सुबह की भूली – Antarvasna

सुबह की भूली – Antarvasna

मेरा नाम अंकित है, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, अपनी पहली कहानी लिखने जा रहा हूँ जो एक तरह से मुझे मेरे जीवन की दुर्घटना लगती है।

बात उन दिनों की है जब मैंने अपनी स्नातिकी की परीक्षा दी थी, नौकरी की तलाश में था और मैं ज्यादातर समय घर पर ही बोर होता था। मैं अपने घर में अकेला रहता था, पापा और मम्मी जॉब पर चले जाते थे और मैं घर में कंप्यूटर पर ब्लू फिल्में देखता था और हमेशा इस तलाश में रहता था कि कहीं से कोई लड़की पटा ली जाये जिससे मेरी सेक्स की जरुरत पूरी हो सके।

एक दिन घर पर पापा के पास चाचा जी का फ़ोन आया कि उनकी बेटी शिखा दिल्ली आ रही है मल्टीमीडिया का कोर्स करने के लिए, आप अगर उसको अपने पास रख लें तो उसको दिल्ली में कोई परेशानी नहीं होगी, कुछ दिनों बाद वो वहाँ तो खुद ही कहीं न कहीं घर ढूंढ लेगी।

इस पर मेरे पापा ने उन्हें कह दिया- वो जब तक चाहे हमारे यहाँ रह सकती है, हमारा घर भी बड़ा है, हमें कोई परेशानी नहीं है।

एक हफ्ते बाद मैं उसे लेने नई दिल्ली स्टेशन गया जहाँ मैं उसे देख कर दंग रह गया। गाँव की होने के बावजूद वो किसी भी शहर की लड़की को पीछे छोड़ रही थी, उसका फ़ीगर मुझे किसी मॉडल से कम नहीं लग रहा था और उसकी लम्बाई भी पांच फुट से ज्यादा थी। पर मैंने अपने आप को संभाला क्योंकि वो थी तो मेरी चचेरी बहन ही!

उसके बाद मैंने शिखा का सामान उठाया और ऑटो लेकर हम घर आ गए। पापा-मम्मी से मिलने के बाद वो थकी होने के कारण फ्रेश होकर आराम करने लगी।

फिर शाम को खाने के समय पर उसने खाना बनाने में मम्मी की मदद भी की क्योंकि गाँव की लड़कियाँ घर वालों का काम में ज्यादा हाथ बंटाती हैं।

फिर खाना खाने के बाद पापा ने कहा- अंकित, शिखा का सामान ऊपर अपने साथ वाले कमरे में रख दो, यह वहीं पर रहेगी। और शिखा अगर तुम्हें कोई परेशानी हो तो हमसे बतलाना, यह तुम्हारा अपना ही घर है और कहीं बाहर जाना हो तो अंकित को अपने साथ ले जाना क्योंकि यहाँ अभी तुम नई हो, यह वैसे भी खाली बैठा है।

इस पर वो हंसने लगी।

मैं उसका सामान ऊपर ले गया और उसे उसका कमरा दिखाया जिसमें सिर्फ एक पलंग और कूलर के अलावा कुछ भी नहीं था।

मैंने उससे पूछा- तुम नीचे हंसी क्यों थी?
तो उसने कहा- जब बड़े पापा ने तुम्हें मेरा बॉडीगार्ड बनाया इसलिए!

इस पर मैं भी हंस पड़ा, पर मैंने उसे बोल ही दिया कि दिल्ली में लड़कियाँ सुरक्षित नहीं हैं, लड़के उन्हें छेड़ने की कोशिश करते रहते हैं।
इस बात पर उसने कहा- गाँव में कई लड़कों को मैंने ठीक कर दिया है।
और वो मुझसे थोड़ी खुलने लगी।

मैंने पूछा- ऐसा क्या कर दिया उन लड़कों ने तुम्हारे साथ और तुमने उनके साथ?
वो बोली- कुछ नहीं, रहने दो उन बातों को और यह बताओ कि मैं टीवी कैसे देखूँगी? सोते वक्त मुझे टीवी देखने की आदत है।

हमारे घर में दो टीवी थे एक नीचे पापा के कमरे में और एक मेरे कमरे में! तो मैंने उसे कह दिया- या तो मेरे कमरे में टीवी देखने आ जाया करो या टीवी देखे बिना सोने की आदत डाल लो!

और फिर गुडनाईट कह कर मैं सोने चला गया और उसके बारे में सोचते हुए मुझे कब नींद आ गई पता भी नहीं चला।

अगले दिन एक अच्छे से इंस्टिट्यूट का पता लगा कर मैंने उसका दाखिला करा दिया और उसके बाद उसे दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर घुमाने ले गया जहाँ हमने काफी मजे किए। उसे वो जगह बहुत अच्छी लगी।

फिर शाम तक हम घर पर थे और मम्मी के आने से पहले उसने खाना भी बना लिया जिससे मम्मी को भी घर के काम से आराम मिल गया और अब वो रोज शाम का खाना बनाती थी हम सबके लिए।

इस बीच मेरी भी एक पार्ट टाइम जॉब लग गई और मैं अपनी जॉब पर ध्यान देने लगा। इस तरह दो महीने बीत गए और मैं और शिखा काफी अच्छे दोस्त बन गए थे जो सारी बाते एक दूसरे से शेयर करते थे पर एक लिमिट में।

एक दिन मैंने शिखा को एक लड़के के साथ बाइक पर देखा और मुझे शिखा के दोस्तों से पता चला कि क्लास के बाद वो उस लड़के के साथ घूमने भी जाती है।

फिर मैंने अपनी जॉब का टाइम बदलवा लिया और उस समय पर मैं घर पर होता था जब शिखा क्लास खत्म करके घर पर आती थी।

जब मैंने उसके लेट आने की वजह पूछी तो उसने एक्स्ट्रा क्लास का बहाना बना दिया पर मुझे उस लड़के के बारे में कुछ नहीं बताया जिसके साथ मैंने उसे देखा था।

मैंने उसे कुछ नहीं कहा।

एक दिन मैं जब सोफे पर बैठ कर अखबार पढ़ रहा था और शिखा घर में झाड़ू लगा रही थी तभी मैंने उसकी चूचियों के बीच में एक पैकेट सा देखा जो नीचे गिर गया पर उसे पता नहीं चला। वो मैंने उठा लिया वो एक कण्डोम का पैक था।

अब मैं सारी बात समझ गया था।

क्लास के लिए जाते समय वो जब उसे ढूंढने लगी तो मैंने पूछा- क्या कुछ ग़ुम हो गया है?
तो उसने जवाब नहीं दिया।
इस पर मैंने वो कण्डोम अपनी जेब से निकाल कर मेज पर रख दिया और उसने वो उठा लिया।

जब मैंने उससे इसके बारे में पूछा तो वो मुझ पर बरस पड़ी और मुझे धमकी देने लगी कि इस बारे में मैंने अगर किसी को कुछ बताया तो वो मुझे फंसा देगी यह कह कर कि मैं उसके साथ जबरदस्ती करता हूँ, मेरे मना करने पर अंकित मुझे बदनाम कर रहा है और मुझे सब शरीफ समझते है इसलिए सब मेरी बात को ही सच मानेंगे।

वक़्त की नजाकत समझते हुए मैंने उसे कुछ नहीं कहा और जाते हुए मुझे वो यह भी बोल गई कि मेरे दोस्तों से तुमने जिस लड़के के बारे में सुना है वो मेरा बॉयफ़्रेन्ड है और आज मैं उसके घर जा रही हूँ उसके साथ सेक्स करने! बड़े दिनों बाद आज मुझे मौका मिला है जो मैं खाली नहीं जाने देना चाहती।

शाम को वो जब घर आई तो थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी क्योंकि पहली बार सेक्स करने के बाद लड़की को चलने में थोड़ी तकलीफ होती है ऐसा मैंने सुना था।

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?

तो वो अपने कमरे में चली गई बिना कुछ कहे और शाम को खाना भी नहीं खाया। उसके बाद मैं अपने कमरे में सोने चला गया पर मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैं उसी के बारे में सोच रहा था कि किस तरह उसने सेक्स किया होगा, उसे कितना मजा आया होगा और अब मैं भी सब कुछ भूल के उसके साथ सेक्स करना चाहता था, मैं बस उसे चोदना चाहता था।

तभी मेरे कमरे का दरवाज़ खुला, सामने शिखा खड़ी थी अपनी नाईटड्रेस में!
वो अन्दर आ गई और दरवाज़ा बन्द कर दिया।

इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता वो मेरे लगे लग गई और अंकित सॉरी कह कर मुझे चूमने लगी।

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि जो लड़की दिन में मुझे फ़ंसाने की बात कर रही थी, वो रात को मेरे कमरे में मुझे चूमे जा रही है।

शिखा ने कहा- तुम जानना चाहता हो ना कि मेरे बॉयफ़्रेन्ड के घर पर क्या हुआ था? पहले वो मेरे ओंठों की चूमता रहा और मैं उसके!
वो ऐसा ही मेरे साथ करने लगी।

फिर उसने कहा- अंकित, फिर उसने मेरे चूचे दबाने चालू किये! उसके बाद मेरा कमीज उतार कर मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे चूचे दबाए, फ़िर मेरी ब्रा खोल दी।
और मैं भी उसी तरह किए जा रहा था जैसा शिखा बोल रही थी।

उसके चूचों का आकार देख कर मेरा लण्ड मेरी पैंट फाड़ने लगा।
फिर उसने कहा- इतने में दरवाजे की घण्टी बज गई और उसकी मम्मी आ गई।
फिर मैं अपने कपड़े समेट कर वहाँ से भागने लगी जिससे मेरी टांग में मेज से चोट लग गई!
और यह कहते हुए उसने खुद ही नीचे के कपड़े भी उतार दिए और अपने टांग पर लगी चोट मुझे दिखाने लगी। अब वो मेरे सामने सिर्फ पैंटी में थी और मैं पूरे कपड़ों में!

फिर मैंने उससे कहा- आज मैं तुम्हारे और अपने दोनों के जिस्म की भूख मिटा दूँगा। पर यह काम थोड़ा पहले भी हो सकता था अगर तुम मेरा साथ देती तो! चलो देर आये दुरुस्त आये!

उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे लौड़े को हिलाने लगी। मैंने उसे मुँह में लेने को कहा तो उसने मना कर दिया पर मैंने बुरा नहीं माना और उसे उठा कर पलंग पर ले गया। मेरा लण्ड उसकी गांड पर रगड़ खा रहा था।

पलंग पर मैं उसके चूचों को चूसने लगा और जोर जोर से अपने हाथों से दबाने लगा। उसके चूचे लाल हो गए थे और उसे दर्द होने लगा जिस पर वो बोली- अंकित, तुम सुबह का बदला तो नहीं ले रहे मुझसे? मैं पहले ही सॉरी बोल चुकी हूँ तुम्हें!

मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है, बस पहली बार इतना सुंदर सामान मिला है इसलिए कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा हूँ!

और मैं उसकी चूत पर अपना लण्ड रगड़ने लगा और एक हाथ से उसकी चूची मसलने लगा। मैंने भी ब्लू फिल्मों में चूत चाटते देखा था जिससे लड़की को जोश चढ़ता है पर जानबूझ कर मैंने भी उसकी चूत नहीं चाटी क्योंकि उसने मेरा लण्ड चाटने से मना किया था।

फिर मैं उसकी टांगों के बीच आ गया और अपना लण्ड उसकी बिना बालों वाली चूत के छेद पर रख दिया और उसको चूमने लगा।

पर वो तो अन्दर डलवाने के लिए तड़प रही थी और अपने चूतड़ों और चूत को ऊपर उठा रही थी कि मेरा लण्ड उसमें घुस जाये पर मैं उसे और ऊपर कर ले रहा था जिससे उसकी चूत और मेरा लण्ड के बीच दूरी बन जा रही थी। मैं उससे पिछले दो महीनों का बदला ले रहा था।

वो रोने लगी- प्लीज़, इसे अंदर डाल दो!
मैंने इस पर एक शर्त रखी कि उसे मेरा लण्ड अपने मुँह में लेना होगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
वो मान गई पर बोली- इस अंदर डालने के बाद दूसरी बार करेंगे!
तब मैंने कहा- जान पहले पहली बार तो झेल लो!

और अपने लण्ड पर उसका दिया हुआ कंडोम चढ़ा कर उसकी चूत में घुसाने लगा पर लण्ड अभी थोड़ा सा ही अन्दर गया था कि उसने मुझे अपने ऊपर से धकेल दिया और बोली- दर्द हो रहा है! मुझे नहीं करवाना यह सब!

फिर मैंने उसे समझाया- पहली बार थोड़ा दर्द होता है, उसके बाद कुछ नहीं होगा। और कभी ना कभी तो यह करना ही है तो आज ही क्यों नहीं!
और मैंने कहा- अब मैं इससे भी धीरे करूँगा, तुम्हें कोई दर्द नहीं होगा।

पर मेरे मन में कुछ और ही था और मैं उसको लिटा कर उसकी टांगों के बीच में आ गया। वो पहले वाला कण्डोम फट गया था, उसने मुझे दूसरा दिया पर मैंने उसे यह कहकर मना कर दिया कि इसे लगाने से ज्यादा दर्द होता है, और कुछ होगा तो मैं देख लूँगा।
और वो बिना कण्डोम के ही मेरा लण्ड लेने को तैयार हो गई।

मैंने अपनी टाँगें उसकी टांगों में लपेट ली, अपने हाथों से उसके हाथ पकड़ लिए और उसके ओंठों को चूसने लगा और अपने लण्ड उसकी चूत के छेद पर लाकर एक बारी में पूरा अन्दर दे दिया।

उसकी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी जिसका मुझे थोड़ा फ़ायदा हो गया और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर समा चुका था। इस बीच शिखा ने मुझसे छुटने की काफी कोशिश की पर मेरी पकड़ के आगे सब बेकार था, मैंने उसके ओंठ चूस कर उसे चिल्लाने का कोई मौका भी नहीं दिया, थोड़ी देर तक उसके ऊपर लेटा रहा और पूछा- मजा आ रहा है?

पर उसने कहा- छोड़ दो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है!
पर मैंने कहा- अब दर्द नहीं, मज़े की बारी है! थोड़ी देर और रुक जा!
और मैं धीरे धीरे झटके मारने लगा। थोड़ी देर बाद वो भी सामान्य हो गई और और नीचे से उछल-उछल कर मेरा साथ देने लगी।

करीब बीस मिनट बाद हम दोनों झड़ गए और मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में खाली कर दिया।
उसके बाद उसने मेरा लण्ड भी चूसा और मैंने उसकी चूत भी चाटी और रात में चार बार सेक्स किया।
अगले दिन मैंने उसे दवाई लाकर दे दी जिससे बच्चा ठहरने का डर ना रहे!

और इस तरह उसके साथ हर रोज या एक दो दिन छोड़ कर मैं सेक्स करने लगा और इस बीच उसकी गलती की वजह से मैं दो बार उसका बच्चा भी गिरवा चुका हूँ।

उसका कोर्स ख़त्म होने के बाद अपने गाँव जाने की जगह उसने यहीं पर नौकरी शुरू कर दी है और मेरे साथ ही रहना चाहती है और मुझे कई बार घर से भाग चलने को कहती है पर मैं ऐसा नहीं कर सकता, मैं घर में अकेला हूँ, मैं अपनी मम्मी-पापा को छोड़ कर नहीं जा सकता और इससे पीछा छुड़ाना चाहता हूँ।

मैं यह करके रहूँगा, ये मेरे जैसे शातिर दिमाग के लिए कोई बड़ी बात नहीं है।
आपको मेरी ज़िन्दगी की घटना कैसी लगी, मेल करके बताएँ!
मुझे आपकी मेल का इंतज़ार रहेगा।
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