बहुत गुदगुदी होती है।
एक दिन वह सवेरे सवेरे मेरे घर पर आया, मैंने जब दरवाजा खोला तो वह केप्री और बनियान में था।
मैंने उसको पूछा- कैसे आए? क्या हुआ?
उसने मुस्कुराते हुए कहा- भाभी, मेरे यहाँ दूध ख़त्म हो गया है, मुझे चाय बनानी है, थोड़ा दूध मिलेगा?
मैंने उसको कहा- बिल्कुल मिलेगा, अंदर आ जाओ !
वह अंदर आया, मैंने उसको सोफे पर बैठने को कहा, वह मुस्कुराते हुए सोफे पर बैठ गया।
मैं रसोई में जाकर उसके लिए एक ग्लास में दूध लाई, फिर उसके पास जाकर बैठ गई। मैंने गाउन पहना हुआ था जिसका गला थोड़ा बड़ा था। वह रोज की तरह मेरे मम्मे घूर रहा था। मैंने उसको केप्री की तरफ देखा उसका लंड खड़ा हो गया था, केप्री में उभार आ गया था।
मैंने उसको कहा- क्या सोच रहे हो?
तो राहुल बोला- भाभी, मैं यह दूध का कर्ज कैसे चुकाऊँगा? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मुझे जोर से हँसी आ गई, मैंने उसको कहा- राहुल अपने भाभी के दूध का कर्ज अपने घी से चुका देना !
यह बात राहुल को शायद समझ में नहीं आई। वह कुछ सोचते हुए थेंक्स कह कर अपने घर चला गया।
दूसरे दिन सुबह राहुल फ़िर आया। मैंने उसको पूछा- आज क्या हुआ? आज भी दूध ख़त्म हो गया क्या?
वह मुस्कुराते हुए बोला- भाभी, आज मैं दूध लेने नहीं, दूध का कर्ज चुकाने आया हूँ !
मैं हक्की बक्की रह गई, मुझे लगा कि पता नहीं अब राहुल क्या करेगा।
मैं कुछ जवाब देती उससे पहले राहुल अंदर आ चुका था।
मैंने उसको बोला- सही सही बोलो, राहुल क्या हुआ?
वह बोला- भाभी, मैं कल से परेशान हूँ, मुझे आपकी बात समझ में नहीं आई कि आपके दूध का कर्ज मैं घी से कैसे चुकाऊँ?
मुझे फिर जोर से हँसी आई, मैंने उसके पास जाकर बैठ कर उसको कहा- क्या राहुल? तुम तो एकदम भोले हो ! मैंने तो ऐसे ही मजाक मै बोला था। तुमने इतनी गम्भीरता क्यूँ लिया?
मैंने देखा कि वह फिर मेरे मम्मे घूर रहा है। मैंने उसको टोका- राहुल क्या देख रहे हो?
वह बड़ी बेशर्मी से बोला- कुछ नहीं भाभी, आपके ये बड़े मस्त हैं।
मैंने उसको डाँटा- क्या? थोड़ी तो शर्म करो ! मैं तुम्हारी माँ की उम्र से कुछ ही कम हूँ।
राहुल बोला- भाभी, माँ का दूध तो स्वस्थ्य के लिए लाभदायक है।
मैंने कहा- राहुल क्यूँ बहक रहे हो? तुम अभी छोटे हो।
तब वह केप्री और अण्डरवीयर उतार कर बोला- भाभी, एक बार इसको देख कर बोलो कि क्या मैं छोटा हूँ?
मैंने देखा कि उसका लंड तो पूरे सात इंच का है।
मैंने उसके लंड को पकड़ के कहा- राहुल, तू तो वाकयी में बड़ा हो गया है।
राहुल तो पूरा छटपटा गया, वह बोला- भाभी, अब रहा नहीं जाता ! प्लीज़ मुझे अपना दूध पिला दो, अपने मम्मे चूसा दो !
मैं हँसते हुए बोली- अरे बाबा, चूस लेना, इतना उतावला क्यूँ हो रहा है।
मैंने दरवाज़ा बंद किया और उसको बेडरूम में ले गई। मैंने फिर अपना गाउन उतारा, वह दोनों हाथों से जोर जोर से मेरे मम्मे दबाने लग गया।
मैंने उसको कहा- यह जोर लगाने की नहीं, प्यार से चूसने की चीज़ है।
अब राहुल पूरा मुझ पर सवार हो चुका था, वह मेरी चड्डी के अंदर हाथ डाल चुका था। मेरी योनि पूरी गीली हो चुकी थी।
फिर उसने मेरी चूत में अपना लंड डाला तो मुझे तो जन्नत का सुख मिल रहा था। वह जोर जोर से धक्के मार रहा था, मैं उसको उकसा रही थी और आखिर में उसने मेरी चूत में अपना घी डाल कर मेरे दूध का कर्ज चुका दिया।
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