मेरी कामुक बीवी बनी प्राइवेट रण्डी

मेरी कामुक बीवी बनी प्राइवेट रण्डी

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम प्रमोद और उम्र ३८ बर्ष है. मेरी बीवी की उम्र ३५ और नाम रेणु है. वो काफ़ी खूबसूरत और सेक्सि औरत है. वो अक्सर सारी ब्लाउज पहनती है, जिसमे वह बहुतही सेक्सी दिखती है. हमारे सादीको ८ बर्ष हो चुके थे और हम पिछले ८ बार्षोसे मस्त चुदाईका मज़ा लूट रहे हैं लेकिन अभी तक कोई बच्चा नही हुवा था.
वह साडी हमेशा अपने नाभिके नीचे बांधती है जिससे उसकी पेंडूका कुछ हिस्सा हमेशा दिखता रहता है जो किसी भी मर्द को आकर्षित करने के लिए काफ़ी है. बड़े गले के ब्लाउजसे झाँकती उसकी बड़े बड़े परन्तु टाइट चूंचियाँ किसिभि मर्दको पागल बना देनेके लिए काफ़ी हैं. एक तो सेक्सी सुडौल गदराई बदन और उपरसे उसका बनाव श्रीन्गर किसिको भी मोहित करलेने केलिए काफ़ी हैं. वह जब कभी घरसे निकलती है पुरे बन ठन कर ही निकलती है. हाथ और पाँव के नाख़ून नेल पालिस से रंगे हुवे, कलाईयों मे आकर्षक चूड़िया, बाँह हथेली और पाँव मे मेहंदी रची हुई, गलेमे सोनेक चैन से लटकता हुआ नेक्लेस जो चूंचियों पर ठोकर मार मार कर राह चलते मर्दोंको इन्हे देखने, छूने, मसलने, चुमने और चाटनेका खुला निमंत्रण देते हुवे प्रतीत होते हैं. होंठो पर रची गहरी लिपस्टिक, माथे की बिंदी और माँग मे भरी सिंदूर उसके सेक्स अपील को और बढ़ा देते हैं. जब चलती है तो उसके गांड बड़े मादक अंदाज़ मे मटकते रहते हैं और उसकी चूंचिया ऐसे फुदकटी रहती हैं की किसि भी रह चलते मुशाफिरका लंड खड़ा हो जाए. वो देखनेमे जितनी सेक्सी है चुदनेमे भी उतनी ही कामुक है. चुदवाते वक्त वो बड़ी सेक्सी आवाज़ निकलती और गाँड उछाल उछाल कर चुदवती है.
चोदाई करते हुवे हम अक्सर सेक्सी बातें करते रहते हैं. पहले उसे चोद्ते वक़्त मै उसकी बहन मेनू के बारेमे बोलता रहता था, कहता की उसकी चूंचिया क्या मस्त हैं, बुर क्या फूली हुई और टाइट है. सुरुवती वक़्तमे वो चिढ़ती रहती थी और मुझे गंदी गलियाँ बकने लगती थी जिससे मेरा उत्तेजना और बढ़ जाता था और मै उसके बुरमे और कस कासके धक्के मारने लगता था. वो मस्त हो जाती थी और खूब गाँड उच्छाल उच्छाल कर पेलवाने लगती थी. शुरू शुरूमे ऐसी बातें ज़्यादातर मै ही किया करता था और मेरे बातोंका असर सीधा उसके बुर पर पड़ता था और हमे चोदाईका कुछ अलग ही आनंद मिलता था. चोदते वक़्त मै अक्सर उसे गन्दी गालियां बकता रहता था जैसे रण्डी, भोंसड़ी, छिनाल, वगैरा वगैरा. बादमे वो भी धीरे धीरे खुलने लगी थी और हमारे चोदाईके दरमियान अपने बहन मेनुका नाम लेने लगी थी. कहती की सोंचोकी तुम्हारा लंड मेनुकी बुरमे जा रहा है और तुम उसे गाचा गच चोद रहे हो. मै एकदम मस्त हो जाता था और मेनु के बारेमे सोंच सोंचकर अपनी बीवी रेणुके बुरमे हचा हच अपना लंड पेलने लगता था. वो अपने बहनका रोल प्ले करते हुवे कहती की हाए जीजू और कासके पेल … और .. और … और कासके. हाए पूरा लॉडा घुसेड दो … जीजू …. जीजू … और अंदर … और अंदर पेलो. चोद साले … चोद और कस कासके चोद…. इस तरह हम दोनो की मस्ती बढ़ती जातीथी और मै पूरे ताक़त से रेणु की बुरमे हुमच हुमचके पेलने लगता था और उसके बुरसे भी पानी निकालने लगता था जिससे हर धक्के के साथ चुभुर चुभुरकी आवाज़ निकालने लगती थी और बहुत मज़ा आता था.
लेकिन कोई भी फंटासी कितने दीनो तक काम आएगी. धीरे धीरे इन बातोंका असर घटने लगा तो एक दिन मै चोदाई करते वक़्त एक नया फंटासी आजमाया. रेणु के बुरमे अपना लंड डालते हुवे अचानक बोला की हाय भोंसड़ी किससे पेलवा रही है रे. तेरे बुरको हर रोज़ मै इतना जमके चोदता हूँ पर तेरे बुरकी ख़ाज़ नही मिटती है जो अपने भतारको छोड कर अपने यार का लंड पेल्वा रही हो? मेरी इन बातोंका असर उसपे ऐसा पड़ा कि उसकी कमर अचानक जोर जोरसे उछलने लगा और ऊसके बुरमे पानी भर गया. वो एकदमसे मस्त होगयी और मुझे जोरसे भींच कर मेरे होंठोंको चुमते हुवे बड़ी मस्त होकर चुदवाने लगी. मुझे भी काफी मजा आरहा था, इतना मजा जो पहले कभी नहीं मिला था. मै सोंचने लगा कि सायद ये किसी औरका लंड अपने बुरमे डलवाकर मज़ा लुटना चाहती है. मैंने ऊसके मनको टटोलने के लिए पुछा हाय साली यारके नाम हि से इतना मस्त हो रही हो तो अगर संचमुच वो अपना लंड तेरे बुरमे घुसेड़े तो क्या हाल होगा तेरे मस्ती का? इस पर वो बोली अबे भोंसड़ीके अभी जोर जोरसे मेरे बुरको बजा ये बात बादमे कर लेना. हाय पेलो और कास कसके पेलो. आज तेरा लंड छोटा क्यों लग रहा है और जोर से ठोक साले. चोद … हुमच हुमच्के चोद. चोद चोदके फाड़दो मेरा बुर. आह मेरे बुरको भोंस्डा बना दो. हुंको … और … और ….. और ……
मैंने बोला ले साली रंडी ले पूरा लंड अपने चुतमे. और खूब तेजिके साथ अपना पूरा लंड ऊसके बुरमे ताबड तोड़ गचा गच पेलने लगा. मै जिस रफ्तारसे लड़ पेलता वो उसी रफ्तारसे अपनी चुतड उछाल कर मेरे हर धक्कोंका भरपुर जवाब देती जारही थी. ऊसके बुरसे फचर फचर का आवाज़ आरहा था. वो जोर जोरसे चिल्ला चिल्लाकर चोदवा रही थी और मै घचा घच चोद रहा था. इसी तरह करीब दस मिनटके ताबड तोड़ चोदायीके बाद दोनो एक साथ खल्लाश होकर एक दुसरेको भींचे हुवे काफी देर तक पड़े रहे.

जब हमारी हालत सामान्य हुवा तो मैंने पुछा ‘क्या बात है यारके लंड़का नाम सुनते ही तुम्हारी चुत एक दमसे पगला गई थी? कौन है तेरा यार जिससे तुम चुदवाना चाहती हो?’
वो बोली, ‘अभी कोइ है तो नही, लेकिन अगर तुम बुरा नमानो और कोई मोटे लंडवाला मिल जाएतो मज़ा आजाए. वैसे तुम भी तो मेरे बुरमे मेरे यारके लंडके ख्यालसे एकदम मस्त होकर सांढ जैसे चोदने लगे थे. क्या तु चाहता है कि कोई अन्य मेरे बुरमे अपना मोटा लंड पेलकर चोदे.’
मै, ‘तु अगर चाहोतो मुझे कोई ऐतराज़ नही है, हां परंतु या तो तुम मेरे सामने चुद्वावोगी या फिर अपनि चुदायिकी पुरी कहानी खुलकर बयान करोगी और … अपनी बहन मेनु या मेरे मनपसंद अपने किसी मस्त सहेलिको चोदनेका मुझे भी अवसर प्रदान करनेमे मेरा सहयोग करोगी तब.’
रेणु मेरी पत्नी, ‘ठीक है दोनो मिलकर कुछ सोंचते हैं.’
मै, ‘तु बता तेरे खयालोंमे कौन है?’
रेणु, ‘कोई खास तो नही लेकिन मेनुका देवर मनोज कैसा रहेगा? मैंने सुना है कि वो अपने भाभी मेनुको भी चोदता है और उसका लंड काफी बड़ा और मोटा है. इस तरह उसके मदतसे हम दोनोका कम आसन होसकता है, मेरे बुरको मोटा लंड और तेरे लंडको अपने सपनोकी शहजादी मेनुकी चौड़ी चुतका स्वाद मिल जायेगा.’
मै, ‘तुम्हारी बातोंमे दम तो है लेकिन ये होगा कैसे?’
रेणु, ‘यह तुम मुझ पर छोड़ दो. मेनु बोल रही थी मनोज किसी कामसे एक महिनेके लिए इधर आनेवाला है. उसके ठहरनेके ठिकानेके बारेमे वो बात कर रही थी.’
मै, ‘बहुत खुब लगता है तुम्हारा काम जलदि ही बनने वाला है. महीने भर उसके मोटे और लम्बे लंद्से चोदवा चोद्वाकर तेरा बुर भोंस्डा और तु कामुक घरवालिसे चोदाक्कड़ रण्डी बन जाएगी, परन्तु मेरा क्या होगा?’
रेणु, ‘कुछ दिन तुम हमारे साथ ही मौज उडाना. सुरुके दिनोमे छुपकर मुझे रण्डी कि तरह चोदवाते देखनेका अपना हसरत पुरा कर लेना. उससे चोद्वानेके बाद मै तेरे लंड़का गर्मी झाडती रहूंगी, बादमे कुछ ऐसा प्लान बनायेंगेकी एकही बेड पर तीनो एक साथ मज़ा लुटेंगे और किसी बहाने मै मेनुको भी इधरही बुलानेका जोगाड़ सोंचती हूँ फिर चारों मिलकर मौज करेंगे.’
मै, ‘चलो ठीक है.’
रेणु फिरसे गरम होने लगी और मेरे लंडको पकड़ते हुवे बोली, ‘हाय लगता है अब कुछ खास होनेवाला है.’
मै भी धीरे धीरे उत्तेजित होने लगा था. मैंने रेणुकि एक चुंचिको एक हाथसे कसकर मसलते हुवे दुसरे हाथका उंगली गच्से उसके बुरमे पेलते हुवे कहा, ‘हां लगता है अब जरुर कुछ खास होकर रहेगा.’
रेणु, ‘तो सुरुवात कसे किजाय?’
मै रेणुके होंठोंको चुमते हुवे बोला, ‘मेनुसे बोलदो मनोज हमारेही घरपर जब तक चाहे रह सकता है और ये भी पुछलो कि वो कब आरहा है.’
बड़ी जबरदस्त ढंगसे मुझे किस करते हुवे मेरे लंडको जोरसे दबाते हुवे बोली, ‘हाय मेरे पेलु भतार मै अभी सेटिंग मिलाती हूँ.’
उसने तुरन्त मेनु का नंबर डायल किया और सामान्य फोर्मालिटी के बाद पुछा, ‘तु मनोजके आनेके बारेमे बोल रही थी. वह कब आना चाहता है?’
मेनुने कुछ कहा जिसे सुननेके बाद रेणु बोली, ‘तुम उसके ठहरनेका चिन्ता छोड़दो, अगर वो चाहे तो हमारे घर परही ठहर सकता है. मैंने तुम्हारे जीजुसे भी बात करली है. वो कह रहे थे मनुका देवर है तो हमारा भी तो अपना ही हुवा न, वह जब तक चाहे बेहिचक हमारे साथ रह सकता है.’
रेणु फिर मेनुकी बात सुनने लगी फिर बोली, ‘तु अपने जिजुकोतो जनातिही हो. वो अगर यहाँ आकर कहीं और ठहरा तो उन्हें ठीक नही लगेगा. वो यहीं हैं, मै उन्हें फोन देती हूँ तुम खुद ही बात करलो.’ कहते हुवे रेनुने फोन मुझे थमा दिया.
मै बोला, ‘हेल्लो.’
मेनु, ‘नमस्ते जीजु’
मै, ‘नमस्ते सालीजी, कैसी हो?’
मेनु, ‘सब ठीक है, आप लोग कैसे हैं?’
मै, ‘हमभी बिलकुल ठीक हैं. हां रेणु कह रही थी तुम्हारा देवर इधर आने वाला है? वह कब आरहा है? देख तु ऊसके रहने सहने का फिक्र छोडदे, वो आरामसे हमारे यहाँ रह सकता है. हम उसका पुरा कयल रखेंगे. उसे कोई दिक्कत नही होगी.’ कहते हुवे मैने रेणुको आँख मारते हुवे ऊसके बुरमे पुरे ताक़त के साथ उंगली पेल दिया.
मेनु, ‘अरे जीजु आप क्यों परेसान हो रहे हो वो किसी होटलमे भी तो ठहर सकता है.’
मै, ‘अबे साली ज्यादा नखरे मत दिखा, अब बस ये बता वो कब आरहा है?’ और मै अपनि उंगली रेणुके बुरमे अन्दर बाहर करने लगा.
मेनु, ‘ठीक है आप जैसा चाहें, वो दो तिन दिन बाद जाना है कह रहा था. अभी रिजर्वेशन के चक्करमे ही गया हुवा है. लौटनेके बाद मै फाइनल डेट आपको बता दूंगी.’
रेणुके बुरको अपनि उन्गलिसे चोदते हुवे मैंने कहा, ‘तुमभी उसीके साथ आजाओना तुम्हारी दरसन भी हो जाएगी और बेचारेको अकेलापन भी महसुश नही होगा.’ मै रेणुके बुरमे लगातार उंगली पेले जरह था, अब रेणु अपना गांड उठा उठाकर अपने बुरमे उंगली पेलवा रही थी.
मेनु, ‘आप लोगोंसे मिलनेका मेरा भी बहुत मन हो रहा है लेकिन मेरे पतिको तो आप जानते हि हो वो मुझे आसानीसे कही जानेका मौका नही देते. वैसे दस बारह दिनोके लिये उनका कम्पनीके कामसे दुबई जानेका प्लान है. वह फाइनल होजाए तो कहके देखती हूँ, कहीं वो मान गयेतो देखती हूँ. हमारी बातोंसे रेणु समझ गईथी के मै मेनुको चोदनेका अपना प्लान सेट कर रहा हूँ और वो उत्तेजित होते हुवे झुक कर मेरा लंड अपने मुंहमे लेकर चुसने लगी थी.
मै बोला, ‘ठीक है ट्राई करके देखो, तुम चाहोतो मै और रेणु भी आग्रह करके तुम्हारी मद्दत कर देते हैं.’
मेनु, ‘पहले मै बात करलूं फिर जरुरत पडितो आपको बताउंगी. अच्छातो अब रखती हूँ, बाय !’
‘बाय, बात जरुर कर लेना, एक बार आजवो बहुत मज़ा आएगा.’ मै अपने होठोंको चबाते हुवे बोला और फोन रख दिया.
अब फोन रखने के बाद मै अपनि बिवीके ऊपर टूट पड़ा और ऊसके मखमली बुरमे उंगली पेलते हुवे बिस्तर पे लेटाकर ऊसके मस्त चुंचिको अपने मुंहमे लेकर चुसने लगा. वो अपने चुंचिको मेरे मुहमे ठेलकर चुस्वाने लगी. मै कभी उसकी दांयी तो कभी बांयी चुचिको चुस रहा था. एक चुंचिको चूसते वक्त मै ऊसकि दुसरी चुंचिको बड़े बेरहमिसे मसलते जारहा था. वो लगातार मेरे लंड पर अपना हाथ घुमाकर उसे सहला रही थी. हम दोनोकी मस्ती हर पल बढती जारही थी.
अब मैं उठकर घुटनेके बल बैठते हुवे उसे चित लेटा दिया और थोड़ी देर तक ऊसके चुंचियोंका लुत्फ़ उठानेके बाद ऊसके पेट और पेंडूको चुमने लगा. मेरे हाथ रेणुके पुरे बदनको सह्लानेमे मशगुल थे. मैंने अपना हाथ ऊसके पेट पर फेरते फेरते अपनी उंगलीसे उस्के गहरी नाभिको कुरेदने लगा. फिर मैंने अपना जिभ लगाकर कुछ देर तक उसके नाभिको चाटा फिर उसके चिकनी मांसल जांघोंको सहलाने और चुमने लगा. बिच बिचमे मै रेणुकि बुरको भी सहलाते जरह था और कभी अभी ऊसके बुरमे उंगली भी पेल देता था. उसकी बुर गरमाकर पानी छोड़ने लगी थी. वह अपने बदनको ऐंठने लगी और बुर उठा उठा मचलने लगी थी.
अब मैंने अपना पुरा ध्यान ऊसके बुरपे केन्द्रित करके उसके बुरको सहलाने और चुमने लगा. फिर मैने अपने उँगलियोंसे उसकी बुरको फैलाया. बुरकि छेद गुलाबी थी जिससे लगातार पानी रिस रहा था. मैं कुछ देर तक ऊसके बुरको निहारता रहा फिर अपना मुंह उसपे लगाकर ऊसके बुरका पानी चाटने लगा. मै जोर जोरसे अपना जिभ रेणुके बुरमे डालकर उसका बुर चाटने लगा. वह गांड उठा उठाकर अपनी बुर चटवा रही थी.
फिर मैंने उसे घोड़ी बनाकर ऊसके चूतडोंको मसलने लगा. मेरे उंगली पिछेसे ऊसके बुरमे घूम रहे थे. पिछेसे चौंडा करके मै उसके बुरमे उंगली अन्दर बाहर करने लगा. ऊसके बुरसे लगातार पानी बह रहा था. अब मैंने अपना जिभ उसके बुरपे लगाकर उसे चाटना सुरु कर दिया. वह अपना गांड पुरे ताक़तसे मेरे मुंह पर दबाने लगी. बुरको जीभसे चाटते चाटते मै उसकी गांडके छेदमे अपना एक उंगली डालके अन्दर बाहर करने लगा. इसी तरह थोड़ी देर तक उसके बुरको चाटते हुवे अपनी उंगलीसे उसकी गांड चोदता रहा. फिर मैंने अपना जिभ उसके गांड पर लाकर उसके गांडको अपने जीभसे चाटना शुरू कर दिया. वह बड़ी मस्त होकर अपना गांड चटवा रही थी. कुछ देर तक ऐसे हिं गांड चाटनेके बाद मैंने अपने एक उंगलीको उसके गांडके अन्दर बाहर करते हुवे दुसरी हाथकी उंगलीको बुरमे पेल दिया. पहले मै उसके बुरमे एक फिर दो और अब एक साथ तिन उंगली पेल रहा था. इसी तरह कभी एक कभी दो और कभी तिन उँगलियोंसे अपने बिवीके बुरको चोदते चोदते मैंने अपनी चौथी उंगली भी एक साथ ऊसके बुरके अन्दर बाहर करने लगा. वह बड़े मस्त होकर अपनी बुरमे एक साथ चार चार उंगलियोंको डलवाकर मज़े करती रही. यूँही उंगलियोंसे चोदवाते चोदवाते उसकी बुरने पानी उगल दिया, वह खल्लाश होगयी.

खल्लास होनेके बाद मेरी पत्नि रेणु मेरे सिनेसे चिपक कर मुझे चुमने लगी और मै उसकी चुंचिया मसलता रहा. थोड़ी देरमे वो नार्मल हुई तो उठ कर मेरे बगलमे बैठ गई. मै लेटा रहा. वह मेरे खड़े लंडको सहलाने लगी. मेरा लंड उत्तेजनासे लपलपा रहा था. मेरे लंडको पकडे हुवेही वह झुक कर अपनी होंठ मेरे होंठों पर रखकर एक लम्बी चुम्बन लि और अपना जिभ मेरे मुंहमे ठेल्ने लगी. मै थोडासा अपना मुंह खोलके ऊसके जीभको अन्दर जानेका रास्ता बना दिया. अब वह अपनी जिभ मेरे मुंहमे ठेलकर अन्दर घुमाने लगी मानोकी अपने जीभसे मेरा मुंह चोद रही हो. थोड़ी देरमे मै अपना जिभ ऊसके जिभ पर रगड़ने लगा और फिर उसे चुसने लगा. अब कभी मै उसका तो कभी वह मेरा जिभ चुसने लगे. मै उसकि बलोंको सह्लाता तो उसकी चुन्चियोंको मसलने लगा.
कुछ देर बाद वह मेरे छातिको चुमने लगी. अब वह मेरे निप्प्लको चाटने और चुसने लगी. इससे मै बहुत तावमे आगया और उसे पछाड़कर ऊसके सरको हांथोंसे थोडा उठाकर ऊसके मुंहमे अपना लंड पेल दिया. वह मेरे लंडको चुसने लगी. बिच बिचमे मै अपना कमर हिलाहिलाकर अपने लंडसे उसका मुंह चोदने लगा. उसने मुझे लेटनेका इशारा किया, मै लेट गया. मेरे बगलमे बैठकर वो मेरा लंड चुसने लगी. रेणु मेरा लंड जड़ तक अपने मुहमे लेती, मेरा लंड ऊसके गले तक पहुंच जाता, फिर बाहर निकल कर जीभसे चाटती. मुझे बहुत मज़ा आरहा था जब वह मेरे लंडको मुहमे लेने लगती थी तो मै निचेसे अपना लंड ठेल देता था और वो जड़ तक रेणुके मुहमे समा जाता था. मेरा मस्ती हर पल बढ़ता जारहा था.
मैंने उसे बिस्तर पर पटक कर ऊसके जांघोंको फैला कर उनके बिच बैठ अपना लंड ऊसके बुरपे सटाया और पुरे ताकातसे हुमच कर ऐसा जोरदार धक्का मारा कि एकही धक्केमे पुरा लंड जड़ तक बुरमे समा गया.
वह जोरसे चिल्लाई, ‘उई मा मर गई’
मै बोला, ‘भोसड़ी तु क्या मरेगी हरामजादी, तेरे भोसडामे घोडेका लंडभि पुरा चला जाए तो भि तेरा भोसडा सह लेगी.’
रेणु, ‘अबे वो पेलु जल्दी जल्बी पेलना शुरू कर भंडूवे.’
मै, ‘ले रण्डी.’ कहते हुवे अपना लंड गचागच पेलना शुरू कर दिया.
रेणु, ‘पेल मेरे राजा … चोद … और चोद्द्द्दद्द्द्द … ऊऊऊऊईईईईइमा ,,,, हाय्यय्यय्य्य मेरी बुर’
मै, ‘ले रण्डी और ले, ले मेरा पुरा लंड अपने चुत मे. ओय भोंस्सस्ससड़ीईईईईईई तेरा बुर एकदम भोंस्डा हो गया है रे भोंस्डा.’ मै अपना लंड दनादन पेले जारहा था. वो बिना किसी रुकावटके सटासट भोंसड़ीके बुरमे आ जा रहा था.
रेणुके बुरको मै घचर घचर चोद रहा था. उसके बुरसे निकलती फचर फचर कि और उसके मुहसे निकलती सिस्कर्योंकी आवाज़से माहौल हर पल और मादक होता जारहा था. मै उसके बुरपे दनादन ठाप पे ठाप मारे जारहा था. वह मेरे हर ठापका जवाब कमर उछाल उछालके देरही थी. मेरा लंड सटासट अन्दर बाहर होरहा था. मेरे हर धक्के पर उसकी चुंचियां थलथल करते हुवे हिचकोले भर रहे थे. पलंगसे चरचरकि आवाज़ निकल रही थी. मै पुरे जोशके साथ उसको चोद रहा था. वह गांड हिलाहिलाकर उछालउछलकर अपने बुरमे लंड लेरही थी. उसकी चुदियोंकी खनखन और पयालकी छनछनकि आवाज़ मस्तिको और बढ़ा रहे थे.
अब उसने मुझे लेटनेको कहा. मै लेट गया. वह मेरे ऊपर चढ़ कर अपनी चुत मेरे लंड पर रखकर बैठ गई और उछल उछलकर खुद चुदने लगी. मै निचेसे कमर हिलाहिलाकर उसे चुदनेमे सहयोग करने लगा. उसकी चुंचियां कुद रहे थे और चुत चुद रही थी. वह मेरे लंडपे बड़ी तेजिके साथ झटका मार रही थी. अब दोनो एक साथ झड़कर शांत हुवे और एक दुसरेसे अलग होकर सो गए. हम इतना थक गए थे कि हम दोनोकि आँख लग गई.
फोनके रिंगसे हमारी आँख खुली. देखातो मनुका कॉल था. रेणुने कॉल रिसीव किया तो उसने बतायाकि कल शामके ट्रेनमे मनोजको रिजर्वेशन मिल गया है, वह परसों सुबह यहां पहुच जाएगा. उसने हमारा घर नही देखा है इसलिए पता पूछ रहा था. रेणुने कह दियाकि हम दोनो या हममेसे कोई एक जाकर उसे रिसीव कर लेंगे, तुम बिलकुल चिन्ता मत करो.
वह यहांके एक पाच तारा होटेलमे इंटर्नशिपके लिए आरहा है. वह होटल मैनेजमेंटका स्टूडेंट है. वह छे हप्तेके लिए आरहा है.
ऊसके बाद हम उसे रिसीव करने और ऊसके बादके सेटिंगके बारेमे बात करने लगे. तय हुआ कि उसपे अपना पहला इम्प्रैशन डालनेके हिसाबसे उसे रिसीव करने रेणु जाएगी. ऊसके ठहरनेका कमरा तय करनेमे हमने ऐसा प्लान बनया कि ऊसके हरकतोंको हममेसे जोभी चाहे आसानीसे देख सके परन्तु उसे पताभी नचले. सभी बातों पर अच्छी तरह सोंच बिचार करनेके बाद हमने सारे डिसीजन कर लिए और तैयारिमे जुट गये.
घरकी तैयारीके बाद अगले रोज शामके वक़्त रेणु और मै मार्किट गए. जरुरतके अन्य समानके साथ रेणुके लिए दो दो आकार्सक और बहुतही सेक्सी ब्रा और पैंटी तथा एक झिनिसी पारदर्सक नाईटी खरीदा. मर्केटसे लौटते समय रेणु बोली तुम चलो मै थोड़ी देर बाद आजाउंगी. मै कुछ नासमझते हुवे पुछा क्या प्रोग्राम है, मैडमका? तब उसने बतायाकि कुछ नही मै पार्लर जाकर आती हूँ. सामानोंके साथ मै घर चला आया और वह पार्लर. मेरे घर पहुंचनेके करीब दो घंटे बाद पुरे सजधजकर आई तो मै उसे बस देखताही रह गया. वह ऐसे बनठनकर आई थी कि कहर ढारही थी. ‘वो तो कल आनेवाला है और तु अभिसेही सजधज कर तैयार हो. उसे हलालही कर डालनेका इरादा है क्या?’ कहते हुवे मैंने उसे अपनी बाहोंमे भरके छातिसे लगाते हुवे चुम लिया.
‘वह कल सुबह ८ बजेही आजायेगा और इतना सवेरे पारलर तो खुलेगा नही, हेयर कट और कुछ फालतुके बाल साफ करवाना था सो आजही चली गई.’
कहां कहांके बाल साफ करवाना था जरा हमभीतो देखें.
भवें, फेस, बगल, बांहें और …
उसने बात अधुरी छोड़दी तो मैंने कहा, ‘और ..’
वह थोडा शरमाते हुवे बोली, ‘टांगे और चुत.’
मै हैरान रह गया और पुछा, ‘ये पार्लरवाले झांटभि साफ करते हैं?’
‘एक पार्लर है जंहा बहुतही अच्छी तरह करते हैं. एक बार साफ करवानेके बाद बहुत दिनों तक दुबारा नही निकल्ता. वो कोई बिदेसी लोशन यूज़ करते हैं, लेकिन काफी महंगा है और उस कामका एकही एक्सपर्ट है और …’
फिर और क्या? क्या बात है? घुमा फिराकर बात क्यों कर रहिहो, साफ साफ क्यों नहि बोलती?
बताती हूं सोंच रही थी कहीं तुम कुछ और न सोंचलो. प्राइवेट बालोंको साफ करनेवाला एक मर्द है.
मै अवाक रह गया. मेरा मुंह खुला का खुला ही रह गया. मै सोंचने लगा ये औरतें कितनी बेशर्म हो गयीं हैं? फैशनके नाम पर पराये मर्द्के सामने कैसे चुत उघाड़ देतीं हैं.
मैंने उसे गाली बकते हुवे कहा, ‘ साली छिनाल मैंने मनोजके साथ सोनेका परमिशन क्या देदिया तु रण्डीयोंकि तरह बाजारमे अनजान मरदोंके सामने चुत पसारने लगी, तुझे जरासा भी शरम नही आया. अब पुरी बात बता उसने कैसे कैसे और क्या क्या किया तेरे साथ.’
वह मेरे गुस्सेसे सहमते हुवे बोली, ‘पहले वादा करो तुम और नाराज नही होगे और मुझपे गुस्सा नही निकालोगे तो मै सारी बातें बिलकुल संच संच बताती हूँ.’
‘चल अब बताओ क्या क्या कैसे किया उसने.’
वह डरते डरते रुक रुक कर कहने लगी, ‘मै मनोजके लिए बहुत रोमांचित हो रही थी. तुमने ऊसके बारेमे प्लानिंग और एक्सनमे अब तक मेरा जिस तरह सपोर्ट कर रहेहो और मेरा हौसला बढानेके साथ साथ खुद भी रोमांचित होरहे हो इसे देखते हुवे मैंने सोंचाकि क्योंन कुछ और तैयारी करलूँकि मनोज एक बार मेरा चुत देखनेके बाद पुरी तरहसे मेरा दीवाना बन जाए और मुझे चोदनेके लिए पागल होजाए. बस यहि सोंचकर मै ये सब कर आईकि उसे मेरे ऊपर लट्टू होते और चोदनेके लिए मुझ पर डोरे डालते देखकर तुम खुद कितना रोमांच महशुश करोगे और नखरे दिखती हुई जब धीरे धीरे उसे अपने तरफसे हरी झंडी दिखाउंगी तब तुम्हे कितना मज़ा आएगा.’
थोड़ी देर रुककर मेरे चेहरेके तरफ गौरसे देखने लगी, सायद मेरा फीलिंग मेरे चेहरेपे पढनेका कोशिस कररही थी. फिर वो बताने लगी, ‘मैंने सोंचा था की कुछ ऐसा कुरुन्गीके मनोज मुझे चोदनेके लिए पागल होकर मेरे आगे गिडगिडाने लगे. मेरा प्लान थाकी उसे लाने जाते वक़्त मै पुरी तरह सजधजकर जाऊँ ताकि वो फर्स्ट लुकमेही ऐसा आकर्षित हो कि मुझे चाहने लगे. अपने बयव्हार और अदाओंसे मै उसे खुद आगे बढनेके लिए मजबुर कर दूँ. मेरा प्लान है कि कल मै हमारे आजके खरीदे हुवे सेटमेसे एक ब्रा और पैंटी पह्नु. मैंने सोंच लिया है कि कल मै कोई पारदर्शी साड़ी और ब्लाउज पह्नु ताकि कमरसे काफी निचे बंधे हुवे साड़ी और छोटे लम्बाइके ब्लाउजके बिच पारदर्शी साड़ीके पीछे मेरे मुलायम पेट, पेंडू और गहरे नाभि स्टेशन परही उसे दिखा दूँ. मैंने सोंचा है के कल मै जो ब्लाउज पहनकर जाऊँ उसकी लम्बाई काफी छोटा, गला आगे और पीछे दोनो तरफसे इतना बड़ा और चौड़ा हो कि पिछेसे मेरा पुरा पीठ नंगासा लगे और आगेके तरफ मेरे चुंचियोंका कुछ हिस्साभि ब्लाउजके बाहर दीखता रहे. ब्लाउजका कपडा इतना पारदर्शी होकि उसके अन्दरके ब्राका स्टिच तक साफ साफ दीखता रहे. उसे सामान उठानेमे मदत्त करनेके बहानेसे झुकते समय उसे मेरे चुन्चियोका आधेसे ज्यादा हिस्सा दिख जाये.’
रुक कर एक लम्बी सांस लेनेके बाद वह फिर बोलने लगी, ‘सोंचा है कि स्टेशनसे लौटते वक्त गाड़ीमे मै उसके इतनि करीब बैठूंकि मेरा शारीर बार बार उसके बदनसे टच होता रहे और रास्ते भर उसे मेरे बदनकी खुशबु मिलती रहे. घर पहुंचकर भी हर उचित मौका देखकर मै उसे अपनी चुंचियोंका दीदार करा कराकर उसे पागल बनाति रहुं और कोई अच्छासा मौका देखकर अपनी साड़ी कुछ इस तरह सरकाउंकि उसे मेरे चिकने जांघ और पैंटी दिख जाए. यहि सोंचकर मैंने पारलरमे पुछ बैठिकी आपके यहां निचेके बालोंके सफाईका फैसिलिटी है.’
उसपर पारलरवाली लडकिने कहाकि मैडम हमतो यह काम नही करते हैं लेकिन एक आदमी है जो बड़े अच्छे ढंगसे यह काम करता है. जरुरत पड़ने पर हम उसे बोलाकर ये काम करवा देते हैं. कहियेतो ट्राई करके देखेंकी अभि वह फ्री है या नही, और हां उसका चार्ज जरा ज्यादाही है.
मैंने बिना कुछ सोंचे सम्झेही ट्राई करनेको कह दिया और संयोगसे वह फ्री था और दश मिनटमे पहुंच जाएगा बताया. मैंने बुला लेनेको कह दिया. वह बिलकुल सही वक्तपे पहुंच गया. पारलरवाली लडकिने मुझे अन्दर कमरेमे जानेको बोली. मै उसके साथ अन्दर चली गई.
कमरेमे पहुंचकर उसने कहा, ‘मैडम अगर आपको एतराज़ नहो और कहेंतो दरवाज़ा बंद करदूं ताकि किसीके आजानेका डर नारहे.’
मैंने उसे दरवाज़ा बंद करनेका परमिसन देदिया और उसने दरवाजेकी कुण्डी लगादी. फिर बोलाकी अपना कपडा हटाकर उस चेयर पर बैठ जाईये. उसने एक चेयरके तरफ इशारा किया जो बिलकुल लेडीज डॉक्टर के क्लिनिकके चेयर जैसा था. शरमाते हुवे मैंने अपनी साड़ी उठाकर पैंटी उतारदी और साड़ीको कमरके उपर सरकाकर चेयर पर बैठने लगीतो उसने कहाकि साड़ी उतारकर बैठेंतो बेहतर रहेगा. मै जो क्रीम लगाऊंगा उसका दाग साड़ीको ख़राब कर सकता है. मै हिचकिचाते हुवे साड़ी उतरने लगी और साड़ी उतार कर मै चेयरपे बैठ गई. उसने चेयरको थोडा पिछेके तरफ फोल्डकरके चेयरके बगलसे पैर रखनेका स्टैंड आगे घुमाया और मेरे दोनो पैरोंको उठाकर उसपे रख दिया. मै उस अनजान मर्दके सामने अपनी चुत पसारकर बैठी थी. उसने अपने बैगसे सफाईका सामान निकालकर एल स्टूल पर मिलाकर रख दिया. फिर उसने मेरे चुतपे पानी स्प्रे करके मेरे चुतको रगड़ रगड़कर टोवेलसे पोंछा. फिरसे पानी स्प्रे किया और एक बोतल उठाकर उसमेसे कोई लोशन मेरे चुतके उपर जहां जहां बाल थे वहां स्प्रे किया और अपने हाथसे मिलाने लगा. अपने चुतके आसपासके हिस्सों पर उसके हथोंके स्पर्शसे मेरे पुरे शरीरमे सिहरनसी होने लगी थी. वह अपना हाथ काफी देर तक मेरे बुरके उपर तबतक रगड़ता रहा जबतक बाल मुलायम होकर अपने आप निकलने नलगे. फिर टिश्यू पपेरसे पोंछ पोंछ कर उसे साफ किया और गौरसे बदेखनेके बाद बोलाकी एक बार और लगाना पड़ेगा. मै घबरा कर पुछि क्या? तो उसने कहा घबडायिए नही मै लोशनके बारेमे कह रहा हूँ. फिर उसने मेरे चुतपे पानी और लोशन स्प्रे करके अपने हाथोंसे रगड़ने लगा. जब उसे लगाकि सभी बाल निकल गए होंगे तो फिरसे टिश्यू पपेरसे उसे पोंछ कर साफ किया और गौरसे देखनेके बाद बोलाकि एक आध हि बंचे हैं, ठहरिये मै इन्हें भी साफ किये देता हूँ. उसने धागा निकाला और उसका एक किनारा अपने मुंहमे दबाकर मेरे चुतपे झुक गया और थ्रेडिंग करके बंचे हुवे बालोंको निकालने लगा. उसका मुंह बिलकुल मेरे बुरके करीब आगया था और उसके साँसका स्पर्श मुझे अपने चुतपे हो रहा था. सारे बालोंको निकालनेके बाद वह मेरे चुतपे अपना हाथ फेरने लगा. उसकी हरकतोंसे मेरे चुतमे पानी भर गया था और अब वह रिसरिसकर बाहर निकलने लगा था. वह हाथ फेरते हुवे मेरे चुतका मुआयना कर रहा था. उसने मेरे बुरके फांकोंको फैलाकर देखते हुवे कहाकि अन्दरके तरफ दो चार बाल रह गये हैं, इन्हें भी निकल दूँ या रहने दूँ. मैंने लडखडाते आवाजमे कहाकि निकालही दो. फिर उसने मेरे बुरके फांकोंको फैलाते हुवे अपने चुटकीमे पकड़ पकड़कर उन्हे निकालनेका नाकाम कोशिश करने लगा क्योंकि वो बारबार फिसलकर छुट जाते थे. वह परेसान होकर बोला मैडम आपकि ये काफी गीली होगयी है इसलिए बाल बारबार फिसल जारहें हैं. मैंने पुछा क्या गीली होगयी है. वह झिझकते हुवे बोला आपकि बुर और उसने बुरके फांकोंको फैलाये हुवे एक उंगली गचसे मेरे बुरमे ठेल दिया. बुरतो गिलि थि ही सो उसका उंगली गचसे अन्दर चला गया. मेरा भी इमान डोल गया और मैंने कह दिया इसे रोकनेका कोई उपाय होतो रोक दो. उसने कहा मैडमजी जब बांध फुट जाएतो उसे फिरसे बांधनेके लिए पुरे पानीको निकल जाने देना चाहिए. ठीक है तो निकाल दो ना.
उसके बाद बस हरी झण्डी मिलते हि वो मेरे बुरमे दनादन अपना उंगली अन्दर बाहर करते हुवे उन्गलिसेही मेरी बुर चोदने लगा. मैभी पुरे तावमे आगयी थी सो लपक कर पैंटके उपरसे उसका लंड पकड़ कर बोली, ‘इससे निकालोगे तो पुरा निकल जाएगा.’ उसका लंड पहलेही खड़ा हो चुका था. उसने जिपर खोलके लंड बाहर निकाला और मेरे बुरके छेदपर सटाकर ठेलातो एकही बारमे सटसे पुरा बुरके अन्दर समा गया. उसका लंड तुम्हारे लंडसे काफी मोटा और लम्बा था. थोडा दर्द हुवा लेकिन मै इतनि गीली होगयी थीकि उसका मोटा लंड आरामसे मेरे बुरको फैलाते हुवे अन्दर बाहर हो रहा था. उसने मेरा ब्लाउज खोलकर ब्रा उपर सरकाके मेरे चुंचियोंको बाहर निकाल लिया और अपने मुहमे लेकर उन्हें पारी पारिसे चुसते हुवे हचाहच मेरे बुरको चोदने लगा. उसका लंड सटासट मेरे बुरमे आने जाने लगा. उसका लंड गचगच मेरे बुरको चोद रहा था. मै मारे मस्तिके आह आह, उंह उंह करके सीत्कारने लाही थी. करीब पांच मिनटके ताबड़तोड़ चोदाईके बाद मेरी बुरने पानी छोड़ दिया. तभी वह बोला मैडम मेरा पानिभी छुटने वाला है बोलो बुर मेहि छोड़ दूँ. मै चिल्लाई, ‘अरे भोसड़ीके बाहर निकाल अन्दर मत छोड़ना. उसने लंड जैसेही बाहर निकला, उसने मेरे बुरके उपर पिचकारी छोड़दि. अगर एक सेकेण्डभि डिले करतातो उसका पानी बुरमेहि निकल जाता. उसका पानी मेरे बुर और पेंडु पर फैल गया.
उसने टिश्यू पपेरसे पहले अपना लंड पोंछा, उसे पैंटमे डालकर जिपर लगाया, ऊसके बाद मेरे बुर और पेंडु पर फैला पानी पोंछकर साफ किया. मेरे बुरपे क्रीम लगाया और उसे चुमते हुवे कहा आप बहुत सुन्दर हो, आपकि बुरभी बड़ी अच्छी है. अब कपडा पहन लीजिये.
‘अरे और बाकि बालोंकी सफायी’, मैंने उसे घूरते हुवे पुछा. उसने कहा, ‘अब कोई बाकि बालवाल नही है. वोतो मै आपको चोदनेके चक्करमे वैसेही बोल दिया था. आप मेरा नम्बर लेलो. जबभी आपको अपनी सफाई करानी हो या मेरे लंडसे चुद्वानेका मनहो कॉल कर लेना. मुझे किसी और जगह बुला लेना. यहां आनेकि जरुरत नही है. ये लोग मेरे आधे पैसे रख लेते हैं. मै गरीब आदमी हूँ. चिन्ता नकरें आप बाहर बुलाकर जित्नाभी दोगी मै रख लूँगा.
उसकी बात ख़त्म होनेके बाद मैंने कहा हरामजादी तुतो रण्डी बन गई. इसका मजा मै तुझे बादमे दूंगा. पर चल अभी अपना बुर दिखा. मैंने उसे बिस्तर पर पटक कर उसकी साड़ी उलट दिया, देखा उसकी बुर लाल होगयी है पर सुन्दर दिख रही थी. मै उसकी बातें सुनकर गर्म होगया था. मेरा लंड तैयार था सो फटाफट उसे चोदने लगा.
चोदाई ख़त्म होनेके बाद उसने कहा मेरा प्लान कैसा लगा तुमने नही बताया. मैंने कहा ठीक है, ट्राई करके देखो.

मै और मेरी बीवी रेणु मेरी बीवी कि बहन यानि मेरी साली मेनुके देवर मनोजको अपना चोदाई पार्टनर बनानेका प्लान बना चुके थे. वह आज आने वाला था. उसे रिझानेके चक्करमे मेरी बीवी अपनी झांटोंकि सफाईके चक्करमे कल एक बिउटी पार्लरमें साला अनजान हज्जामसे कैसे चुदकर आई थी, आप पढ़ चुके हैं. अब मै कहानीको आगे बढाता हूँ.
मै खुद उसे पर पुरुषसे चुद्वाते देखना चाहता था और इसी कारन मैनेही उसे मनोज्से कद्वानेको उकसाया था लेकिन कलके बिउटी पार्लर वाला किस्सा सुनकर मै रात भर याहि सोंचता रहा कि साली पुरी रण्डी बन गई. पता नही आगे क्या गुल खिलाएगी. उसे मेरे अलावा सिर्फ मनोजसे चुदवाना था परन्तु जिस एक अपरिचित ब्यक्तिके सामने बिना सोंचे समझे बेहिचक अपनी चुत पसारनेसे पहले क्या नही सोंचीकि वह उसे वैसेही बिना चोदे छोड़ देगा. क्या ऐसातो नही है कि वह इस काममे पहलेसे हि अभ्यस्त है. वह पहले भि और कई लोगोंसे चुदवा चुकी है? नही नही ऐसातो नही होना चाहिए. लेकिन चाहे जोभि हो यह बाततो अब मानना हि पड़ेगाकि कमसेकम मेरे अलावा एक लंड वह अपने बुरमे पेलवा चुकी है और एक और लंडसे चुदवानेको ब्याकुल है. कहते हैं हर लंड़का अलग स्वाद होता है और हर ब्यक्तिके चोदनेका तरीका भी अलग अलग होता है. अब अगर सालीको नए नए लंडोंसे चुदवानेका चस्का लग गया तो फिर क्या होगा. कहिं आगे चलकर वह रण्डी नाबन जाए. मेरे समझमे तो कुछभि नही आ रहा है इसलिए आप पाठकोंसे गुजारिस हैकि अपना सुझाव जरुर देंकि इसे रोकनेके लिये मुझे क्या कैसे करना चाहए या उसे ऐसेही आजाद छोड़ दें. इस बातको बादमे आपका सुझाव आनेके बाद देखा जाएगा. फ़िलहाल मै कहानीको आगे बढाता हूँ.
मनोज आज ८ बजे आने वाला था. जैसाकि आप जानते हैं, वह मेरी साली मेनुका देवर है और वह अपने भाभिको चोद चुका है. वह २३ सालका, सांवलासा जवान है. मेरी बीवी उससे चुद्वानेके सपने बहुत दिनोसे देख रही थी. आज वह आने वाला था. मेरी बीवी उससे चुदवानेका पुरा प्लान बना लि थी. वह मनोजको रिसीव करने स्टेशन जानेवाली थी. वह ऊसके लिये सुबह्सेही सजने सवरने लगी थी. करीब साढ़े सात बजे जब वह तैयार होकर मेरे सामने आयी तो मै उसे देखताही रह गया. वह वैसे भी बहुत खुबसूरत थी लेकिन आज तो गजब कि लग रही थी. उसका मेकअपने जहां उसके खुबशुरतीको बढा दिया था वहीँ उसकी ड्रेसने उसे बहुत सेक्सी बना दिया था. वह एक काले रंगकी बहुतही वारिक साड़ी और उसी रंगकी झिनिसी ब्लाउज पहन रखी थी. उसके गोरे बदनपे काला ड्रेस किसिपेभी कहर ढानेके लिए काफी है. उसने साड़ी काफी निचे बांध रखे थे और उसका ब्लाउज बहुतही छोटा था. ब्लाउजका गला आगेसे बहुत चौड़ा था और पिछेसे तो बस नाम भरकाहि कपडा था. ब्लाउजका कपडा इतना महीन और पतला था कि वह बिलकुल नंगिसी दिख रही थी. ब्लाउज मे से उसका सेक्सी ब्रा साफ साफ दिख रहा था. ऐसे कपडेका ब्लाउज लोग अक्सर अन्दर अस्तर डाल कर सिलवाते है लिकिन इसने बिना अस्तारके सिलवाया था. उसकी ब्रा इतनि टाइट थी कि उससे दबकर उसके चुंचियोंका अच्छा खासा हिस्सा ब्लाउजके गलेसे बाहर झांक रहा था. ब्लाउज मेसे छलकता हुवा क्लीवेज उसके सेक्स अपीलको और बढ़ा रहा था. वह साड़ीमे लिपटी हुईतो थी लेकिन पल्लुसे ढके होनेके बावजुद उसका पेट, पेंडुका उपरी हिस्सा और नाभि साफ साफ दिख रहे थे. उसकी मुलायम पेट, फूली हुई पेंडुके बिच गहरी नाभि बहुत सेक्सी लग रहा था. उसे देखके मन हुवाकी भोंसड़ी रण्डीको अभी पछाड़कर इसी वक़्त पहले उसके ढ़ोंडिमे और फिर उसके बुरमे अपना लंड पेलके चोद डालूं. मेरा लंड पुरी तरहसे अकड़कर खड़ा हो गया था.
उसने हथेली और बाजुके साथ हि पांव पर भी मेहंदी रचाया हुवा था. कलाईमे काफी खुबशुरत चूड़ियाँ, नाखुन पे गहरे रंगका नेल पालिस बहुतही लुभावने लग रहे थे. उसने चेहरेपे भी काफी निराले ढंगसे मेकअप किया हुवा था. गालोंकि चमक क्रीमने और होंठोंकि आकर्षण गहरे लिप्सटिकने बढ़ा दिया था. आंखोमे काज़ल, माथे पे बिंदी और मांगमे सिंदुर बस गजब ढारहे थे. कानोंके झुमके, गलेका चैन और चुन्चियों पे झूलता नेकलेस बड़े लुभावने लग रहे थे. इस भेसमे बलखाती चालसे कमर मटकाते हुवे जब वह मेरे सामनेसे गुजरी तो मै मुह बाये देखता रह गया. मै सोंच भी नही सकाकी यह मेरी वही बीवी है जिसे पिछले ८ बर्षसे हररोज देख रहा हूँ.
चलते वक़्त उसके पयालसे निकलती छनछनकि आवाज़ मुझे उसके तरफ ऐसे खिंचाकी मै अपने आपको रोक नही पाया और पिछेसे उसे अपनी बहोमे जकडके उसकी चुंचियोंको पकड़ते हुवे उसके नंगे पिठको चुम लिया. वो घुमकर सामनेसे मेरे आगोसमे समाते हुवे बोलि अरे क्या हुवा जनाबको. मै उसके गाल और होंठोंका चुंबन लेते हुवे बतायाकि ईस रुपमे तुम इतनि सेक्सी लग रही हो कि तुम्हे देखकर साला मनोजतो हलाल हि हो जाएगा लेकिन लगता है तुम उस तक पहुंच हिं नपाओगि. उस्ने बोला क्यों, ऐसी बात क्यों बोल रहेहो. उसके चुंचियोंको दबाते हुवे मैंने बताया कि लगता है कोई मनचला लड़का रास्तेसेही तुम्हे किडनैप करके तुम्हारा रेप कर देगा.
उसने जोरसे मुझे हग करते हुवे कहा, छोड़ो इन फिजुलकी बातोंको और अब मुझे जाने भी दो वर्ना मै लेट होजाउंगी.
मै, ‘साली अपने बुरमे मनोजका लंड पेलवानेके लिए तु इतनि बेताब हो तो ठीक है जावो.’
रेणु, ‘और हां तुम भी चलोना स्टेशन से कुछ दुर पहले उतर जाना. मै स्कुटी स्टेशनके स्टैंड मे हि छोड़ कर उसके साथ ऑटोमे आजाउंगी और तुम्हे फ़ोन करके बता दूंगीकि लौटते हुवे स्कुटी लेते आना. तुम स्कूटिकी एक चाभी अपने पास रख लो.’
मै उसकी बात मानते हुवे उसके साथ चल दिया. स्कुटी मै ड्राइव करने लगा और वह पीछे मुझसे चिपककर बैठी गयी. इस तरह हम अक्सर चला करते हैं लेकिन आज अपने पीठ पर टच करता उसकी चुंचियोंका अहसास मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था. रस्तेमे मैंने मनही मन उनके हरकतोंको छुपकर देखनेका प्लान बना लिया. रस्तेमे मै जानबूझकर कुछ ज्यादाही ब्रेक लगा रहा था ताकि उसकि चुंचियोंका स्पर्श बार बार होता रहे. शायद मेरी नियत वह भांप गई थी और मेरे ब्रेक लगाते वक़्त कुछ अधिकहि मेरे पीठ पर चुंचियां दबा देती थी.
ऐसेही चलते चलते स्टेशनका एरिया आगया तो मैं स्कुटी रोक कर उतर गया और वह स्कुटी लेकर मुझे आँख मरते हुवे चल दी. उसके जानेके बाद अपने प्लानके अनुसार मै उसके पिछे स्टेशनके तरफ़ चल दिया. देखाकि स्कुटी स्टैंड मे खडी थी. मेरी आँखें उसे तलासने लगी. कुछहि देरमे वह दिख गई. मै उसकी नजरोंसे बचते हुवे उसके करीब पहुंच गया और उसपे स्पाई करने लगा.
स्टेशन पर बहुत सारी खुबशुरत लड़कियां इधर उधर हर तरफ खडी थीं और कुछ इधर उधर आ जा रही थी. मर्द, जैसाकि आम तौरपे होता है, उन्हें देखनेमे ब्यस्त थे. मैंने नोटिस कियाकि बहुत सारे लोग उसे बार बार निहार रहे थे, जिनमेसे ज्यादातर लोग अधेड़ उम्रके थे और कुछ बुढ्ढे और टीनेजर भी उसके जल्वेका लुत्फ़ उठा रहे थे. थोड़ी देर लगातार देखते रहने पर मैने नोटिस किया कि एक बुढ्ढेका और एक १८-१९ सालके लड़केका नजर उसपर लगातार टिका हुवा था. मेरे बीवीने भी सायद यह देख लिया था कि वो ७० के आसपासका बुढा लगातार उसे बड़े हसरत भरी निगाहोंसे देख रहा है. मैंने देखाकि वो बुढा एक बार अपने पैन्टके उपरसे अपने हाथको लंड पर दबया फिर पॉकेटमे हाथ डालकर उसे निहारता रहा. उसका हाथ पॉकेटमे हिल रहा था. शायद वह अन्दरही अन्दर अपना लंड रगड़ने लगा था. तभी रेणुके हाथसे कुछ गिर गया जिसे उठानेके लिए वह झुकितो बुढा आंखे फाड़कर उसे देखते हुवे अपना जिभ चबाने लगा. रेणु खड़ी हो गई. मै रेणुके पीछे खड़ा था इसलिए देख तो नही पायाकि झुकने पर बुढेको क्या दिखा पर चुंके बुढा मेरे सामने था उसके एक्टिविटीसे मै अंदाज़ लगा चुका था कि उसने रेणुके चुंचियोंका बहुतही ढंगसे दर्शन कर लिया है और इतना उसके मुठ मारनेके लिए बहुत है.
तभी मनोज जिस गाडीसे आरहा था उसका प्लेटफार्म संख्या ३ पर थोड़ी देरमे पहुँचनेका अनाउंसमेंट हुवा और रेणु प्लेटफार्मके तरफ चल दिये. बुढेके खड़े लंड पर पानी फिर गया. उधर गेटके पास भीडभाडका फायदा उठाते विपरीत दिसासे आते एक लडकेने जन बुझ कर रेणुके बगलसे गुजरते वक़्त अपना कुहनि उसके चुंचीपे ठोक दिया.
रेणु अन्दर चली गई मै ऑटो स्टैंडके पीछे सुरकछित स्थान पर पहुंच गया ताकि छुपकर उनपे नजर रख सकूँ. गाडीके पहुँचनेका अनाउंसमेंट होने लगा. मै उनके आनेका इन्तेजार बेसब्रिसे करने लगा.
अब मै आप लोगोंको जो बताने जा रहा हूँ उसमेसे कुछ मेरे प्रत्यक्ष देखे हुवे और कुछ रेणुके बादमे बतानेके आधार पर तरतीब मिलाते हुवे बता रहा हूँ.
गाड़ी प्लेटफार्म कर आकर रुकी. रेणु उस कोचके पास पहुची जिसमे मनोज सफ़र कर रहा था. गाड़ी आगे जाने वाली थी यहां सिर्फ तिन मिनटका स्टापेज था. उतरनेवालोंसे चढ़ने वालोंका संख्या ज्यादा था. रेणु भिडमे घुस गई ५-६ लड़के उसके इर्दगिर्द खड़े थे. वे रेणुको चारो ओरसे घेरसा लिए और भिडका फायदा उठाते हुवे एक उसके पिछे चिपककर अपना लंड उसके गांड पर सटा दिया. एक दूसरा उसकी चुचि दबाने लगा. इन सबका परवाह किये बगैर वह मनोजको ढूढ़ रही थी. वे लड़के उसे हिलने भी नही दे रहे थे और खड़े खड़े मज़ा लुट रहे थे. रेणु एक दरवाजे पे उन मनचलोंके बिच फंसी थी और मनोज दुसरे दरवाजेसे उतरकर उसे ढूंढ रहा था. भीड़ कम हुई तो वे लड़के उससे अलग हुवे तभी उसकी नज़र मनोज पर पड़ा. वह उसे पुकारते हुवे उसके पास पहुंची. मनोज झुककर उसका पैर छुनेको हुआ तो उसे रोकते हुवे रेणुने उसके बांहोंको पड़कर उठाया. मनोज उसे गौरसे देखने लगा. रेणु बड़े प्यारसे बोली, ‘कोई फॉर्मेलिटी नही, चलो.’
उसका तिन लगेज था वह कभी रेणुको तो कभी सामानोंको देख रहा था. रेणु बोली चलो एक मै लेलेती हूँ बाकि तुम मैनेज करलो. रेणु झुकझुक कर बारी बारीसे तीनो सामानोंको उठा उठाकर उनके वाजनका अंदाजा करने लगी. वो इस काममे आवश्यकतासे कुछ अधिक समय लगा रही थी. झुकनेसे ब्लाउजके अन्दर चुंचियोंका अधिकांस हिस्सा दिख रहा था. मनोज बड़े गौरसे उसके ब्लाउजके अन्दरका नजारा देख रहा था. तीनो सामानोंका अन्दाजा लगानेके बाद वह बोली समझ मे नही आरहा है कि मै कौनसा उठाऊँ. मनोजने कहा रहने दीजिये किसी कुलीको देखते हैं. अरे नही हम लेजा सकते हैं. फिर मनोज मजाककि मुडमे बोला देख लीजिये बादमे नही बोलियेगा कि इसने मुझे कुली बना दिया.
रेणु फिरसे झुक कर सामानोंके वजनका अंदाज़ा करने लगी और उसके ब्लाउजके अन्दर मनोज अपने आखोंका ठंढक ढूढने लगा. आखिर रेणुने अपने लिये एक बैग चूज करही लिया. बोली चलो मै ये लेलेती हूँ. मनोज थोडा हैरानसा लगा. रेणु जानबूझ कर इतना जांच परखके बाद भी सबसे वजनदार सामान क्यों चूज कि है. उसने बाकि सामान उठाया और गेटके तरफ चल दिया. रेणु उसके पीछे चल रही थी. कुछ दुर जानेके बाद बोली मनोज रुको थोडा धीरे चलो. मनोज पलटके देखातो रेणु सामान निचे रखके खड़ी थी. झुककर सामान उठाते हुवे एक बार फिर उसे चुंचियोंका दीदार करा दिया. बिचमे एक बार फिर उसे रोककर सामान निचे रखा और थोडा ठहरकर उठाके चलने लगी. मनोज सोंच रहा था कितनी लापरवाह है ये. ऐसा कपडा पहने है और बार बार झुक कर लोगोंको अपनी माल दिखा रही है. चलो मेरेको क्या अच्छा नजारा मिल रहा है.
फिर बाहर आनेके बाद बोली मै उन्हें फोन कर देती हूँ लौटते वक़्त स्कुटी लेते आनेको. इतने समानके साथ हम स्कुटीसे तो जा नही सकते. वो फोन करने लगी. मुझे बतानेके बाद एक ऑटो बुलाया. उसमे सामान रखा. मनोजने सामान बिच मे रख दिया था सो मनोजको बोली रुक जाओ सामान मिलाके रख देनेदो ताकी आरामसे बैठ सकें. उसने किनारेके तरफ एक दुसरेके उपर निचे और सीटपे मिलाकर तीनो सामान रखा. इस चक्करमे उसे इतने देर तक झुकना पड़ाकि मनोजको एक और मौका मिल गया उसकी चुचियोको देखनेका. मै छुप कर देख रहा था सिर्फ मनोजहि नही बल्कि ऑटो ड्राईवरभी उसके ब्लाउजमे झांक रहा था. समानोंके तरफ सटके बैठते हुवे अपने बगलमे मनोजको बिठाया और ऑटो वालेसे कहा चलो. ऑटोमे सामानके चलते जगह इतना काम थाकि दोनो एक दम सटकर बैठे थे. दोनोका शारीर एक दुसरेसे एक दम सटा हुवा था. रेणुने मनोजको थोडा आगे खिसक कर बैठनेको कहा तो वह थोडा खिसक गया. रेणुको जगह मिला तो पिछे खिसकते हुवे वह मनोजके और करीब आगयी. मौकाका फायदा उठाकर रेणुने मनोजके तरफ वाला अपना हाथ सीटके पीछेके सपोर्ट पर रख दिया. अब कभी कभी मनोजका कुहनि रेणुके चुचिसे टकराने लगा था लेकिन नातो मनोज अपना कुहनि हटा रहा था ना रेणु अपनी चुंची. रेणुतो जानबुझकर मजे लेने और मनोजको उत्तेजित करके फांसनेके लिए ऐसा कर रही थी लेकिन शायद मनोजभी मजे ले रहा था.
आगे रास्ता कुछ टुटाफुटा था इस वजहसे ऑटो हिचकोले खाते चल रहाथा और इसके साथहि मनोजके कुहनि पर रेणुकी चुंची बार बार टकरा रही थी. रेणु जानबूझकर अपने चुंचिका दबाव बढ़ा देती थी. मानोजतो जैसे स्वर्गका सफ़र कर रहा था. उसका लंड खड़ा हो चुका था. वह मनही मन सोंच रहा थाकि साली ये भी अपनी बहनके जैसेही चोदक्कड लग रही है. वह इसे चोदनेका इरादा कर बैठा. ईसी तरह उनका आनंदमय सफ़र पुरा हुवा और वे घर पहुंच गए.
घर पहुंचकर रेणुने मुझे कॉल किया और कहा. ‘मनोज घर पहुंच गया है, तुम भी जलदीसे आजावो और हां स्कूटी लेते आना.
मैंने जानबूझ कर उन्हें थोडा मौका देनेके लिए और छुप कर उनका खेल देखनेके नियत्से कहा, ‘तुम उसको चाय नास्ता कराओ और आराम करने दो, मेरी तरफसे माफ़ी मागते हुवे उसे समझा दो की मुझे घर पहुचने मे अभी कामसे कम ३-४ घंटा लग जाएगा.’
उसने मेरी बातें मनोजको बताया तो उसने कहा रहने भी दीजिये भैयाको क्यों परेसान कर रहीं हैं उन्हें अपना काम पुरा करने दीजिये, मै यहीं तो हूँ जब वो अएंगेतो मिल लूँगा. उसने अपनी बात कुछ इस तरह चबाके कहाकि मैंने महशुश कियाकि वह खुदभी नही चाहता है कि मै इतना जल्दी उनके बिच आउं. मुझे लगाकि अगर रेणु थोडीसीभि मौका दे तो वह अभी उसे पटकके चोदने लगेगा.
रेणु बोली, ‘अच्छा बाबा ठीक है अब बतादो खानेमे क्या बनाउं जनाबके लिए.’
मनोज, ‘बताउं …’ अर्थपुर्ण ढंगसे उसने अपनी बात अधुरी छोड़ दी.
रेणु, ‘हां हां बताओभि.’
मनोज, ‘रहने दीजिये आपको जो उचित लगे बना लीजिये.’
रेणु जिद करते बोली, ‘नही अब तो तुम्हे बतानाही पड़ेगा.’
मनोज, ‘जिद क्यों कर रही हैं, जो इच्छा हो बनाईये.’
रेणु फिरसे जिद करते बड़े प्यारसे दोअर्थी सब्दोंमे बोली, ‘लडकियोंके तरह शर्माना छोडो और बताओ तुम क्या लोगे.’
मनोजभि अपनि होंठ पर जबान फेरते हुवे कुछ अलगही लह्जेमे बोला, ‘बता दूँ, आप बुरातो नही मानेंगे.’
रेणुभी उसीके टोनमे बोली, ‘अरे नही बाबा बुरा क्यों मानूंगी, मैतो खुद पुछ रही हूँ, चलो अब बताओ.’
मनोज उसे टीज करते हुवे फिर बोला, ‘नही रहने दीजिये, मुझे डर लग रहा है कहीं आप नाराज़ ना होजाएं.’
उसका हौसला बढ़ाने के लिए अब उसे बड़े प्यारसे झिड़कते हुवे रेणुने धीमी पर सेक्सी टोनमे कहा, ‘वादा रहा तुम जो भी चाहो मांगलो बिना नाराज़ हुवे तुम्हारी इच्छा पुरि कर दूंगी.’
मनोजभी अब वैसीहि सेक्सी टोनमे बोला, ‘एक आखरी बार सोंचलो कहिं आपको ….’ उसने अपनी बात अधुरी छोड़ दी.
रेणु फिर उसी अंदाजमे बोली, ‘बोलो ना क्या चाहिए.’
मनोज इस बार बिना वक़्त गवांये तापकसे बोला, ‘आप …’
रेणु हैरानी दर्शाते हुवे, ‘क्या … फिरसे बोलोतो तुम्हे क्या चाहिए.’
मनोज, ‘आप … हां आपने सही सुना है मुझे आप चाहिए … आप.’
‘अरे क्या कह रहेहो तुम मुझे खाओगे.’ रेणु बोली.
‘हां … मै … आपको … आपके … हुस्नको … आपके … जवानीको … और … आपके … बदनके रोम रोमको खाना चाहता हूँ.’ मनोज बेबाकीमे एकही सांसमे लेकिन थोडा रुकरुक कर सब कुछ मांग लिया रेणुसे.
थोड़ी देर चुप रहनेके बाद रेणु बोली, ‘ठीक है पहले तुम स्नान करके तैयार होजाओ, जबतक मै नास्ता बना देती हूँ उसके बाद तुम्हे सब मिल जाएगा.’
मनोज बोला, ‘ठीक है.’ उसके बातोंमे थोड़ी नाराजगी झलक रही थी लेकिन करता भी क्या बेचारा.
रेणु अपनी बात मुझे सुनानेके लिए फोन डिसकनेक्ट नही कीथी. इसलिए मै उनकी सारी बातें सुन रहा था. मै बिना वक़्त गवांये तुरन्त घरके तरफ चल दिया. कहीं ऐसा नहोकी उनका पहला खेल देखनेकि मेरी इच्छा धरिकी धरी ना रह जाए. वैसे मुझे इतना भरोसातो था ही कि रेणु इतना वक्ततो अवश्यहि लगाएगी के मै घर पहुंच कर उनका खेल देख सकूं.

मै तुरन्त जाकर स्टैंडसे स्कुटी लिया और घरके तरफ चल दिया. मनोज और रेणुको मेरे आनेका अहसास नहो यह सोंच कर मैंने स्कुटी घरसे कुछ दुर पहलेहि रोक दिया. पैदल चलकर घर पहुचा और अंदर झाँक कर देखा. मनोज कहीं नही दिखा, रेणु किचेनमे अकेले काम कर रही थी. मै वापस गया बिना स्टार्ट कियेही स्कुटी ठेलकर लाया और सुरक्छित स्थान पर लॉक करके लगा दिया. मै घरके पीछे जाकर पिछेका दरवाजा बिना आहटके खोला और अपनेहि घरमे चोरोंकि तरह घुसकर अंदरसे दरवाजेको बोल्ट कर दिया. पिछला दरवाजा सुबह घरसे निकलनेसे पहले मै अपने प्लानिंगके तहत खोलके गया था. मै बिना आवाज़ किये बड़ी सावधानीसे ऐसे स्थान पर छुपके बैठ गया जहां मुझे कोई नही देख सके और मै उनके हरकतों पर नजर रख सकूँ.
करीब ५-७ मिनट बाद रेणु नास्ता लगाते हुवे बोलि, ‘कितना देर लगा रहेहो, बाहर आजाओ नास्ता तैयार है.’
बिना कुछ बोले मनोज सिर्फ लुंगी और बनियन मे बाहर आया और अपना बांह फलाते हुवे बोला, ‘तो आईये नास्ता करा दीजिये.’
उसके हरकतोंका मज़ा लेते रेणु मुस्कराके बोली, ‘नास्ता टेबल पर लगा है.’
मनोज टेबलके तरफ बढ़ते बढ़ते अचानक रेणुके पास पंहुचा और उसे अपने बाहोंमे भरते हुवे चुमने लगा, पहले गलोंको फिर होंठोंको.
रेणु इठलाते हुवे उसे धक्का देकर उसकी बांहोंसे निकलते हुवे बोली, ‘इतनि जल्दबाजी ठीक नही है, पहले नास्तातो कर लो.’
मनोज फिरसे उसे पकड़ कर अपने बांहोंमे भरते हुवे बोला, ‘वो नही मुझे ये नास्ता चाहिए.’ और रेणुकी एक चुंचिको पकडके दबा दिया.
मनोजके होंठोंको चुमते हुवे रेणु अपने चुन्चियोंके तरफ इशारा करते बोली, ‘नस्ताके बाद चायके जगह दुध पि लेना, यह बच्चोंके सेहतके लिए बेहतर भी है.’
मनोज उसके पेटके निचे इशारा करते बोला, ‘खानेसे पहले हाथ नही धुलवावोगी.’
रेणु उसे फिरसे चुमते हुवे बोली, ‘नहाके आएहो नास्ता करके दुध पिलो फिर हाथ धो लेना.’
मनोज बोला, ‘आजतो मै आपके हांथों से हि नास्ताभी खाऊंगा और दुधभी पिऊंगा.’
रेणु उसे अपने हांथोंसे खिलाने लगी और वो खाते हुवे कभी उसकी गाल, कभी चुंची और कभी जांघोंको सहलाने लगा. मैंने देखा लुन्गीके अन्दर उसका लंड खुंटेके जैसा खड़ा था. सायद वह निचे अंडर वियर नही पहना था. देखनेसे अंदाज होरहा था कि उसका लंड मेरे लंडसे काफी बड़ा है. मै उनका गतिविधि देखते हुवे सोचने लगा की मनोजका लंड इसके बुरका सत्यानास नकरदे.
नास्ता ख़त्म हो चुका था सो रेणुके चुंचिको पकड़ते हुवे मनोजने कहा, ‘अब अपनेही हांथोसे दुधभी पिलादो ना.’
रेणु उसका हाथ अपने चुंचिसे हटाते बोली, ‘इतना बेसब्र क्यों होरहे हो, यहां दुध पिना उचित नही है, तुम कमरेमे चलो मै किचेनमे बर्तन रखके गर्मागर्म दुध लेकर तुरन्त आती हूँ.’
मनोज कमरेके तरफ और रेणु बर्तन लेकर किचेनके तरफ चले गए.

मनोज अपने कमरेमे चला गया. रेणु किचनमे बर्तन रखनेके बाद अपने बेड रूममे जाकर ड्रेसिंग टेबलके मिररमे खुदका मुआयना किया. बालोंको खोलके कंघिसे संवारा. गालोंको मेकअपको हलकासा टच दिया और होंथोको लिपिस्टिकसे संवारनेके बाद बिंदी ठीक किया. आईनेके सामने आगे पीछे मुडमुडके खुदको परखनेके बाद एक कातिल मुस्कान बिखेरती हुई मनोजके कमरेके तरफ चलदी. वह मनोजके कमरेके तरफ जाते ऐसी चालसे चल रही थी जैसे कोई मॉडल रैम्प पर चल रही हो. साड़ीके पल्लुको एक हाथ पर उठाये कमर लचकाते, गांड मटकाते हुवे चले जा रही थी. उसकी सिल्की, मुलायम, काले बाल कमर तक लटक रहे थे.
मनोजके कमरेमे उसे इस तरह जाते देख मेरी हालत ऐसी थी जो मै बयां नही कर सकता. समझमे नही आरहा है कि मुझे उनपे गुस्सा आरहा था, इरस्या हो रही थी, मेरा दिल जल रहा था, मै रोमांचित हो रहता या नर्वस था. मेरा हाल चाहे जो भि हो रेणुको इस वक्त ना इसकी फिक्र थी ना परवाह, उसके उपरतो सिर्फ और सिर्फ वासना सवार था और वह अपने सपनोंके राजकुमारसे जमके चुदवानेको ब्याकुल थी. मनोजके कमरेमे पहुंचतेही उसने पीछे मुडके देखा और दरवाज़ेका बोल्ट अंदरसे लगा दिया.
वे जिस कमरेमे थे ठीक उसके पीछे स्टोर रूम है. उसके दिवारमे शीशा लगा एक वेंटिलेटर है. कलही हमने वेंटिलेटरका शिशा अछि तरह साफ करके वहां निचे एक खाट, खाटके उपर टेबल और टेबल पे एक कुर्सी इस तरह सेट कर दिया था कि मै वहां बैठकर अपने बीबीकि रंगरलियोंको आरामसे देख सकूँ. कल ही इतनि सेटिंग के बाद जब रेणु वहांसे हटि तो मैंने एक स्टुलभी टेबल पर बिलकुल दीवारसे सटाके रख दिया था.
रेणुके दरवाजा बंद करते हि मै बिना एक पल गंवाए स्टोर रूममे जाकर वहां छुपाकर रखा हुवा अपना कैमरा लेकर बड़ी सावधानीसे चढ़कर कुर्सी पे बैठ गया. कैमरा स्टुल पर रखके बेडपे फोकस कर दिया. मैंने मुआयना करके देख लिया रिकॉर्डिंग चालू था. रेनुको कैमरा वाला बात मालुम नही था. इस वक़्त वहां मेरी मौजूदगी के बारेमे भी उसे कोई जानकारी नही थी. वह दोनो इस वक़्त जो भी कर रहे थे अपने हिसाबसे मेरे गैर मौजुदगिमे मुझसे छुपा कर कर रहे थे.
मै देख रहा था, कैमरा रिकॉर्डिंग कर रहा था और वे इससे बेखबर अपनेही धुनमे मगन थे. वह जाकर पलंग पर बैठ गई. मनोज उसे लेटाने लगातो बोली, ‘अरे रुक पहले दुध पीले ताकि ताक़त बनी रहे.’
मनोज उसकी चुंचियोंको मसलते हुवे, ‘ताक़त तो मेरे पोर पोरसे फुट रहा है चलो आजाओ मैदानमे दिखाता हूँ.’
रेणु पलंगके सिरहाने तकिया रखके उसके सहारे बैठते हुवे मनोजका सर अपने गोद्मे रखके बोली, ‘तु क्या ताक़त दिखायेगा बच्चू, आ दुध पीले.’
उसने ब्लाउज और ब्रा उपर उठाकर एक चुंची निकालकर अपने हाथसे पकड़कर चुंचिका निप्पल मनोजके मुहमे लगा दिया. मनोज अपने मुंहमे उसका निप्पल लेकर बच्चोंके तरह चुसने लगा. एक चुंचिको चुसते हुवे वह दुसरे चुंचिको जो अब तक ब्लाउजके अन्दरही थी मसलने लगा. थोड़ी देर बाद रेणु अपने ब्लाउजकि नीचेका तिन हुक खोल कर ब्राको ब्लाउजके साथ उपर उठा दी. अब उसकी दोनो चुंचियां मनोजके चेहरेके पास लटक रहे थे. मनोज एक चुंचिका निप्पल चुसते हुवे दुसरी चुंचिका निप्पल अपने चुटकीमे पकड़कर मसल रहा था. वह बारी बारिसे इसी तरह दोनो चुंचियोंका मज़ा लेने लगा.
रेणु काफ़ी गर्म होगयी थी. वह मनोजके बालों मे उंगली घुमा रही थी. रेणुके होंठोंसे उत्तेज्नाके मारे सीईईईईईईई सीईईईईई कि आवाज़ निकल रही थी. अब उसने मनोजके मुहसे अपनी चुंची निकालते हुवे उसे ठेलकर पलंगपे लिटा दिया और लुन्गिमे छुपे उसके खड़े लंडको पकडके जोर जोरसे दबाने लगी. मनोजने अपना लूंगी ढीला कर दिया और पकडके रेणुका हाथ लूंगीके अन्दर लेजाकर अपने लंडपर रख दिया.
रेणु मनोजका लंड प्यारसे सहलाते हुवे उसकी लूंगीको नीच ठेल दिया. मनोजका खड़ा लंड पहली बार रेणुके साथ साथ मैंने भी देखा. वाकई उसका लंड बड़ा तगड़ा था. एकदम मोटा और लम्बा, काला पर फौलाद्के तरह कड़ा. उसका लंड देखकर रेणुकी आँखे चमकने लगे पर मुझे डर लगने लगा कि ये रेणुके बुरमे कैसे जाएगा. ये तो उसके बुरको चोद्चोद्के भोंस्डा बना देगा.
रेणु उसके लंडको सहलाने लगी. वह उसके लंड पर झुकी और अपने जीभसे उसके लंडको उपरसे निचे तक चाटने लगी. उसके लंडको चाटते चाटते वह उसके सुपाडेके उपर गोल गोल चक्करमे अपने जीभको घुमाने लगती थी.
अब उसने मनोजका लंड अपने मुहमे लेकर चुसना शुरू किया. रेणुके लाल लाल लिपिस्टिक लगे होंठोंके बिच मनोजका काला लंड कमलका लग रहा था. पुरे प्रयत्नके बादभी वह उसका पुरा लंड अपने मुहमे नही लेप रही थी. वो मनोजके लंड पर मुह लगाये तेजीसे अपना सर उपर निचे करने लगी. मनोजका लंड मेरे बीबी रेणुके मुहमे आने जाने लगा था. जब रेणुका मुह मनोजके लंडपर फिसलता हुवा नीचेको जाने लगता तो मनोज निचेसे उपरके तरफ अपने कमरको उठाकर अपना लंड उसके मुहमे और अधिक घुसेड़नेका प्रयास करता.
मनोज एकाएक उठकर पलंगके किनारे खड़ा होगया. उसका लुंगी फिसलकर निचे गिर गया. उसने अपनी बनियान भी उतर दी. अब वह बिलकुल नंगा था. उसकी चौड़ी छाती और गठीले बांहोंमे गजबका जान लग रहा था. उसने रेनुको अपने तरफ खीचा तो वो उसके पास आगयी. रेणु उसके छातीको चुमने लगी. मनोज झुककर रेणुके होंठोपर अपना होंठ रख दिया. दोनो एक लम्बे स्मूचके बाद अलग हुवे तो मनोजने रेणुको पलंगपे लिटा दिया और उसके साड़ीको उलट दिया. वो पैंटी नही पहनी थी, पहली बार रेणुका बुर उसके सामने था. वह अपने आपको संभल ना सका और फ़ौरन झुककर उसके बुरको चुम लिया. अब उसने रेणुके कमरके निचे तकिया लगा दिया जिससे उसकी बुर थोडी उपर उठ गयी. अब मनोज घुटनेके बल बैठकर उसके दोनो जांघोंको फैलाया और रेणुके बुरको निहारने लगा. उसने रेणु की कदिली मांसल जांघोंको सहलाते हुवे अपना हाथ उसके बुर पर लेजाके उसके बुरको सहलाने लगा.
बुर सहलाते सहलाते उसने अपने उंगलियोंसे उसका बुर फैलाया और बुरके अंदरूनी हिस्सेका मुआयना करने लगा. अंदरसे उसकि बुर एकदम गुलाबी दिख रहे थे. रेणु बहुत देरसे गर्म थी इसलिए उसके बुरसे रस टपक रहा था. मनोज अपना मुह उसके बुरपे लगाया और बुरसे टपकता पानी पिने लगा. अब वह अपना जिभ निकालकर कुत्तेकी तरह उसके बुरको चटर चटर चाटने लगा. उसने रेनुसे बुर चिदोरनेको कहातो वह अपने हांथोंसे अपनी बुर फैला दी. मनोज उसके बुरमे अपना जिभ डालके जीभसे उसकी बुरको चोदने लगा.
बुर चटवाते चटवाते अब रेणुकी हालत इतनि बिगड़ गई थी कि वो छटपटाने और चिल्लाने लगी. वह कहने लगी, ‘मनोज प्लीज अब बस करो. बस करो मनोज, अब बरदास्त नही हो रही. अब मेरे बुरको जिभ नही तुम्हारा लंड चाहिए मनोज. प्लीज अब एक बार बस एक बार अपने लंडसे मेरी बुर चोद दो फिर जब तक जैसे चाहो कर लेना मै तुम्हे नही रोकूंगी.’

मनोज उठकर खड़ा हुवा, अपना लंड रेणुके बुर पर रखा. रेणु सोंच रही थि कि अब वह अपना लंड बुरमे घुसेडेगा लेकिन मनोज एक नंबरका खिलाडी निकला. अपना लंड उसके बुरमे पेल्नेके बजाय वह उसे उसके बुरके उपरहि रगड़ने लगा. वह रेणुके टीट पर लगातार अपना लंड रगड रहा था, जिससे रेणुकी छटपटाहत और बढती गई. वह मनोजके बालोंको पागलकि तरह नोचने लगी. उसके मुहसे अजीब अजीब तरहकी आवाजें निकलने लगी.
आह्हह्हह्हह्हह आआआआआह्हह्हह्हह्हह ऊऊउईईईईईईई ऊऊऊऊईईईईइमा आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मै मरररर गयीईईईईईई ऊऊओह्हह्हह ऊऊऊऊईईईईइमा आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आह्हह्हह्हह्हह आआआआआह्हह्हह्हह्हह आआआआआह्हह्हह्हह्हह.
मनोजको सायद अब उसपे तरस आगया और उसने रेणुके बुरमे अपना लंड डाल दिया. पहले धक्कामे आधेसे कुछ अधिक लंड अन्दर चला गया था. रेनुको कुछ रहत महसूस हुवा.
मनोजने अपने लंडको थोडा बाहर खिंचके ऐसा ठाप माराकी इस बार उसका पुरा लंड रेणुके बुरमे घुस गया. वह अपना लंड अन्दर बाहर करते हुवे कमर हिला हिला कर उसे चोदने लगा. उसका मोटा लंड रेणुके बुरमे बिलकुल फिट लग रहा थ. ऐसे लगता था इसकी बुर उसीके लंडके साइज़का बना है. दोनो मस्त चुदायिमे मग्न हो गये. सारे जहाँको भूलकर वे दोनो मस्त चुदायिमे तल्लीन थे.
मनोजका रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ रहा था और रेणु बड़े तल्लीनतासे उसका साथ दे रही थी. बड़ा जानलेवा दृश्य था. देखके कोईभी मस्त होजाये. रेणु मज़ेमे कमर उठा उठा उठाकर चुदवा रही थी. मनोजभी वैसेही झटके पे झटका दे कर उसके बुर में लंड पेल रहा था. रेणु के बुरमे मनोजका लंड दनादन अन्दर बाहर हो रहा था.
वह रेनुको गचा गच चोदे जारहा था. उसके बुरमे मनोजका लंड सटासट आ जा रहा था. मनोजके हर धक्के पर रेणुकी चुचिया थलथल हिल रही थी. बड़ा हि कामुक चोदाईका खेल चल रहा था. मेरा मन कर रहा था कि मै कुदके वहां पहुंच जाऊं और अपना लंड रेणुके मुहमे घुसेड दूँ. लेकिन पुरा खेल चोरी चोरी देखनेका तमन्ना पुरा करनेके लिए मै अपने लंडको रगड़ते हुवे चुपचाप उनकि चोदाई देखता रहा.
मनोजने रेनुसे कहा अब पुरे कपडे उतर दे. अब तक वो साड़ी उलटके उसे चोद रहा था. रेणु उठी, साड़ी खोला, पेटीकोट उतारी, ब्लाउज और ब्रा निकली और पुरी तरहसे नंगी होगयी. मनोज उसे अपनी बाहोंमे भरके चुमने लगा. रेणुभी उसे पुरा रेस्पोंस देरही थी मनोजका हाथ उसके पीठ, कमर और चुत्तड पर फिसल रहा था. रेणुभी कोई कम नही थी, वहभी मनोजके पुरे बदनको सहला रही थी. कभी वे एक दुसरेके गालोंको तो कभी होंठोंको चुम रहे थे. यूँही रोमांस करते करते मनोज रेणुके पीछे जाकर पिछेसे उसे अपने आगोसमे भर लिया. वह रेणुके कंधे पर अपना ठोड़ी रखके उसके कानोंको तो कभी गोरे गलोंको चुमने लगा. मनोजके दोनो हांथोंमे उसकी दोनो चुंचिया थीं और उसका लंड रेणुके चुतड पर. उसने मसलते मसलते रेणुकी चुंचियां लाल लाल हो गए थे.
अब रेणुको बेड पर झुकाके अपना लंड उसके चुतड पर रगड़ने लगा. अपना एक हाथ पीछे लेजाकर रेणुने मनोजके लंडको पड़कर अपने बुरपे लगते हुवे उसने अपनी कमर पीछे दबाई. मनोजने अपने दोनो हांथोंसे रेणुके कमरको जोरसे पकड़कर पुरे ताक़तसे अपने कमरको आगेके तरफ ऐसे ठेलाकी एकही बारमे उसका पुरा लंड बुरमे दाखिल होगया.
रेणु जोरसे चींख पड़ी, ‘आआआआआअ’
उसके चिन्खनेका परवाह किये बगैर मनोज दनादन अपना लंड उसके बुरमे पेलते हुवे चोदने लगा. रेणुको एक साथ दर्द और आनन्द दोनोका अहसास हो रहा था. मनोज के हर धक्कों पर चिल्लाते हुवे वह अपनी गांड हिलाहिलाकर बुर चुदवाने लगी.
कमरेमे बडे अनोखे आवाज़ गूंज रहे थे. रेणुके नितम्ब पर पड़ते मनोजके थापका थपथपका आवाज़, उसकी चूड़ियों कि खनखनाहट कि आवाज़, छनछन करके बजते रेणुके पैरोंके पयालकी झंकार और रेणुके मुंहसे निकलता आह्हह्हह्हह्हह आआआआआह्हह्हह्हह्हह आह्हह्हह्हह्हह आआआआआह्हह्हह्हह्हह आह्हह्हह्हह्हह आआआआआह्हह्हह्हह्हह आह्हह्हह्हह्हह आआआआआह्हह्हह्हह्हह का आवाज़ संयुक्त रूपसे मिलकर महौलमे अजीब किसिमका तरंग फैला रखा था.
इधर मेरा हालत इतना बिगड़ गया था कि अपना लंड निकालकर मुठ मारने लगा था.
जब रेणुसे अपने बुरपे पड़ता चोट बरदास्तसे बाहर होने लगा तो वह मौका निकालकर मनोजके पकडसे फिसलते हुवे निकलकर बिस्तर पर चढ़के लेट गई.
मनोज कुद कर रेणुके उपर चढ़ गया. वह अपने जांघोंको सटाए पड़ी थी. मनोज अभी और चोदनेके मुडमे था. उसने अपने टांगोंको रेणुके टांगोंके बिच डाल कर उसकी टैंगोको फैला दिया और उसमे बैठते हुवे अपने लंडको निशानेपे लगाकर एक जोरदार सौट मारकर उसके बुरमे पेल दिया. उसका आधा लंड एकही बारमे रेणुके बुरमे घुस गया. वह लंड बुरमे फंसाए हुवे रेणुके उपर लेट गया और उसकी दोनो चुंचियोंको पकड़कर मसलते हुवे बुरमे लंड पेलने लगा.
अब रेनुको भी मज़ा आने लगा था और वह चोदायिमे मनोजका साथ देने लगी. उसने अपना पैर उठाकर मनोजके कमरको जकड़ लिया. रेणु उछल उछलउछल कर चुदवाने लगी और मनोज हुमच हुमचके चोदने लगा. रेणु चुदते हुवे मारे आनन्दके चिल्लाने लगी, ‘चोऊऊऊऊओद … चोऊऊऊऊओद … चोऊऊऊऊओद … औऊऊऊऊऊर कस्स्स्सस्स्स्सके चोऊऊऊऊओद … प्प्पेल्ल्लल्ल्ल्लल्ल्ल्ल … प्प्पेल्ल्लल्ल्ल्लल्ल्ल्ल … औऊऊऊऊऊर कस्स्स्सस्स्स्सके प्प्पेल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल आह्हह्हह्हह्हह आआआआआह्हह्हह्हह्हह आह्हह्हह्हह्हह आआआआआह्हह्हह्हह्हह ह्ह्ह्हुंन्न्न्नक औऊऊऊऊऊर कस्स्स्सस्स्स्स कस्स्स्सस्स्स्सके ह्ह्ह्हुंन्न्न्नक.
उसकी आवाजोंसे और उत्तेजित होते हुवे मनोज पुरे तकतसे अपना लंड उसके बुरमे पेलते हुवे अब वो भी चिल्लाने लगा, ‘ ल्लल्ल्ल्ले साआआआलीईईईईईई ल्लल्ल्ल्ले औऊऊऊऊऊर ल्लल्ल्ल्ले ल्लल्ल्ल्ले साआआआलीईईईईईई ल्लल्ल्ल्ले औऊऊऊऊऊर ल्लल्ल्ल्ले’
उधर जिस रफ्तारसे वह चोदाई कर रहे थे इधर मै भी उसी रफ्तारसे मुठ मर रहा था.
अब दोनो झड़नेके करीब पहुंच गए थे. रेणु बोली, ‘म्म्म्माआआररर ज्ज्ज्जोर्ररसे म्म्म्माआआररर ऊऊऊऊईईईई म्मम्मय्यय्य्य ग्गग्ग्ग्गगैईईईईईईईईईईईईईईईईई …. आआआआआह्हह्हह्हह्हह’ और इसके साथही वह खल्लाश होगयी.
मनोजभी किनारेको पहुंच गया था, दो तिन ठाप देकर उसने भी रेणुके बुरमे फव्वारा छोड़ दिया. दोनो एक दुसरेसे बिलकुल शांत होकर चिपके पड़े रहे.
और इधर मेरा पानी भी छुट गया. अपनी बीबी रेणुको पराये मर्दसे चुदवाते देखदेख कर मै भी खल्लास होगया लेकिन मै वहांसे हटा नही डटा रहा, क्योंकि मै आगेका नज़ारा भी देखना चाहता था.

चोदते चोदवाते हुवे मनोज और रेणु दोनो इस कदर थक गए थे कि एक दुसरेके बांहोंमे हि उनके आँख लग गये. करीब १० मिनट बाद मनोजका आख खुला. उसने देखा रेणुके बुरसे लस्सा निकल कर टपक रहा था. उसने रेणुको अपनी बांहोंमे कसकर उसके होंठोंको चुमने और चुंचियो पर हाथ फेरने लगा. रेणुकी भी आँख खुल गई. रेणुके चेहरे पर ऐसी तृप्ति दिख रही थी जो पिछले ८ बर्षोंमे मैंने उसके चेहरे पर नही देखा था. मै समझ गया कि इसे बहुतही विगरस चोदाई कि आवस्यकता है जो सायद मै पुरा नही कर पाता हूँ. इसके चुत के लिए मेरा लंड सायद छोटा पड़ जाता है. इसे मनोजके जैसा लंड और चोदनेका शक्ति रखने जला हि ऐसे तृप्त कर सकता है.
अब तक मै उसे एक पतिब्रता नारी समझता था, जो मेरे अलावा किसी अन्य पुरुषके बारेमे सोंच भी नही सकती. लेकिन सायद यह मेरा भ्रम था. वह इतनि बड़ी चोदक्कड़ औरत निकली जो एक मर्द्का होकर रह हि नही सकती. मुझे यह यकीनसा होने लगा कि ये पहले भी कई मर्दोंसे चुदवा चुकी है. आगे मौका मिलने पर ये किसी मौकेको हाथसे निकलने नही देगी.
मैंने कैमरा ऑन करके रिकॉर्डिंग चालु किया उसे सही जगाह्पे सेट करके रख दिया और उन्हें देखने लगा.
रेणु करवट होकर मनोजके गोदमे समा गयी. वह मनोजको बड़े प्यारसे चुमने लगी. दोनो बहुत कसके एक दुसरेको ऐसे भींचे हुवे थे कि लगता था दोनो एक दुरेमे पुर्णतः समा जाना चाहते हों. इस वक़्त इनका आत्मियता बस देखने लायक था.
मनोज उसके पुरे बदन पे अपना हाथ फेरने लगा. रेणु बार बार मनोजके सारे चेहरेको; उसके गाल, माथा, आँख, होंठ; चुम रही थी. दोनो के एक्टिविटी से ऐसा लग रहा था कि वे एक दुसरेको बहुत पसन्द करने लगे थे.
रेणु: तुम आतेही मुझ पर डोरे क्यों डालने लगा था.
मनोज: तुम्हीने तो उकसा उकसा कर पागल बना दिया था.
रेणु: जी मैंने.
मनोज: हां मेरी जान तुमने. स्टेशन पे चुंचियों दिखना, ऑटोमे मेरे कुहनी और पीठपे अपनी चुंची दबाना. घर पहुंचनेके बाद मेरे हर सवालका दोअर्थी सब्दोंमे जवाब देना क्या मानी रखता है.
रेणु: क्या कोई जुल्म कर दिया मैंने. सायद गलती हो गई मुझसे.
मनोज: नही यार ऐसी बात नही है.
रेणु: तो कैसी बात है.
मनोज: तुम जो ड्रेस पहनकर गई थी उसमे तुम बहुत सेक्सी लग रही थी मेरी जन. तेरा मेकअप भी कमलका था. मै तो तुम्हे देखतेही मोहित हो गया था तुम पर. तुम ऐसे सज संवर कर क्यों गई थी मुझे लेने. मुझे फंसना चाहती थी.
रेणु: धत नौटी कहिं के.
मनोज: तुम आखिर मेरे तरफ कब, कहां, कैसे आकृष्ट हुई.
रेणु: एक दिन मैंने तुम्हे तेरी भाभी मेनुको चोदते हुवे देख लिया था. उसी दिनसे मै तुम्हारि दीवानी होगयी. हर वक़्त तुमसे चोदानेका सपना देखने लगी थी.
मनोज: अच्छा तो ये बात है.
रेणु: मै भोली जो ठहरी, वैसे मेरी भोलेपन कि बातें पसन्द आयिकी नही.
मनोज: तुम भी बहुत अच्छी है और तेरी बातें भी. मनोज अपना हाथ रेणुके बुर पर रखके सहलाने लगा था.
रेणु: क्या ढूंढ रहे है आप. थोडा सीसियाते हुवे बोली, वह अब थोडा थोडा उत्तेजित दिख रही थी. उसने पूछा क्या चाहते हो.
मनोज: तेरा बुर, चोदनेके लिए. एक बार और दोगी.
रेणु: क्या दोगी ?????????
मनोज: अपनी बुर … दोगी, एक दम मस्त कर दुंगा.
रेणु: धत बेशरम जाओ मै नही दूंगी.
मनोज: दे दे मजा आजेगा, सारी जिन्दगी याद रखोगी.
रेणु: धत तुम भी ना, अभी अभी तो चोदा है फिर चोदोगे क्या.
मनोज: क्या तेरा मन नही कर रहा है.
रेणु: कर रहा है.
मनोज: गर्म हो रही हो.
रेणु: हां हो रही हूँ, अब शुरू करो.
मनोज: चल ना तो सुरु हो जा.
मनोज: तुम अपनी बुर देखावो.
रेणु: धत्त यार तुम ना बड़े बेशर्म हो क्या बुर बुर लगा राखी है, जरा भी शर्म नही है.
मनोज: अरे शर्म क्या करनी है, मजे लेना है तो तु भी खुल कर बोलो, शर्माती क्यों हो.
रेणु: अच्छा नही शर्माऊंगी.
मनोज: तो खोल दे टांग.
रेणु: हाय तुम हि खोल लो, मुझे शरम आ रही है राज्ज्ज्जज्जा
मनोज: ला मेरी रानी मै हि खोलता हूँ. लेकिन पहले एक पप्पी तो दे दो मेरी जान.
रेणु: हाय तुम भी ना बड़े शैतान हो, लेलो पप्पी भी अब मना करूँ भी तो कैसे.
मनोज: हाय बड़े रसीले होंठ हैं जानेमन, कौनसा लिपिस्टिक युज करती हो.
रेणु: लक्मे, चुसलो मेरे होंठोंका रस्स्स.
मनोज: हाय तेरी चुंची बड़ी मस्त है चुस्वावोगी, आ चिपक जा रानी.
मनोज्से चिपकते हुवे रेणु बोली: चिपक गई राजा मेरे, तेरे सिनेसे, मसल के देख लो ना जी जब चिपका हि लिया है तो.
मनोज: हाय जानेमन तु तो कमाल कि है रे मेनुसे भी मस्त हैं तुम्हारी चुंचियां.
रेणु: मसल दो ना बहुत मोटी हो रही है मेरी चुंची.
मनोज: मसल तो रहा हूँ, कैसा लग रहा है.
रेणु: आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्म्म्मम्म्म्मम्म जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ सनम संच्मे आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्म्म्मम्म्म्मम्म जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ.
मनोज: हाय बड़े मस्त हैं रे ला साली रगड़ रागडके लाल कर दूँ.
रेणु: हाय केवल रागडके हि नही जानू चुसके भी लाल कर देना. म्म्म्मम्म्म्मम्म आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह. खा जाओगे क्या?
मनोज: ला अपना चुंची मेरे मुह मे दे दे रानी.
रेणु: आरामसे चुसो तुम्हारी रानी कि चुंची है तुम्हारी बहनकी नही रज्ज्ज्जाजी.
मनोज: हाँ मेरी जां बरदास्त नही होता खा लेने दो ना. वह रेणुकी दोनो चुंचियां बड़े मजे से चूस रहा था. कभी एक चुंचिको चुसता कभी दुसरी को तो कभी दोनो हांथों से पकड़ कर दोनो चुंचियोंको एक दुसरेसे सटा कर दोनो चुंचियोंके घुंडी को एक साथ मुह मे ले लेता.
रेणु: आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्म्म्मम्म्म्मम्म जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ सनम संच्मे आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्म्म्मम्म्म्मम्म जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ.
मनोज: रेणुके बुर पर हाथ रखते हुवे बोला हाय तेरी बुर बड़ा मुलायम है रे. चाटनेका मन कर रहा है, चटवा ले ना, चल जरा गांड तो उठा.
रेणु: धत्त्त क्याजी गांड हटो बेशरम.
मनोज: अबे साली चुदवाने मे सरम नही है, कहने सुनने मे सरम, तु साली बड़े नखरे वाली हो. देखती जा तेरी नखरे कैसे उतरता हूँ.
रेणु: अच्छा लो उठा दी गांड भी आपके लिए.
रेणु जैसेही अपना गांड उठाकर उपरकी मनोज उसके बुर पे मुह भिड़ा दिया.
रेणु बोल पड़ी: हाय खा गए आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ.
मनोज: और ले साली, ये तेरी बुर तो मक्खन जैसे लग रही है रे. कब झांटें साफ़ कि थी.
रेणु: कल हि कि तुम्हारे लिए पता था ना तुम आओगे लौंडा खड़ा करके राजाजी, हाय मसल दो ना इस नंगी बुरको अपने होंठों से, काटके खा जाओ मेरी बुर, खुब चाटो अपना जिभ घुसेड घुसेड के. आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
मनोज: ले रण्डी, बोल सिर्फ जीभसे चाटूं या उंगली भी पेलूं तेर बुर मे.
रेणु: आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह स्स्सन्न्नम्म्म्म आःहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह मोर्रे बलम. आपतो संच मुच मेरे बुरको खाने लगे हाआआईईईईईई नाआआआआ मेरे सज्ज्ज्जन अब्ब्ब छोड्ड.
मनोज: हाय मेरी रानी मत रोक अपने पेलुको आआअह्हह्हह्ह तेरी बुर आआह्हह्हह बड़ी मस्त बुर है साली ऊन्नह हाय्य्य रे साली थोडा फैला ना रे चिदोर दे अपने बुर को. और हाय जानम जरा मेरा लौंडा भी सहला दे ना
रेणु मनोज का लंड पकड कर रगड़ते हुवे बोली: लो आपका लौंडा दबोच लिया है मुट्ठीमे और मसल रही हूँ.
मनोज: मसलतिजा हाय्य्य्य मेरीईईईइ जां वाह बड़ा मज़ा आ रहा है बस सहलाती जा.
रेणु: न्न्न्नन्न्न्न.
मनोज: चुप क्यों है मेरी जन बोल कैसा लग रहा है.
रेणु: अब मेरे होंठों पर रगड़ते हुवे मेरे मुहमे डालदे अपना लौंडा. मनोजने उसके होंठों पर रगड़ते हुवे अपना लंड उसके मुहमे डाल दिया रेणु मुह खोल कर उसका लंड अपने मुहमे भरली.
मनोज: ले चूस रण्डी चूस मेरा लंड.
रेणु अपने मुहमे दबाके चूस रही थी. उसके होंठ मनोजके लंडको दबाये हुवे था. मनोज कमर हिला हिला कर उसके मुहमे अपना लंड पेल रहा था. रेणु के होंठोंको रगड़ते हुवे उसका लंड रेणुके मुहमे अन्दर बाहर हो रहा था.
वह मुहमे से निकालकर पुरे लौदा पर उपरसे निचे तक जिभ फेरते हुवे बोली: हाय रज्ज्जा जी ये आपका लौंडा नही आइस क्रीम है आज मै इसे चुसते हुवे पुरा खा जाउंगी. आआअह्हह्हह्ह … इस्स्स्सस्स्स्स … जानूऊऊऊऊउ ओह्हह्हह हाय्य्य्य.

मनोज रेणुकी बुरमे उन्गललि डाल कर अन्दर बाहर करने लगा. रेणु मनोजका लंड चुस्ती रही. मनोजकी उंगली रेणुके बुरमे गच गच अन्दर बाहर हो रहा था. बुर मे उंगली डालने का उसने शुरुवात तो उसने बड़े प्रेम पूर्वक किया था लेकिन अब उसकी उंगली रेणुकी बुरमे बड़ी तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था. वह रेणुकी बुरसे उंगली बाहर निकलता और बहुत तेज झटके के साथ पुरी उंगली गचसे पेल देता साथ हि बोलने लगा-

मनोज: ले साली ये ले अपने बुर मे उंगली और चुस्ती रह मेरा लंड. ले मेरी रानी तु तो मेरे दिलकी रानी है ना रे ले रण्डी ले.

रेणु: चूस रही हूँ राजाजी लौंडा आपका, ये और भी मोटा होगया है राजा जी.

मनोज: कितना मोटा हो गया है रे, आरामसे घुसेड लो अपने मुहमे और चुस्ती रह साली बहुत मज़ा आ रहा है. तेरी तो साली चोद चोद कर वो हाल करूंगा आजकी तु जिन्दगी भर यद् रखेगी.

रेणु: आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ चुसवा दो अछे से आआज लौंडा.

मनोज अब एक साथ दो उँगलियोंको उसके बुर मे पेलने लगा. रेणुकी बुर पच पच पानी छोड़ने लगी थी. बुरमे घुसते निकलते उँगलियोंके कारण रेणु के बुरसे फचर फचर कि आवाज़ आ रही थी. मनोज का उंगली सटासट रेणुके बुरमे जा रहा था. अब रेणुके बुरमे काफी जगह बन गई थी मनोजने अपने तिन उन्गियों को फिर चार उन्ग्लियोंको मिलाकर एक साथ उसके बुरमे पेलना शुरू कर दिया. रेणु आरामसे उसके चारों उन्गलियोंको अपने बुर मे ले रही थी. उसे भी खुब मज़ा आरहा था.

वह बड़ी तेजिके साथ हचाहाच रेणुके बुरके उंगली डाल रहा था. रेणुकी बुर सटासट उसके उँगलियों को निगल रही थी. वह अपनी गांड ऐसे उठा रही थी कि लग रहा था अगर डाले तो वह उसका पुरा हाथ भी अपने बुरमे लेलेगी. बड़ी तेजीसे उसकी बुरसे पानी बह रहा था. मनोजके उंगली बिना किसी अवरोध के रेणु के बुरमे घुस निकल रहे थे.

मनोज: आज तो चोद चोदके तुझे पागल बना दूंगा.

रेणु: तो चोद दो ना जी मै कौन सा यहां पूजा करवाने को नंगी पड़ी हूँ मुहमे लौड़ा ले के.

मनोज: हाय मुह उठा रण्डी पहले इसे हि चोदता हूँ अपने लौंडासे, साली चुस्ती जा मेरा लौड़ा. चूस चूस के पानी निकल दे मेरे लौडाका अपने मुह से. पहला राउंड अपने मुहमे हि ले ले साली बाद मे तेरि बुर और गांड फाड़ता हूँ रण्डी.

रेणु: दे दो ना जी जंहा कहोगे वहीँ लुंगी. मार दो पिचकारी अपने लौडा कि मेरे मुह में. आआअह्हह्हह्ह … सीईईइईईईइ … सनम …. जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ … आआअह्हह्हह्ह

मनोज रेणुकि बाल पकड़ उसका मुह उठा दिया और अपना लंड दाना दन उसके मुहमे अन्दर बाहर करने लगा. उसने जितनी बेरहमिसे रेणुका बाल पकड़ रखा था उससे भी ज्यादा बेरहमिसे सटासट उसका मुह चोद रहा था.

रेणुके मुहसे सिर्फ गुंगुं कि आवाज निकल रही थी. लगता था उसका दम घूंट रहा हो लेकिन मनोजको उस पर जरासा भी रहम नही आ रहा था. उसका लंड रेणुके हलक तक पहुंच रहा था. रेणु बहुत बुरे वक्तसे गुजर रही थी. आखिर मनोजको रहम आ ही गया उसपे. उसने अपना लंड रेणुके मुहसे निकाल तो लिया लिकिन हुकुम जारी कर दिया लंड चुसते रहनेका.

मुह से लंड निकलते हि ढेर सारा लार उगल दिया रेणुने. उसे थोड़ी रहत मिली भी ना थी कि मनोज फिरसे अपना लंड उसके मुहमे घुसेड़ने लगा और कहा पुरे लंडको चाट साली नही तो इस बार तेरे मुहमे पेलते पेलते मार डालूँगा तुझे.

रेणु उसके आज्ञाका पालन करते हुवे अपने हाथमे लंड पकड़ कर चाटना शुरू कर दिया. वह अपना जिभ मनोजके लंड पर उपरसे निचे तक फेरने लगी. बिच बिच मे लंडको मुठिमे कसके रगड़ने लगती फिर उसके लंडको मुहमे खुदसे डालकर अपनी मुह उसके लंड पर मारने लगती.

रेणु: देखो आपकि रानी कैसे चाट और चूस रही है लौडा आपका, आप खुस हो ना रज्ज्जा जीईईईईईईईईईइ.

मनोज: चुस्तीजा साली बस ऐसेहि चुस्ती जा. हां लंडके सुपाडे को चाट साली. तु तो बड़ी भारी रण्डी है रे.

रेणु: म्म्मम्म्म्मम्म हां राज्जज्जा जीईईईईईईईईईइ. चाट रही हूँ. मै आपकि हि हूँ राज्जज्जा जीईईईईईईईईईइ. म्म्मम्म्म्मम्म हां राज्जज्जा जीईईईईईईईईईइ अपनी रानी बना के रक्कखो या रण्डीईईइ मै आपकि हि हूँ राज्जज्जा जीईईईईईईईईईइ. उसका हाथ बड़ी तेजीसे मनोजके लंड पर फिसल रहा था.

मनोज: हरामजादी बोल कम लंड पर ध्यान दे, ठिकसे चाट रण्डी.

रेणु: लौंडे के सुपाडेको राज्जज्जा जीईईईईईईईईईइ.

मनोज: हां भोंसड़ी हां चाट.

रेणु: म्म्मम्म्म्मम्म हां राज्जज्जा जीईईईईईईईईईइ. चाट रही हूँ.

मनोज: और चाट आआअह्हह्हह्ह चाटती जा भोंसड़ी. आआअह्हह्हह्ह चाट कसके चूस, चूस भोंसड़ी चूस, आआआआआअह्ह्ह्हह्हह्ह्ह आआआआआअह्ह्ह्हह्हह्ह्ह औत चूस भोंसड़ी.

रेणु समझ गई वह झड़नेके कगार पे है. उसने मनोजके लौड़े को मुहमे लेकर उसपे थोडा मुह मारी फिर मनोजके लौंडे पर ढेर सारा थूक लगाया और उसके लौड़े को कसके मुठिमे भींच कर बड़ी तेजीसे मुठ मारने लगी.

रेणु: हां राज्जज्जा जीईईईईईईईईईइ. लो राजज्ज्ज्जा जीईईईईईईईईईइ लो.

मनोज: रगडटी रह साली हां रगडती रह, आआआआआ आआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह

रेणु: जीईईईईईईईईईइ जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ

मनोज: आआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह आआआआआ

रेणु: जीईईईईईईईईईइ जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ जीईईईईईईईईईइ, जीईईईईईईईईईइ राज्जज्जा जीईईईईईईईईईइ

मनोज: बड़ी चोदक्कड है रे तु, आज तेरे बुरको भोंस्डा बना दूंगा और लंड पेलके तेरा गांड फाड़ दूंगा रे रण्डी.
रेणु: तो बना दो ना राज्जज्जा जीईईईईईईईईईइ मै कब मना कर रहि हूँ.

मनोज: हाय्य्य्य भोंसड़ी तु तो संचमुचके रण्डी है रे. रगडटी रह साली हां रगडती रह, आआआआआ आआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह

रेणु: जीईईईईईईईईईइ राज्जज्जा जीईईईईईईईईईइ … लो राजज्ज्ज्जा जीईईईईईईईईईइ.

मनोज: रगडटी रह साली हां रगडती रह, आआआआआ आआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह अब छुटने वाला है रे आआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह और जल्दी जल्दी रगड़ स्स्स्साल्ल्लल्ली

रेणु: जीईईईईईईईईईइ राज्जज्जा जीईईईईईईईईईइ … मेरे राजज्ज्ज्जा जीईईईईईईईईईइ दे दो ना जी मेरे मुह मे, मै पि लुंगी. मार दो पिचकारी अपने लौडा कि मेरे मुह में. आआअह्हह्हह्ह … सीईईइईईईइ … सनम …. जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ … आआअह्हह्हह्ह

मनोज: लो अब छुट रहा है रे आआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह

और मनोज के लंड से छूट गया पिचकारी. उसका लंड हिल हिल कर चोद रहा था पिचकारी. पहला तेज धार सीधे रेणुके मुहमे गया. लेकिन उसके बाद नेकलने वाला धार रेणुके गाल और पुरी चेहरे पर जंहा तहां फ़ैल गया.

मनोज के लौडासे बूंद बूंद करके अब भी तापक रहा था सफ़ेद मलाई. वह अपना लौंडा रेणुके गाल पर रगड़ रगड़ कर अपने लंड से निकले मलायिको रेणुके पुरे चेहरा पर फैला दिया.

रेणु अपने हाथमे मनोजका लंड थम कर उसके सुपाडे को अपनी होंठों पर रगड़ने लगी. वह बार बार मनोजके लंडको चुम रही थी. अंत मे उसने अपने जीभसे चाट चाटकर मनोजके लंडको साफ किया और उस पर एक सानदार चुम्बन जड दिया.

झड़ने के बाद मनोज निढाल होकर पड़ा था. उसका लंड भी ढीला होगया था. लेकिन रेणुकी प्यास अब भी बरक़रार थी. उसकी बुर अभी मचल रही थी. उसने मनोजके मुरझाये लंडको हिला डूला कर देखा और कटाक्ष करते बोली, ‘क्यूँ जानु आपतो अपने इसी लौडासे चोदते चोदते मुझे मार डालनेका दम भर रहे थे लेकिन आप जिसके ताक़त पर इतना घमण्ड कर रहे थे लगता है आपके उस लौंडा का दम हि निकल गया. आपका बहादुर लौंडा तो ऐसे दुबक कर सो रहा है जैसे यूध के मैदानसे दुश्मनसे शिकस्त खाकर भागा हुवा सिपाही.’

मनोज उसे सबक सिखलाने के गरजसे उस पर झटकर दबोचते हुवे जवाब दिया अब देख साली मै तेरा और तेरी इस बुर और गांडका क्या हाल करता हूँ. तेरी बुरको तो भोंस्डा बनाऊंगा हि साथ साथ तेरे गांडमे हूँक हूँककर इसे पोलो मैदान बना दुन्हा, आज इतना हूँकुंगा कि हप्ता भर तु सीधी तरह चल भी ना सकेगी.

रेणु: ओय्य्य्य मोर्र्र्रे चोद्द्द्दु राज्जज्जा मै जरा मुतकर आआअतीईईईइ हूँ फिर दिखा देना अपने पेल्ल्लल्लू लौंडे का दम.

रेणु बाथ रम के तरफ जाने लगी.

मनोज: क्यूँ अभिसे तेरे इस बुरकि मुत्त्त्तत्त्त्तती निकलने लगी. जा ओभी कर आ नहीतो कहीं इसका मुत्त्ती मेरे लंड परही ना निकल जाए.

कुछ देर बाद वह बाथ रुमसे फ्रेश होकर आयी. उसने अपना बुर और मुह धोकर साफ कर लिया था.
मनोज: चल आजा मैदान मे मेरररि रंन्न्नी.

रेणु बिस्तर पर मनोजके बगलमे बैठ गई. मनोज उसे खीच कर अपने बगलमे लेटा दिया. वह रेणुको अपने छातिसे लगाकर उसे चूमना सुरु किया. रेणुके गाल, होंठ, गर्दन, छाती, चुंची, पेट, नाभि, पेंडु, जांघ और बुर यानि हर अंगको, उसके पुरे शारिरको वह बड़े प्यारसे चुम रहा था. रेणु उसके चुम्बन से मचलने लगी. रेणु मनोजके चुम्बनका बहुत हि कामुक अन्दाज़ मे रेस्पोंसे दे रही थी.

जब चुमते चुमते उसके चुंची पर पहुचता तो वह अपना छाती उठा कर अपनी चुंची उसके मुहमे देनेका प्रयास करती. जब वह उसके पेट और पेंडु को चूमता तो मनोज का सर पकड कर बड़े प्यारसे अपने अंगों पर दबा देती. जब मनोजका मुह उसके बुरके तरफ़ पहुचता तो अपने टांगों को फैलाते हुवे कमर उठा कर अपनी बुर मनोजके मुह पर रगड़ देती.

मनोजका लंड अब फूलने लगा था. यह देख रेणु मचलती हुई मनोजको लिटाकर उसके उपर चढ़ गई और उसे चुमने लगी. रेणु मनोजके होंठों पर एक लाबी चुम्बन लेनेके बाद सिधे उसके छाती पे पहुंच गई और उसके मरदाना निप्पल को चाटने लगी जिसका सीधा असर मनोज पर दिख रहा था.

मै रेणुका लोहा मान गया इस सालीको खुब पता था कि क्या करनेसे मनोज चोदायीके लिए तुरन्त तैयार हो जाएगा. वह मनोजके निप्पल को चुसते हुवे उसके लंडको पकड कर हिलाने लगी. उसका लंड अब पुरा तन चुका था.

रेणु: हाय जानू आपका लौंडा तो फिरसे उछलने लगा.

वह मनोजके लंडको अपनी उन्गलिओं से बड़े प्यारे अंदाजमे चप्पत मार मार कर हिलाते हुवे उसके लौंडाका एक चुम्बन लिया और इस अंदाजमे बोलना शुरू किया कि लग रहा था वह मनोजके लंड से बातें कर रही है, ‘ओय होय मोरे रज्ज्जा जी अब आपको क्या चाहिए. बोलो मेरे रज्ज्जा क्या दूँ आपको. क्या कहा बुर, धत्त आप भी ना रज्ज्जा जी बड़े बेशर्म हो. मुझे तो ऐसी बात से शरम आती है जी. अलेलेलेलेले मेलेएएएए भोलेएएएए लाज्ज्ज्जा लुठोओओओओ नही दूंगी बुल, आवो मेलेएएएए लाज्ज्ज्जा मै देती हूँ बुल बतादो कैसे लोगे बुल रज्ज्जा जी.’

उसकी नखरीली तथा कामुक बात और बात करनेका अंदाज़ हि निराला था. ऐसी बात तो कोई बहुत ट्रेन्ड रण्डी हि कर सकती है.

मनोज ने उसे खिंच कर पलंग के किनारे लाया और खुद खड़ा होकर उसके टांगों के बिच आ गया. मनोजने रेणुकी जांघों को फैलाकर अपने कमर पर चढाते हुवे उसने अपना लंड बुर पर लगा दिया. थोडा झुक कर उसने अपना लंड रेणुके बुर पर टिकाया और दोनो हांथोसे उसकि कमरको कसकर पकड़ते हुवे अपना लंड बड़ी तेज झटके के साथ रेणुके बुर मे ठेल दिया. एकही झटके मे रेणुके बुरको चीरते हुवे करीब चार इंच धास दिया.

रेणु: हाय्यय्य्य राज्ज्ज्जा जीईईईईईईईईईइ जरा प्यारसे डालो ना.

मनोज उसकी बातोंको नज़र अंदाज़ करते हुवे दो तिन धक्का और लगा दिया और उसका पुरा लंड जड़ तक रेणुके बुर मे धस गया. अचानक हुवे हमलेसे वह थोडा तिलमिला जरुर गई थी लेकिन मनोजका इस तरह लंड पेलना उसे बहुत अच्छा लगा था. वह ऐसी चोदाई हि तो चाहती थी ना.

मनोज एक बार रेणुके बुरमे पुरा लौडा हूँक देनेके बाद नॉनस्टॉप चोदाई चालु कर दिया. वह रेणुके बुरमे अपना लंड दनादन पेलने लगा. रेनुको एक बहुत हि अनोखी अनुभूति होने लगी. और मनोजको भरपुर सहयोग देने लगी जिससे दोनोको चुदायिका बडा अनोखा आनंद मिल रहा था.

कुछ देरके मस्त चुदाई के बाद मनोजने रेणुको खीच कर पलंग के और किनारे खिंच लिया और उसके चुतड के निचे तकिया लगा दिया. रेणुके टांगों को उठाकर उसके पेटके तरफ मोड़ दिया और अपना एक पैर पलंग पर रखते हुवे अपना लंड रेणुके बुर पे टिका कर गचा गच पेलने लगा. वह बड़ी तेज़ गति से अपना लंड रेणुके बुर मे पेल रहा था. उसका लंड सटा सट रेणुके बुर मे जा रहा था.

अब उसने रेणुके टांगों को फैला दिया, अपने लंड पर ढेर सारा ठुक लगाया और लंडको रेणुके गांड पर रखकर अन्दर धकेलने लगा.

रेणु: नही जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ इसमें मत डालो फट जाएगी, मैंने इसमें पहले कभी नही लिया है.

मनोज रेणुके गांड मे लंड़का सुपाडा ठेलते हुवे: कभी नही लिया तो अब लेकर देख.

रेणु: नही राज्ज्ज्जा नही इसे छोड़ दो प्लीज.

मनोज: चल थोडा फैला कर रख आरामसे से डालूँगा.

रेणु: नही जाआआआन्न्न्नूऊऊऊऊऊ आपका इतना मोटा है कि डर लग रहा है प्लीज छोड़ दो ना.

मनोज: प्यारसे डालने दोगी तो आरामसे करूंगा और ज्यादा नखरा दिखयी तो ऐसे कस के पेलुंगा के संच मुच फट जाएगी. चल नखरे मत दिखा फैला अपनी गांड.

मनोजने अपने हाथसे लंड पकड़ कर उसके गांड मे धीरे धीरे घुसाने लगा. उसके मोटे लंड़का बडासा सुपाडा बार बार फिसलकर गांड से अलग हो जाता था. उसने रेणुके गांड पर थूक लगाकर अपनि उंगली उसके गांड मे डालकर अन्दर मिलाने लगा.

वह अपना लंड रेणुके बुरमे वापस डाल कर पांच सात बार दनादन अन्दर बाहर किया और अचानक लंड बुरसे निकाल पुरा निशाना साध कर रेणु के गांड मे डाल दिया. ऐसा वार कि एकही बार मे करीब तिन इंच अन्दर धास दिया.

रेणु: आह्हह्हह्हह्हह मै मरररर गई अबे साला भोसड़ी के निकाल दे रे.

लेकिन मनोज पे उसकी गांड मारने का ऐसा जुनून स्वर था कि रेणु के चिल्लानेका परवाह ना करते हुवे दनादन ठाप पे ठाप मारते हुवे अपना पुरा लंड गांड मे उतार कर हि दम लिया. वह लंड गांड मे डाले हुवे थोड़ी देरके लिए रुका तो रेणुको कुछ राहत महसूस हुवा.

मनोज: देख तु खामखा डर रही थी, ना तेरी गांड फटी ना तु मरी और पुरा लंड तेरे गांड मे दाखिल हो गया. बोल अब कैसा लग रहा है चालु करूँ अब नयी मशीन.

रेणु: अरे साले जब कोई तेरे गांड मे इतना मोटा खूंटा ठोकेगा तब तुझे पता चलेगा. मेरे गांड मे बहुत जलन हो रही है अब तो निकल दे साला.

मनोज: लो निकल देता हु. कहते हुवे बड़ी धीमी गतिसे वह उसके गांड मे से अपना लंड बाहर खिंचने लगा लेकिन दो तिहाई लंड बाहर आते हि अचानक फिर पुरा ताक़त लगाकर अन्दर धास दिया जिसके लिए रेणु तैयार नही थी सो फिर जोरसे चिल्ला पड़ी.

रेणु: उईईईईई मा मर गयीईईईईईई.

अब मनोज उसे पुचकारते हुवे: बस अब सिर्फ दो मिनट रानी, उसके बाद अगर तु कहेगी तो छोड दूंगा मेरी जान, बस अब सिर्फ दो मिनट.

रेणुको दिलासा देते हुवे वह हौले हौले उसका गांड मारने लगा. दश पन्द्रह बार लंड अन्दर बाहर करने के बाद वह धीरे धीरे स्पीड बढाता गया. रेणुकी गांड अब उसके लौंडा को एडजस्ट कर लि थी. उसके गांड कि जलन भी अब काम होने लगि थी और उसे बेहतर महूस हो रहा था.

रेणु कई ब्लू फ़िल्ममे गांड मारने का बड़ा विगरस दृश्य देख चुकी थी. उसे भी वैसे हि जम कर गांड मरवाने कि चाह तो थी हि लेकिन उसे इसका सौभाग्य आज तक नही मिला था. आज मौका मिला था तो वह भी इसका पुरा आनंद लेना चाहती थी.

उसे अब अपने गांड मे घुसते निकलते मनोजके मोटा लंड अच्छा लगने लगा और वह उसे रेस्पोंसे देने लगी. मनोज तो पहलेसे हि गांड मारनेका एक्सपर्ट था. वह कई बार अपने भाभी मेनुका गांड मार चुका था. रेणुको रेस्पोंस करते देख गांड मे लंड पेल्नेका स्पीड बढाता गया.

अब उसका लंड बड़ी तेज़ीसे रेणु के गांड मे सटासट अन्दर बाहर हो रहा था. अपनी गांड मनोजके लंड पर ठेल ठेल कर वह उसका स्वागत करने लगी. आनंद और उत्साह से अब दोनो इस खेल मे जुट गए और सुरु हुवा गांड और लंड का घमासान युध. एक ऐसा युध जिसमे मारनेवाला और मरवानेवालि दोनोको बराबर आनन्द मिल रहा था.

मनोज: अब कैसा लग रहा है जानम.

रेणु: अब ठीक है.

मनोज: मज़ा आ रहा है.

रेणु: हूँ.

मनोज: अब हर रोज़ दोगी.

रेणु: ले लेना मै मना थोड़े हि करुँगी.

मनोज: क्या दोगी.

रेणु: तुम जो चाहो.

मनोज: तु खुल कर बता ना क्या देगी.

रेणु: धत्त्त मुझे शरम आती है.

मनोज: अच्छा, बुर चोद्वाने और गांड मरवाने मे शर्म नही आती.

रेणु: छोडो भी ना.

मनोज: जा छोड़ दिया. कहते हुवे उसने अपना लंड उसके गांड से निकल लिया.

रेणु: क्यों निकाल लिए डालो ना.

मनोज: क्या डालूं.

रेणु: लौंडा.

मनोज: कहां डालूं.

रेणु: गांड मे.

मनोज: अब उलटी होकर झुक जा गांड मारने और मरवाने का असली मज़ा पिछेसे डालने मे हि आता है.
रेणु आज्ञा पालन करते तुरन्त उलटी होकर झुकते हुवे अपनि गांड उसके तरफ कर दी.

रेणु: अब ठीक है.

मनोज: ठीक है थोडा टांग फैला ताकि गांड चौड़ी हो जाए.

रेणु टांग फैला दी. मनोजने पिछेसे उसके गांड मे लंड धास दिया. अब वह रेणुके गांड मे कचाकच अपना लंड ठोकने लगा. रेणु कमर हिला हिलाकर अपने गांड मे उसका लंड लेने लगी. मनोज उसके गांड मे घचाघच लंड हुंकने लगा.

रेणुकि चुंचियां जो निचे के तरफ लटक रही थी वह बड़ी जोर जोरसे हिलने लगी. मनोज हचाहाच रेणुके गांड मे पेले जा रहा था. वह भी गांड हिला हिलाकर पेलवा रही थी. मनोजका स्पीड तेज़ और तेज होता गया.

काफी देर तक मनोज उसका गांड मरता रहा लेकिन उसका लंड झड्नेका नाम हि नही ले रहा था, झडे भी कैसे अब तक दो बार झट जो चुका था.

मनोज: अब जरा उपरसे आजाओ.

मनोज बिस्तर पे लेट गया. रेणु उपरसे चढ़ कर अपने हाथसे पकड़ कर लंड को गांड पे लगाई और दबा दी कमर. मनोजका लंड गपसे उसके गांड मे समा गया. अब रेणु उपरसे झूल झूलकर अपने गांड मे मनोजका लंड लेने लगी. उसकी चुंचियां मनोजके सामने बड़ी मादक ढंगसे हिल रहीं थीं. दोनोका ज़ोस बढ़ता जा रहा था. मनोज निचेसे चुतड उठा उठाकर उसके गांड मे लौंडा ठेल रहा था.

रेणु का गांड मारते मारते अब वह झडनेके कगार पे आगया तो उसने रेनुको अपने उपरसे उतार कर बिस्तर पे बिठा दिया और उसके तरफ घुम कर अपनेही हाथसे जोर जोरका झटका देकर अपना लंड रगड़ने लगा. अगले हि पल उसके लंड ने रेणुकी चुंचियों पर पिचकारी छोड़ दिया.

मनोज और रेणुकी चोदाई पुरी होनेके बाद वे बाथरूम मे फ्रेश होने चले गए. मै भी कैमरा छुपाया और चुपकेसे घरके पिछले दरवाजे से बाहर निकल गया. थोड़ी देर इधर उधर घुमनेके बाद मै घर आकर कॉल बेल बजाया तो रेणु ने आकर दरवाजा खोला. वह बहुत खुस और खिली खिलिसी लग रही थी.

मैंने घरमे घुसते हुवे उसकी चुंचिपे चिकोटी काटते हुवे पुछा, ‘बड़ी खुस लग रही हो, बतावो तो क्या क्या और कैसे कैसे हुवा.’

रेणु, ‘होना क्या था वह आनेके बाद मेरे इर्द गिर्द चक्कर कट रहा था. मैंने भी उसे हरी झंडी दिखा दी है. अभी खा पीकर आराम कर रहा है, बस.’

उसने इतनि जबरदस्त चुदायिकी बातों को छुपा लिया. मै सोंचने लगा साली कितनी चालु है. पहले हि दिन इतना जम कर चुद चुकी है लेकिन कितनी सफायिसे सारी बातोंको टाल गई. पता नही साली रण्डी ऐसेही छुप छुप कर कितने लोगों से चुदी होगी.

अपने शकको उसपर इजहार नाकरते हुवे मैंने धीमी आवाजमे पूछा, ‘तो आजका दिन तूने ऐसे हि बेकार कर दिया?’

रेणु, ‘अरे नही मोरे राजा, मैंने उसे पागल बना दिया है. स्टेशन पर चुंचियोंका दीदार और रास्तेमे चुंचियों का स्पर्स ऐसे कराया है कि यदि उसका बस चलता और लोकलाज नही होता तो घर पहुचते हि पटक कर मेरे बुरमे लंड पेल देता. लेकिन किसी तरह अपने आपको अब तक संभाले हुवे है. मै चाहती हूँ कि उसे थोडा और तडपाऊँ ताकि जब मौका मिले तो पुरे जोश खरोस के साथ दमदार तरीकेसे चोदे.’

मै मनही मन उसकी कमीनगी के लिए गाली बक रहा था, ‘रण्डी साली कितनी कामिनी है ये.’ लेकिन मै अपनी भावनाओं और मनमे उठते हलचल को छुपाये रक्खा.

मै, ‘तुम्हारा अगला प्लान क्या है?’

रेणु, ‘अब उसे और बेक़रार करना.’

मै, ‘कैसे.’

रेणु, ‘मै उसे किसी बहानेसे अपनी बुर दिखाउंगी और फिर तो वह मुझे चोदनेके लिए पागल हो जाएगा.’

मै, ‘बेचारेको क्यों इतना सता रही हो. तुझे चुदवाना हि है और वह भी तुम्हे चोदना चाहता है तो क्यों नही चुदवा लेती हो.’

रेणु, ‘कहीं तुम्हे मुझे उससे चुदवाते देखनेकी जल्दबादी तो नही है?’

मै, ‘तुम जो उचित समझो वही करो.’ मुझे पुरा बिस्वास हो गया था कि यह साली पुरी रण्डी है.

मै बिस्तर पर लेट गया था और वह मेरे बगलमे बैठी हुई थी. हम इधर उधरकी बातें कर रहे थे. मै रेणुके बालोंको सहला रहा था और वह मेरे एक हाथकी उँगलियों मे अपनी उंगलिया पिरोकर उसे दबा रही थी. तभी मनोज अपने कमरेसे निकलते हुवे पुछा, ‘भैया आ गए क्या.’

मै, ‘हां मै अगया हूँ. आवो तुम कैसे हो. कोई परेसानी तो नही हुई.’

वह कमरे मे दाखिल हुवा पर हमें इस पोजीशन मे देख दरवाज़े पर हि रुक गया.

रेणु, ‘रुक क्यों गए, अन्दर आजावो.’ मै सीधे रेणुका चेहरा नही देख पा रहा था लेकिन सामने ड्रेसिंग टेबल के मिरर मे देखा रेणु अपनी बात पुरा करते हुवे उसे आँख मर दी थी.

वह मेरे पास पहुंच कर पैर छूकर प्रणाम किया और ड्रेसिंग टेबल के पासके सोफे पर बैठ गया. मै उसे सामने से देख रहा था और रेणुको मिरर मे. अनजाने मे हि अपने आप बड़ा अच्छा सेटिंग मिल गया था. हम इधर उधरकी घर गृहस्ती वगैरहकी बातें कर रहे थे. रेणु उठकर किचेन मे गई और तिन ग्लासों मे जूस लेकर आई. हम तीनो एक एक ग्लास लेकर शीप करने लगे. रेणु फिरसे पलंग पर मेरे बगलमे बैठ गई लेकिन इस बार वह तकियेके सहारे मेरे सिरहानेके तरफ बैठी थी.

थोड़ी देर बाद रेणु अपना पैर थोडा सा मोड़ कर हलकासा खोली. उसकी साड़ी निचे थोडासा खुल गया जिससे उसकी गोरी पिन्लियाँ दिखने लगी थी. मै मिरर मे देख रहा था. मनोज मेरी नज़र बचा कर बार बार उसकी पिंडलियों को निहार रहा था. हमारा जूस ख़तम हो गाया. रेणु उठी और खाली ग्लास लेजाकर किचन मे रख कर वापस आ फिरसे बिस्तर पर चढ़ कर दिवार के तरफ तकिया लगाकर पीठ टेकते हुवे अपनी पैर मोड़ कर बैठ गई. इस बार वह मेरे पीछे बैठी थी. मै मनोजके तरफ घूमकर बैठा था. रेणुकी हर हरकत आईनेमे मै साफ साफ देख रहा था.

वह अपना पैर मोड़ कर तकिया के सहारे बैठी थी. लापरवाहिसे बैठनेके कारण उसकी साड़ी निचे लटक रही थी. साड़ी मे गैप सा बन गया था जिससे उसकी पुरी पिंडली और घुटनेके उपर जान्घोंका कुछ हिस्सा दिख रहा था. उसकी साड़ी का आँचल एक चुंची से हटा हुवा था. काफी सेक्सी पोज था उसका. मनोज नजरें छुपाकर उसे बार बार देख रहा था. मनोजके पैंट मे उसका लंड फूलने लगा था.

थोड़ी देर बाद रेणु ने अपना पैर थोडा और समेट लिया जिससे उसके साड़ी के अन्दरका गैप थोडा और बढ़ गया. वह अपने दोनो पैरोंको सटाकर रखी थी. इस वजहसे उसकी चिकनी, मुलायम, मोटी जांघे साइड के तरफसे थोडा थोडा दिख रहा था. उसकी अंग प्रदर्सन कि इस अदासे मेरा लंड खड़ा होने लगा था तो आप मनोजके हालत का अंदाज़ा आसानीसे लगा सकते हैं. रेणुके अंग प्रदर्सन देख देख मनोजका लंड पैंट के अन्दर हलके हलके ठोकर मारने लगा था. मै बारी बारिसे दोनोको देख रहा था लेकिन इस तरह कि उन्हें यह अहसास ना हो कि मै उनके हरकतोंको देख रहा हूँ.

अब रेणुने अपने पैरोंको थोडा सा इस तरीकेसे फैला दिया कि उसकी साड़ी का उपरी हिस्सा थोडा और उपर सरक गया. निचला हिस्सा तो पहलेसे हि लटका हुवा था हि. पैर खोलनेसे दोनो जांघे अन्दरके साइडसे दिखने लगे थे साथ हि साथ उसकी चुतका भी हल्का हल्का सा दीदार होने लगा था. मेरा मन इस कदर बेचैन होने लगाकि जी मे आता था बस पकडके ठेल दूँ, अपना लौड़ा उसके चुत मे. अपने पैंट के उभरको छुपानेके लिए मनोजने अपने दोनो पैरोंको एक दुसरे पर रखते हुवे हांथों को मोड़ कर लंडके उपर रख लिया.

रेणु साली बहुत चालु रण्डी लग रही थी, इस वक़्त. अपने पतीके नजरोंसे बचते हुवे कैसे अपने यारको चुत दिखा रही थी.

थोड़ी देर बाद वह अपने पैरोंको हौले हौले खोलने और सटाने लगी जिससे उसकी चुत बार बार दिख रही थी. ऐसा करते करते उसने अपने जांघों को और ज्यादा फैलाते हुवे चुतडको थोडा आगे खिसका दीया. अब उसकी चुत बिकुल साफ दिखने लगी थी. उसके मांसल चुत गज़बकी लग रही थी. इतने से भी इस भोंसड़ी को करार कहां मिलने वाला था. वह अपने चुतको धीरे धीरे सिंकोड़ने और फ़ैलाने लगी. उसकी चुतका नृत्य देख मेरा लौड़ा बेकाबू होते जा रहा था. मनोजके चेहरेका रंग भी अब बदल कर लाल होने लगा था और वह लम्बी सांसें खीचने लगा था.

रेणु अपने चुतड को थोडा और आगे खिस्कादी और अब अपने चुतड को हौले हौले उपर निचे तथा जांघोंको दांये बांये हिलाने लगी. उसकी इस हरकत से उसकी चुत मे हल्का सा दरार दिखने लगा. गजबकी लाली थी उसकी चुत मे. उसके चुत के दरार से रस टपकने लगा था. वह बिलकुल गीली हो गई थी. चुत नृत्य के साथ हि वह अपने एक हाथसे अपनी चुंचियोंको बारी बारी से मसलते हुवे दुसरी हाथकी बिच वाली उन्गलिको आगे निकलकर अपने चुतके तरफ ऐसे हिलाने लगी और आँख मरते हुवे उधर इशारा किया जैसे मनोजसे आकर चोदनेको कह रही हो. मेरा लंड भी अब पानी छोड़ने लगा था.

शायद मनोज से भी और बरदास्त करना मुश्किल हो गया था. वह उठ खड़ा हुवा और बोलाकी मै बाथ रूम होकर आता हूँ.

रेणु ने तुरन्त अपनी साड़ी ठीक करली. मनोजके जानेके बाद मैंने पुछा, ‘क्या दिखा दिया तूने जो बेचारेकी हालत इतना ख़राब हो गया.’

रेणु मेरे कानके पास फुसफुसा कर, ‘बुर दिखा दिया था. शायद वह मुठ मारने गया.’

मैंने रेनुको पकड़कर उसके होंठोंको चुमते हुवे उसकी चुंचियोंको कस कसके मसलते हुवे कहा, ‘तु अब पक्की रण्डी हो गई हो. मन कर रहा है साड़ी उलटके अभी का अभी तेरे बुरमे लौड़ा पेल दूँ.’

रेणु, ‘थोडा और सब्र करो आज रातको मनोजके साथ मिलकर जमके चोद लेना मेरे राज्ज्ज्जा जीईईई.’

मनोजके जानेके बाद थोड़ी देर हम इधर उधरकी बातें करते रहे. फिर हम दोनोने अपना आगेका प्लान तय करनेके लिए बाहर एकान्तमे जाकर डिस्कस करनेको तय किया. घरसे निकल्नेसे पहले रेणु लाल रंगकी पारदर्शी साड़ी ब्लाउज मे ड्रेस अप होकर बड़ी सुन्दर मेकअप किया. लाल पारदर्शी साड़ी मे वह और ज्यादा सेक्सी लग रही थी. साड़ीके उपरसे उसकी चौड़ी गलेकी ब्लाउजके बाहर निकले चुंचियोंका उपरी हिस्सा और पेट तथा नाभिका नज़ारा देखने वालेका लंड खड़ा कर देनेके लिए काफी था. जब वह उसे हमारी बाहर जानेकि बात बताने गई तो मनोज उसे इस रुपमे ललचाई नजरोंसे देख रहा था. रेणु घरसे निकलते निकलते उस पर अपने हुस्नका जादु बिखेरते हुवे बाय बोलकर अपनी कमर लचकाते और गांड मटकाते हुवे चल दी. मनोज दरवाजे पे खड़ा उसके पिछवाड़ेको निहारता हि रह गया.

एक पार्कमे बैठकर बहुत सोंच समझ कर हम दोनोने योजना बनाया और रेणु अकेले घर लौट आयी. घर पहुचने पर उसे अकेला देख मनोजने मेरे बारेमे पुछा तो उसने कह दियाकि एक आध घंटेमे होटल पाराडायिज से खाना पैक कराकर आजाएंगे.

मनोजने उसे बांहों मे भरकर चुम लिया और कहा, ‘तो एक क्विक राउंड हो जाय.’

रेणु, ‘नही यह रिस्की है, वह किसीभी वक़्त आ सकते हैं.’

मनोज, ‘मै बरदास्त नही कर पा रहा हूँ, उनके आनेसे पहले पुरा कर लेंगे. बस आजावो मेरी जान.’ कहते हुवे उसने रेणुकी चुंचियोंको पकड़कर मसलने लगा.

रेणु, ‘तुम क्यों पागल हो रहे हो. थोडा सब्र करो रातमे मै तुम्हारी ख्वाहिश पुरी कर दूंगी.’

मनोज, ‘कैसे सब्र करूँ मेरी जां.’ कहते हुवे उसे अपने बान्होंमे जकड़कर चुमने लगा.

रेणु, ‘देखो मेरी बात मानो अभी रहने दो बादमे खुब मज़े कराती हूँ ना मेरे सजनजी.’

मनोज माननेके मुडमे नही था. उसने रेणुकी होंठोंको चुमने लगा.

रेणु, ‘देखो मुझे छोड़ दो. मै इस वक़्त कोई रिस्क नही लेना चाहती. दिनमे तूने अपने मनकी करली है रात होने दो फिर करा दूंगी.’

किसी तरह वह खुदको मनोजके पकड्से छुड़ाया और आईनेमे अपने आपको निहारते हुवे बोली, ‘देख तूने मेरी मेकअप मेरी लिपस्टिक का क्या हाल कर दिया, ऐसे देख अगर उन्हें शक होगया तो.’

उसने अपनी मेकअप और खास करके लिपस्टिक दुरुस्त किया और उसे सब्र से रहनेको समझाया.

मनोज रेणुके इर्द गिर्द चक्कर काट रहा था. वह बार बार उसे मनानेका कोशिश कर रहा था. कभी कभी वह उसके साथ छेड़छाड़ भी कर देता था. एक बार तो उसने हद हि कर दिया, उसने अपना लंड पैंट मे से निकालकर दीखाते हुवे बोला, ‘देखो ना बिचारेका का क्या हाल हुवा है. देखो यह कैसे आंसु बहा रहा है.’ लंड से टपकते प्रेकम के तरफ उसने इशारा किया.

रेणु उसका लंड पकड़कर उससे निकलते चिपचिपे पानीको पोंछते हुवे बोली, ‘लावो मै इसके अंशु पोंछ कर चुप करा देती हूँ.’

वह मनोजके लंडको सहलाकर चुमते हुवे बोली, ‘रोनेको नही, मै देती हूँ ना अपने राजाको.’

वह उसके लंडको सहलाने लगी. रेणुके मुलायम हांथों का स्पर्श पाकर मनोजका लंड और भी अकड़ कर फौलाद्के जैसा हो गया.

मनोजने रेणुको बेड पर बैठा दिया. रेणु उसके लंडको चुमने और सहलाने मे मशगुल थी. मनोज रेणुके ब्लाउज मे हाथ डाल कर उसकी चुंची मसल रहा था.

दोनो इस काममे इतने मशगुल थे कि उन्हें मेरे आनेका पता हि ना चला. मै उनपे गरजा, ‘हरामजादों तुम ये क्या कर रहे हो.’

दोनो को जैसे सांप सूंघ गया. रेणुके ब्लाउज से अपना हाथ खिंच कर मनोज अपने हांथोंसे अपना लंड छुपाने लगा और रेणु अपनी पल्लु ठीक करने लगी.

रेणु, ‘गलती हो गई हम बहक गए थे, हमें माफ़ कर दो, प्लीज.’

मनोज अपना कान पकड़ते हुवे, ‘माफ़ कर दीजिये आगेसे ऐसी गलती हम दोबारा नही करेंगे.’

कान पकड्नेके चक्करमे लंड परसे उसे अपना हाथ हटाना पड़ा. मैंने देखा उसके लंडका तनाव अब कुछ काम हो गया था और वह निचेके तरफ लटक रहा था. अर्ध उत्तेजित अवस्थामे भी उसका लंड काफी बड़ा दिख रहा था.

मनोज अपना कान पकडे उठ बैठ करके माफीके लिए गिडगिडाने लगा. उसके उठने बैठने पर उसका लंड बार बार हिल रहा था, जिसका उसे जरासा भी होश नही था. मेरे साथ साथ रेणु भी उसके हिलते हुवे लंडको देख रही थी.

मै रेणुके तरफ घूरते हुवे बोला, ‘साली छिनाल, ये तो कुंवारा है बहक गया लेकिन तुम साली कैसे ऐसी ओंछी हरकत कर बैठी.’

रेणु मेरा पैर पकड़ते हुवे, ‘गलती होगयी मैंने घर आनेके बाद इसे अपने फोटोके सामने खड़ा होकर मुठ मरते देख लिया था. इसके हथियारको देख मै ललच गई थी. हमें माफ़ कर दो.’

मै, ‘क्या बोली, हथियार. क्या है इसके हथियार मे जो तु बहक गई रे साली रण्डी.’

रेणु, ‘आप खुद देख कर बतावो ना उस वाली फिल्म मे क्या ऐसा हि हथियार वाला नही था जिसे देख तुम बोले थे कि तेरी चुतको भी ऐसा हि मोटा और लम्बा हथियार चाहिए.’

मै, ‘हरामजादी मौज मस्ती मे मै बोल गया और मौका मिलते हि तूने पकड़ लिया इसका लंड. तुझे इसका लंड पकड़ने मे ज़रा सी शर्म नही आई.’

मैंने मनोजके तरफ घुम कर बलोया, ‘बाहनचोद तु अभी अपने कमरेमे जा साला तेरी खिरियत तो मै बादमे लूँगा, पहले इस रण्डी का खैरियत ले लूँ.’

मनोज फ़ौरन भाग खड़ा हुवा. मैंने रेणुसे दरवाज़ा बन्द करनेको और खिडकियों के परदेको ठीक करनेको कहा. वह दरवाज़ा और खिड़की बंद करके पर्दा ठीक करके आगयी.

अब हम दोनो मुस्करा रहे थे. थोड़ी देर तक मनोजको सुनाने के गरज़ से मै चिल्ला चिल्ला कर दोनोको गाली बकनेका नाटक करता रहा. रेणु भी बार बार गिडगिडाने और माफ़ी मागनेकी नाटक करती रही.

मै धीरे धीरे शांत हुआ. अब मै धीमी आवाजमे रेणुसे बात करने लगा. हम आगेकी योजना के बारेमे बात कर रहे थे. मैंने साड़ी उलटकर देखा तो उसकी बुर अब तक गीली थी.

हमारे योजनानुसार वह मनोजके कमरेमे गई और उससे बोली, ‘मैंने तुम्हे इतना रोका था लेकिन तूने मेरी एक भी ना सुनी. अब देख कितना बड़ा प्रॉब्लम खड़ा हो गया. खैर अब मेरी बात सुन मैंने बड़ी मिन्नत करके उन्हें मना पाई हूँ. अब वह जो कहें चुपचाप मान लेना, इसीमे हमारी भलाई है.’

मनोज, ‘ठीक है वह जैसा कहेंगे मै वैसाही करूंगा.’

रेणु, ‘अब तैयार होकर आजावो मै खाना लगाती हूँ.’

मनोज, ‘आप लोग खा लो मेरी हिम्मत नही हो रही है उनके सामने जाने कि. मै बादमे खा लूँगा.’

रेणु, ‘नही इससे वह और भी भड़क जाएँगे. बस तुम जल्दी से आजावो. डरो नही मै हूँ ना.’

रेणु खाना लगा दी हम तीनो बिना कुछ बोले चुपचाप खाना खा लिए. खानेके बाद मनोज अपने कमरेमे और मै और रेणु अपने कमरेमे चले गए. कमरे मे पहुंचकर मैंने दो कैमरा निकला और छुपाकर उसका फोकस बेड पर सेट करते हुवे दो अलग अलग जगहों पर इस तरह लगा दिया जिससे दोनो साइड से बेड कि हरकत कैमरा मे कैद होजाए. मै कैमरा ऑन करके टेस्ट किया और इत्मिनान करनेके बाद सही जगह पर ऑन करके रख दिया.

रेणु जाकर मनोजको बुला लायी. मनोज डरा हुवा सा आकर सोफे पर बैठ गया.

मै उसे बेड पर आनेका इशारा करते हुवे कहा, ‘वहां नही यहां आकर बैठो, मुझे तुमसे कुछ खास बात करनी है.’

मनोज आकर बेड पर बैठ गया.

मै, ‘तुम्हे रेणु पसन्द है.’

वह बोल पानेकी हालत मे नही था. उसे समझमे नही आरहा था कि बात क्या है और वह क्या जवाब दे. वह चुप हि रहा, कुछ जवाब नही दिया.

मै, ‘खामोश क्यों हो बोलो रेणु तुम्हे पसन्द है.’

उसने ख़ामोशी मे हि सर हिलाकर हां का इशारा किया.

मै रेणु से पुछा, ‘और तुम्हे यह पसन्द है.’

उसने भी हां मे इशारा किया, बिना कुछ बोले.

मैंने फिरसे मनोजसे पुछा, ‘तुम एक हठेकठे नवजवान हो तुम्हे कोई भी जवान लड़की मिल सकती है, फिर इस अधेड़ उम्र औरत मे तुम्हे ऐसा क्या दिख रहा है जो इसके चक्करमे पड रहे हो.’

मनोज डरते डरते, ‘जो चीज़ घरमे हो उसकी क़ीमत का अंदाज़ नही होता.’

मै, ‘अच्छा तो तुम्ही बता दो ना इसमें वैसी क्या है.’

मनोज, ‘रहने दीजिये आप गुस्सा करने लगेंगे.’

मै, ‘नही करूंगा गुस्सा, लेकिन तुम खुल कर साफ साफ बताओ तुम्हे इसकी कौन कौन सी चीज़ आकर्षक लगती है.’

अब मनोजका डर कम होने लगा था, वह खुल कर बोलने लगा, ‘इनकी मुखड़ा बहुत सुन्दर है, फूली फूली गोरे गाल, बड़ी बड़ी शराबी आँखें, पतली कमानीदार भंवें, चौड़ा माथा, फूलोंकी पंखुड़ियों कि तरह मुलायम लाल लाल होंठ, सुराहीदार गर्दन, और …’

उसने अपनी बात अधुरी छोड़ दी. मैंने उसका हौसला बढ़ाते हुवे कहा, ‘हां हां बोलो और क्या.’

मनोज, ‘बड़े बड़े भरे भरेसे बक्ष, समतल मुलायम पेट, गहरी नाभि, मोटी चिकनी कदेली मुलायम जांघें, मोटे नितम्ब, सब कुछ बुल्कुल वैसी है जैसी एक सुन्दर नारीका होना चाहिए और ….’

मै, ‘और.’

मनोज, ‘इनका बनाव श्रृंगार, मस्त चाल, मीठी आवाज़ सब निराले हैं.’

मै, ‘तो तुम इनपे लट्टू हो गए हो.’

मनोज, ‘मै इन्हें पानेके लिए बेचैन हूँ.’

मै, ‘तुम जो चाहो इसके साथ कर सकते हो लेकिन सब कुछ तुम्हे मेरे सामने करना होगा बोलो मंज़ूर है.’

मनोज, ‘हां, मुझे मंज़ूर है.’

मै, ‘और एक और बात तुम्हे इसकी और मेरी पसंद्का भी पुरा खयाल रखना होगा.’

मनोज, ‘ठीक है.’

मै, ‘तो आ जावो मैदान मे अब सोंच क्या रहे हो.’

मनोजको तो जैसे मनका मुराद मिल गया. वह तुरन्त बिना वक़्त गंवाए रेणु को अपनी बांहों मे भर लिया.

मनोज रेणुके पास पंहुचा. पलंगसे उतरकर रेणु किनारेके खडी होगयी. उसने अपनी बांहे खोल रखी थी जिसमे मनोज समा गया. दोनो एक दुसरेको अपने आलिंगन मे बाँध लिए और चुमने लगे. मै सामने सोफे पर जाकर बैठ गया और दोनो का रोमांस देखने लगा.

मेरे सामने बहुत करीब रेणु मनोज से रोमांस कर रही थी. दोनो एक दुसरेको बहुत जोशमे चुम रहे थे. दोनो के होंठ एक दुसरेके होंठ से सटे हुवे थे. रेणुकी हाँथ मनोजके पीठ पर था और मनोजका हाथ रेणुके कमर पर बंधा हुवा था.

मनोज अपने होंठों मे रेणुकि निचलि होंठको पकड़ कर चुसने लगा. रेणु मुह खोले अपनी होंठ बड़े प्यारसे मनोजके होंठों मे दे रखी थी. अब मनोजका हाथ रेणुके सरपे था और वह उसके बलोंको सहलाते हुवे उसका होंठ चूस रहा था.

रेणु अपना जिभ मनोज के मुह मे डालने लगी जिसे अपने मुहमे लेकर वह चुसने लगा. मेरे सामने बहुत करीब रेणु और मनोज एक दुसरेको प्यार कर रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे मेरे सामने किसी फ़िल्मके रोमांटिक दृस्यका फिल्मांकन चल रहा हो.

मनोजका एक हाथ अब रेणुकी चुंची पर पंहुच गया और ब्लाउजके उपरसे हि वह उसकी चुंचिको दबाने लगा. रेणु उसके गालोंको चुमने लगी.

मनोजने रेनुको पलंग पर बैठा उसके गलोको चूमा फिर उसके होंठ रेणुके गालों पर फिसलते फिसलते गर्दनके रास्ते छाती पर पहुंच गया. अब वह रेणुके चुंचियों के बिच के खाही मे अपना मुह घुमा रहा था. रेणु अपने होंठों को चबा रही थी.

मनोजने बारी बारी से रेणुकी दोनो चुन्चियोको चुम्नेके बाद उसके पेट परसे साड़ी के पल्लुको हटाकर पेट पर होंठ रगड़ने लगा. अब वह रेणुकी गहरि नाभि मे अपना जिभ डालकर चाटने लगा. रेणु पलंग पर अपने बांहों के सहारे थोड़ी तिरछी होकर अपनी पेट आगे कर रखी थी.

मनोज पलंग के निचे घुटनेके बाल बैठ गया और रेणुकी साड़ी को उपर उठाने लगा. साड़ी उठा कर वह उसके पैरके अंगूठे को अपने मुहमे लेकर चुसने लगा. रेणु हर पल रोमांचित होती जा रही थी. अब उसने रेणुके पैर पर निचे से उपरके तरफ अपना होंठ रगड़ते हुवे उपरके बुरके तरफका सफ़र सुरु किया और और कुछ हि पल मे उसके होंठ रेणुके निचले होंठों पर पहुंच गए. वह रेणुकी बुर चुमने लगा.

रेणुने अपना पैर खोलकर मनोजके लिए जगह बना दिया था. वह बड़े आराम और प्यारसे रेणुकी बुरको चुम रहा था. मनोज उसके बुरको चुमते चुमते अपना जिभ बाहर निकल कर नोकको रेणुके बुरके दाने पर लगा दिया. रेणु एक दमसे मचल गई. वह अपने चुतड उचकाते हुवे जांघों को खोल दी जिससे उसकि बुर दो फांकों मे बंट गई. मनोज अपना जिभ उसके बुरके दरारमे डालकर घुमाने लगा.

रेणु ने इशारे से मुझे अपने पास बुलाया. मै उसके पास गया तो वह मुझे खिचकर अपने पास बैठाते हुवे मुझे चुमने लगी. लगता था कि वह ये अवसर प्रदान करनेका धन्यवाद देरही हो मुझे. मैंने भी उसे चूमकर उसे अस्वस्त किया कि लगी रहो.

रेणु पैंट के उपरसे हि मेरा लंड पकड़ कर दबाने लगी. मनोज उसकी बुर चाट रहा था और वह मेरा लंड दबा रही थी. उसने मेरे पैंटका जिपर खोल मेरे तने हुवे लंडको बाहर निकल लिया और उसे अपने हांथों से सहलाते हुवे चुमने लगी. अब वह अपना जिभ मेरे लंड पर घुमा कर चाटने रही थी और मनोज उसका बुर चाट रहा था.

मैं अपना हाँथ उसके ब्लाउज मे डालकर उसके चुंचियोंको मसलने लगा. वह अपने चुतड को उठा कर मनोजके मुह पर दबा रही थी. मनोजने अपने उन्गलियोंसे उसके बुरको फैला दिया और अपना जिभ बुर मे डालकर चाटने लगा. रेणु मेरे लंडको धीरे धीरे अपने मुह मे लेकर चुसने लगी.

मैंने रेणुके ब्लाउज के हुक खोलना सुरु कर दिया और कुछ हि पल मे उसके ब्लाउज को उतर दिया. रेणु खुद हि अपनी ब्रा खोलकर निकल दी. उधर मनोज उसकी साड़ी उतारने लगा. साड़ी उतरने के बाद उसने उसकी पेटीकोट के नाड़ेको खिंच कर खोल दिया और रेणुको पलंगके निचे खड़ा कर दिया. पेटीकोट उसके पैरसे फिसलकर फ़र्स पर गिर गया और अब वह बिलकुल नंगी खडी थी. उसने आज पैंटी पहना हि नही था.

रेणु मनोजके कपडोंको खोलने लगी और इसके साथ हि मै भी अपना कपडा उतारने लगा. कुछ हि देर मे हम तीनो निवस्त्र खड़े थे. मेरा और मनोजका लंड एक दम से खड़ा हो चुका था.

रेणु घुटनेके बाल बैठ कर मनोजके लंडको चुसने लगी और मेरे लंड पर अपना हाथ फेरने लगी. मनोजके लंडको चुसते चुसते बिच बिच मे मेरा लंड भी चुस्ती जा रही थी. मनोज उसके चुंचियों को पकड़कर जोर जोरसे दबा रहा था.

अब मै निचे बैठ रेणुके एक टांग को अपने हाथोसे पकड़कर उठाया और अपना जिभ उसके बुर पर रगड़ने लगा. मनोज उसके मुह मे अपना लंड डाले उसके चुंचियोंको मसल रहा था. वह एक तरफ अपने मुहमे लेकर मनोजका लंड चूस रही थी और दुसरि तरफ मै उसका बुर चाट रहा था.

मैंने उसे पलंग पर किनारेके तरफ बैठा दिया. मै और मनोज अगल बगल मे खड़े होगये. रेणुने हम दोनोका लंड अपने एक एक हाथ मे थामकर सहलाने लगी. वह कभी मेरा लंड चुस्ती तो कभी मनोजके लंड को अपने मुहमे लेलेती थी. एक लंड मुहमे लेकर चुसते समय दुसरे लंडको कसकर पकडे रही थी और कभी कभार अपनी मुठिमे लेकर जोर जोरसे लंडको उपरसे निचे तक रगड़ डालती थी.

कुछ देर बाद वह हम दोनोके बिच फ़र्स पर घुटनेके बाल बैठ कर दोनो के लंडको चुसने और लंड पे मुठ मारने लगी. मनोजने उसके बालोंको पकड़कर उसके मुह मे अपना लंड डालकर कमर हिलाते हुवे अपना लंड पेलना सुरु किया. वह बड़ी तेजीसे रेणुका मुह चोद रहा था. कभी कभी तो वह हद हि पार करने लगा. बड़ी बेरहमिसे रेणुके बालों को अपने हाथों मे जकड़े हुवे उसका सर अपने लंडके तरफ खिचता और जोरसे अपना कमर ठेलकर जड़ तक पुरा लंड उसके मुह में घुसेड देता था. उसका लम्बा मोटा लंड रेणुके हलक तक पहुंच जाता और रेणु के मुहसे गूँगूँ का आवाज़ निकलने लगता था, मानो उसकी दम घुट रही हो लेकिन वह इससे परिसान होनेके बजाय इसका बड़ी मज़े से लुत्फ़ उठा रही थी.

मनोजने उसे उठाकर बेड पर झुका दिया और पिछेसे उसके बुर पर अपना लंड लगाकर घचाकसे अन्दर पेल दिया. उसका आधेसे जयादा लंड रेणुके बुरमे समा गया. उसने अपना लंड थोडा पिछे खिंच कर पुरे ताक़त से अन्दर ठेल दिया. उसका पुरा लंड जड़ तक रेणु के बुरमे चला गया था. अब वह तेज़ झटकों के साथ अपना लंड उसके बुरमे अन्दर बाहर करने लगा.

मै बहुत करीब से उनकि चुदाई देख रहा था. रेणुकी बुर मनोजके लंडको कसके चांपे हुवे थी और उसका लंड रेणुके बुरको चीरता हुवा अन्दर बाहर दौड़ लगा रहा था. रेणुकि चुंचियां निचे लटक कर झूल रहे थे. उसकी हिलती चुंचिया माहौल के मादकता को बढ़ा रहे थे. मैंने अपना हाथ बढाकर उसकी चुंचियोंको पकड़ कर मसलना सुरु कर दिया.

रेणु अपने मुह से आआह्हह्हह्हह्ह आआह्हह्हह्हह्ह उह्हह्हह्हह्हह्ह उह्हह्हह्हह्हह्ह कि मादक आवाज़ निकलने लगी और अपने बुर पर पड़ते मनोजके लंड़का चोट सह्नेके लिए सपोर्ट के लिये मेरा लंड पकड़ लिया. वह बड़ी कसके मेरे लंडको पकडी हुई थी. मेरे लंडको उसने पुरे ताक़त से अपनी मुठी मे भींच रखी थी.

अब मनोजने उसे बिसतर पर पटक कर चित लिटा दिया और खुद उसके छाती पर बैठ गया. उसने अपने हांथों से पकड़ कर उसका सर उपरके तरफ उठाया और मुहमे लंड डालकर जोर जोरसे अन्दर बाहर पेलते हुवे उसका मुह मारने लगा. मै रेणुके टांगों के बिच पहुंच कर अपना लंड उसके बुरमे पेल दिया और गचा गच चोदना सुरु कर दिया. थोड़ी देर तक मनोज रेणुके मुह्को और मै उसके बुरको चोदते रहे.

अब मनोज रेणुके छाती परसे उतरकर उसे करवट लिटा दिया. उसने रेणुके एक टांग उठा कर अपने कमर पर रखा और पीछे से अपना लंड उसके गांड मे पेल दिया. अब वह दाना दान अपना लंड रेणुके गांड मे हूँक रहा था. मै रेणु के मुह्के पास अपना लंड लेजाकर लगा दिया. वह मेरा लंड अपने मुहमे लेकर चुसने लगी. अपने गांड मे तेज गति से दौड़ते मनोजके लंड के वजहसे वह मेरा लंड चुस्नेमे अपने आपको कंसन्ट्रेट नही कर पा रही थी. मेरा लंड मुहसे निकाल कर मुठी मे कसते हुवे वह चिल्लाने लगी. मनोज पुरे स्पीड से उसका गांड मार रहा था.

अब मनोज बिस्तर पर चित होके लेट गया और रेणु को अपने उपर चढनेका इशारा किया. वह मनोजके उपर चढ़ कर उसके लंडको अपने हाथसे पकड़ कर बुरके छेड़ पर लगाकर निचेके तरफ दबाई. मनोज भी अपना चुतड उपरके तरफ उठाया और उसका पुरा लंड रेणुके बुरमे दाखिल हो गया. अब रेणु अपनी कमरको उपर निचे करते हुवे नाचने लगी और मनोजका लंड उसके बुरका बाजा बजाने लगा.

मनोजका लंड सटासट उसके बुरमे घुस रहा था. मनोज अपने हाथ मे रेणुकी चुंचियोंको पकड़कर मसलने लगा फिर अपना हाँथ लेजाकर उसकी कमरको पकड़ लिया और निचे से अपना कमर उचकाते हुवे रेणु के कमरको निचे खींचकर उसके बुरमे अपना लंड पेलने लगा.

मनोज मेरे तरफ घुम कर बोला, ‘देख क्या रहे हो पिछेसे इसके गांड मे अपना लंड पेल दो.’

उसका बात सुनते हि मै पिछे जाकर रेणुके गांड मे अपना लंड पेलनेका कोशिश करने लगा. मेरा लंड बार बार उसके गांड परसे फिसल जाता था और मै अपना लंड अन्दर नही घुसा परहा था. मनोजने अपने हाँथ को रेणु के चुतडों पर लेजाकर उसके गांड को जोरसे फैलाते हुवे मुझे लंड पेलने को कहा. मैंने रेणुके गांड पर ढेर सारा ठुक लगाया और अपने उंगली को उसके गांड मे पेल कर अन्दर के तरफ थूक मिलाया. मैंने अपने लंड पर भी थूक लगाया और लंडको गांडसे भिड़ा दिया.

मेरे लंड़का सुपाडा गांड के अन्दर दाखिल हो गया. अब गांडमे लंड पेलनेका सही एंगल सेट हो गया था. मै अपने लंड का दबाव बढ़ाने लगा और मेरा लंड धीरे धीरे गांड मे घुसता चला गया. करीब दो तिहाई लंड गांड मे दाखिल होनेके बाद मै लंडको अन्दर बाहर करने लगा.

रेणु के गांड मे लंड पेलते हुवे मुझे अपने लंड पे उसके बुर मे घुसे मनोजके लंड का टकराव साफ महशुश हो रहा था. अब मेरा लंड रेणुके गांड मे और मनोजका लंड उसके बुर मे था. वह एक साथ अपनी बुर और गांड मे लंड पेलवा कर अपने दोनो छेदों को चुदवा रही थी.

कुछ देर तक इसी पोजीशन मे मै और मनोज एक साथ रेणुको चोदते रहे. वह खुब जोर जोर से चिल्ला चिल्ला कर चोदवाती रहि. वैसे वह चुदवाते समय हमेशा सेक्सी आवाजें निकाला करती है, उसे खमोश चुदाई पसन्द नही है, लेकिन आज शुरुवात तो उसने खामोश चुदाई से कि थी परंतु अब वह बड़ी तेज आवाजमे बहुतही सेक्सी आवाजें निकल रही थी. वह एक पक्की तजुर्बेकार प्रोफेशनल रण्डी के ररह चिल्ला चिल्लाकर चुदवा रही थी.

रेणु, ‘हाय्य्य्य आऔऊर कस्स्स्सस्स्स्स कस्स्स्सस्स्स्सके हुन्न्न्नक्क्क्कको मेर्रे बुररर औररर गांड मेएएएए अप्प्प्पन्न्ना अप्प्प्पन्न्ना लंन्न्न्नड हाय्य्य्य पेएएएल्ल्ल्ल्ल्लो पेएएएल्ल्ल्ल्ल्लतेएएए रररहो हाँ आऔऊर कस्स्स्सस्स्स्स कस्स्स्सस्स्स्सके हुन्न्न्नक्क्क्कको हाय्य्य्य. हाय्य्य्य मेर्रररीईईईईईई बुररर औररर गांड कीईईई प्य्यय्य्य्यय्यास बुझाआआअ दो आज्ज्ज्जज.’

रेणु के मुह से निकलती आवाज़ हि नही उसके मुखड़े का एक्सप्रेशन भी बड़ी कामुक थी. वह मचल मचल कर चुदवा रही थी और हम हुमच हुमच कर चोद रहे थे.

रेणु, ‘हुन्न्न्नक्क्क्कको हुन्न्न्नक्क्क्कको हाय्य्य्य हुन्न्न्नक्क्क्कते रररहो हाय्य्य्य पेएएएल्ल्ल्ल्ल्लतेएएए रररहो धास्स्स्ससो धास्स्स्ससो अप्प्प्पन्न्ना अप्प्प्पन्न्ना लंन्न्न्नड बुररर औररर गांड मेएएए. हाय्य्य्य मन्न्न्नोज्ज्ज हुन्न्न्नक्क्क्कको मेर्रे बुररर मेएएए. आआअऊ आह्हह्हह्हह्हह आह्हह्हह्हह्हह आह्हह्हह्हह्हह आह्हह्हह्हह्हह’

रेणुकी चिल्लाहट और उसकी मस्तिको हम दोनोको और पागल बनाये जा रहा था. हर पल हमारे चोदनेका स्पीड बढ़ता हि जा रहा था लेकिन इतने कस कस कर एक साथ दो दो लंड से चुद्वाकर भी इस रण्डी को तसल्ली नही मिल रही थी.

रेणु, ‘च्च्च्चोद्द्द्दो … च्च्च्चोद्द्द्दो … औररर … कस्स्स्सस्स्स्सके … औररर … औररर … कस्स्स्सस्स्स्सके … औररर … कस्स्स्सस्स्स्स कस्स्स्सस्स्स्सके …. पेएएएल्ल्ल्ल्ल्लो …हाय्य्य्य … पेएएएल्ल्ल्ल्ल्लतेएएए … रररहो … हाँ … आऔऊर … पेएएएल्ल्ल्ल्ल्लो आऔऊर … आऔऊर … आऔऊर हुम्म्म्मच्च्च हुम्म्म्मच्च्चके …. हुन्न्न्नक्क्क्कको …. हाय्य्य्य …. हुन्न्न्नक्क्क्कको हुन्न्न्नक्क्क्कको, हुन्न्न्नक्क्क्कते … रररहो हाय्य्य्य……..’

चुदवाते चुदवाते अचानक रेणु मुझे ठेल कर अपने गांड परसे हटा दी और खुद मनोजके लंड परसे उठ कर पलटकर मनोज के लंड पर अपनी गांड टिका कर बैठते हुवे उसका लंड अपने गांड मे घुसा लि और मुझे अपना लंड बुर मे पेलने को बोलि. अब मनोज का लंड उसके गांड मे और मेरा लंड उसके बुर मे था. मनोज निचेसे उसका गांड मारने लगा और उपरसे मै उसकी बुर चोदने लगा. तेजी से कमर उच्छाल उच्छाल कर मनोज निचे से उसकी गांड मे अपना लंड हूँक रहा था और उपरसे मै अपना लंड उसके बुरमे सटासट पेल रहा था. उसके बुर और गांड मे अब हम दोनोका लंड पुरी तरह एडजस्ट हो चुका था और हमारा लंड सटासट अन्दर बाहर आ जा रहा था. वह फिर मस्ती मे चिल्लाने लगी.

रेणु, ‘हाय्य्य्य मन्न्न्नोज्ज्ज हुन्न्न्नक्क्क्क स्स्स्ससाल्ल्ल्ला हुन्न्न्नक्क्क्क हाय्य्य्य धास्स्स्ससो … धास्स्स्ससो अप्प्प्पन्न्ना लंन्न्न्नड गांड मेएएए. हाय्य्य्य मन्न्न्नोज्ज्ज हुन्न्न्नक्क्क्कको हुन्न्न्नक्क्क्क स्स्स्ससाल्ल्ल्ला हुन्न्न्नक्क्क्क मेर्रे गांड मेएएए अप्प्प्पन्न्ना लंन्न्न्नड … आआअऊ आह्हह्हह्हह्हह आह्हह्हह्हह्हह आह्हह्हह्हह्हह आह्हह्हह्हह्हह’

मनोज जो पहलेसे हि बहुत तेज गति से अपना कमर हिला हिलाकर उसके गांड मे अपना लंड ठेल रहा था रेणुके झुंझलाहट भरी चिल्लाहट से उत्तेजित होकर और तेजीसे उसके गांड मे अपना लंड धासने लगा. मनोजका लंड गचागच उसके गांड मे जा रहा था और मै अपना लंड सटासट रेणुके बुरमे पेल रहा था. उसके बुरसे पानीकी धार निकल कर उसकी गांडको तर करते हुवे मनोजके आंड को भी भिगो रहा था. पानी निकलने के वजह से बुरमे लंड पेलने पर फचर फचर कि आवाज़ निकल रही थी. मै और मनोज एक साथ तेज गतिसे हचर हचर उसके बुर और गांड चोद रहे थे.

रेणु, ‘ऊऊऊऊईईईईइमा आह्हह्हह्हह्हह आह्हह्हह्हह्हह प्प्प्परर्मोद्द्द्दद च्च्च्चोद्द्द्दो …. ऊओह्हह्ह …. औररर हुम्मम्म्मच्च्च्च हुम्मम्म्मच्च्च्च के पेलल्ल्ल्ल …. पेलल्ल्ल्ल …. आआअह्हह्हह पेलल्ल्ल्ल अप्प्पना पुररररररा लल्लन्न्न्नड … मेर्रे बुररररररर मेएएए … ठेल्ल्ल्लल … ठेल्ल्ल्लल … हाय्य्य्य … हाय्य्य्य … प्प्प्परर्मोद्द्द्दद औररर … कस्स्स्सस्स्स्सके … औररर ….. औररर हाँ … हाँ … पेलल्ल्ल्ल ….. आह्हह्हह्हह्हह ….. आह्हह्हह्हह्हह …. पेलल्ल्ल्ल …. ओह्हह्ह …. ओह्हह्ह …. हाय्य्य्य ….. हाय्य्य्य …. प्प्प्परर्मोद्द्द्दद …. प्प्प्परर्मोद्द्द्दद …… प्प्प्परर्मोद्द्द्दद …… हाय्य्य्य …. हाय्य्य्य ….. पेलल्ल्ल्ल …. आआअह्हह्हह …. पेलल्ल्ल्ल … ऊऊऊऊईईईईइमा … ऊऊऊऊईईईईइमा …. आह्हह्हह्हह्हह ….. आह्हह्हह्हह्हह … ऊऊऊऊईईईईइमा … ऊऊऊऊईईईई … … ऊऊऊऊईईईई … ऊऊऊऊईईईईइमा …. आह्हह्हह्हह्हह ….. आह्हह्हह्हह्हह … प्प्प्परर्मोद्द्द्दद …. आह्हह्हह्हह्हह ….. आह्हह्हह्हह्हह …’
मै तो पहले हि उसके बुरमे घचाघच पेल रहा था रेणुके कहने पर और उस रण्डी कि वासना कि ज्वारको देख और हुमच हुमच कर अपना लंड उसके बुरमे हुंकने लगा. मनोज भी दनादन उसके गांड मे अपना लंड घुसेड रहा था.

रेणु, ‘हाय्य्य्य ….. आह्हह्हह्हह्हह ….. आह्हह्हह्हह्हह … अरररररे …. स्स्स्ससाल्ल्लों …. पेलल्ल्ल्ललो …. पेलल्ल्ल्ललो …. नाआआआआ …. पेलल्ल्ल्ललो …. पेलल्ल्ल्ललो …. भंन्न्नडडडडूऊओ …. ओह्हह्ह …. आह्हह्हह्हह्हह … स्स्स्ससाल्ल्लला … प्प्प्परर्मोद्द्द्दद …. च्च्च्चोद्द्द्द …. च्च्च्चोद्द्द्द …. नाआआआआ … रररररेएएए … स्स्स्ससाल्ल्लला … च्च्च्चोद्द्द्द ….’

हमें समझमे नही आरहा था कि ये भोंसड़ी अब और कैसी चुदाई खोज रही है. हम उसके चिल्लाहटका परवाह किये बगैर बस पुरे ताक़त के साथ चोदाई मे डेट हुवे थे. मै अब झड़ने के कगार पर था और रेणुके बुर और गांड के पतले पार्टीशन से मेरे और मनोजके लंड़का जो स्पर्स हो रहा था उसमे पहले और अब के अंतर से मै समझ चुका था कि वह भी किसी भी पल झड सकता है. हम दोनो झडनेके कगार पर पहुच गए थे. हमारे लंड अकड़ने लगे थे. हमारे लंड तूफान कि तरह रेणु के बुर और गांड को झकझोर के चोद रहे थे.

इतनि जोरदार चुदायिके बाद भी ये रण्डी साली ठंढा होनेका नाम हि नही ले रही थी. हर पल इसकी हवस बढती हि जा रही थी. वह अपने शारीर को हिला हिला कर हमारा लंड अपने भीतर ले रही थी.

रेणु, ‘आह्हह्हह्हह्हह … स्स्स्ससाल्ल्लला … मन्न्न्नोज्ज्ज …. आह्हह्हह्हह्हह … फ्फ्फ्फाड़डडड देएएए …. फ्फ्फ्फाड़डडड देएएए …. स्स्स्ससाल्ल्लला … फ्फ्फ्फाड़डडड देएएए …. मेएएएररररर्री …. गाआअन्न्न्न्न्न्न्ड …. फ्फ्फ्फाड़डडड देएएए ….’

मनोज अपना खुंटे सा मोटा लंड ताबड़ तोड़ रेणुके गांड मे धास रहा था. वह झडनेके कगार पर आगया और बडबड़ाने लगा, ‘हाय्य्य्य साआआआलीईईईईईई रंन्न्नडीईइइ ले ले साआआआलीईईईईईई ले ले म्म्म्ममै ग्ग्गग्यय्या’ और वह रेणुके गांड मे हि अपना ज्वाला छोड़ दिया. मैंने महशुश किया के अब भी उसका लंड रेणुके गांड मे रह रह कर हिल रहा था. मै दनादन उसको चोदता रहा. मेरा लंड घचाघच उसके बुरको चोद रहा था.

रेणु, ‘च्च्चच्च्चोददददददो …. च्च्चच्च्चोददददददो …. आह्हह्हह्हह्हह … च्च्चच्च्चोददददद …. च्च्चच्च्चोदददददके …. रर्न्न्न्नडीइइइई …. ब्ब्बब्बन्न्न्ना … द्द्द्ददो …. साआआआल्ल्ललों …. आह्हह्हह्हह्हह ….. आह्हह्हह्हह्हह … ऊऊऊऊईईईईइमा … ऊऊऊऊईईईई … ऊऊऊऊईईईई … आह्हह्हह्हह्हह …. आह्हह्हह्हह्हह …. ऊऊऊऊईईईई … ऊऊऊऊईईईईइमा …. आह्हह्हह्हह्हह ….. आह्हह्हह्हह्हह … म्मम्मम्म ….. म्मम्मम्मम …. म्म्म्ममै …. गगईइइइइइइईई …. गगईइइइइइइईई …. आह्हह्हह्हह्हह … म्मम्मम्म ….. म्मम्मम्मम …. म्म्म्ममै …. गगईइइइइइइईई …. आह्हह्हह्हह्हह …’
रेणुके बुरसे गरम लावा निकल पड़ा. उसके बुर ने फव्वारे के तरह पानी उगल दिया और इसके साथ हि मेरे लंड ने भी उसकी बुरमे पिचकारी छोड़ दिया.
हांफते हुवे हम तीनो अलग हुवे लेकिन मनोज रेणु के गांड से निकाल कर अपना लंड उसके मुह पर लगाते हुवे चाट कर साफ करने को कहा. वह उसका लंड चाटने लगी. मै भी साफ करनेके लिए अपना लंड उसके मुह्के तरफ बढ़ा दिया.
रेणुके गांड और बुरसे सफ़ेद बिर्य बिस्तर के चादर पर टपक तटपक कर गिर रहा था.

अगले दिन सुबह्के नास्तेके बाद मनोज अपने कामके सिलसिलेमे गया. मै भी अपने दफ्तरको निकला. शामको जब मै घर लौटा तो देखा रेणु और मनोज दोनो मुह लटकाए रोनी सी सूरत बनाकर बैठे थे. मेरे पुछने पर पता चला कि मनोज जिस होटल मे अपने इंटर्नशिप के लिए आया था उसका दुसरे सहरमे भी एक ब्रांच खुला है. अगर उसे इंटर्नशिप करना है तो उसे वहीँ जाना पड़ेगा और इसके लिए उसे आज हि निकलना पड़ेगा. बहुत सोंचनेके बाद वह वहां जाने का फैसला किया क्यूंकि और कोई उपाय भी नही था. बह अपना सामान पैक करने लगा और आठ बजेके करीब निकल गया.

उसके जानेके बाद रेणु बहुत उदास थी. मुझे उसपे तरस आरहा था. मैंने उसे बह्लानेकी बहुत कोशिश किया लेकिन उसका मुड ठीक नही हुवा. मै उसे खाने के लिए बाहर चल्नेको कहा. वह नही मान रही थी. मेरे जोर देनेके बाद वह किसी तरह तैयार हुई.

वह डीनर से लौटने के बाद भी उदास हि थी. मै भी चुप रहना हि ठीक समझा और हम सो गए.

अगले दिन भी वह उदास हि लग रही थी. मैंने उसे नर्मल होने के लिए थोडा वक़्त देना मुनासिब समझ कर कोई छेद छाड नही किया और दफ्तर के लिए बाइक से निकल गया. थोडा आगे जानेके बाद सडक किनारे अपने एक पड़ोसन मिसेज सीमा गुप्ता को खड़े देखा. वह बला कि खुबसूरत औरत थी. उम्र ३५ के आस पास, भरा बदन, हर अंग कसा कसा सा, बड़ी बड़ी पर मादक चुंचिया, उभरे हुवे भारी लेकिन सुडौल नितम्ब. पेट पर थोड़ी चर्बी थी लेकिन उसके डील डौल पे वह अच्छा लगता था.
कभी कभार वह मेरी बीबी से मिलने हमारे घर आजाया करती थी. उसके पतीने ३ साल पहले ठीक मेरे घरके सामने का खाली छोटा सा ज़मीं का टुकड़ा खरीद कर उस पर एक छोटा सा माकन बनाया था और करीब दो साल से वह वहां रहने लगे थे. माकन बनाने काम जब चल रहा था तो वह अक्सर आती रहती थी. उसी वक़्त उसकी जान पहचान मेरी बीवी से हुई थी. उसका माकन बन रहा था इस लिए वह सोच के लिए हमारे घर आजाया करती थी. इस के लिए जब वह मेरी बिवीसे अनुमति मांगी थी तो वह यह कहते हुवे उसे अनुमति दे दी थी कि अब हम पडोसी बन रहे है तो इतना सहयोग करना तो बनता हि है. आप बेहिचक हमारा टॉयलेट युज कर सकती हो. और भी किसी चिजकी जरुरत पड़े तो बेहिचक बोल देना.
उसको देख मै उसके ख्यालों मे डूबने लगा था. मेरे मनमे वह बस गई थी और धीरे धीरे मै उसको चाहने लगा था. मै अक्सर यह सोंच कर गरम हो जाता था कि कास किसी दिन बिस्तर पर इसको नंगी कर दबोचने को मिल जाये तो मज़ा आजाता. कभी अगर मै घर पे होता और वह टॉयलेट जानेके लिए हमारे घर आती तो मै यह सोंच कर गर्म हो जाता कि वह साड़ी उठाकर कैसे अपनी बुर उघाड़ कर बैठी होगी और उसके बुर से सुनहरा धार कैसे निकलता होगा और कैसे अपने हांथों से रगड़ रगड़ कर अपना बुर धोती होगी. कास उसकी बुर छूने का मौका मुझे मिल जाता. टॉयलेट से उसके निकलने के बाद मै जानबूझ कर टॉयलेट मे चला जाता. दरवाज़ा बंद कर मै उसके बुर से निकले पेसाबको सुन्घ्ता और मस्त हो जाता.
कई बार अपने बिविको चोदते वक्त मै उसका कल्पना करता. मै सोंचता कि वह मेरे निचे पड़ी है और मै उसके होंठों को चुमते हुवे चुचियों को मसलते हुवे उसके बुर मे लंड पेल कर धक्के लगा रहा हूँ. इन सोंचो कि वजह से मेरा जोश इतना बढ़ जाता कि मेरी बीवी भी मस्त हो जाती और गांड उठा उठाकर जम के चुदायिका आनंद लेती. उसे क्या पता कि मै ख्यालों मे सीमा को चोद रहा हूँ. खैर बाकि बातें बाद मे धीरे धीरे बताऊंगा.
सीमा ने मुझे रुकने का इशारा किया. मैंने बाइक रोक कर पुछा, जी बोलिए कोई काम है, मै ऑफिस जा रहा हूँ देर होजाएगी.’
‘मै बहुत देरसे यहां बसका इंतज़ार कर रही हूँ. जो आरहा है एकदम जाम पैक आरहा है. अगर आपको एतराज़ ना हो तो क्या आप मुझे ***** तक छोड़ देंगे.’, वह अपना सिर निचे झुकाए बोली. उसने आगे बोला, ‘मेरा एक रिश्तेदार बीमार है उसे देखने जाना है.’
मेरे तो दिल मे फुलझड़ी फूटने लगी लोग क्या सोंचेंगे इस कि परवाह किये बगैर मैंने कहा, ‘आईये बैठ जाईये वो जगह तो मेरे ऑफिस के रास्ते मे हि पड़ता है, मै आपको छोड़ देता हूँ.’
और वह बाइक पे बैठ गई.

आज मेरे बाइक पर मेरे पीछे मेरी सपनोकी रानी बिलकुल मेरे करीब बैठी हुई थी. उसके बदन से उठने वाली खुसबू मुझे मदहोश किये जा रहा था. मैने कभी सोंचा भी ना था कि वह खुद से हि आकर इस तरह मुझ से सट कर बैठ जाएगी. वह बहुत संभलकर बैठी थी ताकि उसका बदन मुझ से ना सटे. लेकिन मै भी कहां मानने वाला था. आज इसने लिफ्ट लि थी और मैंने ठान लिया था कि बहुत जल्द मै उसकी साड़ी लिफ्ट करूंगा. मौका का भरपुर लाभ उठाने के गरजसे मैंने कहा, ‘अरे सीमाजी ठीक से आरामके साथ बैठिये.’

सीमा, ‘जी मै ठीक हूँ.’

मैंने जानबूझ कर कुछ सुनाई ना देने का बहाना करते कहा, ‘बैलेंस बिगड़ रहा है, आगे काफी जगह है थोडा आगे खिसक कर बैठिये ना.’ मैंने साइड मे बाइक रोका दिया और आगे बोला ‘आराम से बैठिये फिर चलते है.’

वह थोडा आगे खिसक कर बैठते हुवे बोली, ‘अब ठीक है चलिए.’

मै बाइक बढ़ाते हुवे पूछा, ‘क्या हुवा है आपके रिश्तेदार को.’

सीमा, ‘टाईफाईड हो गया है, बेहोश है और अभी आईसीयू मे है.’

‘सॉरी सीमाजी मै ठिकसे सुन नही पा रहा हूँ. जरा जोरसे बोलिए प्लीज.’

वह अपना मुह मेरे कान के करीब लाते हुवे जरा जोरसे अपनी बात दुहरायि.

इस बातचीत के चक्कर मे वह मेरे काफी करीब आ चुकी थी. मै अपने गर्दन और कान पर उसके गरम सांसों को महशुस करके मदहोश होरहा था.

‘उसे पहले डॉक्टर को क्यों नही दिखाया’ बात आगे बढ़ाने और हमदर्दी जताने के गरज़ से मैंने कहा, ‘आज कल बीमारी मे लापरवाही ठीक नही है. कभी कभी छोटी मोटी बीमारी भी जानलेवा बन जाती है.

वह सफाई देते बोली, ‘उसे गांवके हि डॉक्टर से दिखाया था. लेकिन बीमारी ठीक होने के बजाय बिगड़ता चला गया.’

मै, ‘वह आपका कौन है.’

सीमा, ‘वह मेरा अपना भाई है, छोटा भाई.’ और वह सुबकने लगी.

मैंने हमदर्दी जताई, ‘अरे सीमाजी आप चुप होजायिये, घबराईये नही अब वह बहुत जल्द बिलकुल ठीक हो जाएगा.’
सीमा, ‘लेकिन अभी वह बेहोश है, मुझे तो बहुत डर लग रहा है.’

मै, ‘आप चिन्ता ना कीजिये अब उसका बहुत बढ़िया हॉस्पिटल मे इलाज चल रहा है, भगवानने चाह तो वह बहुत जल्द ठीक हो जाएगा.’

इतने मे हि अचानक रोडके बिच एक छोटा सा गढा आजानेसे बाइक थोडा डगमगाया. संभलनेके लिए उसने मेरा कन्धा पकड लिया. लेकिन वह संभल पाती इससे पहले उसकी चुंची मेरे पीठ पर ठोकर मर चुकी थी. मै तो जैसे जन्नत मे सैर करने लगा था.

‘आगे कुछ दुर तक रोड थोडा टुटा फुटा है. आप जरा ठीक से पकड़ कर बैठे रहिये.’ उसे सावधान करने के बाद मै फिर बात को पहले वाले टॉपिक पर लगाया ताकि उसका ध्यान हमारे बिच के घटती हुई दुरी के तरफ ना जाये. मै सफरके एक एक पलका पुरा आनंद लेना चाहता था.

मै बोला, ‘उस हॉस्पिटल मे मेरे जानने वाले दो तिन लोग हैं और उनमेसे एक डॉक्टर भी है. अगर आप चाहें तो मै आपकि उनसे परिचय करा देता हूँ.’

डुबते को तिनके का सहारा. वह झटसे मेरे कंधेको जोरसे दबते हुवे बोली, ‘बड़ी मेहरबानी होगी आपकि.’

तभी फिर एक बार बाइक लड्खडाया, और इस बार तो बस पूछो मत उसकी दांयी चुंची बड़ी जोरसे मेरे पीठ पर धस गया. उधर पीठ पर चुंची का टकराना था कि मेरा लौदा मस्तीमे फुदकने लगा.

मैंने बातचीत को जारी रक्खा, ‘सीमाजी मेहरबानी कैसी आप मेरी पड़ोसन है, मुसिबतके समय हम एक दूसरेका मदत नही करेंगे तो कौन करेगा. ये तो मेरा फर्ज है.’

वह अब पुरी तरह मेरे बातों के जालमे फंस चुकी थी. वह मुझसे सट कर बैठी हुई बात कर रही थी. बोली, ‘आप बहुत अच्छे हैं, नही तो आजकल किसीको दुसरेकी परेशानी का कहां मतलब रहता है.’

तभी सामने एक बडासा गढ़ा आते देख मैंने अचानक जोरसे ब्रेक लगाया. इस बार वह और जोरसे झूलती हुई मेरे पीठ से कुछ इस कदर टकराई जैसे लगता था वह मेरे पीठ पर चढ़ गई हो. मुझे बाइक चलने मे आज तक इतना मज़ा नही आया था. मेरा लंड पैंटके भीतर पुरी तरह तन चुका था.

मैंने कहा, ‘आप ठीक कह रहीं हैं सीमाजी, लेकिन लोग ये क्यों नही सोंचते कि कभी उन्हें भी तो दुसरोंके सहारे कि जरुरत पड़ती है.’

सीमा, ‘आपके बिचार कितने अच्छे है. पड़ोस मे रहकर भी मै अब तक आपको नही समझ पाई थी.’

‘एक दुसरेको समझने के लिए साथ साथ कुछ वक़्त गुज़ारना पड़ता है और बातचीत कि भी जरुरत पड़ती है, लेकिन आप लोग तो कभी हमारे यहां आते हि नही हैं.’ सिकायत के साथ अपने घर आने का सीधे निमंत्रण देते हुवे मै बोला, ‘देखिये किसी भी मुसीबत के वक़्त सब से पहले पडोसी हि काम आता है, रिश्तेदार तो बादमे पहुचते है. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सिर्फ अपने मतलब कि सोंचते है. अपना वक़्त निकलते हि उनका हालत उस गाने कि बोल कि तरह होजाता है वो सुना है ना एक गाना मतलब निकल गया तो पहचानते नही.’

मै उसे पुरी तरह अपने गिरफ्त मे करना चाहता था. अब हॉस्पिटल आने वाला था. थोडा और मस्ती करनेके चक्कर मे मै बार बार ब्रेक दबाने लगा. मै ब्रेक दबाता, उसकी चुन्ची मेरे पीठ पर टकराता, और मै जन्नत का सैर करते करते बाइक चला रहा था.

हॉस्पिटल आ गया. मैने पार्किंग मे बाइक रोका. वह मेरे कंधोको पकडे बाइक से उतरी. मै अनजान बननेका नाटक करते हुवे जानबूझ कर अपना कुहनि पिछे कर दिया. मेरी कुहनि बड़े जोरसे उसकी एक चुंची से टकरायी. मै उसकी चुंची के स्पर्सका भरपुर आनन्द उठाने के बावजूद अपने आवाजको नियंत्रित करते झटसे बोला, ‘सॉरी सीमाजी आपको चोट तो नही लगी.’

वह शर्मसे निगाहें झुकाए बोली, ‘नही.’

मेरा एक परिचित सामने दिखा. मै झट उसके पास पंहुचा. मुझे देख उसने नमस्कार किया और हैरानी जताते बोला, ‘आप अचानक इस तरह यहां, सब ठीक है ना.’

मै, ‘नही यार सब ठीक हो तो लोग हॉस्पिटल क्यों आयेंगे. सीमा भी हमारे पास पहुच चुकी थी. मैंने उसके तरफ इशारा करते दोनो का परिचय कराया और मददके लिए रिक्वेस्ट कर दिया.

उसने सीमासे मरिजके बारेमे जानकारी लेकर एक जगह रुकनेको कह मरीजके बारे मे मालुम करने चला गया. थोड़ी देरमे हमें अपने साथ लेकर आईसीयू के तरफ चल दिया. वहां कुछ पूछताछ के बाद मुझसे कहा, ‘मरिज्की हालत अभी नाज़ुक है लेकिन आप चिन्ता ना करें.’

वह अचानक कुछ याद करते चहक कर बोला, ‘अरे इस यूनिट के इन्चार्ज तो आपके दोस्त डॉ. खान हैं. आईये मै उनसे मिलवा देता हूँ. आप खुद बात कर लीजिये.’

वह हमें डॉ खान से मिलवाया. डॉ. खान ने हालचाल और मेरे आने कि वजह पूछते हुवे कहा, ‘अरे उसका हालत अभी क्रिटिकल है, लेकिन तुम चिन्ता मत करो यार. मै हूँ ना हमसे जो भी बन पायेगा करेंगे, हम उसे जल्दी ठीक करने के लिए हर संभव इलाज करेंगे.’

‘अच्छा ठीक है मै अभी ऑफिस जा रहा हूँ. बाद मे फिर मिलता हूँ. जरा ठिकसे ख़याल रखना यार किसी बात कि कमी ना रहे.’ मैंने उससे कहा.

वह बोला, ‘तुम चिन्ता मत करो खुदाने चाहा तो वह जल्दी ठीक हो जाएगा.’

मै सीमा को ना घबराने को कहते हुवे फिर आनेका अस्वासन देते वहां से चल दिया. फिर अचानक मुड कर सिमाके पास जाकर उससे उसका मोबाइल नंबर पुछा. उसने नंबर बताया. मैंने उस नंबर पे डायल करते हुवे कहा यह मेरा नंबर है सेव कर लीजिये. कोई परेशानी या किसी चीज़ कि जरुरत हो तो बेहिचक फ़ोन कर लीजियेगा. अच्छा अब मै निकलता हूँ.’

मै उसके जवाब का इंतज़ार ना करते हुवे अपने मन मे उसे पाने का खयाली लड्डू फोड़ते हुवे और बाइक के सफ़रके आनन्दको याद करते अपने ऑफिस के तरफ चल दिया.

ऑफिस पहुंचने के बाद भी आज हर पल सीमाका हि चेहरा मेरे आँखों के सामने घूमता रहा. आज के घटना ने मुझे झाक्झोरके रख दिया था हर पल मै इसी उधेड़ बुन मे लगा रहा कि उसे कैसे पटाऊँ. कास यह पट जाती तो क्या मज़े आते. मुझे बाइक से उतरते वक़्त उसकी चुंचिसे कुहनि टकराने का दृश्य बार बार याद आरहा था. कितने जोरसे लगा था. उसकी चुंची तो एकदम से पिचक गई थी. मेरा कुहनि तो बस एक दमसे उसकी चुंची मे धस हि गया था. हाय कितना मज़ा आता अगर उसकी निवस्त्र चुंची मेरे हांथो मे आजाएं. पता नही उसने क्या सोंचा होगा. वह इसे एक साधारण घटना समझ रही है या मेरा प्लान्ड करतूत. नही वो ऐसा नही सोंच सकती क्योंकि उस घटना के बाद उसने सरमा कर कैसे सर झुका लिया था.

तभी रेणुका फोन आया. उसने बतायाकि वह अपने एक सहेली के घर जा रही है, साम तक आजायेगी. मैंने ठीक है कहते हुवे अनुमति दे दिया. मै फिर सीमा के ख्यालों मे डूब गया. मै उसके बारेमे हि सोंच रहा था कि फोन कि घंटी बजी. देखा तो सीमाका फोन था. मैंने फोन रिसीव करके अपने कान से लगाया. उसकी आवाज़ आई, ‘हेल्लो’

लगा मेरे कानों मे सहद घुल गए हों मैंने कहा, ‘हेल्लो सीमाजी, कहिये कैसे याद किया, अब आपका भाई कैसा है.’

सीमा कुछ चिंतित स्वर मे बोली, ‘अभी तो वैसा हि है, हॉस्पिटल वालों ने पचास हजार रुपया जमा करने को कहा है. तिस हजार का इन्तेजाम है बीस हजार कम पड रहा है,.’

मैंने कहा, ‘आप साफ साफ बताईये क्या कहना चाहती हैं.’

सीमा, ‘यदि आप कहींसे दिला सकें तो कुछ हि दिनों मे मैं सूद सहित वापिस कर दूंगी.’

पंछी को जाल मे फंसाने का ऐसा मौका नही छोड़ना चाहिए यह सोंच मै बोला, ‘आपको पैसा कब तक चाहिए.’

सीमा, ‘जितनी जल्द हो सके.’

मैंने उसे अस्वस्त करते कहा, ‘आप हॉस्पिटल मे हि रहिये मै कोई उपाय करता हूँ.’

मैंने अपने अकाउंट से पचीस हजार निकाला और हॉस्पिटल पहुंच कर उसे कॉल करके कैंटीन मे अजानेको बोला. थोड़ी देरमे वह कैंटीन के तरफ आते दिखी. मै गौर से उसे हि देख रहा था. क्या मस्त चाल थी उसकी. चेहरे पर चिन्ता कि लकीरें, कोई खास मेकअप भी नही फिरभी वह मुझे बहुत मोहक लग रही थी. लाख संभल कर चलने के बावजूद भी उसकी भारी चुंचियां हौले हौले बड़ी मादक अंदाज़ मे हिल रहे थे.

मैं उसे बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखते हुवे ख्याली पुलाव पका रहा था. मै सोंच रहा था कि वह दिन कितना सुहाना होगा जिस रोज ये मेरे आगोश मे होगी. देखते देखते वह मेरे पास पहुंच गई. मैंने बैठनेको कहा वह संकुचाते हुवे मेरे बगलके खाली कुर्सी पर बैठ गई. उसकी बदनकी मादक खुसबू फिर एक बार मेरे नथुनों मे समाकर मुझे मदहोश करने लगी.

मैंने उसके भाई का हालचाल पुछने के बाद चाय काफी के प्रस्ताव रखा जिसे बड़ी सफाई से उसने इंकार करना चाह लेकिन मेरे बार बार के आग्रहको वह टाल ना सकी और चाय के लिए राज़ी हो गई. बस मेरा दिल खिल उठा, मुझे और खुछ देरके लिए उसका सामीप्य मिल गया.

चायका आर्डर देने के बाद मैंने पैसे निकाल कर उसके हथेली पर रख दिया. पैसा थमाते बड़ी होंसियारी से मैंने आहिस्ते से उसके हथेली को टच कर लिया. मेरे शरीरमे एक झुरझुरी सी दौड़ गई. मै अजीब तरह का रोमांच महशुश कर रहा था.

मैने पैसा गिन लेनेको कहा तो वह बोली गिनना क्या है आप बता दीजिये कितना है लेकिन मैंने जोर दिया तो वह गिनने लगी. वह नजरे झुकाए पैसा गिन रही थी और मै मुड़कर उसे उपरसे निचे तक निहार रहा था. गुलाब कि पंखुड़ियों कि तरह मुलायम होंठ बहुत प्यारे लग रहे थे. ब्लाउस मे कसी बड़ी बड़ी चुंचियां चंचल कबूतर कि तरह फुदक कर निकल जानेको बेताब से लग रहे थे. मै सोंचने लगा था कि जब ये पट जाएगी तो इसके गुलाबी होंठों पर अपना होंठ सटाए इन चुंचियों को दबाने मे कितना मज़ा आएगा.

उसकि आवाज़ सुन मेरी तन्द्रा भंग हुई, वह कह रही थी, ‘मैंने तो बीस हजार के लिए कहा था, लेकिन ये तो पचीस हज़ार है.’

मैंने कहा, ‘आप अभी इसे रख लीजिये अगर देर रातमे कोई और ज़रूत आ पड़ी तो आपको बेवजह परेशानी ना हो इसलिए मै पचीस हज़ार ले आया. खर्चे के बाद यदि कुछ बंच जाये तो आप लौटा देना.’

वह पैसे रखने लगी तभी चाय आगया. चाय कि चुस्की लेते वक़्त भी अपने ख्यालों मे मै उसके होंठों कि चुस्की का स्वाद ले रहा था. वह मेरे मन मे उठते हलचल से बेपरवाह चाय पीती रही. बिचमे उसने कहा, ‘मै आपका यह अहसान जिन्दगी भर नही भूलूंगी. मेरा बिस्वास कीजिये कुछ दिनों मे मै सूद सहित आपके पैसे लौटा दूंगी.’

मै मौका पा अपना महानता दिखाने के लिए बोला, ‘इस वक़्त आप अपने भाई के इलाज पर धयान दीजिये बस, अभी आप पैसों और सूद का खयाल अपने दिमाग से निकाल हि दीजिये. इसके लिए आप के पति से मै बात कर लूँगा ना, आप परेसान ना हों.’

मेरे बातों से घबराती हुई उसने कहा, ‘इन पैसों कि बात मेरे पतिको मत बईएगा, प्लीज. वह सायद जानकर नाराज़ हो जाये कि मैंने आपसे पैसा लिया है. मै खर्च मे कटौती करके और मायके से मंगा कर कुछ दिनों मे हि आपका पुरा पैसा सूद सहित लौटा दूंगी.’

मुझे उसकी कमजोर नस मिल गया. मै सोंचने लगा पैसा मिले ना मिले मिसेज सीमा लेकिन अब देखती जा तेरी इसी कमज़ोर नस को दबा दबाकर तेरी जवानीको मै कैसे सूद मे वशुल करता हूँ.

मैंने अपने ख्यालों को छुपाते हुवे कहा, ‘आप फिक्र ना करें आप जैसा कहेंगी मै वैसा हि करूंगा.’

सीमा, ‘मै आपका एहसान कभी नही भूलूंगी.’

मैंने उसे प्यार से झिड़कते हुवे अपनापन दिखाते बोला, ‘आप बार बार मुझे एहसान एहसान कह कह कर सर्मिन्दा मत कीजिये, प्लीज.’

वह खड़ी होती हुई बोली, ‘आप कितने अच्छे हैं.’

मै भी खड़ा होते कहा, ‘फिर वही बात, आप अब भी मुझे गैर समझती हैं.’

वह घबडाते हुवे बोली, ‘नही नही प्रमोद बाबु, ऐसी बात नही है. आप ऐसा ना सोंचें.’

मै और हमदर्दी दिखाते कहा कि डॉ से फिर बात कर लूँगा, वह घबराये नही और कभी भी मेरी कोई ज़रूत पड़े तो याद कर ले, मै हाज़िर हो जाऊंगा.

मै ऑफिस से घर लौटते वक़्त हॉस्पिटल जाकर सीमा से मिलकर उसके भाईका हलचल पता किया. डॉ खान से मिलकर उसके बिशेष हेल्प के लिए रिक्वेस्ट किया और सीमा से पूछा कि कोई और प्रॉब्लम तो नही है. उसके भाई के हेल्थ मे इम्प्रूवमेंट हो रहा था. उसने फिर मेरे सहयोग के लिए आभार प्रकट किया.

मै घर पंहुचा तो रेणु आ चुकी थी. मैंने एक अपरिचित युवती को देख उससे इशारों मे पूछा तो रेणुं ने हमारी परिचय कराई. वह उसकी एक पुरानि सहेली आरती थी. आरती के पति का एक साल पहले एक रोड एक्सीडेंट मे मौत हो गई थी और वह इस भरी जवानी मे बिधवा हो गई थी. पिछले छे महीने से आरती इसी शहर मे अपना बुटिक चला रही थी. उसका ब्यापार अच्छा पिक अप ले चुका था.

उसके चेहरे पर दुःखके भाव साफ दिख रहे थे. बिधवा होने के कारण हि होगा सायद उसने कोई खास मेक अप नही किया था और कपडे भी बहुत साधारण पहना हुवा था. वह रेणुकी क्लासमेट थी तो जाहिर सी बात है कि उसकी उम्र ३० के उपर होना चाहिए लेकिन देखने मे वह २५ के आस पास कि लग रही थी.

रूप रंग भी अच्छा था और साधारण कपडे मे भी वह सुन्दर और आकर्षक लग रही थी. मै उसके सामने कुछ बोल नही पाया मेरे समझ मे हि नही आया कि मै क्या बोलूं. मै अपने कमरे मे आगया. थोड़ी देरमे रेणु कमरे मे आई. वह कहने लगी बेचारी के साथ कितना बुरा हुवा, हो सके तो बेचारी का मन बहलाने का कोशिश करना.

मै कुछ समझ नही पाया कि उसने क्या कहा. मुझे उसका मन बहलाने के लिए क्या करना होगा. रेणु ने बताया कि वह आज रात हमारे घर हि रहेगी.

मै साधारण बात चित के सिवा उससे कोई खास बात नही कर पाया. डिनर के बाद मै अपने कमरे मे चला गया. रेणु बोली मै कुछ वक़्त उसके साथ बिता कर आती हूँ और वह उसके साथ उसी कमरे मे चली गई जिसमे कल तक मनोज ठहरा था.

करीब एक डेढ़ घंटे बाद मै यह देखने के लिए अपने कमरे से निकला कि वह अभी तक क्या कर रहे हैं. वे जिस कमरे मे थे उसकी किवाड़ अंदरसे लगी हुई थी. मै दरवाज़े के पास पहुंचा तो कमरेके अंदरसे कुछ अजीब किस्मकी आवाज़ सुन मै सन्न रह गया.

मै इधर उधर देखा तो एक खिड़की का पर्दा थोडा हटा हुवा दिखा. मै जब उसके अन्दर झांक कर देखा तो अन्दर का दृश्य देख मेरी आँखें फटी कि फटी रह गई.

अन्दर रेणु और आरती दोनो बिलकुल निवस्त्र अवस्था मे थीं. रेणुका मुह आरती के दोनो जांघों के बिच धसा हुवा था. वह उसकी बुर चाट रही थी. आरती खुद अपने हि हांथो से अपनी चुंचियों को मसल रही थी. आरतीके मुह से अजीब किस्मकी आवाजें निकल रही थी. रेणु अपना जिभ आरती के बुर पर चपर चपर चला रही थी.

देखते हि मेरे पैंट के अन्दर भूचाल आगया. मेरा लंड पैंट के भीतर फुदकने लगा. अब मेरे समझ मे रेणु कि बात आगई. वह अपने सहेली को चुदवाना चाहती थी. मन तो हुवा कि फ़ौरन कमरे मे घुस जाऊं लेकिन सोंचा के थोड़ी देर देखने का आनंद लिया जाय और मै वहीँ खड़े खड़े देखने लगा.

रेणु आरती के बुर को अपने दोनो हांथों के उँगलियों से कसके चिदोर कर अपनी जिभ घुसाके अन्दर बाहर कर रही थी. आरती कि बुर अन्दर से गुलाबी दिख रही थी. उसके बुर पर एक भी बाल नही थे. बुर बिलकुल साफ थी. लगता था उसने आज हिं बुरकि सफाई कि थी.

आरती अपने दोनो पैरों को रेणु के कंधो पर टिकाये हुवे थी. आरतीने रेणुके बालों में उंगली डाल कर उसके सर को अपने बुर के तरफ दबाते हुवे अपना चुतड उठाकर अपनी बुर रेणुके मुह पर दबाकर चटवा रही थी. रेणु अपनी उंगली आरती के बुर मे डालकर अन्दर बाहर करने लगी. आरती के बुर से रस टपक रहा था. रेणु कभी अपने उंगली पर लगे चुत रसको चाटती तो कभी सीधे अपना जिभ उसके बुर पर रगड़ कर उसके बुरसे निकलते रसको चाटने लगती.

कुछ देर बाद आरती रेणुको निचे लिटा दी और उसके मुह पर अपनी बुर रखते हुवे अपना मुह रेणुके बुर पर लगा दी. वे 69 पोजीशन मे एक दूसरेका बुर चाटने लगे. बिच बिच मे एक दूसरेके बुरमे उंगली डाल तेजी से अन्दर बाहर करने लगते.

आरती कि चुंचिया रेणुके चुंचियों से बड़े परंतु सॉलिड लग रहे थे. उसकी चुंचियों का निप्पल बड़े और कठोर से मग रहे थे. आरती रेणुके उपर से उतरकर उसके टांगों को मोड़ कर उसके बिच बैठ गई और अपने एक हाथ से पकड़ कर अपनी चुंची रेणुके बुर पर रगड़ने लगी. रेणु अपने हांथों से अपने बुरको फैलादी. आरती अपनी चुंची रेणुके बुर पर जोर जोरसे रगड़ने लगी.

कुछ देर बाद रेणु वही काम आरती के साथ करने लगी. अब वह आरती के बुर पर अपनी चुंची रगड़ रही थी. आरती ने अपने एक हाथ मे लेकर रेणुकी दुसरी चुंची को कस कसके मसलने लगी. फिर रेणु आरती के उपर चढ़ गई. अब वह अपनी चुंची आरतीके चुंची पर रख दबाना सुरु किया. आरतीने रेणुका सर पकड़ कर अपने तरफ खिंचा और अपना सर उठाकर अपनी होंठ रेणुके होंठों पर रगड़ने लगि.

रेणु और आरती एक दुसरे के होंठों पर अपना होंठ रगड़ रहे थे. दोनो के हाँथ एक दुसरे के चुंचियों को सहला और मसल रहे थे. रेणु आरती के निप्पल्स को अपने मुहमे लेकर चुसने लगी. कभी कभी वह उसके निप्पल को अपने दांतों के बिच दबा कर हौले हौले काटने भी लगती. आरती जोर जोरसे अपना पैर रगड़ और पटक रही थी.

आरती रेणुके बुरमे अपनी उंगली पेलने लगी. अब फिर एक बार उसकी उंगली रेणुके बुर मे अन्दर बाहर होने लगी. दोनो काफी मस्ती मे थे. दोनोकी बुर रस टपका रहे थे.

अब मै अपना नियंत्रण खोने लगा. मै दरवाज़े के पास पहुंच अपना हाथ दरवाज़े पर रख धीरेसे ठेला तो दरवाज़ा खुलता चला गया. मै जोरसे ठेलकर दरवाज़ा खोल कमरे मे घुस गया. मुझे एकाएक कमरे मे देख आरती घबडा गई और अपने बदनको चादर मे छुपाने लगी.

आरती कि परवाह ना करते हुवे मै बेड तक गया और अपने सारे कपडे उतर दिये. रेणु आरती के उपर से चादर खीचने लगी. मैंने रेणु से कहा कि रहने दो देखे ये कब तक चादर मे छुपी रहती है और मै रेणु से भीड़ गया. रेणु को घोड़ी बनने का इशारा किया और मै उसके पीछे जाकर पीछे से उसके बुर और गांडको सहलाने लगा.मेरे हाथ उसकी चुतड, जांघों, बुर और गांड पर फिसल रहे थे.

मै झुक कर अपना मुह उसके पिछवाड़े के तरफ लगा दिया और उसके जांघों को चूमना और चाटना सुरु कर दिया. मेरे होंठ और जिभ उसके जांघों पर फिसलते फिसलते चुत्तडों तक पहुंच गए. अब मै अपनी बीबी रेणुके चुत्तडों पर अपना मुह रगड़ रहा था. मैंने अपने जिभ का नोक उसके गांड के छेद पर ठोक दिया और अपने हांथोसे उसके गांड को फैला कर चाटना सुरु किया. रेणु अपना गांड हिला हिला कर मेरे जिभ के गर्म स्पर्श से पागल सी होने लगी और मारे उत्तेजना के मेमियाने लगी.

उसके मुह से सेक्सी आवाजें निकलने लगी, ‘म्मम्मम्म …. आआअह्हह्हह …. आआअह्हह्हह …. हाह्ह्ह्हहह्ह्ह …. ऊओह्हह्ह ….. आआअह्हह्हह ….. म्मम्मम्मम्म …… ऊऊऊऊईईईईइमा ….. ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़् …. आआअह्हह्हह …. आआअह्हह्हह ….. हाआआईईईईईई …. हाआआआआ ….. हाआआआआअह ….’

मै चाट तो उसके गांड को रहा था लेकिन उसका सीधा असर उसके बुर पर पद रहा था. उसके बुरसे रस निकल निकल कर उसके जांघों से होते हुवे चुने लगे थे. मै अपना जिभ पिछेसे उसके पुर पर रगड़ने लगा. मै उसके बुरसे छुते हुवे रसको चाटने लगा. मै कुत्ते कि तरह उसके बुरको चपर चपर चाट रहा था.

वह खुद आने हांथो से अपनी चुंचियोंको मसाने लगी. कभी कभी वह अपने उंगली को अपनी बुरमे घुसेड कर अन्दर बाहर करने लगती और फिर अपने उंगली पर लगे बुर के पानीको चाटने लगती थी. उसके मुह से और तेज़ आवाज़ निकलने लगी, ‘आआअह्हह्हह …. आआअह्हह्हह …. औऊऊऊऊऊर औऊऊऊऊऊर ….. हाआआआअ ….. हाआआआअ ….. चाआआआआट ……. चाआआआआट ……. हाआआअ ….. औऊऊऊऊऊर …. चाआआआआट ……. ऊओह्हह्ह …… हाआआआय्य्य्य …. आआअह्हह्हह …..’

उसकी मस्ती का असर आरती के उपर ऐसा पड़ा कि वह अपने बदन पर लपेटे चादारको फेंक हमारे पास आगयी और मेरे लपलपाते लंड को पकड़कर सहलाने लगी. लंड सहलाते सहलाते उसने मेरा लंड अपने मुह मे लेलिया और चुसने लगी. कभी वह पुरे लंड पर जिभ फिराकर चाटती और कभी लंड को मुह मे लेकर चुसने लगती.

अब रेणु भी अपना मुह मेरे लंड के पास लेजाकर मेरे लंड चाटने लगी. कभी रेणु मेरे लंड को अपने मुह मे लेलेती तो कभी आरती अपने मुहमे लेकर चुसने लगती. मै दोनो कि एक चुंची पकड़ कर मसलने लगा. एक साथ दो दो रंडियों का मज़ा लुटने का मेरे ज़िन्दगी का भी ये पहला अवसर था.

मैंने आरतीके जांघों के बिच अपना हाँथ घुमाना सुरु कर दिया. अब मै उसके बुरको सहला रहा था. आरती के बुरसे लार तापक रहीथी. मैंने अपना मुह उसके बुर पर रख उसके बुर को चाटना सुरु कर दिया. रेणु आरती के होम्न्थों को चुमने लगी. आरती ने अपना मुह खोल दिया और रेणु ने अपना जिभ उसके मुह मे डाल कर चारों ओर घुमाना सुरु कर दिया. आरती रेणुके जिभ को चुसने लगी.

मैंने आरती को चित लिटा दिया. उअसके जांघों के बिच बैठते हुवे अपना लंड उसके बुर पे टिकाया और एक जोरदार धक्के के साथ उसके बुर मे अपना लंड घुसेड दिया. उसके बुरको चीरते हुवे मेरे लंड का सुपाडा बुर मे धस गया. वह जोर से चिल्लाई, ‘ऊऊऊऊईईईईइमा ….. आआअह्हह्हह …… म्म्म्मम्म्म्मम्म …..’

सायद काफी दिनों बाद उसके बुर मे लंड गया था, इसलिए उसे तकलीफ हुई थी. लेकिन मुझे उसकी परवाह कहां था मै बिना वक़्त गंवाए फटाफट धक्का पे धक्का मरते हुवे पुरा लंड उसके बुरमे घुसेड दिया. वह चिल्लाती रही.एमी अपना लंड उसके बुर मे अन्दर बाहर करता रहा. रेणु उसके होंटों को अपने मुह मे लेकर चुसने लगी.

अब उसकी चिल्लाहट गूंगूं के आवाज़ मे बदल गई थी. रेणु उसके चुंचियों को भी मसलते जा रही थी. आरती के छटपटाहत मे कुछ कमी आई तो रेणु अपने मुहमे लेकर उसके चुंचियों को चुसने लगी. मै घचाघच आरती के बुर मे लंड पेल रहा था. अब उसके मुहसे सिस्कारिया फूटने लगी और वह गांड उचका उचका कर अपने बुर मे लंड लेने लगी.

मै गचागच लंड पेल रहा था और उसके बुर से फचर फचर का आवाज़ निकल रहा था. रेणु ने एक साथ दो तकिया लगा दिया उसके कमर के निचे जिससे उसकी बुर बहुत उपर उठ गई. रेणु बोली, ‘अब कस के पेलो इसके बुर मे इसकी प्यास बुझा दो आज. एक सालसे इसे लंड नही मिला है.’

मै उसके जांघों को फैला उसके बुर मे लंड पेलना सुरु किया. मै अपना समूचा लंड बाहर खिचता और एक हि बार मे पुरा लंड घचाकसे अन्दर पेल देता उसकी बुरसे पानी तापक रहा था इस लिए सटाक से पुरा लंड घुस जाता था. मै दनादन उसके बुर मे लंड पेलने लगा. रेणु उसके बुर के दाने पर अपनी उंगली घुमा रही थी. आरती गांड उठा उठा कर अपने बुर मे लंड पेलवा रही थी. मै बड़ी तेजी से उसके बुरमे लंड अन्दर बाहर करते हुवे उसे चोद रहा था.

रेणु उसके बुर के उपरी हिस्सेको चाटने लगी. आरती और मस्त हो मस्ती से चुदवाने लगी. तभी रेणु अपना जिभ आरती के बुरमे घुसते निकलते मेरे लंड पर सटा दी. बुरमे आते जाते मेरा लंड रेणुके जीभको रगड़ता हुवा आरतीके बुर मे जा रहा था. ऐसा मजा मुझे आज तक नही मिला था. मै एक दम मस्त था. मै अपने बिबिका मन हि मन आभारी था कि उसके वजह से आज मुझे ऐसा आलोकिक मज़ा मिल रहा था.

अगले कुछ देर कि चुदाई के बाद आरती के बुर ने फव्वारे के तरह पानी छोड़ दिया. मै आरतीके बुरसे लंड निकल अपना मुह लगा दिया. रेणुका मुह पहले से हि आरतीके बुर पर था. हम दोनो आरतीके बुरका रस पिने लगे. बिच बिच मे हम पति पत्नि एक दुसरेको चुम लेते और फिर आरती के बुरको चाटने लगते.

अब मै आरती के उपर से हट कर रेणुके पिछे पहुंचा और आरती पे झुकी रेणुके बुर मे पिछे से अपना लंड पेल दिया. मै सटासट उसके बुरमे लंड हुकने लगा. वह अपनी कमर हिला हिला कर चोद्वाने लगी. मेरा लंड बड़ी तेजीसे उसके बुरमे फिसल रहा था.

रेणु मेरा लंड अपने हाथसे पकड़ कर बुरसे निकाल अपने गांड पर टिका दी. मैंने उसके गांडमे अपना लंड धास दिया. रेणु मस्ती मे चिल्लाने लगी, ‘आआअह्हह्हह …. ओय्य्य्यय्य्य्य …. म्म्म्ममोर्रे ….. राज्जज्जा ….. च्च्च्चोद्द्द्दद …… मेरररररा ….. गांड ….. प्प्प्पपेल ….. अऊऊऊओर ….. कस्स्स्ससके …… अऊऊऊओर ….. कस्स्स्ससके …… ध्ह्धध्धास्स्स्स …. अप्प्प्पन्न्ना ….. लंन्न्न्नड …… हाआआआय्य्य्य …….’

मै दनादन उसके गांड मे लंड हूँक रहा था. आरती रेणुके निचे सरक कर अपनी बुर उसके मुह के तरफ करती हुई अपना मुह रेणु के बुरके पास लेजाकर उसका बुर चाटने लगी. रेणु आरती कि बुर चाट रही थी, आरती रेणुकी बुर चाट रही थी और मै रेणु का गांड मर रहा था. रेणु आरती का बुर चाटते चाटते कभी कभी अपना उंगली उसके बुर मे पेलने लगती और बडबडाने लगती, ‘हाआआआअ ….. हाआआअ ….. प्प्प्पपेल्ल्ल्ल …. आआअह्हह्हह … प्प्प्पेल्ल्ल्ल …’
मै दनादन रेणुके गांड मे लंड पेल रहा था. मेरा लंड अकड़ने लगा. मै झड़ने के कगार पर था. मैंने लंड पेलने का गति और बढ़ा दिया. रेणु चिल्ला चिल्ल्ला कर कमर हिला हिला कर गांड मरवा रही थी. आरती ने रेणुके गांड से मेरा लंड निकाल अपने मुह मे ले लिया. मै उसके मुहमे हि अपना लंड पेलने लगा. मेरा लंड उसके गले तक पहुंच रहा था. मै दनादन आरतीके मुह मे लंड अन्दर बाहर कर रहा था तभी मुझे लगा मेरा माल निकलने वाला है मै तुरन्त अपना लंड आरती के मुहमे जड़ तक घुसेड दिया और मेरे लंडने उसके गलेमे अपना झाग उड़ेल दिया.

मैंने अपना लंड उसके मुह से निकाला, बांचा हुवा बिर्य उसके चेहरे पर फैला दिया. रेणु उससे चिपक कर उसके चेहरे पर फैला मलाई चाटने लगी. दोनो मिलकर मेरे लंडको चाट चाट कर साफ किया. हम तीनो नंगे हि बैठ कर बातचीत करते रहे. आरती के मुरझाये चेहरे पर अब रौनक दिख रहा था. तीनो एक हि बिस्तर पर सो गए. मै बिचमे और मेरे एक तरफ रेणु और दुसरी तरफ आरती. दो हसीनाओं के बिच चिपक कर सोने का आनंद हि कुछ और था.

रात मे उन दोनो के हरकत से मेरी आँख खुली. आरती अपनी चुंची मेरे पीठ पर रगड़ रही थी और रेणु मेरे छाती को चुम रही थी. रेणु ने मेरा लंड पकड़ कर सहलाना सुरु किया. मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. रेणु ने मुझे अपने उपर खिंच लिया. मै उस पर चढ़ कर उसे दबोचते हुवे उसके चुंचियोंको मसलना तथा गालों और होंठों को चूमना सुरु कर दिया.

आरती मेरे पीछे जाकर मेरे पीठ से चिपक गई. वह मारे पीठ पर अपनी चुंचियां रगड़ रही थी. मेरे कानों को बारी बारी से अपने होंठो से चुमने और दांतों से हलके हलके काटने लगी. रेणु ने उसे कुछ इशारा किया. आरती उठ कर ड्रेसिंग टेबल से तेल का बोतल उठा लायी. मेरे पीठ पर उसने तेल उड़ेल दिया और अपने चुन्चियोंसे रगड़ कर मिलाने लगी. रेणु भी मेरे निचे से निकल गई. उसने मेरे टांगों पर तेल उड़ेल दिया और मेरे टांगों पर बैठ अपने चुतड से तेल मिलाने लगी. उसका गांड और बुर मेरे टांगों पर फिसल रहे थे. आरती चुंचियों से मेरे पिठका मसाज कर रही थी.

अब आरती भी अपनी चुतड मेरे पीठ पर रगड़ने लगी. दोनो मिलकर मेरा मसाज कर रहे थे. मेरा लंड तन कर फौलाद हो चुका था. आरती ने रेनुको लेटने का इशारा किया. रेणु चित होकर लेट गई उसने रेणु के चुंचियो और पेट पे तेल डाला और मुझे उसके उपर चढ़ा दिया. मै अपना बदन रेणुके बदन से रगड़ने लगा. तेल हम दोनोके शारीर पर फैलता चला गया. तेलके चिकनाहट के बिच उसके बदन पर अपना बदन रगड़ने मे बहुत मज़ा आरहा था.

आरती उसके बुर पर तेल डाल कर अपने हांथों से मिलाने लगी. तेल मिलाते मिलाते उसने अपनि उंगली उसके बुर मे डाल कर बुरके अन्दर चलते हुवे उसके बुरकि मालिश करने लगी. रेणु गरम होती गई और हाय्यय्य्य …. हय्यय्य्य्य …. मम्म्म्मम्म्म्म …. म्मम्मम्मम करके मेमियाने लगी. उसके बुर मे आग लग चुकी थी. वह अपना पैर जोर जोरसे बिस्तर पर रगड़ने लगी.

अब आरती कि बारी थी, रेणु ने उसे पेट के बल लिटा दिया और उसके पीठ पर तेल डालकर मुझे मिलनेको बोली. मै अपना चुतड उसके पीठ पर रख कर रगड़ रगड़ कर तेल मिलाने लगा. रेणु आरती के चुतड पर तेल डाल कर अपने चुंचियों से मिलाने लगी. उसने थोड़ी देर बाद आरती के गांड और बुरमे अपने उंगली से तेल मिलाना सुरु कर दिया. उसके बुर और गांड दोनो मे वह एक साथ अपनी उँगलियाँ डाल कर बुर और गांड मे तेल मिला रही थी.

रेणु ने मुझे इशारा किया मै आरती के उपर चढ़ गया और उसके चुतड पर लंड रगडने लगा. चुतड पर रगडते रगडते मैंने अपना लंड उसके गांड के छेद पर लगाके ठेल दिया. लंड और गांड दोनो पर तेल लगा हुवा था. मेरा आधा लंड उसके गांड मे समा गया. वह चिल्लाते हुवे गांड से लंड निकलने को बोली. लेकिन रेणु ने ऐसा नही करने दिया. मैंने अपना पुरा लंड उसके गांड मे हूँक दिया और दनादन उसका गांड मारने लगा. रेणु मेरे पीछे आकर अपनी चुंची मेरे गांड पर रगड़ने लगी. मेरे अन्दर अजीब सी सनसनाहट फ़ैल रहा था और मै हुमच हुमच कर आरती के गांड मे लंड ठेलने लगा.

अब रेणु ने आरती को ठेल आगे सरका कर खुद उसके स्थान पर आगयी. आरतिने मेरा लंड रेणुके गांड पर टिका कर मुझे अन्दर डालने को कहा. मैंने रेणु के गांड मे लंड पेल दिया और अन्दर बाहर करने लगा. मै रेणु का गांड चोदने लगा. आरती मेरे पीछे आकर मेरे गांड पर अपना चुंची रगड़ने लगी. वह जोर जोर से अपनी चुंची मेरे गांड पर दबा रही थी और मै रेणु का गांड मर रहा था.

मै बहुत ज्यादा उत्तेजित होजाने के वजह से ज्यादा देर नही ठहर सका और रेणु के गांड मे अपना बिर्य उड़ेल दिया.

अगले रोज़ मै जब घरसे ऑफिस के लिए निकला तो सीमा फिर रास्ते पे बस के इंतज़ार में खडी दिखी. गुदगुदाते मन से मै उसके पास बाइक रोक कर पूछा, ‘सीमाजी अब कैसा है आपका भाई.’

सीमा, ‘भगवान आपका भला करे अब उसे होश आगया है. डॉ साहब कह रहे थे कि अब वह खतरे से बाहर है. आज उसे जनरल वार्ड मे शिफ्ट कर देंगे और यदि सब कुछ नार्मल रहा तो कल तक डिस्चार्ज भी कर देंगे. अगर आप नही होते तो पता नही क्या होता.’

मै, ‘आप कैसी बात कर रही है. भगवान सबका भला करता है. यदि आप हॉस्पिटल जा रही हैं तो आईये मै ऑफिस हि जा रहा हूँ.’

मेरा इशारा पाते हि वह बाइक पर बैठ गई. आज उसमे कोई संकोच नही था. वह मुझ से सट कर बैठी थी. बाइक बढ़ाते हि उसकी चुंची मेरे पीठ से टकरायि. उसके बदनके मस्त मुलायम स्पर्शसे गर्म होते उसका भरपुर लुत्फ़ उठाते हुवे मै चल पड़ा. रास्ते मे कई बार उसकी चुंची मेरे पीठ से टकराई. मै अपने हि धुन मे उसे भोगनेके रंगीन ख्वाबों मे डूबा चला जा रहा था.

हॉस्पिटल आगया. मैंने बाइक रोक कर उसकी जरूरतों के बारे मे पूछा. उसने कहा कि अभी तो सब ठीक है. कोई ज़रुतात आ पड़ी तो बताउंगी. ठीक है कहता हुवा मै चल दिया. दिन मे करीब तिन बजे उसने फोन करके बताया कि उसका भाई जनरल वार्ड मे शिफ्ट हो चुका है. कुछ टेस्ट करने के लिए गया हुवा है, कल रिपोर्ट आने के बाद डिस्चार्ज भी होजायेगा.

मैंने उसे भाई के स्वास्थ्य मे प्रोग्रेस के लिए मुबारकबाद दिया और फोन काट दिया.

सीमा का भाई ठीक हो कर अपने गांव चला गया. सीमा अब कभी कभार मेरे घर आने जाने लगी थी. वह जब भी आती मै उसके जवानी को ललचाई निगाहों से निहारते निहारते उसके हुस्न के दरिया मे मन हि मन गोते लगाने लगता था. मेरी बीवी मेरे मनकी बात ताड़ गई थी. कभी कभार वह चुटकी लेते कहती आज कल सीमा के तरफ बड़े ललचाई निगाहों से देखते रहते हो, क्या बात है. मै नही ऐसी कोई बात नही है कह कर टाल देता था.

धीरे धीरे वक़्त बीतता गया. उसके लिए मेरी चाहत भी बढती गई. मुझे समझ मे नही आरहा था कैसे आगे बढूँ. कोई रास्ता नज़र नही आ रहा था. मै जल्दबाजी करके उसे खोना भी तो नही चाहता था. वह जब भी आती मै ज्यादा से ज्यादा उससे बातें करने लगा. कभी कभार मजाक भी कर देता. मेरे मजाक का वह बड़ी सादगी और भोलेपन से जवाब देकर टाल देती थी. उसकी इस अदाने मेरी चाहत और बेचैनीको और बढ़ा दिया.

धीरे धीरे मुझे उसके ब्यवहार मे कुछ परिवर्तन महशुस होने लगा. वह कभी कभार मेरे तरफ देख मुस्करा देती तो कभी मेरे मजाक पे नज़रे झुका लेती और फिर चुपकेसे तिरछी निगाहों से मेरेको देख लेती. मै उसके मन का हालत नही जनता था लेकिन मै अपने स्वार्थ के अनुरूप यह सोंच सोंच कर अपने दिलको दिलासा देने लगा था कि अब वह मेरे तरफ धीरे धीरे कदम बढ़ाने लगी है. अब वह भी मुझे पसन्द करने लगी है.

अब मै कभी कभार कोई दोअर्थी सब्द बोल देता, वह मुस्कुराते हुवे नज़रें फेर लेती. अब वह मेरे घर पहले के तुलना मे कुछ ज्यादा हि आने लगी, और जब आती तो थोडा सज संवर कर आती. अब मुझे यकीन सा होने लगा था कि वह भी मन हि मन मुझे चाहने लगी है.

अब मुझे खुद को रोक पाना मुस्किल होने लगा था. मैंने सोंच लिया कि अब आर या पार चाहे जो हो उसे अपने मनकी बात कहना हि पड़ेगा. मै सोंचने लगा कैसे इजहार करू अपने चाहत को. मैंने कुछ अलग ढंगसे उसे सेड्युस करने का प्लान बनाया और अगली बार उसके आने का बेसब्रीसे इंतज़ार करने लगा.

आज मेरे ऑफिस कि एक पार्टी थी. मै देर रात को घर पहुंचा. रेणु मेरी बीवी सो चुकी थी. मै अपने चाभी से दरवाज़ा खोला और अन्दर गया. ठंढ काफी थी परंतु एसी चालु होने के वजह से बेड रूम का तापक्रम बड़ा सुहावना लग रहा था. मै चेंज करके कम्बल मे घुस गया. रेणु कि आँख खुल गई. वह बातें करने लगी.

रेणु: ‘कहो डियर कैसी रही पार्टी.’

मै: ‘बस हमेशा के तरह, ठीक ठाक.’ कम्बल मे घुसते हि मैंने उसे अपनी बांहों मे भर लिया.’

रेणु: ‘हाय्य्य्य क्या कर रहे हो. पार्टी मे कोई नही मिली क्या कि आते हि मुझे दबोचने लगे.’

मै उसके होंठों को चुमते और चुतड़ोंको सहलाते हुवे: ‘थीं तो कई मगर सिर्फ लंड खड़ा करने के लिए, लंड को संत करने के लिए नहि सिर्फ़ बेचैनी बढ़ाने के लिए थीं. आवो रानी लंड अकड़ रहा है अब इसे शांत कर दे, आ अपना मूड बना ले जानेमन.’

रेणु मेरे होंठों को चुम कर मेरे छाती से चिपकती हुई: ‘हाय्यय्य्य मेरे संय्य्या ऐसे कह रहे हो जैसे कभी तुम्हे मना किया हो और रही मूड कि बात तो अगर ना भी हो तो बनवा दो ना.’

मै: ‘तो चल तैयार होजा’ उसे और कसके अपने छाती मे सता लिया. उसकी मुलायम चुंचियां मेरे छाती मे दब कर पिचक गई. मै उसके घने रेश्मी बालों मे उंगली डाल कर सहलाने लगा.

रेणु इतराते हुवे बड़ी अदाके साथ बोली: ‘तु हि तैयार कर लो ना.’ और इसके साथ हि मै अपना हाथ उसके चिकने बदन पर घुमाने लगा. मैंने उसके चुंचियों को सहलाया फिर पीठ और नितम्बों पर हाथ फेरने लगा.

मै: ‘एक पप्पी देकर सुरु होजा फिर, क्या सोंचने लगी.’

रेणु: ‘हाय्यय्य्य होंच रही हूँ कहां पे दूँ.’

मै: ‘पहला होंठों पर, दूसरा चुंची पर और …… आजा जानेमन अब और मत सता.’

रेणु: ‘हाय्य्य्य सता कंहा रही हूँ मै तो खुद सटी जा रही हूँ. देखो ना मेरी चुंचिया कैसे दब गयीं हैं तुम्हारे छाती पर, जरा दबा के देखोना, वैसे भी ठण्ड है दूर रहकर काम चलेगा भी कैसे सनम.’

मै: ‘हां और कसके चिपक जा जानेमन.’

रेणु: ‘हाय्य्यय्य्य्य लोओओ जीईईई और चिपक गई रे.’

मै: ‘हाय्य्य्य देख कैसे मज़ा भी आ रहा है और ठण्ड भी गायब.’

मै उसके नितम्बों को जोर जोर से मसलने लगा. उसके गोरे गालों को और लाल लाल होंठोंको चुमने लगा.

रेणु: ‘उईइम्ममाआअ चिपक तो रही हूँ पर ऐसे बेदर्दी से मेरी गांड तो ना मसलो ना प्लीज.’

मै: ‘हाय्य्य्य मेरी जां मत रोको आज.’ कहते हुवे और कस कसके मसलने लगा उसका गांड. वह भी मेरा पीठ सहलाने लगी.

रेणु इतराती हुई बोली: ‘हाय्य्य्य मान जावोना सैंया जी, ऐसे बेदर्दी ना दिखावो जी.’

मै: ‘बेदर्दी नही ये तो प्यार है मेरी रानी, जरा समझा करो ना.’ उसकी इतराती बोली और और कामुक अंदाज़ मेरे उपर जादु सा असर करता जा रहा था. मैंने उसका नाईटी उतर दिया खुद भी अपना सारा कपडा खोल कर फेक दिया एक तरफ और उसको पुनः अपने आगोशमे भरकर उसके गाल और होंठों को चुमने लगा.

रेणु: ‘हाय्य्य्य रे तुम्हारे लिए तो प्यार है लेकिन देखो ना तुम्हारा हाथ कितनी बेशर्मिसे मेरी पैंटीमे घुसा जा रहा है और मेरी गांड मसल रहा है. ईस्स्स्सस्स्स …..’

मै: ‘तुम्हारी गांड हि इतनि मस्त अहि तो मै क्या करूँ जानेमन’

रेणु: ‘हाय्य्यय्य्य इतनि मस्ती भी ठीक नही है राज्जज्जा जीईईईइ मसलो मगर प्यार से. ऊईईईईईईई माआआआआआआआ मै तो मसल्वाना काम करना चाहती थी, तुमने तो मेरी चढ़ी सरका के मेरा गांड हि नंगि कर दी राज्जज्जा जीईईईइ. बड़े हि बेशर्म होते जा रहे हो आज कल, अब क्या करूँ, गांड हि कहां नंगी हुई है केवल, आगे वाली भी तो नंगी हो गई. आखिर एक हि तो चीज़ ढकती है ना आगे वाली और पिछे वाली दोनो को. आज क्या हो रहा है तुम्हे, क्यूँ पागल से हुवे जा रहे हो आज इतना.’

मै उसके चुतड के बिच कि गहराई मे अपना उंगली घुमाते हुवे बोला: ‘आज के पार्टी मे रश्मि सालीने नाचते वक़्त अपनी चुंचियों को छलका छलका कर मेरा हि नही सभी मर्दों का बड़ा बुरा हाल कर दिया है. बड़ी मस्त जवानी है भोंसड़ी कि, अगर लोंगों का खयाल नही होता तो मै तो वहीँ पे चोद लेता साली रण्डी को’

रेणु: ‘अच्च्छा जीईईईई तो ये बात है, इतना मस्ती चढ़ा था तो चोद हि डालते भोंसड़ी को वहीँ किसी कमरेमे लेजाकर. कम से कम मेरी तो जान बंच जाती. उस भोंसड़ी के कारण तुम तो मेरी जान लेलोगे इस तरह. आह्ह्हह्ह्ह्ह देखो तो ऐसे फनफना रहा है तुम्हारा सांप कि मुझे तो दर लग रहा है ना जाने कहां डांस ले और किस बिल मे घुस जाये. बस अब इतना जलवा ना देखा करो उसके चक्कर मे तो ये मुझे चलने लायक नही छोड़ेगा, कुछ तो तरस खावो अपनी रानी पर.’

मै उसके गांड के छेद पर गोल गोल चक्करों मे अपना उंगली घुटे हुवे और अपना तना हुवा लंड उसके पेंडु पर दबाते हुवे बोला: ‘हाय्य्य्य आज सब कर लेने दो मत रोको प्लीज, देखो मेरा कैसे खड़ा हो रहा है जानेमन.’

रेणु: ‘ऊईईईईईईम्म्म्माआआआअ तभी तो डर रही हूँ राज्जज्जा जीईईईई.’

मै अपना लंड उसके हाथमे थमाते हुवे बोला: ‘ये बात है तो जरा हाथ से सहला दो, प्यार से पुचकार दो और चुम के समझा दो इसे.’

रेणु एक भूखी बिल्ली कि तरह मेरे मोटे चुहेको पंजे मे दबोचते हुवे बोली: ‘इस्स्सस्सस्स्स्स बड़ा हि गरम और टाइट हो रहा है तेरा लगता है आज मेरी खैर नही.’

मै: ‘हाआआअ आआअह्हह्हह और कसके दबोच ले रान्न्नी.’

रेणु: ‘बिना लिए मानेगा नही तुम्हारा’ और मेरे लंडको मसलने लगी.

मै: ‘हाय्य्यय्य्य मेरी जान आआअह्हह्हह क्या कलाकारी दिखा रही हो तु इसे हाथसे हि झाड़ दोगी क्या. अब जरा अपनी टांग खोल कर फैलावो मै भी तो देखू तेरी बाहर, जरा टांग खोलो ना रानी.’

रेणु अपनी टांगें खोलते हुवे बोली: ‘हाय्य्य जो मरजी देख लो मै मना कहां कर रही हूँ. हाय्य्य्य लो ना टांगें खोल दी मेरे बलम जी, तुम जैसे कहोगे वैसे हि करूंगी मोरे मोटे लंवडे वाले सैंया जी.’

मै: ‘जरा उंगली से अपने फैला ना अपना, जरा जिभ डालके चाट लूँ तेरी.’

रेणु: ‘हाय्य्य किस वाली को फैलाऊं, किस वाली मे जिभ डालोगे सजन जी, आगे वाली मे या पिछे वाली मे, कौन सी खोलूं राजा जी.’

मै: ‘पहले बुर फैला उसे चाट लूँ फिर गांड मे पेलुंगा.’

रेणु: ‘हाय्य्य लो ना पुरी चौड़ी कर दी, देख ना अपनी उँगलियों से कैसे फैला दिया मैंने.’

मै: ‘हाय्य्य्य तेरी बुर लंवडा खा खा के कितनी फ़ैल गई है रे. ये तो रण्डी के भोंस्डा जैसी हो गई है रे साली, तु कितनी बड़ी चोदक्कड़ है रे भोंसड़ी.’

रेणु: ‘ओय्य्यय्य होय्य्य्यय्य तु बड़े बेशर्म हो मोरे सनम. जब इसे दूसरों से चुद्वाए तो क्योंनाही सोंचा कि उन्हें अपने मज़े से मतलब है, उन्हें क्या लेना है अगर बुर का भोंस्डा हि बन जाये तब भी. सालों ने कितनी बेरहमी से चोद चोद कर ढीला किया है मेरे बुरको ये तुम क्या जानो ये तो मेरे बुरको हि मालुम है राज्जज्जा. खैर छोड़ो भी अब लो ना फैला दिया है तेर लिए मेरी लाल लाल बुर खा लो ना जैसे मरजी.’

मैंने अपना जिभ उसके चौड़े बुर मे घुसेड दिया और उसके बुरके लाली को चाटना सुरु कर दिया. उसने कस के फैला राखी थी अपने बुर को और मै उसके बुरके हर हिस्से पर अपना जिभ घुमाने लगा. मै उसके चने के दाने जैसी टीट पर अपने जिभ का नोक रगड़ने लगा तो वह एक दमसे मिमियाने लगी, ठीक वैसे हि जैसे हीट मे आई बकरी मेमियती है. वह अपना बुर मेरे मुह पर जोर जोर से दबाने लगी.

रेणु: ‘इस्स्सस्सस्स्स्स आह्ह्हह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ सनम बड़े हि चोदु हो तुम तो.’

मै: ‘और तुम क्या काम चोद्द्क्कड हो. चोदवा चोदवा कर भोंस्डा बनवा लि हो पर हाय्य्य्य रानी तेरा बुर है बड़ा नमकीन. हाय्यय्य्य देख ना तेरी बुर कितना पानी छोड़ रही है. आज जी भरके पिला दे अपने बुर का नमकीन पानी. आआआह्ह्ह हाय्यय्य्य मेरी रानी बड़ा मज़ा आरहा है.

रेणु: ‘अब जीभ पेलोगे तो पानी हि छोड़ेगी ना राज्ज्ज्जा. आआअह्हह्हह हाय्य्य्यय रे ईस्स्स्सस्स्स. खा हि जावोगे क्या इसे मान भी जावो ना. हाय्यय्य्य्य पी लो जितना चाहो पर ज्यादा चूसोगे तो देख लेना कहीं शुशु ना कर दे ये मचलते हुवे तुम्हारी हरकतों से.’

मै: ‘अब चाहे जो भी हो देखा जाएगा, अभी तो बस चुसने दो ना.’

रेणु: ‘हाय्य्य्यय्य तुम भी ना कितने चोदु हो मेरे यार, चूस लो जैसे मरजी मना नही करुँगी. मेरा बुर तुम्हारे मज़े के लिए हि तो है और बुर का क्या गांड भी भी, चुंची भी सब कुछ. मै अब गांड उठा रही हूँ चूस ले मेरी बुर मेरे सजन जी.’

उसने गांड उपरके तरफ उठा कर मेरे मुहसे चिपका दिया. मै चपर चपर उसके बुर पे जिभ चला कर चाटने लगा. उसके बुरसे नमकीन पानी कि धार बहने लगी और उसे चूस चूस कर मै मज़े लेने लगा. क्या स्वाद था उसके बुर से बहते पानी का, वाह्ह्हह्ह.

मै: ‘हां बड़ा मज़ा आरहा है चुसवाती जा आ 69 करते हैं मेरी रानी. अब तुम भी लेलो मेरा लंड अपने मुह मे.’

रेणु: ‘हां क्यूँ नही मेरे सजन आखिर तुम्हारे लौंडे को भी तो मज़े आने चाहिए जिभ के साथ साथ, हाय्य्य्य मेरे बलमजी मै लेती हूँ लपक के आपका लौंडा अपने मुह मे.’ और इसके साथ हि उसने मेरा लंड अपने मुह मे लेकर होंठों के प्रेसर से दबोच दबोच कर चुसने लगी. मै भी उसके बुरको फैला कर बुरके छेड़ मे जिभ और अपना एक उंगली डाल कर चाटने लगा. कभी उसका बुर चाटता तो कभी बुरके रस से तर अपने उंगली को चटने लगता. कभी कभी तो उसके बुर के रस से तर अपना उंगली उसके मुहमे डाल देता और वह मेरे उंगली पर लगे अपने बुर के रस को चाटने लगती थी. मेरा लंड चुस्ती हुई वो बोली, ‘देखो चूस रही हूँ राज्ज्ज्जा जीईईईइ इस्स्स्स.’

मै: ‘हाय्य्य मेरी रानी क्या मस्त है तेरी जवानी. हाय्य्य रे तेरी बुर कितनी मचल रही, जरा अपनी गांड उठा फिर देख कैसे झाड़ता हूँ इसकी मस्ती.’

रेणु: ‘लो ना उठा लि अपनी गांड जरा इसे भी सहलाते हुवे चाटोना मेरी बुर. हाय्य्य मोरे सजन जी तेरा लौंडा कितना कड़क और मोटा हो गया है. लगता है आज ये फाड़ हि देगा मेरे बुर और गांड को. जरा प्यारसे लेना, धीरे धीरे डालना मेरे चोदु बलम जी.’

मै: ‘आज तो मन कर रहा है कि पहले तेरे गांड मे हि पेलु मेरी रानी, हाय्य्य्य रे तेरी गांड क्या मस्त लग रही है रे मेरी जां.’

रेणु: ‘क्यूँ आज इतनि अछि लग रही है क्या मेरी गांड. हाय्य्य्य मेरे राज्जज्जा अब और कितना चाटोगे. अब पेल दो ना अपना लौड़ा, चोद डाल मेरे बुर और गांड मोरे राज्जज्जा जी.’

मै: ‘हांआअ मेरी जान बड़ी मस्त लग रही है ये, ला पहले थोडा ठुक लगा दूँ इस्पे फिर पेलता हूँ अपना लौंडा.’

रेणु: ‘हाय तो लगा दो ना मेरे राज्जज्जा जीईईईइ जो लगाना हो.’

मै: ‘ले मेरी रानी.’

मै उसके गांड के छेद पर अपने जिभका नोक रगडने लगा और उसके साथ हि ढेर सारा थूक लगा दिया उसके गांड पर. अब मै उसके गांड मे एक उंगली डाल कर गांडके छेद मे थूक मिलाने लगा.

रेणु: ‘हाय्य्य ऐसे कैसे ले पावोगे गांड का मज़ा मेरे सनम, लो मै गांड उठाके घोड़ी बन जाती हूँ पीछे से पेलो आसानी से चला भी जाएगा और मज़ा बी आएगा रज्जज्जा जीईईई.’ कहते हुवे वह उलट कर घोड़ी बन गई.

मै उसके गांड के छेड़ पर अपना लंड स्टेट हुवे बोला: ‘ले संभाल अपना गांड मै पेल रहा हूँ अपना लंड.’

रेणु: ‘उईईईईईईई माआआआआआआअ आआअह्हह्हह एक तो इतना मोटा लौंडा है उपरसे थोडा सबर भी नही, उईईईईईईई आआअह्हह्हह आआअह्हह्हह प्लीज रज्जज्जजा जीईईईइ आआअऊ रे मैय्य्य्यय्या आराम से सैंय्य्यय्य्या जी आआअह्हह्हह आराम से पेल्ल्ल्ललो ना आआअह्हह्हह उईईईईईईई मैय्य्य्यय्या आआअह्हह्हह रज्ज्ज्जा जीईईईइ मेरी गांड है ये, जरा आराम से राज्ज्ज्जा जीईईईइ ऐसे बदर्दी मत बनो आआअह्हह्हह इतने लौडा नही खाए इसने कि झटके मे ले ले तुम्हारा लौड़ा उईइ आआअह्हह्हह.’

मै: ‘लो चला गया सुपाडा तेरे गांड मे अब देखो कितने प्यारसे घुसेड़ता हूँ बाकि लौंडा.’

रेणु: ‘उईईईईईईई अभी और ना पेलना सनम.’

मै: ‘हाय्य्य मेरी जां आधा तो चला गया अन्दर अब बस थोडा और सहलो फिर मजे हिं मजे है मेरी जान.’

रेणु: ‘हाय्य्य्य मान जाओ सनम, क्यूँ पुरा पेलने पे लगे हो हाय्य्य्य, मजे तो तेरे लौंडे को है मेरे गांड को तो सजा है सनम. ईईईस्स्स्स ओह्हह्हह हाय्य्य्य आराम से प्लीज मार डालोगे क्या अपनी रानी को लौंडेके चोट से, वो भी गांड मे ठोक के.’

मै: ‘हाय्य्य्य देख इतने प्यारसे पेल रहा हूँ अब बता कैसा लग रहा है, अब तो पुरा लौंडा अन्दर भी चला गया है तेरे गांड मे मेरी रानी.’

रेणु: ‘उईईईईईईई आआअह्हह्हह उईइम्ममाआअ आआअऊऊऊच्च्च तभी तो फटी जा रही है मेरी गांड. आआअह्हह्हहही रे मैय्य्य्यय्या फट्ट गई गांड मेरी आआअह्हह्हह आज तेरा लौंडा तो मोटे गरम सरिया सा लग रहा है रे, मत हिला अभी आआअह्हह्हह ऐसे हि पडे रहने दे रज्ज्ज्जज्ज्ज्जा जी.’

मै: ‘हाय्यय्य्य वाह्ह्हह्ह रानी क्या गांड है तुम्हारी, लौंडे को कैसे चांप रही है ये. हाय्य्य्य बड़ा मज़ा आ रहा है रानी आज तेरे गांड में.’

मै धीरे धीरे अपने लंड को हिलाने लगा. बहुत धीरे से थोडा सा लंड बहारके तरफ खिचता और बड़े प्यार से फिर अन्दर ठेल देता.

रेणु: ‘संच मे अच्छी लगी तुम्हे राजा, ऐसा है तो जी भरके करलो आज जितना करना हो मै अब नही रोकूंगी चाहे मेरी गांड बंचे या फट जाये.’

मै: ‘तो पेलूं और, बोल रानी पेलूं तेरे गांड मे, पेलूं सटासट बोल, बोल रानी बोल.’

रेणु: ‘इस्स्स्सस्स्स्स हाय्यय्य्य क्या पेलोगे सटासट मेरे गांड मे राजा जी.’

मै: ‘लौंडा पेलुंगा और क्या, हां मेरी जान देख कैसे जा रहा है मेरा लंड तेरे गांड मे रानी.’

रेणु: ‘हां मेरे राजा पेलो पेलते जा देख, देख कहीं थोडा बाहर ना रह जाये पुरा पेलना राजा जी, पुरा लंड पेल दे मेरे गांड मे.’

मै: ‘ओह्ह्ह्ह हाय्यय्य्य देख अब जड़ तक ठेल दिया है अपना लौंडा तेरे गांड मे रानी. बोल अब बढाऊँ लौंडे का रफ़्तार.’

रेणु: ‘हां राजा मेरे गांड को चीरते हुवे तेरा लौंडा पुरे गहराई तक जा रहा है मेरे गांड मे. बढ़ा रफ़्तार अब जितना बढ़ा सकते हो बढ़ा मै भी अब पिछे हटने वाली नही हूँ. पेल गचागच, हूँ हूँ धास, धास दे मेरे रज्ज्ज्जज्जा पुरा लंड अपने रानि के गांड मे, मार सटासट मार.’

मै अब पुरे रफ़्तार से अपना लंड उसके गांड मे अन्दर बाहर करने लगा. वह कमर आगे पीछे करते हुवे मेरा पुरा लंड अपने गांड मे ले रही थी. अब बड़े आरामसे सटा सट मेरा लंड अन्दर बाहर हो रहा था. मै दनादन पेले जा रहा था अपना लंड उसके गांड मे.

रेणु: ‘आआअह्हह्हह उह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऐईईईईइ हूऊऊऊउनं उईईईईईईईमाआआअ उईईईईईईई हाआआआय्य्य्य रे चोद्दद्द्द्दु पेल्लल्ल्ल्ल औररर पेलल्ल्ल्ल हय्य्यय्य मेर्ररे पेल्ल्ल्लू चोद्दद्दद हां चोद्दद्दद रे चोद्दद्द आआअह्हह्हह रि मैय्यय्य्या हय्य्यय्य मेरर्रा गांड, मार और मार पेल्ल्ल्ल स्स्स्ससाल्ल्ल्ले प्प्प्पेल्ल्ल.’

मै: ‘आआअह्हह्हह हाय्य्य्य रि रंन्न्न्नडीई वाह्ह्हह्ह्ह्ह क्य्य्या हिल हिल के पेलवा रही है रे भोंसड़ी आआआह्हह्हह्हह हाय्य्य्य तेरी गांड.’

रेणु: ‘ओह्ह्ह्ह सनम तुम ना बड़े ख़राब हो आआअह्हह्हह ओओ ओओ ऊऊओह्हह्हह घोड़ी बना के मेरे गांड मे पेल रहे हो आआआअह्हह्हह्ह आआआअम्मम्मम्मम जरा हाथ बढ़ा कर मेरी चुंची तो पकड़ ले आआआअम्मम्मम्मम आआआअह्हह्हह्ह.’

मैने उसके बगलसे अपना हाँथ बढाकर उसकि निचे लटक कर झूलती बडी बड़ी चुंचियों को पकड कर उसके गांड मे पुरे ताकत के साथ अपना लंड पेलने लगा. मै उछल उछलकर उस्के गांड पर ऐसा चोट मार रहा था जैसे गुस्से मे बौखलाया हुवा कोई पहलवान अपने प्रतिद्वन्दी को पुरी तरह पस्त कर देना चाहता हो. मै यह भुल गया था कि मै अपने हि बीवी का गांड मार रहा हूँ. इस वक़्त ऐसा लग रहा था कि किसी महँगी रण्डी को चोद कर उसपे लगाये अपना सारा पैसा वसूल कर रहा हूँ.

उसे भी पता नही कितना मज़ा आरहा था कि बस गांड हिला हिला कर अपने गांड मे लंड धसवा रही थी. जब मै पिछे से उसके गांड मे लंड ठेलता तो वह भी बड़ी कसके अपना पुरा बदन पीछे के तरफ ठेल देती थी और जब मै लंड को बाहर के तरफ खिंचने लगता तो वह भी थोडा आगे हो जाती थी. इस क्रममे लगभग मेरा पुरा लंड उसके गांड से बाहर आजाता और फ़ौरन घचाक से समूचा लंड उसके गांड मे समा जाता था.

रेणु: ‘हाय्य्यय्य्य्य फाड़ हि दोगे क्या मेरी गांड, चल बे भोसड़ी के फाड़ हि दे मेरा गांड. दिखा मेरे गांड पे अपनी पहलवानी. अजमा ले अपने लंड का ताक़त आज मेरे गांड पर. मै भी देखूं कितना दम है तुझ मे और तेरे लंड मे. उह्ह्हह्ह आआआअह् उईईइ उईईईइमा उईईइ हाय्य्यय्य्य मेरे चोदु फाड़ दे मेरी गांड आह्ह्हह्ह हां धाआआस्स्स्स दे और कस के धाआअस्स्स्स आआआअह्हह्हह्ह आआआअम्मम्मम्मम ओह्ह्हह्ह्ह्ह चूऊऊऊऊओद.’

मै: ‘हाय्य्य्य रे रंडी हाय्यय्य्य, ले भोंसड़ी ले ले अपने गांड मे मेरा लंड, आआआअ आआआअ आआआअह्हह्हह्ह हाआआआआआईईईइ तेरा गांड.’

रेणु: ‘पेल पेलल्ल्ल्ल गचागच आःह्ह्ह आःह्ह्ह इस्स्स्सस हय्य्यय्य मेरे रज्ज्ज्जज्ज्ज्जा हुक कस के और कस्स्स्ससके और हां और कस्स्स्स कस्स्सस्स्सके हूंक. आआआ आआअह्ह्ह्ह आआआअ म्म्मम्म्म्मम्म म्मम्म चोद्दद्द हां पेल पेलल्ल्ल्ल पेल्ल्ल्ललते जा आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आआआअ.’

मै: ‘ले, और ले, और ले ले भोंसड़ी, ले कितना लेगी रे लौंडा अपने गांड मे, ले ले रण्डी, ले तेरे जैसा चुदक्कड कोई नही है रे हाय्य्य्य रण्डी, तु तो बड़ी भारी चुदक्कड है रे. ले ले, और ले हरामजादी, ले रण्डी ले. ले और ले.’

मै घचाघच पेल रहा था अपना लंड उसके गांड मे, एक दम सटा सट.

रेणु: ‘इस्स्सस्सस्स्स्स आह्ह्ह्हह्ह आआआआ उईईईइमा उईईईइ आःआआआअह्हह्हह्ह.’

मै: ‘हाय्य्य रण्डी कितना लेगी रे गांड मे चल अब जरा अपने बुर मे भी ले साली ले अपने बुरमे.’

और मैंने उसके गांड से खिंच कर सटाक से पेल दिया अपना लंड उसके बुर मे. मेरा लंड पेलने का गति इतना तेज था कि एक हि बार मे पुरा लंड घचाकसे जड़ तक घुस गया उसके बुर मे.

रेणु: ‘उईईईईइमा उईईईइ हाय्य्य्यय्य क्यों इतना बेरहमी दिखा रहे हो आज आआआअ आआआह्ह्ह उईईई उईईईईमा उईईईईइ आह्ह्हह्ह्ह्ह फाड़ हि दोगे क्या आज. मत कर इतना जुल्म मेरे बुर पर आःह्ह्ह हाईईईईईई उईईईईइमा उईईईई आआआ स्स्सीईईईईइ उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़ आआआह्ह्ह ओह्ह्हह्ह्ह्ह हाय्यय्य्य.’

वह चिल्लाती जा रही थी और मै झटके पे झटका मारते जा रहा था. एल दम फच फच कर रही थी उसकी बुर मेरे लंड के हर वार पर. मेरा लंड सट सट जा रहा था उसके बुरमे. मै एक दम गच गच पेल रहा था उसके बुरमे. वह सह नही पाई अपने बुर पर लंड़का इतना तेज वार और अचानक उसके बुर ने छोड़ दिया पानी. इतना पानी कि लगता था उसके बुर के अन्दर कोई बांध था जो अचानक फुट गया हो. मै भी छुटने के कगार पे था कस के ठेला अपना लंड उसके बुर के भीतर और छुट गया गोली मेरे बन्दुक से जो जाकर सीधे टकराया उसके बच्चेदानी से.

कस लिया हम दोनो ने एक दुरे को अपने बांहों मे. उसके बुर का प्रेसर बढ़ के कसता जरह था मेरे लंडको. उसकी बुरकि मांस पेशियाँ अजीब ढंगसे सिकुड़ कर बना रही थी दबाव मेरे लंड पर और निचोड़ती जा रही थी मेरे लंडको. धीरे धीरे उसकी बुर सिंकुड कर दबाती जा रही थी मेरा लंड और और वह मुझे बड़े जोरसे पुरी ताक़त के साथ जकडती जारही थी मेरे बदनको, उसकी नाखुन धसते जा रहे थे मेरे कमर पर और अंतः आखिर निचोड़ हि डाला साली ने लंड का सारा तेल, एक एक बूंद, हर बूंद निचोड़ लिया उसके बुर ने.

तकरीबन तिन सप्ताह बीत गया लेकिन सिमाके साथ कोई सेटिंग नही मिल पा रहा था. अब मैंने कुछ अलग हि ढंगसे उस पर डोरे डालनेका सोंचा. उसके सुडौल शरीर खास कर बड़े बड़े नितम्ब और बड़ी बड़ी चुचियोंके बारेमे सोंचते हि मेरा लंड कुबूलाने लगा. बगैर किसी खास मेकअप के जब वह इतनि सुन्दर दिखती है तो जब पुरा सजधज कर मेरे आगोश मे आएगी तब कितना मज़ा आएगा सोंच सोंच कर मै कश्मशाने लगता था. उसकी मांसल शारीर जब इतनि मादक है तो उसकी चर्बी चढ़ी बुर कितनी सुन्दर होगी और उसे सहलाने और चाटने के बाद लौंडा घुसाने मे कितना मज़ा आएगा यह सोंच्सोंच कर मेरी नींद उड़ जाती थी. दुसरे शब्दों मे अगर साफ साफ कहना पड़े तो मेरा हालत दीवानों सा हो गया था. हर पल मै उसीको भोगने और चोदनेके बारे मे सोंचने लगा था लेकिन बात आगे नबढते देख मै बेचैन रहने लगा था.

रविबार का दिन था. रेणु किसी सहेली के घर गई थी. मैंने सिमाको फोन किया, ‘सीमाजी क्या कर रही हैं, आपसे कुछ जरुरी बात करनी थी.’

सीमा, ‘जी बोलिए क्या कहना है.’

मै, ‘क्या आप अभी आकर मुझसे मिल नही सकती, मुझे जो कहना है वह फोन पर कहना ठीक नही लग रहा है सीमाजी.’

सीमा, ‘यदि बहुत उर्जेंट ना हो तो क्या आप अधे घंटा इंतज़ार करेंगे, प्लीज. घरके सफाई मे लगी थी थोडा स्नान करके आती हूँ.’

मै, ‘नही नही ऐसी कोई बात नही आप नहाकर आरामसे आयिए रबिबार है इसलिए मै घर पर हि हूँ.’

मैंने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. मेरा दिल जोरजोरसे उछलने लगा नहानेके बादके उसके फ्रेशनेस के कल्पना से हि मेरा लंड फूलने लगा. मैंने अपना इरादा पक्का कर लिया कि आज नही तो कभी नही. आज तो उसे हर हालमे फांसना हि है. मै पैंट के उपरसे अपने लंड को सहलाते हुवे उसे दिलासा देने लगा कि यार बस थोडा सा और सब्र कर फिर जमके मुह मारलेना उसके बुर और गांड मे लेकिन सब्र करनेके बजाय वह गुस्से मे भड़क कर पैन्टके अन्दर हि फुफकारने लगा.

लगभग एक घंटे बाद वह आई. मै तो बस उसे देखता हि रह गया. आज वह बड़ी खिली खिलिसी लग रही थी. साधारण सी सूती साड़ी मे भी खिली हुई गुलाब सी लग रही थी वह. आज उसने बहुतही हल्का मेकअप भी क्या हुवा था. उसके माथे कि बिंदी और मांग मे भरे सिंदुर बड़े लुभावने लग रहे थे. उसका यह घरेलु औरतका हुलिया मुझे बड़ा हि आकर्षक लगा.

उसने आते हि कहा, ‘हां प्रमोद बाबु बोलिए क्या कहना है आपको.’

मै, ‘सीमाजी मुझे कहते हुवे ठीक तो नही लग रहा है लेकिन बडा जरुरी होनेसे कहना पड रहा है. आप इसे अन्यथा ना लीजियेगा.’

सीमा, ‘नही नही आप ऐसा क्यों सोंच रहे हैं, जो कहना है साफ साफ कहिये ना.’

मै, ‘सीमाजी पैसोंका बहुत जरुरत आ पड़ा है, आप देदेती तो बड़ा अच्छा होता.’

पैसों का बात सुनते हि उसका चेहरा पिला पड़ने लगा, वह सोक्ड होगयी, ‘मुझे थोडा वक़्त चाहिए, मै आपका एक एक पैसा सूद सहित लौटा दूंगी.’

मै थोडा सख्त लहजे मे, ‘कब लौटा देंगी सीमाजी कब. मुझे इस वक़्त पैसोंका बहुत भारी जरुरत है, मैंने आपके मुसीबत मे साथ दिया था अब आपको भी मेरी मज़बूरी समझनी चाहए.’

सीमा, ‘लेकिन परमोद बाबु अभी तो मेरे पास पैसे हैं हि नही. आप थोडा वक़्त देदीजिए मै पुरे पैसे लौटा दूंगी. इतने आड़े समयमे आपने मेरा मदत किया है. मै आपका एहसान जिन्दगी भर नही भुल सकती. मेरी बिनती है आपसे एक और एहसान कर दीजिये मुझ पर, थोडा और वक़्त देदीजिए मै सारी उम्र आपकी एहसानमंद रहूंगी.’

मै थोडा शाख्ती दीखते हुवे, ‘अहसानमंद होजाने से पैसों का जरुरत पुरा नही होजाता है सीमाजी, जाईये और पैसे लेआईये.’

सीमा रोनी सी सूरत बनाति हुई, ‘मै अब आपको कैसे समझाऊ, इस वक़्त पैसे नही हैं मेरे पास. मै कहां से लाऊं.’

मै, ‘ठीक है नही है तो जाईये मै आपके के पतिसे पुछ कर देखता हूँ वे क्या कहते हैं.’

मैंने जेबसे मोबाइल निकाला और उसके पति का नंबर ढूंढने लगा. सीमा गिडगिडाते हुवे हाथ जोरकर बोली, ‘प्लीज उन्हें मत बतायिए प्लीज मै कोई ना कोई उपाय करके आपका पैसा देदुंगी.’

मै, ‘तो देदीजिए ना.’

सीमा, ‘बस मुझे थोडा वक़्त देदीजिए, प्लीज. मै आपको हाथ जोडती हूँ.’

मै, ‘आप मेरा वक़्त और मूड ख़राब ना कीजिये. आपके पास है नही और अपने पतिसे मागने नही दे रहीं है. मामला कुछ समझ मे नही आरहा है. बताईये क्या बात है? आखिर आप चाहती क्या हैं?’

सीमा, ‘आपसे पैसे मैंने लिए हैं और मै कह रही हूँ लौटा दूंगी, आप उन्हें बिच मे मत लाईये. आप उन्हें नही जानते. आपका पैसा तो वह देंगे नही लेकिन वह ये सुनकर मुझे कच्चा चबा जायेंगे कि मैंने आप से पैसे लिए हैं.’

मै, ‘बड़ा अच्छा प्लान है आपका पैसे हजम करने का. मै तो आपको बहुत सीधासादा समझता था लेकिन आप तो बड़ी धूर्त हैं.’

सीमा, ‘आप मुझे गलत नही समझें. इस वक़्त मै मजबुर हूँ लेकिन एहसान फरामोश नही.’

मै, ‘वो आपके साथ क्या करेंगे और क्या नही इससे मुझे क्या लेनादेना है. अब एकबार मुझे कोशिश तो करना हि होगा.’

मै फिरसे फोन मिलाने लगा. वह आकर मेरा पैर पकड लि. झुकते वक़्त उसकी ब्लाउज मे हल्का गैप बन गया था जिससे उसके चुंचियोंका कुछ हिस्सा दिखने लगा था. मै उसे तंग करने के मूड मे था. वह गिडगिड़ा रही थी लेकिन मुझे मज़ा आरहा था. मैंने उसके माथे पे हाथ फेर मुलायम रेश्मी बालों को सहलाते हुवे बोला, ‘देखिये सीमाजी अब यह नाटक छोडिये. अगर आपके पति मेरे पैसे दे देते हैं तो इसमें आपको क्या परेशानी है, आपको तो खुश होनी चाहिए.’

सीमा, ‘वो मुझे मर डालेंगे, प्लीज ऐसा मत कीजिये.’

मै, ‘वो आपको मार डालेंगे भला क्यूँ. आपने मेरे पैसे अपने भाईके इलाज मे खर्च किया है किसी फालतू के काम तो नही और वह उनका भी तो साला है. कहते हैं कि सारी खुदाई एक तरफ और जोरुका भाई एक तरफ, और यहां आप कह रही हैं कि उसका मदत करने के कारण वे आपको मार डालेंगे, भला क्यूँ.’

सीमा, ‘मै आपको कैसे समझाऊ, मै हर बात आपको बता भी नही सकती. प्लीज उनसे कुछ मत कहिये.’

मैं, ‘एक सर्त पर मै आपको कुछ दिनका मोहलत देसकता हूँ.’

सीमा मेरा सर्त सुने बगैर झट से बोली, ‘मुझे आपका हर सर्त मंजूर है.’ मानो उसके जान मे जान आया हो.

मै, ‘तो आपको ये बताना होगा कि आप यह बात अपने पतिसे क्यूँ छुपाना चाहती हो.’

सीमा, ‘देखिये आप जीद ना कीजिये मै आपको नही बता सकती.’

मै लेकिन आपने अभी अभी वादा किया है मेरा हर सर्त मानने का. आप हि अपने वादे से मुक़र रही हो तो मुझे दोस मत देना मै उनसे बात कर रहा हूँ अब.’ कहते हुवे मैंने फोन डायल कर दिया, रिंग होने लगा.

वह घबडा कर बोली, ‘मै सब बताती हूँ, और आपका हर बात मानूंगी आप फोन काट दीजिये प्लीज.’

रिंग हो रहा था, मै कड़क आवाज़ मे बोला, ‘सोंच लीजिये हर बात मानोगी, मै जो भी कहुंगा, सब.’

वह जवाब देते देते रुक गई क्यूँ कि उधर फोन उठ गया था. वह कुछ ना बतानेका इशारा करती हुई फिर से मेरा पैर पकड लि.

मै, ‘हेल्लो गुप्ताजी, पहचाना मुझे.’ फोन का लाउडस्पीकर ऑन था.

उधर से आवाज़ आया, ‘आप भी कैसा बात कर रहे हैं प्रमोदजी. बतायिए कैसे याद किया मुझे.’

मै, ‘आप बहुत दिनोसे इधर दिखाई नही दिये इसलिए सोंचा कि आपका हालचाल पुछ लूँ और कोई बिसेष बात नही है, बताईये कैसे है, कब आरहे हैं.’

गुप्ताजी, ‘और सब तो ठीक हि है प्रमोदजी लेकिन ऑफिस वालों ने ऐसा फंसा दिया है कि कोई फुर्सत नही मिलता. कभी कभी तो सोंचता हूँ छोड़ दूँ यह नोकरी, लेकिन फिर सोंच कर मजबूर होजाता हूँ कि नोकरी छोड़ दिया तो गुज़ारा कैसे चलेगा.’

मै, ‘यदि ऐसा है तो आप कोई और नोकरी क्यूँ नही ढूंढ लेते हैं.’

गुप्ता, ‘कहां मिलेगी नोकरी, कौन देगा और ढूढने के लिए भी तो वक़्त चाहिए जो मेरे पास है नही.’

मै, ‘अगर आप चाहें तो मै कोशिश करके देखूं.’

गुप्ता, ‘अगर ऐसा हो जाये तो बड़ी मेहरबानी होगी आपकि.’

मै, ‘ठीक है मै देखता हूँ अगर बात बनी तो मै आपको बताऊंगा. चलिये फोन रखता हूँ बाय.’ और मैंने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया.

फोन रखने के बाद मैंने सीमाको उठाया और उसके सामने खड़ा होकर पुछा, ‘अब सब बात ठीक ठीक बताईये’

सीमा, ‘आप मुझे माफ़ कर दीजिये और एक वादा कीजिये मै जो बताउंगी वह आप किसी औरसे नही कहेंगे.’

मै उसके आँखों मे देखते हुवे, ‘ठीक है बताईये, यह बात मेरे और आपके बिच हि रहेगा.’

सीमा संकुचाते हुवे निगाहें झुका कर बोलने लगी.

मैंने आपसे झूठ बोला था कि हॉस्पिटल मे पड़ा हुवा आदमी मेरा भाई है. वह मेरा भाई नही बल्कि मेरे पतिका एक दोस्त था. वह अक्सर मेरे पतीके साथ हमरे घर आता जाता रहता था. उसकी नज़र मेरे खुबसुरत जवान बदन पर लगा था. वह मेरे नजदीक आने का और मुझसे घुलने मिलने का हर मौके पर कोशिश करता लेकिन मै उसे अपने पास नही आने देती थी. वह दिखाने को तो बड़ी बड़ी बातें करता था लेकिन मुझे फंसाने के लिए उसने मेरे पतिको एक झूठे केस मे फंसा दिया. मेरे पतिको पुलिस पकड़ कर लगाई और हवालातमे बंद कर दिया. तब वह खुद मदत करने के प्रस्तावके साथ मेरे पास आगया. पति को बांचने के चक्कर मे मुझे कई बार उसके साथ यहां वहां भटकना पड़ा लेकिन कोई बात नही बन रही थी. एक दिन सामको वह मुझे एक आदमी के यहां लेगया. सारी बात सुनने के बाद उसने वादा किया चाहे जैसे भी हो वह कल तक मेरे पतिको छुड़ा देगा. हम घर आगये. लौटते लौटते बहुत रात बीत गई थी. उसका घर हमारे घरसे बहुत दुर होने के वजहसे मैंने हि उसे उस रात अपने हि घर रुक जानेको कहा. वह मान गया. मेरे रोकने का मतलब उसने कुछ और हि लगा लिया था.

मैंने उसके सोने का इंतजाम कर दिया और अपने बेडरूम मे चली गई. मैंने चेंज करके नाईटी पहना और सोने से पहले सोच के लिए बाथरूम गई. जाते वक़्त मैंने उसके कमरे के तरफ देखा था, जो बंद था. मै बाथरूम से निकल कर अपने कमरेमे गई, दरवाज़ा बंद किया और लाइट ऑफ करके बिस्तर पर लेट गई. थाकवाटके वजहसे मेरी आँख लग गई. अचानक मेरी आँख खुल गई, मैंने महशुश किया कोई मेरे बदनसे चिपका हुवा है और उसका हाथ नाईटी मे घुस कर मेरे जांघों को सहला रहा है. मै डरते हुवे कौन हो हटो यहांसे निकलो कहते हुवे उसे जोरसे धक्का दे बेड से उतार कर लाइट जला दिया.

देख कर मेरा कलेजा दहल गया वही आदमी बिलकुल निवस्त्र मेरे बेड पे बेपरवाह लेटा हुवा मेरे तरफ देख मुस्करा रहा था. उसका एक हाथ उसके लिंग पर था. मै तु…तु…तुम यहाँ ऐसे कैसे आये निकलो बोली लेकिन उसने मेरा एक भी ना सुना वह बड़ी तेजी से बेडसे कुद कर मेरे पास आगया और मुझे पकड़ कर उठा लिया और लेजाकर बेड पर पटक दिया. मै उसके पकड़ से छुटने के लिए छटपटाती रही. मेरा हर कोशिश नाकाम होगया. मेरा एक भी ना चला और वह मेरे साथ मनमानी करने मे कामयाब होगया. पहले मुझे उसपे बहुत गुस्सा आया था लेकिन धीरे धीरे मैंने समर्पण कर दिया.

अब मुझे भी अच्छा लगने लगा था. ऐसा मज़ा मुझे अपने पतीके साथ कभी नही आया था. बस मै उसकी गुलाम बन गई. उस रात वह रातभर मेरे बदनसे खेलता और चिपका रहा. अगले दिन भी मेरे पति नही छूटे वह तीसरे दिन छुते. इस बिच दो रात वह मेरे साथ रहा और मेरे जवानिको भोगता रहा.

मुझे भी उसका चस्का लग गया. पतिसे आंख बांचा कर हम कभी कभार मिलने लगे. उसने हि बाद मे मेरे पतिका तबादला दुसरे सहर मे करा दिया. अब वह बेरोक टोक मेरे साथ मौज मस्ती करने लगा. मेरे पतीने एक रोज़ हमें पकड़ लिया. वह तो भाग खड़ा हुआ लेकिन मेरे पतीने मुझे जम कर मारा पिटा और उस दिनके बाद ना वह घर आये ना मुझे खर्चा दिया.

उस दिन एक्सीडेंट मे घायल होकर वही अस्पताल मे था. पतीके छोड़ने के बाद वही मेरा एक मात्र सहारा था. इसलिए उसे बंचानेके लिए मैंने आपसे पैसे लिए. वह अभी भी पुरा ठीक नही हुवा है. कहता है ठीक हो जाऊ फिर पैसे का इन्तेजाम कर दूंगा.

अब मेरे समझ मे सब कुछ आगया था. मैंने उसका मुखड़ा अपने हाथोंसे उपर उठाते हुवे कहा, ‘अच्छा तो ये बात है. मै तो आपको एक पतिब्रता नारी समझ रहा था लेकिन तुम तो एक छिनाल निकली.’

सीमा, ‘आप मेरी मजबूरी समझ मुझ माफ़ कर दीजिये प्रमोद बाबु.’

मैंने खिंच कर उसे अपने बांहोंमे कसते हुवे उसकी एक चुंची को जोरसे मसलते हुवे कहा, ‘ठीक है लेकिन जब तक मेरे पैसे नही मिलते हर रोज सूद मे मुझे अपनी जवानी परोसते रहो.’ और मै उसे बेड रूम के तरफ खीचने लगा.

सीमा, ‘नही, मुझे माफ़ कर दीजिये, छोड़ दीजिये मुझे.’

सीमा कसमसाती रही लेकिन जबरदस्ती उसे घसीटते हुवे मै उसे अपने बेड रूम मे लेगाया. वह बिलख बिलख कर कहने लगी, ‘नही प्रमोद बाबु नही, प्लीज छोड़ दीजिये मुझे. मै आपका बहुत इज्जत करती हूँ. मुझे जाने दीजिये, प्लीज.’

मैंने कस के एक चाटा जड़ दिया उसके गांड पर और दहाड़ कर बोला, ‘यारसे मरवाने मे मज़ा आया, और मेरे से नखरे दिखती है.’

वह फिर गिडगिडाते हुवे बोली, ‘मेरे उपर रहम खाईये, मै आपको हाथ जोडती हूँ, प्लीज.’

मैंने फिर धमकी भरे अंदाज़ मे कहा, ‘देख प्यारसे करने देगी तो ज़न्नत का सैर कराउंगा, नखरे दिखाई तो आगे पिछे दोनो फाड़ दूंगा. अब खुद सोंच ले कैसे देना है, प्यार से या जबरदस्ती.’

सीमा कसमसाती हुई बोली, ‘नही मेरे साथ ये सब मत करो प्लीज.’

मै उसे बेड पर पटकते हुवे बोला, ‘तूने ये सब अपने उस यारसे चुदवाने से पहले सोंचना था. तु तो एक रण्डी कि तरह ना सिर्फ चुदवाया बल्कि उसकी रखैल हि बन कर रह गई. उसके बीमार पड़ने पर कैसी तड़प रही थी साली. जब रण्डी बनही गई हो तो अब कैसा परहेज़ एक और लंड़ अगर पेलवा लोगी तो क्या बिगड़ जाएगा तेरा. तेरे पति से बड़ा और बलवान लंड है ना उसका इस लिये तु उसकी रखैल बनकर रह गई. देख मेरा लंड और बड़ा और कड़क है. एक बार आरामसे चुदवा ले तु उसे भी भुल जएगी.’ कहते हुवे मैंने अपना खड़ा लंड निकालकर उसके सामने कर दिया.

उसने मेरा लंड देख अपनी नजरें झुका लि. वह समझ चुकी थी कि आज मै उसे छोड़ने वाला नही हूँ, इसलिए अब सायद वह समर्पण के मूड मे आगयी थी. अब वह चुपचाप बेड पर पड़ी हुई थी. उसे शांत देख मैंने उसकी एक चुंची पकड़ कर मसल दिया और अपने कपडे उतरने लगा. मै पुरी तरह निवस्त्र हो गया. मेरे फौलादी लंड को देख वह सीहर गई और शर्म तथा डर से अपना सर झुका लिया.

इस वक़्त उसकी हालत देखने लायक थी. जब मैंने उसके आंखोंमे झांक कर देखा तो वह एक दम किसी अबला के जैसे दिखी. आँखों मे सूनापन, चेहरे बेरंग और एक दम बेजान सी. उसकी इस हालतने मेरे मनको झाझोर कर रख दिया. मेरे अन्दर बैठा सैतान उसी वक़्त घुटना टेक दिया, मर गया सैतान और जाग उठा इन्सान.

मै उसके नजदीक जाकर बैठते हुवे अपना तेवर बदलते हुवे प्यार भरे नरम शब्दोंमे बोला, ‘देख मै तुम्हारी हर दुःख दर्द समझता हूँ. तुम्हे एक तरह से तुम्हारे पतीने छोड़ दिया है और इस वक़्त तुम्हे सहारेकी जरुरत है. अगर तूने मेरा बात मन लिया तो मै तेरे हर सुख दुःख मे साथ निभानेका वादा करता हूँ. तुम नही जानती कि ज़माना कितना बेरहम है. यदि दुनिया वालोंको पता चल जाये कि तुम्हे सहारा देनेके लिए इस वक़्त तुम्हारे आगे पिछे कोई नही है तो लोग तुम्हारा क्या हाल करेंगे जरा इस बात पर भी गौर कर लो.’

मै थोडा रूककर प्यारसे उसके सरपे हाथ फेरा. उसे कोई प्रतिक्रिया ना करते देख मै आगे बोलना सुरु किया, ‘तुम सहारेके आस मे जिसकिसी के पास भी जावोगी वह सिर्फ तुम्हे भोग्नेको सोंचेगा और जब उसका दिल भर जाएगा तब वह गांड पर लात मर कर खदेड़ देगा. दोबारा और फिर उसके बाद जिस जिसके पास मदतका उमीद लेकर जावोगी, हर आदमी पहले वालेसे भी बड़ा कमीना, मतलबी और सैतान साबित होगा. आखिरमे लोग तुम्हे रण्डी बनाकर रख देंगे.’

अब वह पुरी खोमोशी के साथ मेरी बातें सुन रही थी. मै उसके पीठ पर सान्त्वना भरे अंदाजमे हाथ फेरते हुवे बोला, ‘मै तुम्हे बहुत पहलेसे, अगर संच कहूँ तो तुम्हे जब पहली बार देखा था तभीसे चाहने लगा था. तुम मेरे दिलोदिमाग मे ऐसे बस गई हो कि मै तेरा दीवाना हो गया हूँ. यदि तुम समझती हो कि मै तुम्हे जबरदस्ती पाना चाहता हूँ तो तुम जासकती हो. लेकिन एक बार मेरे बातों पर गौरसे सोंच लेना. चलो उठो और जावो.’
यह कहते हुवे मैंने लुंगी उठाया और लपेट लिया. वह उसी तरह बुत कि तरह बैठी रही. मैंने फिर बहुतजोर देकर उसे जानेको कहते हुवे बोला, ‘मै अपने एक तर्फे इश्कमे इतना पागल हो गया था कि यह घिनौना और नीच हरकत जो मुझे नही करना चाहिए था कर बैठा. इसे मेरी बेवकूफी, दीवानापन, या तुम जोभि चाहो समझ सकती हो. अंतमे मेरा एक रिक्वेस्ट है कि हो सके तो मुझे माफ़ कर देना. और हां एक बात और मै अपने गलतिके प्रय्श्च्चित के तौर पर आज इसी वक़्त तुम्हें अपने क़र्ज़ के बोझ से आज़ाद करता हूँ. तुम बेफिक्र होकर जावो मै फिर कभी तुम्हे किसी बातके लिए तंग नही करूंगा. मुझे माफ़ करो और अब उठो और जावो यहां से.’

वह बेडसे उठी, बड़ी अजीबसी निगाहोंसे मेरे तरफ देखा और दरवाज़े के तरफ बढ़ गई. दरवजेके पास पंहुच रूककर मुझे उपरसे निचे तक अजीब निगाह्से देखि और कुछ देर वहीँ खड़ी रही फिर आगेकि तरफ कदम बढ़ा दिया.

मै वहीँ खड़े खड़े उसे जाते देखते हुवे अपने हि ख्यालों मे डूबा हुवा था. मेरे मन मस्तिक मे कई बिचार बड़ी तेज़ीसे आ जा रहे थे. मनमे उसे पानेकी चाहत थी मगर दिलको शकुन सा लग रहा था कि मैंने उसके साथ जबरदस्ती ना करके बहुत हि अच्छा काम किया था, सायद यह मेरे जिन्दगीका सबसे अच्छा फैसला था. मै अपने हि खयालोंमे खोया हुवा था कि मुझे अपने करीब आते हुवे पदचापों के आहटसे मेरा ध्यान भंग हो गया.

वह लौट कर मेरे तरफ आ रही थी. मेरा दिल बहुत तेज़िके साथ धड़कने लगा. ना जाने वह क्यूँ आ रही है. क्या है उसके मनमे, पता नही क्या होने वाला है अगले पल. मै यहि सब सोंच रहा था कि वह मेरे बहुत करीब आगयी और मेरे आँखों मे झांक कर कुछ देखने, कुछ समझनेका कोशिश किया. मेरा दिल और जोर जोरसे धड़कने लगा.

तभी … …

वह एकाएक मेरे सिनेसे लगकर मुझे बेतहाशा चुमने लगी. मेरे समझमे कुछ भि नही आरहा था. यह क्या होरहा है मेरे साथ. मै कुछ देर पहले इस औरतको रपे करना चाहता था, उस वक़्त मैंने उसकी आँखों मे कितना क्रोध और नफरत देखा था अपने लिए और यह अचानक क्या होगया है उसे. कुछ पल पहले वो जिस इनसानसे नफरत कर रही थी, जिसके डरसे उसका रोम रोम कांप रहा था अब वह उसीको गले लगा रही थी, कुछ भी समझमे नही आरहा था मुझे. क्या करूँ मै उसके साथ. उसे समेट लूँ अपने बांहों मे या अलग हो जाऊं उससे.

मैंने उसे अलग, अपने बदनसे दुर करना चाहा लेकिन वह और कसके चिपकती जा रही थी मुझसे. मेरे समझमे कुछ भी नही आरहा था, कुछ भी नही, क्या करूँ मै.

मैंने उससे कहा, ‘होशमे आईये सीमाजी, होशमे आईये. देखिये ये क्या कर रहीं हैं आप. चले जाईये यहांसे, लौट जाईये.’

वह बोली कुछ भी नही, कोई जवाब नही दिया मेरे बातों का. बस पुरी तरह समेट लिया मुझे अपनी बांहों मे. वह जोर जोरसे भींचने लगी मुझे, अपनी बांहों मे, लगता था वह पुरी तरह समा जाना चाहती हो मेरे अन्दर.

मैंने फिर एक बार प्रयास किया उसे खुदसे अलग करनेका लेकिन वह अलग हि किस्मकी जूनून मे थी. मै उसे खुदसे अलग करना चाहता था और वह मुझसे चिपकती जा रही थी. हालात बिलकुल उल्टा होगया था. कुछ देर पहले मै उसके साथ जबरदस्ती करने पे उतावला था, उसे पानेके लिए पुरा जोर लगा रहा था और वह मुझसे बंचनेके लिए छटपटा रही थी वही अब मुझसे ऐसे चिपक रही थी. सब कुछ मेरे समझसे बाहर था.

मैंने फिर कोशिश किया उसे अलग करनेका. मै उसे समझाते हुवे बोला, ‘क्या होगया है आपको सीमाजी. ये आप क्या कर रहीं है. अलग होजायिये मुझसे, छोड़ दीजिये मुझे. देखिये आप जो कर रही हैं वह नही करना चाहिए आपको. रुक जाईये सीमाजी, चले जाईये यहांसे.’

लेकिन अलह होनेके बदले इस बार तो हद हि कर दिया उसने. वह चुमने लगी मुझे, मेरे गालों पे, माथे पे और अब मेरे लबों को. वह मुझे बेतहाशा चूमे जारही थी, चूमती हि जा रही थी.

आखिर कब तक रोक पाता मै अपने आपको, कब तक. वह औरत लगी हुई थी मेरे सिनेसे जिसे ऐसे हि अपने बांहों मे भरनेका सपना कई महिनोंसे संजोया था मैंने. उसे पानेकी चाहतमे तड़पता रहा था मै. अब वही खुद मुझसे लिपटी हुई चुमे जा रही थी मुझे. मुझे पता भी नही चला और मेरि बांहोंने जकड़ लिया उसे, कस के दबोच लिया मैंने उसे और चुमने लगा उसको.

आग बराबर लगी थी दोनो तरफ. दोनो कसके चिपकते जा रहे थे एक दुसरेसे. मानो एक होजाना चाहते हों. समा जाना चाहते हों, एक दुसरे मे.

अब उसकी मुलायम और रसीले होंठ मेरे होंठोके कैदमे थे. उसकी गुलाब कि पंखुड़ियों जैसी मुलायम, गुलाबी होंठोंको अपने होंठोंमे दबाकर चुसने लगा था मै, चूस लेना चाहता था उसका सारा रस, एक एक कतरा, हर कतरा. उसे भी कोई एतराज़ नही था अब. उसने भी पुरी तरह मेरे हवाले कर दिया था खुद को. भरपुर सहयोग कर रही थी वह. मै चुसे जा रहा था उसके होंठोंको. उसने आहिस्तेसे अपना मुह खोल दिया और मेरा जिभ समा गया उसके मुह मे.

मेरा जिभ उसके जीभसे टकराया, दोनो एक दुसरेसे गले मिले, पहली बार और ऐसे मिलेकी लगता था छोडना ही नही चाहते हों एक दुसरे को. बड़े जोसो खारोशके साथ एक दूसरेका खैरियत लेरहे थे वे. फिर मेरा जिभ घुमने लगा उसके मुह्के अन्दर, हर तरफ, हर जगह, इस तरहकी कोई मुसाफिर पहली बार किसी खुबसूरत बागमे गया हो और उसके एक एक कोनेको जन लेना चाहता हो. उसके मुह्के एक एक दीवार हर दिवारसे टकरा रहा था मेरा जिभ. फिर उसने भी वही दुहराना सुरु किया मेरे साथ. अब उसका जिभ घुम रहा था मेरे मुह मे.

उसका हाथ मेरे पीठ पर रेंगने लगा. वह मेरे पुरे पिठको सहलाने लगी. उधर मेरा हाथ उसके सरपे जाकर उसे सहला रहा था. मेरि उंगलिया उसके रेश्मी बालों मे घुम रहे थे. बडेही मुलायम थे उसके बाल. भीनी भीनी खुशबु आ रहि थी उसकी बालों से जो मेरे नाथुनोंसे टकराकर मदहोश करते जारहे मुझे.

मेरे हाथ उसके पीठ और पिठसे होते हुवे कमर पर घूमते हुवे उसके नितम्बों पर पहुंच गए. अब मै उसके बड़े बड़े नितम्बोंको जोर जोरसे दबाने लगा. उसकी उंगलिया मेरे नग्न पीठ पर धस रहे थे. उसके नाखुन मेरे पीठ पर चुभने लगे थे लेकिन एक अजबसा नशा दे रहे थे वे. मै मदहोश होते जारह था. अब मेरा हाथ उसके पेट पे पहुंच गया और असके मुलायम पेटको सहलाते हुवे उपरके तरफ यात्रा सुरु कर दिया. चढ़ने लगा अब वह पहाड़ियों पर.

अब मेरा हाथ धीरे धिरे रेंगते हुवे उसके पेट के उपरके पहाड़ियों पर चड़ने लगा था. पुरी ऊँचाई पर पहुंचनेके बाद वह पहाड के एक छोटी पर कुछ देर तक चहलकदमी करनेके बाद खायी मे उतर कर फिर दुसरी पहाड़ी के चोटी पर पहुंच जाता. वहां कुछ देर चहलकदमी करता और फिर उसी रास्ते से लौट कर पहले वाले पहाड़ी के सिखर पर पहुंच जाता.

सीमा मेरे हांथों के चहलकदमी से ब्याकुल होने लगी. उसके होंठों से सिस्कारियां फूटने लगे. उसके हाथ मेरे लुंगी के भीतर फुफकारते सांप को पकड़ने का प्रयास करने लगा. उसके इस प्रयाससे बौखलाकर सांप बार बार उसके हाथ पर ठोकर मारने लगा, मानो उसे डंस लेना चाहता हो.

मैंने उसके पहाडनुमा बक्षको ब्लाउज के उपरसे टटोलने लगा. उसके बक्षके चुचक कड़े हो गए थे. ब्लाउज के उपरसे हि मै बारी बारिसे दोनोको चुटकियों मे लेकर मसलने लगा. वह आनंद और उत्तेजना मे आकर मेरे लिंग को कस कस कर दबोचने लगी.

फिर सुरु हुवा एक दुसरेके शरीरसे कपड़ों को उतारनेका शिलशिला. सीमाने मेरे बदन पर लिपटे एक मात्र वस्त्र मेरे लुंगी को एक हि झटकेमे नोच कर फेक दी. मै तब तक उसकी साड़ी खिंच कर उसके बदनसे अलग कर चुका था. सीमाने मेरे झूलते लंडको पकड़ उसे सहलाना सुरु कर दिया. ब्लाउज के उपरसे हि मै उसकी बड़ी बड़ी चुंचियोंको पकड़ कर दबाने और मसलने लगा. फिर मैंने एक एक कर उसके ब्लाउज का सारा हुक्स खोल दिया और ब्रा मे कसे चुंचियोंको पकड़ कर दबाने लगा. कुछ देर चुंचियोंको दबाता और मसलता रहा फिर झुक कर उसके चुन्चियोंके बिच मुह रगड़ने लगा. अब मै ब्रा सहित उसकी एक चुंची मुहमे लेकर हौले हौले दांतों से दबाना सुरु किया. सीमाने अपने हाथसे ब्रा उपर सरकाकर अपनी एक चुंची बाहर निकल मेरे मुहमे सटा दिया.

उसकी चुचि बड़ी जानलेवा थी. चुंचिका आकर देख मै दंग रह गया. मुझे यकीन हि नही होरहा था कि उसकी चुंची इतनि सुन्दर हो सकती है. चुंची काफी बड़ी मेरे अंदाज़ से ३६B साइज़ कि रही होगी जिसके उपर बड़ी सी घुंडी थी जो बिलकुल तनी हुई और कठोर थी. घुंडी के चारों ओर एक भूरे रंग का बड़ा सा घेरा था जो उसके गोरी चुंची पर बहुतही खुबशुरत कंट्रास्ट पैदा कर चुंचिके खूबसूरती को बढ़ा रहा था. मै अपने आपको रोक नही पाया और उसकि दुसरी चुनिके उपरसे भी ब्राके कपको हटा उसे भी बाहर निकल लिया. यह भी बिकुल पहले वाली चुंचिकी जुड़वाँ बहनकी तरह हुबहू वैसी हि थी.

मैंने एक चुंचिकी घुंडी मुहमे लेकर बच्चों कि तरह चुसने लगा और दुसरी चुंचिकी घुंडी को चुटकी मे लेकर मसलने लगा. सीमाने खुद अपना ब्लाउज और ब्रा उतार दिया. मैंने अपना एक हाथ बढाकर उसकी पेटीकोट का नाडा खिंचकर ढीला कर दिया. पेटीकोट फिसलकर निचे गिर गया. अब वह भी पुरी तरह नंगी हो गई, उसने पैंटी नही पहन रखा था.

बड़ी फूली हुई थी उसकी बुर, एक दम डबल रोटी कि तरह. बालों का नामोनीसान नही था कहीं पर. बस यूँ समझो बुर नही चांदका टुकड़ा था. एक दम मख्खन जैसा था उसका बुर. मैंने उसे बिस्तर के तरफ ठेला तो वो खुद बेखुद चल कर बिस्तर पर बैठ गई. मै उसके बगल मे बैठ कर उसके गुलाबी होंठों को चुम लिया. मेरा एक हाथ उसकी चुंची पर पहुंच कर चुंचिको निचे से उठाने लगा, मानो उसके वज़नका अंदाज़ा लगा रहा हो. काफ़ी भरी थी उसकी चुंची. मैंने अपने दुसरे हाथ मे उसकी दुसरी चुंची ले उसके वजन का भी अंदाज़ा लगाया और दोनो चुंचियोंको एक एक हाथमे लेकर उमेठने लगा. मै उसके दोनो चुंचियोंको कचर कचर मसलने लगा.

सीमाने मेरा लंड अपने एक हाथ से पकड़कर जोरसे दबाई फिर छोड़ दी, फिर दबाई और छोड़ दी. उसने कई बार ऐसे हि लंडको मुठी मे दबाया और छोड़ा. मेरा लंड अपने पुरे जोश मे आ चुका था. लंडके मुह पर लार का एक बूंद निकलकर चमक रहा था. उसने अपना एक उंगली लारके बूंद पर रखा और अपना उंगली मेरे सुपाडे पर घुमाते हुवे पुरे सुपाडे पर फ़ैलाने लगी. उसकी इस हरकत से अजीब किस्मकी सनसनाहट फैलता चला गया मेरे अन्दर. मेरा पुरा शारीर गनगना उठा और और मेरे लंड से और लार टपकने लगा जिसे वह अपने उंगली से मेरे सुपाडे पर फैलाती गई. सुपाडा तर होकर चमकने लगा.

कमालकी कलाकारी दिखा रही थी वह मेरे लंड पर और मेरा पुरा शारीर गनगनाने लगा था. उसने अपनी उंगली लंडके सुपाडे पर रख उसे उपरसे निचेके तरफ दबाया. लंड थोडा नीचेको दबा और उसकी उंगली लंड परसे फिसल गया. एकाएक लंड स्प्रिंग के तरह उछल कर उपरके तरफ उठा और हिलने लगा. उसने फिर सुपाडे पर उंगली रख दबाया, लंड नीचेको झुका, उंगली फिसल गई, लंड उछला और थर्राने लगा. वह बार बार ऐसे हि लंड को दबाने लगी और हिलते लंडको बड़ी गौर से देखती रही.

उसकी कलाकारी ने मेरा हालत ख़राब कर दिया था. ऐसा मज़ा मुझे आज तक नही मिला था जो आज इसके साथ मिल रहा था. मैंने उसे बेड पर चित करके लिटा दिया और खुद उसके उपर चढ़ गया. मेरे होंठ उसके होंठों पर दबाव बढ़ा रहे थे, उसकी चुंचियां मेरे सिने से दब कर फ़ैल गए थे, जांघ जांघ पर सटे हुवे थे और लंड उसके पेंडु मे धस रहा था. मैंने अपना दोनो हाथ उसके कांख पर रख सहलाया, वह सिहरने लगी. मै अपने हांथों को उसकी बांहों पर रगड़ते हुवे उसकी हथेली पर पंहुचाया और उसकी उँगलियों मे अपनी उँगलियाँ पिरोकर दबाने लगा. वह भी मेरे उंगलियों पर अपनी पकड़ बढाती जा रही थी.

मै अपना होंठ और गाल उसके पुरे चेहरे पर रगड़ने लगा. उसने अपनी आँखें मूंद रखी थी मैंने उसके दोनो आँखोंको पारी पारिसे चुम लिया. उसने आँखे खोल दी. मैंने जब उसकी आंखोंमे झांक कर देखा तो गज़ब कि मस्ती, कमालकी नशा दिखयी दिया उन आँखों मे. आंखें एक दम गुलाबी होगयी थी उसकी. उसकी आँखोंकी रंगत ने मेरे अन्दर नशा सा भरने लगा. मै मदहोशी मे उसके आँखों मे खोने लगा.

उसके होंठ थरथरा रहे थे. मैंने उसके थरथराते होंठों पर अपना होंठ रख दिया. वह अपनी होंठ मेरे होंठों पर रगड़ने लगी. कुछ देर तक उसके होंठोंका रस पिनेके बाद मेरे होंठ उसके ठुड़ी के रास्ते गर्दन पर फिसलते हुवे छाती के तरफ का सफ़र शुरू कर दिया. अगले हि पल उसकी एक चुंची पर पहुंच वहां कुछ देर बिश्राम करनेको सोंचा लेकिन ललच गया उसकी गोलईयों को देख कर और वहीँ मर मुह मारने लगा.

कुछ देर तक चुंचियों पर मुह रगडनेके बाद मैंने भर लिया उसकी एक चुंचिको अपने मुह मे और चुसने लगा. उसकी चुंचियों चुसते हुवे मै उन पर दांत गड़ाने लगा. कभी उसकी घुण्डी को मुह मे लेकर चुभलाता कभी चुंचिका उतना हिस्सा मुह मे भर लेता जितना मेरे मुह मे अटता और कभी काटने लगता उसकी चुंची और चुंचिकी घुंडी को. मेरे इन हरकतों ने आग लगा दी थी उसके बदन मे. वह अपना होंठ चबाने लगी, छाती उठाने लगी और पैरोंको रगड़ने लगी थी और साथ हि साथ उसके मुहसे सिस्कारियां फूटने लगी थी. वह अपना पुरा शारीर ऐंठ रही थी.

मैंने उसके चुंचियों को छोड़ अब निचे का सफ़र तय करने लगा….

जी भर उसके चुंचियों का रसपान करनेके बाद मेरे होंठ उसके पहाडनुमा चुचियों के शिखर से निचे घाटिके तरफ का सफ़र तय करने लगे. मेरे होंठ सीमाके गुदाज़ पेट पे रेंगते हुवे उसके नाभि के इर्द गिर्द चहलकदमी करने लगे. जब मैंने उसके नाभिको चुम उसके गहराईमे अपने जिभका नोक ठोका तो वह एकदम से सिहर गई. उसके नाभि के अन्दर जमा पसीना भी बड़ा निराला और स्वादिष्ट लग रहा था जिससे मेरे नस नस मे अजीब सा नशा भरता जा रहा था.

शायद सीमाका हालत भी मेरे हि तरह था. वह आँखे मूंद अपना होंठ चबाती हुई पेट उठा कर सहयोग कर रही थी. वह अपने पैरोंको एक दुसरेके साथ कभी रगडने लगती थी और कभी एक दुसरेसे दुर कर फैला देती थी, लग रहा था अब वह अपने टांगों के तरफ बढ्नेको निमंत्रण दे रही हो. वह अपने होंठोंको पुरी ताकतके साथ भींचे हुई थी फिर भी कभी कभार उसके होंठों से सिस्कारियां फुट हि पड़ते थे.

अब मै उसके पेंडु पे रगडता हुवा अपना होठ उसके जन्घो के उपर घुमाते हुवे उसके पांव तक पहुंचा और उसके एक अंगूठेको मुह मे लेकर चुसने लगा. वह एक दमसे मारे उत्तेज्नाके तड़पने लगी. मै पारी पारिसे उसके दोनो पैरके अंगूठेको चूस रहा था.

मैने सीमाके दोनो टांगों को फैला उनके बिच घुटनों के बल बैठ गया और उसकी फूली हुई गुदाज़ बुरको गौरसे देखने लगा. एक दम मक्खन सरीखे बुरको देखनेका मज़ा हि कुछ और था. मैंने उसके केलेकी तने जैसे मोटे, चिकने और मुलायम जांघों पर अपना हाथ रख सहलाना सुरु किया. बड़ी हि नर्म जांघें थीं उसकी. जांघो को सहलाते सहलाते मेरी हथेलियां धीरे धीरे उसके मखमली बुर के तरफ बढ़ने लगे.

बुर पर मेरे हथेलियों का स्पर्श पाते हि उसकी चुतड उछल पड़ी, जांघों सहित पुरा पैर कांपने लगे, होंठ थर्राने लगे और चुंचियों कि घुन्डियाँ जो पहलेसे हि तनी हुई थीं और सख्त हो गए. उसकी हालत बता रही थी कि उसकि बुर अब लंड निगलने के लिए बेकरार हो रही है. मै कोई जल्दबाजी ना करते हुवे और मज़ा लेने के ख्यालसे उसके बुर पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगा. उसकी बुरके दरार पर हलकासा दवाबके साथ मै अपने एह हाथका बिचला उंगली घिसने लगा. उंगली गिला होने लगा क्यूँ कि बुर गीली हो चुकी यही. गिलापनके कारण बुर चिपचिपी होगयी थी और उसपे उंगली बिना किसी रुकवाटके फिसल रहा था. मैंने थोडा दबाव बढाया और उंगली दरार मे धस गया. उसने अपने जांघोंको थोडा और चौड़ा करते हुवे फैला दिया जिससे बुर कि दोनो होंठोंके बिच हलका गहरा दरार बन गया. बुरके दोनो होंठ नारंगी के फांकों सा लग रहे थे.

बुरके दरारमे मै अपना उंगली घिसने लगा. बुरसे लगातार निकलते चिपचिपे पानीके वजहसे फिसलन काफी बढ़ गया था. मेरी उंगली उसके बुरके दरारमे उपर निचे फिसल रहा था. मैंने उंगली पर थोडा और दबाव बढाया, वह दरारमे फिसलते हुवे बुरके छेदमे समाने लगा. मैंने थोडा और दबाव बढाया तो वह उसके बुरकि गहराई मे डूबता चला गया, डूबता चला गया और मुझे लगाकि वह किसी गर्म भट्ठी मे समा गया हो. बुरके अन्दर बड़ी मदमस्त बसंती गर्मी भरी हुई थी जो बडा सुहावना लग रहा था.

मै उसके बुरमे अपने उन्गलिको आगे पिछे घुमाने लगा. उंगली सटासट अन्दर बाहर होने लगा. अपना आँख मूंदे वह अपनि थिरकते होंठोंको चबा रही हि. बदनको ऐठ रही थी और चुतड उचका रही थी. मैंने अपने दुसरे हाथके उंगली को भी बुर पर लगा दिया और दोनो हांथोंके उँगलियों के सहारे बुरके फांकोंको एक दुसरेसे अलग किया. बुरमे एक गुलाबी खायी बन गई जिसके उपरी सिरे पर एक चनेके दाने जैसा बडाही खुबसूरत उभार दिखाई दिया. मै अपने आपको रोक नही सका और फ़ौरन झुकते हुवे उसे अपने मुह मे भर लिया. मै अपने जिभ्के नोक्से उस हिस्सेको रगड़ना सुरु किया तो वह एक दमसे सिहर उठी और उसके मुहसे आआआह्ह्ह निकल पड़ा. उसने अपना बुर मेरे मुह्पे जोर से दबाया, छाती उपर उठाई और धमसे निचे पटक दिया. इसके साथ हि उसके बुर ने ढेर सारा पानी उगल दिया.

उसने मेरा बाल पकड़के जोरसे खिंचा, मै उसके उपर चढ़ गया और उसे अपने बाहोंमे कस लिया…. ……..

मै सीमाके उपर चढ़ उसे अपने बाँहों मे कस लिया. उसने भी मुझे अपनी बांहों मे जकड रखा था. वह खल्लास हो चुकी थी लेकिन मेरा लंड पुरे तावमे था और उसके पेंडुमे धस रहा था. मैंने अपने हाथमे उसकी एक चुंची पकड़ मसलना सुरु किया. मै उसके चुंचिको मुहमे लेकर चुसने लगा. एक चुंचिको मुहमे लेकर चुसते हुवे मै उसकि दुसरी चुंचिको मसलता जा रहा था.

मेरा लंड उसके पेंडु पर घिस रहा था. धिरे धीरे वह फिरसे तैयार होने लगी. उसने अपना एक हाथ बढाकर मेरे लंड को पकड़ सहलाते हुवे अपने बुर पर रगड़ना सुरु किया. लंड और बुर दोनो तैयार थे. एक दुसरेके इतने करीब आनेके बाद भला कब तक सब्र करते. मौका मिलते हि मेरा लंड उसके बुरके गहराई मे समाने लगा. सीमाने अपनी टांगें और चौड़ी कर लि जिससे बुर थोडा फ़ैल गया. मैंने जोर लगाकर अपना लंड उसके बुरमे ठेला तो वह बुरको चीरते हुवे आधके करीब अन्दर चला गया. सीमा ने अपना शारीर कड़ा किया, होंठ भींचा लेकिन अब क्या होना था तब तक मेरा पुरा लंड उसके बुरमे समा चुका था.

उसके बुरमे अब मै अपना लंड अन्दर बाहर करना सुरु किया, पहले धीरे धिरे बड़ी धीमी गति मे मैंने उसे चोदना सुरु किया. बस बड़े आरामसे मै अपना लंड बाहर खींचता और धीरे धीरे पर एक कांस्टेंट स्पीड से पुरा लंड अन्दर डाल देता. फिर उसी तरह आरामसे बाहर निकलता और बड़े प्यारसे अन्दर पेल देता. अन्दर बाहर आते जाते लंड पर मै उसकी गर्म परन्तु चिकनी और मुलायम बुर के स्पर्श का बड़ा अनोखा अनुभव कर रहा था. इस धीमी गतिकी चुदाई मे आज मुझे कुछ अलग हि आनंद मिल रहा था, एक ऐसा आनंद जो आज तक मुझे नही मिला था.

सीमाने खोलकर अपनी दोनो पैर उपर उठा मेरे कमर पर लपेट लिया और दबाव बनाकर अपने तरफ खींचना सुरु किया. मेरा पुरा लंड उसके बुरकि गहराईमे बार बार ठोकर मारने लगा. उसने अपनी बाहें मेरे बगलसे निकल कर कंधोको जकड लिया. मै उसके होंठो को बार बार चुमते हुवे और उसकी चुंचियों को मसलते हुवे बड़ी तनमयता के साथ उसे चोदने लगा.

चोदायिका सुरुवात बड़ी धीमी गतिसे हुवा था. उसके बुरमे घुसता निकलता लंड बुरके छेदके दीवारके हरएक हिस्सेके स्पर्शका आनन्द उठाते हुवे अन्दर बाहर होरहा था. समय के साथ हि स्वचालित ढंगसे खुद बखुद आहिस्ते आहिस्ते लंड घुसने निकलनेका स्पीड बढ़ता जा रहा था. बुर मे आते जाते लंडके गतिसे ताल मिलकर उसकी कमर भी उपर निचे होते हुवे लंड़का स्वागत करने लगी थी.

अब लंड बड़ी तेजीसे उसके बुरमे आने जाने लगा था और वह भी उसी हिसाबसे कमर उठा उठाकर चुदवाने लगी थी. उसकि बुर कामरस से भर गई थी और मेरे हर धक्के पर उसके बुरसे फचफच का आवाज़ निकलने लगा था. अब मै गचागच उसके बुर मे पेलने लगा था. वह अपने पैरों को फैलाकर उपर उठा रखी थी. उसकी बड़ी बड़ी चूंचियां थल थल करके हिल रही थीं. मै कभी उसकि हिलती चुंचियों को निहारते हुवे चोदने लगता तो कभी उन्हें हांथों मे जकड कर हुमच हुमच कर धक्के मारने लगता और कभी कभार झुक कर उसके चुंचियों को तो कभी गालोंको चुमते हुवे उसके बुरमे लंड पेलने लगा.

अगले दस बारह मिनट तक लगातार घमासान चुदाई चलती रही. इस दौरान उसके मुहसे सिस्कारियां फूटती रही तो दुसरी तरफ उसके बुरसे फचर फचर का आवाज़ निकलता रहा. बुरपे पड़ते ठाप के वजहसे हिलते उसके पांवमे पहने पायल से छन छनका आवाज़ और हांथों कि चुडियोंसे निकलती खन खन कि आवाज़ वातावरणमे बड़ी मोहक संगीत घोल रहे थे. मेरे पीठ पर लिपटे उसके हांथों और कमरपे लिपटे पैरोंका कसाव बढ़ने लगा, साथ हि साथ उसके मुहसे निकलती सिस्कारियां तेज़ होने लगी, उसके सांसों कि गति बढती गई. वह हांफने लगी और अंतमे मुझे बड़ी कसके जकड़ते हुवे उसके बुर ने लावा उगल दिया. मै भी कगारपे पहुंच गया था. कस कसके कुछ और धक्के मारनेके बाद मेरे लंड ने भी उसके बुरमे बिर्य का धार छोड़ दिया और मै उसके उपर लुढ़क गया.

कुछ देर तक हम एक दुसरेसे लिपटे पड़े रहे. फिर वह मेरे होंठों को चूमती हुई मुझसे अलग हुई और अपने कपड़ों को उठा दुसरे कमरेमे घुस गई. कुछ देर बाद वह कपडे पहन लगभग भागती हुई मेरे घरसे निकल कर चली गई. घरके मेन गेट पर पहुंच पीछे मुड कर उसने एक तिरछी नज़र मेरे उपर डाला, मुस्कुरायी और चली गई. उसके चेहरे पर उस वक़्त बड़ी गहरी तृप्ति दिख रही थी.

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मेरी कामुक बीवी बनी प्राइवेट रण्डी