माँ की गांड मारी बेटी के सामने
राज ने दिव्या की चूत में अपनी ऊँगली डाली और वो उसे अन्दर बहार कर रहा था. दिव्या की सिसकियाँ निकल रही थी. और उसके हाथ में राज का मोटा लंड था. स्टोर रूम के अन्दर घेहूँ की बोरियों के पीछे दोनों एकदम नंगे थे और उनके कपडे दिवार के सहारे पड़े हुए थे.
वैसे रिश्ते में राज और दिव्या दोनों कजिन हैं. और दोनों के बिच में ये इन्सेस्ट सबंध कुछ 3 साल से चल रहा था. एक बरसात की रात को दिव्या ने भाई को पोर्न देखते हुए पकड़ लिया था. और तब पहली बार दोनों के बिच में सबंध हुआ था. राज का मोटा लंड उस से उम्र में 4 साल बड़ी दिव्या को इतना भा गया की उसने भाई को फुल टाइम बॉयफ्रेंड ही बना लिया.
लेकिन आज जो होना था उस से दोनों अनजान थे. दिव्या की बड़ी चुचियों को पकड़ के राज मसल ही रहा था. दोनों बहुत समय से एक दुसरे की बदन की जरूरतों को पूरा कर रहे थे. और अब वो दोनों इतने कोंफिडेंट हो चुके थे की गलती हो गई उनसे. आज दिव्या राज के बाद कमरे में आई थी. और स्टोर रूम का दरवाजा उस से खुला रहा गया था.
दिव्या की माँ रजनी जी बाजरा लेने के लिए जैसे ही स्टोर रूम का दरवाजा खोल के घुसी तो दोनों की गांड फट के हाथ में आ गई. दोनों एक दुसरे को किस करते करते जहाँ कपडे निकाले थे वहां से भी बहुत दूर आ चुके थे. दिव्या ने बोरियों के पीछे छिपना चाहा. लेकिन रजनी तब तक अन्दर आ गई थी. और उसने राज को साइड में छिपते हुए देख लिया और उसका लटकता हुआ लंड भी देख लिया.
वो सीधे ही राज के पास आ खड़ी हुई और बोली, राज तुम यहाँ इस हालत में क्या कर रहे हो?
वो कुछ और कहती उसके पहले उन्होंने बोरियों के पीछे छिपी हुई दिव्या की गांड भी देख ली. शाहमुर्ग के जैसे मुहं और बॉडी को ढंक के दिव्या को लग रहा था की वो किसी को नहीं दिख रही हैं. रजनी आंटी सब खेल समझ गई. और वो सीधे ही दिव्या के पास गई. उसके बाल नोंच के खिंच के उसने अपनी बेटी को बहार निकाला. और वो बोली.
रजनी: तो यहाँ तुम काला मुहं करवा रही हो अपना,. चुड़ैल इसी दिन के लिए क्या तुझे पढ़ाया लिखाया था की तू घर में ही रंडी बन जाए.
राज: सोरी आंटी प्लीज जाने दीजिये.
रजनी: तू चुप कर बे, साले हरामी अपनी बहन को चोदते हु शर्म नहीं आई तुझे. साले यहाँ के अनाज को अपनी वासना से सडा दोगे तुम लोग, तेरे पापा को बोलती हूँ आज मैं.
राज सन्न रह गया. वो एक मिनिट के लिए कुछ नहीं बोला. तब तक रजनी ने दिव्या को और उसको बहुत सब गालियाँ दे दी. अब राज की सब्र का बाँध टूट गया. उसने कहा.
राज: साली रंडी हमें भाषण दे रही हैं, और तो जो घर के नोकर से खड़े खड़े चुद्वाती हैं उसका क्या, साली तू बड़ी रांड हैं और अंकल को मुझे सीडी दिखानी पड़ेगी तेरी क्लिप की. साली रांड मैंने तुझे चुद्वाते हुए देखा तभी एमएमएस बनाया था मैंने. अब अंकल को दिखाऊंगा तो वो भी समझ लेंगे की तू क्या हैं. वैसे हमारे खिलाफ तेरे पास कोई सबूत नहीं हैं. मैं कह दूंगा की तुझे पकड़ लिया इसलिए तू हमारे ऊपर इल्जाम लगा रही हैं.
रजनी आंटी की हालत खराब हो गई. क्यूंकि राज ने जो कहा वो बात भी सच थी. घर के नोकर गोविन्द काका उसके बुर का भोसड़ा बनाता था वो राज ने देख लिया था. रजनी आंटी का ऊंट पहाड़ के निचे आ चूका था. राज ने कहा: अब बोलना मादरचोद, बोल तू बताती हैं सब को हमारे बारे में या मैं जा के बोल दूँ.
दिव्या: राज जाने दो प्लीज़.
राज: नहीं अब इस बड़ी रांड को बोलना पड़ेगा, अभी एक मिनिट पहले तो बड़ी सावित्री बन रही थी हरामजादी.
दिव्या: जाने दो राज, शी इज माय मोम!
राज: फक हर, बोल ना साली कुतिया.
राज ने दिव्या के मुहं के ऊपर हाथ रख दिया ताकि वो कुछ बोल ना सके. रजनी आगे बढ़ी और वो राज और दिव्या के कपडे ले के आई. उसने राज को कपडे दिए लेकिन राज का गुस्सा सातवें आसमान के ऊपर था. वो बोला: साली छिनाल मुझे कपड़े मत पहना, चल अब नंगी हो वरना अब मैं तेरा भांडा फोड़ दूंगा!
रजनी की हालत ऐसे थी की उसका खून जैसे सूख चूका था. दिव्या का मुहं छोड़ा तो वो बोली, कम ओन राज, लिव हर अलोन.
राज: नो, आई विल फक हर एस टुडे! धिस बिच वेंट टू फार इन अब्युसिंग मी.
रजनी: प्लीज़ बेटा जाने दो, मैं किसी को कुछ नहीं कहूँगी.
राज: साली मादरचोद कपडे निकाल वरना रेप कर दूँगा कुतिया कही की.
रजनी ने दिव्या को देखा. दिव्या भी लाचार थी. वो कहा जाती. एक तरफ सिर्फ उसकी बदनामी थी लेकिन अब तो उसकी माँ भी सब में बदनाम हो रही थी. उसने आँखे फेर ली. रजनी के पास अब कुछ और करने को नहीं था.
रजनी ने अपनी साडी के पल्लू को हटाया. उसके बूब्स जवानी में बड़े थे. लेकिन अब ढलती हुई उम्र में उसके अन्दर भी टेढ़ापन आ गया था जैसे. निपल एकदम ब्लेक हो गए थे और बूब्स एकदम निचे की और झुके हुए थे. ब्लाउज ना भी पहने तो कोई दिक्कत नहीं थी. ब्लाउज के बटन खोल के वो ब्रा खोल रही थी. दिव्या के माथे को पकड़ के राज ने उसे अपने लंड की तरफ धकेला और बोला, सक इट बेबी.
दिव्या राज का लंड चूसने लगी. और उधर उसकी माँ ने अपने बदन के बाकी के कपडे भी खोल दिए. रजनी आंटी की चूत ऐसी थी जैसे कबूतर का बड़ा घोंसला हो. उसकी झांट शायद कितने बरसो से बनाई नहीं गई थी. वही हालत पीछे भी थी. गांड के होल के ऊपर तो बाल थे ही, कमर के निचले हिस्से में भी बाल उग निकले थे. राज ने रजनी आंटी को पकड़ के दिव्या के पास बिठा दिया.
और फिर उसने दिव्या के मुहं से लंड को बहार निकाला. रजनी आंटी बेचारी कुछ कहना चाहती थी. जैसे ही उसने मुहं खोला राज ने लंड ठूंस दिया. और बाल पकड के मुहं को एकदम फास्ट फास्ट चोदने लगा. रजनी का मुहं दुखा दिया था उसने. रजनी के बाल खींचने से उसे दर्द भी हो रहा था. लेकिन वो कुछ कह न सकी और अपना मुहं चुद्वाती रही.
राज बड़ा गुस्से में था और वो कस कस के रजनी के मुहं को फक फक चोदता रहा. दिव्या साइड में खड़ी हुई अपनी माँ की बदहाली को देख रही थी. रजनी देवी के मरे हुए से बूब्स हवा में पुरे ऊपर निचे होते थे जब राज का धक्का आता था. और उसका बूढ़ा सा मुहं लंड के सुपाडे और डंडे से जैसे पूरा भर चूका था. उसकी आँख में नमी थी जो आंसू ही थे.
दिव्या को माँ की दया आ रही थी. लेकिन उसकी इस हालत की वो खुद ही जिम्मेदार थी. लेकिन उसके दिमाग में एक बात चल रही थी की राज कहता हे की माँ नोकर का लंड लेती हैं. लेकिन अभी उसकी माँ जैसे मज़बूरी में लंड को चूस रही थी.
अब राज ने रजनी को घोड़ी बना दिया और उसकी गांड के ऊपर जोर जोर से तमाचे लगाए. रजनी कराह रही थी. उसने दोनों हाथ से घेहूँ की बोरिया पकड़ी हुई थी. और राज ने पीछे गांड के ऊपर हाथ मार के वो बोला, चल गांड खोल इसकी दिव्या!
दिव्या ने मजबूर में गांड खोल दी माँ की. और राज ने बिना किसी नोटिस के अपने लंड को एकदम से रजनी की बूढी गांड में घुसेड दिया. दर्द की वजह से रजनी तडप के रह गई. उसकी गांड में पूरा लंड तो नहीं घुसा था लेकिन फिर भी वो जैसे फट के हाथ में आ गई थी. राज और जोश में आ गया और उसने दिव्या को किस किया और एक धक्के में पुरे लंड को गांड में डाल दिया.
रजनी अब रोने लगी थी. लेकिन राज को फिर भी दया नहीं आई. 5 मिनिट कस के गान मारने के बाद राज ने अपना पानी रजनी की गांड में ही निकाला. रजनी थक के निचे गिर पड़ी. राज ने अपने पाँव से उसके कपडे उसकी तरफ फेंके. और वो बोला,
राज: चल जल्दी से कपडे पहन के दरवाजे के ऊपर पहरा दे, अब मैं तेरी बेटी के साथ कुछ देर प्यार करूँगा.
रजनी ने रोते हुए कपडे पहने और आंसू पौंछ के वो दरवाजे के ऊपर पहरा देने चली है!!!
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