दीदी की चुत फ़टी, मेरी गाण्ड फट गई

दीदी की चुत फ़टी, मेरी गाण्ड फट गई

दोस्तो, मेरा नाम अजय है.. मेरी उम्र 18 साल रंग गोरा और फर्स्ट सेम की पढ़ाई कर रहा हूँ।

मैं अन्तर्वासना का पुराना पाठक हूँ। मैं काफ़ी समय से अपनी कहानी लिखने की सोच रहा था। यह मेरी पहली घटना की कहानी है।

बात आज से पाँच साल पहले की है.. जब मैं स्कूल में पढ़ता था। मेरे स्कूल का टाइम सुबह 7 से दोपहर 11.30 तक का होता था।
उस समय मेरे घर के पास एक किराए के घर में अंकल और उनकी फैमिली रहती थी। काफ़ी समय से रहने के कारण हमारी अच्छी पहचान थी। इसी कारण हमारा आना-जाना लगा रहता था। उनके घर में अंकल-आंटी और उनकी दो बेटियाँ रीना और मीना रहती थीं।

दोनों मुझसे बड़ी थीं और दिखने में बेहद खूबसूरत थीं। उन दोनों का गोरा बदन.. नशीली आँखें किसी को भी पागल कर दें। छोटी बहन का साइज़ 32-28-32 होगा। उसका एक बॉयफ्रेंड भी है.. लेकिन शायद घर की बंदिश के कारण ज्यादा कुछ हुआ नहीं होगा।

उसकी बड़ी बहन उससे ज्यादा सेक्सी है.. उसका रंग दूध सा गोरा और फिगर अपनी बहन ही जैसा, दोनों जुड़वां सी लगती हैं।

मैंने कभी इन दोनों को बुरी नज़र से नहीं देखा.. परंतु समय के साथ सोच भी बदल जाती है। फिर मैं उनके घर जब भी जाता.. दोनों बहनों के जिस्म को चोर निगाहों से घूरता रहता.. टीवी देखते समय मैं पीछे बैठ कर उनको देखता। अंकल और आंटी जब ऑफिस निकल जाते.. तो मैं उनके घर में ही चला जाता था।

एक दिन मैं उनके घर गया तो देखा कि रीना दीदी घर पर अकेली थीं और मीना कॉलेज गई थीं।

मैंने रीना दीदी से पूछा- आप कॉलेज क्यों नहीं गईं?
तो उन्होंने कहा- मेरा सिर दर्द हो रहा है।
‘मैं दबा दूँ क्या..?’

उन्होंने मुझसे सिर दबाने को ‘हाँ’ कहा। मैं उनके बिस्तर पर बैठ गया और वे सिर दर्द की गोली खाकर मेरी गोद में सिर रख कर लेट गईं।

मैं उनका सिर हल्के-हल्के दबाने लगा और टीवी देखने लगा। थोड़ी देर के बाद उनको नींद आ गई।

फिर मैं उनको लगातार देखने लगा और सोचने लगा कि काश मैं इनके साथ सेक्स कर पाता। मैं अब धीरे-धीरे अपने हाथ को उनके मम्मों पर रख कर हल्का-हल्का चार-पाँच बार दबाने के बाद मैंने धीरे से उनका सिर अपनी गोद से हटा दिया।
मैं अब सोफे पर बैठ गया और टीवी देखने लगा।

एक घंटे के बाद वो उठीं और नहाने चली गईं।

फिर मैं अपने घर आ गया। मैं आज कि घटना से बहुत खुश था और अब मैं दीदी को चोदने का प्लान बनाने लगा।

कुछ दिन बाद अंकल-आंटी को तीन दिन के लिए रीवा जाना था.. तो उन्होंने मेरे पापा से कहा- मैं और मेरी पत्नी रीवा जा रहे हैं। रीना और मीना घर में अकेली हैं.. उनका ख़याल रखिएगा।
तो मेरे पापा ने कहा- ठीक है.. कोई बात नहीं.. आप आराम से जाओ.. चिंता की कोई बात नहीं.. हम हैं ना।

वो दोनों चले गए।
पापा ने मुझसे कहा- तुम कल से राम अंकल के यहाँ रात को रुकना।
मैंने ‘हाँ’ कर दी और दूसरे दिन का इंतजार करने लगा।

दूसरे दिन मैं देर से उठा और फिर स्कूल भी नहीं गया और घर पर ही रहा।
दोपहर को फिर से सो गया। शाम को मुझे मम्मी ने उठाया और कहा- रात में राम अंकल के यहाँ जाना है।
मैंने कहा- याद है मुझे।
फिर मम्मी ने कहा- रीना दीदी से बोलना कि रात को खाना यहीं खा लेना।

मैं रीना दीदी को रात को हमारे यहाँ खाने को बोल आया। फिर मैं घर आकर टीवी देखने लगा।

शाम को खाना खाने के बाद मैं भी उनके साथ घर चला गया। कुछ देर टीवी देखने के बाद मैं पढ़ने लगा।
दो घंटे के बाद रीना दीदी मेरे पास आईं और बोलीं- अज्जू अब सो जाओ.. रात हो गई है।

मैंने घड़ी देखी.. दस बज गए थे, मैंने पूछा- मुझे कहाँ सोना है?
तो उन्होंने कहा- तुम बताओ.. कहाँ सोओगे?
मैंने कहा- मुझे रात में अकेले डर लगता है।
तो उन्होंने कहा- ठीक है मेरे साथ सो जाना ओके..
मैंने सिर हिला दिया और कहा- ठीक है।

वो चली गईं.. थोड़ी देर के बाद मैं उनके कमरे में गया और उनके पास लेट गया।
काफ़ी देर तक मुझे नींद नहीं आई। फिर मैंने हिम्म्त करके दीदी की तरफ घूम कर देखा.. वो सो चुकी थीं।

मुझे तो वो एकदम परी सी लग रही थीं। फिर मैंने अपना हाथ उनके मम्मों पर रखा और इन्तजार करने लगा कि कोई प्रतिरोध तो नहीं है जब कुछ नहीं हुआ तो मैं मम्मों को दबाने लगा।

वो नाइट्गाउन पहने थीं.. फिर मैं अपना हाथ उनकी चूत की ओर सरका कर ले गया और धीरे-धीरे हाथ फेरने लगा।
अचानक वो हिलीं और उन्होंने मेरा हाथ हटा दिया.. मैं चुप लेटा रहा।

उसके बाद मैंने फिर अपना हाथ उनके मम्मों पर रखा.. उन्होंने फिर हटा दिया और दूसरी ओर घूम गईं।

अब मैं सोचने लगा कि क्या करूँ.. आधे घंटे के बाद मैंने हिम्मत करके उनके चूतड़ सहलाने लगा.. पर काम नहीं बना और मैं उठ कर बैठ गया।
नाइट बल्ब का हल्का उजाला था, मैंने उनकी तरफ देखा.. वो सो रही थीं।

तभी मेरी नज़र रज़ाई से निकले उनके पैरों पर पड़ी.. एकदम गोरे थे.. उनके तलवे गुलाबी थे।

मैं धीरे से घूम कर उनके पैरों की तरफ सिर करके लेट गया और उनकी पिंडली को चाटने लगा। थोड़ी देर के बाद वो हिलीं और अपने पैरों को हल्का सा हिला दिया।

मुझे लगा वो जाग गई हैं.. पर मैं अपनी जीभ चलाता रहा।

उन्होंने कोई हरकत नहीं दिखाई, अब मुझमें थोड़ी हिम्म्त आ गई, मैं किसी भी तरह ये मौका हाथ से जाने नहीं देने वाला था।

अब मैं उठ कर बिस्तर से नीचे उतर कर उनके पैरों की तरफ बैठ गया और उनके पैरों को चाटने लगा। उनके तलवे का टेस्ट तो याद नहीं.. पर उनके गुलाबी तलवे पर जीभ चलाने में मज़ा आ रहा था।

मैंने अपने मुँह में उनका दाया अंगूठा भर लिया और चूसने लगा, मैं उनको पूरा मस्त कर देना चाहता था, फिर मैंने उनके बाँए पैर का अंगूठा चूसा..
ऐसे ही मैंने उनकी पूरी उंगलियों को चूसा और पूरे तलवे को चाटा।

फिर धीरे से उनके गाउन को ऊपर उठा कर उनके पैरों को चौड़ा करके आगे का रास्ता साफ कर दिया।
मैं धीरे-धीरे किस करते हुए उनके घुटने तक पहुँच गया, फिर उनकी जांघ को चाटने लगा और उनकी चूत को उनकी पैन्टी के ऊपर से ही चाटने लगा।

फिर वो हिलीं.. तो मैंने उनकी पैन्टी को जल्दी से घुटने तक उतार दिया। उनकी कोई भी आपत्ति न पाकर मैंने फिर दूसरी बार में पैन्टी को पूरा उतार दिया।

जैसे ही मैंने पैन्टी को उतारा.. वो पलट गईं।

अब मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.. ये क्या हो गया। फिर मैंने हिम्मत करके उनके गाउन को उठा दिया और मैं हवस का मारा.. मैंने उनकी गाण्ड के छेद में अपना मुँह लगा दिया।

उसमें से बदबू आ रही थी.. पर मैंने उसे चाटना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर के बाद मुझे अच्छा लगने लगा और मैं अपनी जीभ को उनकी गाण्ड के छेद में घुसाने की कोशिश करने लगा। एक ही झटके में मैंने उनकी टांग को चौड़ा कर दिया और अपनी मुंडी फंसा कर उनकी चूत के मज़े लेने शुरू कर दिए।

मैं उनकी रसीली गुझिया को चाटने लगा और चूसने लगा। अभी भी वो मेरा साथ नहीं दे रही थीं.. पर मैं उनकी चूत को चाटता रहा।
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चूत धीरे-धीरे गीली होने लगी और एकदम से खारे पानी का सैलाब मेरे मुँह में आ गया और मुझे उल्टी सी आने लगी। मैंने उसे नीचे थूक दिया और मुँह पोंछ कर अपने कपड़े उतार दिए और नंगा उनके साथ लेट गया।

फिर मैंने धीरे से अपना मुँह उनके पेट के ऊपर उनकी नाभि में अपनी जीभ चलाने लगा।

कुछ ही पलों में मैंने उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से दबाया और अन्दर हाथ डालने की कोशिश करने लगा।

ब्रा टाईट होने के कारण मेरा हाथ अन्दर नहीं जा रहा था.. तो मैंने पीछे हाथ ले जाकर कबूतरों को आज़ाद कर दिया।

अब मैं उनके चूचों को ज़ोर-जोर से दबाने लगा और मुँह लगा कर चूची चूसने लगा। अब वो भी सिसकारियाँ लेने लगीं।
अब खेल खुल गया था। मैं अपने होंठ उनके होंठों में लगा कर उनको चूसने लगा। वो मेरे नीचे थीं.. पर व चुम्बन में भी मेरा साथ नहीं दे रही थीं।

मैं उन्हें लगातार चूमता रहा और फिर नीचे सरक कर उनकी चूत को चाटने लगा।
एक बात मैं आपको बताना भूल गया कि उनकी चूत में छोटे-छोटे से बाल थे.. शायद 5-6 दिन पहले ही वेक्सीन कराई होगी।
अब मैं लगातार उनकी चूत को चाटता जा रहा था।

चूत में से हल्का सा पानी आने लगा। मैं समझ गया कि अब वक्त आ गया है। मैं ऊपर चढ़ कर उनके होंठों को चूसने लगा.. अब वो भी मेरा साथ देने लगीं।

मैंने उनके पैर फैलाए और अपना लण्ड उनकी चूत में पेल दिया.. वो इसके लिए तैयार नहीं थीं। उनके मुँह से एक चीख निकली और उन्होंने मुझे धक्का देकर अलग कर दिया।

वे रोने लगीं.. मेरी गाण्ड फट गई… सारा जोश ठंडा हो गया… और मैं घबरा गया… मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ।

मैं दीदी के पैरों को पकड़ कर माफी माँगने लगा।
दीदी ने मुझे दो चांटे मारे और बहुत बुरा भला कहा।

उन्होंने मेरे घर पर सब बताने को कहा और वे रोते हुए उठीं और मीना दीदी के कमरे में चली गईं।

मैं उठा और कपड़े पहनने लगा.. तभी मेरे लण्ड पर मैंने खून देखा तो बाथरूम में जाकर खून साफ किया और आकर लेट गया.. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी।

काफ़ी देर तक क्या हुआ.. सोचने के बाद मुझे दीदी की पैन्टी याद आई। मैंने उसे उठा कर सूंघा और मुठ्ठ मारी और सो गया। सुबह उठा.. तो देखा कि मुझे बुखार और दस्त चालू हो गए थे।

वो सब रात के करम थे.. मैं घर गया और मम्मी को अपनी तबियत खराब होने के बारे में बताया।

एक दिन हॉस्पिटल में एडमिट रहा और घर आया तो मेरी फट रही थी कि दीदी ने बता तो नहीं दिया.. पर सब ठीक था।
दो दिन तक पापा वहाँ सोए और सब ठीक हो गया।

मेरी अब वहाँ जाने में फटने लगी थी। रीना दीदी ने मुझसे दो महीने तक बात नहीं की।

दो साल बाद वो सब घर छोड़ कर चले गए और पिछले साल उनकी शादी हो गई है। वो अब ग्वालियर में रहती हैं।

दोस्तो, यह था मेरा पहला अनुभव.. जो बेकार रहा.. पर अब मैं एक्सपर्ट हो गया हूँ.. पर अभी दो साल का मज़ा बाकी है।
वो कहानी जल्द ही पेश करूँगा।

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