नानाजी का प्यार-1 – Antarvasna
प्रेषिका : पायल सिंह
मैं पायल सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक बड़े शहर के एक गर्ल्स कॉलेज में बी.ए. दूसरे साल की छात्रा हूँ। एक महीने पहले की घटना मैं आप लोगों से शेयर करना चाहती हूँ।
मेरे घर पर मेरे दूर के रिश्ते के एक नानाजी आये हुए थे उनकी उम्र करीब 65 साल के आसपास होगी। एक बात मैंने नोटिस की कि वे मेरे बड़े-बड़े वक्ष-स्थल को अक्सर घूरते रहते हैं।
एक दिन की बात है, सुबह ही मम्मी और पापा अपने ऑफिस चले गए थे और छोटी बहन भी अपने स्कूल चली गई थी। उस दिन मैं कॉलेज नहीं गई थी और घर में केवल मैं और नानाजी थे।
नानाजी को जब मैं नाश्ता देने के लिए झुकी तो मेरे वक्ष-विदरण यानि वक्ष घाटी दिखने लगी, और नानाजी उसे बड़े बेशर्मी से घूर रहे थे।
तभी मेरे दिमाग में एक शैतानी विचार आया कि अभी घर में कोई नहीं है क्यों न आज नानाजी की अन्तर्वासना को जागृत किया जाये, मेरा विचार कोई सेक्स करने का नहीं था केवल नानाजी को ललचाने का था।
मैंने नानाजी को उत्तेजित करने के लिए एक आईडिया सोचा फिर उसके बाद नानाजी को कहा- नानाजी, चलिए ड्राइंग रूम में बैठ कर टीवी देखते हैं।
नानाजी ड्राइंग रूम में चले गए और टीवी देखने लगे और मैं नाना के सामने वाली सोफा पर अपनी टांग मोड़ के बैठ गई।
भाग्यवश मेरी सलवार की सिलाई जांघों से उधड़ी हुई थी।
वैसे लड़कियों को और उनके चोदू यारों को मालूम ही होगा कि सल्वार और विशेषकर पजामी की सिलाई अकसर योनि के पास से उधड़ ही जाती है।
तो ऐसे ही मेरी सलवार भी उधड़ी हुई थी और अन्दर मैंने अंतःवस्त्र भी नहीं पहन रखे थे, मेरी गोरे जननांग-लब स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहे थे।
तभी नानाजी की नजर मेरे गुप्तांग की ओर पड़ी तो मैंने झट से अखबार पढ़ने का नाटक करने लगी, अख़बार की बगल से मैं कनखियों से ताक रही थी नानाजी को।
मैंने देखा की नानाजी भौंचक्के होकर मेरी योनि को अपनी आँख फाड़-फाड़ कर देख रहे थे। फिर मैंने देखा कि नानाजी धोती में अपना हाथ घुसा के अपने यौनांग को अग्र-पश्च आंदोलित कर रहे हैं।
यह दृश्य देख के मुझे अत्यंत ही उत्तेजना का एहसास हो रहा था और मेरे योनि से स्नेहक का स्राव होने लगा।
तभी मैंने देखा कि नानाजी ने अपनी धोती हटा कर अपना लिंग बाहर निकाल लिया, 65 वर्ष के वृद्ध व्यक्ति का एकदम सख्त और खड़ा हुआ लिंग देख कर मैं एकदम अचंभित रह गई, काफी लम्बा और अत्यंत ही मोटा लिंग था।नानाजी का शिश्न-मुंड भी अत्यंत फ़ूला हुआ था, जिसे देख कर मेरे योनि के बाल एकदम गनगना कर खड़े हो गए। नानाजी मेरे विशाल योनि का अवलोकन करते हुए अपने लिंग को पकड़ के उसे आगे-पीछे कर रहे थे। तभी नानाजी ने अपने लिंग को अपने धोती में अन्दर घुसते हुए कहा- बेटी पायल आज बहुत गर्मी है, सोफे पर और भी गर्मी लगती है, मैं नीचे जमीन पर बैठ जाता हूँ, जमीन संगमरमर का है तो इस पर बैठने में ठंडक मिलेगी।
ऐसा कहते हुए नानाजी मेरे सोफे के नजदीक आकर जमीन पर बैठ गये और अत्यंत नजदीक से मेरी योनि की खूबसूरती को निहारने लगे। लग रहा था कि नानाजी को योनि स्पष्ट रूप से नहीं दिख रही थी तो नानाजी ने कहा- पायल, आराम से बैठ कर अखबार पढ़ो, ऐसे बैठने में तुम्हारे पैर में दर्द नहीं होगा !
और ऐसा कह कर नानाजी ने मेरी दोनों टांगों को फैला दिया और मेरी टांग फैलाते वक़्त बहाने से मेरी सलवार के खुले हुए भाग को और फैला दिया ताकि मेरी योनि अच्छे से दिख सके।
मैं 5′ 8″ लम्बी हूँ। इस कारण मेरे लम्बवत लब अत्यंत बड़े हैं, उसके अन्दर की फांकें चार इंच लम्बी हैं।
नानाजी मेरी योनि को अत्यंत गौर से देखते हुए धोती में अपना हाथ घुस के अपना लिंग को हिल रहे थे। थोड़ी देर के बाद नानाजी ने मेरी योनि के पास अपनी नाक को ले जाकर उसे सूंघा, लगता था कि वो मेरी गोरी-गोरी योनि की खुशबू का आनंद ले रहे थे।
मेरी योनि के बाल अत्यंत ही घने हैं तो शायद नानाजी को मेरी योनि स्पष्ट रूप से नहीं दिख रही थी।
थोड़ी देर मैंने नानाजी से कहा- नानाजी, मुझे बहुत जोर से नींद आ रही है, मैं सोफे पर ही सो रही हूँ, यदि डोर-बेल बजे तो आप दरवाज़ा खोल दीजियेगा।
ऐसा कह कर मैंने सोने का नाटक किया, ऐसा मैंने इसलिए किया कि मैं यह देखना चाहती थी कि नानाजी मेरे साथ और क्या-क्या करते हैं।
मेरे सोने के नाटक के 5 मिनट के बाद नानाजी खड़े होकर मेरा चेहरा देखने लगे कि मैं सचमुच सो गई हूँ या नहीं। नानाजी मेरे हाथ को ऊपर उठा कर उसे नीचे गिरा कर सुनिश्चित किया कि क्या मैं वाकई में सो रही हूँ। पूर्ण आश्वस्त होने के बाद कि मैं सचमुच सो रही हूँ, नानाजी ने मेरी दोनों टांगों को एकदम से फैला दिया और सलवार के पास खुली हुई जगह को और फैला दिया फिर वे मेरे गुप्तांग के घने बालों को सहलाने लगे, बालों को पकड़ कर हौले-हौले ऊपर की ओर खींचने लगे, ऐसा करना मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था।
फिर नानाजी ने मेरी योनि के दोनों भगोष्ठ को चीर के उसे बीच के गुलाबी भाग को सहलाने लगे, फिर अपने जीभ से उसे चाटने लगे, वो मेरे 4 इंच लम्बे चीरे में अपने जीभ को पूरा ऊपर से नीचे तक चाट रहे थे, मुझे तो स्वर्गिक आनन्द की अनुभूति हो रही थी। मेरी योनि से चिकना सा पदार्थ का स्राव हो रहा था जिसे नानाजी चाट रहे थे।
फिर नानाजी मेरे 1 इंच लम्बे भगनासा को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे, ऐसा करने से मुझे लगा कि मैं तो एकदम पागल हो जाऊँगी।
फिर नानाजी ने मेरा चेहरा देखा, पुनः सुनिश्चित किया कि मैं सो रही हूँ, फिर उन्होंने डरते हुए मेरे शमीज को ऊपर किया और हौले से मेरी चोली के ऊपर से ही मेरे बड़े-बड़े अत्यंत कड़े स्तनों का मर्दन किया, मुझे बहुत अच्छा लगा।
और फिर नानाजी ने मेरी कंचुकी को ऊपर सरका कर मेरे वक्षस्थल को अनावरित करने का प्रयास किया पर मेरे अत्यंत ही बड़े स्तन होने के कारण बाहर नहीं निकल पाये तो नानाजी मेरी ब्रा का हुक खोलने के लिए अपने हाथों को मेरे पीठ पर ले गए तो मैंने अपनी पीठ को सोफे से थोड़ा उठा दिया जिससे मेरे ब्रा की हुक आसानी से खुल गई।
हुक खुलने के बाद नाना जी ने मेरे विशाल कुचों को ब्रा से आज़ाद कर दिया और उसके बाद नानाजी ने मेरे दोनों उरोजों का मर्दन शुरू कर दिया, ऐसा करने से मेरे भग के बाल गनगना के एकदम खड़े हो गए, फिर उन्होंने मेरे एक गुलाबी स्तनाग्र को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगे।
तब नानाजी ने अपने धोती में से अपना विशाल लिंग को बाहर निकला जो एकदम उत्थित था, उन्होंने मेरे योनिरस को अपनी उंगली से निकाल के अपने शिश्न-मुंड के ऊपर लगाया और अपने अपने लिंग को आगे पीछे करने लगे। फिर नानाजी ने मेरे हाथ में अपना भीमकाय शिश्न पकड़ा दिया, खीरे जितना मोटा लिंग था जिसे पकड़ने में मुझे बहुत अच्छा लगा।
नानाजी मेरे हाथ को पकड़ कर उसे आगे-पीछे कर रहे थे, फिर उन्होंने अपने शिश्न-मुंड को मेरे नाजुक होठों पर रगड़ना शुरू कर दिया, रगड़ने के कारण मेरे होंठ थोड़े खुल गए और नानाजी का शिश्न-मुंड मेरे मुँह में थोडा सा घुस गया, अत्यन्त मोटा शिश्न-मुंड होने के कारण वो मेरे मुंह में घुस नहीं पा रहा था तो मैंने धीरे से अपना मुंह थोड़ा खोल दिया जिससे नानाजी का पूरा शिश्न-मुंड मेरे मुंह में घुस गया। उसके बाद नानाजी मेरे मुंह में अपना लिंग अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया। नानाजी का आधा लिंग मेरे मुंह में घुस गया था, मैंने भी लिंग को धीरे-धीरे चूसना शुरू कर दिया, नानाजी समझ रहे होगे कि मैं इसे नींद में ही चूस रही हूँ।
धीरे-धीरे नानाजी ने अपना पूरा लिंग मेरे मुँह में घुसा दिया और जोर-जोर से मुख मैथुन करने लगे। नानाजी का इतना मोटा लिंग चूसने में मुझे बहुत ही मजा आ रहा था, थोड़ी देर के बाद नानाजी ने अपना लिंग मेरे मुंह से निकाल लिया और…
कहानी जारी रहेगी।
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