नाना ने बनाया दीवाना…..!!!!!!!! – Sex Stories

नाना ने बनाया दीवाना…..!!!!!!!! – Sex Stories

दोस्तों ये स्टोरी मेरी नहीं है। ये मैंने कुछ सालो पहले एक किताब में पढ़ी थी।जिसको मैं अपने स्टाइल से और अपने आप को इसका करैक्टर बना के आप लोगो के सामने ला रही हु। उम्मीद है आपको पसंद आएगी। मुझे ये स्टोरी बहोत अच्छी लगी थी। इसमे मैं थोडा अपनी तरफ से कुछ add करुँगी।

Update 1
इस स्टोरी के दो किरदार का परिचय मैं अभी करावा देती हु।
1) माधवी:—- 18 साल की लड़की बहोत ही सुन्दर भरी चुचिया और बड़ी गांड। लंबे बाल हाइट भी अच्छी है।
2)नाना:—– माधवी के नाना । गाव में रहते है। उम्र 56 साल। खेती करने वाले और एकदम तंदरुस्त।
बाकि का परिचय स्टोरी में बताउंगी।

“नहीं नहीं मतलब नहीं” मैंने पापा से ग़ुस्से से कहा।
पापा:=अरे सुन तो ले..अगले हफ्ते मुझे लीव मिलेगी तो मैं तुम्हे छोड़ आऊंगा।
मैं:= नहीं पापा मुझे आज ही जाना है। आप 6 दिन से कह रहे है। मेरा कितना मन है मामा से मिलाने का और नेहा के भी कितने फ़ोन आ रहे है।

मै पापा से मामा जी के यहाँ जाने की जिद्द क्र रही थी। मेरी छुट्टियां चल रही थी और दो साल से मैं वहा नहीं गयी थी। नाना जी का गाव था ही इतना अच्छा की मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। उची पहाड़ो में महाबलेश्वर के पास एक छोटासा गाँव था। और मेरे नाना जी का घर खेत में था। वहा का सुहाना मौसम मुझे बहोत अच्छा लगता था। नहीं तो ये मुम्बई की गर्मी……। मैं हमेशा गर्मियों की छुट्टियों में वहा जाती थी। पर दो साल से पढाई की वजह से जा नहीं पायी। लेकिन अब मुझे जाना ही था। और मेरे जिद्द के आगे पापा की भी नहीं चली। पापा को मुझे छोड़ने आना ही पड़ा। मैं और पापा कार से चले गए।
मुझे देखके सब लोग मतलब मामा मामी नाना नेहा जो मुझसे दो साल बड़ी थी। और नीरज मामा का लड़का जो मुझसे दो साल छोटा था। नानी का देहांत हो गया था। लगभग 5 साल पहले। मैं भी उनसे मिल कर बहोत खुश थी। नेहा अब बहोत बड़ी हो गयी थी। वो बहोत सुन्दर तो नहीं पर एकदम सेक्सी थी। बड़ी चुचिया मस्त मटकती गांड जो भी देखे एकदम घायल हो जाये।
नानाजी का घर बहोत बड़ा था। और उनके खेत भी। उनके गाव का मौसम हमेशा बहोत ही सुहाना रहता था। इसीलिए मुझे यहाँ आना बहोत पसंद था।
रात के खाने के बाद सब लोग अपने अपने कमरे में सोने चले गए। और मैं हमेशा की तरह नेहा के कमरे में। हमने दरवाजा बंद किया और मै अपने कपडे चेंज करने लगी। मैंने जीन्स और टॉप पहना था। जैसे मैंने कपडे उतारे वैसे नेहा मेरे पास आई और मेरी ब्रा को पकड़ कर मुझसे अलग करने की कोशिश करने लगी।
मै :=नेहा पागल हो गयी हो क्या क्या कर रही हो?
नेहा:=देख रही हु कितनी बड़ी हो गयी है…पिछली बार जब देखा था तो छोटी छोटी ही थी।अब तो एकदम मस्त हो गयी है। राज क्या है? किसी के हाथ लग जाये तो ये बहोत फ़ास्ट बड़ी हो जाती है।और जरा अपनी गांड तो देख हाय रे मर जाऊ…
मैं :=चुप कर पागल…कुछ भी बोलती है। अगर सच में ऐसा है तो खुद की देख मुझसे भी बड़ी है। तू बता जरा किससे मसलवाती है? और तेरी गांड ने तो यहाँ बवाल मचा रखा होगा। यहाँ तो सब तेरे नाम से मुठ मारते होंगे।
नेहा:=(मेरे पास आयीं और मुझे अपनी तरफ खीचते हुए) हा मारते होंगे पर अब तेरे नाम की भी मारेंगे।
मै भी उससे उसी तरह लिपट के बोली…..
मैं:= बड़ी चालु हो गयी हो तुम….किसीसे यहाँ(उसकी चूत को ऊपर से ही छूते हुए) डलवा लिया क्या?
नेहा ने मुझे धकेल दिया।
नेहा:=पागल क्या करती है? शैतान हो गयी हो 2 साल में। पर सच कहूँ तुम सच में एकदम मस्त माल हो गयी हो। सब लोग मेरे पापा दादाजी सब लोग घूर रहे थे तुझे।
और वो केशव चाचा(उनके खेत में काम करने वाला आदमी) वो तो ऐसे देख रहा था की बस तुम्हे अभी पकड़ कर चोद देगा।
मैं डरने का नाटक करते हुए बोली “अगर सच में उसने ऐसा किया तो” “अरे तू डर मत मैं हु ना” नेहा ने मुझे पकड़ कर मेरा सर अपने छाती से लगाते हुए कहा।
“”क्यू मेरी जगह तू चुदवा लेगी उससे?””” ये सुनके वो हस पड़ी और मैं भी।
हमने कपडे बदल लिए और बेड पे लेट गए और इधर उधर की बाते करने लगे।
सफ़र की थकान ने बहोत जल्दी ही मुझे नींद मुझ पर हावी हो गयी।

रात के करीब 12.30 बजे होंगे की किसी खुसुरपुसुर की आवाज से मेरी नींद खुली। मैंने इधर उधर देखा तो नेहा फ़ोन पे बात कर रही थी और जैसे ही मेरी नजर उसपे पड़ी तो उसने फ़ोन बंद कर दिया।
मै:=किससे बात कर रही है इतनी रात को?
नेहा:=नहीं रे किसीसे नहीं ……वो नींद नहीं आ रही थी तो गाने सुन रही थी।
मैं:= अच्छा????बता तेरा फ़ोन ।
मैंने फ़ोन लिया और कॉल लिस्ट चेक की तो देखा मेरा ही नाम था।मुझे सब समझ आ गया। वैसे नेहा मुझसे कोई बात छुपाये ये हो नहीं सकता। फिर भी वो मुझसे झूठ क्यू बोल रही थी? और मेरे नाम से किसी और का नम्बर क्यू सेव किया था?
मैं:=ये सब क्या है? किसका नंबर है मेरे नाम से? और तू कबसे मुझसे झूठ बोलने लगी? कबसे बाते छुपाने लगी है तू मुझसे?
नेहा:= अरे तू पागल है क्या? तुझे बहोत अच्छेसे पता है की मैं कभी भी कोई बात तुझसे नहीं छुपाती। और तू जरा शांत हो जा बताती हु।
मेरे कॉलेज का लड़का है रितेश बहोत दिनों से मेरे पीछे पड़ा था। exam के बाद उससने मुझे प्रोपोज़ किया मैंने हा बोल दी। और ये एक महीने पहले की बात है तेरी भी exam चल रही थी सोचा आराम से बताउंगी।
मैं :=क्या?सच? मैं थोडा आश्चर्य चकित हो गयी थी। मै उठ के बैठ गयी। और उसे गुदगुदी करते बोली…..वा रे मेरी जान तू तो बड़ी तेज निकली। बता क्या क्या हुआ तुम्हारे बिच? सब हो गया क्या? कैसा है दिखने में?
मैंने सवालो की झड़ी लगा दी।
नेहा:= बस बस इतने सवाल एक साथ? हा बहोत क्यूट है और हमारे बिच कुछ भी नहीं हुआ क्यू की अब कॉलेज बंद है हम सिर्फ फ़ोन पे बात करते है।
मैं :=ओह हो मेरी बहन का bf है अब तो। चल मुझे सुननी है तुम लोग क्या बाते कराटे हो। लगा न फ़ोन।
नेहा:= नहीं न यार क्या करती है? वो बहोत गन्दी बाते करता है। और मुझे शर्म आएगी तेरे सामने।
मैं:= गन्दी बात? चल बन मत जादा अब। तू और मैं जीतनी गन्दी बाते करते है ना उतनी तो नहीं करता होगा वो।और मुझसे शर्म???हाय रे तू कबसे शर्माने लगी मुझसे?
नेहा:= चल ठीक है एक काम कर तू उधर मुह करके लेट मैं फ़ोन बिच में रखती हु स्पीकर पर डाल देती हु और रजाई ऊपर से ले लेती हु ताकि आवाज बाहर न जाये।
हम लोग लेट गए और उसने रितेश को मिस कॉल दिया।
मैं:=क्यू मिस कॉल क्यू दिया?
नेहा:=अरे करेगा न वो फ़ोन अपने पैसे क्यू वेस्ट करने ऐसा बोल के उसने मुझे ताली दी मैंने भी हँसते हुए ताली दी और कहा। “सही है” और मैं हँसते हुए पलट के सो लेट गयी। नेहा भी लेट गयी फ़ोन बिच में रखा था।और नेहा मेरी पीठ की तरफ मुह करके लेती थी फ़ोन आया नेहा ने रिसीव किया।
रितेश:=क्या हुआ?माधवी उठ गयी थी क्या?
आवाज से तो बहोत अच्छा लग रहा था।भारी भरकम आवाज थी उसकी।
नेहा:=नहीं सो रही है वो।
मैंने पीछे मुडके देखा उसने मुझे चुप रहने का इशारा किया ।मैं पलट के रजाई अपने मुह पे लिया उनकी बाते सुनने लगी।
नेहा:=तुम क्या कर रहे हो?
रितेश:= वही अपना रोज का काम…तुम्हे याद कर रहा हु।
नेहा:= हा हा पता है तुम्हे मेरी कितनी याद आती है.
रितेश:=अरे मेरी रानी बहोत याद करता हु तुम्हे तड़प रहा हु तुमसे मिलाने को।
नेहा:= हा हा रहने दो इसलिए तो सिर्फ रात को फ़ोन करते हो।
रितेश:= अरे सच मेरी जान दिन में फ़ोन नहीं कर सकता तुम्हे प्रॉब्लम हो जायेगी।
और तुम्हारी याद इतनी आती है दिन में की दो दो बार मुठ मार लेता हु
मैं एकदम शॉक हो गयी और सोचने लगी ये तो डायरेक्ट डायरेक्ट ही बात करते है
नेहा:=छी गंदे कही के
रितेश:= गन्दा? अच्छा मई गन्दा? तुम्हे ही तो पसंद है ये बाते रोज रात को मेरी गन्दी गन्दी बाते सुनके कोण अपनी चूत रगड़ रगड़ कर पानी निकालता है हा?
नेहा:= चुप करो ना। तुम भी तो वही करते हो।
रितेश:=हा करता हु। क्या करू रियल में तो कुछ होगा नहीं तो फ़ोन पर ही चोद लेता हु तुम्हे। क्यू तुम्हारा मन नहीं है क्या आज?
नेहा:= मन तो बहोत है पर माधवी है न यहाँ।
ये बात सुन के मेरी हँसी निकल गयी। नेहा ने मुझे धक्का दिया।
रितेश:= तो फिर गॅलरी में चली जाओ क्यू की मेरा बहोत मन है आज मेरा लंड कबसे खड़ा है बेताब है तुम्हारी चूत के रस में डुबकी लगाने को
नेहा:= स्स्स्स्स् अह्ह्ह मेरी चूत भी तो तड़प रही है ना।
अब नेहा भी रंग में आ गयी थी। और सच बोलो तो उनकी बाते सुनके मेरी चूत में भी खुजली होने लगी थी।नेहा अब बिना मेरी फ़िक्र किये खुलके बात कर रही थी
रितेश:= तो मेरी जान आओ ना मेरे पास तुम्हारी चूत की तड़प मिटा देता हु।
नेहा:=ह्म्म्म लो आ गयी तुम्हारे पास तुम्हारे बगल में लेटी हु।
रितेश:=उम्म्म अह्ह्ह क्या लग रही हो ।जी करता है तुम्हे खा जाऊ।
नेहा:= मुझे मत खाओ सिर्फ मेरी चूत को खा जाओ
रितेश:= स्स्स अह्ह्ह हा मेरी रानी सोचो मैंने तुम्हारे सारे कपडे उतार दिए है। मैं तुम्हारे पुरे जिस्म पर हाथ फेर रहा हु। उम्म्म्म क्या खूबसूरत जिस्म है तुम्हारा। अब मै तुम्हारे बड़े बड़े बूब्स को मसल रहा हु वाओ अह्ह्ह सीसीसी क्या मस्त है यार अब मैं तुम्हारे निप्प्ल्स को बारी बारी चूस रहा हु काट रहा हु अह्ह्ह्ह्ह स्स्स
नेहा:=उफ्फ्फ्फ्फ़ धीरे नाआअ उम्म्म हा ऐसेही उफ़्फ़ग बहोत अच्छा लग रहा है और चूसो ना अह्ह्ह्ह्ह
नेहा पे मध्होशि छा गयी थी।उसकी आवाज में कामुकता आ गयी थी। मेरी हालात भी कुछ वैसेही हो गयी थी।मैंने कभी ऐसा फील नहीं किया था। मेरी चूत में से चिप चिपा सा पानी मुझे महसूस हो रहा था। मैंने धीरे से पलट के देखा लेकिन कुछ दिखाई नहीं दिया पर इतना जरूर अहसास हुआ की नेहा आखे बंद करके अपनी चुचिया मसल रही थी एक हाथ से और एक हाथ उसका चूत पे था। शायद सलवार के अंदर या बाहर पता नहीं।लेकिन अब मेरा हाथ जरूर अपनी चूत की तरफ जाने लगा था।

रितेश:= अह्ह्ह्ह उम्म्म अब मैं धीरे धीरे किस्स करते हुए निचे जा रहा हु तुम मेरा सर पकड़ कर मुझे अपनी चूत की तरफ धकेल रही हो।
नेहा:= अह्ह्ह्हाआ उम्म्म करो ना मेरी चूत को किस्स अह्ह्ह बहोत गीली हो चुकी है।
रितेश:= हा ना जान….मैंने तुम्हारे पैरोको मोड़ के फैला दिए है और अपनी जुबान तुम्हारे चूत पे फिरा रहा हु। अह्ह्ह्ह औऊम्मम्म चुपचुपचुप अह्ह्ह क्या मस्त टेस्ट है तुम्हारे रस का अह्ह्ह्ह्ह अब मैं तुम्हारे चूत में जुबान डाल के उसे राउंड राउंड आगे पीछे कर रहा हु अह्ह्ह्ह्सीसीसीसीसी
नेहा:=उम्म्म्म जान धीरे ना अह्ह्ह सीसीसीसी काटो मत ना हा हा हा स्स्स्स ऐसेही हाआआआ उम्म्म चाटो ना अह्ह्ह उम्म्म्म बहोत मजा आ रहा है।
उम्म्म्म सीसीसीसी मजा तो अब सच में आने लगा था। मेरा हाथ अब मेरी चूत रगड़ रहा था। मैं अब बहोत उत्तेजित हो गयी थी। मैंने मेरा हाथ धीरे से सलवार के अंदर डाल दिया था। उम्म्म बहोत गीली हो चुकी थी मेरी चूत। मैंने वो गीलापन अपनी चूत पे रगड़ना सुरु किया अह्ह्ह्ह्ह्ह बहोत अच्छा लग रहा था। मैंने फ़िन्गरिंग तो बहोत बार की थी पर आज जो अहसास मुझे हो रहा था वैसा पहले कभी नहीं हुआ था।
रितेश:= उम्म्म जान देखो ना मेरा लंड कैसे तुम्हे बुला रहा है कह रहा है की आ जाओ जरा मुझे भी प्यार करलो।
नेहा:= हाय रे मेरा बच्चा…..लो अब मैंने तुम्हारे लंड को अपने हाथो में पकड़ लिया है उसकी स्किन पीछे करके उसके गोल गोल सुपाड़े को किस्स कर रही हु अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स उम्म्म्म्म उसके सुपाड़े को होठो में पकड़ के मुठ मार रही हु आआह्ह्ह्ह्ह्ह् स्स्स्स अब उसे पूरा मुह में लेके आगे पीछे कर रही हु सप सप सप अह्ह्ह्ह उम्म्म क्या गरम और कड़क है जान तुम्हारा लंड।
रितेश:=अह्ह्ह उफ्फ्ग्ग असेही जान ऐसेही उम्म्म्म wowww क्या मस्त चूसती हो तुम अह्ह्ह्ह्ह तुम्हारी मुह की गर्माहट से मेरा पानी न निकल जाय अह्ह्ह्ह
ओमजी क्या कर रहे है ये लोग मेरी तो जान निकलने वाली थी।नेहा कितना सीधी रहती है पर आज देखो कितनी बेशर्मी से रितेश के साथ बात कर रही है।
मेरी तो हालात ख़राब हो रही थी। नेहा का भी हाल वैसा ही था क्यू की मुझे अब अहसास हो रहा था की वो अपनी चूत को जोर जोर से रगड़ रही थी। मैं भी अब थोडा जोर से लेकिन नेहा को समज ना आये इसतरह से चूत को रगड़े जा रही थी।
नेहा:= उम्म्म्म नहीं जान मुह में नहीं मेरी चूत में गिराओ ……अह्ह्ह्ह स्स्सडाल दो अपना लंड मेरी चूत में अह्ह्ह्ह और जोर जोर से चोदो अह्ह्ह्ह
रितेश:=उम्म्म हा मेरी रानी अब मैंने तुम्हारी चूत में अपना लंड डाल दिया है अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ क्या टाइट है तुम्हारी चूत सीसीसीक्काह्ह्ह्ह् उम्म्म और अब मैं अपना लंड तुम्हारी चूत में आगे पीछे करके चोद रहा हु स्स्स्स्स् अह्ह्ह उम्म्म
नेहा:= हा हा हा उफ्फ्फ्फ्फ़ धीरे ना जान उफ्फ्फ्फ़ फाड़ दोगे क्या अह्ह्ह्ह उम्म्म तेज और तेज एह्ह्ह्ह्ह्हआःह्ह्ह् उम्म्म चोदो जान उफ्फ्फ मर गयी उम्म्म
नेहा अब तेजी से अपनी चूत रगड़ रही थी और मैं भी अब मुझे ऐसे लगने लगा था की सच में कोई मेरी चूत में लंड डाल के मुझे छोड़ रहा है। 10 मिनट तक उनका ऐसेही चलता रहा ।मेरा ओर्गेज़्म हो चूका था। शायद उन दोनों का भी। जैसे ही नेहा ने फ़ोन रखा मैं कूद के बैठ गयी और उसकी रजाई हटाई तो देखा उसका नाडा खुला हुआ था। और मैंने झट से उसकी चूत के पास हाथ लेके गयी तो उसने मेरा हाथ पकड़ा और वो भी उठ के बैठ गयी।
मैं:=हाय रे मेरी बहना क्या बात है अभी अभी चुदी है क्या बात है यार कबसे चल रहा है ये तू तो बड़े मजे कर रही है।
नेहा:=हँसते हुए….हम्म जैसे तू नहीं कर रही?
मैं:=मेरे ऐसे नसीब कहा यार।पर सच बता तू चूड़ी तो नहीं न इससे?
नेहा:=नहीं ना सच में…मैं अभी भी वर्जिन हु यार। चल अब बाकी बाते कल करेंगे नींद आ रही है।
मैं:=हा वो तो आएगी ही ना इतनी जम के जो चूड़ी है मेरी बहन।
हम दोनों हस्ते हुए लेट गए और सोने लगे। नेहा ने करवट लेके मेरी तरफ पीठ की और मैं उसके पीठ से चिपक के सोते हुए सोचने लगी…..क्या मस्त फीलिंग थी वो…काश कोई रियल लंड मिल जाता तो जमके चुद लेती उससे। लेकिन मेरी ये इच्छा जल्द ही पूरी होने वाली थी ये उस वक़्त नहीं सोचा था मैंने………

सुभह जब मैं उठी तो नेहा निचे किचन में थी। मैं वहा गयी तो सब लोग नास्ता कर रहे थे। मैं भी ब्रश करके चाय नास्ता करने लगी। कल रात के बाद मुझ पे तो जैसे सेक्स का खुमार सा छा गया था। मुझे एकदम से नेहा की बात याद आ गयी की मामा और नाना जी कैसे मुझे देखते है। मैंने थोडा गौर किया मामा तो नहीं पर नाना जी मुझे देखते हुए मैंने 2 3 बार पकड़ा। पर खुद को ही डाँटते मैंने कहा चुप कर कुछ भी सोचती है। मैंने चाय नाश्ता खत्म किया और नहा के वापस आयीं। तो नाना जी खेत में चले गए थे।
मेरी और नेहा की मस्ती चल रही कल रात की बाते याद दिला के मैं उसे छेड रही थी। फिर नीरज मैं नेहा और पड़ोस के कुछ बच्चे मिलके इंडोर गेम्स खेलने लगे। ये हमारा हमेशा का रूटीन था। फिर दोपहर का खाना हो जाने के बाद थोड़ी नींद और फिर मैं और नेहा खेत में घूमने निकले। खेतो में बहोत सी सब्जिया लगी थी। और सुबह में शायद पानी दिया हो इस वजह से ठंडी हवा चल रही थी और इस वजह से खेतो में घूमना बहोत अच्छा लग रहा था पर बहोत धीरे और सँभालते चलने का काम पद रहा था। हमने देखा की सामने खेत में कुछ हलचल सी हो रही है। मैं घबरा गयी मुझे लगा की शायद कोई जंगली जानवर हो। पर हमने जो देखा उससे हमारी पैरो से जमीं खिसक गयी। एक औरत नाना जी का लंड चूस रही थी। नाना जी खड़े थे और वो औरत घुटनो पे बैठ के नानाजी का लंड चूसे जा रही थी। हमने ये देख के हैरानी से एकदूसरे की और देखा और एकदूसरे का हाथ पकड़ लिया और निचे बैठ के चुपके से देखने लगे। उम्म्म नानाजी का लंड बहोत बड़ा था। लगभग 10 इंच का होगा गोरा गोरा इतना बड़ा लंड किसी पोर्न स्टार जैसा लग रहा था। मेरी चूत में खुजली होने लगी थी। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा की नाना जी को मैं कभी ऐसे देखूंगी। मेरी तो चूत से पानी आना सुरु हो गया था। नेहा का भी वही हाल था। फिर नाना जी ने उस औरत को उल्टा किया और पिछेसे उसकी चूत में लंड डाल के चोदने लगे। वो औरत नानाजी की जांघे पकड़ कर उनका लंड चूत में रही थी। थोड़ी देर बाद नानाजी उसकी गांड पे अपना पानी गिरा दिया।
मैं तो जैसे होश खो चुकी थी। नेहा ने मुझे हिलाया और चुपके से निकलने को कहा हम उलटे पाँव वापस आये जैसे ही हम कुवे के पास वाले दो बड़े बड़े आम के पेड़ो के निचे आये हम वही लेट गए । 5 मिनट तक तो सिर्फ अपनी साँसे ठीक करने लगे। फिर एक दूसरे की और देखा और एकदम से हँसने लगे। हम बैठ गए।
मैं:= क्या था ये? कोण थी वो औरत?छी कितनी गन्दी थी वो और नानाजी उसे चोद रहे थे बापरे….
नेहा:= हा ना यार मैंने भी पहली बार देखा ऐसा।
मैं:= सच में यार मैंने कभी नहीं सोचा था ऐसा।
नेहा:=हा लेकिन तूने देखा दादाजी का लंड कितना बड़ा है। मैंने तो पोर्न मूवीज में भी नहीं देखा ऐसा लंड।
मैं:= हा न यार……मैं तो मर ही जाउंगी।
नेहा:= पर तू क्यू लेने लगी दादाजी का? या लेने का इरादा है?
मैं:= पागल है क्या तू? मैं सिर्फ इतने बड़े लंड की बात कर रही हु। लेकिन मुझे लगता है तेरा इरादा है।
नेहा:= हाय रे अगर दादाजी कहेंगे तो जरूर ले लुंगी।
मैं := चल हट बेशरम….।
नेहा:= अरे सच…तुझे पता नहीं जितना बड़ा लंड ही उतना ही मजा आता है।
मैं := हा क्या? चल फिर अभी नानाजी को कहती हु की आपकी प्यारी पोती आपसे चुदवाना चाहती है।
नेहा:= मैं तो तैयार हु पर अकेली नहीं तूझे भी लेना होगा दादाजी का लंड अपनी चूत में।
मै;= नेहा को चपेट मारी और कहा कुछ भी बोलती है।
फिर हम वहा से उठे और घर की और चल दिए इस बात से बेखबर की नानाजी हमारी बाते सुन रहे थे।
नानाजी:===== उफ़ ये क्या हो गया। इन लड़कियो ने देख लिया मुझे उस औरत के साथ अब कैसे नजर मिलाऊंगा उनके साथ???? लेकिन…….वो क्या बाते कर रही थी उन्हें मेरा लंड अच्छा लगा । लेकिन मैं उनका दादा और नाना हु। वो कैसी बाते कर रही थी। और उनको कितनी जानकारी है चुदाई के बारे में। हा भाई बड़ी हो गयी है अब वो। क्या जवानी फुट के आयी है दोनों में। नेहा की गांड तो ऐसी है की बस देखता ही जाऊ और जब वो मटक मटक के चलती है तो पैजामे में लंड भी अंगड़ाइयां लेने लगता है। और माधवी वो तो अभी अभी जवान हुई है उसकी चुचिया तो कमाल की है जब से वो आयीं है तबसे उसकी भरी भरी चुचियो ने तो पागल कर दिया है। दोनों को चोदने को मिल जाय तो मजा आजायेगा वैसे भी उस मालती की भोसड़ा चोद के मजा नहीं आता आजकल। वो तो माधवी की चुचिया है जो मुझे आज इतना उत्तेजना हुई। अगर ये गरम गरम माल चोदने मिल जाय तो मजा आ जाएगा। पल भर में ये सारे खयाल उनके मन में आ गए लेकिन फिर खुद को ही कोसते हुए ये मैं क्या सोच रहा हु…..मैं वासना में अँधा हो गया था। लेकिन दूसरे ही पल लेकिन नेहा तो खुद ही मुझसे चुदने के बारे में बात क़र रही थी। और साथ माधवी भी तो कुछ नहीं बोली। अगर मैं कोशिश करू तो इन दोनों को चोद सकता हु और उन्हें मेरा लंड भी तो बहोत पसंद आया है। देखो तो जरा कैसी जान आ रही इसमे मुझे पहले कभी ऐसा अहसास नहीं हुआ।
नानाजी ने मन कुछ ठान लिया और अपने काम में लग गए।

मैं और नेहा घर आ गए थे। नीरज और बाकी बच्चे हमारा वेट कर रहे थे। हमने फिर खूब मस्ती की। रात को नेहा मामी की खाना बनाने में हेल्प कर रही थी। और मैं मामा और नानाजी के पास बैठ के उनसे बाते कर रही थी। हमने साथ बैठ के खाना खाया टीवी देखा और फिर सोने चले गए।
रात में फिरसे रितेश का फ़ोन आया। और नेहा ने कल रात जैसा ही फ़ोन स्पीकर पे डाला हुआ था। उनकी चुदाई वाली बाते सुरु हो गई। मैं भी उनकी बातो का मजा लेके अपनी चूत रगड़ रही थी। लेकिन आज जब मैंने आखे बंद की तो देखा की नानाजी मेरी चूत चाट रहे है मैं उनका लंड चूस रही हु। और जब नेहा की बाते चूत चोदने तक पहोची तो मुझे ये दिखाई दे रहा था की नानाजी मुझे अपने लंड से खच खच चोद रहे है। और मुझे ये सोच के जादा उत्तेजना हो रही थी। मुझे उसमे कोई बुराई नजर नहीं आ रही थी। उत्तेजना में अंधी हो चुकी मैं बड़े चाव से नाना जी के लंड के बारे में सोच के चूत में उंगली चला रही थी। उफ्फ्फ्फ्फ्फ ये मुझे क्या हो रहा था। तब भी जब हम निचे खाना खाने से पहले बाते कर रहे थे तब नानाजी जब मेरे चीन को हाथ लगा रहे थे तब उनका हाथ मेरी चुचियो को लग रहा था और मेरा हाथ पकड़ कर नानाजी कैसे मेरी कोहनी अपने लंड की और धकेल रहे थे। उफ्फ्फ्फ्फ़ कितना कड़क हो चूका था वो। मैंने तब इतना माइंड नहीं किया था क्यू की मुझे लगा था शायद गलती से हो रहा होगा। लेकिन क्या नानाजी जानबूझ कर ऐसा कर रहे थे। मैंने सोचा अब मैं देखूंगी की ये गलती से हो रहा था या जानबुज के? क्या नानाजी सच में मुझे चोदने के बारे में सोच रहे है? सोचते सोचते मैं कब सो गयी पता ही नहीं चला।
इधर नेहा भी उसके दादाजी के लंड के बारे में सोच सोच कर चूत में उंगली कर रही थी। अब उसे रितेश नहीं उसके दादाजी नजर आ रहे थे। उसे अब अपने दादाजी का लंड अपनी चूत में चाहिए था। वो किचेन से देख रही थी कैसे दादाजी माधवी के साथ हरकते कर रहे थे। हो ना हो वो अब वो भी हमारी जवानी का मजा लेना चाहते थे। तभी कैसे वो किचन में आके मेरी कमर पे हाथ रखकर मुझे फ्राई को कैसे करते है बता रहे थे। और उनका हाथ कब मेरी कमर से निचे मेरी गांड पे आ गया था ये यकीनन गलती से नहीं हुआ था। उम्म्म्म्म जब उनका हाथ मेरी गांड से टच हुआ तब कैसी लहर सी दौड़ी थी मेरे शरीर में।

इधर नानाजी का भी हालत बहोत ख़राब थी। वो अपना लंड पैजामे में से निकालके उसे मुठ मार रहे थे। माधवी और नेहा की जवानी बिना कपड़ो के कैसे लगेगी ये सोच सोच के उनका लंड किसी रॉड की तरह ताना हुआ था। नेहा की गांड क्या मुलायम थी। सीसीसीसी अह्ह्ह जब मैं उसे नंगी करके छुऊँगा तो क्या मजा आएगा स्सस्सह्ह्ह् और माधवी के चुचिया उफ्फ्फ्फ़ उसके सलवार से क्या लगाती है जब नंगी देखूंगा तो आह्ह्ह्ह ये सोच के अपना लंड तेजी से हिलाने लग गए और फिर सरसरसर करके पिचकारी छोड़ने लगे। ऐसी उत्तेजना पहले कभी नहीं हुई थी उन्हें। उन्होंने अब मन ही मन सोच लिया था की किसी एक को जरूर चोदेंगे या फिर दोनोंको…………..

सुबह के 5 बजे होंगे की मामी के आवाज से हम दोनों की खुली।
मैंने दरवाजा खोला तो वो बोल पड़ी….
मामी:=पटापट तयार हो जाओ मंदिर जाना है।
मैं:=मंदिर??नहीं मामी मैं नहीं आ रही मंदिर मुझे सोना है।
मामी :=अरे आज पोर्णिमा है ये पोर्णिमा 10 साल में एक बार आती है और अपने गाव के मंदिर में आज बहोत बड़ी पूजा होती है और आज के दिन जो भी मुराद मांगोगे वो पूरी होती है।
नेहा भी उठ चुकी थी।
नेहा:=हा माधवी माँ सच कह रही है। चल चलते है
मामी:=चलो जल्दी तैयार हो जाओ बाबूजी तुम्हारा इन्तजार कर रहे है। मुझे तो मंदिर मना है इसलिए मैं नहीं आ पाऊँगी।
हम लोग तैयार हुए और नानाजी और नीरज के साथ मंदिर पहुचे। बहोत भीड़ थी और लंबी लाइन हम लाइन में लग गए।सामने नीरज उसके पीछे मै नेहा और नानाजी लाइन में भी बहोत लोग आगे पीछे धकेल रहे थे। इधर नेहा की हालात ख़राब थी। क्यू की पिछेसे नानाजी का लंड उसकी गांड पे लग रहा था। नानाजी तो थे दीवाने नेहा की गांड के वो भी भीड़ का फायदा लेके मजे से अपना लंड उसकी गांड पे रगड़ रहे थे। सुरु सुरु में नेहा को घबराहट हुई पर बादमे वो नानाजी से चिपके खड़ी हो गयी और नानाजी के तगड़े लंड का मजा अपनी गांड को दिलाने लगी। नानाजी की मुराद तो जैसे मंदिर जाने से पहले ही पूरी हो चुकी थी। उन्हें भी सुरु सुरु में थोडा झिझक हो रही थी पर जब उन्हें नेहा की और रेसपोंस मिलाने लगा तो वो भी बिनधास्त हो के अपना लंड नेहा की गांड से रगड़ने लगे थे।मुझे तो इस बात का अंदाजा नेहा का चेहरा देख के ही चल चूका था। मैं उन्हें डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी सो मैं नीरज के साथ बाते करने लगी।
लाइन बहोत बड़ी थी अभी और आधा घंटा लगने वाला था। और लाइन भी बड़ी अजीब थी एक साथ चार चार रो थी। इसके वजह से नेहा और नानाजी में क्या चल रहा है ये कोई देख नहीं सकता था। जैसे ही कोई पीछे से धकेलता नानाजी जोर से अपना लंड नेहा की गांड पे रगड़ देते। और जैसे कोई आगे से धकेलता तो मैं नेहा को जोर से पीछे धकेल देती जिससे नेहा अपनी गांड नानाजी के लंड पे दबा देती। इधर नेहा की तरफ से आता रिस्पांस देख नानाजी ने अपना लंड खड़ा करके नेहा की गांड के दरारों में घुसा दिया था।जैसे लाइन आगे बढाती नानाजी अपना लंड पीछे लेके हल्का सा धक्का दे देते। नेहा इधर अपने गांड में फसे लंड का भरपूर आनंद उठा रही थी। कभी कभी लंड सरक के निचे जाता तो सीधा उसके चूत के पास चला जाता जैसे उसकी चूत पे दस्तक दे रहा हो। उसकी चूत पानी पानी हो चुकी थी। नानाजी ने अब अपना हाथ भी नेहा के गांड पे फिरना और हलके हलके दबाना सुरु कर दिया था जिसकी नेहा को जरा भी उम्मीद नहीं थी। एक बार तो नानाजी ने अपना हाथ फिसला कर सीधा चूत से टच कराने की कोशिश की पर नेहा एकदम से चोकी तो उन्होंने हाथ पीछे हटा लिया। नानाजी मस्त हो चुके थे नेहा की नरम नरम मांसल गांड से लंड रगड़ के नेहा भी पहली बार रियल लंड का टच महसूस करके निहाल हो चुकी थी। दोनों भी भूल चुके थे की वो कहा है। सच कहते है लोग वासना अंधी होती है उसे ना रिश्ता समज आता है और नाही मंदिर….
हम सब लोग दर्शन करके घर पहोंचे। मैं लगभग खीचते हुए नेहा को ऊपर ले गयी और उससे सारी बाते डिटेल में पूछी। उसने वर्ड तो वर्ड सब बताया।
मै := क्या बात है तूने तो बड़े मजे किये यार अपने दादाजी के लंड से अपनी गांड घिसाई करावा ली।
नेहा:= तो तू आ जाती मेरी जगह तू भी कर लेती मजा।
मैं:= मुझे नहीं करनी मजा…अब आगे क्या? कब ले रही है उनका लंड चूत में?
नेहा :=हाय रे क्या बताऊ दिल तो करता है अभी ले लू।
मैं:=तू न बावरी हो गयी है बेशरम….
हम दोनों हँसने लगी। और फिर ऐसेही छेड़छाड़ हँसी बाते होती रही।
नानाजी हमारी हरकते बड़ी गौर से देख रहे थे। उनके चहरे पे एक अलग तरह की ख़ुशी झलकने लगी थी। वो खाना खाके खेत में चले गए। हम भी खाना खाके थोड़ी मस्ती की और थोडा सुस्ता लिया । फिर श्याम को फिर खेतो की और निकल पड़े। सोचा आज भी कुछ देखने को मिल जाय पर नानाजी कुछ काम करावा रहे थे। हमें देख के वो हमारी तरफ आये। हमे तो बड़ी मायूसी हुई। नानाजी आप यही है??मेरे मुह से यकायक निकल गया।
नानाजी:=क्यू कही और होना चाहिए था क्या मुझे ?उस खेत में?
मेरे और नेहा के होश उड़ गए हमने एक दूसरे की और देखा हम दोनों की आखो में इक ही सवाल था कही नानाजी ने कल हमें देख तो नहीं लिया?
नानाजी:=ऐसे क्या एक दूसरे की और देख रहे हो। चलो आओ इधर ।
हम नानाजी के पीछे पीछे चलने लगे।
मैं:= यार लगता है नानाजी ने हमें कल देख लिया।
नेहा:=मुझे भी ऐसा लगता है। देख न कल से ही तो वो हमसे कैसे बर्ताव कर रहे तुझे और मुझे छूने की कोशिश और सुबह भी तो….
मैं:= हा यार सही कह रही है तू।पहले कभी उन्होंने ऐसा नहीं किया। शायद पेड़ के निचे बैठ के जो बाते हम कर रहे थे वो भी सुन ली।
नेहा:= अगर ऐसा है तो ठीक है न यार मैं तो रेडी हु उनसे चुदने को बिस सालकी हो गयी हु यार बहोत तड़पती है (उसने चूत की और इशारा किया) बोल तू भी चाहती है ना?
मैं:==नहीं बाबा मैं नहीं……मैं इस मामले में थोड़ी शर्मा रही थी पर मन ही मन मई भी यही चाहती थी क्यू की आग लगी पड़ी थी चूत में उसे बुझानी तो पड़ेगी।
हम कुवे के पास आ गए नानाजी एक टोकरी में आम और तरबूज लेके आ गए। दोनों हाथो आम पकड़ कर मेरी चुचियो की और देखते हुए बोले….
नानाजी:= कितने बड़े बड़े है अंदर से कितने मीठे होंगे?
मैं तो शर्मा के लाल लाल हो गयी।नेहा को समज आ गयी बात । हम एक दूसरे की तरफ देखा फिर नेहा ने कहा
नेहा:= तो देख लीजिये ना खाके आपको रोका किसने है? वो मेरे कंधो पे दोनों हाथ रखके और अपनाचेहरा हाथो पे रख के कुछ अलग ही अंदाज से बोली।
नानाजी:=खाऊंगा बेटी पर थोडा पकाना पड़ेगा।
मैं शर्मा के निचे देख के मुस्कुराती रही और उनकी बाते सुनने लगी।
नेहा:= तरबूज तो खा ही सकते हो ना दादाजी।
नानाजी:= ह्म्म्म हा सुबह बस छुआ था तरबूज को बड़ा मजा आ रहा था। अब तो खाके देखना ही पड़ेगा। ये तो यकीनन पक गए है। बड़ा मजा आएगा इनको खाने में।
अब शरमाने की बारी नेहा की थी। वो झटके से खड़ी हुई और नाखून एक दूसरे पे घिसते हुए निचे देखने लगी।ये डबल मीनिंग बाते सुनके बड़ा मजा आ रहा था।
मैं:= नानाजी इस साल गन्ना क्यू नहीं लगाया हमें भी तो मजा आता गन्ना खाके?
नानाजी:= लगा दूंगा बेटी फिर मजे करना गन्ना चूस के
बापरे इसके बाद न मैं और नेहा कुछ बोल पायी। हमने वो आम और तरबूज लिए और घर की और निकल पड़े।
नेहा:=यार दादाजी तो बड़े चालू निकले क्या बाते कर रहे थे लगता है वो हम दोनों की जवानी देख के पागल हो चुके है खासकर तेरे आम पे तो ऐसे नजर टिक के थे वो हाय रे…
मैं:=हा न यार मेरी हार्ट बीट तो एकदम फुल स्पीड में दौड़ रही है अबतक
नेहा:=हा क्या?अभी से ये हाल है अगर वो सचमुच तेरे आम चूसने लगेंगे तो क्या होगा तेरा?
मैं:=क्या होगा?मैं भी उनका गन्ना चूस लुंगी…
ऐसा बोल के हम दोनों ने एकदूसरे को ताली दी और हंस पड़े।
रात को खाने के बाद एक चॅनेल पे मेरी fvrt मूवी आ रही थी ddlj मैं उसे देखने लगी और सबको पता था मैं उसे पूरा देखे बगैर सोने नहीं वाली। थोड़ी देर में सब जाने लगे नेहा भी जाने लगी तो मैंने उसे रोका तो वो कहने लगी यार तू देख मैं रितेश को फ़ोन कराती हु मुझसे रहा नहीं जा रहा।
मैं अकेले ही टीवी देखने लगी। मैं सोफे पे लेटी थी। नानाजी ने देखा की हॉल में कोई नहीं है तो वो तेल की बोतल लेके आ गए और मुझसे थोड़ी चम्पी करने को कहा । मैं सोफे पे बैठ गयी वो निचे बैठ गए। मैंने अपने पैर थोड़े फैला दिए जिससे उनका सर मेरी गोद में आ गया था। मैं टीवी देखते देखते मालिश करने लगी। नानाजी अपना सर पीछे करने लगे लेकिन मैं बहोत पीछे होने की वजह से कुछ हो नहीं रहा था। मैं थोडा आगे खिसकी जिसकी वजह से उनका सर अब मेरी चूत से कुछ ही इंच की दुरी पे था मैं उनका इरादा समझ रही थी और मुझे भी अब इस छेड़छाड़ का मजा आने लगा था। मै मालिश करते वक़्त अपनी चूत से टच करवा देती जिसकी वजह से उनका लंड अब खड़ा होना सुरु हो गया था। जिसको वो छुपा नहीं रहे थे उल्टा बिच बिच में उसे पकड़ कर सहला देते। मेरी चूत में और शरीर में झनझनाहट होने लगी थी। नानाजी बोले बेटा थोडा सर भी दबा दे। मैंने उनका सर पीछे लिया और चूत पे दबा दिया उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ क्या फीलिंग थी पहली बार किसी मर्द का शरीर मेरे चूत के इतने करीब था। मैं थोडा दबाव बना के उनका सर दबा रही थी।और साथ साथ अपनी चूत भी थोडा आगे ले जाके उनके सर से टच करा रही थी।मेरी मुलायम चूत का स्पर्श से नानाजी बहोत उत्तेजित हो चुके थे मैं ऊपर से देख रही थी उनका लंड अब पूरा कड़क हो चूका था। बिच बिच में वो उसे पकड़ के मसल रहे थे। मन तो किया की मैं ही पकड लू पर खुद को काबू में किया।
फिर मैंने नानाजी के सर पे अपना चीन रखा और पूछा नानाजी बस हो गया या और दबाउ? नानाजी बोले। “मजा तो बहोत आ रहा है पर ठीक है” मैं समझ गयी की उनको मजा किस चीज का आ रहा है। उन्होंने अपना हाथ मेरा गाल पकड़ने के लिए पीछे की तरफ लाया लेकिन मैं तब तक अपना चीन उठा चुकी थी जिससे उनके हाथ सीधा मेरी चुचियो पे आ लगा और उनके हाथ में मेरी एक चूची आ गयी उफ्फ्फ्फ्फ़ पहली बार मेरी चुचियो को किसी मर्द का हाथ लगा था मेरे मुह से आउच निकल गया। नानाजी समज गए की उनका हाथ मेरी चुचियो को लगा है….उन्होंने पूछा क्या हुआ? मैंने कहा कुछ नहीं। उन्होंने ने भी आगे कुछ नहीं कहा।
नानाजी:=तुम्हे सोना नहीं है क्या
मैं :=बस ये मूवी खत्म होने को है फिर सोती हु।
नानाजी := चल ठीक है मैं तेरे सर में मालिश कर देता हु।
मैंने ठीक है कहा और निचे बैठ गयी । नानाजी सोफे पे बैठ गए और जैसे मैं आगे खिसक के बैठी थी वैसेही वो बैठ गए। उनका लंड सीधा मेरी गर्दन से होता हुआ मेरे गाल के पिछले हिस्से को छु रहा था । उम्म्म्म्म्म क्या मजेदार टच था वो । नानाजी तेल लगाते वक़्त मेरा सर आगे पीछे कर रहे थे और मैं जादा से जादा अपनी गर्दन उनके लंड से रगड़ रही थी। मेरी हालात उस लंड के टच की वजह से बिगड़ती जा रही थी। मेरी चूत इतनी गीली हो चुकी थी बस पूछिये मत। नानाजी ने अब मेरा सर अपने लंड पे दबा दिया और मेरा सर दबाने लगे मैं बहकती जा रही थी। मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो पा रहा था। मैंने नानाजी से कहा बस हो गया और मैं खड़ी हो गयी।
नानाजी ने पूछा क्या हुआ अच्छा नहीं लग रहा?ऐसे बोलके उन्होंने अपना हाथ लंड पे रखा।मैं भी उनके लंड को खुले आप देखते हुए बोली “वो बहोत सख्त है ना….5 Sec का पॉज फिर बोली आपके हाथ तो थोडा सर भारी लग रहा है।ओके मैं जाती हु सोने। ऎसा बोल के मैं ऊपर जाने के लिए मूडी और चलने लगी और नानाजी मेरी मटकती गांड को देख के अपना लंड मसलने लगे

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नाना ने बनाया दीवाना…..!!!!!!!! – Sex Stories