पड़ोसन की प्यास

पड़ोसन की प्यास

लेखक : अखिलेश कुमार

मैं अखिलेश कुमार, दिल्ली का निवासी हूँ, मैं एक सीधा साधा लड़का हूँ पर मैं और मेरा परिवार ऐसी गली में रहते थे जहाँ पर सिर्फ़ पहाड़ी, उत्तरांचली लोग रहते हैं। वो लोग हमसे घुलमिल कर रहते हैं।

मगर एक आंटी भगवती जिनको हम प्यार से भालू बुलाते हैं, वह मुझसे मन ही मन कुछ चाहती थी, पर मैं इन सब बातों मैं ध्यान नहीं देता था क्योंकि मैंने हाल ही में बारहवीं की परीक्षा दी थी।

वो मेरे घर पर रोज आती और कभी बहाने से मुझे अपने घर बुला लेती थी। दिखने में तो वो बहुत ही सेक्सी लगती थी, कोई भी नहीं कह सकता था कि वो दो जवान लड़कियों की माँ है पर मैंने कभी गौर नहीं किया। जब वो मुझे किसी बहाने से बुलाती थी तो मैं घबरा जाता था क्योंकि एक दिन मैं उसके बुलाने पर घर गया दिन के 12 बज रहे थे। मैंने घण्टी बजाई तो उसने कहा- आ जाओ अखिलेश, तुम्हारा ही तो घर है !

सुन कर मैं अंदर घुस गया, घर मैं कोई नहीं था, बच्चे स्कूल गये थे, भालू चाची के पति ऑफ़िस गए हुए थे। भालू चाची पेटिकोट और ब्लाउज में बैठी थी और नहाने की तैयारी कर रहीं थी।

इतने में मैं वहाँ पहुँच गया और उन्हें इस दशा में देख लिया पर उन्होंने कुछ नहीं कहा और मुझे बैठ कर टीवी देखने को कहा, बोली- मैं नहाने जा रही हूँ, तुम जाना नहीं।

मैं सकपकाया हुआ था, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, मैं चुपचाप टीवी देखने लगा, चाची जी नहाने चली गई।

कुछ देर बाद चाची की आवाज़ आई, बोली- अखिलेश ज़रा इधर आना, कुछ काम है।

मैं गया तो देखा के चाची निर्वस्त्र खड़ी थी और उनके चूचे संतरे की तरह दिख रहे थे। मैं डर गया और मेरा तीन इंच का लंड 7 इंच का हो गया।

चाची की नज़र मेरे लंड पर पड़ गई।

मैं बोला- चाची जी, क्या काम है?

वो बोली- मेरी पीठ में रोज खुजली मचती है, ज़रा खुज़ला देना आकर !

मेरे तो होश ही उड़ गये, मैंने कहा- पहले आप कपड़े तो पहन लीजिए !

चाची बोली- तू तो अपना ही है, आ जल्दी से खुज़ला दे ! फिर हम साथ में टीवी देखेंगे और बातें करेंगे।

मैं जैसे-तैसे गया मगर दोस्तो, क्या बताऊं किसी औरत को मैंने पहली बार बिना कपड़ों के देखा था, वो इतनी सेक्सी लग रही थी जैसे कोई सेक्सी हिरोइन आ गई हो ! मगर मैंने ये सब पहले कभी नहीं किया था इसलिए घबरा रहा था।

मैं चाची के पास गया और वो मेरी ओर पीठ करके बैठ गई।

मैंने जैसे ही उसकी पीठ पर हाथ रखा, मेरा लंड दोबारा से खड़ा हो गया और चाची मन ही मन खुश हो रही थी। मैं समझ गया था कि चाची मुझसे कुछ चाहती हैं पर मैं डर रहा था क्योंकि मेरे घर वाले बहुत सीधे थे और मैं नहीं चाहता था कि मेरी वजह से उनकी बेइज्जती हो !

पर क्या करूँ !

खैर मैंने जैसे ही उनकी पीठ पर हाथ फेरा, चाची ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैंने जल्दी से छुड़ा लिया और कहा- चाची जी, क्या कर रही हो?

वो कुछ नहीं बोलीं। जैसे ही हाथ फिराता, हाथ अपने आप सरक कर उनके चूतड़ों की तरफ चला जाता। चाची ने पूरी कोशिश की पर मैंने हार नहीं मानी और पीठ पर हाथ फेर कर मैं दूसरे कमरे में चला गया।

उसके बाद चाची ब्रा ओर पेटिकोट में ही कमरे में आ गईं और बोली- अखिलेश, ज़रा मेरी ब्रा का हुक लगा देना !

मैं फिर शर्माशर्मी में हुक लगाने लगा।

वो इतनी गोरी थी कि मैंने ऐसी कोई लड़की देखी हो जो इतनी सेक्सी हो मैं तो उनके इस रूप को देख कर बेहाल हो गया पर डर अब भी उतना ही था।

चाची बोली- अखिलेश, तुम्हारी कोई सेट्टिंग है या नहीं?

मैंने कहा- नहीं, अभी तो कोई भी नहीं है !

इस पर चाची हंसने लगी और चाची ने अलमारी से मेक्सी निकाल कर पहन ली।

उसके बाद चाची रसोई में चली गई और आइसक्रीम लेकर आई, कहा- लो तुम मेरे हाथ से खाओ !

मेरे मना करने पर भी उन्होंने अपनी उंगली से मुझे आइसक्रीम खिला दी उसके बाद वो मेरे पास आकर बैठ गईं और बोली- तुमने किसी के साथ कभी सेक्स किया है?

मैंने कहा- चाची, नहीं, पर आप ऐसा क्यों पूछ रही हो?

तब चाची बोली- चलो, फिल्म देखते हैं !

और उन्होंने रैक मैं से एक सीडी निकाल कर लगा दी। वो सीडी सेक्स फिल्म वाली थी।

चाची मेरे पास आकर बैठ गईं। जैसे जैसे उसमें सीन आते जा रहे थे, चाची गर्म हो रहीं थी…

और एक सीन पर तो चाची ने मेरा उठा हुआ लंड पकड़ लिया…

मैं सकपका गया…- चाची, यह ग़लत है, कोई आ जाएगा।

पर चाची तो अपनी चूत मरवाने के पूरे मूड से बैठी थी।

मैंने कहा- आप किसी को बताएँगी तो नहीं?

तब उन्होंने कहा- नहीं ! बस तू मेरी इच्छाएँ पूरी कर दे, अपना लंड मुझे दे दे, आज से मैं तेरी हो गई।

फिर क्या था, मैं भी तैयार हो गया ! चाची इतनी गोरी ओर चिकनी थी कि हाथ तो टिक ही नहीं रहा था उनके ज़िस्म पर…!

बस फिर उन्होने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया… इतने में उनकी दोनों लड़कियाँ स्कूल से आ गई।

मैंने चाची से कहा- आपकी लड़कियाँ स्कूल से आ गई हैं, हट जाओ !

पर चाची ज़्यादा गर्म हो गईं थी, मैंने जैसे तैसे हटाया और दरवाजा खोला तो उसकी बड़ी वाली लड़की हेमा मुझे देखकर मुस्कराई और बोली- तुम कब आए?

मैं डरा हुआ था, मैंने कहा- अभी अभी आया हूँ !

पर उसने मेरा खड़ा लंड देख लिया और कहा- अंदर कौन है?

तो मैंने कहा- तेरी माँ है।

उस दिन मैंने हेमा को अलग नज़र से देखा, वो मुझे बहुत ही सेक्सी लगी।

मैं अपने घर चला गया और उसी दिन चाची मुझे छत पर मिलीं, बोलीं- अखिलेश, तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है, अब तो मुझे मेरा पति अच्छा नहीं लगता।

मगर चाची के अलावा अब मुझे उसकी बेटी भी मुझे सेक्सी लगने लगी थी, मैं शांत रहा।

अगले दिन उनकी लड़कियाँ स्कूल चली गयीं और पति ड्यूटी पर, उसके बाद चाची मेरे घर पर आईं और बोली- अखिलेश, मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी काम है, तुम मेरे घर आओ !

मैंने हामी भर दी और मैं जैसे ही घर में घुसा, चाची ने मुझे पकड़ लिया और बेडरूम तक खींच कर ले गईं। फिर चाची ने अपनी मेक्सी उतारी और मेरे कपड़े उतारने लगीं।

कपड़े उतारने के बाद उन्होंने मेरा लंड मुँह में ले लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। वो तो पागल हो गई थी और मुझे भी कर रही थी। उसने मेरा लंड 5 मिनट चूसा औए मैंने उसे बड़े प्यार से बेड पर लिटा दिया और उसके होठों पे होंठ रख दिए, चूसने लगा।

उसके बाद उसके चूचे चूसने लगा।

चाची के मुँह से आआहह उफफ्फ़ ईईईऊऊ… आहें निकल रही थी।

फिर मैंने उसके पूरे बदन को चूमा !

अब चाची से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो बोली- अखिलेश इतना तो तेरे चाचा ने नहीं तड़पाया, अब और मत तड़पा ! फाड़ दे मेरी चूत ! मगर मैंने भी यह सब पहली बार किया था तो मज़ा आ रहा था, मैंने कहा- चुपचाप लेटी रह ! नहीं तो करूँगा भी नहीं !

फिर मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी और अंदर बाहर करने लगा। इससे उसे और गर्मी आ गई और आ आ आह हह उफ्फ़ ईई ईऊऊ… आह करने लगी। फिर चाची झटके से उठी और मेरा लंड मुँह में दोबारा ले लिया, 20-25 बार अंदर बाहर किया तो मेरा झड़ गया और चाची का मुँह भर गया, उसने मज़े मज़े में सारा का सारा अंदर ले लिया और फिर वो भी झड़ गई।

थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरा लंड अपने चूचों पर रख लिया और हिलने लगी। चाची उस वक़्त किसी सेक्सी चुदक्कड़ की तरह लग रही थी। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया और वो फिर से आआ आहह उफ्फ़ ईई ऊऊ ईई… की आवाज़ निकालने लगी। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रख दिया और अंदर की तरफ झटका मारा, चाची का तो दम निकल गया, बोली- प्लीज़ ज़्यादा अंदर मत घुसाना, इतना बड़ा तो तुम्हारे चाचा का भी नहीं है।

मगर मैंने दूसरे झटके में पूरा अंदर डाल दिया। चाची तो चिल्ला पड़ी पर 2-3 मिनट के बाद उन्हें मज़ा आने लगा और वो मेरा साथ देने लगी।

अब चाची सीत्कारें लेने लगी और मैं ज़ोर ज़ोर के झटके मारने लगा चाची की चूत पर ! मैंने चाची के बदन को कई ज़गह काट लिया मगर चाची तो चूत मरवाने में लगी थी।

फिर मैंने चाची को अपने लंड के ऊपर बैठा लिया और चाची अपने आप उछल उछल कर मेरा साथ दे रही थी, वो पागल हो रही थी।

फिर मैंने उसे अपना लंड चुसवाया और बोला- तेरी माँ की चूत ! जल्दी जल्दी चूस नहीं तो तेरी बेटी को चोद दूँगा !

उसने कुछ नहीं कहा और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी।

मैंने उसे दोबारा नीचे लेटाया और दोबारा चोदना शुरू कर दिया, मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा। वो मेरे से चिपक गई क्योंकि वो और मैं दोनों झड़ने वाले थे।मैं अपना माल उसकी चूत में नहीं डालना चाहता था पर उसने ज़बरदस्ती अंदर डलवा लिया।

लेकिन वो अभी भी कामवासना से पागल थी, उसने मुझे बादाम-केशर का दूध पिलाया और सरसों के तेल से मेरे लंड की मालिश की और फिर से उसे चूसने लगी।

मैंने कहा- मेरी ज़ान लोगी क्या आज?

वो बोली- ज़ान तो तू मेरी ले रहा है इतना प्यार देकर !

और बोली- तुझे तो पता है तेरा चाचा मुझे लड़का नहीं दे पा रहा है, तो इस काम को तू ही कर दे किसी को पता नहीं चलेगा।

मैंने मौका देखकर चौका मारा- चाची, इसमें रिस्क ज़्यादा है, पर आपको भी मेरा एक काम करना होगा?

वो बोली- क्या? तू जो भी कहेगा मैं वो करूँगी तेरे लिए !

मैंने कहा- मुझे हेमा की भी चूत मारनी है।

वो सुनकर चुप हो गई, थोड़ी देर बाद कहने लगी- मगर किसी को पता नहीं चलना चाहिए ! तू कर सकता है मगर अपना वादा याद रखना और साथ-साथ मुझे मत भूलना !

मैंने कहा- चाची, आपसे अच्छी तो आपकी बेटी भी नहीं लगती !

इतना सुनकर वो मुझसे चिपक कर लेट गई और अपनी चूत दिखाकर बोली- आजा मेरे राजा ! आज ही मेरे पेट में लड़का कर दे !

फिर मैंने ज़ोश मैं आकर उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी और चाची के मुहन से दोबारा आह उफ्फ़ की आवाज़ निकालने लगी और दस मिनट में उसकी चूत में दोबारा झड़ गया।

और फिर उसके कुछ देर बाद हेमा स्कूल से आ गई और मुझे और शक भरी निगाहों से देखने लगी, बोली- कब आए अखिलेश जी?

मैंने कहा- तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा हूँ।

वो खुश हो गई मगर चाची को बेड पर लेटी देख हेमा पूछने लगी- माँ को क्या हुआ?

मैंने कहा- इन्हें ठोड़ा बुखार है, तुम अपनी माँ का ध्यान रखना !

कह कर मैं अपने घर आ गया।

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